विकिपीडिया:चौपाल/पुरालेख 50
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हिन्दी विकिपीडिया पर हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में 14 सितंबर से लेख प्रतियोगिता
@Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, NehalDaveND, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, राजू जांगिड़, और भोमाराम सुथार: @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: एवं और सभी सक्रिय सदस्यगण।
14 सितंबर को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी विकिपीडिया पर लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। हिन्दी दिवस विकिपीडिया पर पूरे महीने तक मनाया जाएगा। लेख प्रतियोगिता से विभिन्न विषयों पर हिन्दी में ज्यादा से ज्यादा लेख बनाने का आशय है। हिन्दी विकिपीडिया में प्रथम बार ही कोई ऐसा कार्यक्रम स्थानिक रूप से होने जा रहा है। इस प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए सभी सक्रिय सदस्यों को सादर निमंत्रण।
कृपया इस प्रतियोगिता में जुड़ने के लिए और अधिक जानकारी हेतु वि:हिन्दी दिवस देखें।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 04:22, 10 सितंबर 2017 (UTC)
हिन्दी दिवस लेख प्रतियोगिता से जुड़ें
नमस्ते सर्वेभ्यः
आप सब जानते ही है कि 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस है और इस उपलक्ष्य में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने, हिन्दी भाषा के ज्ञानकोष को और भी समृद्ध करने हेतु योगदानकर्ताओं को नए नए लेख बनाने के लिए प्रेरित करने हेतु 14 सितम्बर से 30 सितम्बर तक हिन्दी विकिपीडिया पर लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान में जुड़कर विकिपीडिया को समृद्ध बनाने में सहयोग दें।
निर्णायक
इस प्रतियोगिता के परिणाम निर्धारण, गुणांकन और लेखों की जाँच की प्रक्रिया हेतु एक समिति के गठन की आवश्यकता है। प्रतियोगिता के संचालकों का निर्णय अंतिम होगा। इस कार्य में सहयोग देने के लिए प्रबंधन और पुनरीक्षण कार्य के अनुभवी सदस्यों को सादर आमंत्रित किया जाता है। निर्णायक मंडल में सम्मिलित होने के लिए स्वैच्छिक रूप से अपना नाम नीचे सूची में जोड़े।
इस कार्य के लिए प्रबंधन और पुनरीक्षण का अनुभव आवश्यक है फिर भी कुछ सदस्य जो इस कार्य के लिए योग्य प्रतीत हो रहे हैं, उत्सुक है तो कृपया संचालकों को संदेश भेजकर भी अपनी इच्छा व्यक्त कर सकते हैं। इस कार्य में सहयोगी होने के लिए अपना नाम यहाँ दर्ज कराएं।
चर्चा में भाग लें
इस प्रतियोगिता में नीति निर्धारण, गुणांकन, लेखों की जांच, प्रतियोगिता का प्रचार-प्रसार आदि कार्यो के लिए आप सभी का सहयोग वाँछित है। विकिपीडिया वार्ता:हिन्दी दिवस पृष्ठ पर चर्चा में भाग लें।
प्रतियोगिता में जुड़े
हिन्दी विकिपीडिया पर स्थानिक तौर पर इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन प्रथम बार किया जा रहा है। इस की सफलता या निष्फलता हम सभी योगदानकर्ताओं के ऊपर निर्भर है। प्रथम प्रयास सफल होगा तो आगे भी इस प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन हो पायेगा। इसलिए आज ही इस प्रतियोगिता में जुड़िये और दूसरों को भी जोड़िए।
प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए यहाँ अपना नामांकन करायें।
सहायता
इस प्रतियोगिता के विषय में अधिक जानकारी हेतु वि:हिन्दी दिवस पृष्ठ पर नियम और लेख मार्गदर्शिका पढ़ें। अधिक जानकारी हेतु वि:हिन्दी दिवस/सूचना और वि:हिन्दी दिवस/सहायता देखें। और भी कोई सवाल हैं तो वार्तापृष्ठ पर लिखें या तो संचालकों का संपर्क करें।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 04:46, 12 सितंबर 2017 (UTC)
- एक राष्ट्रीय समाचार चैनल का इनपुट एडिटर होने के नाते मैं अपने मित्रों की किस प्रकार मदद कर सकता हूं। --कलमकार वार्ता 17:45, 13 सितंबर 2017 (UTC)
- ये जानकर खुशी हुई। कृपया वि:हिन्दी दिवस/प्रतिभागी पर नामांकन कर दीजिए और जुड़ जाइये। आप और कार्यों में भी सम्मिलित हो सकते हैं।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 04:49, 14 सितंबर 2017 (UTC)
- एक राष्ट्रीय समाचार चैनल का इनपुट एडिटर होने के नाते मैं अपने मित्रों की किस प्रकार मदद कर सकता हूं। --कलमकार वार्ता 17:45, 13 सितंबर 2017 (UTC)
Featured Wikimedian [September 2017]
Greeting, on behalf of Wikimedia India, I, Krishna Chaitanya Velaga from the Executive Committee, introduce you to the Featured Wikimedian of the Month for September 2017, Swapnil Karambelkar.
Swapnil Karambelkar is one of the most active Wikimedians from the Hindi community. Swapnil hails from Bhopal, Madhya Pradesh, and by profession a Mechanical Engineering, who runs his own firm based on factory automation and education. Swapnil joined Wikipedia in August 2016, through "Wiki Loves Monuments". He initially started off with uploading images to Commons and then moved onto Hindi Wikipedia, contributing to culture and military topics. He also contributes to Hindi Wikibooks and Wikiversity. Soon after, he got extensively involved in various outreach activities. He co-organized "Hindi Wiki Conference" in January 2017, at Bhopal. He delivered various lectures on Wikimedia movement in various institutions like Atal Bihari Hindi University, Sanskrit Sansthanam and NIT Bhopal. Along with Suyash Dwivedi, Swapnil co-organized the first ever regular GLAM project in India at National Museum of Natural Heritage, Bhopal. Swapnil is an account creator on Hindi Wikipedia and is an admin on the beta version on Wikiversity. Swapnil has been instrumental in establishing the first Indic language version of Wikiversity, the Hindi Wikiversity. As asked regarding his motivation to contribute to the Wikimedia movement, Swapnil says, "It is the realization that though there is abundance of knowledge around us, but it is yet untapped and not documented".
- @Swapnil.Karambelkar: हार्दिक बधाई। --अनामदास 08:20, 17 सितंबर 2017 (UTC)
- @Swapnil.Karambelkar: बधाई AbhiSuryawanshi (वार्ता) 19:28, 20 सितंबर 2017 (UTC)
जयपुर में प्रशिक्षण कार्यशाला
नवंबर माह के प्रथम अथवा द्वितीय सप्ताहांत में जयपुर में एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें वरिष्ठ प्रबंधकों व पुनरीक्षकों द्वारा विकिपीडिया के रखरखाव एवं प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जाएगी। इच्छुक सदस्य कृपया अपना नामांकन करें और संकेत करें कि क्या आप यात्रा एवं ठहरने हेतु सहायता की आवश्यकता है अथवा नहीं। कार्यशाला हेतु त्वरित अनुदान की अनुशंसा की जाएगी अतः रेल यात्रा का ही खर्च दिया जा सकता है। --अनामदास 08:30, 17 सितंबर 2017 (UTC) अधिक जानकारी एवं सम्मिलित होने के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला-जयपुर पृष्ठ पर जाए।
- शुभकामनाएं AbhiSuryawanshi (वार्ता) 19:26, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- हिंदी विकिपीडिया समुदाय के लिए बहुत अच्छा विचार है इसे भरपूर समर्थन मिलना चाहिए,मेरी और से हार्दिक शुभकामनाये। स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 06:26, 25 सितंबर 2017 (UTC)
तिथि की अनुकूलता पर १ अक्टूबर २०१७ तक यहाँ मत व्यक्त करें --सुयश द्विवेदी (वार्ता) 19:59, 28 सितंबर 2017 (UTC)
RfC regarding "Interlinking of accounts involved with paid editing to decrease impersonation"
There is currently a RfC open on Meta regarding "requiring those involved with paid editing on Wikipedia to link on their user page to all other active accounts through which they advertise paid Wikipedia editing business."
Note this is to apply to Wikipedia and not necessarily other sister projects, this is only to apply to websites where people are specifically advertising that they will edit Wikipedia for pay and not any other personal, professional, or social media accounts a person may have.
Please comment on meta. Thanks. Send on behalf of User:Doc James.
MediaWiki message delivery (वार्ता) 21:07, 17 सितंबर 2017 (UTC)
सदस्य स्वप्निल करम्बेलकर जी का स्वतः परीक्षित स्तर हेतु नामांकन
सदस्य स्वप्निल करम्बेलकर जी का स्वतः परीक्षित स्तर हेतु नामांकन किया गया है। रखरखाव में संलग्न सभी सदस्यों से निवेदन है कि कृपया अपना मत यहाँ व्यक्त करें। --अनामदास 02:33, 18 सितंबर 2017 (UTC)
राजू जांगिड़ जयपुर कार्यशाला हेतु CIS से यात्रा अनुदान
@Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, NehalDaveND, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार: @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: एवं और सभी सक्रिय सदस्यगण।
नमस्ते सभी विकिमित्रों,
जैसा कि आप सभी को पता ही होगा कि अनामदास जी ने यहीं पर एक प्रस्ताव रखा है कि जयपुर में एक विकिपीडिया तकनीकी कार्यशाला होनी है इसके लिए बड़ी ग्रांट के बजाय रैपिड ग्रांट ही ले पाएंगे क्योंकि समय बहुत कम है। इसलिये मैं भी इस जयपुर में होने वाले विकिपीडिया के वर्कशॉप में शामिल होना चाहता हूँ लेकिन अभी मैं पुणे, महाराष्ट्र में हूँ और यहाँ से जयपुर पहुँचने में रेल से तकरीबन 23-24 घंटे लग रहे है इसलिए मैं चाहता हूँ कि CIS से हवाई यात्रा के लिए अनुदान माँगू, तो आपकी क्या राय है कि मुझे इसके लिए CIS से अनुदान के लिये अनुरोध करना चाहिए या नहीं । आप मेरे योगदान यहाँ पर देख सकते है। --•●राजू जांगिड़ (चर्चा करें●•) 03:23, 19 सितंबर 2017 (UTC)
समर्थन
- समर्थन--☆★[[u:Chandresh Chhatlani|Chandresh Chhatlani (वार्ता) 06:09, 28 सितंबर 2017 (UTC)]] (✉✉) 02:56, 24 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन- जयपुर कार्यशाला के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक सदस्यों का जुड़ना आवश्यक है। राजू जी के योगदान को देखते हुए यह स्वाभाविक लगता है कि वे अगले स्तर पर पहुँचें व प्रशिक्षण लेकर विकिपीडिया के रखरखाव और प्रबंधन में और उत्साह से योगदान करें। अतः इस अनुदान हेतु मेरा हृदय से समर्थन है। बाकी सदस्यों से भी निवेदन है कि अपना मत व्यक्त करें ताकि समुदाय की आमराय के हिसाब से अनुदानदाताओं को निर्णय लेना सुगम हो सके। --अनामदास 17:09, 19 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन - नियमानुसार पूर्ण समर्थन। अजीत कुमार तिवारी वार्ता 04:41, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन - यद्यपि कम दूरी/समय से आने वालो के लिए खर्चे का प्रावधान है परन्तु राजूजी को बहुत दूर से आना है जिसमे समय अधिक लगेगा अतः CIS से यात्रा अनुदान हेतु पूर्ण समर्थन।स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 05:44, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन - अनुभवी सदस्यों का और अधिक प्रशिक्षण देना ही इस कार्यशाला का उद्देश्य है,पूर्व में भी CIS ने इस प्रकार से सदस्यों की सहायता की है जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र है, यह अनुदान निश्चित ही राजू जी की सहायता करेगा अतः पूर्ण समर्थन -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 05:42, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन ---मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 09:23, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन--जयप्रकाश >>> वार्ता 10:14, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन-- AbhiSuryawanshi (वार्ता) 19:22, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 02:41, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन-- Sush_0809 06:12, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन-- Aditi1601
- समर्थनManavpreet Kaur (वार्ता) 11:06, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन --Abhinav619 (वार्ता) 15:58, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन पूर्ण समर्थन ----आशीष भटनागरवार्ता 01:48, 23 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन--☆★आर्यावर्त (✉✉) 02:56, 24 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन-- ॐNehalDaveND•✉•✎ 04:16, 24 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन--Abhijeet Safai (वार्ता) 08:40, 30 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन- जे. अंसारी वार्ता -- 06:11, 8 अक्टूबर 2017 (UTC)
विरोध
टिप्पणी
अधिकार त्याग पर पुनर्विचार
@Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार:
@संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: एवं और सभी सक्रिय सदस्यगण।इस स्थान पर मिले मार्गदर्शन अनुसार पुनर्विचार के लिये समुदाय के सम्मुख उपस्थित हूँ। पुनर्विचार अर्थात् मैंने जो विचार किया है, वो आप सभी के सम्मुख प्रस्थापित करता हूँ इस में यदि आपको लगे कि मुझे अभी भी पुनर्विचार की आवश्यकता है, तो स्वदोष का उन्मूलन करने के लिये सज्ज हूँ। सर्वप्रथम तो आप वार्ता:2017 अमरनाथ यात्रा हमला इस वार्ता पृष्ठ की चर्चा देखें, जिसमें पीयूषजी ने बिना तर्क दिये तार्किक रूप से सही लिख कर विवाद को जन्म दिया है। यदि हिन्दी विकिपीडिया में मैं हिन्दी शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकता, तो हिन्दी विकिपीडिया में सम्पादन का क्या लाभ? मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि हमला शब्द अनुचित है, परन्तु इससे आक्रमण शब्द अनुचित नहीं हो जाता। यदि मेरे लिये हमला शब्द अनुचित होता, तो मैं अन्य पृष्ठो के शीर्षक में प्रयुक्त उस शब्द के परिवर्तन का प्रयास करता। अतः मेरे व्यवहार से ही ये स्पष्ट है कि मैं उस शब्द का विरोधी नहीं हूँ।
90 प्रतिशत जनसमुदाय अमुक शब्द का उपयोग करते हैं, तो उनको जैसे अमुक शब्द प्रयोग करने का अधिकार है, वैसे ही 10 प्रतिशत लोग जो समानार्थी अन्य शब्द उपयोग करते हैं उनको भी होना चाहिए। उसमें अधिकतर लोग आज कल इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं, तो वो 10 प्रतिशत लोग भी वही शब्द उपयोग करें ये आदेश नहीं दिया जा सकता। यहाँ वही हुआ है। जैसे कोई भी समाचारवाहिनी, कार्यक्रम या साक्षात्कार आप देखें। वहाँ मेरे को, हमारे को मैंने ये करा जैसे शब्दों का 80 प्रतिशत उपयोग होता है। यदि भविष्य में इन शब्दों का उचित रूप में स्वीकार कर लिया जाए, तो मुझे, हमें, मैंने किया इत्यादि शब्द अनुचित नहीं हो जाते। यद्यपि अधिकतर लोग 'मेरे को' बोल रहे हों, परन्तु जो 'मुझे' बोल रहे हैं उन्हें ये नहीं कहा जा सकता कि सब लोग 'मेरे को' बोलतें है, तो तुम वहीं करो।
जब तर्क नहीं होते, तो स्वतन्त्र और मुक्त नीति की बात होती है। तर्क ये दिया जाता है कि, वो लेख तुमने बनाया, तो तुम्हारा नहीं हो जाता। उसे यहाँ कोई भी परिवर्तित कर सकता है। उसी तर्क के आधार पर जब मैं कहता हूँ कि 2013 सांबा-हीरानगर आतंकी हमला इस शीर्षक में परिवर्तन कर मैं आक्रमण शब्द जोड़ देना चाहता हूँ, तो वो विकि कार्यों में विघ्न उत्पन्न होने का कार्य हो जाता है।
वार्ता:2017 अमरनाथ यात्रा हमला इस चर्चा के समय मेरे सम्मुख कुछ तथ्य आये। तो जैसे कहा गया कि ये तथ्य नहीं है, या ये होना चाहिये, वो सब मैंने अन्तर्भूत किया(जो उचित था, वो परिवर्तन किया)। जहाँ ये मार्गदर्शन मिला कि केवल भारतीय समाचार वाहिनीयों को आधार बनाकर नहीं लिखना चाहिये, तो मैंने अन्य देश के भी समाचारपत्रों का सन्दर्भ, जो उनके द्वारा संकेत दिया गया, उसके आधार पर ही निष्पक्ष लिखा। सब सन्दर्भ सहित लिखा था। फिर भी दुर्व्यवहार जो मेरे साथ हुआ, वो आपके सम्मुख है। मैंने वो सब अन्तर्भूत किया, जो मुझे कहा गया। फिर भी पक्षपात् हुआ तो मेरे साथ ही।
एक पक्ष में कहा जाता है कि, चर्चा करो। चर्चा करने से समाधान अवश्य मिलेगा। वहीँ पक्षान्तर में बिना चर्चा के ही निर्णय कर देना या परिवर्तन कर देना, ये कितना उचित है? जो घटनाक्रम चला उससे ये स्पष्ट हो गया कि, हिन्दी विकिपीडिया पर हिन्दी शब्दों का उपयोग ही निषद्ध है। आप उन्हीं शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं, जो प्रबन्धक/कों ने पढ़ें है, या उनके द्वारा प्रयोग के योग्य हैं। न्यूनतया जिन शब्दों का प्रयोग होता है, वो वर्जित ही है। (केवल उसको घोषित नहीं किया गया है।) इस सार को प्राप्त कर मैंने हि.वि में अपना स्थान कहीं अनुभव नहीं किया। मैं हिन्दी लिखना चाहता हूँ। परन्तु हिन्दी शब्द यदि हि.वि पर "हिन्दी नहीं है", तो मेरा किया सम्पादन व्यर्थ ही होता है। प्रयोजनमनुद्दिश्य न मन्दोऽपि प्रवर्तते ॥ अर्थात् व्यर्थ कार्य तो मूर्ख भी नहीं करते हैं ऐसा मैंने सुना है। सन्दर्भ
मेरा निवेदन है कि, मेरे त्याग के निर्णय पर विचार करने से कोई लाभ नहीं। अपि तु ऊपर जो तथ्य दिये हैं या मैंने जो तर्क उपस्थापित किया गया है, उसके सन्दर्भ में विचार किया जाए तो ही इस चर्चा का लाभ होगा। शब्द का उपयोग यदि नीति विरुद्ध है, तो मेरा मार्गदर्शन करें। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎ 03:33, 19 सितंबर 2017 (UTC)
टिप्पणी
- मैं आजकल व्यक्तिगत कारणों से विकिपीडिया के लिए समय नहीं निकाल पा रहा हूँ अतः अधिक विस्तार में न जाते हुए सभी की ओर से हुए किसी भी ऐसे व्यवहार के लिए, जिसे आपने दुर्व्यवहार की संज्ञा देना उचित समझा, आपसे क्षमा याचना करता हूँ और निवेदन करता हूँ कि कृपया अपना योगदान जारी रखें। मतभेद चलते रहते हैं मनभेद नहीं होना चाहिए। विस्तार में फिर कभी। अस्तु। --अनामदास 17:16, 19 सितंबर 2017 (UTC)
- मेरे विचार में आपका शब्दचयन सही है, किंतु हर कोई अपने ज्ञान से ही सोचता है अतः सभी सही हैं। ज्ञानियों को क्रोध उचित नहीं। --अनामदास 17:18, 19 सितंबर 2017 (UTC)
कुछ नही, आप तो लिखना शुरू कर दीजिए। 'आक्रमण' ही लिखिए, 'हमला' नहीं। यही संविधानसम्मत भी है- संविधान ने घोषणा की है कि हिन्दी, संस्कृत और भारतीय भाषाओं से शब्द ग्रहण करेगी। 'आक्रमण' को सिंहल व्यक्ति भी समझ जाएगा, तमिल भी, मलयाली भी, काश्मीरी और नेपाली भी। 'हमला' का प्रयोग कर सकते हैं तो 'अटैक' क्या बुरा है? नुक्ता मत लागाइए। यही नीतिसम्मत है। 'ज़िला' नहीं, 'जिला' लिखिए। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:55, 19 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, संविधान सम्मत तो शायद अरबी अंको का हिंदी लिखते समय प्रयोग भी है। पर यहाँ इसे लागू नहीं कराया जा पाया। बहरहाल जो शब्द हिंदी ने पहले से ग्रहीत कर रखे हैं उन्हें हटा कर संस्कृत अथवा भारतीय भाषाओं से शब्द लाये जायेंगे यह घोषणा शायद संविधान नहीं करता। खिड़की को वातायन बना देने से संविधान कौन सी सेवा अथवा हिंदी भाषा का कौन सा उत्कर्ष हो जाएगा कृपया कभी इसपर भी प्रकाश डालियेगा परन्तु शायद यह बाद में उचित होगा, फिलहाल तो आपको राय इस बात पर देनी चाहिए कि ऐसे कारणों से दायित्व छोड़ना उचित है अथवा नहीं। @Anamdas: जी पता नहीं ग़ज़ल सुनते हैं या गजल। --SM7--बातचीत-- 18:41, 19 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, आपको शायद पता नहीं है कि संविधान ने तथाकथित 'हिन्दुस्तानी' को नहीं, 'हिन्दी' को राजभाषा घोषित किया है। दोनों में अन्तर भी जानते होंगे। संविधान ने 'आरबी अंकों' को मान्यता नहीं दी है, 'हिन्दू अंकों के अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप' को मान्यता दी है। पर मैं आपसे चर्चा करने से डरता हूं क्योंकि आप कभी-न-कभी ३६० डिग्री की पल्टी मार जाते हैं। 'भाषा की शुद्धता' के विरुद्ध कुछ भी लिख सकते हैं किन्तु हिन्दी में अरबी-फारसी शब्दों के अपने 'परमशुद्ध रूप में प्रयोग' (नुक्ता न छूटने पाये) के समर्थन में जिहाद करने के लिए सदा तैयार रहते हैं।03:19, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, 180 अंश पे दो दिशाओं में चलने का प्रयास वो लोग भी करते हैं जिन्होंने संस्कृताइजेशन को "हिंदी हित" और अपने को "स्वघोषित हिंदी हितैषी" मान रखा है। उदाहरणार्थ, जब हिंदी बोलने वालों की संख्या गिनाना हो और विश्व में किसी ख़ास पदानुक्रम पर हिंदी को प्रतिष्ठित कराना हो तो सारे यूपी-बिहार की भाषा उन्हें हिंदी दिखती है, तब वहाँ नहीं फ़रमाते कि लखनऊ-इलाहाबाद वाले "हिंदी" नहीं "हिन्दुस्तानी" बोलते या बलिया-छपरा-दरभंगा वाले "बिहारी" बोलते। तब बड़े-बड़े भाषाई (ग़ैर-धारदार) हथियार लेकर साबित करने में जुट जाते कि यह हिंदी ही है। वहीं जब विकिपीडिया जैसी आम जगह पर लखनऊ वाला हिंदी लिखता है तो तुरंत 180 अंश की पलटी मार के उसकी भाषा में अरबी-फ़ारसी खोज लिया जाया करता है और उससे आग्रह किया जाता है कि "हिंदी" लिखिए जनाब "हिन्दुस्तानी" नहीं। इस दुतारफेपन की ओर आपका ध्यान नहीं जाता? संख्या का ही अनुमान बता दीजियेगा कि कितने लोग "हिन्दुस्तानी" बोलते-लिखते हैं और कितने संविधान सम्मत उस भाषा को जो हिन्दुस्तानी नहीं है। 'परमशुद्ध रूप में प्रयोग' कहाँ हो पाता सर जी, देवनागरी लिपि में अरबी के चार किसिम के ज लिखने की गुंजाइस कहाँ है? हम तो नुकता लगा के काम चलाने की कोसिस करते हैं जो भी भारी लगता (आप जैसों को) जबकि बहुत कुछ संस्कृत वाला फूलमाला प्रतीत होता। --SM7--बातचीत-- 06:26, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, 'भाषा' ऐसे ही परिभाषित होती है। 'आम' नाम वाले फल को ही ले लीजिए। १० ग्राम भार वाला आम भी मिल सकता है, २ किलो वाला भी। आम का वृक्ष १ मीटर ऊँचा भी हो सकता है और ५० मीटर ऊँचा भी। एक आम वह भी होता है जिसका स्वाद इमली से कम खट्टा नहीं होता (कच्चे में) और दूसरा वह भी होता है जो सेब जैसा मीठा। कच्चे आम प्रायः हरे रंग के होते हैं किन्तु 'सिन्दूरी आम' सिन्दूरी रंग का होता है। सभी आम ही हैं। कोई भाषा नहीं है जिसका रूप पूरे 'क्षेत्र' में एक ही हो। अंग्रेजी के कितने रूप हैं आपको पता होगा। हिन्दी भी भिन्न-भिन्न होते हुए 'एक' है। आप इलाहाबाद की बात करते हैं, इलाहाबाद और बनारस के ही लोगों ने हिन्दी का आन्दोलन चलाया और हिन्दी के विकास के प्रतिमान स्थापित किए।अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:59, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, यदि सभी आम हैं, दूसरे किसी फल से तुलना करते वक़्त जब सभी को आम कहते हैं, तो खुद खाने के समय कलमी और बीजू में विभेद क्यों करते हैं। इस विविधता पर रंदा मार के सब सपाट कर देना किसी प्रकार की मजबूरी हो यह भी अनुचित है परन्तु इस विवशता के बहाने किसी ख़ास क़िस्म को ही शुद्ध मानना और उसे बढ़ावा देना "हिंदी हित" कहलाये यह कैसे न्यायसंगत ठहराया जा सकता? इलाहाबाद-बनारस के हिंदी हेतु योगदान से भी काफ़ी सीमा तक परिचित हूँ (पढ़ा है) और इनके आपसी अंतर्विरोधों से भी। आपने नीचे एक टिप्पणी में लिखा है "पिछले पन्द्रह-बीस वर्षों से भारत में एक अघोषित अभियान चला"। क्षमा चाहता हूँ - यह पंद्रह-बीस साल पुराना नहीं है, न ही अघोषित ही। अघोषित अभियान वह था/है जो लगभग स्वतन्त्रतापूर्व से हिंदी में चल रहा इसके शुद्धीकरण का - हाँ इस शुद्धीकरण के ख़िलाफ़ लोगों ने "जिहाद" (आपके ही शब्दों में ही, वैसे इसे बग़ावत कहें तो अधिक समीचीन हो) अवश्य किया। अफ़सोस कि उर्दू में मतरूक़ात के विरुद्ध यह भी नहीं हो पाया। कम से कम उतना नहीं जितना हिंदी में हुआ। "छद्मवेशधारी माफियागिरी" की पहचान के मामले शायद आपको मेरे विचार 180 अंश पे लगें, पर घुट्टी हमें हिंदी की शुरूआत से यह पिलाई गई है कि जो संस्कृतनिष्ठ है वही शुद्ध है या अच्छी हिंदी है। यह घुट्टी पिए हुओं को "हिंदी हित" कुछ और ही दीखता। यदि वास्तव में आपको हिन्दुस्तानी भी आम दिखती है और मानक हिंदी भी, तो जब केवल "हिंदी" कहा जाता है तो उसे आम की तरह क्यों नहीं लेते हैं उसमें से हिन्दुस्तानी वाले आम छाँटने क्यों लगते हैं? --SM7--बातचीत-- 15:43, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, 'देशी आम' और 'विदेशी आम' में अन्तर करना बहुत आवश्यक है। हिन्दी आन्दोलन का यही तर्क था कि उर्दू-फारसी के शब्द और उनकी लिपि हमारे क्षेत्र के लिए असहज, अप्राकृतिक, विदेशी हैं। ये दासता के परिणाम भी हैं, साधन भी। यह काम केवल भारत में हुआ हो, ऐसा भी नहीं। कई देशों में हुआ है। तुर्की जैसे मुसलमान-बहुल देश ने 'विदेशी लिपि' का ही त्याग नहीं किया, 'विदेशी शब्दों' के अप्रयोग का विधान बनाकर अपनी 'तुर्क संस्कृति' की रक्षा की। जबकि भारत में कुछ लोग 'हाय फारसी, हाय नुक्ता' कह-कह-कर छाती पीटे जा रहे हैं। प्रचलित शब्दों' का हिन्दी में उपयोग होना चाहिए', इसकी बखिया स्वप्निल जी ने नीचे उधेड़ी है, उसे भी देख लीजिएगा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 03:36, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, "हिन्दुस्तानी" आम कब से विदेशी हो गया ? --SM7--बातचीत-- 04:19, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, 'हिन्दुस्तानी आम' की दुकान गांधीजी ने खोली थी, एक समुदायविशेष को तुष्ट करने के लिए। (वैसे ही जैसे खिलाफत से भारत का कोई सीधा सम्बन्ध न होते हुए भी खिलाफत आन्दोलन चलाया था।) अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:33, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: अभी यह बिक रहा है कि नहीं यूपी बिहार में? कि यूपी बिहार वाले विदेशी भाषा बोलते हैं? और गांधीजी ने खोली थी, यह तथ्य सुधार लें, हिन्दुस्तानी उस मानक हिंदी का पूर्वरूप है जिसकी दूकान कुछ लोग संस्कृति रक्षा के नाम पे चलाना चाहते। --SM7--बातचीत-- 05:48, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, नहीं बिक रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार वाले जो भाषा बोलते हैं वह विदेशी नहीं है, लेकिन उसे विदेशी बनाने के बहुत से उपक्रम चले थे और अब भी गुप्त रूप से चलाये जा रहे हैं।अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:52, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, चलिए कम से कम यह तो माना आपने कि यह देसी ही है। लगे हाथों यह भी बता दें कि हिंदी में इसे गिना जाय या अलग भाषा के रूप में। साथ ही एक और जिज्ञासा है, हिंदी पट्टी में अंगूर बिकता है कि द्राक्षा ?--SM7--बातचीत-- 14:16, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, कहाँ मान लिया कि देसी ही है, किसको मान लिया? मेरे किस वाक्य से आपने यह समझ लिया? अब दूसरी बात पर। भोजपुरी क्षेत्र में टैक्सोनॉमी का प्रचलन है या वर्ग/श्रेणी का?
