औली

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औली
Auli
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औली
औली
औली is located in उत्तराखंड
औली
औली
उत्तराखण्ड में स्थिति
निर्देशांक: 30°31′44″N 79°34′12″E / 30.529°N 79.570°E / 30.529; 79.570निर्देशांक: 30°31′44″N 79°34′12″E / 30.529°N 79.570°E / 30.529; 79.570
ज़िलाचमोली ज़िला
प्रान्तउत्तराखण्ड
देश भारत
ऊँचाई2800 मी (9,200 फीट)
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी, गढ़वाली
वेबसाइटhttps://ongpl.com
औली रोपवे
नंदा देवी
केबल कार
औली दृश्य

औली (Auli) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली ज़िले में स्थित एक नगर है। यह औली बुग्याल (Auli Bugyal) भी कहलाता है, क्योंकि गढ़वाली भाषा में बुग्याल का अर्थ पर्वतीय मर्ग (घास) से ढका मैदान है।[1][2][3]

पर्यटन[संपादित करें]

औली उत्तराखंड के हिमालयी पहाड़ों में चमोली जिले में है। औली, जिसे गढ़वाली में औली बुग्याल के नाम से भी जाना जाता है, का अर्थ है “घास का मैदान”। घाटी में दुनिया में कहीं भी पाए जाने वाले फूलों की प्रजातियों की सबसे बड़ी संख्या है।

यह समुद्र तल से 2,500 मीटर (8,200 फीट) से 3,050 मीटर (10,010 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।औली सबसे अच्छे उत्तराखंड के पर्यटन स्थल में से एक है। आप गढ़वाल हिमालय की पहाड़ियों में कई ट्रेक के लिए जा सकते हैं और बर्फ से ढके पहाड़ों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

जोशीमठ

गोर्सन बुग्याल

त्रिशूल पीक

औली रोपवे

औली में स्कीइंग

क्वानी बुग्याल

औलि में ट्रेकिंग और कैम्पिंग

सोलधार तपोवन

नंदा देवी

कृत्रिम झील

विस्तार से जानने के लिए यहाँ दबाये

औली कैसे पहुंचे? | औली के बारे में जानकारी[संपादित करें]

आप देश के किसी भी कोने में मौजूद हो आपको हरिद्वार या फिर देहरादून तक जरूर आना पड़ेगा। अगर आप बाइ फ्लाइट आना चाहते हैं तो नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून में स्थित है । देहरादून से औली के बीच की दूरी 278 किलोमीटर है। यह दूरी आपको बाय रोड ही तय करनी पड़ेगी। दूसरा ऑप्शन है जो कि आप ट्रेन से आ सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार में है और हरिद्वार से औली के बीच की दूरी 288 किलोमीटर है। ये दूरी भी आपको बाय रोड ही तय करनी पड़ेगी ।

तो चलिए अब बात करते है बाय रोड की। हरिद्वार से जोशीमठ के बीच की दूरी 275 किलोमीटर है। इस दूरी को तय करने के लिए आपके पास दो ऑप्शन है या तो अब बस से चले जाइए या फिर आप किराये की टैक्सी ले लीजिए अगर अपनी कार या बाइक से आए हैं तो आप उससे भी जा सकते हैं। अगर तब बस से जाना चाहते हैं तो बस की भी टिकट ऑनलाइन बुक कर सकते हैं।

बस में किराया करीब 750 रहता है ऑनलाइन बुकिंग में। आप चाहे तो हरिद्वार में मौजूद टूर एंड ट्रैवल ऑफिस के थ्रू भी हरिद्वार से जोशीमठ का टिकट बुक कर सकते हैं जो ऑनलाइन की अपेक्षा थोड़ा सस्ता हो जाता है अगर आप और सस्ता चाहते हैं तो डायरेक्ट बस स्टैंड से भी बस ले सकते हैं।

औली उत्तराखंड जाने का बेस्ट टाइम क्या है?[संपादित करें]

मेरे हिसाब से बेस्ट टाइम है औली का दिसंबर से लेकर मार्च तक । औली में सबसे ज्यादा मजा स्नो का होता है और स्नो दिसंबर जनवरी, फरवरी और मार्च के महीने तक ही वहाँ स्नो मिलती है उसके बाद वहां स्नो नहीं मिल पाएगी। तो जो लोग स्नो एंजॉय करना है तो बेस्ट टाइम दिसंबर से मार्च ही रहता है औली का। इसके अलावा आप औली में गुरसों बुग्याल ट्रेक भी कर सकते हैं। लेकिन दिसंबर से मार्च के महीने के बीच में आप वहाँ नहीं जा सकते उसके लिए आपको गर्मियों में आना पड़ेगा और गुरसों बुग्याल भी आप ट्रैक कर सकते हैं देखने जा सकते हैं।


