नेपाल

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सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल
ध्वज
राष्ट्रवाक्य: जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी  (संस्कृत)
"माँ एवं मातृभूमि स्वर्ग से भी महान होती हैं"
'राष्ट्रगान: 'श्रीमान् गम्भीर नेपाली
सैकड़ों तरह के फूल हम
अवस्थिति: नेपाल
राजधानीकाठमाण्डू
27°42′N 85°19′E / 27.700°N 85.317°E / 27.700; 85.317
सबसे बड़ा नगर काठमाण्डु
राजभाषा(एँ) नेपाली (आधिकारिक) खस कुरा
धर्म हिन्दू(81.3%), बौद्ध(9.0%), इस्लाम(4.4%), किरात(3.1%), ईसाई(1.4%), प्रकृति(0.5%), बाकी धर्म(0.3%)
निवासी नेपाली
सरकार लोकतन्त्र
 -  राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल
 -  प्रधानमंत्री प्रचण्डे
एकीकरण दिसम्बर 21, 1768
 -  गणराज्य दिसम्बर 28, 2007 
क्षेत्रफल
 -  कुल 14,75,16 km2
 -  जल (%) २.८
जनसंख्या
 -  2021 जनगणना 2,91,92,480(सन् 2021)
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) 2006 प्राक्कलन
 -  कुल $4818 करोड़ (87 वाँ)
 -  प्रति व्यक्ति ₹१,२२,४४४२५ (164वाँ)
गिनी (2010)३२.८[1]
मध्यम
मानव विकास सूचकांक (2013)Steady 0.540[2]
मध्यम · 145वाँ
मुद्रा रुपैयाँ (एनपीआर)
समय मण्डल नेपाल मानक समय (यू॰टी॰सी॰+5:45)
 -  ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰) - (यू॰टी॰सी॰+5:45)
दूरभाष कूट 977
इंटरनेट टीएलडी .एनपी

नेपाल (आधिकारिक रूप में, सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपाल [3]) एक बहुत ख़ूबसूरत दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के 81.3 प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व के प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है।

एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की शृंखलाएँँ अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची 14 हिम शृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, महेन्द्रनगर आदि है।

वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई सन्धियों में नेपाल को उस समय (1814 में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इण्डिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्यपश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारम्भ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अन्ततः 2008 में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फ़ुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् 2006 में राजा के अधिकारों को अत्यन्त सीमित कर दिया गया था।

नेपाल एशिया का हिस्सा है। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पाँचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शान्ति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है।

'नेपाल' शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में विद्वानों की विभिन्न धारणाएँ हैं। "नेपाल" शब्द की उत्त्पत्ति के बारे में ठोस प्रमाण कुछ नहीं है, लेकिन एक प्रसिद्ध विश्वास अनुसार यह शब्द 'ने' ऋषि तथा पाल (गुफा) मिलकर बना है। माना जाता है कि एक समय नेपाल की राजधानी काठमांडू 'ने' ऋषि का तपस्या स्थल था। 'ने' मुनि द्वारा पालित होने के कारण इस भूखण्ड का नाम नेपाल पड़ा, ऐसा कहा जाता है। तिब्बती भाषा में 'ने' का अर्थ 'मध्य' और 'पा' का अर्थ 'देश' होता है। तिब्बती लोग 'नेपाल' को 'नेपा' ही कहते हैं। 'नेपाल' और 'नेवार' शब्द की समानता के आधार पर डॉ॰ ग्रियर्सन और यंग ने एक ही मूल शब्द से दोनों की व्युत्पत्ति होने का अनुमान किया है। टर्नर ने नेपाल, नेवार, अथवा नेवार, नेपाल दोनों स्थिति को स्वीकार किया है। 'नेपाल' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में किया है। उस काल में बिहार में जो मागधी भाषा प्रचलित थी उसमें 'र' का उच्चारण नहीं होता था। सम्राट् अशोक के शिलालेखों में 'राजा' के स्थान पर 'लाजा' शब्द व्यवहार हुआ है। अत: नेपार, नेबार, नेवार इस प्रकार विकास हुआ होगा।

चांगु नारायण मंदिर

इतिहास[संपादित करें]

गोरखाली

हिमालय क्षेत्र में मनुष्यों का आगमन लगभग 9,000 वर्ष पहले होने के तथ्य की पुष्टि काठमांडू उपत्यका में पाये गये नव पाषाण औजारों से होती है। सम्भवतः तिब्बती-बर्माई मूल के लोग नेपाल में 2,500 वर्ष पूर्व आ चुके थे।[4] 5,500 ईसा पूर्व महाभारत काल मेंं जब कुन्ती पुत्र पाँचों पाण्डव स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर रहे थे तभी पाण्डुपुत्र भीम ने भगवान महादेव को दर्शन देने हेतु विनती की। तभी भगवान शिवजी ने उन्हे दर्शन एक लिंग के रुप मे दिये जो आज "पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग " के नाम से जाना जाता है। 1,500 ईसा पूर्व के आसपास हिन्द-आर्यन जातियों ने काठमांडू उपत्यका में प्रवेश किया।[उद्धरण चाहिए] करीब 1,000 ईसा पूर्व में छोटे-छोटे राज्य और राज्य संगठन बनें। नेपाल स्थित जनकपुर में भगवान श्रीरामपत्नी माता सिताजी का जन्म 7,500 ईसा पुर्व हुआ।सिद्धार्थ गौतम (ईसापूर्व 563–483) शाक्य वंश के राजकुमार थे, उनका जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था, जिन्होंने अपना राज-पाट त्याग कर तपस्वी का जीवन निर्वाह किया और वह बुद्ध बन गए। चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में कश्मीर , नेपाल , बंगाल और मालवा भी सम्मिलित थे । नेपाल अशोक के काल में मौर्य साम्राज्य में था । अतः इसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने ही विजित किया था क्योंकि बिन्दुसार ने किसी क्षेत्र को विजित किया हो इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है ।[5][6] नेपाल पर गुप्तों का अधिकार चंद्रगुप्त द्वितीय के काल में हुआ था ।[7] पूर्व में नेपाल भारत का हिस्सा था , रामायण काल के महाराज दशरथ के रानी कैकई कैकई राज्य के राजा की पुत्री थी । यह कैकई राज्य वर्तमान नेपाल का ही एक भू - भाग था । सीता की जन्म स्थली तथा राजा जनक का राज्य नेपाल में ही था । इसके प्रमाण आज भी नेपाल में है ।[8]

