रुड़की
रुड़की | |||||||
— नगर — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | ![]() | ||||||
राज्य | उत्तराखण्ड | ||||||
जनसंख्या | ९७,०६४[1] (२००१ के अनुसार [update]) | ||||||
लिंगानुपात | 1.12[1] ♂/♀ | ||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• २६८ मीटर | ||||||
दूरी(याँ)
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विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: 210.212.78.56/roorkee/ |
निर्देशांक: 29°51′15″N 77°53′17″E / 29.8543°N 77.8880°E
रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगर निगम है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है[2] और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है। इस नगर में hindu जनसंख्या सबसे अधिक है ।
यह नगर गंग नहर के तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ पर देहरादून और दिल्ली के मध्य स्थित है।
इतिहास
[संपादित करें]रूड़की का प्रारंभिक राजनीतिक व प्रशासनिक इतिहास:
रूड़की का सर्वप्रथम उल्लेख ब्रिटिश अभिलेखों में मिलता है। ब्रिटिश अभिलेखों के अनुसार 18वीं सदीं में रूड़की सोलानी नदी के पश्चिमी तट पर तालाब की मिट्टी से निर्मित कच्चे मकानों, भवनों का गांव हुआ करता था यहां कोई भी पक्का मकान या भवन नहीं था ।
उस समय यह गांव प्रशासनिक रूप से तात्कालिक सहारनपुर जिले के गौचरो का लंढौरा जो पूर्व मुगल सूबेदार नजीब खान रोहिल्ला के प्रति वफादारी के बदले गौचरो को एक छोटी सी जमीदारी बक्सी गई थी का एक भाग था। सन् 1813 ई० में लंढौरा के गौचर रामदयाल सिंह की मृत्यु के बाद उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाते हुए अंग्रेजों ने भू-अभिलेखों में एक हिस्सा खानाखाली दर्शाकर रूड़की सहित कई गांव और हिस्से से बाहर कर दिए और उन्हें ब्रिटिश शासन में मिला लिया, इस प्रकार 1813 में रूड़की पूरी तरह से ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।
एच०आर० नेविल, 1908 में लिखते हैं कि गंगा यमुना का ऊपरी दोआब और विशेषकर सहारनपुर जनपद गूजरों द्वारा शासित होने के कारण इस सदीं (20वीं सदीं) के प्रारंभ तक वास्तव में गुज्जरों द्वारा मुगलों को उत्तम नस्ल की गुज्जरियो को दूध दही के साथ हरम के सेवा में भेजने के कारण इस क्षेत्र को 'गुज्जरी' के नाम से जाना जाता था। (देखिए- सहारनपुर गजेटियर) ।
रूड़की तहसील की स्थापना :
1826 के आसपास जनपद सहारनपुर की ज्वालापुर तहसील का मुख्यालय ज्वालापुर से रूड़की स्थानांतरित कर दिया गया और ज्वालापुर तहसील समाप्त कर रूडकी को परगना सहित तहसील बना दिया गया जिसका प्रभार एक ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रैंक के अधिकारी को सौंपा गया साथ ही एक कोषागार अधिकारी व तहसीलदार को नियुक्त किया गया, इसके साथ ही रूड़की में एसडीएम आवास, कोषागार, तहसीलदार आवास का भी निर्माण किया गया।
रूड़की नगर में सन् 1869 ई. में ही नगर पालिका बोर्ड की स्थापना कर दी गई थी।
रूड़की छावनी एवं बंगाल सैपर्स की स्थापना :
अंग्रेजों ने गुर्जरो की गंगा- यमुना के दोआब में लगातार बढ़ती जा रही ताकत को कमजोर करने व साथ ही नजीबाबाद क्षेत्र के रूहेलाओं को अपने नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से लंढौरा के निकट 10 किलोमीटर पश्चिम में रूड़की गांव में 1803 ई० में एक छोटी सैन्य छावनी की स्थापना की।