यह ट्रैक बहुत ही शानदार रहता है वहां आपको घास के हरे-हरे मैदान देखने के लिए मिलेंगे। इस लुफ़त आप गर्मियों के महीने में ही उठा सकते हैं। इसके अलावा जोशीमठ में भी आप एक दिन स्टे करने के बाद कुछ एक्स्ट्रा चीजें एक्सप्लोर कर सकते हैं। विष्णुप्रयाग आप जा सकते हैं जहां आपको अलकनंदा रिवर और धौली गंगा का संगम देखने के लिए मिलेगा तो बहुत सी अलग-अलग एक्टिविटी आने के बाद कर सकते हैं। मेरे हिसाब से 1 दिन में ही औली को पूरी तरह से कर आप इंजॉय कर सकते हैं। स्टे करने की आपको जरूरत नहीं है। अगर आप स्टे करना चाहते है तो बहुत से ऑप्शन आपको मिल जाएंगे ऑनलाइन बुकिंग कीजिए वहाँ स्टे कर लीजिए।

प्राकृतिक छटा[संपादित करें]

औली में प्रकृति ने अपने सौन्दर्य को खुल कर बिखेरा है। बर्फ से ढकी चोटियों और ढलानों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। यहाँ पर कपास जैसी मुलायम बर्फ पड़ती है और पर्यटक खासकर बच्चे इस बर्फ में खूब खेलते हैं। स्थानीय लोग जोशीमठ और औली के बीच केबल कार स्थापित करना चाहते हैं। जिससे आने-जाने में सुविधा हो और समय की भी बचत हो। इस केबल कार को बलतु और देवदार के जंगलो के ऊपर से बनाया जाएगा। यात्रा करते समय आपको गहरी ढ़लानों से होकर जाना पड़ता है और ऊँची चढ़ाईयाँ चढ़नी पड़तीं हैं। यहाँ पर सबसे गहरी ढलान 1,640 फुट और सबसे ऊँची चढ़ाई 2,620 फुट की है। पैदल यात्रा के अलावा यहाँ पर चेयर लिफ्ट का विकल्प भी है।

आकर्षण[संपादित करें]

जिंदादिल लोगों के लिए औली बहुत ही आदर्श स्थान है। यहाँ पर बर्फ गाड़ी और स्लेज आदि की व्यवस्था नहीं है। यहाँ पर केवल स्कीइंग और केवल स्कीइंग की जा सकती है। इसके अलावा यहाँ पर अनेक सुन्दर दृश्यों का आनंद भी लिया जा सकता है। नंदा देवी के पीछे सूर्योदय देखना एक बहुत ही सुखद अनुभव है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान यहाँ से 41 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा बर्फ गिरना और रात में खुले आकाश को देखना मन को प्रसन्न कर देता है। शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी से दूर औली एक बहुत ही बेहतरीन पर्यटक स्थल है।

स्कीइंग प्रशिक्षण[संपादित करें]

यहाँ पर स्की करना सिखाया जाता है। गढ़वाल मण्डल विकास निगम ने यहाँ स्की सिखाने की व्यवस्था की है। मण्डल द्वारा 7 दिन की नॉन-सर्टिफिकेट और 14 दिन की सर्टिफिकेट ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर वर्ष जनवरी-मार्च में दी जाती है। मण्डल के अलावा निजी संस्थान भी ट्रेनिंग देते हैं। यह पर्यटक के ऊपर निर्भर करता है कि वह कौन सा विकल्प चुनता है। स्की सीखते समय सामान और ट्रेनिंग के लिए रू.500 देने पड़ते हैं। इस फीस में पर्यटकों के लिए रहने, खाने और स्की सीखने के लिए आवश्यक सामान आदि की आवश्यक सुविधाएं दी जाती हैं।

इसके अलावा यहाँ पर कई डीलक्स रिसोर्ट भी हैं। यहाँ पर भी ठहरने का अच्छा इंतजाम है। पर्यटक अपनी इच्छानुसार कहीं पर भी रूक सकते हैं। बच्चों के लिए भी औली बहुत ही आदर्श जगह है। यहाँ पर पड़ी बर्फ किसी खिलौने से कम नहीं होती है। इस बर्फ से बच्चे बर्फ के पुतले और महल बनाते हैं और बहुत खुश होते हैं।

