काशीपुर, उत्तराखण्ड
काशीपुर Kashipur | |
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महाराणा प्रताप चौक, काशीपुर का मुख्य चौराहा | |
निर्देशांक: 29°00′00″N 79°30′47″E / 29.000°N 79.513°Eनिर्देशांक: 29°00′00″N 79°30′47″E / 29.000°N 79.513°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | उत्तराखण्ड |
ज़िला | उधमसिंहनगर ज़िला |
स्थापना | 1639[1] |
नगरपालिका | 1872 |
संस्थापक | काशीनाथ अधिकारी, कुमाऊँ के राजा देवी चंश के एक अधिकारी |
नाम स्रोत | काशीनाथ अधिकारी |
शासन | |
• प्रणाली | महापौर-परिषद |
• सभा | काशीपुर नगर निगम |
• महापौर | उषा चौधरी (भाजपा) |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 5.4 किमी2 (2.1 वर्गमील) |
ऊँचाई | 218 मी (715 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,21,623 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, कुमाऊँनी, पंजाबी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 244713 |
दूरभाष कोड | +91-5947 |
वाहन पंजीकरण | UK-18 |
लिंगानुपात | 911 ♀/♂ |
काशीपुर (Kashipur) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के उधमसिंहनगर ज़िले में स्थित एक नगर है।[2][3]
विवरण
काशीपुर एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है। वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार इस नगर की कुल जनसंख्या १,२१,६२३ है, जबकि काशीपुर तहसील की कुल जनसंख्या २,८३,१३६ है। इस प्रकार, जनसंख्या की दृष्टि से काशीपुर कुमाऊँ में तीसरा और उत्तराखण्ड में छठा सबसे बड़ा नगर है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित यह नगर भारत की राजधानी, नई दिल्ली से लगभग २४० किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में, और उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी, देहरादून से लगभग २०० किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
काशीपुर को पुराने समय में गोविषाण या उज्जयनी नगरी भी कहा जाता था, और हर्ष के शासनकाल (७ वीं शताब्दी) से पहले यह नगर कुणिंद, कुषाण, यादव, और गुप्त समेत कई राजवंशों के अधीन रहा। इस जगह का नाम काशीपुर, चन्दवंशीय राजा देवी चन्द के एक पदाधिकारी काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इसे १६-१७ वीं शताब्दी में दोबारा नए सिरे से बसाया था। १८ वीं शताब्दी तक यह नगर कुमाऊँ राज्य में रहा, और फिर यह नन्द राम द्वारा स्थापित काशीपुर राज्य की राजधानी बन गया। १८०१ में यह नगर ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत आया, जिसके बाद १८१४ के आंग्ल-गोरखा युद्ध में कुमाऊँ पर अंग्रेज़ों द्वारा अधिकार स्थापित करने में इस नगर द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभायी गयी थी। १९ वीं शताब्दी के मध्य में काशीपुर को कुमाऊँ मण्डल के तराई जिले का मुख्यालय बना दिया गया।
ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र की अर्थव्यस्था कृषि तथा बहुत छोटे पैमाने पर लघु औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित रही है। काशीपुर को कपड़े और धातु के बर्तनों का ऐतिहासिक व्यापार केन्द्र भी माना जाता है। भारत की स्वतंत्रता से पूर्व काशीपुर नगर में जापान से मखमल, चीन से रेशम व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था। बाद में प्रशासनिक प्रोत्साहन और समर्थन के साथ काशीपुर शहर के आसपास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ। वर्तमान में नगर के एस्कॉर्ट्स फार्म क्षेत्र में छोटी और मझोली औद्योगिक इकाइयों के लिए एक एकीकृत औद्योगिक स्थल (इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट) निर्माणाधीन है।
भौगोलिक रूप से काशीपुर कुमाऊँ के तराई क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में जसपुर तक तथा पूर्व में खटीमा तक फैला है। कोशी और रामगंगा नदियों के अपवाह क्षेत्र में स्थित काशीपुर ढेला नदी के तट पर बसा हुआ है। १८७२ में काशीपुर नगरपालिका की स्थापना हुई, और २०११ में इसे उच्चीकृत कर नगर निगम का दर्जा दिया गया। यह नगर अपने वार्षिक चैती मेले के लिए प्रसिद्ध है। महिषासुर मर्दिनी देवी, मोटेश्वर महादेव तथा माँ बालासुन्दरी के मन्दिर, उज्जैन किला, द्रोण सागर, गिरिताल, तुमरिया बाँध तथा गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब काशीपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं।