जिसका उपयोग 1822 से 1824 ई० में गुजरात-सहारनपुर के ताल्लुका व गुर्जर किले कुंजा बहादुरपुर के ताल्लुकेदार चौधरी विजय सिंह जो राजा विजय सिंह के नाम से प्रसिद्ध है, उनके नेतृत्व में लड़े गए पहले स्वतंत्रता संग्राम जो 1824 की 'गुर्जर क्रांति' के रूप में जानी जाती है, जिसे स्थानीय जनता के साथ ही दोआब व हरियाणा की रियासतो व जमीदारों का व्यापक समर्थन हासिल था। जिसके दमन के पश्चात इस घटना को अंग्रेज अधिकारियों ने सरकारी दस्तावेजो व अभिलेखों में 1824 का "गूजर विद्रोह" के नाम से स्थान प्रदान किया एवं 1857 की क्रांति में गुजरात सहारनपुर के गुर्जरों, रांघड़ो व किसानों द्वारा किए गये भयंकर विद्रोहों को कुचलने के लिए किया गया।
07 नवंबर,1853 में यहां बंगाल सैपर्स एंड माइनर्स की स्थापना की गई। जिसने क्रांति के दौरान इस क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाये रखने में अपनी काबिलियत व महत्वता सिद्ध की। इसके साथ ही रूड़की छावनी में सेना की इंफैन्टरी रेजीमेंट लंबे समय तक तैनात रही जिसके स्थान पर बाद में सेना के तोपखाना "रॉयल गैरीसन आर्टिलरी" की दो कंपनियो (हैवी बैट्रीज़ ऑफ आर्टिलरी) की तैनाती छावनी में कर दी गई ।
रूड़की का ढांचागत विकास:
क्षेत्र की जनता व किसानों द्वारा आजादी के लिए किए गए विद्रोहों व संघर्षों से उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता व अशांति को पूरी तरह नियंत्रित करने के पश्चात रूड़की के महत्व को देखते हुए इसके ढांचागत विकास के प्रयास प्रारंभ हुए जिनमें ऐतिहासिक गंगानहर का निर्माण व रूड़की इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना प्रमुख थी।
अप्रैल 1842 में अंग्रेज अधिकारी सर प्रोबे कोटले के नेतृत्व में गंगनहर निर्माण हेतू खुदाई प्रारंभ की गई तथा गंगनहर के निर्माण कार्य व रखरखाव के लिए 1845-46 में नहर के किनारे कैनाल वर्कशॉप व फाउंड्री फोर्ज की स्थापना की गई। जिससे रूडकी के ढांचागत कायाकल्प के विकास को एक नई गति मली।
रूड़की गंगानहर का निर्माण कार्य 1854 ई. में पूर्ण हुआ तथा इसे 08 अप्रैल 1854 को चालू कर दिया गया जिससे लगभग 5000 गांवो की लगभग 767000 एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है तथा उत्तराखंड राज्य के जनपद हरिद्वार के पथरी व मौह्म्मदपुर गांवो मे इस पर जल-विद्युत गृह बनाकर बिजली उत्पादन भी किया जा रहा है।
भारत की प्रथम रेलगाड़ी संचालित करने का गौरव : आई.आई.टी रूडकी के अभिलेखागार व रूडकी रेलवे स्टेशन से मिले पुराने दस्तावेजों के आधार पर यह नवीन खोज हुई है कि रूड़की नहर की खुदाई के दौरान मिट्टी व माल ढुलाई में आ रही दिक्कतों व लगने वाले अधिक समय को कम करने के लिए सर्वप्रथम 22 दिसंबर 1851 ई. में भाप के इंजन से चलने वाली देश की पहली दो डिब्बों की रेलगाड़ी (मालगाड़ी) मिट्टी व माल ढुलाई हेतू रूड़की व पिरान कलियर के बीच पटरी ट्रैक बिछाकर चलाई गई थी। बाद में इंजन के खराब हो जाने व नहर का निर्माण कार्य पूरा हो जाने की वजह से रेलवे ट्रैक की आवश्यकता महसूस नहीं की गई, अत: ट्रैक को नहर निर्माण के उपरांत उखाड़ लिया गया तथा इंजन वापस इंग्लैंड भेज दिया गया। बाद में भाप से चलने वाले देश के उस पहले रेल इंजन की एक प्रतिकृति इंग्लैंड से पुन: मंगाकर रूड़की रेलवे स्टेशन पर रखी गई, जिसे प्रत्येक शनिवार कोयले की भाप से चलाया जाता है।
