नेहरु रिपोर्ट
नेहरू रिपोर्ट भारत के लिए प्रस्तावित नए अधिराज्य के संविधान की रूपरेखा थी। 10 अगस्त, 1928 को प्रस्तुत[1] (28-31 अगस्त के बीच पारित[कृपया उद्धरण जोड़ें]) यह रिपोर्ट ब्रितानी सरकार के भारतीयों के एक संविधान बनाने के अयोग्य बताने की चुनौती का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में दिया गया सशक्त प्रत्युत्तर था। मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित इस प्रारूप निर्मात्री समिति में २ मुसलमान सहित ९ सदस्य थे। मोतीलाल नेहरु इसके सचिव थे। रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि शरारतभरी साम्प्रदायिक चुनाव पद्धति त्याग दी जाय ताकि उसके स्थान पर अल्पसंख्यकों के लिए उनकी जनसंख्या के आधार पर स्थान आरक्षित कर दिया जाए इसने समस्त भारत के लिए एक इकाई वाला संविधान प्रस्तुत किया जिसके द्वारा भारत को केंद्र तथा प्रांतों में पूर्ण प्रादेशिक स्वायत्तता मिले। ब्रितानी सरकार ने इसे अत्यधिक प्रगतिशील कहकर 1930 मे मानने से इनकार कर दिया था।[2]
सुभाषचंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू द्वारा नेहरू रिपोर्ट पर असमति दर्सायी और दोनो ने साथ में भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना की
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सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Chandra, Bipan (2008). India Since Independence (अंग्रेज़ी में). Penguin UK. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8475-053-9. अभिगमन तिथि 14 दिसम्बर 2021.
- ↑ आधुनिक भारत का इतिहास, (बी एल ग्रोवर, अलका मेहता, यशपाल), एस चन्द एण्ड कम्पनी लिमिटेड, २0१0, पृष्ठ- ४0१, ISBN:८१-२१९-00३४-४