गोपाल व‌ंस नेपालमा सबसे पहले राज करने वाला शासक था । यिनके वादमेँ किरात शासकने राज किया। इस क्षेत्र में 5वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आकर लिच्छवियों के राज्य की स्थापना हुई। 8वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिच्छवि वंश का अस्त हो गया और सन् 879 से नेवार (नेपाल की एक जाति) युग का उदय हुआ, फिर भी इन लोगों का नियन्त्रण देशभर में कितना हुआ था, इसका आकलन कर पाना कठिन है। 11वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दक्षिण भारत से आए चालुक्य साम्राज्य का प्रभाव नेपाल के दक्षिणी भूभाग में दिखा। चालुक्यों के प्रभाव में आकर उस समय राजाओं ने बौद्ध धर्म को छोड़कर हिन्दू धर्म का समर्थन किया और नेपाल में धार्मिक परिवर्तन होने लगा।

पाटन का हिन्दू मन्दिर, तीन प्राचीन राज्यों में से एक राज्य की राजधानी
१९२० की नेपाली राजशाही

13वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में संस्कृत शब्द मल्ल का थर वाले वंश का उदय होने लगा। 200 वर्ष में इन राजाओं ने शक्ति एकजुट की। 14वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में देश का बहुत ज्यादा भाग एकीकृत राज्य के अधीन में गया। लेकिन यह एकीकरण कम समय तक ही टिक सका: 1482 में यह राज्य तीन भाग में विभाजित हो गया - कान्तिपुर, ललितपुर और भक्तपुर – जिसके बीच मे शताव्दियौं तक मेल नही हो सका।

1765 में, गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल के छोटे-छोटे बाइसे व चोबिसे राज्य के उपर चढ़ाई करते हुए एकीकृत किया, बहुत ज्यादा रक्तरंजित लड़ाइयों के पश्चात् उन्होंने 3 वर्ष बाद कान्तीपुर, पाटनभादगाँउ के राजाओं को हराया और अपने राज्य का नाम गोरखा से नेपाल में परिवर्तित किया। तथापि उन्हे कान्तिपुर विजय में कोई युद्ध नही करना पड़ा। वास्तव में, उस समय इन्द्रजात्रा पर्व में कान्तिपुर की सभी जनता फ़सल के देवता भगवान इन्द्र की पूजा और महोत्सव (जात्रा) मना रहे थे, जब पृथ्वी नारायण शाह ने अपनी सेना लेकर धावा बोला और सिंहासन पर कब्जा कर लिया। इस घटना को आधुनिक नेपाल का जन्म भी कहते है।

तिब्बत से हिमाली (हिमालयी) मार्ग के नियन्त्रण के लिए हुआ विवाद और उसके पश्चात युद्ध में तिब्बत की सहायता के लिए चीन के आने के बाद नेपाल पीछे हट गया। नेपाल की सीमा के नज़दीक का छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के कारण से शुरु हुआ विवाद ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ दुश्मनी का कारण बना। इसी वजह से 1814–16 रक्तरंजित एंग्लो-नेपाल युद्ध हो गया, जिसमें नेपाल को अपनी दो तिहाई भूभाग से हाथ धोना पड़ा लेकिन अपनी सार्वभौमसत्ता और स्वतन्त्रता को कायम रखा। दक्षिण एशियाई मुल्कों में" यही एक खण्ड है जो कभी भी किसी बाहरी सामन्त (उपनिवेशों) के अधीन में नही आया'। विलायत से लड़ने में पश्चिम में सतलुज से पुर्व में तीस्ता नदी तक फैला हुआ विशाल नेपाल सुगौली सन्धि के बाद पश्चिम में महाकाली और मेची नदियों के बीच सिमट गया लेकिन अपनी स्वाधीनता को बचाए रखने में नेपाल सफल रहा, बाद मे अंग्रेजो ने 1822 में मेची नदी व राप्ती नदी के बीच की तराई का हिस्सा नेपाल को वापस किया उसी तरह 1860 में राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर से ख़ुश होकर 'भारतीय सैनिक बिद्रोह को कूचलने मे नेपाली सेना का भरपूर सहयोग के बदले अंग्रेजो ने राप्तीनदी से महाकाली नदी के बीच का तराई का थोड़ा और हिस्सा नेपाल को लौटाया। लेकिन सुगौली सन्धी के बाद नेपाल ने जमीन का बहुत बडा हिस्सा गँवा दिया, यह क्षेत्र अभी उत्तराखण्ड राज्य और हिमाचल प्रदेश और पंजाब पहाड़ी राज्य में सम्मिलित है। पूर्व में दार्जिलिंग और उसके आसपास का नेपाली मूल के लोगों का भूमि (जो अब पश्चिम बंगाल मे है) भी ब्रिटिश इण्डिया के अधीन मे हो गया तथा नेपाल का सिक्किम पर प्रभाव और शक्ति भी नेपाल को त्यागने पड़े।