- @अनुनाद सिंह: जी, चलिए कम से कम यह तो माना आपने कि यह देसी ही है। लगे हाथों यह भी बता दें कि हिंदी में इसे गिना जाय या अलग भाषा के रूप में। साथ ही एक और जिज्ञासा है, हिंदी पट्टी में अंगूर बिकता है कि द्राक्षा ?--SM7--बातचीत-- 14:16, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, नहीं बिक रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार वाले जो भाषा बोलते हैं वह विदेशी नहीं है, लेकिन उसे विदेशी बनाने के बहुत से उपक्रम चले थे और अब भी गुप्त रूप से चलाये जा रहे हैं।अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:52, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: अभी यह बिक रहा है कि नहीं यूपी बिहार में? कि यूपी बिहार वाले विदेशी भाषा बोलते हैं? और गांधीजी ने खोली थी, यह तथ्य सुधार लें, हिन्दुस्तानी उस मानक हिंदी का पूर्वरूप है जिसकी दूकान कुछ लोग संस्कृति रक्षा के नाम पे चलाना चाहते। --SM7--बातचीत-- 05:48, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, 'हिन्दुस्तानी आम' की दुकान गांधीजी ने खोली थी, एक समुदायविशेष को तुष्ट करने के लिए। (वैसे ही जैसे खिलाफत से भारत का कोई सीधा सम्बन्ध न होते हुए भी खिलाफत आन्दोलन चलाया था।) अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:33, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, "हिन्दुस्तानी" आम कब से विदेशी हो गया ? --SM7--बातचीत-- 04:19, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, 'देशी आम' और 'विदेशी आम' में अन्तर करना बहुत आवश्यक है। हिन्दी आन्दोलन का यही तर्क था कि उर्दू-फारसी के शब्द और उनकी लिपि हमारे क्षेत्र के लिए असहज, अप्राकृतिक, विदेशी हैं। ये दासता के परिणाम भी हैं, साधन भी। यह काम केवल भारत में हुआ हो, ऐसा भी नहीं। कई देशों में हुआ है। तुर्की जैसे मुसलमान-बहुल देश ने 'विदेशी लिपि' का ही त्याग नहीं किया, 'विदेशी शब्दों' के अप्रयोग का विधान बनाकर अपनी 'तुर्क संस्कृति' की रक्षा की। जबकि भारत में कुछ लोग 'हाय फारसी, हाय नुक्ता' कह-कह-कर छाती पीटे जा रहे हैं। प्रचलित शब्दों' का हिन्दी में उपयोग होना चाहिए', इसकी बखिया स्वप्निल जी ने नीचे उधेड़ी है, उसे भी देख लीजिएगा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 03:36, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, यदि सभी आम हैं, दूसरे किसी फल से तुलना करते वक़्त जब सभी को आम कहते हैं, तो खुद खाने के समय कलमी और बीजू में विभेद क्यों करते हैं। इस विविधता पर रंदा मार के सब सपाट कर देना किसी प्रकार की मजबूरी हो यह भी अनुचित है परन्तु इस विवशता के बहाने किसी ख़ास क़िस्म को ही शुद्ध मानना और उसे बढ़ावा देना "हिंदी हित" कहलाये यह कैसे न्यायसंगत ठहराया जा सकता? इलाहाबाद-बनारस के हिंदी हेतु योगदान से भी काफ़ी सीमा तक परिचित हूँ (पढ़ा है) और इनके आपसी अंतर्विरोधों से भी। आपने नीचे एक टिप्पणी में लिखा है "पिछले पन्द्रह-बीस वर्षों से भारत में एक अघोषित अभियान चला"। क्षमा चाहता हूँ - यह पंद्रह-बीस साल पुराना नहीं है, न ही अघोषित ही। अघोषित अभियान वह था/है जो लगभग स्वतन्त्रतापूर्व से हिंदी में चल रहा इसके शुद्धीकरण का - हाँ इस शुद्धीकरण के ख़िलाफ़ लोगों ने "जिहाद" (आपके ही शब्दों में ही, वैसे इसे बग़ावत कहें तो अधिक समीचीन हो) अवश्य किया। अफ़सोस कि उर्दू में मतरूक़ात के विरुद्ध यह भी नहीं हो पाया। कम से कम उतना नहीं जितना हिंदी में हुआ। "छद्मवेशधारी माफियागिरी" की पहचान के मामले शायद आपको मेरे विचार 180 अंश पे लगें, पर घुट्टी हमें हिंदी की शुरूआत से यह पिलाई गई है कि जो संस्कृतनिष्ठ है वही शुद्ध है या अच्छी हिंदी है। यह घुट्टी पिए हुओं को "हिंदी हित" कुछ और ही दीखता। यदि वास्तव में आपको हिन्दुस्तानी भी आम दिखती है और मानक हिंदी भी, तो जब केवल "हिंदी" कहा जाता है तो उसे आम की तरह क्यों नहीं लेते हैं उसमें से हिन्दुस्तानी वाले आम छाँटने क्यों लगते हैं? --SM7--बातचीत-- 15:43, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, 'भाषा' ऐसे ही परिभाषित होती है। 'आम' नाम वाले फल को ही ले लीजिए। १० ग्राम भार वाला आम भी मिल सकता है, २ किलो वाला भी। आम का वृक्ष १ मीटर ऊँचा भी हो सकता है और ५० मीटर ऊँचा भी। एक आम वह भी होता है जिसका स्वाद इमली से कम खट्टा नहीं होता (कच्चे में) और दूसरा वह भी होता है जो सेब जैसा मीठा। कच्चे आम प्रायः हरे रंग के होते हैं किन्तु 'सिन्दूरी आम' सिन्दूरी रंग का होता है। सभी आम ही हैं। कोई भाषा नहीं है जिसका रूप पूरे 'क्षेत्र' में एक ही हो। अंग्रेजी के कितने रूप हैं आपको पता होगा। हिन्दी भी भिन्न-भिन्न होते हुए 'एक' है। आप इलाहाबाद की बात करते हैं, इलाहाबाद और बनारस के ही लोगों ने हिन्दी का आन्दोलन चलाया और हिन्दी के विकास के प्रतिमान स्थापित किए।अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:59, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, 180 अंश पे दो दिशाओं में चलने का प्रयास वो लोग भी करते हैं जिन्होंने संस्कृताइजेशन को "हिंदी हित" और अपने को "स्वघोषित हिंदी हितैषी" मान रखा है। उदाहरणार्थ, जब हिंदी बोलने वालों की संख्या गिनाना हो और विश्व में किसी ख़ास पदानुक्रम पर हिंदी को प्रतिष्ठित कराना हो तो सारे यूपी-बिहार की भाषा उन्हें हिंदी दिखती है, तब वहाँ नहीं फ़रमाते कि लखनऊ-इलाहाबाद वाले "हिंदी" नहीं "हिन्दुस्तानी" बोलते या बलिया-छपरा-दरभंगा वाले "बिहारी" बोलते। तब बड़े-बड़े भाषाई (ग़ैर-धारदार) हथियार लेकर साबित करने में जुट जाते कि यह हिंदी ही है। वहीं जब विकिपीडिया जैसी आम जगह पर लखनऊ वाला हिंदी लिखता है तो तुरंत 180 अंश की पलटी मार के उसकी भाषा में अरबी-फ़ारसी खोज लिया जाया करता है और उससे आग्रह किया जाता है कि "हिंदी" लिखिए जनाब "हिन्दुस्तानी" नहीं। इस दुतारफेपन की ओर आपका ध्यान नहीं जाता? संख्या का ही अनुमान बता दीजियेगा कि कितने लोग "हिन्दुस्तानी" बोलते-लिखते हैं और कितने संविधान सम्मत उस भाषा को जो हिन्दुस्तानी नहीं है। 'परमशुद्ध रूप में प्रयोग' कहाँ हो पाता सर जी, देवनागरी लिपि में अरबी के चार किसिम के ज लिखने की गुंजाइस कहाँ है? हम तो नुकता लगा के काम चलाने की कोसिस करते हैं जो भी भारी लगता (आप जैसों को) जबकि बहुत कुछ संस्कृत वाला फूलमाला प्रतीत होता। --SM7--बातचीत-- 06:26, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, आपको शायद पता नहीं है कि संविधान ने तथाकथित 'हिन्दुस्तानी' को नहीं, 'हिन्दी' को राजभाषा घोषित किया है। दोनों में अन्तर भी जानते होंगे। संविधान ने 'आरबी अंकों' को मान्यता नहीं दी है, 'हिन्दू अंकों के अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप' को मान्यता दी है। पर मैं आपसे चर्चा करने से डरता हूं क्योंकि आप कभी-न-कभी ३६० डिग्री की पल्टी मार जाते हैं। 'भाषा की शुद्धता' के विरुद्ध कुछ भी लिख सकते हैं किन्तु हिन्दी में अरबी-फारसी शब्दों के अपने 'परमशुद्ध रूप में प्रयोग' (नुक्ता न छूटने पाये) के समर्थन में जिहाद करने के लिए सदा तैयार रहते हैं।03:19, 20 सितंबर 2017 (UTC)
┌───────────────────────────────────────────┘
@अनुनाद सिंह: जी, ऊपर आपने लिखा है - उत्तर प्रदेश और बिहार वाले जो भाषा बोलते हैं वह विदेशी नहीं है तो यह प्रतीत हुआ कि आपने स्वीकारा कि "हिन्दुस्तानी भाषा" विदेशी नहीं देसी ही है। क्योंकि यहाँ तो अंगूर ही बेचते ख़रीदते खाते हैं। भोजपुरी वाला उदाहरण आप प्रश्न के उत्तर के रूप में ढूँढ के लाये हैं तो "टैक्सोनॉमी" कोई प्रचलित शब्द नहीं है, न ही इसका भोजपुरी अनुवाद मौजूद है, वर्ग और श्रेणी भी आम प्रचलित शब्द नहीं - कलास या कटेगरी जरूर चलन में हैं पुराने लोगों में दर्जा भी, पर इनमें से कोई टैक्सोनॉमी का समानार्थी नहीं इसलिए मूल अंगरेजी ही लिखा है, आपको कोई भोजपुरी शब्द पता हो तो सुझाएँ। आगे स्पष्ट पता चले मुझे इसके लिए साफ़-साफ़ बता भी दें कि "हिन्दुस्तानी भाषा" (जिसका नाम आपने ऊपर लिया कि "हिन्दी", "हिन्दुस्तानी" नहीं) देसी है या विदेशी। वैसे आपने लिखा है "देशी आम" और "विदेशी आम" में अन्तर करना बहुत आवश्यक है, साथ ही विदेशी शब्दों के अप्रयोग का विधान बनाकर संस्कृति रक्षा की बात भी कही है। अमरुद और आलू खाते हैं या संस्कृति अभी बचा रखी है? अमरुद हमारे यहाँ का बहुत प्रसिद्ध है, "सफेदा" और "सुरखा" नाम से। इन्हें क्या "श्वेतक" और "आलक्तक" लिखने से इनका संस्कार हो जाएगा?--SM7--बातचीत-- 18:36, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, द्राक्ष का उपयोग बहुत देखा है। 'द्राक्षासव' का नाम बचपन में ही सुन लिया था। मुझे कोई सन्देह नहीं कि द्राक्ष शब्द से हिन्दी क्षेत्र सुपरिचित है। हाँ, सामान्य प्रचलन में 'अंगूर' ही है। किन्तु यह चर्चा आपके इसी धारणा के सुधार के लिए किया जा रहा है कि 'प्रचलित शब्दों' का ही उपयोग किया जाना चाहिए। स्वप्निल जी ने नीचे यही कहा है। बाजार में लोग अंगूर भी नहीं, 'ग्रेप्स' बोल रहे हैं, अपने एक वर्ष के बच्चे को 'ग्रेप्स-ग्रेप्स' ही रटा रहे हैं- तो क्या 'हिन्दी विकि' पर ग्रेप्स ही लिखा जाय? बिलकुल नहीं। भाषा 'बहती' कम है, 'बहायी जाती' अधिक है। यहूदियों ने तो अपने संकल्प से हिब्रू की सूखी नदी को 'सुजला' कर दिया। (बुरा मत मानिएगा, यहूदियों का नाम लेना पड़ा) भारत के कामरेडों ने भारतीयता की जड़ों को धीरे-धीरे काटने के लिए 'भाषा बहता नीर' का अप्रासंगिक गलत भाष्य दिया और उसी गलत भाष्य का दुष्प्रचार किया। (याद कीजिए, 'भारत की बार्बादी तक, जंग रहेगी.....) । 'टैक्सोनामी' शब्द भोजपुरी क्षेत्र के लिए विदेशी ही नहीं, अप्रचलित ही नहीं, अपरिचित भी है। यह बताइए कि भोजपुरी को देवनागरी लिपि में क्यों लिख रहे हैं? (कहीं कोई नियम है क्या?)। भोजपुरी को कोई नया पारिभाषिक शब्द रचना हो तो वह संस्कृत पर आधारित क्यों नहीं होना चाहिए? मैने सिंहल की पारिभाषिक शब्दावली देखी है। उसे देखकर ऐसा लगता है कि हिन्दी की सारी संस्कृतनिष्ठ शब्दावली साधिकार ले ली गयी हो। भोजपुरी क्षेत्र तो संस्कृत का केन्द्र रहा है, आज भी पूरा वातावरण संस्कृतमय है। भोजपुरी पर आपके 'भाषायी व्यवहार' से सम्बन्धित मेरे पास बहुत से प्रश्न हैं किन्तु विषयान्तर नहीं करना चाहता।अनुनाद सिंह (वार्ता) 02:46, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, भोजपुरी अथवा विषयांतर के लिए मेरा वार्ता पन्ना खुला हुआ है और आपके प्रश्नों का सदैव स्वागत रहेगा। मेरे द्वारा द्राक्षासव नाम सुनने और इसका अर्थ समझने के बीच काफ़ी लंबा समयांतराल था। सुनने समझने बोलने में अंगूर ही रहा। प्रचलन द्राक्षा और ग्रेप्स के बीच में ही है - अंगूर का। हिंदी विकिपीडिया पर अंगूर की जगह कोई "ग्रेप्स" लिखे तो मैं अवश्य उसे टोकूंगा और उसकी जगह अंगूर लिखने को कहूँगा, परन्तु इसका कारण यह नहीं होगा कि ग्रेप्स विदेशी है अथवा इससे संस्कृति ख़तरे में पड़ रही बल्कि यही कारण दूँगा कि "ग्रेप्स" प्रचलन में नहीं है। प्रचलन "हो रहा है" और "है" में अंतर है। अगले बीस-तीस सालों में "अंगूर" की जगह लोग "ग्रेप्स" ही अधिक प्रयोग करने लगें तो प्रचलन उसी का कहलायेगा। तब विकिपीडिया पर कोई ग्रेप्स लिखे तो बिलकुल उचित भी होगा। बीच में एक ऐसा भी दौर हो सकता जिस समय दोनों में किसका प्रचलन अधिक है तय करना मुश्किल हो, उस समय आपको दोनों के प्रयोग की छूट देनी पड़ेगी। अभी जब इस तरह की चीजें प्रचलन में आ रही हैं आप यहाँ भी उनका विरोध कर सकते और यह उचित होगा, पर यह विरोध इसलिए हो कि वो शब्द विदेशी है, यह कारण उचित नहीं है। विदेशी होने के कारण उसका विरोध करने के लिए हमें अलग मंचों का सहारा लेना होगा क्योंकि विकिपीडिया किसी चीज को प्रचारित करने का मंच नहीं है। हम साधन के रूप में इसे इस्तेमाल नहीं करते। मुझे किसी के संकल्प पर ऐतराज नहीं कि वह "द्राक्षा" प्रचलित कराना चाह रहा, विकिपीडिया को इसका साधन बनाने पर ऐतराज है। आप यहूदियों की तरह संकल्प कर लीजिये कि अंगूर की जगह द्राक्षा और खिड़की की जगह वातायन प्रचलित करा के मानेंगे, मुझे कोई आपत्ति नहीं, परन्तु जब यह प्रचलन में आ जाय तब विकिपीडिया पे लिखें। अपने संकल्प को पूरा करने का माध्यम इसे न बनायें। दूसरी बात, देसी और विदेशी में अंतर करना और संस्कृति रक्षा की बात करना - ऊपर मेरे किये प्रश्नों का आपने उत्तर नहीं दिया देसी और विदेशी में आप किस प्रकार अंतर करते हैं और किसे-किसे संस्कृति का हिस्सा मानते हैं - परन्तु इस तरह की कोई नीयत बाँध के विकिपीडिया पर संपादन करना बिलकुल भी उचित नहीं है। यह इस तरह के शुद्धीकरण अभियान का भी स्थल नहीं है। इसके लिए आप किसी और मंच का सहारा ले सकते हैं। आपने कहा - भाषा 'बहती' कम है, 'बहायी जाती' अधिक है - मुझे नहीं पता किस आधार पर कह रहे हैं। लेकिन हम यहाँ जो बह रही है उसी के हिसाब से लिखने आये हैं, क्या बहायी जानी चाहिए के अनुसार नहीं। किसी को, किसी कारण वश, बहायी जानी चाहिए के अनुसार लिखना है तो यह अनुचित है। --SM7--बातचीत-- 12:36, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, यही तो मैं भी कह रहा हूँ कि नीयत बाँध के विकिपीडिया पर नहीं लिखना चाहिए। हिन्दी विकि पर खोज-खोजकर नुक्ता लगाना और फारसीकरण करना क्या विकि-नीति है? अपने घर में ही शब्द उपलब्ध है, उसका उपयोग न करना और 'टैक्सोनॉमी' को सात समुन्दर पार से माँग कर लाना और उपयोग करना भी विकिनीति नहीं है। विकि हिन्दी के अशुद्धीकरण (विकृतिकरण) का स्थल भी तो नहीं है। 'भाषा बहायी जाती है' - मुझे पूरा विश्वास है कि आप इसका अर्थ और आधार जानते हैं। आप कह रहे हैं कि कल 'ग्रेप्स' अधिक प्रचलित हो जायेगा तो आप 'ग्रेप्स' ही लिखेंगे- तो आज ही लिख दीजिए, मैं कहता हूँ कि अंगूर से बहुत अधिक 'ग्रेप्स' खाये जा रहे हैं। नुक्ता लगाकर 'वक़्त' मत लीखिये, 'टाइम' लिखिये क्योंकि अंगूठा-छाप से लेकर पीएचडी तक सब 'टाइम' ही बोल रहे हैं। अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:44, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, आज ही नहीं लिख सकता - अंगूर से बहुत अधिक 'ग्रेप्स' खाये जा रहे हों उस बुरे(?) वक़्त के आने में अभी टाइम है। और भविष्य कौन जानता है, हो सकता है ऐसा समय कभी आये ही नहीं। कदाचित आया तो आपको "मैं कहता हूँ..." का उद्घोष नहीं करना पड़ेगा। मैं भी कह रहा हूँ कि नीयत बाँध के विकिपीडिया पर नहीं लिखना चाहिए - देसी-विदेशी में अंतर करके लिखना आप बिना नीयत बाँधे कर लेते हैं? "हिन्दुस्तानी" नहीं बल्कि "हिन्दी" लिखने का आग्रह करना नीयत बँधवाना नहीं है? अंगूर को द्राक्षा में बदलना और कहना कि यह शुद्ध है, बिना नीयत बाँधे हो रहा है? कल को कोई नहर नामक पन्ना कुल्या पर स्थानान्तरित कर देगा और कह देगा कि खुद से बह गयी?--SM7--बातचीत-- 16:52, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, यही तो मैं भी कह रहा हूँ कि नीयत बाँध के विकिपीडिया पर नहीं लिखना चाहिए। हिन्दी विकि पर खोज-खोजकर नुक्ता लगाना और फारसीकरण करना क्या विकि-नीति है? अपने घर में ही शब्द उपलब्ध है, उसका उपयोग न करना और 'टैक्सोनॉमी' को सात समुन्दर पार से माँग कर लाना और उपयोग करना भी विकिनीति नहीं है। विकि हिन्दी के अशुद्धीकरण (विकृतिकरण) का स्थल भी तो नहीं है। 'भाषा बहायी जाती है' - मुझे पूरा विश्वास है कि आप इसका अर्थ और आधार जानते हैं। आप कह रहे हैं कि कल 'ग्रेप्स' अधिक प्रचलित हो जायेगा तो आप 'ग्रेप्स' ही लिखेंगे- तो आज ही लिख दीजिए, मैं कहता हूँ कि अंगूर से बहुत अधिक 'ग्रेप्स' खाये जा रहे हैं। नुक्ता लगाकर 'वक़्त' मत लीखिये, 'टाइम' लिखिये क्योंकि अंगूठा-छाप से लेकर पीएचडी तक सब 'टाइम' ही बोल रहे हैं। अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:44, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, भोजपुरी अथवा विषयांतर के लिए मेरा वार्ता पन्ना खुला हुआ है और आपके प्रश्नों का सदैव स्वागत रहेगा। मेरे द्वारा द्राक्षासव नाम सुनने और इसका अर्थ समझने के बीच काफ़ी लंबा समयांतराल था। सुनने समझने बोलने में अंगूर ही रहा। प्रचलन द्राक्षा और ग्रेप्स के बीच में ही है - अंगूर का। हिंदी विकिपीडिया पर अंगूर की जगह कोई "ग्रेप्स" लिखे तो मैं अवश्य उसे टोकूंगा और उसकी जगह अंगूर लिखने को कहूँगा, परन्तु इसका कारण यह नहीं होगा कि ग्रेप्स विदेशी है अथवा इससे संस्कृति ख़तरे में पड़ रही बल्कि यही कारण दूँगा कि "ग्रेप्स" प्रचलन में नहीं है। प्रचलन "हो रहा है" और "है" में अंतर है। अगले बीस-तीस सालों में "अंगूर" की जगह लोग "ग्रेप्स" ही अधिक प्रयोग करने लगें तो प्रचलन उसी का कहलायेगा। तब विकिपीडिया पर कोई ग्रेप्स लिखे तो बिलकुल उचित भी होगा। बीच में एक ऐसा भी दौर हो सकता जिस समय दोनों में किसका प्रचलन अधिक है तय करना मुश्किल हो, उस समय आपको दोनों के प्रयोग की छूट देनी पड़ेगी। अभी जब इस तरह की चीजें प्रचलन में आ रही हैं आप यहाँ भी उनका विरोध कर सकते और यह उचित होगा, पर यह विरोध इसलिए हो कि वो शब्द विदेशी है, यह कारण उचित नहीं है। विदेशी होने के कारण उसका विरोध करने के लिए हमें अलग मंचों का सहारा लेना होगा क्योंकि विकिपीडिया किसी चीज को प्रचारित करने का मंच नहीं है। हम साधन के रूप में इसे इस्तेमाल नहीं करते। मुझे किसी के संकल्प पर ऐतराज नहीं कि वह "द्राक्षा" प्रचलित कराना चाह रहा, विकिपीडिया को इसका साधन बनाने पर ऐतराज है। आप यहूदियों की तरह संकल्प कर लीजिये कि अंगूर की जगह द्राक्षा और खिड़की की जगह वातायन प्रचलित करा के मानेंगे, मुझे कोई आपत्ति नहीं, परन्तु जब यह प्रचलन में आ जाय तब विकिपीडिया पे लिखें। अपने संकल्प को पूरा करने का माध्यम इसे न बनायें। दूसरी बात, देसी और विदेशी में अंतर करना और संस्कृति रक्षा की बात करना - ऊपर मेरे किये प्रश्नों का आपने उत्तर नहीं दिया देसी और विदेशी में आप किस प्रकार अंतर करते हैं और किसे-किसे संस्कृति का हिस्सा मानते हैं - परन्तु इस तरह की कोई नीयत बाँध के विकिपीडिया पर संपादन करना बिलकुल भी उचित नहीं है। यह इस तरह के शुद्धीकरण अभियान का भी स्थल नहीं है। इसके लिए आप किसी और मंच का सहारा ले सकते हैं। आपने कहा - भाषा 'बहती' कम है, 'बहायी जाती' अधिक है - मुझे नहीं पता किस आधार पर कह रहे हैं। लेकिन हम यहाँ जो बह रही है उसी के हिसाब से लिखने आये हैं, क्या बहायी जानी चाहिए के अनुसार नहीं। किसी को, किसी कारण वश, बहायी जानी चाहिए के अनुसार लिखना है तो यह अनुचित है। --SM7--बातचीत-- 12:36, 22 सितंबर 2017 (UTC)
- @NehalDaveND: जी जीवन में उतार - चढ़ाव आते रहते है ,कभी अच्छे तो कभी बुरे दिन, जैसा कि अनुनाद जी ने कहा है वैसी ही मेरी राय है। आप अपने निरन्तर योगदान जारी रखें।--•●राजू जांगिड़ (चर्चा करें●•) 04:29, 20 सितंबर 2017 (UTC)
मैं भी अलविदा करना चाहूंगा
वैसे भी मैं कुछ समय से अधिक सक्रिय नहीं हूँ और इसका कारण भी यहीं है।हिन्दी विकिपीडिया में ही हिन्दी के हितों की रक्षा के लिए हमें लड़ना पड़ रहा है।
- हिन्दी विकिपीडिया में देवनागरी के बदले कुछ प्रबंधकों के द्वारा अरबी अंको को लागू करने का प्रयत्न करना।
- अंग्रेज़ी भाषा में अनुप्रेषण को शीह नामांकन करने के बाद प्रबंधक अंग्रेजी शीर्षक को हटाने के बदले नामांकन ही हटा देते हैं। अनुरोध करने पर भी नहीं हटाते और अपनी मनमानी करके हिन्दी विकिपीडिया में अंग्रेज़ी भाषा शीर्षक के अनुप्रेषित करने की प्रथा को अनुमोदन दे रहे हैं।
- अब तो प्रबंधको ने शब्दों के चयन की स्वतंत्रता को छीनकर अपनी मनमानी करना आरंभ कर दिया। वातायन का खिड़की कर दिया और आक्रमण का हमला।
- उन्होंने अपने ढ़ेर सारे नियम बना रखे हैं और जाड़ते रहते हैं। मनमानी चलाते हैं। किसी नए प्रबंधक, पुनरीक्षक का नामांकन होता है तो हमारे प्रबंधक उन्हें मदद करने के बदले विरोध करते हैं। ताकि उनकी ही मनमानी चलती रहे?
- आशीष जी एक हिन्दी हित रक्षक प्रबंधक दिखे थे लेकिन उनके बनाये लेखों को निर्वाचित बनाने की समीक्षा में भी इन्होंने भाग नहीं लिया और एक भी लेख निर्वाचित नहीं हो पाया। आशीष जी को बदनाम करने के, उनको साइड में करने के प्रयास भी किये गए।
और भी बहुत से कारण हैं। जो समस्या जय जी के साथ हुई थी मेरे साथ भी हुई है और उनके लिए भी यहीं प्रबंधक जिम्मेदार है। इसलिए अब यहाँ काम करने का मन ही नहीं होता।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:41, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- आर्यावर्त जी, आपने अपने विचार लिख दिये, अच्छा किया। लेकिन हिन्दी विकि का त्याग मत कीजिए, इसमें हिन्दी का या हिन्दी विकि का क्या दोष है? हमे दुष्प्रचार को समझना होगा, उसके प्रतिकार का मार्ग निकालना होगा। पिछले पन्द्रह-बीस वर्षों से भारत में एक अघोषित अभियान चला। 'संस्कृताइज्ड हिन्दी' के विरुद्ध, 'गंगा-जमुनी संस्कृति' को मजबूत करने के लिए (या तुष्टीकरण के लिए?), 'भाषा बहता नीर' की घुटी पिलायी गयी। इसके पीछे एक छद्मवेषधारी माफिया काम कर रहा था। बहुत से सीधे-सादे किन्तु नकलची और पिछलग्गू प्रकृति के लोग इसके शिकार हुए। कुछ नहीं समझ आये तो कह दीजिए कि 'हिन्दी का सरलीकरण' होना चाहिए नहीं तो हिन्दी का विकास नहीं होगा। संस्कृत कठिन थी इसलिए भारत से समाप्त हो गयी? अरे ये तो बताओ कि लैटिन और हजारों अन्य भाषाएँ क्यों और कैसे समाप्त हो गयीं? आजकल पालि क्यों नहीं बोली जाती? कहते हैं कि वह 'आम जन' की भाषा थी।अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:59, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- अनुनाद जी, कुछ समय से में कम सक्रिय हूँ और इसका कारण भी यह संघर्ष ही है। अभी तो मैं वि:हिन्दी दिवसा के कार्य को सम्पन्न करने के लिए कटिबद्ध हूँ। इस चर्चा के बाद भी यदी समस्या का समाधान नहीं मिलता है तो या तो इस स्थान को छोडना ठीक रहेगा या तो लड़ना पड़ेगा। अभी हम विकिपीडिया पर हिन्दी माह मना रहे हैं और आप हिन्दी विकि में ही हिन्दी के हाल देख रहे हैं। आप को अपने लिए नहीं तो हिन्दी के हितो की रक्षा के लिए भी प्रबन्धक होना चाहिए था। आप ही हमारी उम्मीद हैं। वर्तमान स्थिति में हिन्दी विकिपीडिया में हिन्दी असुरक्षित है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 10:08, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- आर्यावर्त जी, आपने अपने विचार लिख दिये, अच्छा किया। लेकिन हिन्दी विकि का त्याग मत कीजिए, इसमें हिन्दी का या हिन्दी विकि का क्या दोष है? हमे दुष्प्रचार को समझना होगा, उसके प्रतिकार का मार्ग निकालना होगा। पिछले पन्द्रह-बीस वर्षों से भारत में एक अघोषित अभियान चला। 'संस्कृताइज्ड हिन्दी' के विरुद्ध, 'गंगा-जमुनी संस्कृति' को मजबूत करने के लिए (या तुष्टीकरण के लिए?), 'भाषा बहता नीर' की घुटी पिलायी गयी। इसके पीछे एक छद्मवेषधारी माफिया काम कर रहा था। बहुत से सीधे-सादे किन्तु नकलची और पिछलग्गू प्रकृति के लोग इसके शिकार हुए। कुछ नहीं समझ आये तो कह दीजिए कि 'हिन्दी का सरलीकरण' होना चाहिए नहीं तो हिन्दी का विकास नहीं होगा। संस्कृत कठिन थी इसलिए भारत से समाप्त हो गयी? अरे ये तो बताओ कि लैटिन और हजारों अन्य भाषाएँ क्यों और कैसे समाप्त हो गयीं? आजकल पालि क्यों नहीं बोली जाती? कहते हैं कि वह 'आम जन' की भाषा थी।अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:59, 20 सितंबर 2017 (UTC)
प्रश्न
@NehalDaveND: जी, पहली बार आपने "व्यक्तिगत कारणों" से यह दायित्व छोड़ने हेतु लिखा। पुनर्विचार करने पर उपरोक्त कारण बता रहे हैं। उपरोक्त में से कौन सा कारण आपके पुनरीक्षण दायित्व के निर्वाह में बाधक बन रहा? क्या यह दायित्व आपको इसलिए दिया गया था कि क्षुब्ध होने पर आप इसे वापस करने की घोषणा कर सकें?--SM7--बातचीत-- 18:19, 19 सितंबर 2017 (UTC)
- स्वान्तः सुखाय के लिये मैं विकिपीडिया पर कार्य करता हूँ। ये मेरा व्यक्तिगत सुख है। ये सुख न मिलने से मेरा सम्पादन कार्य या यहाँ कार्य करना अन्य दायित्व पर सम्भव नहीं है। व्यर्थ ही है। क्योंकि जो कार्य किया जाता है मेरे द्वारा उसे हिन्दी माना नहीं जाता। उसे अन्यथा ही देखा जाता है। एक कथा सुनी थी। कुत्तों और बकरीओं की। नदी पर बने सेतु पर कुत्ते कलह कर जलमग्न होते हैं और उससे विपरीत बकरीयाँ परस्पर सहमती प्रदान करती हैं। भाषा रूपी बकरी को कोई विपत्ति नहीं कि, आक्रमण शब्द उपयोग हो या हमला। उनके लिये तो दोनों शब्द अपने हैं। परन्तु उन भाषा के उपयोग करने वाले केवल अपने रङ्ग के अनुकूल भाषा के उपयोग पर ही जिहाद कर देते हैं। जब तक निष्पक्ष हैं, तब तक ही आप बहुत चतुर हैं। परन्तु जब व्यक्ति के शब्दों में लक्षणा को जानकर भी अभिधा के लिये प्रश्न करते हैं, तो वो पक्षधरता प्रत्यक्ष होती है। प्रतिप्रश्न पुछने के लिये क्षमा चाहता हूँ। आप स्वयं अपना मत देवें कि ...
- क्या एक ही शब्द के उपयोग के लिये किसी को विवश करना उचित है?
- मुझे कहा गया कि, भारतीय समाचार क्षेत्र के ही मत में वो आतंकवादी हैं, अन्यों के लिये वो आक्रमणकारी हैं। मैंने उन्हीं के सन्दर्भ में से उनको दर्पण दिखाया कि वें आतंकवादी ही हैं। वैसे ही खिड़की का वातायन हुआ। अन्य के कृत्य से ही ये उदाहरण मिला है। आपने वो लेख (खिड़की) बना दिया था, तो मेरा उसमें अन्यथा करना अनुचित प्रतीत होता है। क्योंकि यदि बकरी (भाषा) के परिप्रक्ष्य में देखा जाए, तो दोनों उचित हैं। वैसे ही जब आक्रमण शब्द मैंने उपयोग किया। फिर उसे बकरी के विपरीत परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो मैं क्या करूं? मैं कह रहा हूँ कि जिसे हमला उपयोग करना है, हमला वाले आक्रमण का विरोध न करें और आक्रमण वाले हमला शब्द का। इस में क्या आगे ऐसा नहीं होगा ये आप कह सकते हैं?
