राणा वंश
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राणा वंश नेपाल का एक क्षत्रिय शासक वंश है।[1] सन् १८४६ से १९५१ तक नेपाल अधिराज्य में [2][3] सन् १९५१ सालके क्रान्तिसे राणा शासनका अन्त्य हो गया और फिरसे राजा त्रिभुवन शक्तिशाली बनगए। [4] इस वंश को काजी बालनरसिंह कुँवर के पुत्र जंगबहादुर राणा ने स्थापित किया था। थापा वंशके माथवरसिंह थापाकी हत्या करने के पश्चात कोत पर्व और भण्डरखाल पर्व दोनो हत्याकांड के बाद कुँवर परिवार का उदय हुआ था। बाद में उन्होनें कुँवर से राणा नाम लिखना सुरु किया था। लेकिन ये सभी क्षत्रिय थे। नेपाल में राणा वंश के संस्थापक "कुंभकर्ण" कहे जाते है, ये मेवाड़ के रावल रतनसिंह के सहोदर माने जाते है। किसी बात से नाराज होकर कुंभकर्ण नेपाल चले जाते है और वहां पर इस वंश की स्थापना करते है।
स्रोत
[संपादित करें]- ↑ "Greater Game: India's Race with Destiny and China by David Van Praagh". Archived from the original on 29 अप्रैल 2016. Retrieved 23 मई 2017.
- ↑ Dietrich, Angela (1996). "Buddhist Monks and Rana Rulers: A History of Persecution". Buddhist Himalaya: A Journal of Nagarjuna Institute of Exact Methods. Archived from the original on 1 अक्तूबर 2013. Retrieved 17 September 2013.
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(help) - ↑ Lal, C. K. (16 February 2001). "The Rana resonance". Nepali Times. Archived from the original on 28 सितंबर 2013. Retrieved 17 September 2013.
- ↑ Kraemer, Karl-Heinz. "Democratization and political parties in Nepal". Harvard University. Archived from the original on 24 मई 2013. Retrieved 2012-11-25.