नामकरण तथा स्थापना
वैदिक काल में काशीपुर नगर का नाम उज्जैनी (उज्जयनी/उज्जयनी नगरी) तथा यहां से बहने वाली ढेला नदी का नाम स्वर्णभद्रा था।[4] हर्ष काल में इसे गोविषाण कहा जाने लगा। गोविषाण शब्द दो शब्दों "गो" (गाय) और "विषाण" (सींग) से बना है, और इसका अर्थ "गाय की सींग" है। प्राचीन समय में गोविषाण को तत्कालीन समय की राजधानी व समृद्ध नगर कहा गया है।[5] वर्तमान काशीपुर नगर की स्थापना काशीनाथ अधिकारी ने की थी, जो चम्पावत के राजा देवी चन्द के अन्तर्गत तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) थे। उनके नाम पर ही इसे काशीपुर कहा जाने लगा।[6][7]
काशीपुर की स्थापना की सही तिथि विवादित है और कई इतिहासकारों ने इस बिन्दु पर भिन्न-भिन्न विचार व्यक्त किए हैं। बिशप हीबर ने सर्वप्रथम अपनी पुस्तक, ट्रेवल्स इन इंडिया में लिखा कि काशीपुर की स्थापना ५००० साल पहले (लगभग ३१७६ ईसा पूर्व में) काशी नामक देवता ने की थी।[8] सर अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी पुस्तक, द अन्सिएंट जियोग्राफी ऑफ़ इंडिया में हीबर के विचारों को सिरे से नकारते हुए लिखा "बिशप को अपने मुखबिर से धोखेबाज़ी मिली, क्योंकि यह अच्छी तरह से ज्ञात है कि यह नगर आधुनिक है। इसे चम्पावत के राजा देवी-चन्द्र के अनुयायी काशीनाथ द्वारा १७१८ ई में बनाया गया है"।[9] बद्री दत्त पाण्डेय ने अपनी पुस्तक "कुमाऊँ का इतिहास" में कनिंघम के विचारों का विरोध करते हुए दावा किया है कि नगर १६३९ में ही स्थापित हो चुका था।[10]
इतिहास
नगर में प्राप्त सिक्कों और अन्य अवशेषों से पता चलता है कि यह क्षेत्र दूसरी शताब्दी के आसपास कुणिंद राजवंश के अधीन था।[11] कान्ति प्रसाद नौटियाल ने अपनी पुस्तक, "आर्केलॉजी ऑफ़ कुमाऊँ" में गोविषाण का उल्लेख करते हुए लिखा है कि "कुमाऊँ क्षेत्र में ढिकुली, जोशीमठ तथा बाड़ाहाट के साथ-साथ गोविषाण भी कुणिंद राज्य के प्रमुख नगरों में से एक रहा होगा।"[12] कुछ वर्ष पश्चात गुप्त राजवंश का शासन स्थापित होने से पहले इस क्षेत्र पर कुषाणों,[12] और यादवों (यौद्धेय) द्वारा आक्रमण का भी उल्लेख है।[13] गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद राजा हर्ष (६०६-६४१ ईसवी) ने गोविषाण को अपना सामन्ती राज्य बना लिया।[14] उस समय के कई खंडहर अभी भी शहर के पास विद्यमान हैं। माना जाता है कि काशीपुर कपड़े और धातु के बर्तनों का ऐतिहासिक व्यापार केन्द्र था।[15]
हर्ष काल में चीनी यात्री ह्वेनसांग भी यहाँ आया था।[16] ह्वेनसांग के अनुसार "मादीपुर से ६६ मील की दूरी पर गोविषाण नामक स्थान था जिसकी ऊँची भूमि पर ढाई मील का एक गोलाकार स्थान था। यहां उद्यान, सरोवर एवं मछली कुंड थे। इनके बीच ही दो मठ थे, जिनमें सौ बौद्ध धर्मानुयायी रहते थे। यहाँ ३० से अधिक हिन्दू धर्म के मंदिर थे। नगर के बाहर एक बड़े मठ में २०० फुट ऊँचा अशोक का स्तूप था। इसके अलावा दो छोटे-छोटे स्तूप थे, जिनमें भगवान बुद्ध के नख एवं बाल रखे गए थे। इन मठों में भगवान बुद्ध ने लोगों को धर्म उपदेश दिए थे।"[17] १८६८ में भारत के तत्कालीन पुरातत्व सर्वेक्षक सर अलेक्जेंडर कनिंघम ने इन वस्तुओं की खोज हेतु इस स्थान का दौरा किया किन्तु इन मठों में उन्हें ये वस्तुएँ, खासकर भगवान बुद्ध के नख एवं बाल नहीं मिले। अपनी रिपोर्ट में कनिंघम ने गोविषाण को किसी प्राचीन राज्य की राजधानी बताया, जिसकी सीमाओं का विस्तार वर्तमान उधमसिंहनगर, रामपुर तथा पीलीभीत जनपदों तक था।[18]