इसके बाद 1853 में मुंबई से ठाणे के बाद पहली यात्री रेलगाड़ी चलाई गई। उपरोक्त खोज बहुत देरी से वर्ष 2002 में हुई जिस कारण देश की प्रथम रेलगाड़ी संचालित करने का गौरव रूड़की को प्राप्त नहीं हो सका।
ऐतिहासिक थॉमसन कालेज व रूड़की विश्वविद्यालय की स्थापना:
गंगानहर निर्माण में लगे अभियंताओ व श्रमिको की तकनीकी सहायता एवं भारतीय युवाओ को अभियांत्रिकी में प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से 1845 ई. में 'सिविल इंजीनियरिंग प्रशिक्षण स्कूल' स्थापना की गई । सन् 1847 में गंगानहर परियोजना के निर्माण के दौरान और अधिक कुशल प्रशिक्षित अभियंताओं की जरूरत महसूस की गई जिसके लिए इंजीनियरिंग प्रशिक्षण स्कूल को 25 नवंबर 1847 ई० को एक कॉलेज के रूप में तब्दील कर दिया गया। परंतु इस कालेज ने वस्तुत: 01 जनवरी,1848 से ही विधिवत रूप से कार्य करना प्रारंभ किया, और यह ब्रिटिश उपनिवेश में स्थापित होने वाला "रूडकी कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग" के रूप में एशिया व भारत का पहला इंजीनियरिंग कालेज बन गया।
चूंकि इस कालेज के संस्थापक सन् 1843 से 1853 तक भारत के उत्तर पश्चिमी प्रांत (नॉर्थ-वेस्ट प्रोविंस ऑफ इंडिया) के लेफ्टीनेंट-गवर्नर रहे "सर जेम्स थॉमसन" थे जिनके प्रस्ताव पर ही इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना 1847 में की गई थी, अत: 21 सितंबर,1853 में उनकी मृत्यु के बाद उनके सम्मान में रूड़की इंजीनियरिंग कालेज का नाम 1854 में परिवर्तित कर "थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, रूड़की" कर दिया गया। जो 1948 तक बना रहा।
स्वतंत्रता के पश्चात, वर्ष 1948 में संयुक्त प्रांत सरकार ने अधिनियम संख्या IX पारित कर इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया। तत्पश्चात नवंबर,1949 ई० में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रूड़की पधारे जिन्होंने इस संस्थान की राष्ट्र निर्माण हेतू बुनियादी ढांचे के विकास, सेवाओं में आवश्यकता व महत्ता को देखते हुए इसे चार्टर प्रदान कर भारत के प्रथम अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान कर इसके रूतबे को और अधिक बढ़ाया और इसे राष्ट्र निर्माण हेतू देश को समर्पित कर दिया। इस प्रकार भारत का प्रथम तकनीकी विश्वविद्यालय 'यूनिवर्सिटी ऑफ रूड़की' (रूड़की विश्वविद्यालय) 1949 में अस्तित्व में आया।
21 सितंबर वर्ष 2001 में संसद में कानून पारित कर रूडकी विश्वविद्यालय को "राष्ट्रीय महत्व का संस्थान" घोषित करते हुए भारत सरकार ने इसे देश के 07वें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी) के रूप में मान्यता दी।
संदर्भ- डिस्ट्रिक्ट गजेटियर, सहारनपुर
भूगोल
[संपादित करें]रुड़की 29°52′N 77°53′E / 29.87°N 77.88°E.[3] के अंक्षाशों पर स्थित है। इसकी समुद्रतल से ऊँचाई 268.9 मीटर है। यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से १७२ किमी उत्तर में गंगा और यमुना नदियों के मध्य, हिमालय की तलहटी में स्थित है। ९ नवंबर, २००० को उत्तराखण्ड राज्य बनने से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था।[4]
