सामग्री पर जाएँ

काठमाण्डु

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
काठमांडू
  • काठमाडौँ
  • 𑐫𑐾𑑃 𑐡𑐾𑐫𑑂
राजधानी
काठमांडू महानगरपालिका
काठमांडू का झंडा
ध्वज
काठमांडू का आधिकारिक सील
सील
उपनाम: मंदिरों का शहर [1]
ध्येय: सांस्कृतिक सहर, काठमाडौँ महानगर
(सांस्कृतिक शहर, काठमांडू महानगर)
नक्शा
निर्देशांक: 27°43′N 85°19′E / 27.71°N 85.32°E / 27.71; 85.32
देश नेपाल
प्रदेशबागमती
ज़िलाकाठमांडू
नाम स्रोतकाष्ठमण्डप
वार्ड32
शासन
 • प्रणालीमहापौर-परिषद सरकार
 • सभाकाठमांडू महानगरीय सरकार
 • महापौरबालेन शाह[2]
 • उपमहापौरसुनिता डंगोल
 • कार्यकारी अधिकारीसरोज गुरगैन
क्षेत्रफल
 • राजधानी49.45 किमी2 (19.09 वर्गमील)
 • महानगर899 किमी2 (347 वर्गमील)
ऊँचाई1400 मी (4,600 फीट)
जनसंख्या (2021)[3]
 • राजधानी8,56,767
 • पदप्रथम (नेपाल)
 • महानगरलगभग 40 लाख
भाषाएँ
 • आधिकारिक
समय मण्डलNPT (यूटीसी+5:45)
डाक कोड44600
दूरभाष कोड01
अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्रत्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र
वेबसाइटkathmandu.gov.np

काठमांडू (नेपाली: काठमाडौँ, नेवार: 𑐫𑐾𑑃 𑐡𑐾𑐫𑑂) की राजधानी है। यह नगर समुद्रतल से 1400 m की ऊँचाई पर स्थित हैं।[4] और 50.8 वर्ग किमी में फैला हुआ हैं।[4] काठमांडू नेपाल का सबसे बड़ा शहर है, जहाँ पर्यटक का सबसे ज़्यादा आगमन होता हैं। चार ओर से पहाड़ियों से घिरा काठमांडू उपत्यका के पश्चिमी क्षेत्र में अवस्थित यह नगर, यूनेस्को की विश्‍व धरोहरों में शामिल हैं। यहाँ की रंगीन संस्कृति और परम्पराओं के अलावा विशिष्ट शैली में बने शानदार घर सैलानियों को आकर्षित करते हैं। यहाँ के विश्वप्रसिद्ध मन्दिर, पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखते हैं। साथ ही यहां के प्राचीन बाज़ारों की रौनक भी देखते ही बनती है।

नामाकरण

[संपादित करें]

काठमांडू शब्द संस्कृत शब्द काष्ठमण्डप का अपभ्रंश है। काष्ठमण्डप इस नगर के मध्य में अवस्थित एक गोरखनाथजी का मंदिर और प्राचीन समय में यात्रुऔं का विश्रामस्थल है। यह भवन एक ही वृक्ष का काष्ठ प्रयोजन करके बनाया गया था। इस वैभवशाली भवन के नाम से इस नगर का नामाकरण किया गया। ऐसा विश्वास है कि इस नगर का मध्यकालीन नाम कांतिपुर इस नगर के कांति और वैभव के लिए रखा गया था। इस नगर का नेपालभाषा का नाम ये है। यह नाम प्राचीन नेपालभाषा का ञें का अपभ्रंश है। यह नाम का उत्त्पत्ति किरांत काल मे हुवा था।

काठमांडू के सबसे प्राचीन सभ्यता का ऐतिहासिक प्रमाण नही है, परन्तु इस के बारे में विभिन्न धार्मिक पुस्तक एवं वंशावलीयौं मे लिखा हुवा है। स्वयंभू पुराण अनुसार काठमांडू उपत्यका एक विशाल तालाब था। महाचीन के बोधिसत्त्व मंजुश्री ने इस तालाब के दक्षिणी भाग में अवस्थित कक्षपाल पर्वत और गुह्येश्वरी क्षेत्र में अपने चन्द्रह्रास खड्ग से प्रहार करके इस तालाब के पानी को निकाल दिया।[5][6] भूगोलविद भी यह तथ्य मानते है कि काठमांडू पहले एक तालाब था। मंजुश्री ने धर्म रक्षित राज्य स्थापना करने के लिए एक मंजुपतन नगर का स्थापना किया (हाल के मजिपात टोल के स्थान में) और धर्माकर को इस नये राज्य का राजा बनाकर चीन लौटे।