राज परिवार व भारदारो के बीच गुटबन्दी के कारण युद्ध के बाद स्थायित्व कायम हुआ। सन् 1846 में शासन कर रही रानी का सेनानायक जंगबहादुर राणा को पदच्युत करने के षड्यन्त्र का खुलासा होने से कोतपर्व नाम का नरसंहार हुवा। हथियारधारी सेना व रानी के प्रति वफादार भाइ-भारदारो के बीच मारकाट चलने से देश के सयौं राजखलाक, भारदारलोग व दूसरे रजवाड़ों की हत्या हुई। जंगबहादुर की जीत के बाद राणा ख़ानदान उन्होंने सुरुकिया व राणा शासन लागु किया। राजा को नाममात्र में सीमित किया व प्रधानमन्त्री पद को शक्तिशाली वंशानुगत किया गया। राणाशासक पूर्णनिष्ठा के साथ ब्रिटिश के पक्ष में रहते थे व ब्रिटिश शासक को 1857 की सेपोई रेबेल्योन (प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम), व बाद में दोनो विश्व युद्धसहयोग किया था। सन 1923 में यूनाइटेड किंगडम व नेपाल बीच आधिकारिक रूप में मित्रता के समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें नेपाल की स्वतन्त्रता को यूनाइटेड किंगडम ने स्वीकार किया। दक्षिण एशियाई मुल्कों में पहला, नेपाली राजदूतावास ब्रिटेन की राजधानी लन्दन मे खुल गया।

1940 दशक के उत्तरार्ध में लोकतन्त्र-समर्थित आन्दोलनों का उदय होने लगा व राजनैतिक पार्टियां राणा शासन के विरुद्ध हो गईं। उसी समय चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया जिसकी वजह से बढ़ती हुई सैनिक गतिविधियों को टालने के लिए भारत नेपाल की स्थायित्व पर चाख बनाने लगा। फलस्वरुप राजा त्रिभुवन को भारत ने समर्थन किया 1951 में सत्ता लेने में सहयोग किया, नई सरकार का निर्माण हो गया, जिसमें ज्यादा आन्दोलनकारी नेपाली कांग्रेस पार्टी के लोगों की सहभागिता थी। राजा व सरकार के बीच वर्षों की शक्ति खींचातानी के पश्चात्, 1959 में राजा महेन्द्र ने लोकतान्त्रिक अभ्यास अन्त किया व "निर्दलीय" पंचायत व्यवस्था लागू करके राज किया। सन् 1989 के "जन आन्दोलन" ने राजतन्त्र को संवैधानिक सुधार करने व बहुदलीय संसद बनाने का वातावरण बन गया सन 1990 में कृष्णप्रसाद भट्टराई अन्तरिम सरकार के प्रधानमन्त्री बन गए, नये संविधान का निर्माण हुआ राजा बीरेन्द्र ने 1990 में नेपाल के इतिहास में दूसरा प्रजातन्त्रिक बहुदलीय संविधान जारी किया[9] व अन्तरिम सरकार ने संसद के लिए प्रजातान्त्रिक चुनाव करवाए। नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्र के दूसरे प्रजातन्त्रिक चुनाव में बहुमत प्राप्त किया व गिरिजा प्रसाद कोइराला प्रधानमन्त्री बने।

इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से नेपाल में माओवादियों का आन्दोलन तेज होता गया। अन्त में सन् 2008 में राजा ज्ञानेन्द्र ने प्रजातान्त्रिक निर्वाचन करवाए जिसमें माओवादियों को बहुमत मिला और प्रचण्ड नेपाल के प्रधानमन्त्री बने और नेपाली कांग्रेस नेता रामबरन यादव ने राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला।

भूगोल[संपादित करें]

मानचित्र पर नेपाल का आकार एक तिरछे सामानान्तर चतुर्भुज का है। नेपाल की कुल लम्बाई करीब 800 किलोमीटर और चौड़ाई 200 किलोमीटर है। नेपाल का कुल क्षेत्रफल 1,47,516 वर्ग किलोमीटर है। नेपाल भौगोलिक रूप से तीन भागों में विभाजित है– पर्वतीय क्षेत्र, शिवालिक क्षेत्र और तराई क्षेत्र। साथ में 'भित्री मधेस' कहलाने वाले उपत्यकाओं का एक समूह पहाड़ी क्षेत्र के महाभारत पर्वत शृंखला व चुरिया शृंखला के बीच स्थित है। यह क्षेत्र पहाड़ व तराई के बीच में स्थित है। हिमाली पहाड़ी व तराई क्षेत्र पूर्व-पश्चिम दिशा मे देशभर में फैले हुए है और यिनी क्षेत्र को नेपाल की प्रमुख नदियों ने जगह-जगह पर विभाजन किया है।

नेपाल का उच्चावच दिखाता नक्शा
सुक्खा हिमाली पृष्ठभूमि

भारत के साथ जुड़ा हुआ तराई फांट भारतीय-गंगा के मैदान का उत्तरी भाग है। इस भाग की सिंचाई तथा भरण-पोषण मे तीन नदियों का मुख्य योगदान है: कोशी, गण्डकी (भारत मे गण्डक नदी) और कर्णाली नदी। इस भूभाग की जलवायु उष्ण और संतृप्त (आर्द्र) है।

पहाड़ी भूभाग मे 1,000 लेकर 4,000 मीटर तक की ऊँचाई के पर्वत पड़ते हैं। इस क्षेत्र में महाभारत लेख व शिवालिक (चुरिया) नाम की दो मुख्य पर्वत शृंखलाएँ हैं। पहाड़ी क्षेत्र मे ही काठमाणृडू उपत्यका, पोखरा उपत्यका, सुर्खेत उपत्यका के साथ टार, बेसी, पाटन माडी कहे जाने वाले बहुत से उपत्यका पड़ते है। यह उपत्यका नेपाल की सबसे उर्वर भूमि है तथा काठमांडू उपत्यका नेपाल का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। पहाड़ी क्षेत्र की उपत्यका को छोड़ कर 2,500 मीटर (8,200 फुट) की ऊँचाई पर जनघनत्व बहुत कम है।

