बाबूलाल मरांडी

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बाबूलाल मरांडी

नेता प्रतिपक्ष, झारखण्ड विधानसभा
पद बहाल
24 फ़रवरी 2020 (2020-02-24) – 16 अक्टूबर 2023 (2023-10-16)
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
पूर्वा धिकारी हेमंत सोरेन

पद बहाल
15 नवम्बर 2000 (2000-11-15) – 17 मार्च 2003 (2003-03-17)
पूर्वा धिकारी कार्यालय स्थापित
उत्तरा धिकारी अर्जुन मुंडा

पद बहाल
सितम्बर 2006 (2006-09) – फ़रवरी 2020 (2020-02)
पूर्वा धिकारी कार्यालय स्थापित
उत्तरा धिकारी कार्यालय समाप्त कर दिया गया

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
2019 (2019)
पूर्वा धिकारी राज कुमार यादव
चुनाव-क्षेत्र धनवार
पद बहाल
2001 (2001) – 2004 (2004)
उत्तरा धिकारी चन्द्र प्रकाश चौधरी
चुनाव-क्षेत्र रामगढ़

पद बहाल
19 March 1998 – 7 November 2000
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

पद बहाल
2004 (2004) – 2014 (2014)
पूर्वा धिकारी तिलकधारी सिंह
उत्तरा धिकारी रविन्द्र कुमार राय
चुनाव-क्षेत्र कोडरमा
पद बहाल
1998 (1998) – 2002 (2002)
पूर्वा धिकारी शिबू सोरेन
उत्तरा धिकारी शिबू सोरेन
चुनाव-क्षेत्र दुमका

जन्म 11 जनवरी 1958 (1958-01-11) (आयु 66)
गिरिडीह, बिहार
(वर्तमान झारखण्ड), भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
(2006 तक), (2020 – वर्तमान)
अन्य राजनीतिक
संबद्धताऐं
झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक)
(2006 – 2020)
जीवन संगी शांति मुर्मू
बच्चे 2
निवास रांची
शैक्षिक सम्बद्धता रांची विश्वविद्यालय
जालस्थल आधिकारिक वेबसाइट

बाबूलाल मरांडी (जन्म 11 जनवरी 1958) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं। वह झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और वर्तमान में झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। वह झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वह 12वीं, 13वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा में मरांडी से सांसद भी रहे। वह 1998 से 2000 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री थे।

प्रारम्भिक जीवन[संपादित करें]

इनका जन्म 11 जनवरी 1958 को वर्तमान झारखण्ड के गिरिडीह जिले के कोदाईबांक नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम छोटे लाल मराण्डी तथा माता का नाम श्रीमती मीना मुर्मू है।

उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से भूगोल में स्नातकोत्तर किया।कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मराण्डी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। संघ से पूरी तरह जुड़ने से पहले मरांडी ने गाँव के स्‍कूल में कुछ सालों तक कार्य किया। इसके बाद वे संघ परिवार से जुड़ गए। उन्‍हें झारखण्ड क्षेत्र के विश्‍व हिन्‍दू परिषद का संगठन सचिव बनाया गया।

1983 में वह दुमका जाकर सन्थाल परगना डिवीजन में कार्य करने लगे। 1989 में इनकी शादी शान्ति देवी से हुई। एक बेटा भी हुआ अनूप मराण्डी, जिसकी 27 अक्टूबर 2007 को झारखण्ड के गिरिडीह क्षेत्र में हुए नक्‍सली हमले में मौत हो गई।

1991 में मराण्डी भाजपा के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 1996 में वह फिर शिबू शोरेन से हारे। इसके बाद भाजपा ने 1998 में उन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान झारखण्ड भाजपा का अध्‍यक्ष बनाया। पार्टी ने उनके नेतृत्‍व में झारखण्ड क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर कब्‍जा किया।

