सहरिया

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सहरिया क्रांति की शुरुआत एक ऐसी शुरुआत है जिसके शुरू करने का कोई विशेष उद्देश्य नहीं था इसकी शुरुआत करने का श्रेय श्री संजय बेचैन जी को जाता है एवं इसके सहयोगी विजय सहरिया ,कल्याण सहरिया, अवतार भाई,भोलाराम सहरिया(B.R. SAMARYA) समय की परिस्थितियों को देखते हुए सहरियाओ पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए अपने समाज को एकजुट कर समाज को जागरुक कर एक दूसरे के साथ मिलकर समाज समाज विकास का कार्य करना

निवास क्षेत्र[संपादित करें]

ये जनजाति मध्य प्रदेश के मध्य भारत के पठार में निवास करती है। ग्वालियर-चम्बल संभाग के ज़िलों जैसे श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर में सहरिया आदिवसियों की बड़ी आबादी है। यह जनजाति राजस्थान के बारन जिले में भी पाई जाती है। सहरिया लोग खुद को भील आदिवासियों के सहोदर भाई मानते है [1]

सहरिया एक प्रिमिटिव ट्राइब है और इनके लिए स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाना आज भी एक चुनौती है. कुपोषण एक बेहद गंभीर समस्या है जिससे सहरिया ग्रस्त हैं. हाल के वर्षों में सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिल कर सहरिया आदिवासी बहुल गाँवों में कुपोषण के निदान और स्वास्थ्य सम्बन्धी मसलों पर बेहतर काम के लिए कोशिश की है।


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Chaturvedi, Sachin; Mathur, Dr Taruna; Pundhir, Vineeta (2021-06-05). Kalayatra Magazine Issue 2 June 2021. Anuragyam.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]