हिमाली क्षेत्र में संसार की सबसे ऊँची हिम शृंखलाएँ पड़ती हैं। इस क्षेत्र की उत्तर में चीन की सीमा के पास में संसार का सर्वोच्च शिखर, ऐवरेस्ट (सगरमाथा) 8,848 मीटर (29,035 फुट) अवस्थित है। संसार की 8,000 मीटर से ऊँची 14 चोटियों में से 8 नेपाल की हिमालयी क्षेत्र में पड़ती हैं। संसार का तीसरा सर्वोच्च शिखर कंचनजंघा, भी इसी हिमालयी क्षेत्र मे पड़ता है।

जलवायु[संपादित करें]

नेपाल मे पाँच मौसमी क्षेत्र है जो ऊंचाई के साथ कुछ मात्रा में मेल खाते हैं। उष्णकटिबन्धीय तथा उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र 1,200 मीटर (३,९४० फ़ी) से नीचे, शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र 1,200 लेकर 2,400 मीटर (३,९००–७,८७५ फ़ी), ठण्डा क्षेत्र 2,400 से लेकर 3,600 मीटर (७,८७५–११,८०० फ़ी), उप-आर्कटिक क्षेत्र ३,६०० से लेकर ४,४०० मीटर (११,८००–१४,४०० फ़ी), व आर्कटिक क्षेत्र ४,४०० मीटर (१४,४०० फ़ीट) से ऊपर। नेपाल मे पाँच ऋतुएँ होती हैं: उष्म, मनसून, अटम, शिषिर व बसन्त। हिमालय मध्य एशिया से बहने वाली ठण्डी हवा को नेपाल के अन्दर जाने से रोकता है तथा मानसून की वायु का उत्तरी परिधि के रूप में पानी काम करताहै। नेपाल व बांग्लादेश की सीमा नहीं जुड़ती है फिर भी ये दोनों राष्ट्र 21 किलोमीटर (13 मील) की एक सँकरी चिकेन्स् नेक (मुर्गे की गर्दन) कहे जाने वाले क्षेत्र से अलग है। इस क्षेत्र को स्वतन्त्र-व्यापार क्षेत्र बनाने का प्रयास हो रहा है।

संसार का सर्वोच्च शिखर सगरमाथा (एवरेस्ट) नेपाल व तिब्बती सीमा पर अवस्थित है। इस हिमालकी नेपाल में पडने वाले दक्षिण-पूर्वी रिज (ridge) प्राविधिक रूपमे चढना सहज माना जाता है। जिसकी वजहसे प्रत्येक वर्ष इस स्थान मे बहुत पर्यटक जाते है। अन्य चढ़े जाने वाले हिमशिखर मे अन्नपूर्णा (१,२,३,४) अन्नपूर्णा श्रखला मे पड़ता है।

अर्थव्यवस्था[संपादित करें]

हिमालयके तले में खेती

कृषि जनसंख्या के ७६% रोज़गार का स्रोत है और कुल ग्राह्यस्थ उत्पादन का ३९% योगदान करता है और सेवा क्षेत्र ३९% साथ में उद्योग २१% आय का स्रोत है। देश की उत्तरी दो-तिहाई भाग में पहाडी और हिमालयी भूभाग सडकें, पुल तथा अन्य संरचना निर्माण करने में कठिन और महंगा बनाता है। सन् २००३ तक पिच -सडकों की कुल लम्बाई ८,५०० किमी से कुछ ज़्यादा और दक्षिण में रेल्वे-लाइन की कुल लम्बाई ५९ किमी मात्र है। ४८ धावनमार्ग और उनमे से १७ पिचहोनेसे हवाईमार्गकी स्थिति बहुत अच्छी है। यहाँ ज़्यादा में प्रति १२ व्यक्तिके लिए १ टेलिफ़ोन सुविधा उपल्ब्ध है; तारजडित सेवा देशभर में है लेकिन शहरों और जिला मुख्यालयों में ज़्यादा केन्द्रित है; सेवामें जनताकी पहुँच बढने और सस्ता होते जानेसे मोबाइल (या तार-रहित) सेवाकी स्थिति देशभर बहुत अच्छा है। सन् २००५ मे १,७५,००० इन्टरनेट जडाने (connections) थे, लेकिन "संकटकाल" लागू होनेकेपश्चात् कुछ समय सेवा अवरूद्ध होगयी था। कुछ अन्योल बाद नेपालकी दुसरी बृहत जनआन्दोलनने राजाकी निरंकुश अधिकार समाप्त करनेके पश्चात सभी इन्टरनेट सेवाए बिना रोकटोक सुचारू होगएहैं।[10]

नेपालकी भूपरिवेष्ठित स्थिति[11], प्राविधिक कमज़ोरी और लम्बे द्वन्द ने अर्थतन्त्र को पूर्ण रूपमे विकासशील होने नहीं दिया है। नेपाल भारत, जापान, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, स्विट्ज़रलैंड और स्कैंडिनेवियन राष्ट्रों से वैदेशिक सहयोग पाता है। वित्तीय वर्ष २००५/०६में सरकार का बजट क़रीब १.१५३ अरब अमेरिकी डालर था, लेकिन कुल खर्च १.७८९ अरब हुआ था। १९९० दशक की बढती मुद्रा स्फीति दर घटकर २.९% पहुंची है। कुछ वर्षों से नेपाली मुद्रा रूपैयाँ को भारतीय रूपैया के साथ का सटहीदर १.६ मा स्थिर रखा गया है। १९९० दशकमे खुली बनायीगयी मुद्रा बिनिमय दर निर्धारण नीतिके कारण विदेशी मुद्रा की कालाबाजारी लगभग समाप्त हो चुकी है। एक दीर्घकालीन आर्थिक समझौते ने भारत के साथ अच्छे संबन्ध में मदद दी है। जनता बीच का सम्पत्ति वितरण अन्य विकसित और विकासोन्मुख देशों के तुलना में ही है: ऊपरवाले १०% गृहस्थी के साथ कुल राष्ट्रिय सम्पत्ति का ३९.१% पर नियन्त्रण है और निम्नतम १०% के साथ केवल २.६%।

