दुमका

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दुमका
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दुमका रेल स्टेशन
दुमका रेल स्टेशन
दुमका दिशोम is located in झारखण्ड
दुमका दिशोम
दुमका दिशोम
झारखंड में स्थिति
निर्देशांक: 24°16′N 87°15′E / 24.27°N 87.25°E / 24.27; 87.25निर्देशांक: 24°16′N 87°15′E / 24.27°N 87.25°E / 24.27; 87.25
ज़िलादुमका ज़िला
प्रान्तझारखंड
देश भारत
ऊँचाई137 मी (449 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल9,70,584
भाषाएँ, संथाली
 • प्रचलितसंथाली
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड814101
दूरभाष कोड06434
वाहन पंजीकरणJH-04
लिंगानुपात974 /
वेबसाइटdumka.nic.in
चित्र:Dumka Sarna temple2.jpg
दुमका में जहेर

दुमका भारत के झारखंड राज्य के दुमका ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]

दुमका जिला, झारखंड, एक प्रशासनिक और न्यायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला है। यह झारखंड राज्य के पश्चिमी हिस्से में स्थित है और राज्य की राजधानी रांची से उत्तर-पश्चिम में स्थित है। दुमका जिला अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मौद्रिकता के लिए भी प्रसिद्ध है।

यहां के स्थानीय लोगों की बोलचाल में हिंदी, संथाली, मुण्डा, और माल पहाड़ी भाषा शामिल है।

दुमका जिला का अर्थात "धूप" का स्थान है और यह नाम इस जगह के अधिकांश समय धूप से भरपूर रहने के कारण पूर्वोत्तर झारखंड को मिला है। यहां की आबादी मुख्य रूप से कृषि, उद्योग, और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ी है।[उद्धरण चाहिए]

विवरण[संपादित करें]

दुमका झारखण्ड राज्य की उपराजधानी है साथ ही यह सन्थाल परगना प्रमंडल का मुख्यालय भी है। दुमका में दस प्रखंड हैं जो निम्नलिखित हैं : दुमका, गोपीकांदर, जामा, जरमुंडी, काठीकुंड, मसलिया, रामगढ़, रानेश्वर, शिकारीपाड़ा और सरैयाहाट। यहां के आदिवासियों में मुख्यत सन्थाल अदिवासी है। यहां पहाड़िया और मेलर घटवार जाति भी पाई जाती है। संथालों की बहुलता के कारण ही इस प्रमंडल का नाम सन्थाल परगना रखा गया है। 1855 में सन्थाल विद्रोह के बाद भागलपुर से काटकर इसे अलग जिला बनाया गया था। समय के साथ प्राचीन दुमका जिला से कटकर 5 और जिले बने है गोड्डा, देवघर, साहेबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा। दुमका से 10 किलोमीटर कुमड़ाबाद नाम का गांव है, जो पूरी तरह नदी और पहाड़ से घेरा हुआ है, एक बड़ा सा राजमहल और आम के बड़े बड़े पेड़ सिर्फ इसी गांव में देखने को मिलेगा, सम्पूर्ण प्राकृतिक और मन को हरने वाला जगह है, यह बहुत दूर दूर से सैलानी आते है, ठण्ड के समय और नववर्ष में पिकनिक के लिए बहुत अच्छा जगह है।

दुमका शब्द की उत्पत्ति दामिन -ई- कोह (अर्थात: पहाड़ का आंचल) शब्द से माना जाता है।[उद्धरण चाहिए]

इतिहास[संपादित करें]

  • पाषाणकाल- खनन के प्राप्त औजारों से पता चला है कि यहां के मूल निवासी मोन-ख्मेर और मुंडा थे।
  • प्राचीन इतिहास- इस जिले प्राचीन निवास पहाड़ी लोग थे। ग्रीक यात्री मेगास्थानीज ने इन्हें माली नाम से संबोधित किया।
  • मध्यकालीन इतिहास- राजमहल की पहाड़ियों के घिरे होने के कारण दुमका जितना दुर्गम रहा है उतना है आर्थिक दृष्ट से अहम भी. 1539 में चौसा के युद्ध में शेरशाह सूरी की जीत के बाद यह क्षेत्र अफगानों के कब्जे में आ गया, लेकिन जब हुसैन कुली खान ने बंगाल पर जीत हासिल की तो यह क्षेत्र मुगल सम्राट अकबर के प्रभुत्व में आ गया।
  • अंग्रेजी शासन- अंग्रेज प्रतिनिधि डॉ गैबरियल बोकलिटन ने शाहजहां से एक फरमान हासिल किया।
  • 1742-1751- इस दौरान मराठा शासक राघोजी भोसले और पेशवा बालाजी राव यहां आते रहे.
  • 1745: संथाल परगना के जंगलों और राजमहल की पहाड़ियों से राघोजी भोसले का दुमका में प्रवेश.
  • 1769: बंगाल के बीरभूम जिले के अंतर्गत दुमका घाटवाली पुलिस थाना रह चुका है।
  • 1775: दुमका को भागलपुर संभाग के अंतर्गत शामिल किया गया।
  • 1865: दुमका को स्वतंत्र जिला बनाया गया।
  • 1872: दुमका को संथाल परगना का मुख्यालय बनाया गया।
  • 1889: यूरोपीय ईसाई उपदेशकों की गतिविधियाँ हुई।
  • 1902: पहली नगरपालिका की स्थापना हुई।
  • 1920: बसें व कार यहाँ चलने शुरु हुए।
  • 1983: दुमका संथाल परगना का मुख्यालय बना।
  • 2000: दुमका झारखंड राज्य की उप-राजधानी बना।