- आगे बात चली कि अंक भारतीय संविधान ने लिया है नहीं लिया है इत्यादि। समाधान सर्वदा ऐसा होता है कि दोनों को त्याग करना पड़े। यदि कोई एक पक्ष अपने शत प्रतिशत उचित मानता है, तो वो अन्य पक्ष के लिये अन्याय करता है। समाधान अत्यन्त सरल है। निवेश में अरबी अंक उचित है (क्योंकि सभी साँचे अनुकूल होते हैं) उसके लिये अनेक लोग सहमत हैं और दर्शन में देवनागरी अंक हो इस के लिये भी सहमति होगी। समस्या को कठोर करने से मतभेद मनभेद में परिवर्तित हो ही जाता है। तो क्या ऐसा करने में आप कोई प्राथमिक चर्चारंभ करेंगें?
- आपने जिस प्रकार मुझे प्रश्न किया, क्या बिना चर्चा के निर्यण घोषित करने वाले पीयूषजी के लिये आपके मन में कोई प्रश्न नहीं हुआ? क्योंकि निष्पक्ष जनों को एक पक्ष पर ही विचार करना नहीं होता। तो क्या आपके पास ये करने के लिये समय होगा?
आशा है इस बार आप लक्षणा और व्यंजना की अवगणना नहीं करेंगे। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎ 06:50, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- @NehalDaveND: जी, उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर अवश्य देता अगर आपने इन्हें चर्चा का विषय बनाया होता। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया बल्कि पहले दायित्व छोड़ने की सूचना देकर ध्यानाकर्षण जरूरी समझा (जितना आपकी कार्यशैली से प्रकट हो रहा है)। और चाह रहे हैं कि इस बहाने आप उन मुद्दों पर अपना पक्ष प्रस्तुत करें। मेरा प्रश्न यथावत है और नितांत अभिधा में है, दायित्व का इस तरह का प्रयोग आप कैसे कर सकते हैं?--SM7--बातचीत-- 15:35, 20 सितंबर 2017 (UTC)
- उपरोक्त तर्क जिसमे "प्रचलित शब्द " होने की बात कही गई है.
- मेरा प्रश्न१ : क्या किसी अंग्रेजी दैनिक पत्र के शीर्षक में कोई हिंदी का शब्द प्रकाशित किया जा सकता है? फिर यह खिचड़ी भाषा हिंदी में ही क्यों? अधिकतर पत्रों की भाषा प्रदूषित हो चुकी है.अतः संदर्भो के लिए उनके "प्रचलित " शब्दों को लेना कहा तक उचित?
- मेरा प्रश्न२ :जब हिंदी में शब्द उपलब्ध हो तो अन्य भाषा के शब्दों का प्रयोग क्यों? "प्रचलन में है " तर्क सही नहीं क्योकि हम (विकिपीडिया/ऑनलाइन साहित्य ही )भविष्य में तय करेंगे की क्या प्रचलन में रहेगा। रेलगाड़ी अथवा ट्रैन का प्रयोग उचित चूँकि इसके लिए हिंदी में कभी शब्द रहा ही नहीं ,परन्तु जो शब्द हिंदी के है उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए नहीं तो वे भी "प्रचलन " से बाहर हो जायेंगे। जैसे अंग्रेजी में wanna शब्द "प्रचलन" में है परन्तु विश्वकोश में प्रयोग के लिए उपयुक्त नहीं।
- भाषा की शुद्धता उसके शब्दकोष से निर्धारित की जाती है।यदि शब्दकोष में वो शब्द हो तो प्राथमिकता उसे मिलनी चाहिए।स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 02:27, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @Swapnil.Karambelkar: जी, यहाँ चर्चा मूल रूप से दायित्व छोड़ने पे हो रही। और मैंने नेहल जी से उनके दायित्व छोड़ने की घोषणा के औचित्य पर प्रश्न किया है। लगे हाथ सब इसी चर्चा में निपटा लेंगे क्या ?--SM7--बातचीत-- 04:27, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7:मूल विषय (या उसका सार) यह था कि कुछ लोग नेहल जी को हिन्दी शब्दों का प्रयोग करने से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वे आपने दायित्व का निर्वाह करने में असमर्थ सिद्ध हो रहे हैं। इसलिए चर्चा सही चल रही है। नेहल जी ने जो प्रश्न किए हैं उसी के उत्तर में इस मामले का हल छिपा हो सकता है।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:49, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- क्षमा चाहता हूँ, पर मुसे परिस्थित 180 डिग्री पे दिख रही। एक विवाद पे अपना पक्ष रखने के लिए ध्यानाकर्षण के उपकरण के रूप में एक दायित्व का उपयोग किया जा रहा है। --SM7--बातचीत-- 05:42, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7:मूल विषय (या उसका सार) यह था कि कुछ लोग नेहल जी को हिन्दी शब्दों का प्रयोग करने से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वे आपने दायित्व का निर्वाह करने में असमर्थ सिद्ध हो रहे हैं। इसलिए चर्चा सही चल रही है। नेहल जी ने जो प्रश्न किए हैं उसी के उत्तर में इस मामले का हल छिपा हो सकता है।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:49, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @Swapnil.Karambelkar: जी, यहाँ चर्चा मूल रूप से दायित्व छोड़ने पे हो रही। और मैंने नेहल जी से उनके दायित्व छोड़ने की घोषणा के औचित्य पर प्रश्न किया है। लगे हाथ सब इसी चर्चा में निपटा लेंगे क्या ?--SM7--बातचीत-- 04:27, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, सही है, अब आप १८० अंश पर घूमना शुरू कर दिए हैं। चर्चा सही तरह से शुरू हुई थी और सही तरीके से चल रही है। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:57, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: यानि आप इस तरह के विवाद शुरू करके अपना पक्ष रखने का माध्यम बनाने को उचित समझते हैं?--SM7--बातचीत-- 14:22, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: जी, किसी के द्वारा कोई महत्वपूर्ण समस्या उठाने को आप 'विवाद' का नाम देकर उत्तर देने से बचने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं?-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 15:50, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: यानि आप इस तरह के विवाद शुरू करके अपना पक्ष रखने का माध्यम बनाने को उचित समझते हैं?--SM7--बातचीत-- 14:22, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- एस.एम.7 जी आपके कहने पर मैं इस विवाद को समाप्त कर क्षमा चाहता हूँ। इस आशा में कि आप मेरे प्रश्नों का उत्तर देंगे। अन्यत्र नये अनुभाग में आप से प्रश्न करता हूँ। आशा ये है कि आप वहाँ उत्तर न देने का कोई अन्य कारण प्रस्तुत करेंगे। परन्तु वास्तविकता और आशा के मध्य का अन्तर भी जानना आवश्यक है। ॐNehalDaveND•✉•✎ 03:02, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- मेरे कहने पर कुछ न करें महोदय! कृपया इतना बड़ा बोझ मुझ पर न लादें। आपने अपने व्यक्तिगात निर्णय में स्वयं को अनिर्णय की स्थिति में पाकर यहाँ चर्चा आरंभ की है। और यह चौपाल है, मेरे लिए प्रश्न यहाँ अनुभाग बना के न लिखें। और समाप्त क्या कर रहे हैं ? आप निर्णय पर पहुँच गए ?--SM7--बातचीत-- 04:31, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- जी मैंने निर्णय कर लिया है कि अब इस समस्या का समाधान होगा। ॐNehalDaveND•✉•✎ 05:13, 21 सितंबर 2017 (UTC)
Discussion on synced reading lists
समन्वयित पठन सूचियों पर चर्चा
नमस्कार,
The Reading Infrastructure team at the Wikimedia Foundation is developing a cross-platform reading list service for the mobile Wikipedia app. Reading lists are like bookmark folders in your web browser. They allow readers using the Wikipedia app to bookmark pages into folders to read later. This includes reading offline. Reading lists do not create or alter content in any way.To create Reading Lists, app users will register an account and marked pages will be tied to that account. Reading List account preferences sync between devices. You can read the same pages on different mobile platforms (tablets, phones). This is the first time we are syncing preference data between devices in such a way. We want to hear and address concerns about privacy and data security. We also want to explain why the current watchlist system is not being adapted for this purpose.
विकीमीडिया फाउंडेशन की 'रीडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर टीम' ,'मोबाइल विकिपीडिया एप' के लिए 'क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म रीडिंग लिस्ट सर्विस' का विकास कर रही है। पठन सूचियां आपके 'वेब ब्राउज़र में 'बुकमार्क' फ़ोल्डर की तरह हैं वे पाठकों को ,बाद में पढ़ने के लिए ,पृष्ठों को फ़ोल्डर्स में बुकमार्क करने के लिए, विकिपीडिया ऐप का उपयोग करने की अनुमति देते हैं। इसमें ऑफ़लाइन पढ़ना शामिल हैं,पठन सूचियां किसी भी तरह से सामग्री को बनाती या बदल नहीं पाती हैं। पठन सूचियां बनाने के लिए, ऐप उपयोगकर्ता एक खाते को पंजीकृत करेंगे और चिह्नित पृष्ठ उन खातों से जुड़ेंगे।अनेक मोबाइल डिवाइस के बीच पठन सूची की प्राथमिकताओं के अनुसार आप विभिन्न मोबाइल प्लेटफॉर्म (टेबलेट, फोन) पर एक ही पृष्ठ पढ़ सकते हैं। यह पहली बार है कि हम डिवाइस के बीच डेटा को वरीयता अनुसार इस तरह से सिंक कर रहे हैं। हम गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के बारे में चिंताओं को समझना और समाधान करना चाहते हैं हम यह भी बताना चाहते हैं कि वर्तमान उद्देश्य सूची प्रणाली को इस उद्देश्य के लिए क्यों अपनाया नहीं जा रहा है।-अनुवाद/translation- स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 12:06, 21 सितंबर 2017 (UTC)
पृष्ठभूमि
In 2016 the Android team replaced the simple Saved Pages feature with Reading Lists. Reading Lists allow users to bookmark pages into folders and for reading offline. The intent of this feature was to allow "syncing" of these lists for users with many devices. Due to overlap with the Gather feature and related community concerns, this part was put on hold.
The Android team has identified this lack of synching as a major area of complaint from users. They expect lists to sync. The iOS team has held off implementing Reading Lists, as syncing was seen as a "must have" for this feature. A recent technical RfC has allowed these user stories and needs to be unblocked. Initially for Android, then iOS, and with web to potentially follow.
Reading lists are private, stored as part of a user's account, not as a public wiki page. There is no sharing or publishing ability for reading lists. No planned work to make these public. The target audience are people that read Wikipedia and want to bookmark and organize that content in the app. There is a potential for the feature to be available on the web in the future.
Why not watchlists
Watchlists offer similar functionality to Reading Lists. The Reading Infrastructure team evaluated watchlist infrastructure before exploring other options. In general, the needs of watchlists differ from Reading Lists in a few key ways:
- Reading lists focus on Reading articles, not the monitoring of changes.
- Watchlists are focused on monitoring changes of pages/revisions.
- The Watchlist infrastructure is key to our contributor community for monitoring content changes manually and through the use of automated tools (bots). Because of these needs, expanding the scope of Watchlists to reading purposes will only make the project harder to maintain and add more constraints.
- By keeping the projects separate it is easier to scale resources. We can serve these two different audiences and prioritize the work accordingly. Reading Lists are, by their nature, less critical to the health of Wikipedia/MediaWiki.
- Multi-project support. Reading Lists are by design cross-wiki/project. Watchlists are tied to specific wikis. While there have been many discussion for making them cross-wiki, resolution is not in the near term.
More information can be found on MediaWiki.org where feedback and ideas are welcome.
धन्यवाद.
CKoerner (WMF) (talk) 20:35, 20 सितंबर 2017 (UTC)
SM7 को प्रश्न
@SM7:जी आप से प्रश्न पुछना चाहता हूँ कि ...
- क्या एक ही शब्द के उपयोग के लिये किसी को विवश किया जा सकता है?
- खिड़की का वातायन करना अनुचित है, तो आक्रमण का हमला करना क्यों अनुचित नहीं है?
- अंक का जो विवाद है, उस में निवेश में अरबी अंक और परिणाम में भारतीय अंक हो तो क्या आप उस समस्या का समाधान करने के लिये तत्पर हैं?
- बिना चर्चा के "तार्किक रूप से सही" कहने वाले पीयूषजी से आप प्रश्न करेंगे कि क्या तर्क है, जो उस निर्णय पर बिना चर्चा के भी सही है?
- इस सम्पादन में जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, उसके लिये आप क्या कार्यवाही करेंगें?
मैंने ये अनुभव किया है। जब तर्क समाप्त हो जाते हैं, तो ऐसे कारण देकर उसे टाला जाता है, जो वास्तव में एक व्यक्ति नहीं करता है। आप से इन प्रश्नों पर वैसे ही स्पष्ट उत्तर की अपेक्षा है, जैसी भाषा में आप अन्यों से प्रश्न पूछते हैं। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎ 03:13, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- किसी ने 'द्वितीय विश्वयुद्ध' को 'दूसरा विश्व युद्ध' कर दिया था। कारण दिया था 'द्वितीय' एक संस्कृत शब्द है।'अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:26, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- हमला और आक्रमण में अंतर
- हमला: हमला प्रायः और अस्त्र -शस्त्र रहित भी हो सकते हैं।
- आक्रमण : जब हमला योजनाबद्ध हो और अस्त्र -शस्त्र प्रयुक्त हों। वहां आक्रमण शब्द प्रयुक्त होना चाहिए।
-- ए० एल० मिश्र (वार्ता) 14:49, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- ये संपादन अपने आप में एक आक्रमण है। इस प्रकार हिन्दी की, हिन्दी के शब्दों की दुर्दशा देखकर कोई भी हिन्दीप्रेमी योगदान देना नहीं चाहेगा। ये तो अब सीधे सीधे ही लेख बनाने वालें के साथ अतिक्रमण हो रहा है। न केवल आक्रमण का हमला, परन्तु का लेकिन, देवनागरी अंको के अरबी कर दिए। सभी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्दों को बदल दिया गया। ये तो अब बहुत बड़ी समस्या हो गई है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 17:12, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- पिछले बहुत दिनों से सक्रिय नहीं रह पाने के कारण मैं इस चर्चा से अलग चल रह आथा, किन्तु अभी इस चर्चा पर कुछ उड़ती दृष्टि डाली। इस सन्दर्भ में ये लिखना चाहूंगा कि एक शब्द होता है हमलावर, जिसका अर्थ है हमला करने वाला। अब यहां वर प्रत्यय का प्रयोग किया गया है जो कि उर्दु (संभवतः फारसी मूल) से आया है। हिन्दी में आक्रमणकारी शब्द होता है। इस को ध्यान में रखते हुए हम शायद इस निष्कर्ष पर पहुंच पायें कि हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।
- एक शायद बेकार का तर्क ये भी है कि हमला छोटा व आक्रमण बड़े हमले के लिये प्रयोग होता है, किन्तु ये बेकार का ही तथ्य है।
- कई निजी समाचार टीवी चैनल्स पर उर्दु का अत्याधिक मिश्रण किया जाता है, जैसे आजतक पर विशेषरूप से शख़्स, आदि। अब अगली पीड़ी तो उसे पढ़ते पढ़ते हिन्दी चैनल के कारण इसे हिन्दी शब्द ही समझेंगे व उदाहरण के साथ तर्क भी देंगे।
- *एक सीधा सादा तरीका समाधान ढूंढने का ये भी हो सकता है कि हमला हिन्दी हो न हो, किन्तु आक्रमण पर सभी एकमत होंगे तो कम से कम आक्रमण पर आक्रमण न किया जाये व उसे रहने ही दिया जाये।(मेरे विचार में) आशीष भटनागरवार्ता 02:01, 23 सितंबर 2017 (UTC)
- ये संपादन अपने आप में एक आक्रमण है। इस प्रकार हिन्दी की, हिन्दी के शब्दों की दुर्दशा देखकर कोई भी हिन्दीप्रेमी योगदान देना नहीं चाहेगा। ये तो अब सीधे सीधे ही लेख बनाने वालें के साथ अतिक्रमण हो रहा है। न केवल आक्रमण का हमला, परन्तु का लेकिन, देवनागरी अंको के अरबी कर दिए। सभी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्दों को बदल दिया गया। ये तो अब बहुत बड़ी समस्या हो गई है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 17:12, 21 सितंबर 2017 (UTC)
- हम आशीष भटनागर के विचारों से सहमत हैं। -- ए० एल० मिश्र (वार्ता) 06:08, 23 सितंबर 2017 (UTC)
- आशीष जी ने निःसंदेह अच्छे से समझाया। मेरे विचार से भी, हम सब एक मत से उनकी इस बात को समझ सकते है और मान सकते है। पूर्ण रूप से सहमत। स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 06:15, 23 सितंबर 2017 (UTC)
- उपर की चर्चा के प्रकाश में हमें हिन्दी विकि की शैली-मार्गदर्शिका का पुनर्निर्माण करना चाहिए। अन्य बातों के साथ इसमें नुक्ते के प्रश्न और 'प्रचलन' को कितना महत्व दिया जाय - इन दोनों से सम्बन्धित नीति होनी चाहिए। कौन निर्धारित करेगा कि एक शब्द, दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रचलित है? वर्तमान शैली-मार्गदर्शिका अत्यन्त एकांगी है और पढ़ने पर ऐसा लगेगा कि हिन्दी में विशेष रूप से नुक्ते की रक्षा के लिए रची गयी है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:42, 23 सितंबर 2017 (UTC)
- भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है, ज़रा बता दीजिए इसका संस्कृतकरण कैसे करेंगे आप लोग? हमारी सदियों पुरानी भाषा, ज़बान-ए हिन्द, हिन्दुस्तानी खाड़ीबोली यानि कि हिन्दी की इस बेइज़्ज़ती बन्द कीदिए अब।
- विकिपीडिया:लेखन शैली में साफ़ लिखा है कि "हिन्दी विकिपीडिया पर लेख रोजमर्रा की सामान्य हिन्दी अर्थात खड़ीबोली (हिन्दुस्तानी अथवा हिन्दी-उर्दू) में लिखे जाने चाहिये। हालाँकि तकनीकी तथा विशेष शब्दावली हेतु शुद्ध संस्कृतिनष्ठ हिन्दी के ही प्रयोग की संस्तुति की जाती है।" - यह सही शैली-मार्गदर्शिका है और विकी के सारे लिखने और पढ़ने वालों के लिए सबसे उत्तम है।
- इस ज़ाहिर सी बात को समझाने की ज़रूरत नहीं है कि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" आदि सारे शब्द हिन्दी की आम शब्दावली में आते हैं, इनकी जगहों पर फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है। "आक्रमण", "उत्तरदायित्व", "द्राक्षा", "एवं", "किन्तु-परन्तु" जैसी शब्दावली हिन्दी की आम और प्रचलित बोलचाल की शब्दावली में कभी नहीं आते हैं। तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे लेकिन किसी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के लिए हमारी प्रचलित और आम शब्दावली का अनादर मत कीजिए। विकिपीडिया अपने मास संस्कृताइज़ेशन और सेफ़्रोनाइज़ेशन आन्दोलन चलाने के लिए जगह नहीं है। अगर आप लोग संस्कृत के इतने बड़े प्रेमी हैं, तो sa.wikipedia.org/ पर जाइए और ख़ूब लिखिए। हर भाषा अपनी प्रचलित शब्दावली का इस्तेमाल करना चाहिए, वैसे ही अगर हमें हिन्दी में लिखना है तो हम हिन्दी की प्रचलित शब्दावली की नज़रअंदाज़ी कैसे कर सकते हैं?
- सादर, --सलमा महमूद 22:33, 23 सितंबर 2017 (UTC)
- उपर की चर्चा के प्रकाश में हमें हिन्दी विकि की शैली-मार्गदर्शिका का पुनर्निर्माण करना चाहिए। अन्य बातों के साथ इसमें नुक्ते के प्रश्न और 'प्रचलन' को कितना महत्व दिया जाय - इन दोनों से सम्बन्धित नीति होनी चाहिए। कौन निर्धारित करेगा कि एक शब्द, दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रचलित है? वर्तमान शैली-मार्गदर्शिका अत्यन्त एकांगी है और पढ़ने पर ऐसा लगेगा कि हिन्दी में विशेष रूप से नुक्ते की रक्षा के लिए रची गयी है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:42, 23 सितंबर 2017 (UTC)
- सलमा जी ने समस्या का मूल बता दिया, जो ये लेखन शैली नीति। इसमें बदलाव हो या तो विकि में निराश होकर लिखना छोड़ दें। ये सब अब नहीं।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:23, 24 सितंबर 2017 (UTC)
- @Salma Mahmoud:आप अपना आतंकवाद क्यों नहीं उर्दू विकि पर जा कर करती हैं? "फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है।" इस वाक्य से आपने आरम्भ किया तो अब मैं शान्त नहीं रहूंगा। महिला हैं, अतः इतना ही लिखा। महिला का सम्मान करते हुए मैंने सर्वदा आप से चर्चा की है। परन्तु आपको पहले चर्चा करने की शैली ज्ञात हो ये आवश्यकता है। जब भी आप से बात करते हैं, आप विषय को अन्यत्र ले जाती हैं, और अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करती हैं। यहाँ चर्चा ये हो रही है कि, जैसे हमला शब्द का प्रयोग स्वतन्त्रता से उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि वो एक हिन्दी शब्द के रूप में गिना जाता है, तो हिन्दी शब्द के रूप में ही गिने जाने वाले आक्रमण शब्दो के प्रयोग पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया गया है?
आपने कहा वो आतंकवादी नहीं है और सभी स्रोत कहते हैं, वो आतंकवादी थे। एक भी स्रोत ले कर आवें, जहाँ लिखा है कि वो आक्रमणकारी थे। आपने जितनी भी बातें कहीं, वो सभी पक्षपात से परिपूर्ण थीं। अपनी विचारधारा के समान आपकी चर्चा के अंश भी निर्मूल और पक्षपाती हैं। आप कदाचित् उन लोगों की अवगणना कर रही हैं, जो शुद्ध भाषा में बोलते हैं। कभी भोपाल जाएं और वहाँ की हिन्दी विश्वविद्यालय में देखें, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और इग्नू में भी हिन्दी का स्तर देखें। स्वयं निरक्षर लोग कक्षा में न जाकर जब शब्दों को केवल बातों के शब्दों से सिखते हैं, तो वो मेरेको, तेरेको, अपनको ही सिखते हैं। किसी भी भाषा के किसी भी तज्ज्ञ सें पुछें कि, क्या बोलने की भाषा और लिखने की भाषा में अन्तर होता हैं? उत्तर यदि सकारात्मक न हो, तो कहें। सर्वदा भाष्यमाणा भाषा और लेख्यमाना भाषा भिन्न भिन्न स्तरों पर होती हैं। क्योंकि लेखन को भाषण से अधिक प्राधान्यता मिलती हैं। आपकी बात नहीं कर रहा हूँ। परन्तु जो लोग सभ्य हैं, वो सोचकर और उचित अनुचित का निर्णय करके लिखते हैं, क्योंकि ये एक अभिलेख हो सकता है।
यदि भाषा की दृष्टि से देखें, जो तर्क आप दे रही हैं, तो हमला और आक्रमण दोनों हिन्दी शब्द हैं। यदि कोई हमला शब्द, जो आपके ऐनक में अधिक बोला जाने वाला हिन्दी शब्द है, तो आक्रमण कोई हिन्दी से निष्कासित नहीं हो जाता। वो भी हिन्दी शब्द ही रहेगा, भले ही कल हमला शब्द भी अप्रचलित हो जाए और उसके स्थान पर कोई अन्य शब्द प्रचलित हो। जब दोनों शब्द हिन्दी हैं, तो आप केवल "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इन शब्दों के प्रयोग पर ही कैसे पक्षपातपूर्ण रूप से विवश कर सकती हैं? यदि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इत्यादि शब्द उचित हिन्दी हैं, तो "आक्रमण", "दायित्व", "द्राक्षा", "परन्तु" इत्यादि अनुचित सिद्ध करें कि ये हिन्दी नहीं हैं।
अब आपने जो लिखा है कि, 'तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे' ये आपके शब्द स्मरण रखना और यदि विस्मृत हो जाएँ, तो चिन्ता न करें, मैं आपको इस चर्चा का सन्दर्भ दे कर स्मरण करवाउंगा। मैं इस के पश्चात् हिन्दी विकिपीडिया पर जितने भी इस प्रकार के नीतिगत पृष्ठ हैं, उनमें परिवर्तन का प्रकल्प आरंभ करूंगा। उस समय आप ये न कहना कि यहाँ भी बोलनें में आने वाले प्रसिद्ध शब्द ही होनें चाहिए, क्योंकि नीति सामान्य लोगो को पढ़नी है। जैसे एस.एम.7 जी प्रश्नों का उत्तर देनें से कतरा रहे हैं, आप भी मेरे प्रश्नों का उत्तर देनें से कतराना नहीं। यदि वास्तव में आपके लिये भाषा महत्त्वपूर्ण हैं और आप हिन्दी में प्रयुक्त होने (अधिक उपयोग होने वाले और न्यून उपयोग होनो वाले) सभी शब्दों को हिन्दी के अन्तर्भूत मानते हैं, (भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है) तो जैसे हमें ये चिन्ता नहीं कि आप लेकिन लिखें उत परन्तु, वैसे ही आपको भी चिन्ता नहीं होनी चाहिये कि सामने वाला परन्तु लिखें उत लेकिन। हिन्दी को अपनी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के आधार पर विभक्त न करें। विकिपीडिया अपना शाब्द-आतंकवाद और जिहादी आन्दोलन चलाने के लिए स्थान नहीं है।
यदि आप चाहते हैं कि, आगे से हम केवल तर्कों और तथ्यों पर चर्चा करें, तो अपने शब्दों के चयन पर विचार करें। क्योंकि आपके प्रत्युत्तर के पश्चात् मैं भी उसी भाषा में प्रत्युत्तर दूंगा, जिसका प्रयोग आप करेंगें। आपने असभ्यता का आरम्भ किया था, तो आपको ही इसका अन्त करना होगा। यदि आप मुझे फिर से ऐसा कुछ लिखेंगे, तो मैं भी लिखूंगा। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎ 04:08, 24 सितंबर 2017 (UTC)
- नेहाल जी फिर से अपने ज्ज़बातों में आकर गालियाँ दे रहे हैं। इंडिया के इंटरनेट यूज़रों की गिनती पूरी अमरीका की आबादी से भी ज़्यादा है, लेकिन हिन्दी विकी पर सदस्यगण और लेखों की गिनती इतनी कम क्यों है? क्योंकि यहाँ पर उन बयालीस करोड़ से ज़्यादा लोगों की ज़बान की बेइज़्ज़ती हो रही है। अगर आम हिन्दुस्तानियों की बोली से प्रेम करना, और इसकी इज़्ज़त करना अब एक "जिहाद" है तो समझिए कि मैं मुजाहिद हूँ। अगर हिन्दी से इतनी नफ़रत है तो यहाँ से ज़रूर जाइएगा। इस सदियों पुरानी ज़बान की विकिपीडिया पर अपनी इस नई हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी लिंग्विस्टिक पियूरिज़्म विचारधारा का प्रचार मत कीजिए। "हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।" - इसी "तर्क" के मुताबिक़ शब्द "हिन्दी" भी "हिन्दी मूल" का नहीं है। यह भी भाषा विज्ञान द्वारा स्थापित तथ्य है कि हिन्दी और उर्दू एक ही भाषा है। मैने अभी आप लोगों को इस बात के बारे में समझाया कि हिन्दी की शब्दावली के विभिन्न स्रोत होते हैं। तो इस तर्कहीन, अवैज्ञानिक, अनपढ़ और मूर्खतापूर्ण प्रसाव पर हिन्दी विकी की लेखन शैली नीति का पुनर्निर्माण करना अनावश्यक है। लिखित रूप में खाड़ीबोली, हिन्दुस्तानी अथवा सामान्य हिन्दी का इस्तेमाल नेहाल डेव जी की इस नक़ली, बेकार में संस्कृतनिष्ठ भाषा से बहुत ही ज़्यादा आम है। तो सामान्य व प्रचलित हिन्दी शब्दावली का विकिपीडिया पर इस्तेमाल करना बिल्कुल ही जायज़ है। सादर, --सलमा महमूद 12:03, 24 सितंबर 2017 (UTC)
- सलमा जी,
- 'हिन्दी' का नाम लेकर आप हिन्दी के फारसीकरण का समर्थन कर रहीं हैं। दूसरों पर 'भगवाकरण' का आोप लगाकर पूरा हरा-काला करने का ही यत्न हो रहा है। आप 'हिन्दी के अपमान' का नाम लेकर वैसे ही आक्रमण कर रही हैं जैसे काश्मीर में आतंकी सेना की छद्मवर्दी में घुसकर आक्रमण करते हैं। पर यह बार-बार सफल नहीं हो सकता। जिसे आप 'हिन्दी' कह रहीं हैं उसे लोगों ने १०० वर्ष पहले ही समझ लिया था कि यह उर्दू-फारसी है, हम पर एक प्रकार की गुलामी लादी गयी है, इससे हमे मुक्ति पाना है- यह सब सोचकर एक आन्दोलन चलाया और सफल हुए। पिछले १५-२० वर्षों में कुछ लोगों ने 'सरलता' का नाम लेकर हिन्दी के क्रियोलीकरण की प्रक्रिया शुरू की। जिसका परिणाम यह दिख रहा है कि आपको 'आक्रमण', 'तथा', 'एवं', 'किन्तु' आदि शब्द कठिन लगने लगे हैं। सलमा जी, ये वे शब्द हैं जो पूरे भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी बोले समझे जाते हैं। 'हिन्दी' शब्द विदेशियों ने दिया तो क्या हुआ? अपने शब्द होते हुए भी हम विदेशी शब्द प्रयोग करेंगे? हिन्दी और उर्दू कितनी एक हैं और कितनी अलग है, सबको पता है। दोनों एक हैं तो दोनों के लिए अलग-अलग पुरस्कार क्यों है? कई राज्यों में हिन्दी प्रथम भाषा और उर्दू द्वितीय भाषा क्यों है? समय आने पर परायी भाषा को सभी देशों ने एकबार में या धीरे-धीरे हटाया है। तुर्की और बांगलादेश को देखिए। चीनी-जापानी कठिन कही जाती हैं लेकिन वे सरल शब्दों की खोज में सउदी-अरब तो नहीं जाते।- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:37, 24 सितंबर 2017 (UTC)
जिसे हम अप्रचलित शब्द कहते हैं, उनमें से कई सारे शब्द दूसरे भाषाओं में आम बोलचाल में उपयोग होते हैं और ऐसे शब्द जो अंग्रेजी का हिन्दी में अनुवाद के लिए बनाए गए हैं, वे सब सच में अप्रचलित ही हैं। क्योंकि उन्हें केवल हिन्दी में अनुवाद करने हेतु ही बनाया गया है। तो ऐसे शब्द आप लोग केवल पुस्तकों में ही देखेंगे, या हो सकता है कि कुछ लोग उसी शब्द को बोलते हों, पर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले अधिकांश लोग उस शब्द से परिचित नहीं होते हैं, हालांकि ऐसे शब्दों को विकिपीडिया में आसानी से लिख सकते हैं। क्योंकि उनका कोई अन्य रूप हिन्दी के शब्द के रूप में प्रचलित नहीं है। समस्या केवल उन शब्दों में उत्पन्न हो जाती है, जिसका कोई और शब्द पहले से ही काफी प्रचलित हो।
- प्रचलित/अप्रचलित का मुद्दा आधारहीन है, इसका मापन सम्भव नहीं। कौन सा सिद्धान्त कहता है कि प्रचलित को ही लिखा जाएगा? यह तो भाषा संरक्षण की नीति के विरुद्ध है। यह नीति उन भषाओं का गला ही दबा देगी जो मरणासन्न हैं। यदि प्रचलित को ही लिखना होता तो वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग बनाने की आवश्यकता क्या थी? तकनीकी शब्द-निर्माण के लिए लगभग सभी सभ्य और आत्मसम्मानी देशों ने संस्थाएँ बनायी है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
विद्यालयों में क ख ग वाली पुस्तकों में अं से अंगूर और द से दवात लिखा होता है। शुरू से हमें "अंगूर" शब्द ही हिन्दी में पढ़ाया जाता है, यदि अचानक हम उसे कुछ और कर देंगे तो किसी को अच्छा नहीं लगेगा। पढ़ाई में "अंगूर" शब्द ही प्रचलित है और लोग भी अंगूर शब्द से तुरंत समझ जाते हैं। द्राक्षा जैसा शब्द तो मैंने पहली बार यहीं सुना था।
- पहले आपने यह लिखा था कि 'द्राक्षासव' आपने सुना था किन्तु उसका अर्थ बहुत बाद में समझ आया था। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
आवश्यकता, दायित्व जैसे कई सारे शब्द तो हिन्दी माध्यम के पुस्तकों में रहते ही हैं और अंग्रेजी माध्यम में हिन्दी विषय में भी इसका उपयोग होता ही होगा। तो सभी को इसका अर्थ पता ही होगा, पर बातचीत में इन शब्दों का बहुत ही कम उपयोग है। फिर भी इनके उसे कोई समस्या नहीं है। पर समस्या ऐसे शब्दों से हो जाती है, जो हिन्दी माध्यम की पुस्तकों में होती ही नहीं है और उसका विकिपीडिया में उपयोग किया जाता है। अंगूर और खिड़की शब्द का उपयोग पुस्तकों में भी होता है और सामान्य बातचीत में भी बहुत उपयोग होता है। इसके अलावा फिल्मों में गानों में भी इसका उपयोग किया गया है।
- यह एक सुप्रसिद्ध तथ्य है कि लिखित भाषा, बोलचाल की भाषा से बहुत भिन्न होती है। इतना ही नहीं, विषय के अनुसार भाषा बदलनी पड़ती है। गणित की अपनी भाषा है, रसायन की अपनी भाषा है। दार्शनिक विषयों पर 'बॉलीवुड की भाषा' में नहीं लिखा जा सकता। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
कोई भी शब्द किसी एक माध्यम से प्रचलित नहीं हो सकता। विकिपीडिया में यदि हम अंगूर को द्राक्षा भी कर दें तो शायद अंगूर शब्द अप्रचलित हो जाये, पर द्राक्षा का प्रचलित होना मुश्किल है। पर अंगूर शब्द अप्रचलित हुआ तो उसका स्थान अंग्रेजी शब्द ही ले लेगा। वैसे भी धीरे धीरे अंग्रेजी के शब्द बहुत ही अधिक हो रहे हैं। फिल्मों से लेकर समाचार पत्रों में भी अंग्रेजी के शब्द अधिक हो रहे हैं। ऐसे समय में यदि हम किसी प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे शब्द को लाने का प्रयास करेंगे तो इसका लाभ केवल अंग्रेजी के शब्द को ही मिलेगा। शायद हिन्दी में ढेर सारे अंग्रेजी शब्द के प्रचलित होने का कारण भी यही है कि हम उसे दूसरे भाषा का शब्द है बोल कर उसे अलग कर के दूसरे शब्दों को प्रचलित करने में समय व्यर्थ कर देते हैं। ऐसे सभी शब्दों में आज फिल्मों या समाचार पत्रों में ज्यादातर अंग्रेजी के शब्द ही आ गए हैं।
- ये 'वक्त-समय-टाइम' किसी का हाइपोथेसिस है, स्थापित सिद्धान्त नहीं। इस पर बहुत चर्चा हुई है। मैं इसे तर्कहीन मानता हूँ। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
- (सत्यम् मिश्र और हुञ्जाल एक ही व्यक्ति के दो अवतार तो नहीं??)