नेपाल की १ करोड़ जितने का कार्यबलमे दक्ष कामदारका कमी है। ८१% कार्यबलको कृषि, १६% सेवा और ३% उत्पादन/कला-आधारित उद्योग रोज़गार प्रदान करता है।

प्रशासनिक विभाजन[संपादित करें]

20 सितम्बर 2015 के अनुसार नेपाल को भारतीय राज्य प्रणाली की तरह ही सात राज्यों (प्रदेशों) में विभाजित किया गया है। नये संविधान के अनुसूची 4 के अनुसार मौजूदा जनपदों को एक साथ समूहों में गठित कर इन्हें परिभाषित किया गया है और दो ऐसे भी जनपद थे जिन्हें तोड़कर दो अलग-अलग राज्यों में गठित किया गया।

नेपालके संविधान, २०७२ की धारा 295 (ख) के अनुसार प्रदेशों का नामाकरण सम्वन्धित प्रदेश के संसद (विधान सभा) में दो तिहाई बहुमत से होने का प्रावधान है।

नेपाल के प्रदेश
सं प्रदेश का नाम राजधानी मुख्यमन्त्री जिला क्षेत्रफल (किमी2) जनसंख्या (सन् २०११)
1 प्रदेश संख्या १ धनकुटा शेरधन राई 14 25,905 4,534,943
2 मधेश प्रदेश जनकपुर मोहम्मद लालबाबु पण्डित 8 9,661 5,404,145
3 बागमती प्रदेश हेटौडा डोरमणी पौडेल 13 20,300 5,529,452
4 गण्डकी प्रदेश पोखरा पृथ्वीसुब्बा गुरुङ 11 21,504 2,413,907
5 लुम्बिनी प्रदेश बुटवल शंकर पोखरेल 12 22,288 4,891,025
6 कर्णाली प्रदेश वीरेन्द्रनगर महेन्द्रबहादुर शाही 10 27,984 1,168,515
7 सुदूरपश्चिम प्रदेश गोदावरी, कैलाली त्रीलोचन भट्ट 19,874 2,552,517
नेपाल काठमांडू शेर बहादुर देउबा ७७ 147,516 26,494,504

समाज तथा संस्कृति[संपादित करें]

नेपाल की एक लोकनृत्य मंडली

नेपाल की संस्कृति तिब्बत एवं भारत से मिलती-जुलती है। यहाँ की भेषभूषा, भाषा तथा पकवान इत्यादि एक जैसे ही हैं। नेपाल का सामान्य खाना चने की दाल, भात, तरकारी, अचार है। इस प्रकार का खाना सुबह एवं रात में दिन में दोनो जून खाया जाता है। खाने में चिवड़ा और चाय का भी चलन है। मांस-मछली तथा अण्डा भी खाया जाता है। हिमालयी भाग में गेहूँ, मकई, कोदो, आलू आदि का खाना और तराई में गेहूँ की रोटी का प्रचलन है। कोदो के मादक पदार्थ तोङबा, छ्याङ, रक्सी आदि का सेवन हिमालयी भाग में बहुत होता है। नेवार समुदाय अपने विशेष क़िस्म के नेवारी परिकारों का सेवन करते हैं।

नेपाली सामाजिक जीवन की मान्यता, विश्वास और संस्कृति हिन्दू भावना में आधारित है। धार्मिक सहिष्णुता और जातिगत सहिष्णुता का आपस का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध नेपाल की अपनी मौलिक संस्कृति है। यहाँ के पर्वों में वैष्णव, शैव, बौद्ध, शाक्त सब धर्मों का प्रभाव एक-दूसरे पर समान रूप से पड़ा है। किसी भी एक धार्मिक पर्व को धर्मावलम्बी विशेष का कह सकना और अलग कर पाना बहुत कठिन है। सभी धर्मावलम्बी आपस में मिलकर उल्लासमय वातावरण में सभी पर्वों में भाग लेते हैं। इसके शक्तिपीठों में चाण्डाल और भंगी, चमार, देवपाल और पुजारी के रूप में प्रसिद्ध शक्ति पीठ गुह्येश्वरी देवी, शोभा भागवती के चाण्डाल तथा भंगी, चमार पुजारियों को प्रस्तुत किया जा सकता है। इसके बावजूद नेपाल में जातिगत भेदभाव की जड़ें बहुत गहरी हैं[12] और यह भेदभाव जन्मसंस्कार के आधार पर ही है। जातीय भेदभाव तथा छुवाछूत (कसूर र सजाय) ऐन, २०६८, राष्ट्रिय दलित आयोग ऐन, २०७४ व संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के प्रयासों से सुधार आ रहा है।

नेपाल में विभिन्न धर्म (2011)[13]
धर्म प्रतिशत
हिन्दू
  
81.3%
बौद्ध
  
9.0%
मुसलमान
  
4.4%
किरात मुन्धुम
  
3.0%
ईसाई
  
1.42%
अन्य
  
0.9%

उपासना की पद्धति और उपासना के प्रतीकों में भी समन्वय स्थापित किया गया है। नेपाल में बौद्ध पन्थ ने भी मूर्तिपूजा और कर्मकांड अपनाया है। बौद्ध पशुपतिनाथ की पूजा आर्यावलोकितेश्वर के रूप में करते हैं और हिंदू मंजुश्री की पूजा सरस्वती के रूप में करते हैं। नेपाल की यह समन्वयात्मक संस्कृति लिच्छवि काल से अद्यावधि चली आ रही है।