आठवीं शताब्दी आते आते यह नगर कत्यूरी राजवंश के अधीन आ गया, जिनकी राजधानी कार्तिकेयपुरा में थी।[19] ग्यारहवीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश के विघटन के बाद यह क्षेत्र पहले स्थानीय सरदारों के और फिर दिल्ली सल्तनत के शासनाधीन आ गया। तेरहवीं शताब्दी में कुमाऊँ के शासक गरुड़ ज्ञान चन्द (१३७४–१४१९) ने दिल्ली के सुल्तान से भाभर तथा तराई क्षेत्रों को उपहार स्वरूप पाकर उन पर अधिकार स्थापित किया।[20] रुद्र चन्द (१५६८–१५९७) के शासनकाल में काठ तथा गोला के नवाब ने तराई क्षेत्रों पर अधिकार करने का प्रयास किया, परन्तु रुद्र चन्द ने उनके आक्रमण को निष्फल कर दिया।[21] इसके बाद तराई क्षेत्रों को परगना का दर्जा देकर यहां एक अधिकारी की नियुक्ति की गई, और उसके निवास के लिए रुद्र चन्द ने रुद्रपुर नगर की स्थापना करी।[22] रुद्र चन्द के बाद बाज बहादुर चन्द (१६३८–१६७८) ने रुद्रपुर के पश्चिम में बाजपुर नगर की स्थापना कर तराई के मुख्यालय वहां स्थानांतरित करने का एक विफल प्रयास किया। देवी चन्द (१७२०–१७२६) के शासनकाल में तराई के लाट काशीनाथ अधिकारी ने अपने निवास के लिए काशीपुर में महल का निर्माण करवाया, तथा तराई का मुख्यालय रुद्रपुर से यहां स्थानांतरित कर दिया।[23]
काशीपुर में अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक चन्द राजवंश का शासन रहा। १७७७ में काशीपुर के अधिकारी, नन्द राम ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया और काशीपुर राज्य की स्थापना की।[24] इसके २४ वर्ष बाद १८०१ में काशीपुर के तत्कालीन शासक, शिव लाल ने यह राज्य अंग्रेज़ों को सौंप दिया था, जिसके बाद काशीपुर ब्रिटिश भारत में एक राजस्व मण्डल बन गया।[25] इसी समय में काशीपुर राज्य के राजकवि गुमानी पन्त ने इस नगर की विशेषताओं पर एक कविता भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने नगर में बहती ढेला नदी, और मोटेश्वर महादेव मन्दिर का वर्णन किया है।[26] १८१४ में आंग्ल गोरखा युद्ध छिड़ने पर ब्रिटिश सेना ने काशीपुर में पड़ाव डाला था, और कुमाऊँ क्षेत्र के अपने सभी अभियानों के लिए इस नगर का प्रयोग आधार पड़ाव के रूप में किया था। १० जुलाई १८३७ को काशीपुर को मुरादाबाद जनपद में शामिल किया गया और फिर १९४४ में बाजपुर, काशीपुर तथा जसपुर नगरों को काशीपुर नामक एक परगना में पुनर्गठित किया गया।[27] काशीपुर को बाद में संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के तराई जनपद का मुख्यालय बनाया गया।[27]
१८९१ में नैनीताल तहसील को कुमाऊँ जनपद से स्थानांतरित कर तराई के साथ मिला दिया गया, और फिर इसके मुख्यालय को काशीपुर से नैनीताल में लाया गया था। १८९१ में ही कुमाऊँ और तराई जनपदों का नाम उनके मुख्यालयों के नाम पर क्रमशः अल्मोड़ा तथा नैनीताल रख दिया गया, और काशीपुर नैनीताल जनपद में एक तहसील तथा परगना भर रह गया। २० वीं सदी के प्रारम्भ में काशीपुर नगर रेल नेटवर्क से भी जुड़ गया था।[28] रेल निर्माण के बाद नगर के विकास में तेजी आयी, और काशीपुर तथा रामनगर कुमाऊँ के प्रमुख व्यापारिक केन्द्र बनकर उभरे।[29] १९४७ में भारत की स्वतंत्रता के बाद काशीपुर और नैनीताल जनपद के अन्य भाग संयुक्त प्रांत का हिस्सा बनें रहे, जिसका नाम बाद में उत्तर प्रदेश राज्य हो गया था।
३० सितंबर १९९५ को नैनीताल जनपद के तराई क्षेत्र की चार तहसीलों (किच्छा, काशीपुर, सितारगंज तथा खटीमा) को मिलाकर उधम सिंह नगर जनपद का गठन किया गया, और इसका मुख्यालय रुद्रपुर को बनाया गया।[30] ९ नवंबर २००० को भारत की संसद द्वारा उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, २०००[31] को पारित किया गया, जिसके बाद काशीपुर नवनिर्मित उत्तराखण्ड राज्य का भाग बन गया, जो भारत गणराज्य का २७वां राज्य था।[32] उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद दीक्षित आयोग की एक रिपोर्ट में नगर को भूगोल तथा जलवायु, जल उपलब्धता, भूमि की उपलब्धता, प्राकृतिक जल निकासी और निवेश इत्यादि मापदंडों के आधार पर राज्य की राजधानी के लिए दूसरा सबसे उपयुक्त स्थान पाया था।[33][34] २७ जनवरी २०१३ को उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमन्त्री, विजय बहुगुणा ने रुड़की और रुद्रपुर के साथ-साथ काशीपुर को भी नगर निगम बनाने की घोषणा की,[35] और २८ फरवरी २०१३ को आधिकारिक अधिसूचना जारी होने के बाद काशीपुर नगर पालिका का उच्चीकरण करके इसे नगर निगम का दर्जा दिया गया।[36][37]
भूगोल
