जगन्‍नाथ सिंह (क्रांतिकारी)

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जगन्‍नाथ सिंह (जिन्हें जगन्‍नाथ पातर भी कहा जाता है; 27 सितंबर 1744 - 5 अप्रैल 1790) एक भारतीय क्रांतिकारी और चुआड़ विद्रोह के नेता थे। वह 1766 में बंगाल प्रेसीडेंसी में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह करने वाले पहले व्यक्ति थे।[1][2]

जगन्‍नाथ सिंह

अहम भूमिका[संपादित करें]

जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहली बार 1765 में बंगाल के जंगल महल जिले में राजस्व एकत्र करना शुरू किया, तो चुआरों (भूमिजों) ने इनकार कर दिया और उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया। 1766 में, जगन्‍नाथ सिंह के नेतृत्व में जंगल महल के धलभूम, मानभूम, मिदनापुर और बाँकुड़ा जिलों में यह आदिवासी विद्रोह शुरू हुआ।[3][4][5]

जंगल महलों की भूमिजों को चुआर (अर्थात् सुअर) कहा जाता था। उनमें से कुछ जमींदार बन गए, और खुद को राजा या सरदार कहते थे। ब्रिटिश शासन के दौरान उनके विद्रोहों को चुआड़ विद्रोह कहा गया। जगन्‍नाथ सिंह धलभूम के घाटशिला में दामपाड़ा के जमींदार थे।[6] 1766 में, उन्होंने अपने 5,000 अनुयायियों के साथ ब्रिटिश कंपनी द्वारा बढ़े हुए राजस्व संग्रह के खिलाफ विद्रोह शुरू किया। जगन्‍नाथ ने जंगल महलों के अन्य भूमिज जमींदारों जैसे सुबल सिंह, श्याम गंजम सिंह, लक्ष्मण सिंह, आदि की सहायता से विद्रोह का नेतृत्व किया। बाद में, उनके बेटे बैद्यनाथ सिंह और पोते रघुनाथ सिंह ने विद्रोह का नेतृत्व किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।[7][8][9]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Das, Binod Sankar (1984). Changing Profile of the Frontier Bengal, 1751-1833 (अंग्रेज़ी में). Mittal Publications.
  2. Mahto, Shailendra (2021-01-01). Jharkhand Mein Vidroh Ka Itihas. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-90366-63-7.
  3. "भूमिजों ने किया था चुआड़ विद्रोह, कुड़मी श्रेय ना लें". Prabhat Khabar. अभिगमन तिथि 2022-10-10.
  4. Journal of Historical Research (अंग्रेज़ी में). Department of History, University of Bihar, Ranchi College. 1959.
  5. Singh, K. S. (2012). Tribal Movements in India: Visions of Dr. K.S. Singh (अंग्रेज़ी में). Manohar Publishers & Distributors. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7304-972-9.
  6. Journal of Historical Research (अंग्रेज़ी में). Department of History, University of Bihar, Ranchi College. 1959.
  7. Das, Binod Sankar (1973). Civil Rebellion in the Frontier Bengal, 1760-1805 (अंग्रेज़ी में). Punthi Pustak.
  8. Pravīra (2001). Jhārakhaṇḍa prophāila. Abhiyāna.
  9. Jha, Jagdish Chandra (1967). The Bhumij Revolt, 1832-33: Ganga Narain's Hangama Or Turmoil (अंग्रेज़ी में). Munshiram Manoharlal.