कुल्चा
कुल्चा | |
---|---|
कुल्चे के संग छोले | |
उद्भव | |
संबंधित देश | भारत |
देश का क्षेत्र | भारत |
व्यंजन का ब्यौरा | |
परोसने का तापमान | गर्मा-गर्म सिके हुए |
मुख्य सामग्री | मैदा |
अन्य प्रकार |
आलू कुल्चा नाहरी कुल्चा गिलामी कुलचे |
कुल्चा एक भारतीय रोटी का प्रकार है। भारत के साथ-साथ ये पाकिस्तान में भी लोकप्रिय हैं। प्रायः इसे न्हारी, छोले, माँस आदि के संग खाया जाता है। यह मैदा को किण्वन उठा कर तंदूर व तवे में बनाया जाता है।
मैदा को दही के साथ मल कर खमीर उठाया जाता है। फिर उसमें उबले सम्बार (मसाले) वाले आलू और कटे कान्दे आदि भर कर भरवां कुल्चे बनाये जाते हैं। इन्हें सुनहरे रंग का होने तक आने तवे व तंदूर में पकाया जाता है। फिर इस पर मक्खन लगा कर माँस व छोले के साथ परोसते हैं। बिना भरे हुए सादे कुल्चे बनते हैं।
कुल्चे का उद्गम ईरान में माना जाता है। इसके लखनऊ के व्यंजन विशेषज्ञों ने प्रयोग कर अंतरण बनाये हैं। इनमें कुल्चा नाहरी भी एक है। इसके विशेषज्ञ कारीगर हाजी जुबैर अहमद के अनुसार कुलचा अवधी व्यंजनों में सम्ममिलित विशेष रोटी है, जिसका साथ नाहरी बिना अधूरा है। लखनऊ के गिलामी कुलचे अर्थात दो भाग वाले कुलचे उनके परदादा बनाया करते थे। कुलचे गर्म खाने में ही आनन्द है अर्थात तंदूर से निकाले और परोसे जायें।[1]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ रोटियों का बाज़ार, राष्ट्रीय सहारा| हिंदी दैनिक| अविनाश वाचस्पति| अभिगमन तिथि: २४ अगस्त, २००९