नई दिल्ली के २४० किमी उत्तर-पूर्व में स्थित काशीपुर उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र के दक्षिण पश्चिमी भाग में रामगंगा तथा कोसी (स्थानीय कोशी या कौशिकी नदी) नदियों के अपवाह क्षेत्र के मध्य तराई में स्थित है। नगर के उत्तर में रामनगर का भाभर क्षेत्र पड़ता है, जो इसे शिवालिक पहाड़ियों से अलग करता है, तथा दक्षिण में रुहेलखंड के गांगेय मैदान हैं, जहां दूर तक ऊंची घास के मैदान फैले हैं।[38] ढेला नदी, जो रामगंगा की सहायक नदी है, काशीपुर से होकर बहती है।[39][40] काशीपुर नगर इसी नाम की एक तहसील का मुख्यालय भी है, जिसके पूर्व में बाजपुर तहसील, पश्चिम में जसपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की रामनगर तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का मुरादाबाद जिला है।[41]
नजीबाबाद | जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान रामगंगा नदी |
रामनगर | ||
धामपुर खोह नदी ढेला नदी |
हल्द्वानी | |||
काशीपुर | ||||
अमरोहा | रामपुर | रुद्रपुर |
काशीपुर नगर का क्षेत्रफल ८.५४६ वर्ग किलोमीटर है।[42] ५ मार्च १८७२ को जब नगर पालिका परिषद काशीपुर की स्थापना हुई थी, तब इसका क्षेत्रफल १.५० वर्ग किलोमीटर था।[43] १९६६ में नगरपालिका की सीमा में विस्तार होने के उपरान्त नगर का क्षेत्रफल २.२५ वर्ग किमी हो गया था, और इसके बाद १३ मार्च १९७६ को नगरपालिका काशीपुर सीमा का विस्तार कर इसका क्षेत्रफल ५.४५६ वर्ग किमी निर्धारित किया गया।[43] ब्रिटिश काल से पहले तराई क्षेत्रों को मानव निवास के लिए अनुपयुक्त माना जाता था क्योंकि निरंतर बरसात यहां कई छिद्रों, तालाबों और दलदलों में जल भर देती थी, जो मच्छरों के लिए उपयुक्त प्रजनन स्थल बनते हुए मलेरिया का कारण बनते थे।[44]
भौगोलिक रूप से काशीपुर कुमाऊँ के तराई क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में जसपुर तक तथा पूर्व में रुद्रपुर, किच्छा होते हुए खटीमा तक फैला है।[45] तराई क्षेत्रों की मिट्टियों में चिकनी मिट्टी, छोटे से लेकर मध्यम कणों वाली रेतीली मिट्टी, और कभी-कभार बजरी भी शामिल होती है।[45] हालांकि स्वरूप में रेत पर चिकनी मिट्टी की प्रभुत्व रहता है। ये मिट्टियाँ यहां बहती नदियां अपने साथ भूमि के अंदर से निकालकर लाती हैं, और इस कारण इस क्षेत्र की मिटटी दलदली तथा उपजाऊ है।[45] भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, यह शहर भूकम्पीय क्षेत्र ४ के अन्तर्गत आता है।[46][47]
काशीपुर की जलवायु नगर के दक्षिण में स्थित गांगेय मैदानों की तरह ही आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय है; गर्मियों (जून) में औसत दैनिक तापमान ३१.६ डिग्री सेल्सियस (८८.९ डिग्री फारेनहाइट) के आसपास होता है, जबकि सर्दियों (जनवरी) में यह लगभग १४.५ डिग्री सेल्सियस (५८.१ डिग्री फारेनहाइट) तक गिर जाता है।[48] वर्ष भर में औसत तापमान १७.१ डिग्री सेल्सियस तक की भिन्नता प्रदर्शित करता है। सबसे शुष्क और सबसे नम महीनों के बीच वर्षा का अन्तर ३६९ मिमी रहता है। ५ मिमी औसत वर्षा के साथ नवम्बर सबसे शुष्क माह है, जबकि ३७४ मिमी के औसत के साथ जुलाई में सबसे अधिक वर्षा होती है। नगर में मुख्य रूप से तीन ऋतुएं होती हैं; मार्च से जून तक ग्रीष्म ऋतु, जुलाई से नवम्बर तक मानसून; और दिसंबर से फरवरी तक शीत ऋतु।[47] कोपेन जलवायु वर्गीकरण के अनुसार इसका कोड "cwa" है।[49]
काशीपुर के जलवायु आँकड़ें | |||||||||||||
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माह | जनवरी | फरवरी | मार्च | अप्रैल | मई | जून | जुलाई | अगस्त | सितम्बर | अक्टूबर | नवम्बर | दिसम्बर | वर्ष |
औसत उच्च तापमान °C (°F) | 20.8 (69.4) |
23.9 (75) |
29.5 (85.1) |
35.7 (96.3) |
39 (102) |
37.6 (99.7) |
32.7 (90.9) |
31.8 (89.2) |
32.1 (89.8) |
31 (88) |
26.8 (80.2) |
22.3 (72.1) |
30.27 (86.48) |
दैनिक माध्य तापमान °C (°F) | 14.5 (58.1) |
16.9 (62.4) |
22 (72) |
27.5 (81.5) |
31.4 (88.5) |
31.6 (88.9) |
28.8 (83.8) |
28.2 (82.8) |
27.9 (82.2) |
24.7 (76.5) |
19.4 (66.9) |
15.4 (59.7) |
24.02 (75.27) |
औसत निम्न तापमान °C (°F) | 8.2 (46.8) |
9.9 (49.8) |
14.6 (58.3) |
19.4 (66.9) |
23.8 (74.8) |
25.7 (78.3) |
25 (77) |
24.6 (76.3) |
23.7 (74.7) |
18.4 (65.1) |
12 (54) |
8.6 (47.5) |
17.83 (64.13) |
औसत वर्षा मिमी (इंच) | 43 (1.69) |
28 (1.1) |
23 (0.91) |
6 (0.24) |
16 (0.63) |
108 (4.25) |
374 (14.72) |
368 (14.49) |
