यह पुरानी चर्चाओं का पुरालेख है। इस पन्ने की सामग्री को संपादित न करें अगर आप कोई नई चर्चा आरंभ करना चाहते हैं अथवा किसी पुरानी चर्चा को पुनः आगे बढ़ाना चाहते हैं, कृपया यह कार्य वर्तमान वार्ता पन्ने पर करें।
14 सितंबर को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी विकिपीडिया पर लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। हिन्दी दिवस विकिपीडिया पर पूरे महीने तक मनाया जाएगा। लेख प्रतियोगिता से विभिन्न विषयों पर हिन्दी में ज्यादा से ज्यादा लेख बनाने का आशय है। हिन्दी विकिपीडिया में प्रथम बार ही कोई ऐसा कार्यक्रम स्थानिक रूप से होने जा रहा है। इस प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए सभी सक्रिय सदस्यों को सादर निमंत्रण।
नमस्ते सर्वेभ्यः
आप सब जानते ही है कि 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस है और इस उपलक्ष्य में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने, हिन्दी भाषा के ज्ञानकोष को और भी समृद्ध करने हेतु योगदानकर्ताओं को नए नए लेख बनाने के लिए प्रेरित करने हेतु 14 सितम्बर से 30 सितम्बर तक हिन्दी विकिपीडिया पर लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान में जुड़कर विकिपीडिया को समृद्ध बनाने में सहयोग दें।
निर्णायक
इस प्रतियोगिता के परिणाम निर्धारण, गुणांकन और लेखों की जाँच की प्रक्रिया हेतु एक समिति के गठन की आवश्यकता है। प्रतियोगिता के संचालकों का निर्णय अंतिम होगा। इस कार्य में सहयोग देने के लिए प्रबंधन और पुनरीक्षण कार्य के अनुभवी सदस्यों को सादर आमंत्रित किया जाता है। निर्णायक मंडल में सम्मिलित होने के लिए स्वैच्छिक रूप से अपना नाम नीचे सूची में जोड़े।
इस कार्य के लिए प्रबंधन और पुनरीक्षण का अनुभव आवश्यक है फिर भी कुछ सदस्य जो इस कार्य के लिए योग्य प्रतीत हो रहे हैं, उत्सुक है तो कृपया संचालकों को संदेश भेजकर भी अपनी इच्छा व्यक्त कर सकते हैं। इस कार्य में सहयोगी होने के लिए अपना नाम यहाँ दर्ज कराएं।
चर्चा में भाग लें
इस प्रतियोगिता में नीति निर्धारण, गुणांकन, लेखों की जांच, प्रतियोगिता का प्रचार-प्रसार आदि कार्यो के लिए आप सभी का सहयोग वाँछित है। विकिपीडिया वार्ता:हिन्दी दिवस पृष्ठ पर चर्चा में भाग लें।
प्रतियोगिता में जुड़े
हिन्दी विकिपीडिया पर स्थानिक तौर पर इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन प्रथम बार किया जा रहा है। इस की सफलता या निष्फलता हम सभी योगदानकर्ताओं के ऊपर निर्भर है। प्रथम प्रयास सफल होगा तो आगे भी इस प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन हो पायेगा। इसलिए आज ही इस प्रतियोगिता में जुड़िये और दूसरों को भी जोड़िए।
प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए यहाँ अपना नामांकन करायें।
Greeting, on behalf of Wikimedia India, I, Krishna Chaitanya Velaga from the Executive Committee, introduce you to the Featured Wikimedian of the Month for September 2017, Swapnil Karambelkar.
Swapnil Karambelkar is one of the most active Wikimedians from the Hindi community. Swapnil hails from Bhopal, Madhya Pradesh, and by profession a Mechanical Engineering, who runs his own firm based on factory automation and education. Swapnil joined Wikipedia in August 2016, through "Wiki Loves Monuments". He initially started off with uploading images to Commons and then moved onto Hindi Wikipedia, contributing to culture and military topics. He also contributes to Hindi Wikibooks and Wikiversity. Soon after, he got extensively involved in various outreach activities. He co-organized "Hindi Wiki Conference" in January 2017, at Bhopal. He delivered various lectures on Wikimedia movement in various institutions like Atal Bihari Hindi University, Sanskrit Sansthanam and NIT Bhopal. Along with Suyash Dwivedi, Swapnil co-organized the first ever regular GLAM project in India at National Museum of Natural Heritage, Bhopal. Swapnil is an account creator on Hindi Wikipedia and is an admin on the beta version on Wikiversity. Swapnil has been instrumental in establishing the first Indic language version of Wikiversity, the Hindi Wikiversity. As asked regarding his motivation to contribute to the Wikimedia movement, Swapnil says, "It is the realization that though there is abundance of knowledge around us, but it is yet untapped and not documented".
नवंबर माह के प्रथम अथवा द्वितीय सप्ताहांत में जयपुर में एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें वरिष्ठ प्रबंधकों व पुनरीक्षकों द्वारा विकिपीडिया के रखरखाव एवं प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जाएगी। इच्छुक सदस्य कृपया अपना नामांकन करें और संकेत करें कि क्या आप यात्रा एवं ठहरने हेतु सहायता की आवश्यकता है अथवा नहीं। कार्यशाला हेतु त्वरित अनुदान की अनुशंसा की जाएगी अतः रेल यात्रा का ही खर्च दिया जा सकता है। --अनामदास08:30, 17 सितंबर 2017 (UTC)
अधिक जानकारी एवं सम्मिलित होने के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला-जयपुर पृष्ठ पर जाए।[उत्तर दें]
Note this is to apply to Wikipedia and not necessarily other sister projects, this is only to apply to websites where people are specifically advertising that they will edit Wikipedia for pay and not any other personal, professional, or social media accounts a person may have.
सदस्य स्वप्निल करम्बेलकर जी का स्वतः परीक्षित स्तर हेतु नामांकन
सदस्य स्वप्निल करम्बेलकर जी का स्वतः परीक्षित स्तर हेतु नामांकन किया गया है। रखरखाव में संलग्न सभी सदस्यों से निवेदन है कि कृपया अपना मत यहाँ व्यक्त करें। --अनामदास02:33, 18 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
राजू जांगिड़ जयपुर कार्यशाला हेतु CIS से यात्रा अनुदान
जैसा कि आप सभी को पता ही होगा कि अनामदास जी ने यहीं पर एक प्रस्ताव रखा है कि जयपुर में एक विकिपीडिया तकनीकी कार्यशाला होनी है इसके लिए बड़ी ग्रांट के बजाय रैपिड ग्रांट ही ले पाएंगे क्योंकि समय बहुत कम है। इसलिये मैं भी इस जयपुर में होने वाले विकिपीडिया के वर्कशॉप में शामिल होना चाहता हूँ लेकिन अभी मैं पुणे, महाराष्ट्र में हूँ और यहाँ से जयपुर पहुँचने में रेल से तकरीबन 23-24 घंटे लग रहे है इसलिए मैं चाहता हूँ कि CIS से हवाई यात्रा के लिए अनुदान माँगू, तो आपकी क्या राय है कि मुझे इसके लिए CIS से अनुदान के लिये अनुरोध करना चाहिए या नहीं । आप मेरे योगदान यहाँ पर देख सकते है। --•●राजू जांगिड़ (चर्चा करें●•) 03:23, 19 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन- जयपुर कार्यशाला के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक सदस्यों का जुड़ना आवश्यक है। राजू जी के योगदान को देखते हुए यह स्वाभाविक लगता है कि वे अगले स्तर पर पहुँचें व प्रशिक्षण लेकर विकिपीडिया के रखरखाव और प्रबंधन में और उत्साह से योगदान करें। अतः इस अनुदान हेतु मेरा हृदय से समर्थन है। बाकी सदस्यों से भी निवेदन है कि अपना मत व्यक्त करें ताकि समुदाय की आमराय के हिसाब से अनुदानदाताओं को निर्णय लेना सुगम हो सके। --अनामदास17:09, 19 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन - अनुभवी सदस्यों का और अधिक प्रशिक्षण देना ही इस कार्यशाला का उद्देश्य है,पूर्व में भी CIS ने इस प्रकार से सदस्यों की सहायता की है जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र है, यह अनुदान निश्चित ही राजू जी की सहायता करेगा अतः पूर्ण समर्थन -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 05:42, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार:@संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: एवं और सभी सक्रिय सदस्यगण।इस स्थान पर मिले मार्गदर्शन अनुसार पुनर्विचार के लिये समुदाय के सम्मुख उपस्थित हूँ। पुनर्विचार अर्थात् मैंने जो विचार किया है, वो आप सभी के सम्मुख प्रस्थापित करता हूँ इस में यदि आपको लगे कि मुझे अभी भी पुनर्विचार की आवश्यकता है, तो स्वदोष का उन्मूलन करने के लिये सज्ज हूँ। सर्वप्रथम तो आप वार्ता:2017 अमरनाथ यात्रा हमला इस वार्ता पृष्ठ की चर्चा देखें, जिसमें पीयूषजी ने बिना तर्क दिये तार्किक रूप से सही लिख कर विवाद को जन्म दिया है। यदि हिन्दी विकिपीडिया में मैं हिन्दी शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकता, तो हिन्दी विकिपीडिया में सम्पादन का क्या लाभ? मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि हमला शब्द अनुचित है, परन्तु इससे आक्रमण शब्द अनुचित नहीं हो जाता। यदि मेरे लिये हमला शब्द अनुचित होता, तो मैं अन्य पृष्ठो के शीर्षक में प्रयुक्त उस शब्द के परिवर्तन का प्रयास करता। अतः मेरे व्यवहार से ही ये स्पष्ट है कि मैं उस शब्द का विरोधी नहीं हूँ। 90 प्रतिशत जनसमुदाय अमुक शब्द का उपयोग करते हैं, तो उनको जैसे अमुक शब्द प्रयोग करने का अधिकार है, वैसे ही 10 प्रतिशत लोग जो समानार्थी अन्य शब्द उपयोग करते हैं उनको भी होना चाहिए। उसमें अधिकतर लोग आज कल इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं, तो वो 10 प्रतिशत लोग भी वही शब्द उपयोग करें ये आदेश नहीं दिया जा सकता। यहाँ वही हुआ है। जैसे कोई भी समाचारवाहिनी, कार्यक्रम या साक्षात्कार आप देखें। वहाँ मेरे को, हमारे कोमैंने ये करा जैसे शब्दों का 80 प्रतिशत उपयोग होता है। यदि भविष्य में इन शब्दों का उचित रूप में स्वीकार कर लिया जाए, तो मुझे, हमें, मैंने किया इत्यादि शब्द अनुचित नहीं हो जाते। यद्यपि अधिकतर लोग 'मेरे को' बोल रहे हों, परन्तु जो 'मुझे' बोल रहे हैं उन्हें ये नहीं कहा जा सकता कि सब लोग 'मेरे को' बोलतें है, तो तुम वहीं करो। जब तर्क नहीं होते, तो स्वतन्त्र और मुक्त नीति की बात होती है। तर्क ये दिया जाता है कि, वो लेख तुमने बनाया, तो तुम्हारा नहीं हो जाता। उसे यहाँ कोई भी परिवर्तित कर सकता है। उसी तर्क के आधार पर जब मैं कहता हूँ कि 2013 सांबा-हीरानगर आतंकी हमला इस शीर्षक में परिवर्तन कर मैं आक्रमण शब्द जोड़ देना चाहता हूँ, तो वो विकि कार्यों में विघ्न उत्पन्न होने का कार्य हो जाता है। वार्ता:2017 अमरनाथ यात्रा हमला इस चर्चा के समय मेरे सम्मुख कुछ तथ्य आये। तो जैसे कहा गया कि ये तथ्य नहीं है, या ये होना चाहिये, वो सब मैंने अन्तर्भूत किया(जो उचित था, वो परिवर्तन किया)। जहाँ ये मार्गदर्शन मिला कि केवल भारतीय समाचार वाहिनीयों को आधार बनाकर नहीं लिखना चाहिये, तो मैंने अन्य देश के भी समाचारपत्रों का सन्दर्भ, जो उनके द्वारा संकेत दिया गया, उसके आधार पर ही निष्पक्ष लिखा। सब सन्दर्भ सहित लिखा था। फिर भी दुर्व्यवहार जो मेरे साथ हुआ, वो आपके सम्मुख है। मैंने वो सब अन्तर्भूत किया, जो मुझे कहा गया। फिर भी पक्षपात् हुआ तो मेरे साथ ही। एक पक्ष में कहा जाता है कि, चर्चा करो। चर्चा करने से समाधान अवश्य मिलेगा। वहीँ पक्षान्तर में बिना चर्चा के ही निर्णय कर देना या परिवर्तन कर देना, ये कितना उचित है? जो घटनाक्रम चला उससे ये स्पष्ट हो गया कि, हिन्दी विकिपीडिया पर हिन्दी शब्दों का उपयोग ही निषद्ध है। आप उन्हीं शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं, जो प्रबन्धक/कों ने पढ़ें है, या उनके द्वारा प्रयोग के योग्य हैं। न्यूनतया जिन शब्दों का प्रयोग होता है, वो वर्जित ही है। (केवल उसको घोषित नहीं किया गया है।) इस सार को प्राप्त कर मैंने हि.