मंजुश्री (चन्द्रह्रास खड्ग सहित), बोधिसत्त्व जिन्हे काठमांडू निर्माण का श्रेय दिया जाता है।

गोपाल वंशावली अनुसार गोपाल वंश के लोग इस स्थान में भगवान श्रीकृष्ण के अनुयायी के रूप में गाय चराते हुए इस स्थान पर पहुंचे और यहा बस गए।

परापूर्वकाल

[संपादित करें]

पुरातात्विक खुदाइ से मिले जानकारी अनुसार काठमांडू मध्य हिमाली क्षेत्र के प्राचीनतम बस्ती में से एक है।[6] विभिन्न खुदाइ से १६७ इपू से लेकर १ इसं का ईंट काठमांडू और इस के आसपास के क्षेत्र में मिला है।[6]

किरांतकाल

[संपादित करें]

किरांतकाल के काठमांडू का ज्यादा निश्चित अवशेष उपलब्ध नहीं है।

लिच्छविकाल

[संपादित करें]

लिच्छवि वंश के राजा गुणकाम देव के समय से पहले काठमांडू में (हाल के काठमांडू महानगरपालिका के कोर सिटी में) दक्षिण में दक्षिण कोलिग्राम (मंजुपत्तन/यंगाल) और उत्तर में यंबु /कोलिग्राम (गौ पालकौं का बस्ती) नामक दो अलग अलग बस्ती थे।[6] यह दो बस्ती एक खड्ग आकार के उठा हुआ जमिन पर अवस्थित था जिस के तीन तरफ़ नदी या जल थे (विष्णुमती, बागमती और टुकुचा) और एक तरफ क्लिफ के निचे जंगल था। सामरिक दृष्टिकोण से यह जगह नगर बनाने के लिए उपयुक्त था। अतः गुणकामदेव नें इन दो बस्तीयौं के बीच में (दोनों बस्तीयौं को समायोजित करके) विष्णुमती नदी के किनारे कांतिपुर नगर स्थापना किया। यह नगर के चारो तरफ़ खडग आकार में अष्टमात्रिका वा अजिमायुक्त शक्तिपीठ (दुर्ग) का स्थापना किया, जो अभी भी शक्तिपीठौं के रूप में पुजित है।[6] नेपाल के पहाडीयौं के बीच कांतिपुर जैसा सुरक्षित नगर के स्थापना से भारत और चीन-तिब्बत के बीच मे व्यापार सहज हो सकता था। अतः गुणकामदेव नें इस नगर में व्यापारिक सुविधा के हेतु चक्राकार में व्यापारिक क्षेत्र स्थापना किया।[7]

ऐसा माना जाता है कि नेपाल संबत के एक माह येँला (कान्तिपुर का माह) और उस माह के पुर्णिमा में मनाया जानेवाला येँया पुन्हि वा इन्द्र जात्रा कान्तिपुर के स्थापना के उपलक्ष्य पर गुणकामदेव नें मनाना शुरु किया था। इस माह में दक्षिण कोलिग्राम का लाखेजात्रा उत्तर में और कोलिग्राम का पुलुकिसि (ऐरावत) नृत्य दक्षिण में नचाया जाता है।

मल्लकाल

[संपादित करें]
मल्लकुल के इष्टदेवी तलेजुभवानी का मंदिर

सन १२०० से सन १७६८ तक इस नगर में मल्ल राजाऔं का राज रहा।[6] मल्लकाल में यह नगर नेपाली मल्ल गणराज्यौं मे से एक कांतिपुर राज्य का राजधानी रहा। इस काल में यह नगर में कला का बहुत विकास और विस्तार हुआ।[6] यह नगर के ज्यादा मंदिर, चैत्य आदि इसी काल में निर्माण हुआ था। इस काल में इस नगर में धार्मिक सहिष्णुता, तंत्र विद्या, वास्तु, अर्थतंत्र आदि का विकास एवं विस्तार हुआ। इस काल में कांतिपुर लगायत के नेपाली मल्ल गणराज्य में रहने वाले विभिन्न नश्ल, धर्म, जाति आदि के लोगों नें एक संगठित राज्य का रूप लिया और इस राज्य में रहने वाले लोगों को नेपामि, नेवा वा नेपाली कहा गया।