212 (8.35) |
89 (3.5) |
5 (0.2) |
9 (0.35) |
1,281 (50.43) |
स्रोत: Climate-Data.org[48] |
जनसांख्यिकी
ऐतिहासिक जनसंख्या | ||
---|---|---|
वर्ष | जन. | %± |
1871 | 13,113 | — |
1881 | 14,667 | 11.9% |
1891 | 14,717 | 0.3% |
1901 | 12,023 | −18.3% |
1911 | 12,773 | 6.2% |
1921 | 10,576 | −17.2% |
1931 | 11,276 | 6.6% |
1941 | 13,223 | 17.3% |
1951 | 16,597 | 25.5% |
1961 | 24,258 | 46.2% |
1971 | 33,457 | 37.9% |
1981 | 51,773 | 54.7% |
1991 | 69,870 | 35.0% |
2001 | 92,967 | 33.1% |
2011 | 1,21,623 | 30.8% |
स्त्रोत = जनगणना हस्तपुस्तिका[50] |
२०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर नगर की कुल जनसंख्या १,२१,६२३ है, जिसमें से पुरुषों की संख्या ६३,६२५ तथा महिलाओं की संख्या ५७,९८५ है।[51] २००१ के बाद से इसमें २८,६५६ या ३०% की वृद्धि हुई है।[52][53][54] उत्तराखण्ड राज्य में ४९० लोग प्रति वर्ग मील के मुकाबले काशीपुर में जनसंख्या घनत्व ५७,६९३ लोग प्रति वर्ग मील है। १८८१ में काशीपुर की जनसंख्या लगभग १४,००० थी,[55] जो १९८१ तक ५०,००० को पार कर चुकी थी। इस जनसंख्या वृद्धि का मूल कारण पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों का लगातार निचले क्षेत्रों की ओर प्रवास माना जाता है।
० से ६ साल तक की उम्र के बच्चों की संख्या १४,८३५ है, जो नगर की कुल जनसंख्या का १२.२०% है।[56] काशीपुर में लिंगानुपात ९१२ महिआएं प्रति १००० पुरुष है।[56] इसके अतिरिक्त नगर की साक्षरता दर ८२.४५% है, जो की राज्य की साक्षरता दर (७८.८२%) से अधिक है।[56] पुरुषों में साक्षरता दर ८६.८८% जबकि महिलाओं में साक्षरता दर ७७.६३% है।[56] नगर में कुल ६,०९६ झुग्गियां हैं, जिनमें ३३,५५० लोग रहते हैं, और ये नगर की कुल जनसंख्या का २७.५९% हैं।[57]
हिन्दू धर्म तथा इस्लाम नगर के मुख्य धर्म हैं। नगर की कुल जनसंख्या में से ६२.३७ प्रतिशत लोग हिन्दू धर्म का जबकि ३५.०६ प्रतिशत लोग इस्लाम का अनुसरण करते हैं। इसके अतिरिक्त नगर में अल्पसंख्या में सिख, ईसाई, बौद्ध तथा जैन धर्मों के अनुयायी भी रहते हैं। काशीपुर में १.८७ प्रतिशत लोग सिख धर्म का, ०.३४ प्रतिशत लोग ईसाई धर्म का, ०.११ प्रतिशत लोग जैन धर्म का तथा ०.०१ प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हैं। इसके अतिरिक्त नगर की कुल जनसंख्या में से ०.२५ प्रतिशत लोग या तो आस्तिक हैं, या किसी भी धर्म से सम्बन्ध नहीं रखते। हिन्दी तथा कुमाऊँनी नगर में बोली जाने वाली मुख्य भाषायें हैं।
काशीपुर तहसील की जनसंख्या २,८३,१३६ है।[58] काशीपुर के अलावा तहसील में ७३ गाँव तथा २ अन्य नगर हैं।[59]
प्रशासन तथा राजनीति
नगर का प्रशासन काशीपुर नगर निगम के अधीन है।[60] यह काशीपुर नगर पालिका परिषद के उन्नयन द्वारा २०१३ में बनाई गई थी, जिसका गठन १८७२ में हुआ था।[61] काशीपुर नगर पालिका क्षेत्र पहले २० वार्डों में विभाजित था,[62] लेकिन नगर निगम बनने पर २७ अप्रैल २०१८ को नगर में २० नए वार्ड बना दिए गए, जिससे वार्डों की कुल संख्या ४० हो गई।[63]
नगर पालिका परिषद काशीपुर की स्थापना ५ मार्च १८७२ को संयुक्त प्रान्त के शासनादेश संख्या ३३४-ए द्वारा हुई थी। तब यह चतुर्थ श्रेणी की नगरपालिका थी, तथा इसका क्षेत्रफल १.५० वर्ग किलोमीटर था। इसके बाद स्वतंत्र भारत मे २३ मई १९५७ को इसे चतुर्थ से तृतीय श्रेणी, तथा १ दिसंबर १९६६ को तृतीय से द्वितीय श्रेणी की नगरपालिका का दर्जा दिया गया। १३ मार्च १९७६ को नगरपालिका काशीपुर सीमा का विस्तार कर इसका क्षेत्रफल ५.४५६ वर्ग किमी निर्धारित किया गया। अगले ही साल ६ जनवरी १९७७ को नगरपालिका काशीपुर को प्रथम श्रेणी की नगर पालिका का स्तर प्रदान कर दिया गया।[43]