यदि हमें इन शब्दों का प्रचार भी करना है तो ऐसा प्रचार करना चाहिए कि पढ़ने वाले को बहुत ही आसानी से इन शब्दों का ज्ञान हो जाये। इस तरह से करना है कि जिसे इस के बारे में कुछ भी पता न हो, वो इस शब्द को देख कर याद रख सके।
वैसे यदि आप थोड़ा ध्यान से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि आपको कई सारे अंग्रेजी शब्दों का ज्ञान है। शायद ऐसे शब्दों का भी ज्ञान है, जिसका हिन्दी अर्थ भी आपको पता नहीं होगा। पर इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हमारे ही पाठ्यपुस्तकों में हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी नाम भी दिया होता है और हम अपने आप ही उन शब्दों को याद कर लेते हैं, जबकि हमारा उद्देश्य भी ऐसा नहीं होता है। केवल शब्दों के साथ रखने के कारण हिन्दी के अर्थ और परिभाषा के कारण ही हम उन शब्दों के अर्थ और परिभाषा को जान लेते है और किसी को न तो उसका ध्यान होता है और न ही वो उसे पढ़ने में अपना समय व्यर्थ करता है। ये सभी अपने आप ही हो जाता है। आप यदि उन शब्दों को फिर से देखोगे, तो आपको उसी समय उसका अर्थ समझ आ जाएगा क्योंकि उसे आप हिन्दी शब्द और परिभाषा के साथ ही देखे हो।
पर हम ऐसा शायद कभी नहीं कर सकते, क्योंकि हम उसके स्थान पर तो अंग्रेजी नाम ही लिख देते हैं, जिससे सभी को अर्थ पता चल सके या गूगल, बिंग आदि में पहले स्थान पर दिख सके, हालांकि लोग गूगल का अधिक उपयोग करते हैं और वो अपने आप ही हिन्दी चुने हुए लोगों के लिए अनुवाद कर के हिन्दी में ही परिणाम दिखा देता है और उस कारण हिन्दी विकिपीडिया का लेख ऊपर दिख जाता है। और जो लोग हिन्दी को परिणाम दिखाने के लिए नहीं चुने हैं, उन लोग चाहें तो हिन्दी में भी लिख लें, बहुत कम संभावना है कि हिन्दी विकिपीडिया का ऊपर दिखेगा। और यदि वे लोग अंग्रेजी में लिख दिये तो हिन्दी का कोई लेख तो दिखेगा ही नहीं, चाहे हिन्दी में कितना भी अंग्रेजी लिख लें।
हमें हिन्दी के शब्दों के लेखों में अंग्रेजी शब्दों को रखने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि गूगल अपने आप ही उन शब्दों को खोजने से हिन्दी में हिन्दी विकिपीडिया के लेख को आगे ले आएगा और यदि कोई लेख में शब्द खोजने लगा तो उसे दूसरे भाषाओं की कड़ी में तो मिल ही जाएगा। वैसे यदि कोई विकिपीडिया में ही उस शब्द को ढूँढने लगे तो भी सन्दर्भ में एक भी जगह उसका अंग्रेजी शब्द हुआ तो उससे वो लेख मिल ही जाएगा।
- गूगल बिंग आदि की बात पता नहीं क्यों कर रहे हैं। यह अपने-आप में एक अलग विषय है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
यदि कोई शब्द थोड़ा ही प्रचलित है तो उसके स्थान पर कोई और हिन्दी शब्द लिखने से भी चलेगा, पर जो शब्द पाठ्यपुस्तकों में भी रहता है, फिल्मों के गानों में भी उपयोग किया जाता है और सामान्य बातचीत में भी उपयोग किया जाता है, ऐसे शब्दों को हटाना ठीक नहीं है। पर यदि बाद में कोई हिन्दी शब्द उसके स्थान पर प्रचलित हो जाये तो उसे लिख सकते हैं। लेकिन तब तक ऐसा करना सही नहीं है। यदि "अंगूर" शब्द उर्दू में है तो ये और भी अच्छा है, क्योंकि इससे शब्द को प्रचलित रखने या और अधिक प्रचलित करने में बहुत आसानी होगी। पर दो अलग अलग शब्दों के चक्कर में ही हम रहे तो तीसरे अंग्रेजी शब्द को प्रचलित बनाने का ही कार्य करेंगे। हो सकता है कि कभी द्राक्षा शब्द भी प्रचलन में आ जाये, पर उससे यही होगा कि हिन्दी भाषी सोचेगा कि किस शब्द का उपयोग करूँ और किस शब्द का नहीं, और अंत में वो हो सकता है कि अंग्रेजी शब्द का उपयोग करने की सोचे। पर हम सभी "अंगूर" शब्द को ही प्रचलित बनाए रखने का प्रयास करें तो हिन्दी में हमेशा ही लोग "अंगूर" ही लिखेंगे और कोई उसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोचेगा ही नहीं।
वैसे किसी शब्द के प्रचार करने हेतु हमें केवल यही तरीका मिलता है कि उस लेख का नाम उस शब्द से बदल दिया जाये, पर एक ही माध्यम से इस तरह का प्रचार करने से ऐसे शब्द जो प्रचलन में नहीं हैं या कम हैं, उनके स्थान पर आसनी से उपयोग कर सकते हैं। शायद कम प्रचलित शब्दों को हटाने से कोई समस्या नहीं होगी। पर हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों को हटाना पड़ेगा और नए आ रहे शब्दों को रोकना भी पड़ेगा। क्योंकि फारसी आदि भाषाओं से शब्दों का आना तो वैसे भी बंद हो गया है और नए शब्द आ भी नहीं सकते या आए भी तो किसी को समझ नहीं आएंगे, पर अंग्रेजी में ऐसा नहीं है। अभी अंग्रेजी के कई सारे शब्द हिन्दी में उपयोग हो रहे हैं पर ऐसे शब्दों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस कारण हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों के बारे में सोचना चाहिए और उसका उचित अनुवाद और उसके स्थान पर ठीक तरीके से हिन्दी शब्दों का उपयोग करना चाहिए।
हिन्दी में लिखते समय कई बार दो या उससे अधिक शब्दों में से एक को चुनना पड़ता है। उसके कारण समस्या भी उत्पन्न हो जाती है और लिखने का काम धीमा हो जाता है। हिन्दी विकि में "श्रेणी" शब्द का ही उपयोग होता है। इस कारण सभी सक्रिय सदस्यों को इसका अर्थ पता होगा। लेकिन हम उसके जगह कोई और शब्द भी रख दें तो कुछ लोग भ्रम में रहेंगे कि श्रेणी का उपयोग करें या किसी और शब्द का उपयोग सही रहेगा। उसके बाद हो सकता है कि वे लोग अंग्रेजी के ही शब्द को लिखने लगें क्योंकि उन्हें "श्रेणी" शब्द ही याद नहीं रहेगा। दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं और उनका उपयोग लगभग आधा हो जाता है। यदि मान लें कि कोई शब्द पचास प्रतिशत प्रचलित है और कोई दूसरा शब्द भी उतना ही प्रतिशत प्रचलित है। तो कोई व्यक्ति यदि कुछ लिख रहा हो तो वो उन दोनों में से कौनसा शब्द उपयोग करेगा? वो यही देखेगा कि किस शब्द का उपयोग अधिक हो है और उसे ऐसा लगा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो उस शब्द को समझ नहीं पाएंगे तो वो अपने लेख में उस शब्द के स्थान पर कोई सभी को समझ में आने लायक शब्द खोजेगा। पढ़ाई में तो वैसे भी अंग्रेजी पढ़ाया जाता ही है, चाहे आप हिन्दी माध्यम में भी क्यों न पढ़े हों। इस कारण वो इन दोनों शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी शब्द को चुन लेगा।
- दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं - सत्य से कोसों दूर है। सू्र्य के बीसों पर्याय हमें रटाए जाते थे। रामचरित मानस पढ़िए, पता चलेगा कितने पर्याय प्रयुक्त होते है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
आप लोगों ने फुट डालो और राज करो की नीति के बारे में तो सुना ही होगा। शब्द भाषा की शक्ति होती है और जिस भाषा के जिस शब्द का अधिक उपयोग करें, वो उतना ही शक्तिशाली होता है। लेकिन दो या उससे अधिक शब्द के उपयोग करने से ये कुछ "फुट डालो और राज करो" की नीति के समान हो जाएगा। जिसके कारण शब्दों की शक्ति आधी या और कम हो जाएगी। इस कारण यदि हिन्दी में कोई एक शब्द प्रचलित है तो उसे ही उपयोग करना सही रहेगा।
फारसी आदि भाषाओं से जितने शब्द हिन्दी में आए हैं, उतने ही रहेंगे, अब उनकी संख्या नहीं बढ़ने वाली, पर हमें अंग्रेजी से आने वाले शब्दों को ही रोकना चाहिए, क्योंकि उसके कई सारे शब्द हिन्दी के प्रचलित शब्दों की जगह ले रहे हैं और उनके शब्द तो अभी भी आ रहे हैं। "रेडियो", "मोबाइल" जैसे शब्दों को रखने में कोई बुराई नहीं है, पर हॉरर, रिलीज़, स्टोरेज, जैसे कई सारे अंग्रेजी शब्दों को रोकना चाहिए। इस तरह के शब्दों को हम तभी रोक सकेंगे, यदि हम हिन्दी के वर्तमान प्रचलित शब्दों को ही प्रचलित करने और प्रचलन में बनाए रखने का प्रयास करें।
- कुछ विदेशी शब्दों को छोड़कर सभी को हटाना चाहिए- कुछ को तुरन्त, कुछ को समयबद्ध रूप में धीरे-धीरे। हिन्दी की घोषित नीति होनी चहिए कि उसे ऐसे शब्द अपनाने-बनाने हैं जिससे वह अन्य भारतीय भाषाओं के और भी निकट आ सके। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:57, 25 सितंबर 2017 (UTC)
हमें केवल प्रचलित शब्दों का ही उपयोग नहीं करना है। हम सभी हिन्दी के शब्दों के बारे में लेख में बता सकते हैं कि अंगूर को इन इन नामों से भी जाना जाता है। इस तरह से नाम बताएँगे तो उनके मन में कहीं न कहीं वो नाम तो रहेगा ही, जिससे हो सकता है कि भविष्य में "द्राक्षा" शब्द ही अंगूर से अधिक प्रचलित हो जाये, पर उसे प्रचलित करने के लिए पूरे लेख का नाम बदल देंगे तो दोनों शब्द अप्रचलित हो सकते हैं और ये भी हो सकता है कि लोग कारण विकिपीडिया में आना ही छोड़ दें कि इसके शब्द उन्हें समझ ही नहीं आते हैं। इसके साथ साथ ये भी हो सकता है कि उन्हें हिन्दी ही कठिन लगने लगे, क्योंकि उन्हें शब्दों का उतना ज्ञान ही नहीं हैं।
- -- नया कुछ नहीं है, पुनर्पुनरावृत्ति ।।।।।।।। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
यदि कोई बच्चा बचपन से अंगूर खाते हुए उसे अंगूर के ही नाम से जानता हो और बाद में उसे कहा जाये कि ये द्राक्षा है तो हम उसी समय अंगूर शब्द की शक्ति को दस प्रतिशत तक कम कर देंगे। उससे उस बच्चे को कभी लिखने कहा जाये कि ये इस फल का क्या नाम है तो वो सोचेगा फिर लिखेगा। जबकि उसे अंगूर शब्द ही पता होगा तो उसे सोचने की जरूरत भी नहीं होगा और वो तेजी से उस शब्द को लिख देगा। अंग्रेजी के शब्दों के कारण वैसे भी हिन्दी के शब्दों की शक्ति कमजोर हो रही है। ऐसे समय में यदि हम जानबूझ कर हिन्दी के प्रचलित शब्दों को मारने का प्रयास करें तो ये सच में शब्दों को मारना ही होगा। पर जिस शब्द के लिए आप उस शब्द को मारने की सोच रहे हैं, वो शब्द भी कोई उपयोग नहीं करेगा और उसके जगह अंग्रेजी के शब्द ही आ जाएँगे।
- पुनरावृत्ति अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
अंग्रेजी के शब्द दूसरे भाषाओं में उतने नहीं आए हैं और न ही उतने तेजी से आ रहे हैं। सिर्फ हिन्दी ही है, जिसमें इसके शब्द अन्य भाषाओं की तुलना में सबसे अधिक आ रहे हैं। इसका कारण भी हम ही लोग हैं, जो हिन्दी के प्रचलित शब्दों के स्थान पर अप्रचलित शब्द का उपयोग करते हैं। इसका दूसरा कारण भी इसी से जुड़ा है। हम शब्दों के अनुवाद में किसी एक शब्द का ही सही ढंग से उपयोग नहीं करते हैं। इस कारण किसी सॉफ्टवेयर या वेबसाइट का अनुवाद करें तो ऐसा लगता है जैसे वो शब्द किसी को समझ ही नहीं आएगा।
वैसे अनुवाद से ही एक और समस्या याद आई। हम लोग अनुवाद में एक ही शब्द का उपयोग कभी नहीं करते, खास तौर से दो अलग अलग अंग्रेजी शब्दों के लिए तो कभी नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि लिखना शब्द और टाइप शब्द अंग्रेजी में दोनों अलग अलग है। हम टाइप शब्द के लिए या तो टाइप शब्द ही उपयोग करते हैं या टंकण ही लिख देते हैं। पर चाहे हम कम्प्युटर में लिखें या किसी कागज में लिखें, लिख तो दोनों में ही रहे हैं, पर हम उसमें कभी "लिखना" शब्द का उपयोग नहीं करते हैं। अंग्रेजी में एप्लिकेशन शब्द का उपयोग आवेदन और अनुप्रयोग दोनों में उपयोग हो जाता है, फिर भी कोई समस्या उन्हें नहीं आती है। क्योंकि उन्हें पता है कि दोनों का अलग अलग जगह अलग अलग अर्थ होगा। वैसे ही कम्प्युटर में लिखने का अर्थ कम्प्युटर में टाइप करना ही होगा, पर हम उसके जगह टाइप या टंकण जैसे शब्द का उपयोग करते हैं। ऐसे में "लिखना" शब्द अप्रचलित तो नहीं होगा, लेकिन उसका इस शब्द के लिए भी उपयोग करने से वो काफी प्रचलित हो जाता और कम से कम "टंकण" शब्द से तो अच्छा ही रहता।
- अप्रसांगिक, सन्दर्भच्युत। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
हमें पढ़ाई से जुड़े लेखों के निर्माण करते समय इस पर ध्यान देना चाहिए कि लेख का नाम हिन्दी माध्यम के पुस्तकों के अनुसार हो, ताकि विद्यार्थी आसानी से उन शब्दों को खोज सकें। हिन्दी माध्यम में कोई भी पढ़ा हो तो उसे "अंगूर" शब्द पता ही होगा, पर कहीं द्राक्षा शब्द तो बताया ही नहीं गया है। पर्यायवाची शब्दों के बारे में पढ़ाते समय फूल, नदी, पानी, आकाश, धरती आदि के बारे में ही बताया जाता था, किसी फल के बारे में न तो बताया गया और न ही पुस्तकों में लिखा था। क्या इस शब्द का उपयोग किसी पढ़ाई के पुस्तकों में हो रहा है ? यदि नहीं हो रहा तो इसे "अंगूर" ही रखना उचित है। ताकि अंगूर शब्द को हम अत्यधिक प्रचलित कर सकें और कोई भी इसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोच भी न सके। पर ऐसा तभी होगा, जब हम सब मिल कर "अंगूर" शब्द का ही हर जगह उपयोग करेंगे। अंगूर शब्द का तो पुस्तकों में उपयोग तो होता ही है और कई फिल्मों में भी "अंगूर" शब्द का उपयोग हो ही रहा है। तो ऐसे में इस शब्द स्थान पर कोई और शब्द लिखना कहीं से भी उचित नहीं है। पर यदि किसी को अंग्रेजी शब्द से ही प्यार हो तो इसे वापस द्राक्षा कर दें, और कुछ साल बाद अंग्रेजी के शब्द के रूप में परिणाम देखने को मिल जाएँगे। हो सकता है कि उसके कुछ साल बाद कोई आकर इसे अंग्रेजी शब्द में लिखने की सोचे, क्योंकि "अंगूर" शब्द का उपयोग कम होने से यकीनन अंग्रेजी के शब्द को ताकत मिलेगी और उसका उपयोग और तेजी से होने लगेगा। आप लोग चाहें तो इसे द्राक्षा ही रखें, पर किसी भी जगह इन शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी के शब्द का उपयोग हुआ तो उसके दोषी आप ही लोग होंगे।
- पुनरावृत्ति ।।।। 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
अंगूर और द्राक्षा की बात समाप्त कर अब हमला और आक्रमण में आता हूँ। पहले से ही कई लेखों में हम लोगों ने "हमला" शब्द ही उपयोग किया है। इसी शब्द का उपयोग हिन्दी समाचार पत्रों में बहुत ज्यादा किया जाता है। गूगल या बिंग आदि में कोई घटना के बारे में खोजता तो उसे ___ हमला वाला सुझाव पहले दिखता, इस कारण वो उसी शब्द को खोजता, वैसे भी आक्रमण शब्द से हमला शब्द अधिक प्रचलित है। पर इसका ये अर्थ नहीं है कि आक्रमण शब्द लिखने से कोई समझ नहीं सकेगा। आक्रमण शब्द का उपयोग इतिहास के पुस्तकों में कई बार हुआ है और इस कारण कोई भी हिन्दी माध्यम का विद्यार्थी उस शब्द को बहुत ही आसानी से समझ सकता है। पर यहाँ मेरा उद्देश्य यही था कि हमला शब्द अधिक लोग खोजेंगे और उसका लाभ हिन्दी विकिपीडिया को अधिक लोगों के आने से मिलेगा। इसके अलावा पहले के कई लेखों में भी हम लोगों ने और पहले सक्रिय रहने वाले सदस्यों ने भी "हमला" शब्द का ही उपयोग किया है। यदि हम इस तरह के सभी घटनाओं में "हमला" शब्द ही उपयोग करें तो ये शब्द ही प्रचलित रहेगा और इसके स्थान पर कोई अंग्रेजी शब्द उपयोग करने की सोचेगा भी नहीं। पर हम ऐसे प्रचलित हिन्दी शब्दों का ही उपयोग नहीं करेंगे तो हम उसे अप्रचलित होने का कारण दे रहे हैं। इस तरह से ही शब्द अप्रचलित होते जाएँगे, जो अभी अन्य सभी शब्दों से भी अधिक प्रचलित है। हमला भी हिन्दी शब्द ही है। यदि न भी हो तो भी उसका लाभ हिन्दी को ही मिल रहा है, क्योंकि ये शब्द अंग्रेजी का नहीं है। वर्तमान समय में हमें केवल अंग्रेजी से ही खतरा है। बाकी दुनिया के किसी भी भाषा से हिन्दी को कोई खतरा नहीं है। पर इस तरह से प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे हिन्दी शब्द का उपयोग हो तो पहले वाले शब्द की शक्ति थोड़ी न थोड़ी कम हो ही जाएगी, चाहे आप किसी एक लेख में भी इस तरह का बदलाव क्यों न करें, पर प्रभाव सभी जगह पड़ेगा ही, लेकिन इसका प्रभाव आपके इच्छा अनुसार न हो कर इससे अंग्रेजी शब्द को लाभ मिलेगा। आप चाहें तो "आक्रमण" शब्द को दो देशों के युद्ध के लेखों में उपयोग करें, उससे कोई भी आपको नहीं रोकेगा। उससे एक तरह से हिन्दी का विकास ही होगा, क्योंकि इस का अधिक से अधिक उपयोग वहीं मिलता है। इस तरह से दोनों शब्दों का अलग अलग जगह उपयोग करेंगे तो लोगों को शब्द चुनने में कोई समस्या नहीं होगी और लोग उन दोनों शब्दों को आसानी से समझ भी लेंगे। इस तरह से दोनों शब्दों का प्रचार हो सकता है।
आक्रमण शब्द इतिहास से जुड़े लेखों में उपयोग करना सबसे अच्छा रहेगा। पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में इसका सबसे अधिक उपयोग "इतिहास" विषय के पुस्तक में मिलता है। "किसी देश ने किसी दूसरे देश के ऊपर आक्रमण कर दिया" इस तरह का बहुत सारा वाक्य आपको उस तरह के पुस्तकों में देखने को मिलेगा। एक तरह से इन दोनों शब्दों को अलग अलग जगह उपयोग करने के कारण अर्थ में इसी तरह का बदलाव भी हो गया है। इस कारण "आक्रमण" शब्द उस तरह लेखों में बहुत अच्छा लगता है। वहीं "हमला" शब्द का उपयोग समाचार वालों ने बहुत ज्यादा किया है, वो भी इस तरह के हमलों के लिए ही किया है। इस कारण इस तरह के घटनाओं के लिए "हमला" शब्द सबसे सटीक और उपयोगी रहेगा। वैसे कोई यदि इस घटना के बारे में खोजेगा और देखेगा कि सभी जगह हमला लिखा हुआ और केवल विकिपीडिया में ही "आक्रमण" लिखा हुआ है तो उसे अजीब लगेगा। मुझे यकीन है कि सभी को ये शब्द समझ में तो आ ही जाएगा, पर इस तरह के घटनाओं में "हमला" शब्द ज्यादा अच्छा रहेगा। केवल समझने में ही नहीं, बल्कि खोज परिणाम में भी इसका प्रभाव होगा। इससे देखने वाले तो अधिक आएंगे ही और साथ ही साथ इस शब्द का प्रचलन भी अधिक रहेगा। इस शब्द की जगह अंग्रेजी का शब्द न ले ले, इस कारण हमें इसके उपयोग में कभी कमी नहीं होने देना है। ताकि कई सालों बाद भी इस शब्द के बारे में सभी को पता रहे और ये प्रचलन में बना रहे।
शब्दों को प्रचलित करना काफी कठिन कार्य है, क्योंकि इसके लिए कई सारे माध्यमों की जरूरत होती है और प्रचार भी ऐसा करना होता है कि पढ़ने या सुनने वाले को अर्थ भी समझ आ जाये। यदि आप विज्ञापन देखते हो तो उसमें आपने जरूर देखा होगा कि कई बार हिन्दी शब्द के बाद अंग्रेजी शब्द बोल दिया जाता है। या साथ साथ उस शब्द को भी बोला जाता है। जिससे लोगों को अंग्रेजी शब्द भी समझ आ जाये और हिन्दी भी। एक तरह से जिसे हिन्दी शब्द न पता हो उसे पता चल सकता है, और जिसे अंग्रेजी शब्द न पता हो, उसे अंग्रेजी शब्द का पता चल जाता है। हो सकता है कि इस तरह से हिन्दी को लाभ मिलता हो, पर ज्यादातर तो ऐसे शब्द ही होते हैं, जिसे हिन्दी भाषी जानते हों और उसका अंग्रेजी नाम न पता हो, इस कारण अंग्रेजी शब्द का ही प्रचार हो जाता है। पता नहीं इस तरह के विज्ञापन का उद्देश्य क्या है, पर हमें तो एक ही शब्द का प्रचार है। ताकि वो शब्द कभी अप्रचलित न हो सके।
वैसे हमारी भाषा यदि अंग्रेजी से बच गई तो फिर कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि अंग्रेजी के शब्द ही अभी की सबसे बड़ी समस्या है। जिसका काफी हद तक कारण हिन्दी भाषी ही हैं। कई हिन्दी भाषी अपने बच्चों को हिन्दी माध्यम के विद्यालयों में नहीं पढ़ाते हैं। तो वे लोग कई सारे हिन्दी शब्द कभी समझ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में कोई उस तरह से पढ़ा हिन्दी भाषी हिन्दी में योगदान करना भी चाहे तो उसे ऐसा ही लगेगा कि ये शब्द हिन्दी में होते ही नहीं या बहुत कम उपयोग होते हैं, इस कारण वो अंग्रेजी शब्द को ही प्रचलित मान लेता है। ठीक उसी प्रकार कई बार ऐसा होता है कि हम अंग्रेजी के प्रचलित शब्द को हटाने की कोशिश करते हैं, ऐसा कर तो सकते हैं, पर जब तक हर माध्यम से उस शब्द का प्रचार न हो, तब तक लोग उसे अप्रचलित ही मान लेंगे और विकि में किसी को आने का मन ही नहीं करेगा। क्योंकि उसे शब्द समझ ही नहीं आएंगे। पर हमें कोशिश यही करना है कि संज्ञा को छोड़ कर सभी का अनुवाद कर के ही डाल दें, क्योंकि संज्ञा का अनुवाद तभी सही रहता है, जब सभी को उसका दूसरा शब्द पता हो। अंग्रेजी शब्द का इस चर्चा से लेना देना नहीं है, पर एक तरह से अंग्रेजी के शब्द का ही इस चर्चा से अधिक लेना देना है। मैं बस इसमें यही बोल रहा हूँ कि संज्ञा शब्द यदि हिन्दी में न हो तो उसे अंग्रेजी में रख लेने में कोई बुराई नहीं है, जैसे, सर्वर, सीडी, आदि। पर हमें इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि बाकी सभी का अनुवाद होता ही है। यदि कोई शब्द न हो तो उसका परिभाषा के अनुसार अर्थ लिख सकते हैं। पर गैर-संज्ञा शब्दों को हिन्दी में ही लिखना चाहिए। पर ऐसा हम लोग नहीं करते हैं और कई गैर-संज्ञा शब्द को अंग्रेजी में ही लिख देते हैं और संज्ञा शब्द का अनुवाद करने लगते हैं। यदि किसी संज्ञा शब्द का हिन्दी में अर्थ न हो तो उसका उपयोग वैसे भी कम ही होगा। और आज के समय में कई लोग उसका पहले ही अंग्रेजी शब्द जान जाते हैं, इस कारण उसका अनुवाद करने से वो कठिन बन जाता है। अर्थात समझने में कठिन हो जाता है। वैसे जिसने भी विलेज पंप को गाँव का पंप आदि करने के स्थान पर चौपाल करने का सुझाव दिया था, उसने वाकई बहुत अच्छा कार्य किया है। हमें भी अनुवाद इसी तरह करना चाहिए। ठीक वैसे ही उपयोगकर्ता शब्द के स्थान पर सदस्य शब्द का उपयोग बहुत ही अच्छा है। एक तो सदस्य लिखना बहुत ही छोटा होता है और इस शब्द का उपयोग भी बहुत आसानी से होता है। हम इस शब्द का मेम्बर के लिए भी कर सकते हैं और यूज़र के लिए भी कर सकते हैं। इस कारण इस शब्द का प्रचार काफी अधिक हो है। इस कारण इसे प्रचलित रखने में हमें थोड़ा कम मेहनत करना पड़ेगा। हमें अपनी सोच इसी तरह बदलनी होगी और अंग्रेजी के शब्दों के लिए कोई नया शब्द ढूँढने के स्थान पर इसी तरह दूसरे शब्द का उपयोग करना चाहिए। जैसे टाइप के लिए भी "लिखना" और उपयोगकर्ता के लिए भी "सदस्य" शब्द का उपयोग।
- भारतीयों में एक गुप्त शक्ति है जो उन्हें अदम्य बनाती है। कितने सारे पुस्तकालय जला दिए गये फिर भी ३ करोड़ से अधिक संस्कृत पाण्डुलिपियाँ उन्होने बचा ली। दस-बीस वर्ष नहीं, हजारों वर्ष तक बचाये रखा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
