"भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस": अवतरणों में अंतर

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Indian National Congress
चित्र:Flag of the Indian National Congress.svg
संक्षेपाक्षर INC
संसदीय दल अध्यक्ष Sonia Gandhi[1]
नेता लोकसभा Adhir Ranjan Chowdhury[2]
नेता राज्यसभा Ghulam Nabi Azad
(Leader of the Opposition)[3]
गठन 28 दिसम्बर 1885 (138 वर्ष पूर्व) (1885-12-28)
मुख्यालय 24, Akbar Road, New Delhi-110001[4]
गठबंधन United Progressive Alliance (UPA)
लोकसभा मे सीटों की संख्या
52 / 545
(currently 543 members + 2 nominated)
राज्यसभा मे सीटों की संख्या
46 / 245
(currently 233 members + 12 nominated)[5]
विचारधारा Social democracy[6][7]
Democratic socialism[8][7]
Social liberalism[8][9]
Big tent[6][10]
Indian nationalism[11][7]
Civic nationalism[12]
Secularism[11][6]
Progressivism[8][7]
प्रकाशन Congress Sandesh
रंग      Sky blue[13][14]
विद्यार्थी शाखा National Students Union of India
युवा शाखा Indian Youth Congress
महिला शाखा All India Mahila Congress
श्रमिक शाखा Indian National Trade Union Congress
जालस्थल साँचा:ConditionalURL
Election symbol
भारत की राजनीति
राजनैतिक दल
चुनाव
साँचा:Indian National Congress sidebar भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में २८ दिसंबर १८८५ में हुई थी;[15] इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे।[16] १९वी सदी के आखिर में और शुरूआती से लेकर मध्य २०वी सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने १.५ करोड़ से अधिक सदस्यों और ७ करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी।

१९४७ में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर 2014 तक, १६ आम चुनावों में से, कांग्रेस ने ६ में पूर्ण बहुमत जीता हैं और ४ में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल ४९ वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (१९४७-१९६५) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (२००४-२०१४) थे। २०१४ के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और ५४३ सदस्यीय लोक सभा में केवल ४४ सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है,

इतिहास

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का इतिहास दो विभिन्न काल से गुज़रता हैं।

  • आजादी से पूर्व - जब यह पार्टी स्वतंत्रता अभियान की संयुक्त संगठन थी।
  • आजादी के बाद - जब यह पार्टी भारतीय राजनीति में प्रमुख स्थान पर विद्यमान रही हैं।


भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेसकाँग्रेस (आई)भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेसभारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (आर)भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेसभारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस

स्वतन्त्रता संग्राम

स्थापना

काँग्रेस की स्थापना के समय सन् 1885 का चित्र

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने कलकता के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था। इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लिए गये थे। काँग्रेस में स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था।[17]

प्रारम्भिक वर्ष

1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे - गरम दल एवं नरम दल। गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे। नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी कर रहे थे। गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग कर रहा था परन्तु नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था। प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और होमरूल आंदोलन की शुरुआत हुई जिसके तहत ब्रिटिश राज में भारत के लिये अधिराजकिय पद (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी।

कांग्रेस एक जन आंदोलन के रूप में

परन्तु १९१५ में गाँधी जी के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया। चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली। १९१९ में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गॉधीजी काँग्रेस के महासचिव बने। उनके मार्गदर्शन में काँग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय की संस्था बन गयी। तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई एवं सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल थे। गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई एवं कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ। काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत, पर्दा प्रथा एवं मद्यपान आदि शामिल थे।[18]

राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए काँग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ता था। गाँधीजी ने एक करोड़ रुपये से अधिक का धन जमा किया और इसे बाल गंगाधर तिलकके स्मरणार्थ तिलक स्वराज कोष का नाम दिया। ४ आना का नाममात्र सदस्यता शुल्क भी शुरू किया गया था।[19][20]

स्वतन्त्र भारत

1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत के मुख्य राजनैतिक दलों में से एक रही है। इस दल के कई प्रमुख नेता भारत के प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, नेहरू की पुत्री इन्दिरा गांधी एवं उनके नाती राजीव गांधी इसी दल से थे। राजीव गांधी के बाद सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष बने जिन्हे सोनिया गांधी के समर्थकों ने निकाला तथा सोनिया को हाईकमान बनाया, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष तथा यूपीए की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं। कपिल सिब्बल,काँग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल, राशिद अल्वी, राज बब्बर, ,मनीष तिवारी आदि कांग्रेस के वरिष्ट नेता हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह भी कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैं।

