घेवर

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घेवर Veg symbol.svg 
Ghewar.jpg
सूखी फेनी
उद्भव
संबंधित देश भारत
देश का क्षेत्र राजस्थान और उत्तर भारत
व्यंजन का ब्यौरा
मुख्य सामग्री मैदा, खोया, चीनी, बादाम काजू
अन्य प्रकार मावा घेवर, मलाई घेवर

घेवर छप्पन भोग के अन्तर्गत प्रसिद्ध व्यंजन है। यह मैदे से बना, मधुमक्खी के छत्ते के जैैसे दिखाई देने वाला एक कुुुुरकुुरा और मीठा पकवान है।[1] सावन माह की बात हो और उसमें घेवर का नाम ना आए तो कुछ अटपटा लगेगा। घेवर, सावन का विशेष मिष्ठान माना जाता है। यद्यपि अब घेवर की माँग अन्य मिठाइयों के सामने कुछ घट गई है पर फिर भी आज कुछ लोग घेवर को ही महत्व देते हैं। सावन में तीज के अवसर पर बहन-बेटियों को सिंजारा देने की परंपरा बहुत पुरानी है, इसमें चाहे कितना ही अन्य मिष्ठान रख दिया जाए पर घेवर होना आवश्यक होता है। इसलिए वर्ष के विशेष समय पर बनने वाली इस पारंपरिक मिठाई घेवर का वर्चस्व टूटना संभव नहीं है, भले ही आधुनिक मिठाइयों के सामने इसकी लोकप्रियता में कुछ घाट दिखाई देती हो।[2]

सावन में इस मिष्ठान की माँग को पूरा करने के लिए छोटे मिठाईवाले से लेकर प्रतिष्ठित मिठाईवाले महीनों पहले काम आरंभ कर देते हैं। घेवर बनाने का काम प्रत्येक गली मौहल्ले में बड़े उत्साह से आरंभ हो जाता है। पुराने लोग बताते हैं कि बिना घेवर के ना रक्षाबंधन का शगुन पूरा माना जाता है और ना ही तीज का।[3][4]

घेवर

वैश्वीकरण के युग में आज घेवर का रूप भी परिवर्तित होने लगा है, 450 से लेकर 1000 रूपये प्रति किलो का घेवर हाट में उपलब्ध है, जो जैसा दाम लगाता है उसे उसी प्रकार का घेवर मिल जाता है, सादा घेवर सस्ता है जबकि पिस्ता, बादाम और मावे वाला घेवर महँगा। पिस्ता बादाम और मावे वाला घेवर अधिक प्रचलित हैं, यद्यपि लोगों का कहना है कि जितना आनन्द सादे घेवर के सेवन में आता है उतना मेवे वाले घेवर में कतई नहीं। फिर भी लोग मावा-घेवर को ही मोल लेना अच्छा लगता हैं।

कुल मिला कर सावन के महीने में घेवर की सुगन्ध पूरे हाट को महका देती है और तीज व रक्षाबंधन के अवसर पर घेवर की हट्टियों पर भीड़ देखते ही बनती है। घेवर दो प्रकार का होता है, फीका और मीठा। नवीन घेवर कुरकुरा होता है पर यह रखा थोड़ा कड़ा होने लगता है। इस समय फीके घेवर को बेसन में लपेटकर, तलकर स्वादिष्ट पकौड़े बनाए जाते हैं। मीठे घेवर की पुडिंग बढ़िया बनती है।

चित्र[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "घेवर" (अंग्रेज़ी में). राजटूरिज़्म.कॉम. मूल (एचटीएम) से 29 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. "बाजार में छाया सावन का विशेष तोहफा –घेवर—". दैनिक महामेधा. मूल से 29 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. "इस माह के व्रत एवं त्योहार हरियाली तीज". जागरण.कॉम. अभिगमन तिथि 13 अक्तूबर 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ]
  4. Kapūra, Navaratna (1999). Uttara Bhārata ke loka parva: eka vaijñānika viśleshaṇa. Uttara Kshetra Sāṃskr̥tika Kendra.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]