मौसम
[संपादित करें]रुड़की | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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जलवायु सारणी (व्याख्या) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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रूड़की भौगोलिक रूप से किसी भी बड़े जलाशय से दूर होने और हिमालय के निकट होने के कारण रुड़की का मौसम बहुत चरमी और अस्थिर है। ग्रीष्म ऋतु मार्च के अतिकाल से आरम्भ होती है जो जुलाई तक रहती है और औसत तापमान २८० से. रहता है। मॉनसून का मौसम जुलाई से आरम्भ होकर अक्टूबर तक रहता है और मॉनसून के बादलों की हिमालय द्वारा रिकावट के कारण प्रचण्ड वर्षा होती है। मॉनसून के बाद का मौसम अक्टूबर से आरम्भ होता है और नवंबर के अंत तक जारी रहता है, जब औसत तापमान २१० से. से १५० से. तक तहता है। शीत ऋतु दिसम्बर में आरम्भ होती है, जब न्यूनतम तापमान जमाव बिन्दू तक पहुँच जाता है जिसका कारण है हिमालय से आने वाली अवरोहण पवनें। कुल वार्षिक वर्षा १०२ इंच तक होती है।
परिवहन
[संपादित करें]रूड़की, उत्तर रेलवे क्षेत्र के अधीन आता है और देश के प्रमुख नगरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
निकटतम हवाई अड्डा जॉलीग्रांट है जो देहरादून में है, लेकिन दिल्ली स्थित इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय अड्डे को वरीयता दी जाती है।
रुड़की के निकट प्रमुख बड़े नगर हैं देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, मेरठ, अंबाला और चण्डीगढ़ हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ (एनएच५८) (दिल्ली - हरिद्वार - माणा पास) और एनएच७३ (पंचकुला/चण्डीगढ़ - यमुना नगर- रुड़की) रुड़की से होकर जाते हैं।
जनसांख्यिकी
[संपादित करें]२००१ की जनगणना के आधार पर, रुड़की की जनसंख्या २,५२,७८४ है जिसमें से पुरुष ५३% और महिलाएँ ४७% हैं। रुड़की की औसत साक्षरता सर ८२% है, जो राष्ट्रीय औसत ६४% से अधिक है: पुरुष साक्षरता ८७% और महिला साक्षरता ८१% है। ११% जनसंख्या ६ वर्ष से कम आयुवर्ग की है। इस नगर में हिन्दू ६१%, मुसलमान २८%, सिख/पंजाबी ८%, जैन २.७% और ईसाई ०.३% हैं।
कुल २,५२,७८४ की जनसंख्या के साथ, यह उत्तराखण्ड में हरिद्वार और हल्द्वानी के बाद तीसरी सबसे बड़ी नगर निगम है।
प्रमुख भाषाएँ हैं हिन्दी, पंजाबी और उर्दू।
शिक्षा
[संपादित करें]देश का सबसे पुराना प्रौद्योगिकी संस्थान भी रुडकी मे स्थित है जिसे आईआईटी रुडकी के नाम से जाना जाता है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ "भारत की जनगणना, २००१". रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय, भारत. २ मार्च २००२. Archived from the original on 16 जून 2004. Retrieved २८ मई २०१०.
- ↑ "रुड़की - इतिहास". Archived from the original on 6 अप्रैल 2008. Retrieved 30 मई 2010.
- ↑ "फॉलिंग रेन जीनोमिक्स, इंक - रुड़की". Archived from the original on 18 जनवरी 2010. Retrieved 30 मई 2010.
- ↑ उत्तराखण्ड Archived 2008-04-09 at the वेबैक मशीन भारत सरकार, आधिकारिक जालपृष्ठ।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- रुड़की आधिकारिक जालपृष्ठ
विकियात्रा पर Roorkee के लिए यात्रा गाइड