हमला और आक्रमण में से हम किसी एक ही शब्द का उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों ही किसी न किसी तरह से प्रचलित ही हैं। लेकिन आक्रमण शब्द किसी देश या साम्राज्य के मध्य युद्ध से जुड़ा है तो दूसरा "हमला" शब्द किसी पर भी चाकू से हमला करने को भी हम "हमला" कह सकते हैं। यदि हमें इन दोनों को प्रचलन में बनाए रखना है तो हमें इन दोनों का अलग अलग कार्यों में उपयोग करना चाहिए, ताकि लोग आसानी से तुरंत फैसला ले सकें और इन शब्दों का उपयोग कर सकें। पर "हमला" शब्द समाचारों में काफी प्रचलित है। इस कारण मेरी राय में इसे ही ___ हमला में उपयोग किया जाना चाहिए और "आक्रमण" शब्द दो देशों या साम्राज्य के मध्य लड़ाई में उपयोग होता है, तो उसे उसमें उपयोग करना ज्यादा अच्छा होगा।
- समाचार मुख्यतः 'श्रव्य-दृष्य' है, हिन्दी विकि पर 'लिखा' जाता है। दोनों की भाषा की अलग होगी। कोई नहीं मानेगा कि 'चाकू से हमला करना ठीक है' और 'चाकू से आक्रमण करना गलत'। किसी शब्दकोश में दिए अर्थ के अनुसार आपने लिखा हो तो कृपया उसका सन्दर्भ दीजिए।अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
अब हमला और आक्रमण वाली बात से हट कर खिड़की और वातायन में आता हूँ। इसमें तो साफ है कि लोगों को खिड़की शब्द के बारे में अच्छी तरह जानकारी होगा ही। खिड़की नाम से एक धारावाहिक भी बना था। शायद पिछले कुछ वर्षों में ही प्रसारित हो चुका है। कुछ हिन्दी गानों में भी "खिड़की" शब्द का उपयोग हुआ है। इनमें कुछ नए फिल्म भी हैं। पुस्तकों में भी साफ साफ कई जगह केवल और केवल खिड़की शब्द का उपयोग हुआ है। इसे बदलने का तो कोई कारण ही नहीं था।
वैसे सलमा जी ने जब आक्रमण को हमला करने हेतु लेख के नाम परिवर्तन का अनुरोध किया था, तो वहाँ मैंने कई सारे समाचार सन्दर्भ दिये थे, कि इतने सारे समाचार स्रोत "हमला" शब्द का ही उपयोग कर रहे हैं। वैसे सभी समाचार स्रोत इसका उपयोग न भी करें, पर पिछले कई लेखों का नाम इसी अनुसार ही रखा गया है। इस बारे में भी मैंने कहा था। उस समय मुझे जल्दी थी कि "हमला" शब्द के उपयोग करने से पाठकों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी ही। पर उस दौरान आधे से अधिक समय तक उसका नाम आक्रमण ही रखा गया था, शायद उसके कारण जितने लोग आने थे, उससे थोड़े कम आए होंगे। वैसे आक्रमण शब्द तो प्रचलित ही है, लेकिन उसका इस तरह उपयोग नहीं किया गया है, इस कारण इस घटना को खोजने वाले भी "हमला" लिख कर ही खोजते या खोजेंगे।
- यह शुद्ध कपोलकल्पना है कि 'हमला' देखकर अधिक लोग हिन्दी विकी पर आयेंगे। हिन्दी विकी पर सामग्री खोजते हुए लोग आते हैं और निराश होकर लौटना पड़ता है- इसे ठीक करना होगा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
वैसे हिन्दी विकिपीडिया में कुछ लेखों के नामों को बदलने से इस तरह के शब्द प्रचलित नहीं हो सकते, पर यकीनन इससे विकि पाठकों को अच्छा नहीं लगेगा, जो खिड़की वाला लेख देखने के लिए इसे खोलेंगे और नाम ही बिल्कुल अलग दिखेगा। मैंने ऊपर भी कहा है कि प्रचलित हिन्दी शब्दों के कमजोर होने से उसका लाभ पूरी तरह अंग्रेजी को ही मिलेगा। इस कारण इस लेख का नाम "खिड़की" ही रखना ठीक रहेगा, पर इसमें जानकारी के लिए आप "वातायन" लिख सकते हैं। ताकि लोगों को पता रहे कि इसे वातायन भी बोलते हैं।
पढ़ाई की पुस्तकों में इसे खिड़की के नाम से ही देखा हूँ, कहीं भी वातायन नहीं देखा। क्या आपके पढ़ाई के पुस्तक में "वातायन" नाम लिखा है ? वैसे बचपन से ही हिन्दी नाम के रूप में "खिड़की" शब्द ही बताया जाता है। इसे अचानक से "वातायन" करने से किसको अच्छा लगेगा? जबकि कई जगह इसी शब्द का उपयोग मिल रहा है।
यदि अंग्रेजों ने भी इस तरह से शब्दों को बदला होता तो बहुत से लोग इसका विरोध ही करते, पर उनके कार्य बहुत धीमे धीमे हुआ है। इस कारण कई सारे शब्द ऐसे हैं, जिसे हम जानते हुए भी उपयोग कर लेते हैं। हमें प्रचलित हिन्दी शब्दों से ही लेख का शीर्षक रखना चाहिए, ताकि लोगों को हिन्दी बहुत ही आसान लगे और अन्दर में उन शब्दों का उल्लेख करना चाहिए, जैसे अंगूर को द्राक्षा भी कहा जाता है।, खिड़की को वातायन भी कहा जाता है, आदि । इससे लोगों को धीरे धीरे ही इन शब्दों के बारे में पता चलेगा और हमें विकिपीडिया के साथ साथ दूसरे माध्यमों से भी इन शब्दों का प्रचार करना पड़ेगा, क्योंकि एक माध्यम से इसका प्रचार करेंगे तो प्रचार भी अच्छे से नहीं होगा और लोगों को अच्छा नहीं लगेगा।
बचपन से ही "अंगूर", "खिड़की" जैसे शब्द हिन्दी के ही बोले गए और पढ़ाई में भी इन शब्दों का उल्लेख था, ऐसे में उसे अचानक से बदलने से ऐसा लग रहा है जैसे मैं जिस हिन्दी को जानता हूँ और जिस कारण से विकिपीडिया में योगदान दे रहा, वो हिन्दी कोई और ही है।
अ़़ब़ ऩुक़़्त़ा क़ी ब़ा़त़, ज़ो श़ा़य़द क़िस़ी भ़ी ह़िऩ़्द़ी म़ाध़्य़म़ क़े व़िद्यार्थी को पता ही नहीं होगी और इसके कारण मेरे कुछ दोस्तों का दिमाग भी खराब हो जाता है। वैसे मुझे इसके बारे में विकिपीडिया में आने से पहले कुछ पता ही नहीं था और न ही इसका उच्चारण पता है। पढ़ाये जाने वाले किसी भी पुस्तक में मैंने एक भी नुक्ता नहीं देखा। पता नहीं विकिपीडिया में पढ़ाई से जुड़े लेखों में भी नुक्ते का इतना उपयोग क्यों होता है। पर मुझे इससे अभी तो कोई समस्या नहीं है, पर कुछ फॉन्ट में नुक्ते के कारण अक्षर समझ ही नहीं आते थे, उसे बदलने के बाद ही मैं नुक्ते वाले अक्षरों को समझ पाया। खास कर ऐसे शब्द जिसमें नुक्ता भी हो और तिरछा किया गया हो, वो तो बिल्कुल कोई अलग शब्द ही लगने लगता है। इसके अलावा एक और समस्या दो अलग अलग नुक्ते में है।
नुक्ते़ अ़ल़ग़ अ़ल़ग़ भ़ी ह़ोत़े है़ं, इ़स़क़ा प़त़ा़ भ़ी़ क़ई़ स़म़य़ क़े ब़ा़द प़त़ा च़ल़ा। जै़से फ़ = फ़, ज़ = ज़ दोनों ओ़़ऱ नु़क़्त़े है़ं, ल़ेक़िऩ द़ोऩों ए़क़ ऩह़ीं ह़ै। इ़स़क़े क़ाऱण़ ख़ोज़ऩे मे़ं और कड़ी जोड़ने में समस्या उत्पन्न होती है और कई बार एक से अधिक लेख भी बन जाता है। इसके कारण कुछ अन्य जगहों पर भी समस्या उत्पन्न हो गई है। खास कर लिखने वाले वेबसाइट में, जिसमें हिन्दी में कितने तेज लिख सकते हो, वो पता चलता है। वो सब ठीक से काम ही नहीं करता है। उसका कारण भी नुक्ता ही है। दो अलग अलग तरह के नुक्ते के कारण आप आसानी से लिख ही नहीं सकते। मैंने उन सभी को इस समस्या को हल करने लिए ईमेल भी किया था, पर एक का ही जवाब आया और वे भी समस्या को समझ नहीं पा रहे। चाहें तो पूरे विकि से नुक्ते को न हटाएँ, पर पढ़ाई से जुड़े लेखों में नुक्ते को रखना ठीक नहीं है, क्योंकि पुस्तकों में नुक्ते का उपयोग नहीं किया जाता है और शायद किसी भी हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी को नुक्ते के बारे में पता नहीं होगा । यदि वो किसी अन्य माध्यम से इसकी जानकारी प्राप्त न किया हो। वैसे इनपुट टूल के कारण नुक्ता डालने में कोई समस्या नहीं आती है। पर इनस्क्रिप्ट उपयोग करने वालों को व्यर्थ में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पूरे विकिपीडिया से हटाएँ या न हटाएँ, पर मुझे लगता है कि इसे उन सभी लेखों से हटा देना ही सही होगा, जो पढ़ाई से जुड़े हैं। रसायन, भूगोल, गणित, विज्ञान आदि से। वैसे पूरे जगह से नुक्ता हटा भी दें तो एक नई समस्या उत्पन्न हो जाएगी। लगभग सभी इनपुट टूल जैसे गूगल या माइक्रोसॉफ़्ट इनपुट टूल में अपने आप ही कई जगह नुक्ता आ जाता है। तो नुक्ता वाले लेख तो लोग बना ही लेंगे और खोजने वाले नुक्ते के साथ भी खोज सकते हैं।
अंकों के बारे में हम लोगों ने पहले भी बहुत सी चर्चाओं में चर्चा किए हैं। शायद सभी का यही निर्णय निकला था कि लेखों में जो अंक पहले से है, उसे ही पूरे लेख में रखा जाये। उसे बदला न जाये। वैसे इसका एक और हल भी है, पूरी तरह उपयोग तो नहीं कर सकते पर उसका लाभ जरूर होगा। हम लेखों में जितना हो सके, उतने जगहों पर संख्या को अंकों के स्थान पर शब्दों में लिख सकते हैं। जैसे आठ लोगों की मौत, तीन लोग डूब कर मर गए, या उन्नीस लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत आदि। कुछ लोग जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करते हैं, वे लोग अंकों को अंग्रेजी में ही बोल देते हैं। इस समस्या का हल भी इसी से हो जाएगा। इससे उन लोगों को शब्द याद रहेगा और हमें भी अंकों के बारे में उतना सोचना नहीं पड़ेगा।
- संख्यासूचक शब्दों को अंकों में लिखा जाय या शब्दों में? - इस सम्बन्ध में एक अच्छी नीति हमे बतायी गयी थी। साहित्य आदि लिखते समय शब्दों का करें ( आठ पहर लिखिए, ८ पहर नहीं।) गणित, विज्ञान आदि में अधिक से अधिक अंकों का प्रयोग करना चाहिए। इतिहास में भी तिथियाँ आदि अंकों में लिखी जानी चाहिए ( भारत सन् १९४७ में स्वतन्त्र हुआ। )अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
ऊपर की सारी चर्चाओं को देख कर ऐसा लगता है कि हमें हर परियोजना हेतु शब्दावली का निर्माण करना चाहिए और उन्हीं शब्दों का उपयोग लेखों में करना चाहिए। जैसे विकिपरियोजना फिल्म में फिल्म में उपयोग होने वाले सभी शब्दों का उसके अर्थ के साथ सूची रहेगा, जिससे कोई भी सदस्य आसानी से उन सूचियों से देख कर नाम लिख लेगा, इससे इस तरह की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और साथ ही साथ इससे हिन्दी के शब्दों का प्रचार भी काफी अच्छे से हो सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ उस विषय पर लिखने वाले सदस्यों को होगा और वो भी कोई नया सदस्य या जो उस विषय पर पहली बार लिख रहा हो।
प्रथम विश्व युद्ध या पहला विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध या दूसरा विश्व युद्ध में तो प्रथम और द्वितीय रखने में क्या समस्या हो सकती है ये तो समझ नहीं आ रहा, पर पाठ्यपुस्तकों में तो प्रथम और द्वितीय शब्द का बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इतिहास में प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध लिखा रहता है।
मैं जब क्रिकेट से जुड़ा लेख बना रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि कोई एक शब्दावली हर परियोजना में होनी चाहिए, जिसे देख कर आसानी से अनुवाद किया जा सके। जब गूगल से अनुवाद करते हैं तो उसमें कई बार सही शब्द नहीं आता है या अर्थ ही नहीं दिखाता है, इस कारण मजबूरी में अंग्रेजी शब्द का ही उपयोग कर लेते हैं। पर शब्दावली रहेगा तो तुरंत कोई भी उसका हिन्दी अर्थ लिख देगा। हो सकता है कि इससे कई लोगों को अनुवादक की जरूरत भी न पड़े। हिन्दी के शब्दों का प्रचार करने और विवादों को दूर रखने में ये उपयोगी सिद्ध होगा। पर इसका निर्माण सभी से पूछ कर और सभी की सहमति से ही करना चाहिए। इस बात का भी ख्याल रखना पड़ेगा कि अलग अलग परियोजनाओं में अलग अलग तरह के शब्दों का उपयोग होता है। जैसे विकिपीडिया में हम रिवियू को पुनरीक्षण लिखते हैं और अन्य जगहों में "समीक्षा" लिखते हैं।
- एक ही शब्द के अलग-अलग सन्दर्भों में अलग-अलग अर्थ होते ही हैं। 'कम्प्लेक्स नम्बर' और 'फ्युएल कम्प्लेक्स' और 'इनफेरिआरिटी कम्प्लेक्स' में 'कम्प्लेक्स' का अर्थ समान नहीं है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
इसके अलावा मुझे लगता है कि हमें शब्दों के साथ साथ अनुवाद विकि पर भी ध्यान देना चाहिए, उसके लिए भी हमें एक परियोजना का निर्माण करना चाहिए, जिसमें हम सभी मिल कर शब्दों को चुन कर सूची का निर्माण कर सकें। कई बार वहाँ लोग ऐसे शब्द लिख देते हैं, जो दूसरे में कुछ और व तीसरे में कुछ और होती है। सबसे ज्यादा पुनरीक्षण शब्द को समीक्षा लिख दिया जाता है। हटाने के शब्द को निकालें या अवरोध वाले शब्द को बार बार ब्लॉक लिख देते हैं। प्रतिबंध और अवरोध को भी इधर उधर कर के लिखा गया है। उसमें कई सारे शब्द में मात्रा त्रुटि भी है और कई में व्याकरण त्रुटि भी है। इस कारण हमें इस परियोजना की आवश्यकता है, जिससे इस तरह के अनुवादों को उसी समय सुधार कर लिया जाये और सभी जगह एक ही शब्द लिख रहे।
हिन्दी विकिपीडिया में कई सारे अनुवाद अनुवादविकि के अनुवाद से अलग हैं, इस कारण कई सारे गलत अनुवाद दिखाई नहीं दे रहे हैं, कुछ दूसरे एक्स्टेंसन में भी कई लोगों ने खराब अनुवाद किए हैं। उन्हें भी ठीक करना पड़ेगा। पर उन सभी को ठीक करने से पूर्व हमें इस नई परियोजना का निर्माण करना पड़ेगा, जिससे शब्दों को चुनने में हमें कोई परेशानी न हो और कोई दूसरा सदस्य यदि कोई उल्टा सीधा अनुवाद कर दे तो हम उसे शब्दावली दिखा सकते हैं। पर अभी कोई दूसरे शब्द को सही बोले तो हम कुछ नहीं कर सकते। वैसे कई लोग वहाँ पृष्ठ, पन्ना, पेज, तीनों को ही लिख देते हैं। इस तरह की समस्या भी दूर हो जाएगी। --स (वार्ता) 17:01, 24 सितंबर 2017 (UTC)
@अनुनाद सिंह: जी, दो दिनों के लिए विकिपीडिया पर नहीं था न ही आपने मेरी अंतिम टिप्पणी पर कोई टिप्पणी की। ऊपर इस लंबी टिप्पणी के लेखक "सदस्य:स" जी हैं। आपके कुछ वाक्यों से ऐसा लग रहा जैसे इसे आप मेरी टिप्पणी समझ बैठे। स जी की उपरोक्त बातों में कई से सहमत और कई से असहमत हूँ और समय मिलते ही लिखूँगा। बस एक चीज नहीं समझ में आई, आप हर उस व्यक्ति को हुन्जजल का अवतार क्यों घोषित करने लगते जिससे आपकी असहमति हो? क्या आपको मालुम नहीं कि कठपुतली होना एक गंभीर ग़लती है और केवल संदेह के आधार पर किसी पर इसका आरोप लगाना भी? मेरे खाते पर हुंजाजल की कठपुतली होने का संदेह व्यक्त करके क्या साबित करना चाह रहे?--SM7--बातचीत-- 10:13, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: तीनों के विचारों में, भाषा में, शैली में इतनी अधिक समानता है कि मन तीनों को अलग मानने को तैयार ही नहीं होता। भारत में लभ जिहाद चल सकता है तो हिन्दी विकि पर क्यों नहीं? - अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:14, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह, SM7, और स: नेहल जी से मेरी व्यक्तिगत बातचीत हो गयी है और वो इस मुद्दे को इतना तूल देने के समर्थन में नहीं हैं। उनके हिंदुस्तानवासी जी और SM7 जी से कुछ छोटे विवाद (असहमतियाँ) हैं जिन्हें बहुत आसानी से सुलझा लिया जायेगा। इस पर इस तरह की लम्बी वार्ता और आपस में कठपुतली कहना शोभा नहीं देता। मुझे स जी, SM7 जी और Hunnjazal जी की शैली, भाषा और विचार अलग-अलग लगते हैं। कई बार देखने के नज़रिये से भी समानता दिखाई दे सकती है जैसे हम सभी हिन्दी विकि के योगदानकर्त्ता हैं और हिन्दी भाषा अपनी समानता को प्रदर्शित करती है। अतः मेरा अनुरोध है कि आप सभी लोग, कृपया अपनी गलतियाँ स्वीकार करके (यदि आपको नहीं लगता कि आपने गलती की है तो भी क्षमा माँग सकते हो) विवाद का अन्त करें। इस विवाद के समय को विकि-विकास में लगायें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 18:11, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7: तीनों के विचारों में, भाषा में, शैली में इतनी अधिक समानता है कि मन तीनों को अलग मानने को तैयार ही नहीं होता। भारत में लभ जिहाद चल सकता है तो हिन्दी विकि पर क्यों नहीं? - अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:14, 26 सितंबर 2017 (UTC)
@अनुनाद सिंह: जी, आपके द्वारा प्रस्तुत किये गए संदेह को मैंने सूचनापट पर रख दिया है और आशा करता हूँ इसका निर्णय बाकी के प्रबंधकगण करेंगे। आपसे उमीद करता हूँ कि आप नेहल जी के दायित्व छोड़ने के निर्णय पर चर्चा आगे बढ़ायेंगे। उक्त निर्णय में यदि भाषा शैली और/अथवा किसी अन्य नीतिगत प्रश्न पर निर्णय आप पहले आवश्यक समझते हों (अथवा कोई अन्य सदस्य आवश्यक समझता हो) तो कृपया अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रस्ताव के रूप में लिखें। यदि किसी को पहले उन विवादों पर निर्णय सुनाना आवश्यक लगता हो जिनके कारण आदरणीय नेहल जी ने अपने अधिकार त्याग की चर्चा आरंभ की तो कृपया उसे अलग और स्पष्ट अनुभाग में लिखें और सबकी राय लें।
- @SM7: जी, प्रबन्धक सूचनापट्ट पर आप के सन्देश को मैने पढ़ लिया है। संजीव कुमार जी ने संक्षेप में अपने विचार भी रख दिये हैं। आप और हुञ्जाल जी हिन्दी के प्रबन्धक हैं। क्या आपको नहीं लगता कि शंका को निर्मूल करने का सबसे अच्छा तरीक यह होता कि आप दो कदम और आगे जाकर अपना चेक यूजर कराने का प्रस्ताव स्वयं देते? हिन्दी विकी पर कठपुतली के इतिहास में हुञ्जाल जी का नाम भी अंकित है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:08, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, जो तरीका मुझे सबसे अच्छा लगा वही किया है। विकि के इतिहास में या तो आप जैसे इतिहासी लोगों को रूचि है या विवाद प्रेमी जनता को जिसे इतिहास का उद्धरण देना प्रिय है, मेरी कोई रूचि नहीं। हुन्जजल जी अब प्रबंधक नहीं हैं। मैं हूँ, परन्तु मैं बतौर प्रबंधक शायद इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। थोड़ा धैर्य रखिये, बाक़ी प्रबंधकों पर भी विश्वास न हो तो ये दो क़दम का फ़ासला आप ख़ुद भी तय कर सकते हैं, आशा करता हूँ इतना चलने के लिए तो तैयार ही होंगे जो यह आरोप लगाया है। --SM7--बातचीत-- 18:45, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- @SM7:जी, आश्चर्य है कि इतिहास से सहसा घृणा हो गयी, वैराग्य आ गया। क्या नैतिकता की सारी बातें इतिहास हो गयीं? आपको पता है कि सोने को आग से डर नहीं लगता क्योंकि आग में जाकर सोना शुद्धतर होकर निकलता है। एक प्रबन्धक अपनी जाँच से डरे तो जनता में क्या सन्देश जाएगा?
- @अनुनाद सिंह: जी, जो तरीका मुझे सबसे अच्छा लगा वही किया है। विकि के इतिहास में या तो आप जैसे इतिहासी लोगों को रूचि है या विवाद प्रेमी जनता को जिसे इतिहास का उद्धरण देना प्रिय है, मेरी कोई रूचि नहीं। हुन्जजल जी अब प्रबंधक नहीं हैं। मैं हूँ, परन्तु मैं बतौर प्रबंधक शायद इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। थोड़ा धैर्य रखिये, बाक़ी प्रबंधकों पर भी विश्वास न हो तो ये दो क़दम का फ़ासला आप ख़ुद भी तय कर सकते हैं, आशा करता हूँ इतना चलने के लिए तो तैयार ही होंगे जो यह आरोप लगाया है। --SM7--बातचीत-- 18:45, 27 सितंबर 2017 (UTC)
@अन्य सदस्य -- यह अनुभाग मुझसे प्रश्न के रूप में लिखा गया था। जो मेरे वार्ता पन्ने पे किया जाना चाहिए था। अनुरोध करने पर वहाँ भी लिखा गया और पहले उन प्रश्नों का उत्तर माँगा जा रहा जिनकी वज़ह से आदरणीय नेहल जी को यहाँ आना पड़ा। मेरे उत्तर देने के विलम्ब को "कतराना" कहा गया। स्पष्ट कर दूँ कि जिन बातों पर मुझसे प्रश्न पूछा जा रहा उनका उत्तर मैं अभी कदापि नहीं दूँगा। कारण भी बता देता हूँ, मेरी स्पष्ट राय है कि विवाद पर चर्चा करने हेतु दायित्व छोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है। जब तक इसका निर्णय नहीं होता किसी ऐसे विवाद पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूँगा जिसे पहले ही सामान्य रूप से सुलझाया जा सकता था। नेहल जी (और एक और मित्र ने जाने की धमकी दी है) की कार्यशैली देखते हुए ही इस नतीज़े पे पहुँचा हूँ कि ये लोग मात्र ध्यानाकर्षण हेतु ऐसे मुद्दे इस रूप में उछालते है। यकीन न हो तो कृपया इसी पन्ने पे ऊपर देखें, (छोटा सा उदाहरण दे रहा) नेहल जी ने एक लेख को निर्वाचित घोषित कर दिया क्योंकि "मेरा ये करने का उद्देश ये था कि कोई तो आगे आये और इस विषय पर चर्चा करे।" और विकीतर वाट्स एप समूह में इसे "बम फोड़ने" की संज्ञा भी दी थी (क्षमा प्रार्थी हूँ अनौपचारिक समूह की बात लिखने के लिए)।
उक्त तरीकों से शहीद बनने और त्याग की भावना (दायित्व त्याग) दिखाने का प्रयास ये लोग कर रहे -- और माननीय अनुनाद जी का कहना है कि पवित्र युद्ध में भाग लेने वाले (जिहादी) हम हैं। ख़ुद ये लोग टीम बना कर विकिपीडिया को पवित्र करने का अभियान चला रहे और आरोप हमपे कि हम जिहाद कर रहे। खिड़की को वातायन किया जा रहा कि यह शुद्ध किया जा रहा, और टोको तो हम जा रहे, तुम हमें छोड़ने पे मजबूर कर रहे इसलिए खलनायक हुए। सामने वाले को निन्दित करने का बेहतरीन तरीका खोजा है। आरोप लगा दो, ख़ुद अच्छे साबित हो गए।
कृपया सदस्यगण इस तरह के आरोपों पर चर्चा करें और ऐसी प्रवृत्ति का उपचार सुझाएँ। --SM7--बातचीत-- 19:57, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- एक समय था जब हिन्दुस्तानीलेन्गुएज और हिन्दुस्थानवासी को एक समझा जाता था। फिर शनैः शनैः वो भ्रम दूर होता गया। अभी कुछ दिनों पूर्व की ही बात है, जब किसी पुरातन सदस्य का नाम ले कर कठपुतलि लेखा बनाई गयी थी, जिससे प्रबन्धक के लिये नामांकन किया और पुनरीक्षक पद के लिये भी आवदेन किया गया था। व्यवहार पर शंका करना और उसको व्यक्त करना अत्यावश्यक है। फिर वो असत्य या सत्य सिद्ध हो तो किसी की जय या पराजय नहीं होती, अपि तु समुदाय का हित होता है। अतः इसे आप अपनी प्रतिष्ठा का विषय न बनाएँ।
"कतराना" शब्द आज भी उचित है और निर्वाचित लेख के समय भी उचित ही था। विकिपीडिया पर स्वान्तः सुखाय कार्य होता है और कभी कभी निष्क्रिय होना भी अत्यन्त लाभकारी होता है। इस नीति का प्रबन्धकगण अनुचित लाभ ले रहे हैं। जब किसी चर्चा पर मत देने की बात आती है या निर्णय करने की बात आती है, तो जानकर या तो निष्क्रिय हो जोते हैं या अन्य बात करते हैं। अभी तो आपके द्वारा दो दिन ही विलम्ब से उत्तर (नहीं) दिया गया। परन्तु निर्वाचित लेख के समय तो बहुत दिन हो चुके थे। अब पुछा जाये तो अन्य ही कारण मिलेगा।
आपको जो प्रश्न किये हैं, वे आपको किसी सदस्य के रूप में पुछे नहीं गये। वे प्रश्न प्रबन्धक के रूप में आप से किये गये हैं। अतः अपने दायित्व से भागने का प्रयास न करें। आपकी प्रथम टिप्पणी से मैं देख रहा हूँ कि आप बात को घुमा रहे हैं। फिर भी मैं आप जैसे चाहते हैं, वैसे करने का प्रयास कर रहा हूँ। इसलिये नहीं कि मुझे किसी को अनुचित सिद्ध करना है। इसलिये कि मुझे समस्या का समाधान चाहिए। परन्तु प्रबन्धक के रूप में आप समाधान करने के स्थान पर पहले क्यों नहीं किया? अधिकार की आड क्यों ली? यहाँ क्यों लिखा? अमुक लेख का शीर्षक क्यों बदला? इत्यादि प्रतिप्रश्न कर विवाद को बढा रहे हैं। वास्तव में यदि आप निष्पक्ष हैं और हिन्दी की एक शैली के प्रति पक्षपाती नहीं, तो अपना मत प्रस्थापित करने से बचते (कतराते) क्यों दिख रहे हैं?