भारत की लोकसभा में इस नगर का प्रतिनिधित्व नैनीताल-उधमसिंह नगर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए प्रतिनिधि द्वारा किया जाता है। सोलहवीं लोक सभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल-उधमसिंह नगर से वर्तमान सांसद बने।[64] उन्होंने २०१४ के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के के॰सी॰ सिंह बाबा के विरुद्ध २.८४ लाख मतों से विजय प्राप्त की, जो इस सीट से पिछले सांसद भी थे।[64] कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले नैनीताल-उधम सिंह नगर क्षेत्र में कांग्रेस ने १९५१ से अब तक आठ बार जीत दर्ज की है।[65] इसके अतिरिक्त भाजपा ने दो बार, और अन्य राजनीतिक दलों ने तीन बार यहां पर जीत हासिल की है।[65] उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए नगर से एक विधायक काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुना जाता है। भाजपा के हरभजन सिंह चीमा काशीपुर से वर्तमान विधायक हैं।[66] २००१ में राज्य गठन के बाद लगातार ४ बार वह इस क्षेत्र से विधायक रहे हैं।[67][68][69]
अर्थव्यवस्था
कृषि काशीपुर नगर के आसपास के क्षेत्रों में मुख्य आर्थिक गतिविधि है। उपजाऊ भूमि तथा पानी की उपलब्धता के कारण यह क्षेत्र एक तीव्र फसली क्षेत्र है। चावल और गेहूं के अतिरिक्त गन्ना, आम, अमरूद, जामुन, काशीफल और लीची यहाँ के प्रमुख उत्पाद हैं।
ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि तथा बहुत छोटे पैमाने पर लघु औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित रही है। स्वतंत्रता पूर्व काशीपुर नगर में जापान से मखमल, चीन से रेशम व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था।[70] इस व्यवसाय से जुड़े लगभग दो सौ लोग यहां फेरियां लगाते थे। यातायात सुविधाऐं उप्लब्ध न होने के कारण खच्चरों के माध्यम से माल भेजा जाता था, जो गन्तव्य तक कई दिनों बाद पहुँचता था। व्यापारी जब लौटते थे तो साथ में पर्वतीय घी व सुहागा लेकर आते थे। बाद में प्रशासनिक प्रोत्साहन और समर्थन के साथ काशीपुर शहर के आसपास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ।[71] ८० के दशक में राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (एनएसआईसी) ने महिलाओं को औद्योगिक प्रशिक्षण देने के लिए यहां कॉमन फैसिलिटीज एंड ट्रेनिंग सेण्टर (सीएफटीसी) की स्थापना की।[72] १९०९ के इम्पीरियल गज़ेटियर के अनुसार काशीपुर नगर उस समय कपड़ों और धातु के बर्तनों का महत्वपूर्ण व्यापार केन्द्र था।[73]
काशीपुर नगर के एस्कॉर्ट्स फार्म क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार के उत्तराखण्ड राज्य औद्योगिक विकास निगम (सिडकुल) के अन्तर्गत छोटी और मझोली औद्योगिक इकाइयों के लिए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए एक एकीकृत औद्योगिक स्थल (इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट) का निर्माण कर रही है। सिडकुल ने पहले भी २००८ में एस्कॉट्र्स फार्म्स पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का अपने प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था, पर तब सरकार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।[74] ३११ एकड़ में फैले इस एस्टेट में लगभग २०० एकड़ क्षेत्र को बिक्री के लिए रखा गया है, जहां भविष्य में उद्योग स्थापित होने हैं।[75]
२०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर की कुल आबादी में से ३६,८२४ लोग काम या व्यापार गतिविधि में लगे हुए थे।[53] इनमें से ३२,४०९ पुरुष थे, जबकि ४,४१५ महिलायें थीं। कुल ३६,८२४ कार्यरत आबादी में, ८९.२४% मुख्य कार्य में लगे थे, जबकि १०.७६% साधारण कार्य में संलग्न थे।[53] इस क्षेत्र में उधम सिंह नगर जिले के लगभग ५० प्रतिशत मध्यम और बड़े उद्योग हैं। १९९८ में काशीपुर नगर में स्थित विद्युत् संबंधी उपकरण बनाने वाले औद्योगिक संयन्त्रों से प्रतिवर्ष लगभग २४ करोड़ रुपयों तक की आमदनी होती थी।[76] काशीपुर नगर के २०११ मास्टर प्लान के अनुसार, शहर में लगभग ६०३ औद्योगिक इकाइयां काम कर रही थीं। इनमें १६३ कॉटेज इंडस्ट्रीज, ४१५ लघु उद्योग और २५ मध्यम (या बड़े) उद्योग शामिल हैं। सस्ते और प्रचुर मात्रा में कच्चे माल उपलब्ध होने के कारण, कई पेपर और चीनी मिल भी उपस्थित हैं। २०१४ के एक सर्वे के अनुसार नगर में कुल १२ कागज़ मिलें हैं, जिनमें १,०२२ लोग काम करते हैं।[77] २०१० तक काशीपुर में स्थित इंडिया गलिकल्स लिमिटेड भारत भर में इथेनॉल से एमईजी बनाने वाला इकलौता संयन्त्र था।[78]
आवागमन
सड़क मार्ग