नेपाल अनुग्रहपरायण देश है। वह किसी के मैत्रीपूर्ण अनुग्रह को कभी भूल नहीं सकता। नेपाल का पराक्रम विश्वविख्यात है। नेपाल की सांस्कृतिक परम्परा को कायम रखने के लिए वि॰सं॰ 2017 साल में संयुक्त राज्य अमरीका के कांग्रेस के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधन करते हुए श्री 5 महेन्द्र ने स्पष्टरूप में कहा था कि 'सैनिक कार्यों में लगने वाले खर्च संसार की गरीबी हटाने में व्यय हों'।

नेपाल एक छोटा स्वतन्त्र राष्ट्र है, किन्तु जाति के आधार पर नेपाल राज्य की मित्र राष्ट्र भारत के समान विभिन्न जातियों के रहने का एक अजायबघर जैसा है। उत्तरी भाग की ओर भोटिया, तामां‌, लिम्बू, शेरपा, महाभारत शृंखला में मगर, किरात, नेवार, गुरुं‌, सुनुवार और भीतरी तराई क्षेत्र में घिमाल, थारू, मेचै, दनवार आदि जातियों की बहुलता विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ठाकुर, खस, जैसी, क्षत्री जातियों तथा ब्राह्मणों की संख्या नेपाल में यत्र-तत्र काफी है। यहाँ पर प्रवासी भारतीयों की संख्या भी पर्याप्त है।

शिक्षा[संपादित करें]

नेपाल मे आधुनिक शिक्षा की शुरूवात राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा की विदेश यात्रा के बाद सन् 1854 में स्थापित दरबार हाईस्कूल (हाल रानीपोखरी किनारे अवस्थित भानु मा.बि.) से हुई थी, इससे पहले नेपाल मे कुछ धर्मशास्त्रीय दर्शन पर आधारित शिक्षा मात्र दी जाती थी। आधुनिक शिक्षा की शुरूवात 1854 में होते हुए भी यह आम नेपाली जनता के लिए सर्वसुलभ नहीं था। लेकिन देशके विभिन्न भागों में कुछ विद्यालय दरबार हाईस्कूलकी शुरूवात के बाद खुलना शुरू हुए। लेकिन नेपाल में पहला उच्च शिक्षा केन्द्र काठमान्डू में राहहुवा त्रिचन्द्र कैम्पस है। राणा प्रधानमन्त्री चन्द्र सम्सेर ने अपने साथ राजा त्रिभुवन का नाम जोडके इस कैंपसका नाम रखाथा। इस कैंपसकी स्थापना बाद नेपालमे उच्च शिक्षा अर्जन बहुत सहज होनगया लेकिन सन 1959 तक भी देश मे एकभी विश्वविद्यालय स्थापित नहीं हो सकाथा राजनितिक परिवर्तन के पश्चात् राणा शासन मुक्त देशने अन्ततः 1959 मे त्रिभुवन विश्वविद्यालयकी स्थापना की। उसके बाद महेन्द्र संस्कृत के साथ अन्य विश्वविद्यालय खुलते गए। हाल ही में मात्र सरकार ने 4 थप विश्वविद्यालय भी स्थापित करने की घोषणा की है। नेपाल की शिक्षा का सबसे मुख्य योजनाकार शिक्षामन्त्रालय है उसके अलावा शिक्षा विभाग, पाँच क्षेत्रीय शिक्षा निदेशालय, पचहतर जिल्ला शिक्षा कार्यालय, परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय सानोठिमी, उच्चमाध्यामिक शिक्षा परिषद्, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र, विभिन्न विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय नेपालकी शिक्षाका विकास विस्तार तथा नियन्त्रण के क्षेत्र में कार्यरत हैं।

नेपाल के विश्वविद्यालय[संपादित करें]

  1. त्रिभुवन विश्वविद्यालय
  2. नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय ( पूर्व नाम महेन्द्र संस्कृत विश्वविद्यालय )
  3. काठमाडौं विश्वविद्यालय
  4. पुर्वान्चल विश्वविद्यालय
  5. पोखरा विश्वविद्यालय
  6. लुम्विनी विश्वविद्यालय
  7. नेपाल कृषि तथा वन विश्वविद्यालय
  8. मध्यपश्चिमांचल विश्वविद्यालय
  9. सुदुरपश्चिमांचल विश्वविद्यालय
  10. खुल्ला विश्वविद्यालय

स्वास्थ्य[संपादित करें]

नेपाली शल्यचिकित्सकों की एक टोली

नेपाल मे बहुत पहिले से आयुर्वेद (प्राकृतिक चिकित्सा) पद्धति उपयोग मे था। वैद्य और परंपरागत चिकित्सक गाँवघर और शहरो मे स्वास्थ्य सेवा पहुचाते थे। उनलोगो की औषधि के श्रोत नेपाल के हिमाल से तराइ तक मिलनेवाले जडीबुटी ही होते थे। आधुनिक चिकित्सा पद्धती की शुरूवात राणा प्रधानमन्त्री जङ्गबहादुर राणा की बेलायत यात्रा के बाद दरवार के अन्दर शुरू हुवा लेकिन नेपाल में आधुनिक चिकित्सा संस्था के रूप में राणा प्रधानमन्त्री वीर सम्सेर के काल मे काठामाण्डौ में सन 1889 मे स्थापित वीर अस्पताल ही है। तत्पश्चात चन्द्र समसेर के काल मे स्थापित त्रिचन्द्र सैनिक अस्पताल है। हाल में नेपाल के हस्पताल सामन्यतया आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा तथा आधुनिक चिकीत्सा करके सरकारी सेवा विद्यमान हे।

सेना तथा सुरक्षा अंग[संपादित करें]