वि में अपना स्थान कहीं अनुभव नहीं किया। मैं हिन्दी लिखना चाहता हूँ। परन्तु हिन्दी शब्द यदि हि.वि पर "हिन्दी नहीं है", तो मेरा किया सम्पादन व्यर्थ ही होता है। प्रयोजनमनुद्दिश्य न मन्दोऽपि प्रवर्तते ॥ अर्थात् व्यर्थ कार्य तो मूर्ख भी नहीं करते हैं ऐसा मैंने सुना है। सन्दर्भ मेरा निवेदन है कि, मेरे त्याग के निर्णय पर विचार करने से कोई लाभ नहीं। अपि तु ऊपर जो तथ्य दिये हैं या मैंने जो तर्क उपस्थापित किया गया है, उसके सन्दर्भ में विचार किया जाए तो ही इस चर्चा का लाभ होगा। शब्द का उपयोग यदि नीति विरुद्ध है, तो मेरा मार्गदर्शन करें। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎03:33, 19 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
टिप्पणी
मैं आजकल व्यक्तिगत कारणों से विकिपीडिया के लिए समय नहीं निकाल पा रहा हूँ अतः अधिक विस्तार में न जाते हुए सभी की ओर से हुए किसी भी ऐसे व्यवहार के लिए, जिसे आपने दुर्व्यवहार की संज्ञा देना उचित समझा, आपसे क्षमा याचना करता हूँ और निवेदन करता हूँ कि कृपया अपना योगदान जारी रखें। मतभेद चलते रहते हैं मनभेद नहीं होना चाहिए। विस्तार में फिर कभी। अस्तु। --अनामदास17:16, 19 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कुछ नही, आप तो लिखना शुरू कर दीजिए। 'आक्रमण' ही लिखिए, 'हमला' नहीं। यही संविधानसम्मत भी है- संविधान ने घोषणा की है कि हिन्दी, संस्कृत और भारतीय भाषाओं से शब्द ग्रहण करेगी। 'आक्रमण' को सिंहल व्यक्ति भी समझ जाएगा, तमिल भी, मलयाली भी, काश्मीरी और नेपाली भी। 'हमला' का प्रयोग कर सकते हैं तो 'अटैक' क्या बुरा है? नुक्ता मत लागाइए। यही नीतिसम्मत है। 'ज़िला' नहीं, 'जिला' लिखिए। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:55, 19 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, संविधान सम्मत तो शायद अरबी अंको का हिंदी लिखते समय प्रयोग भी है। पर यहाँ इसे लागू नहीं कराया जा पाया। बहरहाल जो शब्द हिंदी ने पहले से ग्रहीत कर रखे हैं उन्हें हटा कर संस्कृत अथवा भारतीय भाषाओं से शब्द लाये जायेंगे यह घोषणा शायद संविधान नहीं करता। खिड़की को वातायन बना देने से संविधान कौन सी सेवा अथवा हिंदी भाषा का कौन सा उत्कर्ष हो जाएगा कृपया कभी इसपर भी प्रकाश डालियेगा परन्तु शायद यह बाद में उचित होगा, फिलहाल तो आपको राय इस बात पर देनी चाहिए कि ऐसे कारणों से दायित्व छोड़ना उचित है अथवा नहीं। @Anamdas: जी पता नहीं ग़ज़ल सुनते हैं या गजल। --SM7--बातचीत--18:41, 19 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, आपको शायद पता नहीं है कि संविधान ने तथाकथित 'हिन्दुस्तानी' को नहीं, 'हिन्दी' को राजभाषा घोषित किया है। दोनों में अन्तर भी जानते होंगे। संविधान ने 'आरबी अंकों' को मान्यता नहीं दी है, 'हिन्दू अंकों के अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप' को मान्यता दी है। पर मैं आपसे चर्चा करने से डरता हूं क्योंकि आप कभी-न-कभी ३६० डिग्री की पल्टी मार जाते हैं। 'भाषा की शुद्धता' के विरुद्ध कुछ भी लिख सकते हैं किन्तु हिन्दी में अरबी-फारसी शब्दों के अपने 'परमशुद्ध रूप में प्रयोग' (नुक्ता न छूटने पाये) के समर्थन में जिहाद करने के लिए सदा तैयार रहते हैं।03:19, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, 180 अंश पे दो दिशाओं में चलने का प्रयास वो लोग भी करते हैं जिन्होंने संस्कृताइजेशन को "हिंदी हित" और अपने को "स्वघोषित हिंदी हितैषी" मान रखा है। उदाहरणार्थ, जब हिंदी बोलने वालों की संख्या गिनाना हो और विश्व में किसी ख़ास पदानुक्रम पर हिंदी को प्रतिष्ठित कराना हो तो सारे यूपी-बिहार की भाषा उन्हें हिंदी दिखती है, तब वहाँ नहीं फ़रमाते कि लखनऊ-इलाहाबाद वाले "हिंदी" नहीं "हिन्दुस्तानी" बोलते या बलिया-छपरा-दरभंगा वाले "बिहारी" बोलते। तब बड़े-बड़े भाषाई (ग़ैर-धारदार) हथियार लेकर साबित करने में जुट जाते कि यह हिंदी ही है। वहीं जब विकिपीडिया जैसी आम जगह पर लखनऊ वाला हिंदी लिखता है तो तुरंत 180 अंश की पलटी मार के उसकी भाषा में अरबी-फ़ारसी खोज लिया जाया करता है और उससे आग्रह किया जाता है कि "हिंदी" लिखिए जनाब "हिन्दुस्तानी" नहीं। इस दुतारफेपन की ओर आपका ध्यान नहीं जाता? संख्या का ही अनुमान बता दीजियेगा कि कितने लोग "हिन्दुस्तानी" बोलते-लिखते हैं और कितने संविधान सम्मत उस भाषा को जो हिन्दुस्तानी नहीं है। 'परमशुद्ध रूप में प्रयोग' कहाँ हो पाता सर जी, देवनागरी लिपि में अरबी के चार किसिम के ज लिखने की गुंजाइस कहाँ है? हम तो नुकता लगा के काम चलाने की कोसिस करते हैं जो भी भारी लगता (आप जैसों को) जबकि बहुत कुछ संस्कृत वाला फूलमाला प्रतीत होता। --SM7--बातचीत--06:26, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, 'भाषा' ऐसे ही परिभाषित होती है। 'आम' नाम वाले फल को ही ले लीजिए। १० ग्राम भार वाला आम भी मिल सकता है, २ किलो वाला भी। आम का वृक्ष १ मीटर ऊँचा भी हो सकता है और ५० मीटर ऊँचा भी। एक आम वह भी होता है जिसका स्वाद इमली से कम खट्टा नहीं होता (कच्चे में) और दूसरा वह भी होता है जो सेब जैसा मीठा। कच्चे आम प्रायः हरे रंग के होते हैं किन्तु 'सिन्दूरी आम' सिन्दूरी रंग का होता है। सभी आम ही हैं। कोई भाषा नहीं है जिसका रूप पूरे 'क्षेत्र' में एक ही हो। अंग्रेजी के कितने रूप हैं आपको पता होगा। हिन्दी भी भिन्न-भिन्न होते हुए 'एक' है। आप इलाहाबाद की बात करते हैं, इलाहाबाद और बनारस के ही लोगों ने हिन्दी का आन्दोलन चलाया और हिन्दी के विकास के प्रतिमान स्थापित किए।अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:59, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, यदि सभी आम हैं, दूसरे किसी फल से तुलना करते वक़्त जब सभी को आम कहते हैं, तो खुद खाने के समय कलमी और बीजू में विभेद क्यों करते हैं। इस विविधता पर रंदा मार के सब सपाट कर देना किसी प्रकार की मजबूरी हो यह भी अनुचित है परन्तु इस विवशता के बहाने किसी ख़ास क़िस्म को ही शुद्ध मानना और उसे बढ़ावा देना "हिंदी हित" कहलाये यह कैसे न्यायसंगत ठहराया जा सकता? इलाहाबाद-बनारस के हिंदी हेतु योगदान से भी काफ़ी सीमा तक परिचित हूँ (पढ़ा है) और इनके आपसी अंतर्विरोधों से भी। आपने नीचे एक टिप्पणी में लिखा है "पिछले पन्द्रह-बीस वर्षों से भारत में एक अघोषित अभियान चला"। क्षमा चाहता हूँ - यह पंद्रह-बीस साल पुराना नहीं है, न ही अघोषित ही। अघोषित अभियान वह था/है जो लगभग स्वतन्त्रतापूर्व से हिंदी में चल रहा इसके शुद्धीकरण का - हाँ इस शुद्धीकरण के ख़िलाफ़ लोगों ने "जिहाद" (आपके ही शब्दों में ही, वैसे इसे बग़ावत कहें तो अधिक समीचीन हो) अवश्य किया। अफ़सोस कि उर्दू में मतरूक़ात के विरुद्ध यह भी नहीं हो पाया। कम से कम उतना नहीं जितना हिंदी में हुआ। "छद्मवेशधारी माफियागिरी" की पहचान के मामले शायद आपको मेरे विचार 180 अंश पे लगें, पर घुट्टी हमें हिंदी की शुरूआत से यह पिलाई गई है कि जो संस्कृतनिष्ठ है वही शुद्ध है या अच्छी हिंदी है। यह घुट्टी पिए हुओं को "हिंदी हित" कुछ और ही दीखता। यदि वास्तव में आपको हिन्दुस्तानी भी आम दिखती है और मानक हिंदी भी, तो जब केवल "हिंदी" कहा जाता है तो उसे आम की तरह क्यों नहीं लेते हैं उसमें से हिन्दुस्तानी वाले आम छाँटने क्यों लगते हैं? --SM7--बातचीत--15:43, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, 'देशी आम' और 'विदेशी आम' में अन्तर करना बहुत आवश्यक है। हिन्दी आन्दोलन का यही तर्क था कि उर्दू-फारसी के शब्द और उनकी लिपि हमारे क्षेत्र के लिए असहज, अप्राकृतिक, विदेशी हैं। ये दासता के परिणाम भी हैं, साधन भी। यह काम केवल भारत में हुआ हो, ऐसा भी नहीं। कई देशों में हुआ है। तुर्की जैसे मुसलमान-बहुल देश ने 'विदेशी लिपि' का ही त्याग नहीं किया, 'विदेशी शब्दों' के अप्रयोग का विधान बनाकर अपनी 'तुर्क संस्कृति' की रक्षा की। जबकि भारत में कुछ लोग 'हाय फारसी, हाय नुक्ता' कह-कह-कर छाती पीटे जा रहे हैं। प्रचलित शब्दों' का हिन्दी में उपयोग होना चाहिए', इसकी बखिया स्वप्निल जी ने नीचे उधेड़ी है, उसे भी देख लीजिएगा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 03:36, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, 'हिन्दुस्तानी आम' की दुकान गांधीजी ने खोली थी, एक समुदायविशेष को तुष्ट करने के लिए। (वैसे ही जैसे खिलाफत से भारत का कोई सीधा सम्बन्ध न होते हुए भी खिलाफत आन्दोलन चलाया था।) अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:33, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: अभी यह बिक रहा है कि नहीं यूपी बिहार में? कि यूपी बिहार वाले विदेशी भाषा बोलते हैं? और गांधीजी ने खोली थी, यह तथ्य सुधार लें, हिन्दुस्तानी उस मानक हिंदी का पूर्वरूप है जिसकी दूकान कुछ लोग संस्कृति रक्षा के नाम पे चलाना चाहते। --SM7--बातचीत--05:48, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, नहीं बिक रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार वाले जो भाषा बोलते हैं वह विदेशी नहीं है, लेकिन उसे विदेशी बनाने के बहुत से उपक्रम चले थे और अब भी गुप्त रूप से चलाये जा रहे हैं।अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:52, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, कहाँ मान लिया कि देसी ही है, किसको मान लिया? मेरे किस वाक्य से आपने यह समझ लिया? अब दूसरी बात पर। भोजपुरी क्षेत्र में टैक्सोनॉमी का प्रचलन है या वर्ग/श्रेणी का?