नेहरू/शास्त्री युग

इंदिरा युग

राजीव गांधी और राव युग

वर्तमान संरचना तथा परिवारवाद

वंशवाद भी देखें

सन १९२१ में जब महात्मा गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने तब उन्होने इसकी संरचना को एक पदानुक्रमी रूप (hierarchical) प्रदान किया।।[21][22]

अवधारणाएँ और नीतियाँ

कांग्रेस एक नागरिक राष्ट्रवादी पार्टी हैं, जो एक प्रकार के राष्ट्रवाद का अनुसरण करती हैं, जो आज़ादी, सहिष्णुता, समानता और वैयक्तिक अधिकारों जैसे मूल्यों का समर्थन करता हैं।[12] कांग्रेस एक पार्टी न होकर एक विचारधारा है

स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा

सुरक्षा और घरेलू मामले

===विदेश नीति===apane c

लोहिया का 'काँग्रेस हटाओ' आन्दोलन

संयुक्त विधायक दल भी देखें

राम मनोहर लोहिया लोगों को आगाह करते आ रहे थे कि देश की हालत को सुधारने में काँग्रेस नाकाम रही है। काँग्रेस शासन नये समाज की रचना में सबसे बड़ा रोड़ा है। उसका सत्ता में बने रहना देश के लिये हितकर नहीं है। इसलिये लोहिया ने नारा दिया - "काँग्रेस हटाओ, देश बचाओ।"

1967 के आम चुनाव में एक बड़ा परिवर्तन हुआ। देश के 9 राज्यों - पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में गैर काँग्रेसी सरकारें गठित हो गयीं। लोहिया इस परिवर्तन के प्रणेता और सूत्रधार बने।

जेपी आन्दोलन

सन् 1974 में जयप्रकाश नारायण ने इन्दिरा गान्धी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया। आन्दोलन को भारी जनसमर्थन मिला। इससे निपटने के लिये इन्दिरा गान्धी ने देश में इमर्जेंसी लगा दी। सभी विरोधी नेता जेलों में ठूँस दिये गये। इसका आम जनता में जमकर विरोध हुआ। जनता पार्टी की स्थापना हुई और सन् 1977 में काँग्रेस पार्टी बुरी तरह हारी। पुराने काँग्रेसी नेता मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी किन्तु चौधरी चरण सिंह की महत्वाकांक्षा के कारण वह सरकार अधिक दिनों तक न चल सकी।

भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन

सन् 1987 में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कम्पनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में काँग्रेस की सरकार थी और उसके प्रधानमन्त्री राजीव गान्धी थे। स्वीडन रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इसे ही बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स काण्ड के नाम से जाना जाता हैं। इस खुलासे के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन चलाया जिसके परिणाम स्वरूप विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधान मन्त्री बने।

प्रधानमन्त्रियों की सूची

क्र० प्रधानमन्त्री वर्ष अवधि निर्वाचन क्षेत्र
1 जवाहरलाल नेहरू 1947–64 17 वर्ष Phulpur
2 गुलज़ारीलाल नन्दा मई-जून 1964; जनवरी 1966 26 दिन Sabarkantha
3 लाल बहादुर शास्त्री 1964–66 2 वर्ष इलाहाबाद
4 इन्दिरा गांधी 1966–77, 1980–84 16 वर्ष उत्तर प्रदेश (राज्य सभा), रायबरेली, Medak
5 राजीव गांधी 1984–89 5 वर्ष अमेठी
6 पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव 1991–96 5 वर्ष Nandyal
7 मनमोहन सिंह 2004–14 10 वर्ष असम (राज्य सभा)