1998 के चुनाव में उन्होंने शिबू शोरेन को सन्थाल से हराकर चुनाव जीता था, जिसके बाद एनडीए की सरकार में बिहार के 4 सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई। इनमें से एक बाबूलाल मराण्डी थे।

2000 में बिहार से अलग होकर झारखण्ड राज्‍य बनने के बाद एनडीए के नेतृत्‍व में बाबूलाल मराण्डी ने राज्‍य की पहली सरकार बनाई।

उस समय के राजनीति विशेषज्ञों के अनुसार मराण्डी राज्‍य को बेहतर तरीके से विकसित कर सकते थे। राज्‍य की सड़कें, औद्योगिक क्षेत्र तथा राँची को ग्रेटर राँची बना सकते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कई सराहनीय कदम उठाये। छात्राओं के लिए साइकिल की व्यवस्था, ग्राम शिक्षा समिति बनाकर स्थानीय विद्यालयों में पारा शिक्षकों की बहाली, आदिवासी छात्र छात्राओं के लिए प्लेन पायलट की प्रशिक्षण, सभी गाँवों, पंचायतों और प्रखण्डों में आवश्यकतानुसार विद्यालयों का निर्माण, राज्य में सड़कें, बिजली और पानी की उचित व्यवस्था के लिए अन्य योजनाओं की शुरुआत की। जनता को विश्वास होने लगा था झारखण्ड राज्य विकास की ओर अग्रेसित हो रहा है। हालाँकि मराण्डी उनके इस विश्‍वास को कम समय में पूरा नहीं कर सके और उन्‍हें जदयू के हस्‍तक्षेप के बाद सत्ता छोड़ अर्जुन मुण्डा को सत्ता सौंपनी पड़ी।

इसके बाद उन्‍होंने राज्‍य में एनडीए को विस्‍तार (विशेषकर राँची में) देने का कार्य किया। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने कोडरमा सीट से चुनाव जीता, जबकि अन्‍य उम्‍मीदवार हार गए। मराण्डी ने 2006 में कोडरमा सीट सहित भाजपा की सदस्‍यता से भी इस्तीफा देकर 'झारखण्ड विकास मोर्चा' नाम से नई राजनीतिक दल बनाया।

भाजपा के 5 विधायक भी भाजपा छोड़कर इसमें शामिल हो गए। इसके बाद कोडरमा उपचुनाव में वे निर्विरोध चुन लिए गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने अपनी पार्टी की ओर से कोडरमा सीट से चुनाव लड़कर बड़ी जीत हासिल की।

राजनीतिक जीवन[संपादित करें]

-1991 में भाजपा के महामंत्री गोविन्दाचार्य ने भाजपा में शामिल किया

-1991 में पहली बार झामुमो के शिबू सोरेन के विरुद्ध दुमका लोकसभा से खड़े हुए, हार मिली।

-1996 में महज 5000 वोट से शिबू सोरेन से हारे

-1996 में पार्टी ने उन्हें वनांचल भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया

-1998 के लोकसभा चुनाव में उन्हें शिबू सोरेन को हराने में सफलता पाई

-1999 के चुनाव में उन्होंने शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन को दुमका से हराया

-1999 में अटल सरकार में उन्हें वन पर्यावरण राज्य मन्त्री बनाया गया

-2000 में झारखण्ड के पहले मुख्यमन्त्री चुने गए

-2003 में दल के आन्तरिक विरोध के कारण उन्हें मुख्यमन्त्री पद त्यागना पड़ा।

-2006 में झारखण्ड विकास मोर्चा नामक दल का गठन किया।

-2019 में धनवार विधानसभा जेवीएम पार्टी से इलेक्शन लड़े और बड़ी जीत हासिल किए इसके बाद श्री मरांडी ने अपनी जेवीएम पार्टी को भारतीय जनता पार्टी में विलय कर बीजेपी में ज्वॉइन हो गए

सन्दर्भ[संपादित करें]