शुल्क[संपादित करें]

स्की करने के लिए व्यस्कों से रू. 475 और बच्चों से रू. 250 शुल्क लिया जाता है। स्की सीखाने के लिए रू. 125-175, दस्तानों के लिए रू. 175 और चश्मे के लिए रू. 100 शुल्क लिया जाता है। 7 दिन तक स्की सीखने के लिए भारतीय पर्यटकों से रू. 4,710 और विदेशी पर्यटकों से रू. 5,890 शुल्क लिया जाता है। 14 दिन तक स्की सीखने के लिए भारतीय पर्यटकों से रू. 9,440 और विदेशी पर्यटकों से रू. 11,800 शुल्क लिया जाता है।

जोशीमठ[संपादित करें]

जोशीमठ बहुत ही पवित्र स्थान है। यह माना जाता है कि महागुरू आदि शंकराचार्य ने यहीं पर ज्ञान प्राप्त किया था। यह मानना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि यहाँ पर बहुत ही विषम परिस्थितियाँ हैं। इसके अलावा यहाँ पर नरसिंह, गरूड़ मंदिर आदि शंकराचार्य का मठ और अमर कल्प वृक्ष है। यह माना जाता है कि यह वृक्ष लगभग 2,500 वर्ष पुराना है। इसके अलावा तपोवन भी घुमा जा सकता है। यह जोशीमठ से 14 किलोमीटर और औली से 32 किलोमीटर दूर है। तपोवन पवित्र बद्रीनाथ यात्रा के रास्ते में पड़ता है। यहीं से बद्रीनाथ यात्रा की शुरूआत मानी जाती है। बद्रीनाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र चार धाम यात्रा में से एक मानी जाती है।

आसपास[संपादित करें]

दिल्ली से औली जाते समय रास्ते में रूद्रप्रयाग पड़ता है। यहाँ पर रात को रूका जा सकता है। रूद्रप्रयाग से औली पहुँचने के लिए साढ़े चार घंटे का समय लगता है। रूद्रप्रयाग में रात को ठहरने की अच्छी व्यवस्‍था है। जोशीनाथ रोड से केवल 3 किलोमीटर दूर मोनल रिसोर्ट है। यह औली का सबसे अच्छा होटल है। इसमें बच्चों के खेलने के लिए मैदान और मचान बने हुए हैं। इसके अलावा इसमें खाने के लिए एक रेस्तरां भी है।

इसके अलावा जी.एम.वी.एन. रूद्र कॉम्पलैक्स में भी रूका जा सकता है। यहाँ ठहरने और खाने की अच्छी व्यवस्था है। इसके अलावा यहाँ पर तीन कमरों में सोने की सामूहिक व्यवस्था भी है। यहाँ पर 20 बेड हैं और खाने के लिए रेस्तरां है।

घूमने के लिए तैयारियाँ[संपादित करें]

औली बहुत ही विषम परिस्थितियों वाला पर्यटक स्थल है। यहाँ घूमने के लिए पर्यटकों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि औली आने से पहले शारीरिक व्यायाम करें और रोज दौड़ लगाएं। औली में बहुत ठंड पड़ती है। यहाँ पर ठीक रहने और सर्दी से बचने के लिए उच्च गुणवत्ता के गर्म कपड़े पहनना बहुत आवश्यक है। गर्म कपड़ों में कोट, जैकेट, दस्ताने, गर्म पैंट और जुराबें होनी बहुत आवश्यक हैं। इन सबके अलावा अच्छे जूते होना भी बहुत जरुरी है। घूमते समय सिर और कान पूरी और अच्छी तरह से ढके होने चाहिए। आँखो को बचाने के लिए चश्में का प्रयोग करना चाहिए। यह सामान जी.एम.वी.एन. के कार्यालय से किराए पर भी लिए जा सकते हैं। जैसे-जैसे आप पहाड़ों पर चढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे पराबैंगनी किरणों का प्रभाव बढ़ता जाता है। यह किरणे आँखों के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। इनसे बचाव बहुत जरूरी है। अत: यात्रा पर जाते समय विशेषकर बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चश्मे का होना बहुत जरूरी है। वहाँ पर ठंड बहुत पड़ती है। अत्यधिक ठंड के कारण त्वचा रूखी हो जाती है। त्वचा को रूखी होने से बचाने के लिए विशेषकर होंठो पर एस.पी.एफ. क्रीम का प्रयोग करना चाहिए।