== विपक्ष के नेता ==Sonia gandhi - लोकसभा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "A day before Rahul takes over, Sonia says she'll retire". The Hindu. 16 December 2017. अभिगमन तिथि 17 December 2017.
  2. "After Rahul Gandhi refuses, Congress names Adhir Ranjan Chowdhury as its leader in Lok Sabha: Reports". Times Now. 18 June 2019. अभिगमन तिथि 18 June 2019.
  3. Politics hidden (8 June 2014). "Ghulam Nabi Azad named Congress party leader in Rajya Sabha". Firstpost. अभिगमन तिथि 16 August 2018.
  4. "Rent relief unlikely for Congress's Delhi properties | India News – Times of India". M.timesofindia.com. अभिगमन तिथि 16 August 2018.
  5. "STRENGTHWISE PARTY POSITION IN THE RAJYA SABHA". Rajya Sabha. अभिगमन तिथि 14 July 2018.
  6. Lowell Barrington (2009). Comparative Politics: Structures and Choices. Cengage Learning. पृ॰ 379. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-618-49319-0.
  7. "Indian National Congress (INC)". Elections.in. अभिगमन तिथि 18 April 2019.
  8. Mallick, Md. Ayub (2013). "Ideology of the Indian National Congress: Political Economy of Socialism and Socialistic Pattern of Society" (PDF). IOSR Journal Of Humanities And Social Science. 12 (2): 96–112. eISSN 2279-0837. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2279-0845.
  9. Rosow, Stephen J.; George, Jim (2014). Globalization and Democracy. Rowman & Littlefield. पपृ॰ 91–96. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-442-21810-9.
  10. Meyer, Karl Ernest; Brysac, Shareen Blair (2012). Pax Ethnica: Where and How Diversity Succeeds. PublicAffairs. पपृ॰ 64–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781610390484. अभिगमन तिथि 7 April 2016.
  11. Soper, J. Christopher; Fetzer, Joel S. (2018). Religion and Nationalism in Global Perspective. Cambridge University Press. पपृ॰ 180–250. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-107-18943-0.
  12. N. S. Gehlot (1991). The Congress Party in India: Policies, Culture, Performance. Deep & Deep Publications. पृ॰ 177. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7100-306-8.
  13. "India General (Lok Sabha) Election 2014 Results". mapsofindia.com.
  14. "Election Results India, General Elections Results, Lok Sabha Polls Results India – IBNLive". in.com. मूल से 20 April 2015 को पुरालेखित.
  15. क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 1 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 13. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-119-4. अभिगमन तिथि 11 जनवरी 2014. काँग्रेस की स्थापना से पूर्व देश में कुछ ऐसे तत्व विद्यमान थे जो यह सोचते थे कि जब अंग्रेजों को ही यहाँ शासन करना है तो फिर क्यों न उनसे मित्रता बनाकर और उनकी 'प्रशस्ति-स्तुति' या 'जी हुजूरी' करके अपने लिये कुछ विशेष अधिकार प्राप्त किये जायें। इन्हीं तत्वों ने मिलकर राजनीतिक पृष्ठभूमि को इस योग्य बनाया जिस पर विदेशी भावभूमि से आयातित काँग्रेस का संकर बीज बोया जा सका।
  16. Bevir, Mark (1 मार्च 2003). "Theosophy and the Origins of the Indian National Congress". 7: 99–115. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019 – वाया escholarship.org. Cite journal requires |journal= (मदद)
  17. John F. Riddick (2006), The history of British India: a chronology, Greenwood Publishing Group, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0313322805
  18. Gavit, Manikrao Hodlya; Chand, Attar (1 मार्च 1989). "Indian National Congress: A Select Bibliography". U.D.H. Publishing House. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019 – वाया Google Books.
  19. "Headlines given in 'Bombay Chronicle' for his successful drive for the collection of one crore of rupees for The Tilak Swaraj Fund, 1921". Bombay Chronicle. अभिगमन तिथि ५ मई २०१७.
  20. डाॅ. बाबासाहेब अम्बेडकर (१९४५). What Congress & Gandhi Have done to the Untouchables [कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के साथ क्या किया] (अंग्रेज़ी में). Gautam Book Center. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788187733997. अभिगमन तिथि ५ मई २०१७. नामालूम प्राचल |Page= की उपेक्षा की गयी (|page= सुझावित है) (मदद)
  21. Sunita Aron (1 April 2016). The Dynasty: Born to Rule. Hay House, Inc. ISBN 978-93-85827-10-5.
  22. कांग्रेस पर इतनी आसानी से अपनी पकड़ नहीं छोड़ेगा नेहरू-गांधी परिवार

बाहरी कड़ियाँ

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय के कारण

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