सन १७६० के दशक में काठमांडू मे आए हुए क्रिस्चियन पादरी नें उस समय में काठमांडू में १८,००० होनेका ज़िक्र किया है।[6]

गोरखा के राजा पृथ्वी नारायण शाह ने 1768 में मल्ल गणराज्य का अन्त्य कर गोर्खाली नेपाल राज्य का स्थापना किया। गोर्खालीद्वारा कान्तिपुर नगर के विजय के साथ ही कान्तिपुर नगर वा काठमांडू गोर्खाली नेपाल का राजधानी बन गया। शाह के हुक्म में राणाऔं के समय में इस नगर में राजप्रासाद तथा महल निर्माण में नेपाली वास्तु का प्रयोजन छोडकर मुघल एवं पाश्चात्य वास्तु का अनुशरण शुरु हुआ। राणाऔं के समय में बना सिंह दरबार एक विश्वप्रसिद्ध दरबार है जिसमे अभी नेपाल के प्रधानमंत्री लगायत प्रायः मंत्रालय, सर्वोच्च अदालत आदि अवस्थित है। सन १९३४ का महाभूकंप नें नगर के प्रायः क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया। परन्तु, इस भूकंप के बाद यह नगर पहले के ही स्वरूप में फिर बनाया गया।[6] भूकंप के बाद नगर में न्यु रोड नामक मार्ग बनाया गया जहां बेलायती शैली में घर, पार्क, दोकान, सिनेमाघर आदि का निर्माण किया गया। 1950 में इस शहर की सीमाएं विदेशी पर्यटकों के लिए खोली गईं थीं। तब से आज तक सैलानियों के यहां आने का सिलसिला जारी है।

भूगोल और मौसम

[संपादित करें]

काठमांडू 1,300 मिटर की ऊंचाई पर अवस्थित है। इस नगर के सीमा इस प्रकार है-

  • दक्षिणः ललितपुर महानगरपालिका
  • दक्षिण-पश्चिम :कीर्तिपुर नगरपालिका
  • पश्चिम :तीनथाना, स्युचाटार, बलम्बु, पुरानो नैकाप, नयां नैकाप, रामकोट, दहचोक, भीमढुंगा, सीतापाइला
  • पूर्व : मध्यपुर ठिमि
  • उत्तर : काठमांडू ज़िला के कुछ नगरपालिका

यह नगर से आठ नदी बहती है। यह नगर का मौसम टेम्परेट है और इस नगर में चार ऋतु होते है। इस नग का तापक्रम १ डिग्री सेल्सियस से ३५ डिग्री सेल्सियस तक होता है।[8] यह नगर का वार्षिक वृष्टि 1,407 मिमि है जिस मे से ज़्यादातर जून से अगस्त तक होता है।[8]

जनसंख्या

[संपादित करें]

सन 2001 के जनगणना अनुसार काठमांडू महानगर में 235,387 घर है[9]। काठमांडू महानगर अधिकारी अनुसार इस नगर में क़रीब 1,081,845 लोग रहते है[10]। इस नगर के तीन प्रमुख जातियां नेवार, खस ब्राह्मण और खस क्षेत्रीय है। इस नगर का प्रमुख भाषा नेपालीनेपाल भाषा है। इस नगर के प्रमुख धर्म हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म है।

अर्थव्यवस्था

[संपादित करें]
न्युरोड, काठमांडू का एक प्रमुख आर्थिक केंद्र

काठमांडू नेपाल का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। काठमांडू ऐतिहासिक काल से हि एक व्यापारिक नगर के रूप में स्थापित है। ऐतिहासिक काल से ही काठमांडू तिब्बत-चीन व भारत से व्यापार करता आ रहा है। अतः, व्यापार इस नगर का एक प्रमुख हिस्सा है।