┌───────────────────────────────────────────┘ @अनुनाद सिंह: जी, ऊपर आपने लिखा है - उत्तर प्रदेश और बिहार वाले जो भाषा बोलते हैं वह विदेशी नहीं है तो यह प्रतीत हुआ कि आपने स्वीकारा कि "हिन्दुस्तानी भाषा" विदेशी नहीं देसी ही है। क्योंकि यहाँ तो अंगूर ही बेचते ख़रीदते खाते हैं। भोजपुरी वाला उदाहरण आप प्रश्न के उत्तर के रूप में ढूँढ के लाये हैं तो "टैक्सोनॉमी" कोई प्रचलित शब्द नहीं है, न ही इसका भोजपुरी अनुवाद मौजूद है, वर्ग और श्रेणी भी आम प्रचलित शब्द नहीं - कलास या कटेगरी जरूर चलन में हैं पुराने लोगों में दर्जा भी, पर इनमें से कोई टैक्सोनॉमी का समानार्थी नहीं इसलिए मूल अंगरेजी ही लिखा है, आपको कोई भोजपुरी शब्द पता हो तो सुझाएँ। आगे स्पष्ट पता चले मुझे इसके लिए साफ़-साफ़ बता भी दें कि "हिन्दुस्तानी भाषा" (जिसका नाम आपने ऊपर लिया कि "हिन्दी", "हिन्दुस्तानी" नहीं) देसी है या विदेशी। वैसे आपने लिखा है "देशी आम" और "विदेशी आम" में अन्तर करना बहुत आवश्यक है, साथ ही विदेशी शब्दों के अप्रयोग का विधान बनाकर संस्कृति रक्षा की बात भी कही है। अमरुद और आलू खाते हैं या संस्कृति अभी बचा रखी है? अमरुद हमारे यहाँ का बहुत प्रसिद्ध है, "सफेदा" और "सुरखा" नाम से। इन्हें क्या "श्वेतक" और "आलक्तक" लिखने से इनका संस्कार हो जाएगा?--SM7--बातचीत--18:36, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, द्राक्ष का उपयोग बहुत देखा है। 'द्राक्षासव' का नाम बचपन में ही सुन लिया था। मुझे कोई सन्देह नहीं कि द्राक्ष शब्द से हिन्दी क्षेत्र सुपरिचित है। हाँ, सामान्य प्रचलन में 'अंगूर' ही है। किन्तु यह चर्चा आपके इसी धारणा के सुधार के लिए किया जा रहा है कि 'प्रचलित शब्दों' का ही उपयोग किया जाना चाहिए। स्वप्निल जी ने नीचे यही कहा है। बाजार में लोग अंगूर भी नहीं, 'ग्रेप्स' बोल रहे हैं, अपने एक वर्ष के बच्चे को 'ग्रेप्स-ग्रेप्स' ही रटा रहे हैं- तो क्या 'हिन्दी विकि' पर ग्रेप्स ही लिखा जाय? बिलकुल नहीं। भाषा 'बहती' कम है, 'बहायी जाती' अधिक है। यहूदियों ने तो अपने संकल्प से हिब्रू की सूखी नदी को 'सुजला' कर दिया। (बुरा मत मानिएगा, यहूदियों का नाम लेना पड़ा) भारत के कामरेडों ने भारतीयता की जड़ों को धीरे-धीरे काटने के लिए 'भाषा बहता नीर' का अप्रासंगिक गलत भाष्य दिया और उसी गलत भाष्य का दुष्प्रचार किया। (याद कीजिए, 'भारत की बार्बादी तक, जंग रहेगी.....) । 'टैक्सोनामी' शब्द भोजपुरी क्षेत्र के लिए विदेशी ही नहीं, अप्रचलित ही नहीं, अपरिचित भी है। यह बताइए कि भोजपुरी को देवनागरी लिपि में क्यों लिख रहे हैं? (कहीं कोई नियम है क्या?)। भोजपुरी को कोई नया पारिभाषिक शब्द रचना हो तो वह संस्कृत पर आधारित क्यों नहीं होना चाहिए? मैने सिंहल की पारिभाषिक शब्दावली देखी है। उसे देखकर ऐसा लगता है कि हिन्दी की सारी संस्कृतनिष्ठ शब्दावली साधिकार ले ली गयी हो। भोजपुरी क्षेत्र तो संस्कृत का केन्द्र रहा है, आज भी पूरा वातावरण संस्कृतमय है। भोजपुरी पर आपके 'भाषायी व्यवहार' से सम्बन्धित मेरे पास बहुत से प्रश्न हैं किन्तु विषयान्तर नहीं करना चाहता।अनुनाद सिंह (वार्ता) 02:46, 22 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, भोजपुरी अथवा विषयांतर के लिए मेरा वार्ता पन्ना खुला हुआ है और आपके प्रश्नों का सदैव स्वागत रहेगा। मेरे द्वारा द्राक्षासव नाम सुनने और इसका अर्थ समझने के बीच काफ़ी लंबा समयांतराल था। सुनने समझने बोलने में अंगूर ही रहा। प्रचलन द्राक्षा और ग्रेप्स के बीच में ही है - अंगूर का। हिंदी विकिपीडिया पर अंगूर की जगह कोई "ग्रेप्स" लिखे तो मैं अवश्य उसे टोकूंगा और उसकी जगह अंगूर लिखने को कहूँगा, परन्तु इसका कारण यह नहीं होगा कि ग्रेप्स विदेशी है अथवा इससे संस्कृति ख़तरे में पड़ रही बल्कि यही कारण दूँगा कि "ग्रेप्स" प्रचलन में नहीं है। प्रचलन "हो रहा है" और "है" में अंतर है। अगले बीस-तीस सालों में "अंगूर" की जगह लोग "ग्रेप्स" ही अधिक प्रयोग करने लगें तो प्रचलन उसी का कहलायेगा। तब विकिपीडिया पर कोई ग्रेप्स लिखे तो बिलकुल उचित भी होगा। बीच में एक ऐसा भी दौर हो सकता जिस समय दोनों में किसका प्रचलन अधिक है तय करना मुश्किल हो, उस समय आपको दोनों के प्रयोग की छूट देनी पड़ेगी। अभी जब इस तरह की चीजें प्रचलन में आ रही हैं आप यहाँ भी उनका विरोध कर सकते और यह उचित होगा, पर यह विरोध इसलिए हो कि वो शब्द विदेशी है, यह कारण उचित नहीं है। विदेशी होने के कारण उसका विरोध करने के लिए हमें अलग मंचों का सहारा लेना होगा क्योंकि विकिपीडिया किसी चीज को प्रचारित करने का मंच नहीं है। हम साधन के रूप में इसे इस्तेमाल नहीं करते। मुझे किसी के संकल्प पर ऐतराज नहीं कि वह "द्राक्षा" प्रचलित कराना चाह रहा, विकिपीडिया को इसका साधन बनाने पर ऐतराज है। आप यहूदियों की तरह संकल्प कर लीजिये कि अंगूर की जगह द्राक्षा और खिड़की की जगह वातायन प्रचलित करा के मानेंगे, मुझे कोई आपत्ति नहीं, परन्तु जब यह प्रचलन में आ जाय तब विकिपीडिया पे लिखें। अपने संकल्प को पूरा करने का माध्यम इसे न बनायें। दूसरी बात, देसी और विदेशी में अंतर करना और संस्कृति रक्षा की बात करना - ऊपर मेरे किये प्रश्नों का आपने उत्तर नहीं दिया देसी और विदेशी में आप किस प्रकार अंतर करते हैं और किसे-किसे संस्कृति का हिस्सा मानते हैं - परन्तु इस तरह की कोई नीयत बाँध के विकिपीडिया पर संपादन करना बिलकुल भी उचित नहीं है। यह इस तरह के शुद्धीकरण अभियान का भी स्थल नहीं है। इसके लिए आप किसी और मंच का सहारा ले सकते हैं। आपने कहा - भाषा 'बहती' कम है, 'बहायी जाती' अधिक है - मुझे नहीं पता किस आधार पर कह रहे हैं। लेकिन हम यहाँ जो बह रही है उसी के हिसाब से लिखने आये हैं, क्या बहायी जानी चाहिए के अनुसार नहीं। किसी को, किसी कारण वश, बहायी जानी चाहिए के अनुसार लिखना है तो यह अनुचित है। --SM7--बातचीत--12:36, 22 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, यही तो मैं भी कह रहा हूँ कि नीयत बाँध के विकिपीडिया पर नहीं लिखना चाहिए। हिन्दी विकि पर खोज-खोजकर नुक्ता लगाना और फारसीकरण करना क्या विकि-नीति है? अपने घर में ही शब्द उपलब्ध है, उसका उपयोग न करना और 'टैक्सोनॉमी' को सात समुन्दर पार से माँग कर लाना और उपयोग करना भी विकिनीति नहीं है। विकि हिन्दी के अशुद्धीकरण (विकृतिकरण) का स्थल भी तो नहीं है। 'भाषा बहायी जाती है' - मुझे पूरा विश्वास है कि आप इसका अर्थ और आधार जानते हैं। आप कह रहे हैं कि कल 'ग्रेप्स' अधिक प्रचलित हो जायेगा तो आप 'ग्रेप्स' ही लिखेंगे- तो आज ही लिख दीजिए, मैं कहता हूँ कि अंगूर से बहुत अधिक 'ग्रेप्स' खाये जा रहे हैं। नुक्ता लगाकर 'वक़्त' मत लीखिये, 'टाइम' लिखिये क्योंकि अंगूठा-छाप से लेकर पीएचडी तक सब 'टाइम' ही बोल रहे हैं। अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:44, 22 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, आज ही नहीं लिख सकता - अंगूर से बहुत अधिक 'ग्रेप्स' खाये जा रहे हों उस बुरे(?) वक़्त के आने में अभी टाइम है। और भविष्य कौन जानता है, हो सकता है ऐसा समय कभी आये ही नहीं। कदाचित आया तो आपको "मैं कहता हूँ..." का उद्घोष नहीं करना पड़ेगा। मैं भी कह रहा हूँ कि नीयत बाँध के विकिपीडिया पर नहीं लिखना चाहिए - देसी-विदेशी में अंतर करके लिखना आप बिना नीयत बाँधे कर लेते हैं? "हिन्दुस्तानी" नहीं बल्कि "हिन्दी" लिखने का आग्रह करना नीयत बँधवाना नहीं है? अंगूर को द्राक्षा में बदलना और कहना कि यह शुद्ध है, बिना नीयत बाँधे हो रहा है? कल को कोई नहर नामक पन्ना कुल्या पर स्थानान्तरित कर देगा और कह देगा कि खुद से बह गयी?--SM7--बातचीत--16:52, 22 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
वैसे भी मैं कुछ समय से अधिक सक्रिय नहीं हूँ और इसका कारण भी यहीं है।हिन्दी विकिपीडिया में ही हिन्दी के हितों की रक्षा के लिए हमें लड़ना पड़ रहा है।
हिन्दी विकिपीडिया में देवनागरी के बदले कुछ प्रबंधकों के द्वारा अरबी अंको को लागू करने का प्रयत्न करना।
अंग्रेज़ी भाषा में अनुप्रेषण को शीह नामांकन करने के बाद प्रबंधक अंग्रेजी शीर्षक को हटाने के बदले नामांकन ही हटा देते हैं। अनुरोध करने पर भी नहीं हटाते और अपनी मनमानी करके हिन्दी विकिपीडिया में अंग्रेज़ी भाषा शीर्षक के अनुप्रेषित करने की प्रथा को अनुमोदन दे रहे हैं।
अब तो प्रबंधको ने शब्दों के चयन की स्वतंत्रता को छीनकर अपनी मनमानी करना आरंभ कर दिया। वातायन का खिड़की कर दिया और आक्रमण का हमला।
उन्होंने अपने ढ़ेर सारे नियम बना रखे हैं और जाड़ते रहते हैं। मनमानी चलाते हैं। किसी नए प्रबंधक, पुनरीक्षक का नामांकन होता है तो हमारे प्रबंधक उन्हें मदद करने के बदले विरोध करते हैं। ताकि उनकी ही मनमानी चलती रहे?
