सिद्धू कान्हू
सिद्धू मुर्मू - कान्हू मुर्मू ᱥᱤᱫᱚ ᱟᱨ ᱠᱟᱹᱱᱦᱩ ᱢᱩᱨᱢᱩ | |
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1815 से 1855 (सिद्धू) 1820 से 1855 (कान्हू) | |
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जन्मस्थल : | भोगनाडीह, दामिन-ए-कोह, ब्रिटिश भारत (अब झारखण्ड) |
मृत्युस्थल: | भोगनाडीह, दामिन-ए-कोह, ब्रिटिश भारत (अब झारखण्ड) |
भाई/बहन: | चांद मुर्मू (भाई) भैरव मुर्मू (भाई) फुलो मुर्मू (बहन) झानो मुर्मू (बहन) |
आन्दोलन: | संथाल विद्रोह (1855-56) |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
सिद्धू मुर्मू (सिदो मुर्मू) और कान्हू मुर्मू सगे भाई थे जिन्होने 1855–1856 के सन्थाल विद्रोह का नेतृत्व किया था। सन्थाल विद्रोह ब्रिटिश शासन और भ्रष्ट जमींदारी प्रथा दोनों के विरुद्ध था।[1]
आरंभिक जीवन
[संपादित करें]सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू का जन्म वर्तमान झारखण्ड राज्य के भोगनाडीह नामक गाँव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। सिद्धू मुर्मू का जन्म 1815 ई. को हुआ था एवं कान्हू मुर्मू का जन्म 1820 ई. को हुआ था।[2] संथाल विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाने वाले इनके अन्य दो भाई भी थे जिनका नाम चाँद मुर्मू और भैरव मुर्मू था। चाँद का जन्म 1825 ई. को एवं भैरव का जन्म 1835 ई. को हुआ था। इनके अलावा इनकी दो बहनें भी थी जिनका नाम फुलो मुर्मू एवं झानो मुर्मू था। इन 6 भाई-बहनों के पिता का नाम चुन्नी माँझी था।[3]
संथाल विद्रोह का नेतृत्व
[संपादित करें]संथाल विद्रोह (हूल आंदोलन) का नेतृत्व सिद्धू-कान्हु ने किया था । सिद्धू-कान्हु के नेतृत्व में इस लड़ाई में संथाल परगना के स्थानीय आदिवासीयों एवं गैर आदिवासीयों ने जान की बाजी लगाकर ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। अंग्रेजी शासन की गलत नीतियों के कारण जंगल तराई जो आज संथाल परगना है, इसके अलग-अलग क्षेत्रों में असंतोष गहराने लगा था। इसलिए अंग्रेजी शासन के विरुद्ध स्थानीय आदिवासीयों एवं गैर आदिवासीयों ने 1853 के समय से ही विरोध करना शुरू कर दिया था। बैठक सभा भी संचालित होने लगा था। ज्यों-ज्यों दमन और शोषण बढ़ता स्थानीय लोग में भी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध क्रोध बढ़ता। समय के साथ पूरे जंगल तराई क्षेत्र में अलग-अलग विद्रोहियों जैसे सिद्धू-कान्हू, चानकु महतो, राजवीर सिंह, शाम परगना, बैजल सौरेन, चालो जोलाह, रामा गोप, विजय, गरभू आदि दर्जनों क्रांतिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को संगठित कर अंग्रेजों की गलत नीतियों का प्रतिकार करना शुरू कर दिया था। इनमें सबसे जोरदार विद्रोह का स्वर सिद्धू-कान्हू के नेतृत्व में चलाया जा रहा था, यही कारण था कि सिद्धू-कान्हू पूरे जंगल तराई में सबसे सशक्त विद्रोही बनकर उभरे थे। तमाम विद्रोहियों ने सिद्धू-कान्हू से संपर्क साधा और सिद्धू-कान्हू व उनके भाई-बहनों के नेतृत्व में 30 जून 1855 को पंचकठिया, बरहेट जिला साहेबगंज में पूरे जंगल तराई के तमाम विद्रोहियों व उनके समर्थकों की एक सभा बुलाई। सभा में सिद्धू को उनका नेता चुना गया और उनके नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। उसके बाद हजारों लोग ने सिद्धू-कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता, साहुकारों, व्यापारियों व जमींदारों के खिलाफ हूल - हूल के नारा के साथ सशस्त्र युद्ध का शुरूवात किया, जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथाल विद्रोह का नारा था- "करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो" । 30 जून 1855 की सभा में 5000 से भी ज्यादा आदिवासी एकत्र हुए जिसमें सिद्धू, कान्हू, चाँद एवं भैरव को उनका नेता चुना गया।[4][5]
जबकि अंग्रेजो मे इसका नेतृत्व जनरल लॉयर्ड ने किया जो आधुनिक हथियार और गोला बारूद से परिपूर्ण थे। इस मुठभेड़ में महेश लाल एवं प्रताप नारायण नामक दरोगा की हत्या कर दी गई जिससे अंग्रेजो में भय का माहोल बन गया संतालों के भय से अंग्रेजों ने बचने के लिए पाकुड़ में मार्टिलो टावर का निर्माण कराया गया। अंततः इस मुठभेड़ में संतालों कि हार हुई और सिद्धू-कान्हू को फांसी दे दी गई।
मृत्यु
[संपादित करें]अंग्रेजो के आधुनिक हथियारों के सामने सिद्धू-कान्हू की तीर-कमान वाली सेना टिक नहीं पाई। सिद्धू को अगस्त 1855 में पकड़कर पंचकठिया नामक स्थान पर बरगद के पेड़ पर फांसी दी गई जबकि कान्हू को भोगनाडीह में फांसी दी गई।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "सिद्धू-कान्हू ने फूंका था अंग्रेजों के खिलाफ पहला बिगुल". प्रवासी दुनिया. १ जुलाई २०१३. Archived from the original on 13 दिसंबर 2013. Retrieved ८ दिसम्बर २०१३.
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(help) - ↑ "From Sidhu and Kanhu to Droupadi Murmu – A journey of perseverance". Times of India Blog (in अंग्रेज़ी). 2022-07-24. Retrieved 2022-09-02.
- ↑ "Jharkhand: Story of Sido, Kanhu and their fight for Santhal community". ETV Bharat News. Retrieved 2022-09-02.
- ↑ jharnet.com (2018-06-19). "सिदो-कान्हू कि जीवनी एवं हूल आन्दोलन - Sidhu Kanhu Biography in Hindi". Jharnet.com (in अमेरिकी अंग्रेज़ी). Retrieved 2022-09-02.
- ↑ "सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव अंग्रेजों के खून से शौर्य गाथा लिखने वाले नायक". Hindustan (in hindi). Retrieved 2022-09-02.
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