यह नगर का वार्षिक आर्थिक आउटपुट ने॰ रु॰ 170 बिलियन से ज़्यादा है।[11] इस नगर का 21% अर्थ आयात-निर्यात पर निर्भर है। Manufacturing से नगर का 19% अर्थ आर्जित है। काठमांडू कपडे व उनी गलैंचा का निर्माता एवं निर्यातकर्ता है। अन्य आर्थिक स्रोत में कृषि (9%), शिक्षा (6%), यातायात (6%), व होटेल एवं रेस्टुरां (5%) प्रमुख है।[11]

नगर के अर्थतंत्र में पर्यटन का बडा प्रभाव है। नेपाल के ज्यादा पर्यटक काठमांडू के त्रिभूवन अन्तराष्ट्रिय विमानस्थल से नेपाल आते है। काठमांडू में पर्यटकौं के घुमने, देखने एवं वस्तु ख़रीदने के लिए पर्यटन उद्योग द्वारा विभिन्न सुविधा उपलब्ध है।

प्रशासन

[संपादित करें]

यहाँ महानगर का प्रमुख महापौर होता है। महापौर जनता द्वारा 5 वर्ष के लिये निर्वाचित होते है। महापौर के साथ-साथ एक उप-महापौर भी निर्वाचित होते है। साथ ही मे प्रत्येक वार्ड में एक वार्ड अध्यक्ष और 5 वार्ड सदस्य (एक महिला सहित) निर्वाचित होते है। महानगर के घोषणा के पश्चात यह नगर में निम्न लिखित व्यक्ति मेयर हो चुके है-

  • प्रेमलाल सिंह
  • केशव स्थापित

यह महानगरपालिका प्रशासन के निमित्त ५ विभाग में विभक्त किया गया है, जो इस प्रकार है[12]

मध्य विभाग

[संपादित करें]

इस विभाग में वार्ड 1, 5, 11, 31, 32 और 33 अवस्थित है। इस विभाग के मुख्य स्थान इस प्रकार है-

  • नारायणहिटी दरबार (शाहकालीन राजाऔं का दरबार)

पूर्व विभाग

[संपादित करें]

इस विभाग में वार्ड 6, 7, 8, 9, 10, 34 और 35 अवस्थित है। इस विभाग के मुख्य स्थान इस प्रकार है-

  • अन्तराष्ट्रिय सम्मेलन केंद्र (जहाँ पर संविधान सभा स्थित है और अभी नेपाल का संविधान निर्माण का कार्य हो रहा है)
  • बानेश्वर क्षेत्र

उत्तर विभाग

[संपादित करें]

इस विभाग में वार्ड 2, 3, 4, 16, 29 अवस्थित है।

मुख्य शहर

[संपादित करें]

यह विभाग काठमांडू नगर का सबसे ज़्यादा जनघनत्त्व युक्त स्थान है। इस नगर का ज़्यादातर प्राचीन ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्मारक यही स्थान पर अवस्थित है। इस स्थान में अवस्थित स्मारक इस प्रकार है-

  • हनुमानढोका दरबार
  • काष्ठमण्डप
  • अशोक विनायक मंदिर
  • न्युरोड, नेपाल का प्रमुख बाज़ार
  • असन बज़ार, नेपाल का प्राचीन् और महत्त्वपूर्ण बाजार
  • मंजुपत्तन का मंजुश्री का मंदिर
  • धरहरा (शाहकालीन मिनार)
  • सुनधारा (नगर का सोने का कलात्मक धारा)
  • संकटा मंदिर (हिंदू और बौद्धौं का संयुक्त मंदिर)
  • महाकाल मंदिर (हिंदू और बौद्धौं का संयुक्त मंदिर)
  • जीवित देवी कुमारी का मंदिर

पश्चिम विभाग

[संपादित करें]

इस विभाग में वार्ड 13, 14 और 15 अवस्थित है।

पर्यटन स्थल

[संपादित करें]

पशुपतिनाथ मंदिर

[संपादित करें]
पवित्र पाशुपत क्षेत्र

पशुपतिनाथ नेपाल में हिंदुओं का सबसे पवित्र तीर्थस्थान हे। इसे वाराणसी का छोटा रूप कहा जा सकता है। यहां पर मंदिरों की लंबी श्रृंखला, श्मशान घाट, धार्मिक स्‍नान और साधुओं की टोलियां देख सकते हैं। भगवान शिव को समर्पित पशुपतिनाथ मंदिर बागमती नदी के किनारे बना है। जिस तरह भारत में गंगा नदी को श्रद्धास्वरूप माना जाता है, उसी प्रकार नेपाल में बागमती को पवित्र माना जाता है। इस मंदिर को भगवान शिव का एक घर माना जाता है। प्रतिवर्ष हज़ारों श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं।