आशीष जी एक हिन्दी हित रक्षक प्रबंधक दिखे थे लेकिन उनके बनाये लेखों को निर्वाचित बनाने की समीक्षा में भी इन्होंने भाग नहीं लिया और एक भी लेख निर्वाचित नहीं हो पाया। आशीष जी को बदनाम करने के, उनको साइड में करने के प्रयास भी किये गए।
और भी बहुत से कारण हैं। जो समस्या जय जी के साथ हुई थी मेरे साथ भी हुई है और उनके लिए भी यहीं प्रबंधक जिम्मेदार है। इसलिए अब यहाँ काम करने का मन ही नहीं होता।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:41, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आर्यावर्त जी, आपने अपने विचार लिख दिये, अच्छा किया। लेकिन हिन्दी विकि का त्याग मत कीजिए, इसमें हिन्दी का या हिन्दी विकि का क्या दोष है? हमे दुष्प्रचार को समझना होगा, उसके प्रतिकार का मार्ग निकालना होगा। पिछले पन्द्रह-बीस वर्षों से भारत में एक अघोषित अभियान चला। 'संस्कृताइज्ड हिन्दी' के विरुद्ध, 'गंगा-जमुनी संस्कृति' को मजबूत करने के लिए (या तुष्टीकरण के लिए?), 'भाषा बहता नीर' की घुटी पिलायी गयी। इसके पीछे एक छद्मवेषधारी माफिया काम कर रहा था। बहुत से सीधे-सादे किन्तु नकलची और पिछलग्गू प्रकृति के लोग इसके शिकार हुए। कुछ नहीं समझ आये तो कह दीजिए कि 'हिन्दी का सरलीकरण' होना चाहिए नहीं तो हिन्दी का विकास नहीं होगा। संस्कृत कठिन थी इसलिए भारत से समाप्त हो गयी? अरे ये तो बताओ कि लैटिन और हजारों अन्य भाषाएँ क्यों और कैसे समाप्त हो गयीं? आजकल पालि क्यों नहीं बोली जाती? कहते हैं कि वह 'आम जन' की भाषा थी।अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:59, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, कुछ समय से में कम सक्रिय हूँ और इसका कारण भी यह संघर्ष ही है। अभी तो मैं वि:हिन्दी दिवसा के कार्य को सम्पन्न करने के लिए कटिबद्ध हूँ। इस चर्चा के बाद भी यदी समस्या का समाधान नहीं मिलता है तो या तो इस स्थान को छोडना ठीक रहेगा या तो लड़ना पड़ेगा। अभी हम विकिपीडिया पर हिन्दी माह मना रहे हैं और आप हिन्दी विकि में ही हिन्दी के हाल देख रहे हैं। आप को अपने लिए नहीं तो हिन्दी के हितो की रक्षा के लिए भी प्रबन्धक होना चाहिए था। आप ही हमारी उम्मीद हैं। वर्तमान स्थिति में हिन्दी विकिपीडिया में हिन्दी असुरक्षित है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 10:08, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
प्रश्न
@NehalDaveND: जी, पहली बार आपने "व्यक्तिगत कारणों" से यह दायित्व छोड़ने हेतु लिखा। पुनर्विचार करने पर उपरोक्त कारण बता रहे हैं। उपरोक्त में से कौन सा कारण आपके पुनरीक्षण दायित्व के निर्वाह में बाधक बन रहा? क्या यह दायित्व आपको इसलिए दिया गया था कि क्षुब्ध होने पर आप इसे वापस करने की घोषणा कर सकें?--SM7--बातचीत--18:19, 19 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स्वान्तः सुखाय के लिये मैं विकिपीडिया पर कार्य करता हूँ। ये मेरा व्यक्तिगत सुख है। ये सुख न मिलने से मेरा सम्पादन कार्य या यहाँ कार्य करना अन्य दायित्व पर सम्भव नहीं है। व्यर्थ ही है। क्योंकि जो कार्य किया जाता है मेरे द्वारा उसे हिन्दी माना नहीं जाता। उसे अन्यथा ही देखा जाता है। एक कथा सुनी थी। कुत्तों और बकरीओं की। नदी पर बने सेतु पर कुत्ते कलह कर जलमग्न होते हैं और उससे विपरीत बकरीयाँ परस्पर सहमती प्रदान करती हैं। भाषा रूपी बकरी को कोई विपत्ति नहीं कि, आक्रमण शब्द उपयोग हो या हमला। उनके लिये तो दोनों शब्द अपने हैं। परन्तु उन भाषा के उपयोग करने वाले केवल अपने रङ्ग के अनुकूल भाषा के उपयोग पर ही जिहाद कर देते हैं। जब तक निष्पक्ष हैं, तब तक ही आप बहुत चतुर हैं। परन्तु जब व्यक्ति के शब्दों में लक्षणा को जानकर भी अभिधा के लिये प्रश्न करते हैं, तो वो पक्षधरता प्रत्यक्ष होती है। प्रतिप्रश्न पुछने के लिये क्षमा चाहता हूँ। आप स्वयं अपना मत देवें कि ...
क्या एक ही शब्द के उपयोग के लिये किसी को विवश करना उचित है?
मुझे कहा गया कि, भारतीय समाचार क्षेत्र के ही मत में वो आतंकवादी हैं, अन्यों के लिये वो आक्रमणकारी हैं। मैंने उन्हीं के सन्दर्भ में से उनको दर्पण दिखाया कि वें आतंकवादी ही हैं। वैसे ही खिड़की का वातायन हुआ। अन्य के कृत्य से ही ये उदाहरण मिला है। आपने वो लेख (खिड़की) बना दिया था, तो मेरा उसमें अन्यथा करना अनुचित प्रतीत होता है। क्योंकि यदि बकरी (भाषा) के परिप्रक्ष्य में देखा जाए, तो दोनों उचित हैं। वैसे ही जब आक्रमण शब्द मैंने उपयोग किया। फिर उसे बकरी के विपरीत परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो मैं क्या करूं? मैं कह रहा हूँ कि जिसे हमला उपयोग करना है, हमला वाले आक्रमण का विरोध न करें और आक्रमण वाले हमला शब्द का। इस में क्या आगे ऐसा नहीं होगा ये आप कह सकते हैं?
आगे बात चली कि अंक भारतीय संविधान ने लिया है नहीं लिया है इत्यादि। समाधान सर्वदा ऐसा होता है कि दोनों को त्याग करना पड़े। यदि कोई एक पक्ष अपने शत प्रतिशत उचित मानता है, तो वो अन्य पक्ष के लिये अन्याय करता है। समाधान अत्यन्त सरल है। निवेश में अरबी अंक उचित है (क्योंकि सभी साँचे अनुकूल होते हैं) उसके लिये अनेक लोग सहमत हैं और दर्शन में देवनागरी अंक हो इस के लिये भी सहमति होगी। समस्या को कठोर करने से मतभेद मनभेद में परिवर्तित हो ही जाता है। तो क्या ऐसा करने में आप कोई प्राथमिक चर्चारंभ करेंगें?
आपने जिस प्रकार मुझे प्रश्न किया, क्या बिना चर्चा के निर्यण घोषित करने वाले पीयूषजी के लिये आपके मन में कोई प्रश्न नहीं हुआ? क्योंकि निष्पक्ष जनों को एक पक्ष पर ही विचार करना नहीं होता। तो क्या आपके पास ये करने के लिये समय होगा?
@NehalDaveND: जी, उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर अवश्य देता अगर आपने इन्हें चर्चा का विषय बनाया होता। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया बल्कि पहले दायित्व छोड़ने की सूचना देकर ध्यानाकर्षण जरूरी समझा (जितना आपकी कार्यशैली से प्रकट हो रहा है)। और चाह रहे हैं कि इस बहाने आप उन मुद्दों पर अपना पक्ष प्रस्तुत करें। मेरा प्रश्न यथावत है और नितांत अभिधा में है, दायित्व का इस तरह का प्रयोग आप कैसे कर सकते हैं?--SM7--बातचीत--15:35, 20 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उपरोक्त तर्क जिसमे "प्रचलित शब्द " होने की बात कही गई है.
मेरा प्रश्न१: क्या किसी अंग्रेजी दैनिक पत्र के शीर्षक में कोई हिंदी का शब्द प्रकाशित किया जा सकता है? फिर यह खिचड़ी भाषा हिंदी में ही क्यों? अधिकतर पत्रों की भाषा प्रदूषित हो चुकी है.अतः संदर्भो के लिए उनके "प्रचलित " शब्दों को लेना कहा तक उचित?
मेरा प्रश्न२ :जब हिंदी में शब्द उपलब्ध हो तो अन्य भाषा के शब्दों का प्रयोग क्यों? "प्रचलन में है " तर्क सही नहीं क्योकि हम (विकिपीडिया/ऑनलाइन साहित्य ही )भविष्य में तय करेंगे की क्या प्रचलन में रहेगा। रेलगाड़ी अथवा ट्रैन का प्रयोग उचित चूँकि इसके लिए हिंदी में कभी शब्द रहा ही नहीं ,परन्तु जो शब्द हिंदी के है उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए नहीं तो वे भी "प्रचलन " से बाहर हो जायेंगे। जैसे अंग्रेजी में wanna शब्द "प्रचलन" में है परन्तु विश्वकोश में प्रयोग के लिए उपयुक्त नहीं।
@SM7:मूल विषय (या उसका सार) यह था कि कुछ लोग नेहल जी को हिन्दी शब्दों का प्रयोग करने से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वे आपने दायित्व का निर्वाह करने में असमर्थ सिद्ध हो रहे हैं। इसलिए चर्चा सही चल रही है। नेहल जी ने जो प्रश्न किए हैं उसी के उत्तर में इस मामले का हल छिपा हो सकता है।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:49, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
क्षमा चाहता हूँ, पर मुसे परिस्थित 180 डिग्री पे दिख रही। एक विवाद पे अपना पक्ष रखने के लिए ध्यानाकर्षण के उपकरण के रूप में एक दायित्व का उपयोग किया जा रहा है। --SM7--बातचीत--05:42, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
एस.एम.7 जी आपके कहने पर मैं इस विवाद को समाप्त कर क्षमा चाहता हूँ। इस आशा में कि आप मेरे प्रश्नों का उत्तर देंगे। अन्यत्र नये अनुभाग में आप से प्रश्न करता हूँ। आशा ये है कि आप वहाँ उत्तर न देने का कोई अन्य कारण प्रस्तुत करेंगे। परन्तु वास्तविकता और आशा के मध्य का अन्तर भी जानना आवश्यक है। ॐNehalDaveND•✉•✎03:02, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मेरे कहने पर कुछ न करें महोदय! कृपया इतना बड़ा बोझ मुझ पर न लादें। आपने अपने व्यक्तिगात निर्णय में स्वयं को अनिर्णय की स्थिति में पाकर यहाँ चर्चा आरंभ की है। और यह चौपाल है, मेरे लिए प्रश्न यहाँ अनुभाग बना के न लिखें। और समाप्त क्या कर रहे हैं? आप निर्णय पर पहुँच गए?--SM7--बातचीत--04:31, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
The Reading Infrastructure team at the Wikimedia Foundation is developing a cross-platform reading list service for the mobile Wikipedia app. Reading lists are like bookmark folders in your web browser. They allow readers using the Wikipedia app to bookmark pages into folders to read later. This includes reading offline. Reading lists do not create or alter content in any way.
To create Reading Lists, app users will register an account and marked pages will be tied to that account. Reading List account preferences sync between devices. You can read the same pages on different mobile platforms (tablets, phones). This is the first time we are syncing preference data between devices in such a way. We want to hear and address concerns about privacy and data security. We also want to explain why the current watchlist system is not being adapted for this purpose.