लोग एवं संस्कृति[संपादित करें]

शहरी आबादी भारत के किसी भी छोटे शहर की तरह की बसते और पर्व मनाते है। शहर में हर जाति धर्म और समुदाय के लोग बस्ते है। और आधुनिक जीवन जीते है। परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में मुख्यतः आदिवासी समाज के लोगो का बोलबाला है। जिनमे सन्थाल और पहाड़िया प्रमुख रहे हैं। यहाँ के आदिवासी भगवान सिंगबोंगा की पूजा करते है। ज्यादातर क्षेत्र वन से घिरे होने के वजह से यहाँ के लोग जंगलो पर आश्रित है, आदिवासियों द्वारा मुख्य रूप से मनाए जाने वाले पर्व में बन्धना, रास पर्व, सकरात, सोहराई आदि है।

पर्यटन[संपादित करें]

दुमका में पर्यटन के दृष्टिकोण से कई महत्वपूर्ण स्थान है। जैसे -

  • वासुकिनाथ मन्दिर, मलूटी मन्दिर, मसानजोर डेम, बास्कीचक, सृष्टि पार्क।
  • वासुकिनाथ दुमका शहर से 25 किमी की दूरी पर अवस्थित है। यहाँ हरवर्ष सावन के महिने में देश विदेश से शिव भक्त आते है और गंगा जल अर्पित करते है।
  • मलूटी मन्दिर - यह मंदिर दुमका - तारापीठ, रामपुरहाट मार्ग मे अवस्थित है। मलूटी को मंदिरों का गांव भी कहा जाता है। यहां एक समय मे 108 मन्दिर और 108 तालाब थे।
  • यहां का मुख्य मंदिर माँ मौलिक्षा को समर्पित है जिसे माँ तारा(तारापीठ, रामपुरहाट प.बंगाल)की बहन माना जाता है। आज अधिकांश मन्दिर जीर्ण शीर्ण अवस्था मे है।
  • मसानजोर डेम या कनाडा डेम दुमका शहर से 25km की दूरी पर मयूराक्षी नदी पर बनाया गया है। यहां की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है।

शिक्षा[संपादित करें]

दुमका में कई प्रमुख शिक्षण संस्थान है, परन्तु अभी भी यहाँ एक ऐसा शिक्षण संस्थान नही है जिसे देश भर जाना जाता हो। यहां अंग्रेजों द्वारा निर्मित जिला स्कूल और 1954 में निर्मित संताल परगना कॉलेज (SP College) है। यहां सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के साथ साथ एक इंजीनियरिंग कॉलेज, 2 पॉलिटेक्निक, मिनी टूल रूम है। यहां एक मेडीकल कॉलेज भी का निर्माण किया जा रहा है। प्रमुख संस्थान - SP कॉलेज, AN Iकॉलेज, SP महिला कॉलेज, B.Ed कॉलेज, सिदो कान्हू विश्वविद्यालय, दुमका इंजीनियरिंग कॉलेज, राजकीय पॉलिटेक्निक, महिला पॉलिटेक्निक, औधौगिक प्रशिक्षण संस्थान(ITI), मेडिकल कॉलेज (निर्माणाधीन),डिसेंट चिल्ड्रेन स्कूल फसियाडंगाल,दुमका।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Tourism and Its Prospects in Bihar and Jharkhand Archived 2013-04-11 at the वेबैक मशीन," Kamal Shankar Srivastava, Sangeeta Prakashan, 2003
  2. "The district gazetteer of Jharkhand," SC Bhatt, Gyan Publishing House, 2002