पटेलिया

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पटेलिया
विशेष निवासक्षेत्र
 भारत

पटेलिया समाज, भारत की एक प्रमुख जनजाति [1] हैं।

निवास क्षेत्र[संपादित करें]

झाबुआ ,अलिराजपुर ,धार ,देवास, इंदौर,रतलाम और गुना शिवपुरी एवं पन्ना जिले के कुछ भाग एवं राजस्थान , गुजरात के कुछ जिले दाहोद, महिसागर, मैं निवास करते हैं ।

बस्तियां[संपादित करें]

पटेलिया समाज में भी मुख्यगोत्र और गोत्र के पेटागोत्र होते हैं।

जैसे की,

-> परमार

* पेटा गोत्र *

- धारवया परमार,

- सोतरिया परमार,

- कहलिया परमार,

- बोरियाला परमार,

- कुटूमबिया परमार,

- सिंगोडिया परमार,

- भगतिया परमार,

- टांडिया परमार,

- पिपरिया परमार,

- गोहरिया परमार,

- डूडवा परमार,

- दया परमार,

- गहूसरिया परमार.

-> रोज़

-> गोहिल

-> डामोर

-> राठौड़

* पेटा गोत्र *

- छोटा राठौड,

- बड़ा राठौड.

-> बामानिया

* पेटा गोत्र *

- मोटा बामनिया,

- नाना बामनिया,

- जनविया बड़ा बामनिया,

- बेहरा बामनिया,

      - मरेठा बामनिया

- सुरमिया छोटा बामनिया.

-> भाभोर

* पेटा गोत्र *

- बुडिया भाभोर,

- भंगी भाभोर.

-> भूरा

-> बारीया

-> भूरिया

-> हीहोर

-> नलवाया

-> पाल

-> कोचरा

-> खपेड

-> सोलंकी

* पेटा गोत्र *

- होलेकड़ा

-> कटारा

-> हटीला

-> पसाया

-> मोरी

- > ग़मार

-> गडिया

-> देवल

-> चोपड़ा

-> होयडा

-> चौहान

* पेटा गोत्र *

- बेड़ियां सुवाण,

- बावड़ियां सुवाण

-> झणिया

-> चोयडा

-> जादवा

-> राठवा

-> मावी

-> वागुल

-> धुंध

-> धाक (धाकिया)

-> डुडवा

-> संगोड

-> बेहरा

-> कलमी

-> डांगी

-> सुनार

-> गोहरी

और भी बहुत सारी गोत्र है। और गोत्र की भी पेटा गोत्र है।

== भोजन == शाकाहारी व मांसाहारी भोजन का सेवन करते है परन्तु कुछ गौत्र में केवल शाकाहारी भोजन।

== वस्त्र == पुरुष: छापा,धोती,कमीज स्त्रियां: घाघरा,लुगड़ा,

समाज[संपादित करें]

पटेलिया'(पटलिया) शब्द की उत्पत्ति पत + लिया दो शब्दो से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ है पंडित से लिया। पुरानी कहावतों के अनुसार खातरा नमक व्यक्ति की लड़की से कोई शादी नही कर रहा था और ना ही कोई उसके साथ शादी करने को तैयार था तब किसी राजदास नमक पण्डित ने उसकी लड़की से शादी रचाने का प्रस्ताव रखा जिसमे उसने कहा था कि किसी भी शुभ कार्य का शुभारंभ जैसे विवाह,गृहप्रवेश, शौक समारोह आदि बिना पंडित की उपस्थिति में नही करोगे। तब खतरा नमक व्यक्ति ने राजदास नामक पण्डित से वचन लिया था की वह हर शुभ कार्य को पंडित की उपस्थिति में नहीं करेंगे। इसी लिए राजदास नमक पंडित ने उनके कुल को अलग पहचान देने तथा वचन का आजीवन पालन करने के लिए खतरा नमक व्यक्ति के परिवार को अलग पहचान दी।

पत+लिया (पटलिया) अर्थात् - पंडित से लिया। 

खातरा नमक व्यक्ती जिसके कुल को राजदास ने पटलिया की संज्ञा दी थी आज भी सभी जानते है की आदिवासी समाज में केवल पटलिया अर्थात खातरा के कुल के लोग ही शादी ब्याह, समारोह , आदि में पण्डित को बुलाते है।

पटेलिया ज्यादातर गुजरात के दाहोद महिसागर पंचमहल जिलों और मध्य प्रदेश के झाबुआ , धार , इंदौर , देवास , गुना जिलों में वितरित किए जाते हैं । वे आपस में पटेलिया बोली (गुजराती), मालवी और दूसरों से हिंदी बोलते हैं।

पटेलिया का पारंपरिक व्यवसाय कृषि है । वे उच्च पदों पर विभिन्न प्रकार की सरकारी सेवाओं में हैं। कृषि और सेवाओं के अलावा, उनमें से कई दिहाड़ी मजदूर के रूप में भी काम करते हैं । कृषि कमाई का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

इन्हें देखे[संपादित करें]

  1. साँचा:Https://www.mppscalert.com/2020/09/major-tribes-and-dialects-of-madhya.html?m=1