विकीमीडिया फाउंडेशन की 'रीडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर टीम' ,'मोबाइल विकिपीडिया एप' के लिए 'क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म रीडिंग लिस्ट सर्विस' का विकास कर रही है। पठन सूचियां आपके 'वेब ब्राउज़र में 'बुकमार्क' फ़ोल्डर की तरह हैं वे पाठकों को ,बाद में पढ़ने के लिए ,पृष्ठों को फ़ोल्डर्स में बुकमार्क करने के लिए, विकिपीडिया ऐप का उपयोग करने की अनुमति देते हैं। इसमें ऑफ़लाइन पढ़ना शामिल हैं,पठन सूचियां किसी भी तरह से सामग्री को बनाती या बदल नहीं पाती हैं। पठन सूचियां बनाने के लिए, ऐप उपयोगकर्ता एक खाते को पंजीकृत करेंगे और चिह्नित पृष्ठ उन खातों से जुड़ेंगे।अनेक मोबाइल डिवाइस के बीच पठन सूची की प्राथमिकताओं के अनुसार आप विभिन्न मोबाइल प्लेटफॉर्म (टेबलेट, फोन) पर एक ही पृष्ठ पढ़ सकते हैं। यह पहली बार है कि हम डिवाइस के बीच डेटा को वरीयता अनुसार इस तरह से सिंक कर रहे हैं। हम गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के बारे में चिंताओं को समझना और समाधान करना चाहते हैं हम यह भी बताना चाहते हैं कि वर्तमान उद्देश्य सूची प्रणाली को इस उद्देश्य के लिए क्यों अपनाया नहीं जा रहा है।-अनुवाद/translation- स्वप्निल करंबेलकर (वार्ता) 12:06, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
पृष्ठभूमि
In 2016 the Android team replaced the simple Saved Pages feature with Reading Lists. Reading Lists allow users to bookmark pages into folders and for reading offline. The intent of this feature was to allow "syncing" of these lists for users with many devices. Due to overlap with the Gather feature and related community concerns, this part was put on hold.
The Android team has identified this lack of synching as a major area of complaint from users. They expect lists to sync. The iOS team has held off implementing Reading Lists, as syncing was seen as a "must have" for this feature. A recent technical RfC has allowed these user stories and needs to be unblocked. Initially for Android, then iOS, and with web to potentially follow.
Reading lists are private, stored as part of a user's account, not as a public wiki page. There is no sharing or publishing ability for reading lists. No planned work to make these public. The target audience are people that read Wikipedia and want to bookmark and organize that content in the app. There is a potential for the feature to be available on the web in the future.
Why not watchlists
Watchlists offer similar functionality to Reading Lists. The Reading Infrastructure team evaluated watchlist infrastructure before exploring other options. In general, the needs of watchlists differ from Reading Lists in a few key ways:
Reading lists focus on Reading articles, not the monitoring of changes.
Watchlists are focused on monitoring changes of pages/revisions.
The Watchlist infrastructure is key to our contributor community for monitoring content changes manually and through the use of automated tools (bots). Because of these needs, expanding the scope of Watchlists to reading purposes will only make the project harder to maintain and add more constraints.
By keeping the projects separate it is easier to scale resources. We can serve these two different audiences and prioritize the work accordingly. Reading Lists are, by their nature, less critical to the health of Wikipedia/MediaWiki.
Multi-project support. Reading Lists are by design cross-wiki/project. Watchlists are tied to specific wikis. While there have been many discussion for making them cross-wiki, resolution is not in the near term.
क्या एक ही शब्द के उपयोग के लिये किसी को विवश किया जा सकता है?
खिड़की का वातायन करना अनुचित है, तो आक्रमण का हमला करना क्यों अनुचित नहीं है?
अंक का जो विवाद है, उस में निवेश में अरबी अंक और परिणाम में भारतीय अंक हो तो क्या आप उस समस्या का समाधान करने के लिये तत्पर हैं?
बिना चर्चा के "तार्किक रूप से सही" कहने वाले पीयूषजी से आप प्रश्न करेंगे कि क्या तर्क है, जो उस निर्णय पर बिना चर्चा के भी सही है?
इस सम्पादन में जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, उसके लिये आप क्या कार्यवाही करेंगें?
मैंने ये अनुभव किया है। जब तर्क समाप्त हो जाते हैं, तो ऐसे कारण देकर उसे टाला जाता है, जो वास्तव में एक व्यक्ति नहीं करता है। आप से इन प्रश्नों पर वैसे ही स्पष्ट उत्तर की अपेक्षा है, जैसी भाषा में आप अन्यों से प्रश्न पूछते हैं। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎03:13, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
ये संपादन अपने आप में एक आक्रमण है। इस प्रकार हिन्दी की, हिन्दी के शब्दों की दुर्दशा देखकर कोई भी हिन्दीप्रेमी योगदान देना नहीं चाहेगा। ये तो अब सीधे सीधे ही लेख बनाने वालें के साथ अतिक्रमण हो रहा है। न केवल आक्रमण का हमला, परन्तु का लेकिन, देवनागरी अंको के अरबी कर दिए। सभी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्दों को बदल दिया गया। ये तो अब बहुत बड़ी समस्या हो गई है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 17:12, 21 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
पिछले बहुत दिनों से सक्रिय नहीं रह पाने के कारण मैं इस चर्चा से अलग चल रह आथा, किन्तु अभी इस चर्चा पर कुछ उड़ती दृष्टि डाली। इस सन्दर्भ में ये लिखना चाहूंगा कि एक शब्द होता है हमलावर, जिसका अर्थ है हमला करने वाला। अब यहां वर प्रत्यय का प्रयोग किया गया है जो कि उर्दु (संभवतः फारसी मूल) से आया है। हिन्दी में आक्रमणकारी शब्द होता है। इस को ध्यान में रखते हुए हम शायद इस निष्कर्ष पर पहुंच पायें कि हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।
एक शायद बेकार का तर्क ये भी है कि हमला छोटा व आक्रमण बड़े हमले के लिये प्रयोग होता है, किन्तु ये बेकार का ही तथ्य है।
कई निजी समाचार टीवी चैनल्स पर उर्दु का अत्याधिक मिश्रण किया जाता है, जैसे आजतक पर विशेषरूप से शख़्स, आदि। अब अगली पीड़ी तो उसे पढ़ते पढ़ते हिन्दी चैनल के कारण इसे हिन्दी शब्द ही समझेंगे व उदाहरण के साथ तर्क भी देंगे।
*एक सीधा सादा तरीका समाधान ढूंढने का ये भी हो सकता है कि हमला हिन्दी हो न हो, किन्तु आक्रमण पर सभी एकमत होंगे तो कम से कम आक्रमण पर आक्रमण न किया जाये व उसे रहने ही दिया जाये।(मेरे विचार में) आशीष भटनागरवार्ता02:01, 23 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उपर की चर्चा के प्रकाश में हमें हिन्दी विकि की शैली-मार्गदर्शिका का पुनर्निर्माण करना चाहिए। अन्य बातों के साथ इसमें नुक्ते के प्रश्न और 'प्रचलन' को कितना महत्व दिया जाय - इन दोनों से सम्बन्धित नीति होनी चाहिए। कौन निर्धारित करेगा कि एक शब्द, दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रचलित है? वर्तमान शैली-मार्गदर्शिका अत्यन्त एकांगी है और पढ़ने पर ऐसा लगेगा कि हिन्दी में विशेष रूप से नुक्ते की रक्षा के लिए रची गयी है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:42, 23 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है, ज़रा बता दीजिए इसका संस्कृतकरण कैसे करेंगे आप लोग? हमारी सदियों पुरानी भाषा, ज़बान-ए हिन्द, हिन्दुस्तानी खाड़ीबोली यानि कि हिन्दी की इस बेइज़्ज़ती बन्द कीदिए अब।
विकिपीडिया:लेखन शैली में साफ़ लिखा है कि "हिन्दी विकिपीडिया पर लेख रोजमर्रा की सामान्य हिन्दी अर्थात खड़ीबोली (हिन्दुस्तानी अथवा हिन्दी-उर्दू) में लिखे जाने चाहिये। हालाँकि तकनीकी तथा विशेष शब्दावली हेतु शुद्ध संस्कृतिनष्ठ हिन्दी के ही प्रयोग की संस्तुति की जाती है।" - यह सही शैली-मार्गदर्शिका है और विकी के सारे लिखने और पढ़ने वालों के लिए सबसे उत्तम है।
इस ज़ाहिर सी बात को समझाने की ज़रूरत नहीं है कि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" आदि सारे शब्द हिन्दी की आम शब्दावली में आते हैं, इनकी जगहों पर फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है। "आक्रमण", "उत्तरदायित्व", "द्राक्षा", "एवं", "किन्तु-परन्तु" जैसी शब्दावली हिन्दी की आम और प्रचलित बोलचाल की शब्दावली में कभी नहीं आते हैं। तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे लेकिन किसी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के लिए हमारी प्रचलित और आम शब्दावली का अनादर मत कीजिए। विकिपीडिया अपने मास संस्कृताइज़ेशन और सेफ़्रोनाइज़ेशन आन्दोलन चलाने के लिए जगह नहीं है। अगर आप लोग संस्कृत के इतने बड़े प्रेमी हैं, तो sa.wikipedia.org/ पर जाइए और ख़ूब लिखिए। हर भाषा अपनी प्रचलित शब्दावली का इस्तेमाल करना चाहिए, वैसे ही अगर हमें हिन्दी में लिखना है तो हम हिन्दी की प्रचलित शब्दावली की नज़रअंदाज़ी कैसे कर सकते हैं?
@Salma Mahmoud:आप अपना आतंकवाद क्यों नहीं उर्दू विकि पर जा कर करती हैं? "फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है।" इस वाक्य से आपने आरम्भ किया तो अब मैं शान्त नहीं रहूंगा। महिला हैं, अतः इतना ही लिखा। महिला का सम्मान करते हुए मैंने सर्वदा आप से चर्चा की है। परन्तु आपको पहले चर्चा करने की शैली ज्ञात हो ये आवश्यकता है। जब भी आप से बात करते हैं, आप विषय को अन्यत्र ले जाती हैं, और अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करती हैं। यहाँ चर्चा ये हो रही है कि, जैसे हमला शब्द का प्रयोग स्वतन्त्रता से उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि वो एक हिन्दी शब्द के रूप में गिना जाता है, तो हिन्दी शब्द के रूप में ही गिने जाने वाले आक्रमण शब्दो के प्रयोग पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया गया है?