अशोक विनायक मंदिर

[संपादित करें]

अपनी सादगी के बावजूद यह मंदिर काठमांडू में भगवान गणेश का मुख्य मंदिर है। यह कष्टमंडप के पीछे स्थित है। यहां होने वाले धार्मिक अनुष्ठान राज्याभिषेक समारोह का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं इस मंदिर के बार में माना जाता है कि इसकी स्थापना गुंडकाम देव ने 10वीं शताब्दी में की थी। लेकिन इसका वर्तमान ढांचा 19वीं शताब्दी के मध्य में बना है। गणेश जी की पाषाण प्रतिमा अशोक के वृक्ष की स्वर्ण प्रतिलिपि के नीचे स्थित है। पहले अशोक का पेड़ पूर मंदिर को घेर हुए था और इसी के नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया।

हनुमान ढाेका (हनुमद् द्वार)

[संपादित करें]

देगूताले मंदिर और तालेतू मंदिर के बीच एक खुली जगह है जिसे हनुमान ढाेका कहा जाता है। इसका नाम हनुमान् जी के नाम पर रखा गया था जो महल मल्ल राजा अपना इष्ट देव मानते थे। 1672 में प्रताप मल्ल के शासक काल के दौरान हनुमान् जी की प्रतिमा द्वार के सामने लगाई गई थी ताकि बुरी आत्माएं और बीमारियां प्रवेश न कर सकें। सैकड़ों साल बाद भी यह प्रतिमा अपने रूप का प्रभाव कायम रखे हुए हैं।

जगन्नाथ मंदिर

[संपादित करें]

जगन्नाथ मंदिर हनुमान धोका के पास स्थित है। मंदिर में प्रवेश के तीन द्वार हैं। द्वारों, खिड़कियों और छत पर की गई लकड़ी की नक्काशी इस मंदिर की शान है। कहीं-कहीं रती संबंधी चित्र भी देखे जा सकते हैं। मूल रूप से यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित था लेकिन बाद में इसे भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया गया।

दरबार मार्ग

[संपादित करें]

दरबार मार्ग का निर्माण राणा वंश के शासन काल में हुए नगर विस्तार के दौरान किया गया था। 4ह काठमांडू पर्यटन का मुख्य केंद्र है। यहां पर महंगे होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसियां और एयरलाइंस ऑफ़िस मिल जाएंगे। दरबार मार्ग जंक्शन के बीच में पूर्व राजा महेंद्र की प्रतिमा लगी हुई है। इसके अलावा यहां पर बहुत से प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जहां पर नेपाल की संस्कृति के दर्शन किए जा सकते हैं।

आकाश भैरव मंदिर

[संपादित करें]

दुर्भाग्यवश यह मंदिर पर्यटकों के लिए नहीं खुलता। यह मंदिर भैरव के एक रूप को समर्पित है जिन्हें कीर्ति राजा यलंबा माना जाता है। अनुश्रुतियों के अनुसार राजा यलंबा महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए भारत आए थे। जब भगवान कृष्ण की नजर उन पर पड़ी तो कृष्ण ने उनसे पूछा की वे किसकी ओर से लड़ना चाहते हैं। राजा ने कहा कि वे हारने वालों की तरह से लड़ेंगे। यह सुनकर कृष्ण ने उनकी गर्दन काट दी जो काठमांडु आकर गिरी। यहां राजा यलंबा को आकाश भैरव के रूप में पूजा जाता है। प्रतिवर्ष यहां इंद्रा जात्रा उत्सव मनाया जाता है। मंदिर के भूतल में बहुत सारी छोटी-छोटी दुकानें भी हैं जिनके सामने कुली और रिक्शे वाले मिल जाएंगे।

राष्ट्रीय संग्रहालय

[संपादित करें]

