पशुपतिनाथ मन्दिर (नेपाल)
पशुपतिनाथ मन्दिर | |
---|---|
![]() पशुपतिनाथ मन्दिर | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | वनकाली, काठमांडू |
ज़िला | काठमांडू |
देश | ![]() |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | पगोड़ा |
वेबसाइट | |
http://www.pashupatinathtemple.org/ |
![]() |
पशुपतिनाथ मन्दिर (नेपाल) से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाली: पशुपतिनाथ मन्दिर) नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है। नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पहले यह मंदिर राष्ट्रीय देवता, भगवान पशुपतिनाथ का मुख्य निवास माना जाता था। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में सूचीबद्ध है।[1][2] पशुपतिनाथ में आस्था रखने वालों (मुख्य रूप से हिंदुओं) को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। गैर हिंदू आगंतुकों को इसे बाहर से बागमती नदी के दूसरे किनारे से देखने की अनुमति है। यह मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। 15 वीं शताब्दी के राजा प्रताप मल्ल से शुरु हुई परंपरा है कि मंदिर में चार मेंपुजारी (भट्ट) और एक मुख्य पुजारी (मूल-भट्ट) दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं।[2] पशुपतिनाथ में शिवरात्रि का पर्व विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है। यूनिस्को ने इसे सन 1979 मैं शामिल किया था और यह मंदिर पगोंडा शैली में बना है
इतिहास एवं किंवदंतियाँ
[संपादित करें]किंवदंतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था किंतु उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेज़ 13वीं शताब्दी के ही हैं। इस मंदिर की कई नकलों का भी निर्माण हुआ है जिनमें भक्तपुर (1480), ललितपुर (1566) और बनारस (19वीं शताब्दी के प्रारंभ में) शामिल हैं। मूल मंदिर कई बार नष्ट हुआ। इसे वर्तमान स्वरूप नरेश भूपतेंद्र मल्ल ने 1697 में प्रदान किया।[2]
नेपाल महात्म्य और हिमवतखंड पर आधारित स्थानीय किंवदंती के अनुसार भगवान शिव एक बार वाराणसी के अन्य देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे स्थित मृगस्थली चले गए, जो बागमती नदी के दूसरे किनारे पर जंगल में है। भगवान शिव वहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले गए। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए।[2]
भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की किंवदंती के अनुसार पाण्डवों को स्वर्गप्रयाण के समय भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन भीम ने उनकी पूँछ पकड़ ली थी। ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप केदारनाथ कहलाया, तथा जहाँ पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ कहलाया।[उद्धरण चाहिए]
गेलरी
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "SAARC tourism". Archived from the original on 22 जुलाई 2010. Retrieved 5 अप्रैल 2009.
- ↑ अ आ इ ई "मोदी ने किया भगवान पशुपतिनाथ का रुद्राभिषेक". नवभारत टाईम्स. 4 अगस्त 2014. Archived from the original on 12 अगस्त 2014. Retrieved 5 अगस्त 2014.
बाहरी कड़ियाँ[1]
[संपादित करें]- ↑ "50 Facts About the Sacred Pashupatinath Temple in Kathmandu" (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2023-04-09.