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धन सिंह गुर्जर

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कोतवाल धन सिंह गुर्जर
जन्म २७ नवंबर १८२०/१८२४
मौत ४ जुलाई १८५७
राष्ट्रीयता भारतीय
जाति गुर्जर
नागरिकता अंग्रेज़ी भारतीय नागरिक

कोतवाल धन सिंह गुर्जर (१८२० - ४ जुलाई १८५७) एक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और १८५७ के महान क्रांतिकारी एवं शहीद थे।[1] १० मई १८५७ को मेरठ में क्रान्ति में मुख्य योगदान धन सिंह गुर्जर है।

१८५७ की क्रांति का आरम्भ

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सन् १८५७ के सैनिक विद्रोह की एक झलक

मेरठ क्रान्ति का प्रारम्भ/आरम्भ ”१० मई १८५७“ को हुआ था। क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है। उस दिन मेरठ में धनसिंह के नेतृत्व मे विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। धन सिंह कोतवाल जनता के सम्पर्क में थे। उनका संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश, देहरादून, दिल्ली, मुरादाबाद, बिजनौर, आगरा, झांसी, पंजाब, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक के गुर्जर इस स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण गुर्जर मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस प्रमुख थे। १० मई १८५७ को धन सिंह ने की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात २ बजे जेल तोड़कर ८३६ कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था सब नष्ट कर चुकी थी। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया।

इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, और सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गुर्जर है इसलिए उसने गुर्जरो की भीड को नहीं रोका और उन्हे खुला संरक्षण दिया। इसके बाद घनसिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया।

मेरठ की पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार ४ जुलाई, १८५७ को प्रातः ४ बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने ५६ घुड़सवार, ३८ पैदल सिपाही और १० तोपों से हमला किया। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों गुर्जर किसान मारे गए, जो बच गए उनको कैद कर फांसी की सजा दे दी गई। आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक "स्वाधीनता आन्दोलन" और मेरठ के अनुसार पांचली के ८० लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। ग्राम गगोल के भी ९ लोगों को दशहरे के दिन फाँसी दे दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता।

मेरठ विश्वविद्यालय के एक कैम्पस का नाम महान क्रन्तिकारी कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नाम पर रखा गया हैं।[2]

मेरठ में स्तिथ पुलिस प्रशिक्षण अकादमी का नाम उत्तरप्रदेश सरकार ने शहीद धन सिंह गुर्जर कोतवाल पुलिस प्रशिक्षण अकादमी कर दिया 11 मार्च 2023 को प्रशिक्षण परिसर में कोतवाल धन सिंह गुर्जर जी की मूर्ति का अनावरण भारतवर्ष के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनकड़ ने किया उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर की विशेष उपस्तिथि रही।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Singh, Nau Nihal (2003). The Royal Gurjars: Their Contribution to India. Anmol Publications. p. 339. ISBN 978-81-261-1414-6. Archived from the original on 14 जुलाई 2014. Retrieved 21 अक्तूबर 2014. Kotwal Dhan Singh Gurjar was the leader of this initial battle of 1857. Dhan Singh Gurjar was the Kotwal of Meerut in 1857 {{cite book}}: Check date values in: |access-date= (help)
  2. "Meerut University". Archived from the original on 11 सितंबर 2014. Retrieved 21 अक्तूबर 2014. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)

बाहरी कड़ियाँ

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