काशीपुर उत्तराखण्ड में एक प्रमुख परिवहन केन्द्र है। राष्ट्रीय राजमार्ग ७३४ (पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग ७४) काशीपुर को जसपुर और नगीना होते हुए नजीबाबाद से जोड़ता है[79] जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग ३०९ (पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग १२१) काशीपुर को पूर्व में रुद्रपुर से और उत्तर में रामनगर तथा श्रीनगर से जोड़ता है। बसें काशीपुर में आवागमन का प्रमुख साधन हैं। काशीपुर बस स्टेशन से यूटीसी, यूपीएसआरटीसी और केमू (कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन) द्वारा विभिन्न मार्गों पर बस सेवाएं संचालित की जाती हैं। काशीपुर बस स्टेशन को पीपीपी मोड पर अन्तरराज्यीय बस अड्डे में विकसित किया जाना प्रस्तावित है, और उत्तराखण्ड परिवहन निगम ने २०१७ में इसका टेंडर सीआरएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड नई दिल्ली को दिया था।[80] इसके अतिरिक्त ऑटो रिक्शा और इलेक्ट्रिक रिक्शा, जिन्हें मिनी मेट्रो भी कहा जाता है, भी शहर के भीतर यात्रा करने के प्रमुख साधन हैं।
रेल मार्ग
काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन रेल नेटवर्क द्वारा रामनगर, काठगोदाम, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, चंडीगढ़, आगरा, जैसलमेर, हरिद्वार और दिल्ली से जुड़ा है। काशीपुर रेलवे स्टेशन भारतीय रेल के उत्तर पूर्वी रेलवे क्षेत्र के इज्जतनगर मण्डल के प्रशासनिक नियन्त्रण में है। लालकुआँ - रामनगर/मुरादाबाद रेलवे लाइन का उद्घाटन ११ जनवरी १९०८ को हुआ था।[28] यह रेलवे लाइन बरेली-काठगोदाम लाइन पर स्थित लालकुआँ से शुरू होती थी, और गुलारभोज, बाजपुर तथा सरकारा से होते हुए काशीपुर पहुँचती थी। काशीपुर से यह उत्तर की ओर रामनगर, तथा दक्षिण की ओर मुरादाबाद तक जाती थी।[28] शहर के लिए कई नये रेल लिंक प्रस्तावित हैं, जिनमें काशीपुर-नजीबाबाद रेलवे लाइन[81][82][83] तथा रामनगर-चौखुटिया रेल लिंक[84] प्रमुख हैं।
वायु मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा पन्तनगर है, जो काशीपुर के ७२ किलोमीटर पूर्व में स्थित है। पन्तनगर से दिल्ली और देहरादून के लिए उड़ान सेवाएं उपलब्ध हैं।[85] निकटतम अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नई दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है, जो कि २१४ किलोमीटर दूर है।
शिक्षा
काशीपुर के अधिकतर विद्यालय राज्य सरकार या निजी संगठनों द्वारा संचालित हैं। हिन्दी और अंग्रेज़ी नगर में शिक्षा की प्राथमिक भाषाएं हैं। शेष भारत की तरह ही काशीपुर के विद्यालयों में भी भारतीय शिक्षा प्रणाली का पालन किया जाता है, जिसके अन्तर्गत छात्र अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च माध्यमिक विद्यालयों/इंटर कॉलेजों में भर्ती होकर कला, वाणिज्य या विज्ञान में से किसी एक विषय का अध्ययन करते हैं। नगर के अधिकतर निजी उच्च माध्यमिक विद्यालय सीबीएसई या आईसीएसई से, जबकि सभी राजकीय इंटर कॉलेज उत्तराखण्ड शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध है।
काशीपुर में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से सम्बद्ध चार महाविद्यालय स्थित है:[86][87]
- राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय
- चन्द्रावती तिवारी कन्या स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय
- श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी
- काशीपुर कॉलेज ऑफ एजुकेशन।
१९७३ में खुला राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय पूरे तराई क्षेत्र का सबसे पुराना महाविद्यालय है।[88]
इनके अतिरिक्त काशीपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान का एक परिसर भी स्थित है।[89] भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर की नींव २९ अप्रैल २०११ को तत्कालीन मानव संसाधन विकास मन्त्री, कपिल सिब्बल ने रखी थी।[90][91]
२०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर में कुल ८८ सरकारी शिक्षण संस्थान हैं, जिनमें ४८ प्राथमिक विद्यालय, ३० माध्यमिक विद्यालय, ९ वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय और १ राजकीय डिग्री कॉलेज हैं।[92] काशीपुर के प्रमुख विद्यालयों में से कुछ निम्न हैं:[93]
- शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल[94]