नेपाली वायुसेना का एक विमान

नेपाल मे नेपाली सेना, नेपाली सैनिक विमान सेवा, नेपाल ससस्त्र प्रहरी बल, नेपाल प्रहरी, नेपाल ससस्त्र वनरक्षक तथा राष्ट्रीय अनुसन्धान विभाग नेपाल लगायत सस्सत्र, तथा गुप्तचर सुरक्षा निकाय रहेहै। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रही है। गोरखा सेना को सबसे अधिक बार विक्टोरिया क्रॉस दिया गया है।[उद्धरण चाहिए]

पर्यटन[संपादित करें]

भारत के उत्तर में बसा नेपाल रंगों से भरपूर एक सुन्दर देश है। यहाँ वह सब कुछ है जिसकी तमन्ना एक आम सैलानी को होती है। देवताओं का घर कहे जाने वाले नेपाल विविधाताओं से पूर्ण है। इसका अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहाँ एक ओर यहाँ बर्फ से ढकीं पहाड़ियाँ हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थस्थान है। रोमांचक खेलों के शौकीन यहाँ रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइमिंग, जंगल सफ़ारी और स्कीइंग का भी मजा ले सकते हैं।

लुम्बिनी[संपादित करें]

लुम्बिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है। यह उत्तर प्रदेश की उत्तरी सीमा के निकट वर्तमान नेपाल में स्थित है। यूनेस्को तथा विश्व के सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, बज्रयान, थेरवाद आदि) के अनुसार यह स्थान नेपाल के कपिलवस्तु में है जहाँ पर युनेस्को का आधिकारिक स्मारक लगायत सभी बुद्ध धर्म के सम्प्रयायौं ने अपने संस्कृति अनुसार के मन्दिर, गुम्बा, बिहार आदि निर्माण किया है। इस स्थान पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित अशोक स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में प्राकृत भाषा में बुद्ध का जन्म स्थान होने का वर्णन किया हुआ शिलापत्र अवस्थित है।

जनकपुर[संपादित करें]

जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ सीता माँ माता का जन्म हुवा था। ये नगर प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहाँ पर प्रसिद्ध राजा जनक थे जो सीता माता जी के पिता थे। सीता माता का जन्म मिट्टी के घड़े से हुआ था। यह शहर भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की ससुराल के रूप में विख्यात है।

मुक्तिनाथ[संपादित करें]

मुक्तिनाथ वैष्‍णव सम्प्रदाय के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। यह तीर्थस्‍थान शालिग्राम भगवान के लिए प्रसिद्ध है। भारत में बिहार के वाल्मीकि नगर शहर से कुछ दूरी पर जाने पर गण्डक नदी से होते हुए जाने का मार्ग है। दरअसल एक पवित्र पत्‍थर होता है जिसको हिन्दू धर्म में पूजनीय माना जाता है। यह मुख्‍य रूप से नेपाल की ओर प्रवाहित होने वाली काली गण्‍डकी नदी में पाया जाता है। जिस क्षेत्र में मुक्तिनाथ स्थित हैं उसको मुक्तिक्षेत्र' के नाम से जाना जाता हैं। हिन्दू धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार यह वह क्षेत्र है, जहाँ लोगों को मुक्ति या मोक्ष प्राप्‍त होता है। मुक्तिनाथ की यात्रा काफ़ी मुश्किल है। फिर भी हिन्दू धर्मावलम्बी बड़ी संख्‍या में यहाँ तीर्थाटन के लिए आते हैं। यात्रा के दौरान हिमालय पर्वत के एक बड़े हिस्‍से को लाँघना होता है। यह हिन्दू धर्म के दूरस्‍थ तीर्थस्‍थानों में से एक है।

ककनी[संपादित करें]

काठमाण्डु नगर से 29 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में छुट्टियाँ बिताने की खूबसूरत जगह ककनी स्थित है। यहाँ से हिमालय का ख़ूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। ककनी से गणोश हिमल, गौरीशंकर 7134 मी॰, चौबा भामर 6109 मी॰, मनस्लु 8163 मी॰, हिमालचुली 7893 मी॰, अन्नपूर्णा 8091 मी॰ समेत अनेक पर्वत चोटियों को करीब से देखा जा सकता है।

गोसाईं कुण्ड[संपादित करें]

समुद्र तल से 4360 मी॰ की ऊँचाई पर स्थित गोसाई कुण्ड झील नेपाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। काठमांडु से 132 किलोमीटर दूर धुंचे से गोसाई कुण्ड पहुँचना सबसे सही विकल्प है। उत्तर में पहाड़ और दक्षिण में विशाल झील इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं। यहाँ और भी नौ प्रसिद्ध झीलें हैं। जैसे सरस्वती भरव, सौर्य और गणोश कुण्ड आदि।

धुलीखेल[संपादित करें]

यह प्राचीन नगर काठमाण्डु से 30 किलोमीटर पूर्व अर्निको राजमार्ग काठमाण्डु-कोदारी राजमार्ग के एक ओर बसा है। यहाँ से पूर्व में कयरेलुंग और पश्चिम में हिमालचुली शृंखलाओं के खूबसूरत दृश्यों का आनन्द उठाया जा सकता है।

पशुपतिनाथ मन्दिर[संपादित करें]

भगवान पशुपतिनाथ का यह खूबसूरत मंदिर काठमाण्डु से करीब 5 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। बागमती नदी के किनारे इस मन्दिर के साथ और भी मन्दिर बने हुए हैं। विश्मवप्रसिद्ध महाकाव्य "महाभारत " जो महर्षि वेदव्यासद्वारा 5,500 ईसा पुर्व भारतवर्ष मे हुआ। उसीमे कुन्तीपुत्र धर्मराज युधिष्टीर, अर्जुन, भिम, नकुल, सहदेव तथा द्रोपदी जब स्वर्गारोहण कर रहे थे तब वे जिस विशाल पर्वत शृंखला से गये उसे " महाभारत पर्वत शृंखला " तथा जहा पर कैलासनाथ आदियोगी महादेव जी ने ज्योतिर्लिंग के रुप मे प्रकट हुये वो स्थान " श्री पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर " के नाम से जाना जाता है। "पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग देवस्थान" के बारे में माना जाता है कि यह नेपाल में हिन्दुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थस्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। गोल्फ़ कोर्स और हवाई अड्डे के पास बने इस मन्दिर को भगवान का निवास स्थान माना जाता है।