आपने कहा वो आतंकवादी नहीं है और सभी स्रोत कहते हैं, वो आतंकवादी थे। एक भी स्रोत ले कर आवें, जहाँ लिखा है कि वो आक्रमणकारी थे। आपने जितनी भी बातें कहीं, वो सभी पक्षपात से परिपूर्ण थीं। अपनी विचारधारा के समान आपकी चर्चा के अंश भी निर्मूल और पक्षपाती हैं। आप कदाचित् उन लोगों की अवगणना कर रही हैं, जो शुद्ध भाषा में बोलते हैं। कभी भोपाल जाएं और वहाँ की हिन्दी विश्वविद्यालय में देखें, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और इग्नू में भी हिन्दी का स्तर देखें। स्वयं निरक्षर लोग कक्षा में न जाकर जब शब्दों को केवल बातों के शब्दों से सिखते हैं, तो वो मेरेको, तेरेको, अपनको ही सिखते हैं। किसी भी भाषा के किसी भी तज्ज्ञ सें पुछें कि, क्या बोलने की भाषा और लिखने की भाषा में अन्तर होता हैं? उत्तर यदि सकारात्मक न हो, तो कहें। सर्वदा भाष्यमाणा भाषा और लेख्यमाना भाषा भिन्न भिन्न स्तरों पर होती हैं। क्योंकि लेखन को भाषण से अधिक प्राधान्यता मिलती हैं। आपकी बात नहीं कर रहा हूँ। परन्तु जो लोग सभ्य हैं, वो सोचकर और उचित अनुचित का निर्णय करके लिखते हैं, क्योंकि ये एक अभिलेख हो सकता है।
यदि भाषा की दृष्टि से देखें, जो तर्क आप दे रही हैं, तो हमला और आक्रमण दोनों हिन्दी शब्द हैं। यदि कोई हमला शब्द, जो आपके ऐनक में अधिक बोला जाने वाला हिन्दी शब्द है, तो आक्रमण कोई हिन्दी से निष्कासित नहीं हो जाता। वो भी हिन्दी शब्द ही रहेगा, भले ही कल हमला शब्द भी अप्रचलित हो जाए और उसके स्थान पर कोई अन्य शब्द प्रचलित हो। जब दोनों शब्द हिन्दी हैं, तो आप केवल "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इन शब्दों के प्रयोग पर ही कैसे पक्षपातपूर्ण रूप से विवश कर सकती हैं? यदि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इत्यादि शब्द उचित हिन्दी हैं, तो "आक्रमण", "दायित्व", "द्राक्षा", "परन्तु" इत्यादि अनुचित सिद्ध करें कि ये हिन्दी नहीं हैं।
अब आपने जो लिखा है कि, 'तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे' ये आपके शब्द स्मरण रखना और यदि विस्मृत हो जाएँ, तो चिन्ता न करें, मैं आपको इस चर्चा का सन्दर्भ दे कर स्मरण करवाउंगा। मैं इस के पश्चात् हिन्दी विकिपीडिया पर जितने भी इस प्रकार के नीतिगत पृष्ठ हैं, उनमें परिवर्तन का प्रकल्प आरंभ करूंगा। उस समय आप ये न कहना कि यहाँ भी बोलनें में आने वाले प्रसिद्ध शब्द ही होनें चाहिए, क्योंकि नीति सामान्य लोगो को पढ़नी है। जैसे एस.एम.7 जी प्रश्नों का उत्तर देनें से कतरा रहे हैं, आप भी मेरे प्रश्नों का उत्तर देनें से कतराना नहीं। यदि वास्तव में आपके लिये भाषा महत्त्वपूर्ण हैं और आप हिन्दी में प्रयुक्त होने (अधिक उपयोग होने वाले और न्यून उपयोग होनो वाले) सभी शब्दों को हिन्दी के अन्तर्भूत मानते हैं, (भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है) तो जैसे हमें ये चिन्ता नहीं कि आप लेकिन लिखें उत परन्तु, वैसे ही आपको भी चिन्ता नहीं होनी चाहिये कि सामने वाला परन्तु लिखें उत लेकिन। हिन्दी को अपनी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के आधार पर विभक्त न करें। विकिपीडिया अपना शाब्द-आतंकवाद और जिहादी आन्दोलन चलाने के लिए स्थान नहीं है।
यदि आप चाहते हैं कि, आगे से हम केवल तर्कों और तथ्यों पर चर्चा करें, तो अपने शब्दों के चयन पर विचार करें। क्योंकि आपके प्रत्युत्तर के पश्चात् मैं भी उसी भाषा में प्रत्युत्तर दूंगा, जिसका प्रयोग आप करेंगें। आपने असभ्यता का आरम्भ किया था, तो आपको ही इसका अन्त करना होगा। यदि आप मुझे फिर से ऐसा कुछ लिखेंगे, तो मैं भी लिखूंगा। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎04:08, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
नेहाल जी फिर से अपने ज्ज़बातों में आकर गालियाँ दे रहे हैं। इंडिया के इंटरनेट यूज़रों की गिनती पूरी अमरीका की आबादी से भी ज़्यादा है, लेकिन हिन्दी विकी पर सदस्यगण और लेखों की गिनती इतनी कम क्यों है? क्योंकि यहाँ पर उन बयालीस करोड़ से ज़्यादा लोगों की ज़बान की बेइज़्ज़ती हो रही है। अगर आम हिन्दुस्तानियों की बोली से प्रेम करना, और इसकी इज़्ज़त करना अब एक "जिहाद" है तो समझिए कि मैं मुजाहिद हूँ। अगर हिन्दी से इतनी नफ़रत है तो यहाँ से ज़रूर जाइएगा। इस सदियों पुरानी ज़बान की विकिपीडिया पर अपनी इस नई हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी लिंग्विस्टिक पियूरिज़्म विचारधारा का प्रचार मत कीजिए। "हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।" - इसी "तर्क" के मुताबिक़ शब्द "हिन्दी" भी "हिन्दी मूल" का नहीं है। यह भी भाषा विज्ञान द्वारा स्थापित तथ्य है कि हिन्दी और उर्दू एक ही भाषा है। मैने अभी आप लोगों को इस बात के बारे में समझाया कि हिन्दी की शब्दावली के विभिन्न स्रोत होते हैं। तो इस तर्कहीन, अवैज्ञानिक, अनपढ़ और मूर्खतापूर्ण प्रसाव पर हिन्दी विकी की लेखन शैली नीति का पुनर्निर्माण करना अनावश्यक है। लिखित रूप में खाड़ीबोली, हिन्दुस्तानी अथवा सामान्य हिन्दी का इस्तेमाल नेहाल डेव जी की इस नक़ली, बेकार में संस्कृतनिष्ठ भाषा से बहुत ही ज़्यादा आम है। तो सामान्य व प्रचलित हिन्दी शब्दावली का विकिपीडिया पर इस्तेमाल करना बिल्कुल ही जायज़ है। सादर, --सलमा महमूद12:03, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
सलमा जी,
'हिन्दी' का नाम लेकर आप हिन्दी के फारसीकरण का समर्थन कर रहीं हैं। दूसरों पर 'भगवाकरण' का आोप लगाकर पूरा हरा-काला करने का ही यत्न हो रहा है। आप 'हिन्दी के अपमान' का नाम लेकर वैसे ही आक्रमण कर रही हैं जैसे काश्मीर में आतंकी सेना की छद्मवर्दी में घुसकर आक्रमण करते हैं। पर यह बार-बार सफल नहीं हो सकता। जिसे आप 'हिन्दी' कह रहीं हैं उसे लोगों ने १०० वर्ष पहले ही समझ लिया था कि यह उर्दू-फारसी है, हम पर एक प्रकार की गुलामी लादी गयी है, इससे हमे मुक्ति पाना है- यह सब सोचकर एक आन्दोलन चलाया और सफल हुए। पिछले १५-२० वर्षों में कुछ लोगों ने 'सरलता' का नाम लेकर हिन्दी के क्रियोलीकरण की प्रक्रिया शुरू की। जिसका परिणाम यह दिख रहा है कि आपको 'आक्रमण', 'तथा', 'एवं', 'किन्तु' आदि शब्द कठिन लगने लगे हैं। सलमा जी, ये वे शब्द हैं जो पूरे भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी बोले समझे जाते हैं। 'हिन्दी' शब्द विदेशियों ने दिया तो क्या हुआ? अपने शब्द होते हुए भी हम विदेशी शब्द प्रयोग करेंगे? हिन्दी और उर्दू कितनी एक हैं और कितनी अलग है, सबको पता है। दोनों एक हैं तो दोनों के लिए अलग-अलग पुरस्कार क्यों है? कई राज्यों में हिन्दी प्रथम भाषा और उर्दू द्वितीय भाषा क्यों है? समय आने पर परायी भाषा को सभी देशों ने एकबार में या धीरे-धीरे हटाया है। तुर्की और बांगलादेश को देखिए। चीनी-जापानी कठिन कही जाती हैं लेकिन वे सरल शब्दों की खोज में सउदी-अरब तो नहीं जाते।- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:37, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जिसे हम अप्रचलित शब्द कहते हैं, उनमें से कई सारे शब्द दूसरे भाषाओं में आम बोलचाल में उपयोग होते हैं और ऐसे शब्द जो अंग्रेजी का हिन्दी में अनुवाद के लिए बनाए गए हैं, वे सब सच में अप्रचलित ही हैं। क्योंकि उन्हें केवल हिन्दी में अनुवाद करने हेतु ही बनाया गया है। तो ऐसे शब्द आप लोग केवल पुस्तकों में ही देखेंगे, या हो सकता है कि कुछ लोग उसी शब्द को बोलते हों, पर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले अधिकांश लोग उस शब्द से परिचित नहीं होते हैं, हालांकि ऐसे शब्दों को विकिपीडिया में आसानी से लिख सकते हैं। क्योंकि उनका कोई अन्य रूप हिन्दी के शब्द के रूप में प्रचलित नहीं है। समस्या केवल उन शब्दों में उत्पन्न हो जाती है, जिसका कोई और शब्द पहले से ही काफी प्रचलित हो।
प्रचलित/अप्रचलित का मुद्दा आधारहीन है, इसका मापन सम्भव नहीं। कौन सा सिद्धान्त कहता है कि प्रचलित को ही लिखा जाएगा? यह तो भाषा संरक्षण की नीति के विरुद्ध है। यह नीति उन भषाओं का गला ही दबा देगी जो मरणासन्न हैं। यदि प्रचलित को ही लिखना होता तो वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग बनाने की आवश्यकता क्या थी? तकनीकी शब्द-निर्माण के लिए लगभग सभी सभ्य और आत्मसम्मानी देशों ने संस्थाएँ बनायी है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
विद्यालयों में क ख ग वाली पुस्तकों में अं से अंगूर और द से दवात लिखा होता है। शुरू से हमें "अंगूर" शब्द ही हिन्दी में पढ़ाया जाता है, यदि अचानक हम उसे कुछ और कर देंगे तो किसी को अच्छा नहीं लगेगा। पढ़ाई में "अंगूर" शब्द ही प्रचलित है और लोग भी अंगूर शब्द से तुरंत समझ जाते हैं। द्राक्षा जैसा शब्द तो मैंने पहली बार यहीं सुना था।
आवश्यकता, दायित्व जैसे कई सारे शब्द तो हिन्दी माध्यम के पुस्तकों में रहते ही हैं और अंग्रेजी माध्यम में हिन्दी विषय में भी इसका उपयोग होता ही होगा। तो सभी को इसका अर्थ पता ही होगा, पर बातचीत में इन शब्दों का बहुत ही कम उपयोग है। फिर भी इनके उसे कोई समस्या नहीं है। पर समस्या ऐसे शब्दों से हो जाती है, जो हिन्दी माध्यम की पुस्तकों में होती ही नहीं है और उसका विकिपीडिया में उपयोग किया जाता है। अंगूर और खिड़की शब्द का उपयोग पुस्तकों में भी होता है और सामान्य बातचीत में भी बहुत उपयोग होता है। इसके अलावा फिल्मों में गानों में भी इसका उपयोग किया गया है।
यह एक सुप्रसिद्ध तथ्य है कि लिखित भाषा, बोलचाल की भाषा से बहुत भिन्न होती है। इतना ही नहीं, विषय के अनुसार भाषा बदलनी पड़ती है। गणित की अपनी भाषा है, रसायन की अपनी भाषा है। दार्शनिक विषयों पर 'बॉलीवुड की भाषा' में नहीं लिखा जा सकता। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कोई भी शब्द किसी एक माध्यम से प्रचलित नहीं हो सकता। विकिपीडिया में यदि हम अंगूर को द्राक्षा भी कर दें तो शायद अंगूर शब्द अप्रचलित हो जाये, पर द्राक्षा का प्रचलित होना मुश्किल है। पर अंगूर शब्द अप्रचलित हुआ तो उसका स्थान अंग्रेजी शब्द ही ले लेगा। वैसे भी धीरे धीरे अंग्रेजी के शब्द बहुत ही अधिक हो रहे हैं। फिल्मों से लेकर समाचार पत्रों में भी अंग्रेजी के शब्द अधिक हो रहे हैं। ऐसे समय में यदि हम किसी प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे शब्द को लाने का प्रयास करेंगे तो इसका लाभ केवल अंग्रेजी के शब्द को ही मिलेगा। शायद हिन्दी में ढेर सारे अंग्रेजी शब्द के प्रचलित होने का कारण भी यही है कि हम उसे दूसरे भाषा का शब्द है बोल कर उसे अलग कर के दूसरे शब्दों को प्रचलित करने में समय व्यर्थ कर देते हैं। ऐसे सभी शब्दों में आज फिल्मों या समाचार पत्रों में ज्यादातर अंग्रेजी के शब्द ही आ गए हैं।
(सत्यम् मिश्र और हुञ्जाल एक ही व्यक्ति के दो अवतार तो नहीं??)
