गया मुण्डा

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गया मुण्डा
Gaya Munda
मृत्यु - 6 जनवरी 1900
उपनाम : सरदार गया मुण्डा
जन्मस्थल : ऐटकीडीह, वर्तमान खूंटी जिला, झारखण्ड
मृत्युस्थल: ऐटकीडीह, वर्तमान खूंटी जिला, झारखण्ड
जीवनसंगी: माकी मुंडा
आन्दोलन: मुंडा विद्रोह (उलगुलान आंदोलन)
राष्ट्रीयता: भारतीय


गया मुण्डा (मृत्यु - 6 जनवरी 1900) एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे।[1] उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखण्ड) में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें धरती आबा बिरसा मुंडा का सेनापति भी कहा जाता था।[2]

जीवनी[संपादित करें]

मुण्डा का जन्म वर्तमान झारखण्ड राज्य के खूंटी जिले के ऐटकीडीह गांव में एक मुण्डा परिवार में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम मांकी मुंडा था और उनके तीन पुत्र और एक पुत्री थी। जिनमें से एक पुत्र का नाम सानरे मुंडा था।

1900 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलन के दौरान, गया मुंडा के पूरे परिवार को सजा दी गई थी।[3]

ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन[संपादित करें]

गया मुंडा बिरसा मुंडा के समर्थक थे, उन्होंने बिरसा के नेतृत्व में अनेक लड़ाई लड़ी।[4] 5 जनवरी 1900 को गया मुण्डा ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ आंदोलन की रणनीति पर चर्चा के लिए ऐटकीडीह गांव में एक बैठक बुलाई, जिसमें लगभग 60 लोग शामिल हुए। ब्रिटिश पुलिस को बैठक की सूचना मिल चुकी थी। दो कॉस्टेबल और तीन चौकीदार गया मुण्डा को पकड़ने पहुंचे। गया मुंडा और उनके साथियों ने पुलिस बल पर हमला कर दिया, उन्होंने जयराम नामक एक कॉस्टेबल की हत्या कर दी। यह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गया मुंडा के नेतृत्व में पहल आंदोलन था।[5][6]

घटना की सूचना पाकर, बंदगांव के तत्कालीन उपायुक्त स्ट्रीटफिल्ड ऐटकीडीह गांव पहुंचे। पुलिस बल और गया मुंडा के बीच एक बार फिर लड़ाई हुआ। इस दौरान गया मुंडा घायल हो गए। उपायुक्त स्ट्रीटफिल्ड के आदेश पर उनके घर को जला दिया गया। उन्हें उनकी पत्नी माकी मुंडा, पुत्र, पुत्री और पुत्रवधू सहित बंदी बना लिया गया।[7][8] 6 जनवरी 1900 को गया मुंडा और उनके पुत्र सानरे मुंडा को फांसी दिया गया। उनके दूसरे पुत्र को आजीवन कारावास की सजा दी गई, जबकि उनकी पत्नी, तीसरे पुत्र, पुत्री और पुत्रवधू को कारावास भेज दिया गया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Gaya Munda". INDIAN CULTURE (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-07-08.
  2. "Jharkhand Trible Pride गया मुंडा ने अंग्रेजों को दी थी टक्कर धरती आबा बिरसा मुंडा के थे सेनापति - Gaya Munda had given competition to British was commander of Birsa Munda". Jagran. अभिगमन तिथि 2023-07-08.
  3. "अंग्रेजों से लड़ाई में सपरिवार शहादत दी थी गया मुंडा ने". Hindustan (hindi में). अभिगमन तिथि 2023-07-08.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  4. Birsa Munda Jayanti Souvenir (अंग्रेज़ी में). Birsa Munda Jayanti Samaroh Samiti. 1995.
  5. Kunwar, Gopi Krishna (2021-01-01). Biography of Birsa Munda: Bestseller Book by Gopi Krishna Kunwar: Biography of Birsa Munda (अंग्रेज़ी में). Prabhat Prakashan.
  6. A.K.Dhan (2017-08-29). BIRSA MUNDA (अंग्रेज़ी में). Publications Division Ministry of Information & Broadcasting. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-230-2544-5.
  7. Bhushan, Bharat; Sharma, Mahesh; Kunwar, Gopi Krishna (2022-08-08). Revolutionaries of India Part-I (The Life and Times of Chandrashekhar Azad/ The Life and Times of Bhagat Singh/ The Life and Times of Birsa Munda) (Set of 3 Books): Bestseller Book by Bharat Bhushan; Mahesh Sharma; Gopi Krishna Kunwar: Revolutionaries of India Part-I (The Life and Times of Chandrashekhar Azad/ The Life and Times of Bhagat Singh/ The Life and Times of Birsa Munda) (Set of 3 Books) (अंग्रेज़ी में). Prabhat Prakashan.
  8. Singh, K. S. (2002). Birsa Munda, 1872-1900 (अंग्रेज़ी में). National Book Trust, India. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-237-3796-6.


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