सहारनपुर
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सहारनपुर | |||||||
— शहर — | |||||||
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समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | ![]() |
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राज्य | उत्तर प्रदेश | ||||||
महापौर | प्रशासक (जिलाधिकारी, सहारनपुर श्री पवन कुमार) | ||||||
सांसद | श्री राघव लाखन पाल | ||||||
नगर विधायक | श्री संजय गर्ग | ||||||
जनसंख्या | ७०३,३४५ (२०११ तक [update]) | ||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• २६९ मीटर |
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विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: saharanpur.nic.in |
निर्देशांक: 29°58′N 77°33′E / 29.97°N 77.55°E
सहारनपुर उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। सहारनपुर की स्थापना 1340 के आसपास हुई और इसका नाम एक राजा सहारन पीर के नाम पर पड़ा।
उद्योग[संपादित करें]
शहर के उद्योगों मेंरेलवे कार्यशालाएं, सूती वस्त्र और चीनी प्रसंस्करण, काग़ज़ ,गत्ता निर्माण,सिगरेट उद्योग. , और अन्य उद्यम शामिल हैं। यहाँ दफ़्ती और मोटा काग़ज़, कपड़ा बुनने, चमड़े का सामान बनाने और लकड़ी पर नक़्क़ाशी का काम अधिक किया जाता है।
कृषि[संपादित करें]
सहारनपुर कृषि उत्पादों का एक सक्रिय केन्द्र भी है। आसपास के क्षेत्र की प्रमुख फ़सलें आम, गन्ना, गेंहू, चावल और कपास हैं।
शिक्षा[संपादित करें]
शहर में एक केंद्रीय फल शोध संस्थान, राजकीय वानस्पतिक उद्यान एक विमानचालन प्रशिक्षण केन्द्र और कई कई तकनीकी और प्रबंधन संस्थान और महाविद्यालय स्थित है
परिवहन[संपादित करें]
यह प्रसिद्ध रेलवे स्टेशन है। यहाँ से निकटवर्ती स्थानों हरिद्वार,देहरादून,ऋषिकेश,विकाश नगर, पोंटासाहिब, चंडीगढ़,अंबाला,कुरुक्षेत्र, दिल्ली, यमुनोत्री को सड़कें गई हैं।
जनसंख्या[संपादित करें]
2011 की जनगणना के अनंतिम आंकड़ो के अनुसार सहारनपुर नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 7,03,345 और सहारनपुर जिले की जनसंख्या कुल 34,64,228 है।
प्रसिद्ध स्थल[संपादित करें]
सहारनपुर में प्राचीन शाकुम्भरी देवी मंदिर, इस्लामिक शिक्षा का केन्द्र दारुल उलूम, देवबंद का मां बाला सुंदरी मंदिर, नगर में भूतेश्वर महादेव मंदिर, कम्पनी बाग आदि प्रसिद्ध स्थल हैं। शकुम्भरी देवी मंदिर, सहारनपुर से 40 किमी. की दूरी पर स्थित है जो शहर के शकुम्भरी क्षेत्र में आता है। हालांकि, इस मंदिर का कोई ऐतिहासिक और पुरातात्विक उल्लेख नहीं है लेकिन सामान्य रूप से माना जाता है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है। इस मंदिर की मूर्तियां काफी प्राचीन नहीं दिखती हैं और कुछ लोगों का तो मानना है कि इन्हे मराठा काल के दौरान स्थापित किया गया था जबकि अन्य लोगों का मानना है कि आदि शंकराचार्य ने अपनी तपस्या को यहीं किया था। इन सभी मतों के अलावा, इस मंदिर में साल भर में हजारों श्रद्धालु आते हैं और दर्शन करते हैं। इस मंदिर में माता की पूजा की जाती है और माना जाता है कि मां शामुम्भरी देवी ने महिषासुर महा दैत्य को मारा था और लगभग 100 साल तक तपस्या की थी जबकि वह महीने में केवल एक बार अंत में शाकाहारी भोजन ग्रहण किया करती थी।