बम फोड़ना शब्द प्रयोग कोई अनुचित नहीं था। क्योंकि यही वास्तविकता है कि, जब सब से मत मांगा जाता है, तब कुछ लोग निष्क्रियता का आवरण ले लेते हैं। फिर जैसे निर्णय अन्तिम चरम पर होता है, तो विवाद उत्पन्न किया जाता है। क्या एक प्रबन्धक के रूप में आपको पता नहीं था कि उस लेख के सन्दर्भ में क्या समस्या चल रही थी? अब आप कहेंगे मेरा ध्यान नहीं था। परन्तु खिड़की का वातायन होने पर आपका ध्यान है और इतना विशाल विवाद आपके ध्यान में नहीं था? या आप प्रतीक्षा कर रहे थे कि देखते हैं मेरे विचार के अनुरूप निर्णय हो तो उचित है, अन्यथा मैं कूद पडूंगा। कौन प्रबन्धक बनेगा और किसको अमुक अधिकार मिलेंगे ये नेपथ्य में ही निश्चित हो जाता है। ये व्यक्ति ? इसने तो उस दिन मुझ से अमुक प्रश्न किये थे। ये नहीं। वो? हाँ वो अच्छा है। उसने उस समय अच्छा तर्क दिया था (जो मेरे अनुकूल था)। इसे आगे बढाते हैं।
नेपथ्य में विवाद के समाधान पर कार्य करना कोई अनुचित कार्य नहीं है। सब चाहते थे कि निर्वाचित लेख पर कोई अपना मत देवें। परन्तु जिनके पास ये क्षमता थी वो अघोषित रूप से अपने दायित्व से भाग रहे थे और अपने अधिकारों का अवलम्बन (आड) लेकर अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। वो अधिकार के अवलम्बन में चर्चा न करना यदि उचित है, तो मेरा अधिकार त्यागने की बात कर चर्चा करवाना भी उचित ही है। वास्तव में ये आरोप ही है कि मैंने अधिकारों के अवलम्बन में चर्चा करवाई। फिर भी उसका समाधान ये है कि, चाहे इस चर्चा का निर्णय पक्ष में या विपक्ष में आये मैं ये अधिकार त्याग दूंगा। इस वाक्य से मेरी मन्शा स्पष्ट है। द्राक्षा, वातायान इत्यादि की जो बात है, वो मैं स्वीकार करता हूँ। वहाँ स्थिति ये थी कि, मैंने अधिक शुद्ध शब्दों के प्रयोग का सोचा। क्योंकि समाज में स्थानप्राप्त शब्दों को तो सब जानते ही हैं। वो खोजेंगे तो अनुप्रेषण के माध्यम से वो खोज ही लेंगे। परन्तु उनको वास्तविक शब्द नहीं पता चलेगा। उदा.। खिड़की सब उपयोग सब करते हैं, तो उसे खोजा ही जाएगा। अतः उसको कोई समस्या नहीं है। परन्तु उससे किसी को वातायन शब्द का ज्ञान नहीं होगा। यदि हम खड़की को अनुप्रेषित कर वातायन की ओर भेजें, तो अंगूर जानने वाले को वातायन शब्द का भी बोध होगा और खिड़की शब्द तो वो जानता ही है। परन्तु आप लोगो के ऐनक में ये कृत्य अन्यथा है। अतः मैं स्वीकारता हूँ कि वो मेरी क्षति थी। परन्तु यहाँ जो विषय है, उस में जानकर किसी के द्वारा प्रयुक्त शब्द को परिवर्तित कर अपने सीमित (पक्षपाती) ज्ञान के आधार पर एक ही शब्द उपयोग करने के लिये अन्य को विवश किया जा रहा है। इन दोनों अंशों को आपने स्पष्ट रूप से समान सिद्ध करने का प्रयास किया।
दो व्यक्तिओं के मध्य मतभेद होता है और तृतीय व्यक्ति आता है, जिसे समाधान ज्ञात है। अब वो व्यक्ति समाधान देगा और विवाद समाप्त करेगा। परन्तु यहाँ तर्क दिया जाता है कि, उस में से एक व्यक्ति यदि ऐसे करता तो विवाद होता ही नहीं या समाधान हो सकता था, अतः मैं समाधान नहीं दूंगा। ये हास्यास्पद और स्पष्टरूप से उत्तर देने से बचने का प्रयास ही कहा जाएगा। क्योंकि वो उस द्वितीय व्यक्ति के पक्ष का तर्कसंगत पाता है और अपनी विचारधारा के अनुरूप व्यक्ति के पक्ष को और अपने पक्ष को तर्कहीन।
संजीवजी से मेरी विस्तृत बात हुई है। मैं उनसे भी निवेदन किया है और उसका ही यहाँ पुनरावर्तन कर रहा हूँ। मैं विवाद नहीं चाहता और न मैंने विवाद आरम्भ किया है। मैंने लेख बनाया और उस में जितने भी तथ्यों का अभाव बताया गया वो मैंने लेख में अन्तर्भूत किये। परन्तु एक पक्षपाती रूप से शीर्षक और लेख में प्रयुक्त हिन्दी शब्द को आक्रमण, दायित्व इत्यादि शब्दों के प्रयोग से रोका गया। संख्या विवाद जो वास्तविक विवाद है भी नहीं। क्योंकि अंक परिवर्तक नामक उपकरण बना हुआ है। जिसे जो चाहे वो अंक देख सकता है। फिर भी वो अन्य के प्रयुक्त अंक को परिवर्तन करते हैं। इससे अधिक लेख में दिये उचित सन्दर्भों को नीकाला गया और पक्षपातपूर्ण लेख सज्ज किया गया। तो ऐसा करने वाले को दण्ड हो मैं नहीं चाहता परन्तु हिन्दी शब्दों के प्रयोग के लिये स्वतन्त्रता हो इतना ही हो ऐसा मैंने कहा।
जब मैंने खिड़की का वातायान किया और अंगूर का द्राक्षा किया तो उसे पूर्ववत् कर दिया गया, तो अब इस अनुचित कृत्य के लिये कार्यवाही की याचना मुझे किसी भी प्रकार का भयादोहन (blackmail) नही लगता। किसी अन्य पद्धति से हो सकता था, परन्तु वास्तविकता ये है कि नहीं हुआ। अब नहीं हुआ तो कभी नहीं होना चाहिये ऐसी नीति का त्याग कर पूर्वकाल में असिद्ध को सिद्ध करना चाहिये। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎ 08:39, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- सलमाजी भारत नामका एक देश है, जहाँ शताब्दीयों से नहीं युगों से मूर्तिपूजक, मूर्तिपूजा के न मानने वाले, ईश्वरवादी, ईश्वर में न मानने वाले लोग रहते हैं। उन लोगो की भावना को आहत करने वाले कुछ तत्त्वों को जब कहा जाता है कि, ये करना है तो जिस देश में ऐसा होता है, वहाँ चले जाएँ। तब वो कहते हैं कि ये देश उतना ही हमारा है, जितना तुम सबका। उस तर्क को मैं दे रहा हूँ। यदि हिन्दी के शब्दावली विभिन्न भाषाओं से प्रभावित है और भाषाविज्ञान भी उसके लिये तर्क देता है, तो किसी एक ही पक्ष की भाषा के उपयोग करने वालों का विरोध क्यों न करूं? और ये भाषा जितनी आपकी है उतनी मेरी भी है, तो मैं कहीं जा कर क्यों लिखूँ? मैं यहाँ लिखूँ या नहीं ये कोई मुजाहिद निश्चित नहीं करेगा। ॐNehalDaveND•✉•✎ 09:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- दोस्तों यहाँ चर्चा विश्वकोश निर्माण की नहीं, भाषा निर्माण की हो चली है। ये हमारे बस में नहीं है और हमारा काम भी नहीं है। कृपया यहाँ विकिपीडिया पर अपनी राजनीतिक आस्था लेकर युद्ध न चलाया जाए। हमारा मकसद हिन्दी में विश्वकोशीय जानकारी देना है, किसी राजनीतिक पद्धति या शब्द को प्रचारित करना नहीं है। इसके लिये ही साधारण शब्द उपयोग करने की अनुशंसा है और की गई है। कृपया इसी को ध्यान में रखें। जो कोई (मतलब हर कोई) ऐसा नहीं कर सकता वो जाने को स्वतंत्र है। उसके लिये इतना बवाल और शोर-शराबा करने की जरूरत नहीं। हम में से हर कोई किसी न किसी मकसद के लिये आया था यहाँ पर, तो जाहिर है जब वो मकसद पूरा होते हुए न लगे तो मन उखड़ जाता है और कुछ करने का मन नहीं करता। इसका उपाय यही हो सकता है कि मकसद बदल लिया जाए या विदा ली जाए। परिपक्व लोग इसे शांति से करेंगे और कुछ नहीं। पर इससे वास्तविकता नहीं बदलती। खैर इस मामले को तूल न दिया जाए और जो विकिपीडिया निर्माण के लिये आए हैं, वो अपने काम में लग जाए। जिनको कुछ और करना है वो दूसरा माध्यम तलाश लें। धन्यवाद।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 10:55, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- @हिंदुस्थान वासी: जी, आपके इस 'साधारण शब्द' का क्या अर्थ निकाला जाय? मैं यदि सीधे-सीधे कहूँ तो हममे से जो सबसे कम पढ़ा-लिखा, सबसे कम हिन्दी जानने वाला, या सबसे मूर्ख होगा उसकी हिन्दी शब्दावली का उपयोग करना पड़ेगा तब जाकर हम सही अर्थों में कह सकेंगें कि हम 'साधारण शब्दों' का उपयोग कर रहे हैं।क्या आप इसके लिए तैयार हैं? उदाहरण के लिए ऊपर आपने जो 'दोस्तों' का प्रयोग किया है, साधारण जनता वही उपयोग करती है। किन्तु हिन्दी का व्याकरण कहता है कि उसके स्थान पर 'दोस्तो' सही है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:11, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- इसके लिये कोई नीतिगत चर्चा पृष्ठ बना के विचार किया जाना चाहिए। ये मुद्दा कई महीनों के अंतराल पर उठता रहता है, इसका समाधान होना चाहिए। "प्रचलित" शब्द कैसे तय होंगे इसपर भी बात होनी चाहिए, खासतौर से शीर्षक में। अंदर पाठ में तो ज्यादा किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। मूल मुद्दा संस्कृत या फ़ारसी का न बनाकर (विश्वकोश की) भाषा की सरलता और उपयोगिता पर होना चाहिए।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- @हिंदुस्थान वासी: जी, आपके इस 'साधारण शब्द' का क्या अर्थ निकाला जाय? मैं यदि सीधे-सीधे कहूँ तो हममे से जो सबसे कम पढ़ा-लिखा, सबसे कम हिन्दी जानने वाला, या सबसे मूर्ख होगा उसकी हिन्दी शब्दावली का उपयोग करना पड़ेगा तब जाकर हम सही अर्थों में कह सकेंगें कि हम 'साधारण शब्दों' का उपयोग कर रहे हैं।क्या आप इसके लिए तैयार हैं? उदाहरण के लिए ऊपर आपने जो 'दोस्तों' का प्रयोग किया है, साधारण जनता वही उपयोग करती है। किन्तु हिन्दी का व्याकरण कहता है कि उसके स्थान पर 'दोस्तो' सही है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:11, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- विश्वकोश का निर्माण का आधार भाषा है यहाँ पर। हिन्दी भाषा में विश्वकोश बनाने के लिये ही सब प्रयत्न कर रहे हैं। परन्तु जो लोग अपनी राजनीतिक आस्था को गुप्त रख कर अन्यों पर राजनीतिक आस्था के लिये युद्ध करने का आरोप करें, तो उन्हें दर्पण देख लेना चाहिए। यहाँ किसी के जाने के और न जाने के विषय मैं जो बात हो रही है, वो किसी ऐसे व्यक्ति के कारण आरम्भ हुई जो अपनी मनमानी करना चाहता है। किसी अन्य को विवश करना चाहता है कि उसको और उसके राजनीतिक आस्था वालों को जो शब्द आता है, उसका ही सब लोग उपयोग करें। 'तार्किक रूप से सही' बोल कर मनमानी कर लते हैं, अतः आप से वैसे भी हि.वि के सदस्यों की चिन्ता की अपेक्षा नहीं है। परन्तु ध्यान रहे, जो अधिकार आपके पास है, वो निर्माण के लिये विनाश के लिये नहीं। जाने न जाने की चर्चा तो एस.एम.7 जी ने पहले ही समाप्त करवा दी। अब यहाँ चर्चा समाधान की हो रही है, जो आपके स्वभाव में नहीं। ॐNehalDaveND•✉•✎ 12:03, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- नेहल जी, ये तो साफ़ है कि आप संस्कृत शब्द का प्रचार ही करना चाहते हैं और ऐसे शायद संस्कृत विकिपीडिया के लिये नए सदस्य खोज रहे हैं। उसे हिन्दी बताकर सबको "शुद्ध" करना चाहते है। क्या मैंने कोई शब्द जबरदस्ती करने के लिये हो-हल्ला किया है? जो लोगों को सही लगा होने दिया। अब आप कभी जाने का और कभी न जाने की कहते हैं। कोई ढंग का लेख बनाइये, क्यों शब्द को प्रचारित करने में हमारा समय बर्बाद कर रहे।
- आप बार-बार अमरनाथ हमला की चर्चा को ले आते हैं। उसकी सच्चाई सबको दिख रही है। वहाँ सब लोग हमला शब्द करने के साथ थे (आप को छोड़कर), वो भी तर्क के साथ। आप ही नए-नए जुगाड़ निकाल रहे थे उसको न होने देने से। हर किसी का सम्पादन हटा रहे थे। जरूर आपका उन लोगों के प्रति सहानुभूति हो सकती है और आपका लेख के साथ लगाव भी। पर आप वहाँ सिर्फ एक तरफा ही लिख रहे थे जिसे आप "सच्चाई" मानते हैं। मैंने उस लेख में कोई सम्पादन नहीं किया है। नाम बदलने की चर्चा खुली हुई थी मैंने उसको बंद किया। उसके बाद से आप यहाँ पर बचकानी हरकत कर रहे जो आपको शोभा नहीं देता। आपको पुचकारने का काम खत्म, अब बड़े हो जाइए और परिपक्वता से कार्य करें।
- आपके साथ शब्द प्रचार में बिल्कुल साथ नहीं दिया जाएगा। इस विषय (विदेशी शब्द से हिन्दी को "शुद्ध" करना) में कोई समाधान की गुंजाइश नहीं है और कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इनको प्रचारित करने का कोई और साधन खोज लें। धन्यवाद।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- वो लेख अब जिस स्थिति में है, उस का आप समर्थन कर रहे हो। क्योंकि उस में शब्दों का परिवर्तन किया गया और सन्दर्भ नीकाले गये। इसे प्रबन्धक के रूप में समर्थन देना अनुचित आपको नहीं लगा इस में मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। पुचकारने की आपकी कोई मन्शा नहीं हो ये अच्छी बात है, परन्तु अपनी मनमानी करना नहीं। मैंने प्रचलित अप्रचलित की कभी बात नहीं की है। परन्तु जब कुछ लोगोने तर्क दिये, तो मैंने उनके तर्कों के अनुगुण भी मेरा कार्य उचित है, ये तर्क दिया था। अन्यथा मेरा एक ही मत है, जैसे अन्यों को शब्दों के प्रयोग में सब को स्वतन्त्रता है, वैसे मुझे भी हो। फिर उस में ये अप्रचिलत है या मुझे समझ नहीं आता या अशिक्षित लोगों को समझ नहीं आयेगा इत्यादि कारण देना अनुचित है। समाधान वैसे भी आप से होने की कोई अपेक्षा नहीं थी न है। यदि आप एकाकी प्रबन्धक के रूप में निर्णय ले कर इस चर्चा को बंद करें, तो आप स्वतन्त्र हैं। परन्तु मेरा प्रश्न सर्वदा एक ही रहेगा कि, क्यों एक ही शब्द के प्रयोग पर किसी सम्पादक को विवश किया जा रहा है? ये मनामानी नहीं, तो क्या? ॐNehalDaveND•✉•✎ 03:31, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- इस सम्पादन में जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, यदि ऐसा होता रहा, तो सर्वदा शब्द युद्ध में ही सम्पादक व्यस्त रहेगा। क्योंकि उसने जो शब्द लिखें, जो उसके मन में हैं, उसे बारंबार परिवर्तित करने से कार्य कभी आगे नहीं बढ़ेगा। अंक परिवर्तक निर्मित है, जिसे जो अंक चाहिये वो देखें। उस में किसी लेख में जाकर अंको के परिवर्तन करने की आवश्यकता क्यों हैं? तब जब कुछ लोग अरबी अंक को लिखना चाहते हैं और कुछ देवनागरी। एक शब्द के तो अनेक पर्यायवाची शब्द होते हैं, तो मुझे जो पर्याय अच्छा लगता है, उसे ही में जा कर लेखों में परिवर्तित कर दूं, तो मुझे आप विकिकार्यो में विघ्न उत्पादन करने की श्रेणी में डालते हैं और समान कार्य कोई अन्य करता है, तो उसे पुचकारते हैं। ये प्रबन्धक के मत अनुरूप कार्य करने वालों के प्रति पक्षपात नहीं तो क्या है। मैं केवल शब्दों के प्रयोग में स्वतन्त्रता तो चाहता हूँ। इस में सब ने राजनीति, धार्मिकता और बहुत कुछ जोड़ दिया। उसका उत्तर इसलिये दिया क्योंकि वो आरोप लगा रहे थे। वास्तव में शुद्ध और स्तय विचार मेरा शब्दों के परिवर्तन से होने वाले विवादो के प्रति थी। परन्तु चर्चा को बारं बार यहाँ वहाँ ले जाया गया। इससे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले और समाधान भी नहीं। आप से तो समाधान की कोई अपेक्षा भी नहीं थी अतः अधिकार छोड़ जा रहा था। परन्तु आपके स्थान पर सत्यंजी ने पुछा की पुनर्विचार करें अन्यथा मैं कुछ कहे बिना ही त्याग देता। क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास था कि, आप बिना कुछ चर्चा किये मेरे अधिकार हटा देंगे और सह समाप्त हो जाएगा। परन्तु ये चर्चा चली। वास्तव में सत्यं जी मेरे विरुद्ध केवल दिख रहे हैं, परन्तु प्रत्येक समय वो किसी न किसी प्रकार मुझे मार्ग बताते गये और अन्त में मैंने उनके संकेतो को ग्रहण किया और अधिकार त्याग की बात को अनुचित स्वीकार कर समस्या का समाधान करना चाहा। परन्तु अभी आपके प्रत्युत्तर से स्पष्ट है, कि मैंने पहले विचार जो किया था कि समाधान असम्भव है, वहीं होगा। अब @Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार:
- वो लेख अब जिस स्थिति में है, उस का आप समर्थन कर रहे हो। क्योंकि उस में शब्दों का परिवर्तन किया गया और सन्दर्भ नीकाले गये। इसे प्रबन्धक के रूप में समर्थन देना अनुचित आपको नहीं लगा इस में मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। पुचकारने की आपकी कोई मन्शा नहीं हो ये अच्छी बात है, परन्तु अपनी मनमानी करना नहीं। मैंने प्रचलित अप्रचलित की कभी बात नहीं की है। परन्तु जब कुछ लोगोने तर्क दिये, तो मैंने उनके तर्कों के अनुगुण भी मेरा कार्य उचित है, ये तर्क दिया था। अन्यथा मेरा एक ही मत है, जैसे अन्यों को शब्दों के प्रयोग में सब को स्वतन्त्रता है, वैसे मुझे भी हो। फिर उस में ये अप्रचिलत है या मुझे समझ नहीं आता या अशिक्षित लोगों को समझ नहीं आयेगा इत्यादि कारण देना अनुचित है। समाधान वैसे भी आप से होने की कोई अपेक्षा नहीं थी न है। यदि आप एकाकी प्रबन्धक के रूप में निर्णय ले कर इस चर्चा को बंद करें, तो आप स्वतन्त्र हैं। परन्तु मेरा प्रश्न सर्वदा एक ही रहेगा कि, क्यों एक ही शब्द के प्रयोग पर किसी सम्पादक को विवश किया जा रहा है? ये मनामानी नहीं, तो क्या? ॐNehalDaveND•✉•✎ 03:31, 28 सितंबर 2017 (UTC)
@संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: प्रबन्धकगण और अन्य सदस्य जो निर्णय ले मेरे लिये स्वीकार्य होगा। अधिकार की ये बात थी ही नहीं शब्द स्वतन्त्रता की बात थी। जिसे अधिकार की आड़ लेना कहा गया। परन्तु ऊपर मैंने जो सत्य था वो सब के सम्मुख प्रस्थापित किया। अब पुचकारना कहें या चर्चा करना आप सब निर्धारित करें। शब्द प्रयोग की स्वतन्त्रता ही न हो ऐसा कैसे हो सकता है? ॐNehalDaveND•✉•✎ 03:46, 28 सितंबर 2017 (UTC)
जयपुर कार्यशाला हेतु अनुदान आवेदन
जैसा कि सभी माननीय सदस्यों को सूचित किया जा चुका है कि हिंदी विकिमीडियन्स सदस्यदल के तत्वावधान में जयपुर में ११-१२ नवंबर के दिन एक अनुरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें होने वाले व्यय हेतु विकिमीडिया फॉऊण्डेशन को अनुदान के लिए निवेदन किया गया है, कृपया अपना समर्थन दें। लिंक नीचे दिया है:
meta:Grants:Project/Rapid/Swapnil Karambelkar/Hindi Wikimedians Technical Meet Nov 2017 at Jaipur --अनामदास 11:28, 24 सितंबर 2017 (UTC)
दिल्ली सम्मेलन का अनुदान प्रस्ताव
@Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, NehalDaveND, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार: @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: एवं और सभी सक्रिय सदस्यगण।
नमस्ते सभी विकिमित्रों,
जैसा कि हम काफी पहले से ही चर्चा कर रहे है कि दिल्ली में एक सम्मेलन हो ,और अब लगभग ऐसा लग रहा है कि हम सम्मेलन को जनवरी 2018 में अवश्य कर लेंगे। लेकिन इस सम्मेलन की ग्रांट अभी तक हमने सबमिट नहीं की है और कार्य आज ही करना है तो कृपया ग्रांट प्रस्ताव को देखें और सुझाव दें। प्रस्ताव यहाँ है।--•●राजू जांगिड़ (चर्चा करें●•) 12:54, 25 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन पूर्ण समर्थन है आगे बढ़िए -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 13:52, 25 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन पूर्ण समर्थन,भोपाल सम्मेलन हुए एक वर्ष हो जाएगा और उसमे लिए संकल्पो को और आगे ले जाएंगे। इस सम्मलेन की महती आवश्यकता है ,देर आये दुरुस्त आये। स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 13:57, 25 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन-----Sush_0809 09:25, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन--मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 10:59, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:44, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- समर्थन -- अतीव प्रतीक्षित सम्मेलन को पूर्ण समर्थन। इसके लिये अनेक विचार बिन्दु प्रतीक्षारत हैं, जिन पर निर्णय लेने हेतु सम्मेलन की प्रतीक्षा है। --आशीष भटनागरवार्ता 16:49, 28 सितंबर 2017 (UTC)
पात्रता
@Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, NehalDaveND, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार: @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: एवं और सभी सक्रिय सदस्यगण।
- कृपया इस फॉर्म को भरें- यह एक पात्रता मानदंड है (अनुदान प्राप्त करने के लिए, यह अनिवार्य है) - https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdmkCEAk7wkDETUMa-BeKGjuL8mpRy_2NUc8vCxQDdFFjH8Xg/viewform?usp=sf_link AbhiSuryawanshi (वार्ता) 09:28, 30 सितंबर 2017 (UTC)
- कमसे कम १० लोगो के जवाब चाहिए, अभी तक एक भी नहीं है। कृपया २ मिनिट दीजिये। - https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdmkCEAk7wkDETUMa-BeKGjuL8mpRy_2NUc8vCxQDdFFjH8Xg/viewform?usp=sf_link AbhiSuryawanshi (वार्ता) 07:37, 4 अक्टूबर 2017 (UTC)
हिन्दी दिवस लेख प्रतियोगिता के समय में वृद्धि
नमस्ते सर्वेभ्यः
अभी हिन्दी विकिपीडिया पर हिन्दी दिवस लेख प्रतियोगिता चल रही है जिसका आरंभ 14 सितंबर हिन्दी दिवस के दिन हुआ था। जैसे अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला है, सदस्यों की राय के अनुसार इसे १४ दिन तक ही रखने के बदले पूरे एक महीने तक चलानी चाहिए जिससे अधिक से अधिक लेखों का निर्माण हो सकें और नए द्सदस्यों को भी जोड़ा जा सके। अतः इस प्रतियोगिता की समय मर्यादा 30 सितंबर से बढ़ाकर १३ अक्तूबर तक बढ़ायी जाती है। १४ सितंबर से १३ अक्तूबर तक ये प्रतियोगिता चलेगी। आप इस प्रतियोगीता से जुड़े नहीं है तो अभी भी जुड़ सकते हैं।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 08:10, 26 सितंबर 2017 (UTC)
- धन्यवाद ! इस निर्णय से अवश्य ही अच्छे लेख तथा प्रतियोगी आएँगे --सुयश द्विवेदी (वार्ता) 20:29, 26 सितंबर 2017 (UTC)
पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा का पृष्ठ
नमस्ते। साँचा:भारत के राज्यों और संघक्षेत्रों के राज्यपाल और लॅफ़्टिनॅण्ट गवर्नर हटाने हेतू मै नामांकन कर रहा हुं। पर किसी कारण से [[विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/साँचे/भारत के राज्यों और संघक्षेत्रों के राज्यपाल और लॅफ़्टिनॅण्ट गवर्नर]] पृष्ठ बन नही रहा है। क्या कोई सहायता कर सकता है? Dharmadhyaksha (वार्ता) 06:24, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- -कृपया बताइये कहाँ एवं क्या परेशानी है। मैं सहायता करने का इच्छुक हूँ। स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 08:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- @Swapnil.Karambelkar: पता नही कहा क्या गडबड हैं। "[[विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/साँचे/भारत के राज्यों और संघक्षेत्रों के राज्यपाल और लॅफ़्टिनॅण्ट गवर्नर]]" ये तो red link भी नहीं दिख रही। Dharmadhyaksha (वार्ता) 10:19, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- @स: जी, क्या यह पहले अपने आप बन जाता था ? मुझे ध्यान नहीं कि यह समस्या अभी आई है या पहले से ही है। कृपया साँचों और ट्विंकल का कोड देखें और बतायें। --SM7--बातचीत-- 19:00, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- मैंने हहेच नामांकन किया तब ट्विंकल में ये पृष्ठ निर्माण नहीं हुआ। खोज के परिणाम में खोजा, वहाँ कोई पृष्ठ नहीं बना हो तो लाल अक्षरों में दिखता है और उसे बनाने का विकल्प आता है लेकिन इस में नहीं आया। अतः समस्या ट्विंकल में नहीं है। शायद ये पृष्ठ में कोई ऐसा शब्द हो जो पृष्ठ बनाने से सुरक्षित किया गया हो।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:32, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- ये [[विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/साँचे/भारत के राज्यों और संघक्षेत्रों के राज्यपाल और लॅफ़्टिनॅण्ट गवर्नर]] बिना नो विकि लगाए ही नो विकि के प्रारूप में ही प्रदर्शित हो रहा, मतलब पृष्ठ की कड़ी या पृष्ठ न बना हो तो उसकी लाल कड़ी दिखनी चाहिए जो नहीं हो रही।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:40, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- मैंने हहेच नामांकन किया तब ट्विंकल में ये पृष्ठ निर्माण नहीं हुआ। खोज के परिणाम में खोजा, वहाँ कोई पृष्ठ नहीं बना हो तो लाल अक्षरों में दिखता है और उसे बनाने का विकल्प आता है लेकिन इस में नहीं आया। अतः समस्या ट्विंकल में नहीं है। शायद ये पृष्ठ में कोई ऐसा शब्द हो जो पृष्ठ बनाने से सुरक्षित किया गया हो।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:32, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- @स: जी, क्या यह पहले अपने आप बन जाता था ? मुझे ध्यान नहीं कि यह समस्या अभी आई है या पहले से ही है। कृपया साँचों और ट्विंकल का कोड देखें और बतायें। --SM7--बातचीत-- 19:00, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- @संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: क्या कोई प्रबंधक देखकर बता सकता हैं कि प्रबंधक से ये पृष्ठ का निर्माण हो पा रहा है या नहीं?--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:45, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- मैंने परीक्षण हेतु मेरे प्रयोगपृष्ठ पर हहेच नामांकन किया, जिस में ट्विंकल से चर्चा का पृष्ठ बन गया। मतलब कि ट्विंकल में कोई क्षति नहीं है। हहेच पन्ने को मैंने उपरोक्त पन्ने के नाम पर स्थानांतरित करने का प्रयत्न किया जो सफल नहीं रहा। निम्नलिखित त्रुटि दिख रही है:
आपको इस पृष्ठ को स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं हैं, निम्नलिखित कारण की वजह से:
अनुरोधित पृष्ठ का शीर्षक अमान्य, खाली, या अंतर-भाषीय / अंतर-विकि शीर्षक से गलत ढंग से जुड़ा हुआ है। इसमें एक या एक से अधिक ऐसे अक्षर-स्वरूप (character) हैं जो शीर्षक में इस्तेमाल नहीं किए जा सकते हैं
अतः समस्या का समाधान इसमें से ही मिल जाएगा।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 04:01, 28 सितंबर 2017 (UTC)
इस शीर्षक का आकार 291 बाइट्स है, जबकि 255 बाइट्स से अधिक आकार के शीर्षक बनाने की अनुमति नहीं है। --स (वार्ता) 04:11, 28 सितंबर 2017 (UTC)
प्रतियोगिता में मैंने जो भी लेख लिखे हैं सभी को शीघ्र हटाने का नामांकन किया गया है जिसमे शीघ्र हटाने हेतु असंगत/गलत श्रेणी व1 • अर्थहीन नाम अथवा सम्पूर्णतया अर्थहीन सामग्री वाले पृष्ठ भी चुनी गई है
प्रिय सदस्य:स तथा सदस्य:आर्यावर्त जी, मैंने इस प्रतियोगिता के लिये बड़े परिश्रम से दिन-रात एक कर के ६ लेख लिखे हैं, मैंने प्रथम बार विकिपीडिया में सम्पादन का कार्य किया है. मुझे हिंदी टंकण तक करने का पूर्ण ज्ञान नहीं है बस कर लेता हूँ. और मेरे सभी ६ लेखों को हटाने का नामांकन दो सदस्यों सदस्य:Dharmadhyaksha तथा सदस्य:Swapnil.Karambelkar ने कर दिया है और अभी अभी वे सभी लेख पूर्णरूप से विकिपीडिया से मुझसे बिना किसी चर्चा के हटा दिए गए हैं.
अपितु मैंने सभी शर्तों को ध्यान में रखने का प्रयास किया है लेकिन सदस्य:Chandresh Chhatlani जी के लेख को पढ़ कर मैनें अपने लेख समान्य शैली में लिख दिए थे. सोचा था कि संचालकों से कुछ मार्गदर्शन मिलेगा तो सुधार करूँगा. प्रतियोगिता के अंतिम दिनों में जुड़ने के कारण ज्यादा ही जोश भी है इसलिये गलतियाँ स्वाभाविक हैं. परन्तु मैंने पूर्ण रात्रि अपने लेखों को समर्पित कर दी थी जिनका ऐसा तिरस्कार मेरे दिल को असहनीय कष्ट दे गया है.
कृपया मेरे साथ थोडा सा उदार रवैया अपनाएं और मुझे मार्गदर्शित करें कि मैं प्रतियोगिता के लायक क्यों नहीं हूँ. मेरे लेख और नामांकन सूचना पृष्ठ में और लेख यथास्थान सूचीबद्ध किये गए हैं. कृपया उनको देख कर अपना निर्णय बताएं कि मुझे आगे क्या करना है? कम से कम मेरे द्वारा बनाये गए लेखों को मेरे सदस्य पृष्ठ के उप पृष्ठों में ही डाल दें. --Shubhanshu Singh Chauhan Vegan (वार्ता) 19:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)
- हमे शुभांशु की बात को भी ध्यान से सुनना चाहिए। मैं भी समझता हूँ कि अपने वर्तमान रूप में इनके द्वारा बनाए गये लेख रखे नहीं जा सकते। किन्तु क्या कुछ परिवर्तन करके हिन्दी विकि पर रखने योग्य बनाया जा सकता है? मुझे इसकी बहुत सम्भावना दिख रही है। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 02:44, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- शुभांशु जी, हिन्दी दिवस प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्दी विकिपीडिया में जुडने के लिए धन्यवाद और आपका स्वागत है। जैसा कि आपने लिखा है, आप के हिसाब से आप की बात सही है किन्तु विकिपीडिया की नीतियों के अनुसार विकिपीडिया में लिखने की शैली कुछ अलग प्रकार की होती है और लेख का विषय भी कुछ अलग प्रकार का होता है जो साहित्यिक प्रकार के लेखन से भिन्न है। इसके लिए पहले आपको विकिपीडिया को समझना होगा। विकिपीडिया एक ज्ञानकोश है, जहां जानकारी का संग्रह होता है। अतः प्रथम तो आप जी विषय में लेख बना रहे हैं वो विषय ज्ञानकोषीय मतलब कि इतिहास में स्थान देने योग्य या तो महत्वपूर्ण होना चाहिए। विकिपीडिया की लिखने की शैली भी अलग है, यहाँ तृतीय पक्ष के तौर पर तटस्थता पूर्वक लिखा जाता है। आप विकिपीडिया से जुड़े ही हैं तो थोड़े समय में विकिपीडिया की कार्यशैली से अवगत हो जाएँगे और बाद में आपको इस प्रकार कि समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 04:18, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- जी नमस्कार u:आर्यावर्त सम्पादक महोदय, मैंने सदस्य:Chandresh Chhatlani जी का लेख भी अपने लेखों के साथ ध्वस्त होते हुए देखा तब समझ में आया कि हमने प्रतियोगिता को थोड़ा गलत समझ लिया था. हमें लगा कि यह प्रतियोगिता विकी से थोड़ा अलग हट के सिर्फ हिंदी दिवस के अवसर पर बनी है. जबकि इसका उद्देश्य नए विकी लेख बनाना मात्र था. चलिए अब हम अगली बार कोई अच्छा लेख भी लिखेंगे. तब तक अभ्यास करते रहेंगे. आपकी बात मै समझ चुका हूँ तथा मुझे अब किसी प्रकार का दुःख नहीं है. परन्तु जैसा कि वार्ता पृष्ठ में लिखा है कि मेरे पृष्ठ के उप पृष्ठ पर ये पृष्ठ मैं डलवाने का आपसे आग्रह कर सकता हूँ और मैंने किया भी है जिसका कोई उत्तर नहीं दिया गया. तो क्या मेरा आग्रह ठुकराया गया है? यदि आप नहीं करना चाहते तो मुझे उप पृष्ठ बनाने का तरीका बताएं. मैं खुद बना लेता हूँ. आप ईमेल से उनकी सामग्री ही भेज दें. धन्यवाद! --Shubhanshu Singh Chauhan Vegan (वार्ता) 19:06, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- शुभांशु जी, हिन्दी दिवस प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्दी विकिपीडिया में जुडने के लिए धन्यवाद और आपका स्वागत है। जैसा कि आपने लिखा है, आप के हिसाब से आप की बात सही है किन्तु विकिपीडिया की नीतियों के अनुसार विकिपीडिया में लिखने की शैली कुछ अलग प्रकार की होती है और लेख का विषय भी कुछ अलग प्रकार का होता है जो साहित्यिक प्रकार के लेखन से भिन्न है। इसके लिए पहले आपको विकिपीडिया को समझना होगा। विकिपीडिया एक ज्ञानकोश है, जहां जानकारी का संग्रह होता है। अतः प्रथम तो आप जी विषय में लेख बना रहे हैं वो विषय ज्ञानकोषीय मतलब कि इतिहास में स्थान देने योग्य या तो महत्वपूर्ण होना चाहिए। विकिपीडिया की लिखने की शैली भी अलग है, यहाँ तृतीय पक्ष के तौर पर तटस्थता पूर्वक लिखा जाता है। आप विकिपीडिया से जुड़े ही हैं तो थोड़े समय में विकिपीडिया की कार्यशैली से अवगत हो जाएँगे और बाद में आपको इस प्रकार कि समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 04:18, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- @Vegan Bareilly: महोदय यह जानकार अच्छा लगा की आपने वरिष्ठ सदस्यों बातें धैर्य पूर्वक पढ़कर प्रतियोगिता के उद्देश्यों को समझा और खुले मन से स्वीकारा, हिन्दी विकिपीडिया पर आपका स्वागत है --सुयश द्विवेदी (वार्ता) 19:23, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- सुयश द्विवेदी जी समर्थन तथा प्रोत्साहन हेतु आपका धन्यवाद! -- Shubhanshu Singh Chauhan Vegan (वार्ता) 19:57, 28 सितंबर 2017 (UTC)
हिन्दी विकि के नाम से आर्थिक व्यवहार
नमस्ते सर्वेभ्यः
हिन्दी विकिपीडिया में एक और हम सब लेख बनाने में, चौपाल पे चर्चा आदि कार्यों में व्यस्त हैं और ज्ञानकोश को समृद्ध करने के लिए लगातार अपना योगदान दे रहे हैं। दूसरी और आजकल हिन्दी विकिपीडिया के लिए आजकल लाखो रुपयों के आर्थिक व्याहर हो रहे हैं। जिस विषय में समुदाय को अवगत करने के लिए और योग्य निर्णय लेने के लिए ये संदेश यहाँ स्थापित कर रहा हूँ।
- समस्या १
कुछ दिन पूर्व चौपाल पर एक प्रस्ताव आया कि हिन्दी विकिपीडिया के लिए एक विज्ञापन प्रचार समिति का गठन किया जाये और इसके लिए केवल ३ सदस्य आमंत्रित हैं। उक्त संदेश में ये नहीं बताया गया था कि हिन्दी विकिपीडिया के लिए फाउंडेशन के द्वारा लाखो रूपिये के अनुदान से एडवरटाइजिंग होने वाला है। ये प्रस्ताव चौपाल के पुरालेख में चला गया, वहाँ ही चर्चा हुई, रातोरात बाहर से कुछ ऐसे सदस्य जिनका योगदान हिन्दी विकि पर ना के बराबर है, आ गए और उनकी समिति भी बन गई जिस में कोई हिन्दी विकिपीडियन नहीं है। ३ से अधिक सदस्यों को भी ले लिया गया और लाखो रूपियों से हिन्दी विकि का प्रचार होने वाला है लेकिन हमें कुछ भी पता नहीं कि ये कैसे होगा, कब कहाँ होगा और कौन कर रहा। समुदाय को कुछ भी पता नहीं।
- समस्या २
मेटा पर यहाँ स:AbhiSuryawanshi जी ने, हिन्दी विकिपीडिया के नाम पे ४४००० डॉलर यानी २८ लाख से अधिक रुपयों कि ग्रांट प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव रखा है। मैंने यहाँ उनसे पूछा कि इतनी बड़ी ग्रांट लेने का निर्धार कब हो गया हमें तो कुछ पता भी नहीं। उत्तर में उन्होने बताया कि:-
- चौपाल पे समुदाय से चर्चा करके ये तय किया गया है। (मुझे यहाँ एसी कोई चर्चा नहीं मिली।)
- सभी प्रबन्धको को व्यक्तिगत कॉल करके बताया गया था। (प्रबंधक ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं।)
- वोटसेप आदि में चर्चा की थी। (मुझे पता नहीं)
- मेटा पर हिन्दी विकिमेडियन सदस्य दल के पन्ने पर चर्चा। (वहाँ कोई चर्चा नहीं, दो दिन पूर्व सदस्य ने खुद आगामी कार्यक्रम के रूप में एक कड़ी डाल दी थी।)
और तो और इसमें कुछ और समस्याएँ भी हैं। जिसके विषय में भी मैं समुदाय का ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा।
- ये प्रस्ताव का इतिहास देखने से पता चलता है कि पहले ये प्रस्ताव कुछ और ही था और सितंबर में इसमें बदलाव करके ४४००० डॉलर की ग्रांट की रकम जोड़ी गई हैं। जो यहाँ १ सितंबर के पहले के अवतरण में देखा जा सकता है कि ये प्रस्ताव पहले कुछ और था।
- इतिहास में जाकर देखें तो २०१४ से ये प्रस्ताव वहाँ पे है। तब समर्थन भी करवाए गए थे। लेकिन तब कुछ और ही था और अब कुछ और ही है। समर्थन ले लेने के बाद पूरा प्रस्ताव ही बदल गया है।
- क्या सदस्य हिन्दी विकिपीडियन है?