यदि हमें इन शब्दों का प्रचार भी करना है तो ऐसा प्रचार करना चाहिए कि पढ़ने वाले को बहुत ही आसानी से इन शब्दों का ज्ञान हो जाये। इस तरह से करना है कि जिसे इस के बारे में कुछ भी पता न हो, वो इस शब्द को देख कर याद रख सके।
वैसे यदि आप थोड़ा ध्यान से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि आपको कई सारे अंग्रेजी शब्दों का ज्ञान है। शायद ऐसे शब्दों का भी ज्ञान है, जिसका हिन्दी अर्थ भी आपको पता नहीं होगा। पर इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हमारे ही पाठ्यपुस्तकों में हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी नाम भी दिया होता है और हम अपने आप ही उन शब्दों को याद कर लेते हैं, जबकि हमारा उद्देश्य भी ऐसा नहीं होता है। केवल शब्दों के साथ रखने के कारण हिन्दी के अर्थ और परिभाषा के कारण ही हम उन शब्दों के अर्थ और परिभाषा को जान लेते है और किसी को न तो उसका ध्यान होता है और न ही वो उसे पढ़ने में अपना समय व्यर्थ करता है। ये सभी अपने आप ही हो जाता है। आप यदि उन शब्दों को फिर से देखोगे, तो आपको उसी समय उसका अर्थ समझ आ जाएगा क्योंकि उसे आप हिन्दी शब्द और परिभाषा के साथ ही देखे हो।
पर हम ऐसा शायद कभी नहीं कर सकते, क्योंकि हम उसके स्थान पर तो अंग्रेजी नाम ही लिख देते हैं, जिससे सभी को अर्थ पता चल सके या गूगल, बिंग आदि में पहले स्थान पर दिख सके, हालांकि लोग गूगल का अधिक उपयोग करते हैं और वो अपने आप ही हिन्दी चुने हुए लोगों के लिए अनुवाद कर के हिन्दी में ही परिणाम दिखा देता है और उस कारण हिन्दी विकिपीडिया का लेख ऊपर दिख जाता है। और जो लोग हिन्दी को परिणाम दिखाने के लिए नहीं चुने हैं, उन लोग चाहें तो हिन्दी में भी लिख लें, बहुत कम संभावना है कि हिन्दी विकिपीडिया का ऊपर दिखेगा। और यदि वे लोग अंग्रेजी में लिख दिये तो हिन्दी का कोई लेख तो दिखेगा ही नहीं, चाहे हिन्दी में कितना भी अंग्रेजी लिख लें।
हमें हिन्दी के शब्दों के लेखों में अंग्रेजी शब्दों को रखने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि गूगल अपने आप ही उन शब्दों को खोजने से हिन्दी में हिन्दी विकिपीडिया के लेख को आगे ले आएगा और यदि कोई लेख में शब्द खोजने लगा तो उसे दूसरे भाषाओं की कड़ी में तो मिल ही जाएगा। वैसे यदि कोई विकिपीडिया में ही उस शब्द को ढूँढने लगे तो भी सन्दर्भ में एक भी जगह उसका अंग्रेजी शब्द हुआ तो उससे वो लेख मिल ही जाएगा।
यदि कोई शब्द थोड़ा ही प्रचलित है तो उसके स्थान पर कोई और हिन्दी शब्द लिखने से भी चलेगा, पर जो शब्द पाठ्यपुस्तकों में भी रहता है, फिल्मों के गानों में भी उपयोग किया जाता है और सामान्य बातचीत में भी उपयोग किया जाता है, ऐसे शब्दों को हटाना ठीक नहीं है। पर यदि बाद में कोई हिन्दी शब्द उसके स्थान पर प्रचलित हो जाये तो उसे लिख सकते हैं। लेकिन तब तक ऐसा करना सही नहीं है। यदि "अंगूर" शब्द उर्दू में है तो ये और भी अच्छा है, क्योंकि इससे शब्द को प्रचलित रखने या और अधिक प्रचलित करने में बहुत आसानी होगी। पर दो अलग अलग शब्दों के चक्कर में ही हम रहे तो तीसरे अंग्रेजी शब्द को प्रचलित बनाने का ही कार्य करेंगे। हो सकता है कि कभी द्राक्षा शब्द भी प्रचलन में आ जाये, पर उससे यही होगा कि हिन्दी भाषी सोचेगा कि किस शब्द का उपयोग करूँ और किस शब्द का नहीं, और अंत में वो हो सकता है कि अंग्रेजी शब्द का उपयोग करने की सोचे। पर हम सभी "अंगूर" शब्द को ही प्रचलित बनाए रखने का प्रयास करें तो हिन्दी में हमेशा ही लोग "अंगूर" ही लिखेंगे और कोई उसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोचेगा ही नहीं।
वैसे किसी शब्द के प्रचार करने हेतु हमें केवल यही तरीका मिलता है कि उस लेख का नाम उस शब्द से बदल दिया जाये, पर एक ही माध्यम से इस तरह का प्रचार करने से ऐसे शब्द जो प्रचलन में नहीं हैं या कम हैं, उनके स्थान पर आसनी से उपयोग कर सकते हैं। शायद कम प्रचलित शब्दों को हटाने से कोई समस्या नहीं होगी। पर हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों को हटाना पड़ेगा और नए आ रहे शब्दों को रोकना भी पड़ेगा। क्योंकि फारसी आदि भाषाओं से शब्दों का आना तो वैसे भी बंद हो गया है और नए शब्द आ भी नहीं सकते या आए भी तो किसी को समझ नहीं आएंगे, पर अंग्रेजी में ऐसा नहीं है। अभी अंग्रेजी के कई सारे शब्द हिन्दी में उपयोग हो रहे हैं पर ऐसे शब्दों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस कारण हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों के बारे में सोचना चाहिए और उसका उचित अनुवाद और उसके स्थान पर ठीक तरीके से हिन्दी शब्दों का उपयोग करना चाहिए।
हिन्दी में लिखते समय कई बार दो या उससे अधिक शब्दों में से एक को चुनना पड़ता है। उसके कारण समस्या भी उत्पन्न हो जाती है और लिखने का काम धीमा हो जाता है। हिन्दी विकि में "श्रेणी" शब्द का ही उपयोग होता है। इस कारण सभी सक्रिय सदस्यों को इसका अर्थ पता होगा। लेकिन हम उसके जगह कोई और शब्द भी रख दें तो कुछ लोग भ्रम में रहेंगे कि श्रेणी का उपयोग करें या किसी और शब्द का उपयोग सही रहेगा। उसके बाद हो सकता है कि वे लोग अंग्रेजी के ही शब्द को लिखने लगें क्योंकि उन्हें "श्रेणी" शब्द ही याद नहीं रहेगा। दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं और उनका उपयोग लगभग आधा हो जाता है। यदि मान लें कि कोई शब्द पचास प्रतिशत प्रचलित है और कोई दूसरा शब्द भी उतना ही प्रतिशत प्रचलित है। तो कोई व्यक्ति यदि कुछ लिख रहा हो तो वो उन दोनों में से कौनसा शब्द उपयोग करेगा? वो यही देखेगा कि किस शब्द का उपयोग अधिक हो है और उसे ऐसा लगा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो उस शब्द को समझ नहीं पाएंगे तो वो अपने लेख में उस शब्द के स्थान पर कोई सभी को समझ में आने लायक शब्द खोजेगा। पढ़ाई में तो वैसे भी अंग्रेजी पढ़ाया जाता ही है, चाहे आप हिन्दी माध्यम में भी क्यों न पढ़े हों। इस कारण वो इन दोनों शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी शब्द को चुन लेगा।
दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं - सत्य से कोसों दूर है। सू्र्य के बीसों पर्याय हमें रटाए जाते थे। रामचरित मानस पढ़िए, पता चलेगा कितने पर्याय प्रयुक्त होते है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आप लोगों ने फुट डालो और राज करो की नीति के बारे में तो सुना ही होगा। शब्द भाषा की शक्ति होती है और जिस भाषा के जिस शब्द का अधिक उपयोग करें, वो उतना ही शक्तिशाली होता है। लेकिन दो या उससे अधिक शब्द के उपयोग करने से ये कुछ "फुट डालो और राज करो" की नीति के समान हो जाएगा। जिसके कारण शब्दों की शक्ति आधी या और कम हो जाएगी। इस कारण यदि हिन्दी में कोई एक शब्द प्रचलित है तो उसे ही उपयोग करना सही रहेगा।
फारसी आदि भाषाओं से जितने शब्द हिन्दी में आए हैं, उतने ही रहेंगे, अब उनकी संख्या नहीं बढ़ने वाली, पर हमें अंग्रेजी से आने वाले शब्दों को ही रोकना चाहिए, क्योंकि उसके कई सारे शब्द हिन्दी के प्रचलित शब्दों की जगह ले रहे हैं और उनके शब्द तो अभी भी आ रहे हैं। "रेडियो", "मोबाइल" जैसे शब्दों को रखने में कोई बुराई नहीं है, पर हॉरर, रिलीज़, स्टोरेज, जैसे कई सारे अंग्रेजी शब्दों को रोकना चाहिए। इस तरह के शब्दों को हम तभी रोक सकेंगे, यदि हम हिन्दी के वर्तमान प्रचलित शब्दों को ही प्रचलित करने और प्रचलन में बनाए रखने का प्रयास करें।
कुछ विदेशी शब्दों को छोड़कर सभी को हटाना चाहिए- कुछ को तुरन्त, कुछ को समयबद्ध रूप में धीरे-धीरे। हिन्दी की घोषित नीति होनी चहिए कि उसे ऐसे शब्द अपनाने-बनाने हैं जिससे वह अन्य भारतीय भाषाओं के और भी निकट आ सके। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:57, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
हमें केवल प्रचलित शब्दों का ही उपयोग नहीं करना है। हम सभी हिन्दी के शब्दों के बारे में लेख में बता सकते हैं कि अंगूर को इन इन नामों से भी जाना जाता है। इस तरह से नाम बताएँगे तो उनके मन में कहीं न कहीं वो नाम तो रहेगा ही, जिससे हो सकता है कि भविष्य में "द्राक्षा" शब्द ही अंगूर से अधिक प्रचलित हो जाये, पर उसे प्रचलित करने के लिए पूरे लेख का नाम बदल देंगे तो दोनों शब्द अप्रचलित हो सकते हैं और ये भी हो सकता है कि लोग कारण विकिपीडिया में आना ही छोड़ दें कि इसके शब्द उन्हें समझ ही नहीं आते हैं। इसके साथ साथ ये भी हो सकता है कि उन्हें हिन्दी ही कठिन लगने लगे, क्योंकि उन्हें शब्दों का उतना ज्ञान ही नहीं हैं।
यदि कोई बच्चा बचपन से अंगूर खाते हुए उसे अंगूर के ही नाम से जानता हो और बाद में उसे कहा जाये कि ये द्राक्षा है तो हम उसी समय अंगूर शब्द की शक्ति को दस प्रतिशत तक कम कर देंगे। उससे उस बच्चे को कभी लिखने कहा जाये कि ये इस फल का क्या नाम है तो वो सोचेगा फिर लिखेगा। जबकि उसे अंगूर शब्द ही पता होगा तो उसे सोचने की जरूरत भी नहीं होगा और वो तेजी से उस शब्द को लिख देगा। अंग्रेजी के शब्दों के कारण वैसे भी हिन्दी के शब्दों की शक्ति कमजोर हो रही है। ऐसे समय में यदि हम जानबूझ कर हिन्दी के प्रचलित शब्दों को मारने का प्रयास करें तो ये सच में शब्दों को मारना ही होगा। पर जिस शब्द के लिए आप उस शब्द को मारने की सोच रहे हैं, वो शब्द भी कोई उपयोग नहीं करेगा और उसके जगह अंग्रेजी के शब्द ही आ जाएँगे।
अंग्रेजी के शब्द दूसरे भाषाओं में उतने नहीं आए हैं और न ही उतने तेजी से आ रहे हैं। सिर्फ हिन्दी ही है, जिसमें इसके शब्द अन्य भाषाओं की तुलना में सबसे अधिक आ रहे हैं। इसका कारण भी हम ही लोग हैं, जो हिन्दी के प्रचलित शब्दों के स्थान पर अप्रचलित शब्द का उपयोग करते हैं। इसका दूसरा कारण भी इसी से जुड़ा है। हम शब्दों के अनुवाद में किसी एक शब्द का ही सही ढंग से उपयोग नहीं करते हैं। इस कारण किसी सॉफ्टवेयर या वेबसाइट का अनुवाद करें तो ऐसा लगता है जैसे वो शब्द किसी को समझ ही नहीं आएगा।