स्वयंभूनाथ की पहाड़ियों के रास्ते में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय काठमांडू के लोगों और पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहां पर पुरानी कलाकृतियों के अलावा निवर्तमान राजाओं के स्मृतिचिह्नों और हाल ही में इस्तेमाल किए गए हथियारों को प्रदर्शित किया गया है। इस संग्रहालय में आने वाला दर्शक यहां आकर जाने पाते हैं कि पुराने समय में नेपाल पर राज करने के लिए कैसे युद्ध किए गए और बाद में अंग्रेज़ों से बचाने के लिए किस प्रकार की लड़ाईयां लड़ी गई। इसके अलावा संग्रहालय में पुरानी प्रतिमाएं, तस्वीरें और वॉल पेंटिंग्स भी देखी जा सकती हैं। यहां पर गुड़ियों और सिक्कों का संग्रह भी देखा जा सकता है। इनमें से कुछ सिक्के तो ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के हैं।

स्वयंभूनाथ

[संपादित करें]

विश्‍व धरोहर में शामिल स्वयंभू विश्‍व के सबसे भव्य बौद्ध स्थलों में से एक है। इसका संबंध काठमांडू घाटी के निर्माण से जोड़ा जाता है। काठमांडू से तीन किलोमीटर पश्चिम में घाटी से 77 मी. की ऊंचाई पर स्थित है स्वयंभू। इसके चारों ओर बनी आंखों के बार में माना जाता है कि ये गौतम बुद्ध की हैं जो चारों दिशाओं में देख रही हैं।

बौद्धनाथ

[संपादित करें]

काठमांडु से 6 किलोमीटर पूर्व में स्थित बौद्धनाथ दुनिया के सबसे बड़े स्तूपों में से एक है। यह विश्‍व धरोहर में शामिल है। इस स्तूप के बार में माना जाता है कि जब इसका निर्माण किया जा रहा था, तब इलाके में भयंकर अकाल पड़ा था। इसलिए पानी के मिलने के कारण ओस की बूंदों से इसका निर्माण किया गया। स्तूप 36 मीटर ऊंचा है और स्तूप कला का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।

प्रमुख त्यौहार

[संपादित करें]

काठमांडू के मौलिक प्रमुख त्यौहार मोहनी (विजया दशमी), स्वन्ति (दिपावली), नेपाल संवत के नव वर्ष, माघे संक्रान्ति, नाग पंचमी, गाय जात्रा (सापारु), पंचदान, इंद्रजात्रा (येँया पुन्हि), घंटाकर्ण, बुद्ध जयन्ती, श्रीपंचमी, महाशिवरात्री, फागु पुर्णिमा, घोडेजात्रा (पांहा चह्रे), चैते दशैं, जनबहाद्यः (स्वेत मत्सेन्द्रनाथ) रथ यात्रा, बाला चतुर्थी आदि है।

नेपाल के अन्य जगहौं से काठमांडू पर आकर बसे लोग भी यहाँ अपने संस्कृति अनुसार ल्होसार, तीज, जनै पुर्णिमा, छठ, उभौली, साकेला, देउडा आदि त्यौहार मनाते है।

कैसे जाएं

[संपादित करें]

नेपाल का त्रिभुवन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र नेपाल का एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा है। यहाँ के लिए दिल्ली और बैंकॉक के रास्ते आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहाँ मई-सितंबर के बीच जाना बेहतर रहता है।

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "All About Kathmandu". February 2022. मूल से से 28 September 2023 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 26 September 2023.
  2. "Census Nepal 2001". 28 जुलाई 2007 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: July 13 2007. {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= (help)
  3. "Archived copy" (PDF). cbs.gov.np. मूल से (PDF) से 6 February 2022 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 22 February 2022.{{cite web}}: CS1 maint: archived copy as title (link)
  4. "काठमांडू महानगरपालिका". 31 मार्च 2017 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 6 दिसंबर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  5. संक्षिप्त स्वयम्भू पुराण
  6. "काठमांडू महानगरपालिका". 4 अप्रैल 2009 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 6 दिसंबर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  7. पुस्तकः कान्तिपुर, लेखक बासु पासा
  8. "काठमांडू महानगरपालिका". 4 अप्रैल 2009 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 6 दिसंबर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  9. "Census Nepal 2001" (PDF). मूल से (PDF) से 8 जुलाई 2007 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: July 13 2007. {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= (help)
  10. "National Report 2001". मूल से से 10 दिसंबर 2007 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 6 दिसंबर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  11. "काठमांडू महानगरपालिका". 29 जुलाई 2017 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 6 दिसंबर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  12. Ward Profiles, Kathmandu Metropolitan City

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]