- क्या समुदाय को पता है कि हम ये कार्यक्रम कर रहे हैं और २८ लाख की ग्रांट ले रहे हैं?
- जब जब भी आर्थिक व्यवहारों की बात आती है बाहर से कुछ लोग आ जाते हैं जो योगदान देने नहीं आते किन्तु ग्रांट लेने में ही रुचि रखने वाले हैं, उनके लिए हमारे पास कोई नीति है? क्या करना चाहिए?
- समस्या ३
राजू जी २०१८ में विकिपीडिया का सम्मेलन करवा ने हेतु ५ लाख की ग्रांट ले रहे हैं। जो प्रस्ताव यहाँ है। राजू जी के नाम से इसका संचालन भी उपरोक्त सदस्य के द्वारा ही हो रहा है। कुछ दिन पूर्व राजू जी ने मुझे बताया कि उनकी आयु 18 से 19 साल है। अब इतना छोटा विद्यार्थी 5 लाख की ग्रांट का आर्थिक व्यवहार कैसे कर सकता है? इस ग्रांट के पन्ने पर इतिहास में जाकर देखा जाये तो पहले ये कुछ और ग्रांट का प्रस्ताव था जो सम्मेलन 2017 में होने वाला था और तब वापस ले लिया गया था। उसी प्रस्ताव में पुराने समर्थनों के आधार पर रकम, वर्ष आदि में पूरा बदलाव हो गया और पुराने समर्थनों के आधार पर ही ग्रांट ली जा रही है। 1 लाख रुपया तो cis को केवल ग्रांट के संचालन हेतु दिये जाने वाले है।
- ये भी बता दें कि इस प्रकार से कार्यक्रमों से हिन्दी विकि को क्या क्या लाभ हुआ है?--☆★आर्यावर्त (✉✉) 05:18, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- ये आंकड़े पढने के बाद के धर्माध्यक्ष॰॰॰ Dharmadhyaksha (वार्ता) 07:39, 28 सितंबर 2017 (UTC)]]
- २०१४ से अब तक AbhiSuryawanshi के ५०० संपादन भी नही है और कुल १० लेखों मे संपादन किया है। संपादनों की संख्या ज्यादा मायने नही रखती, पर शायद ये महोदय इतने कम योगदान में हिन्दी विकि ठिक से समझे भी नही होगे। Dharmadhyaksha (वार्ता) 08:26, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- आपके विचार से मैं सहमत हूँ। ऐसा लगता है विकिमीडिया फाउंडेशन के उदार रवैये का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। वह कमजोर विकिपीडियाओं को मजबूत बनाने के लिये हर संभव मदद करने को तैयार है तो कुछ लोगों ने इसके फायदा लिया है। इस पर विचार किया जाए। @Dharmadhyaksha: उनको अधिकार इसलिये दिया गया है क्योंकि वो परिचित है। वह सम्मेलन आदि ही करते हैं। इसलिये उनके छोटे मोटे योगदान जाँचने की जरूरत अधिकार देने वाले प्रबंधक को महसूस नहीं हुई।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 09:08, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- @हिंदुस्थान वासी: क्या कौन से अधिकार?! मै समझा नहीं। अनुदान तो कोई भी मांग सकता है। पर क्या वह व्यक्ति उसके लिए योग्य है या नही वह जानना जरुरी है। खैर, बाकी चर्चा तो Grants talk:IdeaLab/Hindi Wikipedia Outreach पर होगी अब। Dharmadhyaksha (वार्ता) 09:41, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- आपके विचार से मैं सहमत हूँ। ऐसा लगता है विकिमीडिया फाउंडेशन के उदार रवैये का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। वह कमजोर विकिपीडियाओं को मजबूत बनाने के लिये हर संभव मदद करने को तैयार है तो कुछ लोगों ने इसके फायदा लिया है। इस पर विचार किया जाए। @Dharmadhyaksha: उनको अधिकार इसलिये दिया गया है क्योंकि वो परिचित है। वह सम्मेलन आदि ही करते हैं। इसलिये उनके छोटे मोटे योगदान जाँचने की जरूरत अधिकार देने वाले प्रबंधक को महसूस नहीं हुई।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 09:08, 28 सितंबर 2017 (UTC)
- मै भी आर्यावर्त जी की बातों से सहमत हू। जो व्यक्ति केवल ग्रांट के लिए आते है वो सही नहीं है। उनका योगदान भी होना चाहिए। 28 लाख कोई मामूली रकम नहीं है। मै हिन्दी विकि पर जब से आया हू तब से अभी तक भोपाल सम्मेलन हुआ है जो रैपिड ग्रांट पर था लगभग 1.5 लाखा का। अगर दो लाख का भी हम ओसत ले तो हम 14 सम्मेलन 28 लाख मे करा सकते है। और छोटे मोटे कॉलेज मे शिक्षण भी कर सकते है। यदि 14 सम्मेलन मे 10 मे भी शिक्षण किया और 5 सदस्य प्रति शिक्षण जोड़े तो 50 लोग भी हिन्दी विकि पर बहुत मदद कर सकते है। लेकिन 28 लाख एक ही चीज पर खर्चा करना सही है। एक वैश्विक नीति है कि Don't put all egg in One Basket अर्थात सारे अंडे एक ही टोकरी मे मत डालो। हमे भी केवल छोटे छोटे कार्यक्रम करने चाहिए। और उनमे मिली नाकामी से सीखना चाहिए। 28 लाख का जुआ एक कार्यक्रम पर बिलकुल सही नहीं है। और जो लोग केवल ग्रांट के लिए आ रहे है उन्हे रोका जाना चाहिए।-जयप्रकाश >>> वार्ता 04:24, 29 सितंबर 2017 (UTC)
- बिलकुल तार्किक है कि चौपाल पर चर्चा किए बिना हिंदी विकि के नाम पर ग्रांट नहीं ली जानी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि ग्रांट देने वाले दे कैसे रहे हैं? अवश्य ही ऐसे कुछ नियम अथवा छिद्र हैं जिनके बारे में अधिकांश समुदाय जानता नहीं है। योगेश जी ने यह संदेश चौपाल पर दिया इसके लिए उनका साधुवाद। लेकिन कहीं ऐसा न हो कि अनुदान लेने वाले वहाँ अनुदान ले लें और हम यहाँ चर्चा करते रहें। अतः सर्वप्रथम अपनी आपत्तियों को वहाँ दर्ज करवाना अत्यावश्यक है, जहाँ अनुदान प्रदाता इसे देखने वाले हैं। यह अवश्य कह दूँ कि न तो आलोचकों को प्रस्तावकों की नीयत पर शक करने की आवश्यकता है, और न ही प्रस्तावकों को आलोचकों की। सकारात्मक तरीके से सवाल रखे जाने चाहिएँ (प्रस्तावक भी अनुभवी और पुराने सदस्य हैं), सकारात्मक तरीके से जवाब भी दिए जाने चाहिएं (प्रस्तावक कितने ही पुराने और अनुभवी हों, उन्हें यह देखना चाहिए कि उनकी कार्यपद्धति से संदेह उत्पन्न हो रहा है)। विकिपीडिया की आपसी सद्भावना की नीति के अनुसार ही प्रश्न किए जाने चाहिएँ, प्रश्नकर्ता उचित उत्तर मिलने पर समर्थन करने को तैयार रहे, व प्रस्तावक उचित उत्तर न दे सकने की स्थिति में प्रस्ताव वापिस लेने अथवा प्रस्नकर्ता के सुझाव के अनुसार परिवर्तन करने को तैयार रहे। इस चर्चा से वातावरण प्रदूषित न हो इसका दोनों पक्ष ध्यान रखें।
- ऊपर एक प्रश्न में प्रबंधकों की भूमिका पर सवाल उठाया गया है। एक प्रबंधक होने के नाते मैं अपना उत्तर प्रस्तुत करना चाहूँगा। जहाँ तक प्रबंधक से हुई चर्चा की बात है तो मेरा स्पष्ट मत है कि मेरे साथ किसी की फोन पर हुई कोई भी बात मेरे व्यक्तिगत विचार हो सकते हैं, किसी भी प्रकार से उसे हिंदी विकिपीडिया समुदाय की राय समझ लिया जाएगा या इस प्रकार दिखाया जाएगा तो मैं इसका सख्त विरोध करता हूँ। मेरे विचार एकदम स्पष्ट हैं - किसी भी व्यक्तिगत वार्तालाप की जिम्मेदारी मैं नहीं लेता और किसी भी प्रकार से मेरी किसी भी बात को समुदाय की बात नहीं समझा जाए। मैं पूर्णतया पारदर्शिता में विश्वास करता हूँ और इस बारे में मुझे कोई संदेह नहीं है कि जब तक चौपाल में कोई बात स्पष्ट नहीं लिख दी जाती तब तक किसी को भी उसे समुदाय की राय मानने का अधिकार नहीं है। प्रबंधक का अर्थ सिर्फ विकि में संपादन के अतिरिक्त किए जाने वाले रखरखाव में भाग लेना मात्र है, प्रबंधक का अर्थ समुदाय का प्रतिनिधित्व कतई नहीं है, जब तक कि चौपाल पर ऐसा स्पष्ट जनादेश न ले लिया जाए। समुदाय ही सर्वोपरि है, जिसके लिए चौपाल ही सर्वाधिक उचित मंच है। हालाँकि हम लोग हैंगआऊट, व्हट्सअप आदि पर भी सामूहिक चर्चाएँ करते हैं, लेकिन यहाँ भी मेरा स्पष्ट मत है कि ऐसी कोई भी चर्चा अथवा निर्णय मान्य नःीं जब तक कि चौपाल पर समुदाय उसे स्वीकृत न कर ले। --अनामदास 06:55, 29 सितंबर 2017 (UTC)
प्रस्ताव ३ के बारे बात की जाए तो जितना मुझे पता है उसके अनुसार राजू जी को भविष्य में तैयार करने के लिए आगे रखा गया है। आप ध्यान से देखें तो पाएंगे कि कई अनुभवी व्यक्ति उनके साथ हैं। आशा है इससे आपकी चिंता का निवारण हो गया होगा। यदि आप भी उनकी सहायता करना चाहें तो आपका भी स्वागत है। बाकी तकनीकी खामियों के बारे में प्रस्तावपृष्ठ पर ही आपत्ति दर्ज करवाना उचित रहेगा। --अनामदास 07:05, 29 सितंबर 2017 (UTC)
स्पष्टीकरण
समस्या २
सवाल पूछने के लिये धन्यवाद मैं पूरी कोशिश करूँगा सभी सदस्यों को उनके सवालों के जवाब मिले -
संक्षेप में मेरी समज में यह कुछ सवाल हैं
चौपाल पर जो भी जानकारी दी वह पूरी नहीं थी और सबसे अहम चीज की धन के बारे में चौपाल पर बात नहीं की
जहां तक धन की बात है हमने अभी हाल ही में इसपर फैसला किया है। आप सब ग्रैंड पेज पर देख सकते है की २५% स्पोनसएशिप हमे मिली है और कोशिश जारी है की हम पूरी स्पॉन्सरशिप प्रदान करले। अगर धन की बात को हटा दे तो पूरा प्रपोजल हिंदी में यहाँ हुआ था।
आप सब ग्रैंड पेज पर देख सकते है की २५% स्पोनसएशिप हमे मिली है और कोशिश जारी है की हम पूरी स्पॉन्सरशिप प्रदान करले। आप सब जानते है की सरकारे देर दूरस्थ फैसले लेती है। और यही वजह है देर से डाला। हमने विदेशी राज्य मंत्री से तक बात किया है और प्रयास जारी है। विदेश में हिंदी के बढ़ा-वे का कार्य विदेश मंत्रालय करता है और इस प्रचार पर काफी राशि खर्च भी करता है और वह आप सब देख अपेंडिक्स मे सकते है। जी हाँ देर ही सही हमें धन की बात साझा कर देनी थी। हमने प्रोजेक्ट ग्रांट के नियमो के अनुसार हिंदी मेलिंग लिस्ट पर तुरंत डाल दिया लेकिन चौपाल पर नहीं, हम आगे से ध्यान रखेंगे। हम माफी मांगते है। जहा तक बिना बताये ग्रांट लेना की है कोई भी प्रोजेक्ट ग्रांट बिना कम्युनिटी रिव्यु के नहीं पास होती है। कम्युनिटी को सूचित करा जाता है की ग्रांट सबमिट हुई है। फिर भी गलती के लिए माफी मांगते है |
जो धन माँगा गया है वो बहुत ज्यादा है और उचित नहीं
आप सब को पता है की अमेरिका में और भारत में आर्थिक फर्कः है फिर भी अमेरिका के औसत से बहुत कम है(https://www.payscale.com/research/US/Job=Program_Manager%2C_Non-Profit_Organization/Salary) | अमेरिका से स्पोंसरशिप मिल ही चुकी है और का प्रयास हम कर ही रहे है और भारत सरकार से भी। इसके अथवा में आप को साझा करना चाहूंगा की बाकि प्रोजेक्ट ग्रांट्स के बारे मे भारत से कई प्रोजेक्ट ग्रैंड है और आप आर्थिक अंतर देखे तो हम ऐसा कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे है | २२ लांख रुपये लोग हिंदुस्तान में भी मांग रहे है जिसमे हिंदी पर भी काम होगा | खैर प्रोजेक्ट ग्रांट का मकसद पूरा करना उद्देश्य है न की तुलना और हम भरोसा दिलाते है की हम उद्देश्य पूरा करेंगे। कैसे क्या कार्य करेंगे - वो हमने चार्ट वह बुलेट पॉइंट्स से बताया है। कृपया राय दे | इसके अलावा हम यह भी साझा करना चाहते है की बाकी हिंदुस्तानी भाषा पर कितना खर्च किया गया है|
भारत में छोटी छोटी कार्य करना भहतर है ना की अमेरिका या विदेश में कही और
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत मे और कार्य होने चाहिए। परंतु ध्यान दें कांफ्रेंस और प्रोजेक्ट ग्रैंट दो अलग चीज़ है और कांफ्रेंस ग्रांट पर भी हम आगे आ रहे है। आप सब को पता है कि बहुत सारे भारत के वासी विदेश में रहते है। इनके पास लैपटॉप इंटरनेट की कोई समस्या नहीं होती है और इनकी पहेली या फिर दूसरी भाषा आज भी हिंदी होती है। गौर करे भारत सरकार विदेश में हिंदी पर क्यों इतना खर्चा करे गी और हिंदी सेक्रेटेरिएट देश से बाहर क्यों खोलेगी। क्या भारत सरकार के लिये देश का विकास सबसे पहले नहीं है ? फ्रांस कभी फ्रेंच को , स्पेन कभी स्पेनिश को या फिर इंग्लैंड कभी इंग्लिश को अपने देश तक सीमित नहीं रखता है। अमेरिका के चैप्टर भी इसका समर्थन कर रहे है अगर वो हिंदी को बढ़ावा देना चाहते है तो वह कुछ गलत नहीं कर रहे है हमें उनका आभारी होना चाहिए |
समुदाय के लोगो को भरोसे में नहीं लिया
हैंगऑउट, व्हाट्सप्प, कांफ्रेंस कॉल और चौपाल पर बात तो करी पर लोगो ने जैसे बताया है आगे से वैसे ही करेंगे और चौपाल पर ज्यादा सतर्क रहेंगे | ध्यान दे कम्युनिटी से पूछे बिना कोई ग्रांट नहीं आगे जाती है।
समर्थन बहुत पुराने है और बहुत कुछ बदल चुका है
यह कार्य २०१४ से प्लान किया जा रहा है अगर आप विस्तार से देखे तो सारी हिंदुस्तानी भाषा पर काम करने का इरादा है पर चर्चा में यह साफ़ हुआ की एक भाषा से शुरू किया जाएगा। हिंदी इस लिए क्योंकि भारत सरकार विदेश में हिंदी पर बहुत काम करती है और हम चाहते है की फाउंडेशन का पैसे कम से काम उपयोग हो।
अगर कुछ चीज़े रह गयी हो तो ज़रूर बताये और एक बार माफ़ी माँगना चाहूंगा। AbhiSuryawanshi (वार्ता) 22:06, 29 सितंबर 2017 (UTC)
- बाकी भारतीय भाषा और उनके कर्मचारी और कार्यक्रमों पे किया जा रहा खर्चा -
स्टाफ स्तर | रुपया (INR) | डॉलर (US$) | |
---|---|---|---|
1 | भारतीय भाषा विकास - विकि कर्मचारी वेतन | ||
1.1 | संचालक | 562,647.36 | 82,09.024982 |
1.2 | प्रबंधक | 1,056,000 | 15,407.04 |
1.3 | कार्यक्रम अधिकारी | 99,7603.2 | 14555.03069 |
1.4 | कार्यक्रम अधिकारी | 912093.6 | 13,307.44562 |
1.5 | कार्यक्रम अधिकारी | 954,848.4 | 13,931.23816 |
1.6 | कार्यक्रम सहयोगी | 501600 | 7,318.344 |
Total | 4984792.56 | 72728.1234 |
Sr. No. | भाषा | रुपया (INR) | डॉलर (US$) |
1 | Language Area Plans | ||
1.1 | कन्नड़ विकिपीडिया | 626000 | 10,116.16 |
1.2 | कन्नड़ विकिसोर्स | 601000 | 9,712.16 |
1.3 | कोंकणी | 818400 | 13,225.34 |
1.4 | मराठी | 873400 | 14,114.14 |
1.5 | ओड़िआ विकिपीडिया | 656648 | 10,611.43 |
1.6 | ओड़िआ विकिसोर्स | 636648 | 10,288.23 |
1.7 | तेलुगू विकिपीडिया | 627048 | 10,133.10 |
1.8 | तेलुगू विकिसोर्स | 577048 | 9,325.10 |
Total | 5416192 | 87,525.66 |
इसी के कारण बाकी के विकी समुदाय बढ़ रहे है और एक दिन हमसे आगे भी निकल जाएंगे। उनके पास कर्मचारी हैं जो साझेदारी / पार्टनरशिप्स बढ़ाते है। जर्मन विकिपीडिया वालो का तो ९० लोगोका कार्यालय है।
हिंदी के लिए भी बढ़ना हैं तो भारत सरकार द्वारा दिया गया हात पकड़ना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए ऐसे मुझे लगता है।
बात आती है मेरी - मैंने पिछले ७ साल में - सूडान, कैरो , न्यू यॉर्क, बोस्टन, सँन फ्रांसिस्को, सँन डिएगो, न्यू इंग्लैंड, बर्लिन जैसी जगहों पे विकी के लिए उपक्रम किये है और वहा पर ६ साल तक पूछते थे की आप हिंदी पे क्यों कुछ नहीं करते (ऑफलाइन काम), २०१५ में पहला हिंदी सम्मेलन मैंने ही आयोजित किया था (सबके मदत से), आप जिस हिंदी व्हाट्सप्प ग्रुप पे बात करते हो - वो भी मैंने ही शुरू किया था । और उसके बाद काम के बजह से दूर जाना पड़ा था - अब काम करने के लिए प्रायोजक तक ढूंढ लिए तो लोग बोलते है ये कहा से आगया। विकि के इतिहास के पन्नो में झांको तो आधे देशो के कार्यक्रमो में मेरा नाम मिलेगा। हिंदी में देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हु और अगली बार से पारदर्शिता पर और मेहनत लूंगा।
AbhiSuryawanshi (वार्ता) 06:39, 30 सितंबर 2017 (UTC)
ग्रांट प्रस्ताव में एक और छलावा
जैसा कि कुछ सदस्यो ने बिना हिन्दी विकिपीडिया समुदाय की आम सहमती लिए बिना ही मेटा पर हिन्दी विकिपीडिया के नाम पे 44000 डॉलर-28 लाख रुपये की ग्रांट ली जा रही है और समुदाय को पता ही नहीं था। ये विषय पे चौपाल पे और ग्रांट के वार्तापृष्ठ पर चर्चा चल रही है। ये चर्चा यहाँ है:-
ग्रांट के वार्तापृष्ठ की चर्चा का पाठ
I'm Active user and reviewer on Hindi Wikipedia. In my information hindi wiki dont know about this proposal. No any discussion i local village pump. All endorsement are very old, sice 2014. Community do not know about this. After endorsement that time this proposal is totally changed now.user submitted this high budget request without community discussion.--आर्यावर्त (talk) 16:30, 26 September 2017 (UTC)
- This proposal came out of Hindi Wikipedia 2014 and 2015 meet-up and national conference. Photos as well as links provided. Apart from that in last two months, updated links were shared on all possible platforms. Sorry if you missed them, I am listing notifications -
Community space | Reference |
Hindi Wiki Village Pump | Link |
WM Hindi User Group | Link |
Hindi WM Mailing List | Link |
Phone Calls/
feedback |
Called All admins
on Hi Wiki |
Group discussions | |
Hindi Wiki
Google Hangout Log |
Link |
This : To inform those who might have missed it - Another round of notification (with Hindi translation of grant and budget) sent to Village Pump and Mailing List |
Thank you AbhiSuryawanshi (talk) 18:58, 26 September 2017 (UTC)
- u provide vilage pump link but there is no ant discussion related about your 48000 doller grant proposel. m asking here to community about this proposel but community do not know abot. also u updated (in grant page) 48000 doller related changes in september. in auguest this proposel is diff.
- in user group page, you updated your self. only link. no any discussion. i think you are making fraud.
- admin replyed here, admin is not community.
- i have in hagout discussin. you taking only abot activity plan. not talking about your proposel. we dnt know you making grant proposel.
so i thiunk its fraud. please withdraw this proposel and next time do not make any grant proposel for hiwiki without community discussion. thanks.--आर्यावर्त (talk) 14:45, 29 September 2017 (UTC)
- Dear Yogesh-ji (आर्यावर्त),
- Interestingly - you were the only person involved in this grant discussion on Hindi Wikipedia Village pump. I am attaching the screenshot in case if you forgot it. Fortunately everything is documented and it is still in Village Pump archives.
-
Response by User:आर्यावर्त
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Village Pump Hindi Translation of this Proposal (Summary) - Posted in August 2017
- You talked about the grant amount and asked for program details, and I shared it (proposal summary in Hindi) - adding another screenshot and VP archive link.
- As per as exact amount and timing is concerned - we were negotiating with sponsors and were hopeful about getting 100% however, we got 25% and after receiving confirmation - we updated grant proposal and immediately sent notifications. We are hopeful about getting 100% external support in future after running this pilot project.
- I would appreciate if you can provide explanation behind your surprise, is there any misunderstanding? Thank you bringing it to our notice, we have sent another notification with updated grant budget (and Hindi translation) to mailing list as well as Village Pump. Your feedback is valuable and it will help us in future. AbhiSuryawanshi (talk) 10:37, 30 September 2017 (UTC)
उपरोक्त चर्चा में उल्लेखित चौपाल की चर्चा
सदस्य ने उपरोक्त चर्चा में चौपाल की जिस चर्चा का उल्लेख किया है वो चर्चा यहाँ ये पुरालेख में है और सदस्यो के लिए में उसे नीचे डाल रहा हूँ:-
न्यू यॉर्क में रहने वाले स्वयंसेवक हिंदी विकिपीडिया से ज्यादा लोग जोड़ने के लिये प्रयास शुरू कर रहे हैं। अगर कोई न्यू यॉर्क में है और अगर आपक स्वयंसेवक स्तर पे कार्यशाला में सहभागी होना चाहते हैं तो कृपया यहाँ पर अपना नाम दर्ज करे। AbhiSuryawanshi (वार्ता) 04:29, 15 अगस्त 2017 (UTC)
- @AbhiSuryawanshi जी, इसमें न तो दिनांक, स्थल कार्यक्रम, खर्छ का विवरण है और न ही कोइ विशेष जानकारी है। आपसे अनुरोध और हम अपेक्षा रखते हैं कि आप हिन्दी विकि के नाम से कोई कार्यक्रम कर रहे हैं तो हिन्दी विकि समूदाय को विश्वास में लेने के बाद कीजीये तो अवश्य हमारा समर्थन रहेगा। आप २४ लाख जी ग्रांत माग रहे हैं किन्तु समूदाय को इस बात का कुछ भी पता नहीं है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 10:18, 18 अगस्त 2017 (UTC)
- @आर्यावर्त जी, २४ लाख की बात कहा पे हो रही हैं? अगर आपको पता है तो समुदाय को भी बताइये। कृपया लिंक दीजिये। धन्यवाद। AbhiSuryawanshi (वार्ता) 17:25, 18 अगस्त 2017 (UTC)
- तब आप ही कृपया पूरी जानकारी विस्तार से बताएं। मेरे पास तो यहीं जानकारी है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 13:51, 20 अगस्त 2017 (UTC)
टिप्पणी
- उपरोक्त चर्चा में सदस्य ने सदस्य ने कुछ भी जानकारी नहीं दी थी। मेरे द्वारा पुछने पर उन्होने कहाँ कि 24 लाखा की ग्रांट? आपको पता हो तो कड़ी दीजिये! अब इस चर्चा के आधार पर ग्रांट कैसे माँग सकते हैं? तब कुछ और कह रहे अब 24 लाख से भी अधिक रकम की ग्रांट का प्रस्ताव हो गया और समुदाय को बताए बिना ही ग्रांट प्रस्ताव सबमिट भी कर दिया गया है।
- उपरोक्त चर्चा में हिन्दी सदस्य का उल्लेख किया गया है और कड़ी भी दी है है। वहाँ जाकर इतिहास में देखा जाये तो जो भी जानकारी है इसी सदस्य ने रख दी है और कड़ी दे दी है। वहाँ कोई चर्चा दिख नहीं रही। और तो और हमारे द्वारा चुने गए ध्वजवाहक इस विषय में मौन रहकर कोई भी स्पष्टता नहीं कर रहे हैं।
- जिस हेंगाउट चर्चा का हवाला इसमें दिया गया है, उक्त चर्चा में मैं भी था। वहाँ इस प्रकार की ग्रांट लेने की कोई भी चर्चा नहीं हुई थी।
- ये प्रस्ताव सबमिट हो गया है और उसे रोकने के लिए सदस्य दल के ध्वजवाहको के द्वारा अभी भी क्यों कोई कदम नहीं उठाए जा रहे?