ठंड में ज्यादा देर रहने से शरीर की नमी उड़ जाती है और आमतौर पर निर्जलीकरण की समस्या सामने आती है। इस समस्या से बचने के लिए खूब पानी पीना चाहिए और जूस का सेवन करना चाहिए। अपने साथ पानी की बोतल रखना लाभकारी है। शराब और कैफीन का प्रयोग न करें। बर्फ में हानिकारक कीटाणु होते हैं जो आपके स्वास्थ्य और शरीर को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। अत: बर्फ को खाने का प्रयास न करें।

भ्रमण आवास[संपादित करें]

औली में रूकने के लिए क्ल्फि टॉप रिसोर्ट सबसे अच्छा स्थान है। यहाँ से नंदा देवी, त्रिशूल, कमेत, माना पर्वत, दूनागिरी, बैठातोली और नीलकंठ का बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। इसमें 46 कमरे हैं। यह स्की क्षेत्र की ढलान पर टावर न. 8 के नीचे स्थित है। यहाँ पर खाने-पीने की अच्छी सुविधा है। यह चारों तरफ से बर्फ से घिरा हुआ है। जोशीनाथ से जी.एम.वी.एन. तक केबल कार की अच्छी सुविधा है। अगर कार से यात्रा करनी हो तो कार को बहुत ही सावधानीपूर्वक चलाना चाहिए। इसके अलावा केबल कार भी अच्छा विकल्प है। स्की के शौकीन लोगों के लिए औली स्वर्ग है। जो पर्यटक स्की नहीं करना चाहते और जल्दी थक जाते हैं वह भी औली की सुन्दरता का आनंद ले सकते हैं। समय व्यतीत करने के लिए उन्हें अपने साथ कुछ रोचक किताबें लानी चाहिए।

यहाँ एक रिसोर्ट भी है जो स्किइंग के अलावा रॉक क्लाइम्बिंग, फॉरस्ट कैम्पिंग और घोड़े की सवारी आदि की व्यवस्था करता है। इन सबके लिए ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते है। इसके अलावा इसमें एक रेस्तरां और कैफे भी है। जो पर्यटक ज्यादा पैसे खर्च नहीं करना चाहते, औली में उनके लिए जी.एम.वी.एन. स्किंग और टूरिस्ट रिसोर्ट सबसे बेहतर विकल्प है। यह 9,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ ठहरने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यहाँ से बर्फ की सुन्दर चोटियों का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। यह मुख्य सड़क मार्ग के बिल्कुल पास है। इस रिसोर्ट में लकड़ी की बनी 16 झोपड़ियाँ, सोने के लिए 3 सराय जिसमें 42 बेड हैं, स्की कराने की व्यवस्था, वातानुकूलित और गर्म पानी की सुविधा है। यहाँ भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस का स्की स्कूल है। पर्यटकों को इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसके अलावा यहाँ पर जंगलों में भी घूमा जा सकता है। इन जंगलों में खूबसूरत बलतु और कॉनीफर के वृक्ष पाए जाते हैं।

औली में जब बर्फ पड़ती है तो बहुत पर्यटक आते हैं। पर्यटकों की बढ़ी संख्या के फलस्वरूप सभी होटल भर जाते हैं। इस स्थिति में पर्यटक जोशीमठ में रूक सकते हैं। जोशीमठ में कई अच्छे होटल है।

खाना पीना[संपादित करें]

औली नंदा देवी के बहुत पास है। यहाँ पर अस्थायी ढाबों और कूड़ा बिखेरने पर प्रतिबंध है। यहाँ पर मांसाहारी खाना केवल एक ही होटल में मिलता है और वह होटल ऊँची चोटी पर है। यहाँ पर कोई शराब खाना भी नहीं है। जिन पर्यटकों को शराब पीने की आदत है उन्हें अपनी बोतल खुद लानी पड़ती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए की यह एक तीर्थस्थल भी है और ऐसी जगहों पर शराब का सेवन तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचा सकता है।

स्थान[संपादित करें]

यह नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के पास गढ़वाल के ऊपरी क्षेत्र में लगभग 9,500 से 10,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह ऋषिकेश से उत्तर पूर्व में 268 किलोमीटर और दिल्ली से उत्तर पूर्व में 492 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा औली पहुँचने के लिए 15 घंटो का समय लगता है।

पर्यटन समय[संपादित करें]

औली जाने के लिए सबसे अच्छा मौसम जनवरी-मार्च का है। इस समय यहाँ पर बर्फ पड़ती है। यह समय स्की करने के लिए बिल्कुल आदर्श है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Start and end points of National Highways". मूल से 22 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 April 2009.
  2. "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
  3. "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994