- आर्मी पब्लिक स्कूल[95]
- गुरुकुल स्कूल[96]
- कृष्णा पब्लिक कॉलेजिएट[97]
- दिल्ली पब्लिक स्कूल[98]
- गुरु नानक सीनियर सेकेंडरी स्कूल[99]
- केन्द्रीय विद्यालय[95]
- मारिया असुम्प्टा कॉन्वेंट स्कूल[100]
- डीएवी पब्लिक स्कूल[95]
- समर स्टडी हॉल[101]
- सेंट मैरी स्कूल[102]
- टेम्पलटन कॉलेज[103]
- तुलाराम राजाराम सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज[104]
- विजन वैली स्कूल[105]
- उदयराज हिन्दू इंटर कालेज[106]
दर्शनीय स्थल
काशीपुर नगर में ऐतिहासिक व धार्मिक महत्त्व के कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। एक ओर उज्जैन किला जहाँ नगर के समृद्ध अतीत को दर्शाता है, तो वहीं दूसरी ओर नगर में स्थित महिषासुर मर्दिनी देवी, मोटेश्वर महादेव तथा मां बालासुन्दरी के मन्दिर नगर पर हिन्दू संस्कृति की अभिन्न छाप का चित्रण करते हैं। द्रोण सागर, गिरिताल, तुमरिया बाँध तथा गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब काशीपुर के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं।
गोविषाण के पुराने किले को उज्जैन कहा जाता है। उज्जैन किले की दीवारें ६० फुट ऊँची हैं, और इसमें प्रयोग हुई ईंटें १५x१०x२.५ इंच की हैं। इस किले में उज्जैनी देवी की मूर्ति स्थापित है। इस किले के पास ही मोटेश्वर महादेव का मन्दिर है, जिसे शिव के बारह उप-ज्यार्तिलिंगों में से एक माना जाता है।[107] लोकमान्यतानुसार इस मन्दिर की स्थापना द्वापर युग में भीम ने गुरु द्रोणाचार्य व अपने परिवार के पूजा-अर्चना के लिए कराई थी।[108] तभी से इस ऐतिहासिक मन्दिर में पूजा-अर्चना व जलाभिषेक होता आ रहा है। मन्दिर के समीप ही द्रोण सागर है, जिसे पाण्डवों ने गुरू द्रोणाचार्य को गुरूदक्षिणा के रूप में देने के लिये बनाया था।[109] यह ६०० वर्ग फुट का है, और इसके किनारे कई देवी-देवताओं के मन्दिर हैं। द्रोणसागर को अब भारतीय पुरातत्व विभाग का संरक्षण प्राप्त है।[110]
माता बालासुन्दरी का मन्दिर, जिसे चैती देवी मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है, काशीपुर का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर है। मन्दिर परिसर में मुख्य मन्दिर के चारों ओर १५ अन्य पूजनीय स्थल भी हैं।[111] इसी मन्दिर के पास नवरात्रियों में चैती मेला लगता है। इस मन्दिर का शिल्प मस्जिद के समान है, जिससे प्रतीत होता है कि इसे संभवतः मुगल साम्राज्य के समय में बनाया गया होगा। नगर में जागेश्वर महादेव का एक मन्दिर भी है, जो २० फुट ऊँचा है। नगर के उत्तर में तुमरिया बाँध स्थित है। १९६१ में बना यह बाँध १० किलोमीटर लम्बा है।[112]
काशीपुर-रामनगर मार्ग पर नगर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर गिरिताल नमक एक तालाब स्थित है। काशीपुर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस ताल के एक सिरे पर पर्यटक आवास गृह का निर्माण करवाया गया था, और कुछ वर्ष पहले तक स्थानीय लोग इस ताल में नौका विहार करते देखे जा सकते थे।[113] तालाब के चारों ओर मन्दिरों की शृंखला है, जिनमें से एक माँ महिषासुर मर्दिनी देवी का मन्दिर भी है। मन्दिर परिसर में भगवान शंकर, लक्ष्मी-नारायण, सत्यनारायण, राधा-कृष्ण, सीता-राम, हनुमान, गायत्री, और सरस्वती की, जबकि मुख्य द्वार पर शनि व ब्रह्मदेव की प्रतिमाऐं स्थापित है। मान्यता है कि पांडव काल में यहां पर ऋषि-मुनियों के मठ हुआ करते थे, जहां वे देवी की आराधना करते थे।[114]
इनके अतिरिक्त भी काशीपुर में कई प्रसिद्ध मन्दिर हैं, जिनमें चैती स्थित खोखराताल देवी मन्दिर, मोहल्ला लोहरियान स्थित माँ मनसा देवी मन्दिर, माँ गायत्री देवी मन्दिर, पक्काकोट स्थित माँ काली देवी मन्दिर, सिंघान स्थित श्री दुर्गा मन्दिर, मुखर्जीनगर स्थित शीतला माता मन्दिर, गिरीताल स्थित माँ चामुंडा देवी मन्दिर, पुष्पक विहार स्थित श्री सीताराम एवं माँ चामुंडा देवी मन्दिर व सुभाष नगर स्थित काली माता मन्दिर प्रमुख हैं।[115]
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
काशीपुर से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
विकियात्रा पर काशीपुर के लिए यात्रा गाइड
सन्दर्भ
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