- चौपाल के पुरालेख की चर्चा से ये भी साबित हो जाता है कि 18 अगस्त को ही मेरे द्वारा सदस्य को सूचित किया गया था कि आप बिना समुदाय की अनुमति लिए 24 लाख की ग्रांट ले रहे है। वहाँ पुछने पर सदस्य ने कोई जानकारी नहीं दी और तो और ये सूचित करने के बावजूद भी हिन्दी विकिपीडिया के नाम से ग्रांट प्रस्ताव डालने से पहले समुदाय की समहती लेना उचित नहीं समझा।
- अगर इस प्रकार की कार्यप्रणाली और कार्यो को अभी अनुमति दे दी जाएगी तो आगे किसी को भी इस प्रकार से बिना समुदाय को बताए या तो बताना कुछ और दिखाना कुछ और करके कितनी भी रकम की ग्रांट लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
- इसके पहेले की चर्चा में सदस्य ने बताया है की उन्होने 25% स्पोंसर ढूँढे हैं और 100% स्पोनसरशिप ढूंढ रहे हैं। विकिपीडिया के लिए हम चन्दा माँग ते हैं? क्या समुदाय को पता है कि हम चन्दा माँग रहे हैं? क्या समुदाय ने ऐसा कुछ तय किया है कि हम हिन्दी विकिपीडिया के लिए चन्दा मांगे? क्या ये सही है?इसकी अनुमति किसने दी?--☆★आर्यावर्त (✉✉) 06:30, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
अतिरिक्त स्पष्टीकरण
- नमस्ते आर्यावर्त जी,
- इससे पहले की में आप के प्रश्न का उत्तर दूँ में आप से अनुरोध करता हूँ कि आप यह चर्चा समस्या २ के अंतर्गत ही करे | इससे बाकी लोगों के लिए पढ़ना आसान रहेगा |
- मेरे द्वारा पुछने पर उन्होने कहाँ कि 24 लाखा की ग्रांट? आपको पता हो तो कड़ी दीजिये! अब इस चर्चा के आधार पर ग्रांट कैसे माँग सकते हैं? तब कुछ और कह रहे अब 24 लाख से भी अधिक रकम की ग्रांट का प्रस्ताव हो गया और समुदाय को बताए बिना ही ग्रांट प्रस्ताव सबमिट भी कर दिया गया है।
- आप से अनुरोध है कि आप कल की चौपाल स्पष्टीकरण को पढ़े| जब मैंने यह बात साझा करी थी तब तक कोई ग्रांट का इरादा नहीं था | जैसा की कल साझा किया हम स्पॉन्सरशिप का प्रयास कर रहे थे और अभी भी कर रहे है |
- जब आप ने २४ लाख कि बात करी तब मैंने आप से ही पूछा यह किसने बोला हमने खुद कोई गणना नहीं कि थी | और मैं फिर पूछता हूँ यह किसने बोला था आप ने इसका उत्तर नहीं दिया | जहाँ तक इससे अधिक ग्रांट का सवाल है|
- इसका २४ लाख की आप की बात से कोई मेल नहीं है | जहाँ तक ज्यादा धन की बात है इसके बारे में हम कल जानकारी दे चुके है|
- उपरोक्त चर्चा में हिन्दी सदस्य का उल्लेख किया गया है और कड़ी भी दी है है। वहाँ जाकर इतिहास में देखा जाये तो जो भी जानकारी है इसी सदस्य ने रख दी है और कड़ी दे दी है। वहाँ कोई चर्चा दिख नहीं रही। और तो और हमारे द्वारा चुने गए ध्वजवाहक इस विषय में मौन रहकर कोई भी स्पष्टता नहीं कर रहे हैं।
- जहाँ तक मुझे आप की समस्या समाज में आ रही है आप नाराज़ है की चौपाल पर क्यों नहीं रखा | हमने कल सब कुछ साझा कर दिया है और पिछली गलती के लिए माफी भी मांगी है | कृपया ऊपर पढ़े | सभी लोग सवाल करने के लिया आमंत्रित है |
- जिस हेंगाउट चर्चा का हवाला इसमें दिया गया है, उक्त चर्चा में मैं भी था। वहाँ इस प्रकार की ग्रांट लेने की कोई भी चर्चा नहीं हुई थी।
- में नहीं देख सकता हूँ की आप वहाँ उपस्थित थे (12 अगस्त) | उस दिन ६ सदस्य उपस्थित थे पर आप नहीं | पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता हम आप के सारे उत्तर दे रहे है |
- ये प्रस्ताव सबमिट हो गया है और उसे रोकने के लिए सदस्य दल के ध्वजवाहको के द्वारा अभी भी क्यों कोई कदम नहीं उठाए जा रहे?
- जैसा की कल कहा प्रस्ताव कम्युनिटी रिव्यू के लिया जाता है फिर ही पारित होता है| यह रैपिड ग्रांट नहीं है | आप खुद ही प्रोजेक्ट ग्रैंट के पेज पर पढ़ सकते है| कम्युनिटी रिव्यू के लिए हमने बहुत तैयारी किये है | धन का उपयोग कैसे होगा यह टेबल, चार्ट और बुलेट पॉइंट से बताया है | आशा करूँगा की आप इसपर राय दे |
- चौपाल के पुरालेख की चर्चा से ये भी साबित हो जाता है कि 18 अगस्त को ही मेरे द्वारा सदस्य को सूचित किया गया था कि आप बिना समुदाय की अनुमति लिए 24 लाख की ग्रांट ले रहे है। वहाँ पुछने पर सदस्य ने कोई जानकारी नहीं दी और तो और ये सूचित करने के बावजूद भी हिन्दी विकिपीडिया के नाम से ग्रांट प्रस्ताव डालने से पहले समुदाय की समहती लेना उचित नहीं समझा।
- जहाँ तक बिना बताये ग्रांट डाला इसके बारे में हम कल लिख चुके है और माफ़ी भी मांग चुके है | कृपया ऊपर पढ़े | नहीं पता और क्या कहें- क्या दंड देना चाहेंगे ? मैं आप से १८ अगस्त की बात से सहमत नहीं हूँ |
- अगर इस प्रकार की कार्यप्रणाली और कार्यो को अभी अनुमति दे दी जाएगी तो आगे किसी को भी इस प्रकार से बिना समुदाय को बताए या तो बताना कुछ और दिखाना कुछ और करके कितनी भी रकम की ग्रांट लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
- कम्युनिटी रिव्यु (समुदाय समीक्षा) : एक शब्द में जवाब| फाउंडेशन भी सतर्क रहता है ऐसा कुछ ना हो | वरना तो लोग हवाई जहाज भी खरीद लेंगे।
- फाउंडेशन के पास १५ से ज्यादा का अनुभव है और वह ऐसी चीज़ो का ख्याल रखते है।
- इसके पहेले की चर्चा में सदस्य ने बताया है की उन्होने 25% स्पोंसर ढूँढे हैं और 100% स्पोनसरशिप ढूंढ रहे हैं। विकिपीडिया के लिए हम चन्दा माँग ते हैं? क्या समुदाय को पता है कि हम चन्दा माँग रहे हैं? क्या समुदाय ने ऐसा कुछ तय किया है कि हम हिन्दी विकिपीडिया के लिए चन्दा मांगे? क्या ये सही है?इसकी अनुमति किसने दी?-
- विकिमेडीया फाउंडेशन सिर्फ ‘और सिर्फ' चन्दा पर चलती है | यह चंदा लेने का अधिकार फाउंडेशन और चैपटर को होता है| जैसा की हमने बताया अमेरिका के चैपटर इसका सहयोग कर रहे है|
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- आशा है की आपको सभी सवालो का जवाब मिल गया है, और कोई जानकारी चाहिए हो तो ज़रूर पूछे। बाकी के सदस्य भी अपनी टिपण्णी दे सकते है।
- हम दोनों के मार्ग अलग अलग भले ही हो पर आपका और मेरा मकसद एक ही है - हिंदी विकिपीडिया की तरक्की। हम एक साथ काम करे तो हम ज्यादा लोगो तक विकिपीडिया पोहोंचा सकते है।
- विशेष निवेदन
- अगर आप प्रकल्प में लिखी हुए चीज़ो पर सवाल पूछे तो हम इस कार्यशाला को और बेहतर बना सकते है, जिससे हिंदी का ही फायदा होगा। धन्यवाद AbhiSuryawanshi (वार्ता) 09:05, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
- अभिषेक जी उत्तर देने हेतु धन्यवाद। वैसे ये सवाल आपसे नहीं समुदाय और हमारे सदस्य दाल के ध्वजवाहकों के लिए थे। @Anamdas, Suyash.dwivedi, और आशीष भटनागर: जी स्पष्टता करें और आगे की कार्यवाही करके जो भी हो स्पष्ट रखें। आपसे सवाल ये था कि इस प्रस्ताव में हिन्दी सदस्य दल का भी नाम है, सुयश जी आदि का समर्थन भी वहाँ है और इस कार्य को हिन्दी सदस्य दल की इवेंट के रूप में बताया गया है और ग्रांट माँगी जा रही है तो क्या सदस्य दल ने ये कार्यक्रम तय किया है? चर्चा हुई थी? आप सब भी इसमें जुड़े हुए हैं? ये कार्यक्रम सदस्य दल कर रहा है?
आप लोगों में चर्चा करके इस ग्रांट प्रस्ताव डालने हेतु आपसी सहमति बनी थी? क्या हिन्दी सदस्य दल ने न्यूयॉर्क में भी कोई ब्रांच खोली है? कृपया बताएं। --☆★आर्यावर्त (✉✉) 11:12, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
- @आर्यावर्त: - मैंने उत्तर नीचे दिए हैं। उसे पढ़ लें। किसकी कितनी सहमति है आपको पता चल जाएगा। जब आपको पता ही है कि सुयश जी का समर्थन पुराना है तो उक्त प्रश्न का क्या अर्थ है? जब आपको पता ही है कि धन की बात आखरी दिन लिखी गई तो उक्त प्रश्न कयों? जब अपनी व्यक्तिगत वार्ताओं को सामुदायिक समर्थन समझने पर विरोध मैंपहले ही कर चुका तो उक्त प्रश्न क्यों? दूसरी बात- क्या अभिषेक जी सदस्यदल के सदस्य नहीं है? क्या सदस्य दल विकिपीडियनों से अलग है? क्या सदस्यदल की ब्रांच अमरेली में नहीं है? आप प्रश्न पूछने से पहले ही अभिषेक जी को कोई माफिया मान बैठे हैं ऐसा लग रहा है? साथ ही यह भी मान बैठे हैं कि जो आपका समर्थन न करे वह उनका गुर्गा। ध्यान रखें कि यदि आप प्रश्न किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर पूछ रहे हैं तो आप अपनी ही महत्ता कम कर रहे हैं। ध्यान रखें कि आप और हम सभी हिंदी विकि के सम्मानित सदस्य हैं और आपसी सद्भाव ही हिंदी विकि के विकास का एकमात्र उपाय है। आपसी अविश्वास के चलते आजतक हिंदी विकिपीडिया तरक्की नहीं कर पाया है, ध्यान रखें कि आगे यह रोड़ा न बने। यदि कोई किसी कार्य के लिए आगे आ रहा है तो कृपया ऐसे न पेश आएँ कि वे हतोत्साहित हों। इसे देखकर भविष्य में भी कोई आगे नहीं आएगा। प्रस्ताव में कमी निकालना, उसे कम से कम बजट में करना, इस बारे में सुझआव देना हम सबका कर्तव्य है, इस संबंध में आपके सभी प्रश्नों का स्वागत है, किंतु कृपया सकारात्मकता से बात करें और शब्दों का चयन सावधानीपूर्वक करें। एक बार माहौल खराब हुआ सालों की छुट्टी समझिए। यदि आपको प्रस्ताव में खामियां लग रही हैं तो शांतिपूर्वक चर्चा कर बेहतर प्रस्ताव का निर्माण करें। --अनामदास 11:49, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
- @आर्यावर्त, Anamdas, और आशीष भटनागर: मैंने अपना स्पष्टीकरण यहाँ (Endorsements) दे दिया है -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 17:36, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
संक्षेप
सबसे पहले @आर्यावर्त: जी से निवेदन है कि चर्चा को सकारात्मक तरीके से करें और दूसरे पक्ष का स्पष्टीकरण न मिलने तक किसी परिणाम तक न पहुँचें। कहीं ऐसा न हो कि अंत में आप स्वयं सहमत हो जाएँ और फिर विरोध मात्र इसी बात का रह जाए कि पुरानी बात से पीछे कैसे हटें। तथ्यपरक बातों पर किसी भी प्रकार का सवाल करने का हक सभी के पास है, लेकिन किसी की नीयत पर सवाल उठाने का अधिकार किसी के पास नहीं है। आपका हर सवाल स्वागत योग्य है - समुदाय को विश्वास में नहीं लिया गया, पूर्व चर्चाओं में धन की बात नहीं की गई, आखरी तारीख को जल्दबाजी की गई, व्यक्तिगत चर्चाओं को सामुदायिक चर्चाओं के समान मान लिया गया, पुराने समर्थनों को आधार बनाया गया, प्रस्ताव में परिवर्तन के बाद समर्थन भी नए सिरे से मांगे जाने चाहिएँं, आदि। आपके इन सभी सवालों से मैं भी सहमत हूँ और आयोजकों को यह स्पष्टीकरण समुदाय के समक्ष देना ही चाहिए। लेकिन इस तमाम प्रस्ताव को फ्रॉड कहने की आपकी बात का समर्थन मैं नहीं करता। शायद आप अनभिज्ञ हैं कि हिंदी विकि का सबसे पहला सम्मेलन २०१५ में @AbhiSuryawanshi: जी ने ही करवाया था। अभिषेक जी का योगदान तब भी हिंदी विकि एक संपादक के रूप में नगण्य योगदान था, लेकिन उस सम्मेलन से हिंदी विकि में एक नया अध्याय जुड़ा। अभिषेक जी का हिंदी विकि पर आज भी नगण्य योगदान होगा, लेकिन यदि वे संपादन के अतिरिक्त कोई योगदान देना चाहते हैं तो क्या इस आधार पर उन्हें रोका जाना उचित है कि इनके संपादन नहीं हैं? टीम में सभी ११ खिलाड़ी हरफनमौला (ऑल राउंडर) हों, ऐसा नहीं होता है। जिसको जो काम अच्छे से आता है उसी का उपयोग किया जाता है। आप बैटिंग में अच्छे हैं तो आप क्या चाहेंगे कि आपकी टीम में सब बैट्समेन ही हों? जिसे बैटिंग नहीं आती, लेकिन गेंदबाजी आती है, तो क्या आप उसे टीम में नहीं लेंगे? आभिषेक जी संपादन न कर पाते हों, लेकिन आयोजनों में, संस्थाओं से संपर्क में निपुण हैं, @Suyash.dwivedi: सुयश जी भी इसी श्रेणी में आते हैं, तो यदि आपका विचार है कि ये लोग हिंदी विकिपीडियन नहीं हैं तो मैं आपसे सहमत नहीं हूँ। जिसे जो कार्य आता हो मैंं विकि के लिए उससे वही योगदान लेने को तैयार हूँ। आशा है आप सहमत होंगे। अभिषेक जी ने इतिहास में अपने किए गए कार्य गिनवा दिए हैं, शायद उनके परिचय के बारे में आपका संशय समाप्त हो गया होगा। मुझे लगता है कि अपने भूतकाल के कार्यों से स्वयं प्रभावित हो अभिषेक जी शायद अतिविश्वास के शिकार हो गए होंगे, तभी उनसे इस प्रकार की चूकें हुईं। अच्छा ही है, यह चर्चा उनके लिए भी एक सबक है।
दूसरी बात यह भी है कि ग्रांट अभी स्वीकार नहीं हुई है, अतः अगर कुछ गड़बड़ हो भी सही प्रस्ताव के स्तरपर ही है, इसलिए तकनीकी तौर पर इसे फ्रॉड नहीं कहा जा सकता। गलत सोचना पाप होता है, करना अपराध। कानून में अपराध की सजा दी जाती है, पाप की नहीं। इसलिए अभी चिंता की बात नहीं है। आपने कहा ध्वजवाहक आगे क्यों नहीं आ रहे, तो मैं पहले ही कह चुका हूँ कि ध्वजवाहक या प्रबंधक समुदाय नहीं है। न ही वो समुदाय का ठेकेदार है और न ही नौकर। ध्वजवाहक उतना ही आम आदमी है जितने आप। ध्वजवाहक को समुदाय का नेता अथवा प्रतिनिधि घोषित करने की परंपरा शुरु न करें, बहुत घातक है। पहले इसी बात पर मैं अभिषेक जी का विरोध कर चुका हूँ, जब उन्होंने कहा कि प्रबंधकों से बात हो गई है। अब आप वही बात कर रहे हैं। सावधान रहें। समुदाय को सर्वोपरि रहने दें। आपको गलत लगा, आप विरोध कर दीजिये, बात समाप्त। आप ही समुदाय हैं। किसी की प्रतीक्षा न करें। आप ने ग्रांट प्रस्ताव पर विरोध कर ही दिया है तो फॉउंडेशन देख ही लेगा, किसी ध्वजवाहक के होने न होने से क्या फर्क पड़ता है। ध्वजवाहक भी ईंसान है, स्वयंसेवक मात्र है। समय मिलेगा, इच्चा होगी तो कार्य करेगा, नहीं होगी तो नहीं करेगा। यहाँ किसी पर कोई कार्य थोपा नहीं जाता है, न ही थोपा जा सकता है। यहाँ हर कोई स्वेच्छा से योगदान करता है। आप अपना करें, दूसरों से आशा न रखें। मुझे अब समय मिला है तो मैं लिख रहा हूँ, कल की कोई गारंटी नहीं है।
योगेश जी की क्लास खत्म। अब अभिषेक जी की बारी। मेरा एक विरोध इस बात को लेकर था कि चाहे मैं प्रबंधक हूँ लेकिन मेरी किसी राय को समुदाय की राय नहीं मान लेना चाहिए। आपने इस बात पर सहमति जता दी है और आगे से ध्यान रखने को कहा है, अतः यह विवाद अब समाप्त माना जाए। आपने शांतिपूर्वक सभी सवालों का जवाब देकर, जहाँ आप तथ्य दे सकते थे वहाँ तथ्य देकर, जहाँ आप नहीं दे सकते थे वहाँ अपनी सभी गलतियों को मानकर आपने संयम का परिचय दिया है। योगेश जी की तीखी बातें सुनकर भी आपने संयम रखा, इसके लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं। अब जब आप गलतियाँ स्वीकार ही कर चुके हैं तो कहने को अधिक कुछ बचा नहीं। फिलहाल योगेश जी सहमत हैं कि नहीं, यह योगेश जी ही बताएंगे। रही बात मेरी, तो मेरे मन में जो भी सवाल थे, उनमें से कुछ योगेश जी पहले ही पूछ चुके हैं। अधिकांश के आपने जवाब भी दे दिए हैं। अब मेरे पास कुछ ही सवाल हैं - पहला कि जितनी ग्रांट का प्रस्ताव आपने रखा है, उतने में भारत में १५ रैपिड ग्रांट वाले सम्मेलन करवाए जा सकते हैं। मैं दुविधा में हूँ कि भारत में आम जनता जिसके पास कंप्यूटर ईंटरनेट कम ही हैं उन्हें पहले संगठित किया जाए या आप्रवासी जनता को जिनके पास संसाधन अधिक हैं। इस बात पर समुदाय को चर्चा करनी चाहिए कि प्राथमिकता किसे दी जाए। एक स्पष्टीकरण और मिल जाए तो इस दुविधा को हल करने में मदद कर सकता है, वो यह कि क्या हिंदी समुदाय को दी जाने वाली ग्रांट के लिए कोई कोटा निर्धारित है? क्या आपके प्रस्ताव की ग्रांट उस कोटे में से कटेगी या किसी अलग अंतर्राष्ट्रीय आदि कोटे से? अर्थात् यदि आपकी ग्रांट से हिंदी विकिपीडिया का कोटा प्रभावित होता है तो मैं भारत में १५ सम्मेलनों को प्राथमिकता दूँगा, यदि इससे हिंदी विकि को मिलने वाली ग्रांट पर कोई असर नहीं पड़ता तो आपके प्रस्ताव पर आगे चर्चा की जा सकती है (अभी आपके प्रस्ताव में चर्चा की बहुत गुंजाईश है, उसमें बहुत कुछ ऐसा है जिसका ज्ञान हमें नहीं, अतः हम भी सीखना चाहेंगे अथवा प्रस्ताव को सुधारना चाहेंगे)।
- यदि इस प्रश्न का उत्तर मिल जाए तो समुदाय से मेरा निवेदन है कि स्वस्थ मानसिकता से आगे की पूरी चर्चा करें। चर्चा का उद्देश्य अभिषेक जी के प्रस्ताव का सुधार होना चाहिए, यदि हमें लगता है कि वे अनावश्यक खर्च कर रहे हैं तो खर्चा कम करने के सुझाव दें, फ्रॉड का आरोप न लगाएँ। यदि प्रस्तावक न मानें तो प्रस्ताव पर औपचारिक तौर पर फाउंडेशन के सामने विरोध दर्ज करें। यदि किसीको लगता है कि प्रस्ताव गलत है अथवा इसमें फ्रॉड की गुंजाइश है, तो किसी प्रकार का क्रोध करने की आवश्यकता नहीं है, असंयमित भाषा का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है, कृपया अपने तथ्य प्रस्तुत करें और जवाब मांगे। जवाब से संतुष्ट हों तो ठीक, नहीं तो तर्कसहित विरोध दर्ज करा दें। अंतिम निर्णय फाउंडेशन पर छोड़ दें। कृपया इस बात का खास ध्यान रखें कि वातावरण प्रदूषित न हो। सभी पक्ष संयम रखें। --अनामदास 10:57, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
- नमस्कार! मेरे उत्तर या कहें स्पष्टिकरण शतशः अनामदास जी से मेल खाते हैं, अतः उनकी पुनरावृत्ति करने की कोई आवश्यकता नहीं समझता हूं। हाँ अनुदान राशि की गणना में शायद कुछ शीघ्रता दिखाई गयी होगी, किन्तु इस बारे में अभिषेक जी पर पूर्ण विश्वास के साथ लिखूंगा कि इस ्निर्णय पर अविश्वास करने का मुझे कोई कारण नहीं दिखाई देता। उनका अनुभव व कार्यशैली मैंने स्वयं दिल्ली के पिछले सम्मेलन में देखा है। इसमें योगेश जी ये कदापि भी न समझें कि हम उनके साथ नहीं या किसी अन्य के साथ खड़े हो गये, वरन यही बता रहा हूं कि हम सभी साथ हैं, कोई भी अलग नहीं खड़ा है, सभी हिन्दी विकिहित के साथ खड़े हुए हैं - ऐसा भरोसा रखें। हाँ कभी कभी किसी अनदेखे कारणवश कोई सूचना सर्वसाझा करने से (ऐसी मंशा न होने पर भी) रह जाती है, तो उसे अन्यथा न लें।आशीष भटनागरवार्ता 23:29, 6 अक्टूबर 2017 (UTC)
फ़्रौड/धोखा प्रस्ताव डालने में है
@Anamdas: महोदय। आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। फ़्रौड शब्द का मतलब हिन्दी में धोखा होता है और इस प्रस्ताव में जो भी धोखा हैं स्वतः स्पष्ट ही है।
- बिना समुदाय को बताए कि में ये ग्रांट ले रहा हूँ सीधे ही ग्रांट प्रस्ताव सबमिट कर देना। सभी बात समुदाय के समक्ष रखी जाये, आम सहमति बने उसके बाद ही समुदाय के नाम से ग्रांट (वो भी बड़ी) सबमिट कर सकते हैं। यहाँ समुदाय को अवगत न करना और समुदाय के नामपर ग्रांट मांगना वाला धोखा/फ़्रौड दिख रहा।
- वहाँ ग्रांट प्रस्ताव में चौपाल, सदस्य दल, हेंगाउट, प्रबन्धक आदि के साथ चर्चा करने के बाद ग्रांट मांगी जा रही एसा हवाला देना लेकिन ग्रांट के विषय में ग्रांट प्रस्ताव सबमिट कराते समय न केवल समुदाय जिसके भी साथ चर्चा हुई उसे कुछ भी पता न होना। यहाँ सभी का गलत रूप से उपयोग करके प्रस्तुत करने वाला धोखा/फ़्रौड दिख रहा।
- पहले ये प्रस्ताव आइडिया लेब में था और आइडिया रखना और ग्रांट लेना ये दोनों भिन्न बाते हैं। पहेले कुछ और रखना और समर्थन लेकर बाद में कुछ और कर देना। (मैं प्रतियोगिता के लिए ग्रांट मांगु और समर्थन ले लूँ, बाद में कुछ और रकम जोड़ दूँ तो ये कैसे चलेगा?) यहाँ एसा ही हुआ है। पहले कुछ और था। ग्रांट सबमिट कराते समय ही 48000 डॉलर की रकम दाल दी गई। और तो और 5 लाख वाली सम्मेलन की ग्रांट में भी पुराने कम ग्रांट वाले और वापस ले लिए गए प्रस्ताव में पुरानी रकम हटाकर रकम 5 लाख की कर दी गई। इतिहास में देखा जा सकता है। यहाँ समर्थन लेकर बाद में अपने हिसाब से बदलाव करने वाला धोखा/फ़्रौड दिख रहा है।
ये सब इस प्रस्ताव को अविश्वासनीय बनाता है और ये सब होने के बाद कैसे विश्वास कर सकते हैं? ये सब बातें आपको बहुत छोटी सी लग रही? अतः ये कोई आरोप नहीं है किन्तु स्वयं स्पष्ट है और ठोस कारण है। इसलिए मैं विश्वास नहीं कर सकता और वहाँ मैंने मेरा विरोध दर्ज करा भी दिया है। फाउंडेशन पे छोडने की बात हो तो मेरा ये मानना है की ग्रांट प्रस्ताव समुदाय की सहमति से ही मांगना चाहिए और मांगना न मांगाना या वापस लेना ये समुदाय के ऊपर निर्भर है। बाद में प्रस्ताव स्वीकार करना या न करना ये फाउंडेशन के ऊपर निर्भर है। जहां तक ग्रांट मांगने और योगदान वाला प्रश्न है मेरा मानना है कि कोई भी एक्सपर्ट का मतलब ये नहीं कि कोई भी, कम से कम समुदाय का उसके ऊपर विश्वास होना चाहिए, वरना हिन्दी विकिपीडिया में बहुत से लोग बाहर से आए हैं, आते हैं और हमें कुछ पता भी नहीं होता। २०१४ के सम्मेलन की बात हो तो मैं तब सक्रिय नहीं था और उसके बाद सदस्य सक्रिय नहीं थे। ३ सालों में बहुत कुछ बदला गया है। सदस्य ने खुद अपनी गलती का स्वीकार किया है और गलती का सुधार तभी हो सकता है कि गलती से रखा गया प्रस्ताव वापस ले लिया जाये और जब समुदाय ये कार्यक्रम करना चाहेगा तब देखा जाएगा। उक्त समय में सदस्य समुदाय का साथ दें, समुदाय के निर्णय का स्वीकार करें। अभी जो हुआ है, विश्वास नहीं किया जा सकता। सदस्य विश्वास स्थापित कराते हैं तो मैं अवश्य समर्थन दूंगा। जहां तक सुयश जी की बात है, भोपाल सम्मेलन की ग्रांट के समय एक अनजान व्यक्ति को हिन्दी विकि की ग्रांट मांगते देखकर तब भी मैंने विरोध किया था, क्योकि सारी चर्चा वोटसेप दल में हुई थी और चौपाल पे चर्चा न होने के कारण सदस्यों को और मुझे भी ज्यादा कुछ पता नहीं था। जब मुझे पता चला कि आप भी इसमे सम्मिलित है और पूरा समुदाय जुड़ा है तो मैंने समर्थन भी दिया था और आज भी दे रहा हौं। विश्वास तो स्थापित हो। मुझे किसी व्यक्ति से व्यक्तिगतरूप से लगाव या आपत्ति नहीं है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 12:17, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
- जब सदस्य ने गलती स्वीकार कर ही ली है तो सुधार का मार्ग सुझाना चाहिए। प्रस्ताव वापिस लेकर बाद में कभी करने की बजाय अच्छा है कि यहीं अभी चर्चा कर ली जाए। प्रस्ताव का सुधार करना, प्रस्ताव को वापिस लेने से बेहतर होगा। यदि न हो पाए तो इतने सदस्यों का विरोध हो ही गया है तो वसे ही अस्वीकृत होना तय ही है। फिर भी जितना संभव हो, उतना सकारात्मक सोचना चाहिए। कई सुधार किए जा सकते हैं जिससे कि पैसा भी व्यर्थ न हो और कुछ काम भी हो जाए, जैसे कि व्यर्थ का खर्चा हटाकर कम कर दिया जाए, या इतने व्यापक स्तर की बजाय एक छोटे स्तर पर प्रारंभ किया जाए। सार यह कि जो हुआ सो हुआ, गलती मान लेने पर क्षमा कर दिया जाना चाहिए और प्रस्ताव के तथ्यों पर चर्चा की जानी चाहिए। मेरा सुझाव है कि अभिषेक जी को फिलहाल न्य़ूनतम संभव स्तर पर प्रस्ताव को सीमित कर देना चाहिए। विस्तृत प्रस्ताव वे समुदाय की सहमति लेकर बाद में प्रस्तुत कर सकते हैं। दिल्ली सम्मेलन इस प्रकार की चर्चा के लिए उपयुक्त रहेगा। --अनामदास 13:10, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
- जी, बात न केवल गलती की विश्वास की है और विकि के भविष्य की भी। अविश्वास की स्थिति में अभी प्रस्ताव वापस लेने पर विश्वास स्थापित होने के बाद समुदाय का पूरा समर्थन मिल सकता है। ये कार्य वैसे भी 3 साल से तैयारियों में था, अब कुछ और सही। मुख्य बात ही समुदाय को विश्वास में लेने की है। ये सब होने के बाद भी मैं तुरंत विश्वास कर लूं तो समुदाय को मेरे ऊपर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। क्योंकि मेरा ऐसा करना समुदाय के हित में नहीं है। मुझे व्यक्तिगत रूप से प्रस्तावक से कोई समस्या नहीं, न तो हमारा कभी झगड़ा हुआ। न तो उनको रोकने का इरादा, और ऐसा करके न तो मुझे कोई पारितोषिक मिलने वाला है। मैं मानता हूं कि में समुदाय के हित को ही आगे रखु। जिस तरह समस्या का समाधान होने पर सुयश जी को भी हमने स्वीकार किया था, इस प्रस्ताव के ऊपर भी पुख्त चर्चा हो, आम राय बनेगी तब मैं भी समर्थन करूँगा। अभी अविश्वास की स्थिति में विरोध के कारण नुकसान ही है। संयदाय के साथ चलने से फायदा। विश्वास स्थापित होने के बाद ये कार्य सर्व सम्मति से होगा। अतः धैर्य रखें और बिना संयदाय की सहमति प्रस्ताव डालना ही नहीं होता तो अभी प्रस्ताव वापस लेना सर्वोत्तम विकल्प है गलती को सुधार ने का। अभी भी समय है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 14:09, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)
- अनामदास जी हमारी कोई सदस्य से व्यक्तिगत दुश्मनी तो नहीं है। लेकिन जिस प्रकार यह कार्य किया गया। वो बिलकुल भी उचित नहीं है। मै भी काफी गलतिया गिना सकता हु। लेकिन दोहराव का कोई फायदा नहीं है। आर्यावर्त जी की बात को भी समझे। जब शुरू से ही समुदाय से बहुत कुछ छुपा रहा तो आगे ऐसा नहीं होगा कोई गारेंट्टी नहीं। अब विश्वास का कोई अर्थ नहीं रहता है। समय के अनुरूप ग्रांट वापिस लेना ही उचित है। जब समुदाय को विश्वास नहीं हो जाएगा। तो ही ग्रांट को आगे करना चाहिए। आप एक बार अपने को आर्यावर्त जी की जगह रखकर देखे। उनके शब्द कडवे है परंतु सोच नहीं। फिर भी यदि आपको ग्रांट सही लग रही है तो केवल फ़ाउंडेशन ही समर्थन के आधार पर फैसला कर लेगी। धन्यवाद-जयप्रकाश >>> वार्ता 04:47, 2 अक्टूबर 2017 (UTC)
@Jayprakash12345:, @आर्यावर्त:, @Anamdas: :
- शादी की बाते चल रही है और बोल रहे हैं की मुहूरत तय करने हमे क्यों नहीं बुलाया। शादी करनी है और इसकी मानसिकता बनी है तब सभी रिश्तेदारों को आमंत्रित करके तिथि और बाकी की चीज़े होती है, संयम रखे। समीक्षा का समय अभी शुरू भी नहीं हुवा और आप बोल रहे है की हमें समीक्षा का मौका नहीं मिला, हमारे साथ धोका हुआ। समीक्षा जब ४ अक्टूबर से शुरू है, उसके लिए फाउंडेशन खुद न्योता देगी - तो आपके साथ विश्वास घात किसने किया? विकिपीडिया के ऊपर आपका जितना हक़ है उतना हमारा भी है। 'हम अन्दरवाले और आप बाहरवाले' - ये क्या हैं? विश्वासघात? विकिपीडिया तथ्यों पर चलता है। तथ्यों पे आपका विश्वास ना हो तो इसमें हम क्या करे। माफ़ी पहले भी चुके है और अब भी मांग ही रहे है। दुनिया के सामने जाने से पहले फाउंडेशन कार्यप्रणाली के नियम कानून पढ़ ले, हिंदी वाले बिना नियम पढ़े कुछ भी बोलते इस तरह की प्रतिमा बन रही है। AbhiSuryawanshi (वार्ता) 09:14, 2 अक्टूबर 2017 (UTC)