जनश्रुतिका अनुसार शिवका तीन अंग[संपादित करें]

पशुपति शिव (केदार )के शिर , उत्तराखण्डका केदारनाथ शिव (केदार)का शरीर ,डोटी बोगटानका बड्डीकेदार, शिव (केदार )का पाउ (खुट्टा)के रुपमे शिवका तीन अंग प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग धार्मिक तीर्थ है । डोटीके केदार व कार्तिकेय (मोहन्याल)का इतिहास अयोध्याका राजवंश से जुड़ा है । उत्तराखण्ड के सनातनी देवता डोटी ,सुर्खेत ,काठमाडौं के देबिदेवाताका धार्मिक तीर्थ के लिए प्राचीन कालमे महाभारत पर्वत,चुरे पर्वत क्षेत्र से आवत जावत होता था । यिसी लिए यह क्षेत्र पवित्र धार्मिक इतिहास से सम्बन्धित है ।

रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान[संपादित करें]

रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान देश की प्राकृतिक संपदा का खजाना है। 932 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान दक्षिण- मध्य नेपाल में स्थित है। 1973 में इसे नेपाल के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा हासिल हुआ। इसकी अद्भुत पारिस्थितिकी को देखते हुए यूनेस्को ने 1984 में इसे विश्‍व धरोहर का दर्जा दिया।

चाँगुनारायण मन्दिर[संपादित करें]

इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि यह काठमाण्डु घाटी का सबसे पुराना विष्णु मन्दिर है। मूल रूप से इस मन्दिर का निर्माण चौथी शताब्दी के आस-पास हुआ था। वर्तमान पैगोडा शैली में बना यह मन्दिर 1702 में पुन: बनाया गया जब आग के कारण यह नष्ट हो गया था। यह मंदिर घाटी के पूर्वी ओर पहाड़ की चोटी पर भक्तपुर से चार किलोमीटर उत्तर में खूबसूरत और शान्तिपूर्ण स्थान पर स्थित है। यह मन्दिर यूनेस्को विश्‍व धरोहर सूची का हिस्सा है। 2072 वैशाख 12 का भूकम्प से इस मन्दिर की कुछ संरचना बिगड़ गयी है।

भक्तपुर दरबार स्क्वैयर[संपादित करें]

भक्तपुर के दरबार स्क्वैयर का निर्माण 16वीं और 17वीं शताब्दी में हुआ था। इसके अन्दर एक शाही महल दरबार और पारम्परिक नेवाड़, पैगोडा शैली में बने बहुत सारे मन्दिर हैं। स्वर्ण द्वार, जो दरबार स्क्वैयर का प्रवेश द्वार है, काफी आकर्षक है। इसे देखकर अन्दर की खूबसूरती का सहज ही अन्दाजा लगाया जा सकता है। यह जगह भी युनेस्को की विश्‍व धरोहर का हिस्सा है।

यूनेस्को की आठ सांस्कृतिक विश्‍व धरोहरों में से एक काठमाण्डु दरबार प्राचीन मन्दिरों, महलों और गलियों का समूह है। यह राजधानी की सामाजिक, धार्मिक और शहरी जिन्दगी का मुख्य केन्द्र है।

स्वर्ण द्वार[संपादित करें]

खूबसूरती की मिसाल स्वर्ण द्वार नेपाल की शान है। बेशक़ीमती पत्थरों से सजे इस दरवाज़े का धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। शाही अन्दाज में बने इस द्वार के ऊपर देवी काली और गरुड़ की प्रतिमाएँ लगी हैं। यह माना जाता है कि स्वर्ण द्वार स्वर्ग की दो अप्सराएँ हैं। इसका वास्तुशिल्प और सुन्दरता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। तथा मनमोहक सुन्दर दृश्य पर्यटकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है।

बोधनाथ स्तूप[संपादित करें]

काठमाण्डु घाटी के मध्य में स्थित बोधनाथ स्तूप तिब्बती संस्कृति का केन्द्र है। 1959 में चीन के हमले के बाद यहाँ बड़ी संख्या में तिब्बतियों ने शरण ली और यह स्थान तिब्बती बौद्धधर्म का प्रमुख केन्द्र बन गया। बोधनाथ नेपाल का सबसे बड़ा स्तूप है। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, जब मुग़लों ने आक्रमण किया।

सन्दर्भ - इस स्तूप को नेपाली में बौद्ध नाम से पुकारा जाता है। इसकी प्रारम्भिक ऐतिहासिक सामग्री इसकी ही नीचे दबा हुवा अनुमानित है। लिच्छवि राजाओं मानदेव द्वारा निर्मित और शिवदेव द्वारा विस्तारित माना जाता है। हालाँकि इसकी वर्तमान स्वरूप की निर्माण की तिथि भी अज्ञात ही है। इसकी गर्भ-बेदी की दीवार पर स्थापित छोटे-छोटे प्रस्तर मूर्तियाँ और ऊपर की छत्रावली संस्कृत बौद्ध-धर्म का प्रतीक माना जाता है। संस्कृत बौद्ध वाङ्मय का तिब्बती भा

राष्ट्रीय चिह्न[संपादित करें]

नेपाल का राष्ट्रीय पुष्प : लाली गुराँस

छविदीर्घा[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सिंह दरबार का प्रवेशद्वार

सन्दर्भ[संपादित करें]

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बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

समाचार[संपादित करें]