वैसे अनुवाद से ही एक और समस्या याद आई। हम लोग अनुवाद में एक ही शब्द का उपयोग कभी नहीं करते, खास तौर से दो अलग अलग अंग्रेजी शब्दों के लिए तो कभी नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि लिखना शब्द और टाइप शब्द अंग्रेजी में दोनों अलग अलग है। हम टाइप शब्द के लिए या तो टाइप शब्द ही उपयोग करते हैं या टंकण ही लिख देते हैं। पर चाहे हम कम्प्युटर में लिखें या किसी कागज में लिखें, लिख तो दोनों में ही रहे हैं, पर हम उसमें कभी "लिखना" शब्द का उपयोग नहीं करते हैं। अंग्रेजी में एप्लिकेशन शब्द का उपयोग आवेदन और अनुप्रयोग दोनों में उपयोग हो जाता है, फिर भी कोई समस्या उन्हें नहीं आती है। क्योंकि उन्हें पता है कि दोनों का अलग अलग जगह अलग अलग अर्थ होगा। वैसे ही कम्प्युटर में लिखने का अर्थ कम्प्युटर में टाइप करना ही होगा, पर हम उसके जगह टाइप या टंकण जैसे शब्द का उपयोग करते हैं। ऐसे में "लिखना" शब्द अप्रचलित तो नहीं होगा, लेकिन उसका इस शब्द के लिए भी उपयोग करने से वो काफी प्रचलित हो जाता और कम से कम "टंकण" शब्द से तो अच्छा ही रहता।
हमें पढ़ाई से जुड़े लेखों के निर्माण करते समय इस पर ध्यान देना चाहिए कि लेख का नाम हिन्दी माध्यम के पुस्तकों के अनुसार हो, ताकि विद्यार्थी आसानी से उन शब्दों को खोज सकें। हिन्दी माध्यम में कोई भी पढ़ा हो तो उसे "अंगूर" शब्द पता ही होगा, पर कहीं द्राक्षा शब्द तो बताया ही नहीं गया है। पर्यायवाची शब्दों के बारे में पढ़ाते समय फूल, नदी, पानी, आकाश, धरती आदि के बारे में ही बताया जाता था, किसी फल के बारे में न तो बताया गया और न ही पुस्तकों में लिखा था। क्या इस शब्द का उपयोग किसी पढ़ाई के पुस्तकों में हो रहा है? यदि नहीं हो रहा तो इसे "अंगूर" ही रखना उचित है। ताकि अंगूर शब्द को हम अत्यधिक प्रचलित कर सकें और कोई भी इसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोच भी न सके। पर ऐसा तभी होगा, जब हम सब मिल कर "अंगूर" शब्द का ही हर जगह उपयोग करेंगे। अंगूर शब्द का तो पुस्तकों में उपयोग तो होता ही है और कई फिल्मों में भी "अंगूर" शब्द का उपयोग हो ही रहा है। तो ऐसे में इस शब्द स्थान पर कोई और शब्द लिखना कहीं से भी उचित नहीं है। पर यदि किसी को अंग्रेजी शब्द से ही प्यार हो तो इसे वापस द्राक्षा कर दें, और कुछ साल बाद अंग्रेजी के शब्द के रूप में परिणाम देखने को मिल जाएँगे। हो सकता है कि उसके कुछ साल बाद कोई आकर इसे अंग्रेजी शब्द में लिखने की सोचे, क्योंकि "अंगूर" शब्द का उपयोग कम होने से यकीनन अंग्रेजी के शब्द को ताकत मिलेगी और उसका उपयोग और तेजी से होने लगेगा। आप लोग चाहें तो इसे द्राक्षा ही रखें, पर किसी भी जगह इन शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी के शब्द का उपयोग हुआ तो उसके दोषी आप ही लोग होंगे।
पुनरावृत्ति ।।।। 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
अंगूर और द्राक्षा की बात समाप्त कर अब हमला और आक्रमण में आता हूँ। पहले से ही कई लेखों में हम लोगों ने "हमला" शब्द ही उपयोग किया है। इसी शब्द का उपयोग हिन्दी समाचार पत्रों में बहुत ज्यादा किया जाता है। गूगल या बिंग आदि में कोई घटना के बारे में खोजता तो उसे ___ हमला वाला सुझाव पहले दिखता, इस कारण वो उसी शब्द को खोजता, वैसे भी आक्रमण शब्द से हमला शब्द अधिक प्रचलित है। पर इसका ये अर्थ नहीं है कि आक्रमण शब्द लिखने से कोई समझ नहीं सकेगा। आक्रमण शब्द का उपयोग इतिहास के पुस्तकों में कई बार हुआ है और इस कारण कोई भी हिन्दी माध्यम का विद्यार्थी उस शब्द को बहुत ही आसानी से समझ सकता है। पर यहाँ मेरा उद्देश्य यही था कि हमला शब्द अधिक लोग खोजेंगे और उसका लाभ हिन्दी विकिपीडिया को अधिक लोगों के आने से मिलेगा। इसके अलावा पहले के कई लेखों में भी हम लोगों ने और पहले सक्रिय रहने वाले सदस्यों ने भी "हमला" शब्द का ही उपयोग किया है। यदि हम इस तरह के सभी घटनाओं में "हमला" शब्द ही उपयोग करें तो ये शब्द ही प्रचलित रहेगा और इसके स्थान पर कोई अंग्रेजी शब्द उपयोग करने की सोचेगा भी नहीं। पर हम ऐसे प्रचलित हिन्दी शब्दों का ही उपयोग नहीं करेंगे तो हम उसे अप्रचलित होने का कारण दे रहे हैं। इस तरह से ही शब्द अप्रचलित होते जाएँगे, जो अभी अन्य सभी शब्दों से भी अधिक प्रचलित है। हमला भी हिन्दी शब्द ही है। यदि न भी हो तो भी उसका लाभ हिन्दी को ही मिल रहा है, क्योंकि ये शब्द अंग्रेजी का नहीं है। वर्तमान समय में हमें केवल अंग्रेजी से ही खतरा है। बाकी दुनिया के किसी भी भाषा से हिन्दी को कोई खतरा नहीं है। पर इस तरह से प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे हिन्दी शब्द का उपयोग हो तो पहले वाले शब्द की शक्ति थोड़ी न थोड़ी कम हो ही जाएगी, चाहे आप किसी एक लेख में भी इस तरह का बदलाव क्यों न करें, पर प्रभाव सभी जगह पड़ेगा ही, लेकिन इसका प्रभाव आपके इच्छा अनुसार न हो कर इससे अंग्रेजी शब्द को लाभ मिलेगा। आप चाहें तो "आक्रमण" शब्द को दो देशों के युद्ध के लेखों में उपयोग करें, उससे कोई भी आपको नहीं रोकेगा। उससे एक तरह से हिन्दी का विकास ही होगा, क्योंकि इस का अधिक से अधिक उपयोग वहीं मिलता है। इस तरह से दोनों शब्दों का अलग अलग जगह उपयोग करेंगे तो लोगों को शब्द चुनने में कोई समस्या नहीं होगी और लोग उन दोनों शब्दों को आसानी से समझ भी लेंगे। इस तरह से दोनों शब्दों का प्रचार हो सकता है।
आक्रमण शब्द इतिहास से जुड़े लेखों में उपयोग करना सबसे अच्छा रहेगा। पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में इसका सबसे अधिक उपयोग "इतिहास" विषय के पुस्तक में मिलता है। "किसी देश ने किसी दूसरे देश के ऊपर आक्रमण कर दिया" इस तरह का बहुत सारा वाक्य आपको उस तरह के पुस्तकों में देखने को मिलेगा। एक तरह से इन दोनों शब्दों को अलग अलग जगह उपयोग करने के कारण अर्थ में इसी तरह का बदलाव भी हो गया है। इस कारण "आक्रमण" शब्द उस तरह लेखों में बहुत अच्छा लगता है। वहीं "हमला" शब्द का उपयोग समाचार वालों ने बहुत ज्यादा किया है, वो भी इस तरह के हमलों के लिए ही किया है। इस कारण इस तरह के घटनाओं के लिए "हमला" शब्द सबसे सटीक और उपयोगी रहेगा। वैसे कोई यदि इस घटना के बारे में खोजेगा और देखेगा कि सभी जगह हमला लिखा हुआ और केवल विकिपीडिया में ही "आक्रमण" लिखा हुआ है तो उसे अजीब लगेगा। मुझे यकीन है कि सभी को ये शब्द समझ में तो आ ही जाएगा, पर इस तरह के घटनाओं में "हमला" शब्द ज्यादा अच्छा रहेगा। केवल समझने में ही नहीं, बल्कि खोज परिणाम में भी इसका प्रभाव होगा। इससे देखने वाले तो अधिक आएंगे ही और साथ ही साथ इस शब्द का प्रचलन भी अधिक रहेगा। इस शब्द की जगह अंग्रेजी का शब्द न ले ले, इस कारण हमें इसके उपयोग में कभी कमी नहीं होने देना है। ताकि कई सालों बाद भी इस शब्द के बारे में सभी को पता रहे और ये प्रचलन में बना रहे।
शब्दों को प्रचलित करना काफी कठिन कार्य है, क्योंकि इसके लिए कई सारे माध्यमों की जरूरत होती है और प्रचार भी ऐसा करना होता है कि पढ़ने या सुनने वाले को अर्थ भी समझ आ जाये। यदि आप विज्ञापन देखते हो तो उसमें आपने जरूर देखा होगा कि कई बार हिन्दी शब्द के बाद अंग्रेजी शब्द बोल दिया जाता है। या साथ साथ उस शब्द को भी बोला जाता है। जिससे लोगों को अंग्रेजी शब्द भी समझ आ जाये और हिन्दी भी। एक तरह से जिसे हिन्दी शब्द न पता हो उसे पता चल सकता है, और जिसे अंग्रेजी शब्द न पता हो, उसे अंग्रेजी शब्द का पता चल जाता है। हो सकता है कि इस तरह से हिन्दी को लाभ मिलता हो, पर ज्यादातर तो ऐसे शब्द ही होते हैं, जिसे हिन्दी भाषी जानते हों और उसका अंग्रेजी नाम न पता हो, इस कारण अंग्रेजी शब्द का ही प्रचार हो जाता है। पता नहीं इस तरह के विज्ञापन का उद्देश्य क्या है, पर हमें तो एक ही शब्द का प्रचार है। ताकि वो शब्द कभी अप्रचलित न हो सके।
वैसे हमारी भाषा यदि अंग्रेजी से बच गई तो फिर कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि अंग्रेजी के शब्द ही अभी की सबसे बड़ी समस्या है। जिसका काफी हद तक कारण हिन्दी भाषी ही हैं। कई हिन्दी भाषी अपने बच्चों को हिन्दी माध्यम के विद्यालयों में नहीं पढ़ाते हैं। तो वे लोग कई सारे हिन्दी शब्द कभी समझ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में कोई उस तरह से पढ़ा हिन्दी भाषी हिन्दी में योगदान करना भी चाहे तो उसे ऐसा ही लगेगा कि ये शब्द हिन्दी में होते ही नहीं या बहुत कम उपयोग होते हैं, इस कारण वो अंग्रेजी शब्द को ही प्रचलित मान लेता है। ठीक उसी प्रकार कई बार ऐसा होता है कि हम अंग्रेजी के प्रचलित शब्द को हटाने की कोशिश करते हैं, ऐसा कर तो सकते हैं, पर जब तक हर माध्यम से उस शब्द का प्रचार न हो, तब तक लोग उसे अप्रचलित ही मान लेंगे और विकि में किसी को आने का मन ही नहीं करेगा। क्योंकि उसे शब्द समझ ही नहीं आएंगे। पर हमें कोशिश यही करना है कि संज्ञा को छोड़ कर सभी का अनुवाद कर के ही डाल दें, क्योंकि संज्ञा का अनुवाद तभी सही रहता है, जब सभी को उसका दूसरा शब्द पता हो। अंग्रेजी शब्द का इस चर्चा से लेना देना नहीं है, पर एक तरह से अंग्रेजी के शब्द का ही इस चर्चा से अधिक लेना देना है। मैं बस इसमें यही बोल रहा हूँ कि संज्ञा शब्द यदि हिन्दी में न हो तो उसे अंग्रेजी में रख लेने में कोई बुराई नहीं है, जैसे, सर्वर, सीडी, आदि। पर हमें इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि बाकी सभी का अनुवाद होता ही है। यदि कोई शब्द न हो तो उसका परिभाषा के अनुसार अर्थ लिख सकते हैं। पर गैर-संज्ञा शब्दों को हिन्दी में ही लिखना चाहिए। पर ऐसा हम लोग नहीं करते हैं और कई गैर-संज्ञा शब्द को अंग्रेजी में ही लिख देते हैं और संज्ञा शब्द का अनुवाद करने लगते हैं। यदि किसी संज्ञा शब्द का हिन्दी में अर्थ न हो तो उसका उपयोग वैसे भी कम ही होगा। और आज के समय में कई लोग उसका पहले ही अंग्रेजी शब्द जान जाते हैं, इस कारण उसका अनुवाद करने से वो कठिन बन जाता है। अर्थात समझने में कठिन हो जाता है। वैसे जिसने भी विलेज पंप को गाँव का पंप आदि करने के स्थान पर चौपाल करने का सुझाव दिया था, उसने वाकई बहुत अच्छा कार्य किया है। हमें भी अनुवाद इसी तरह करना चाहिए। ठीक वैसे ही उपयोगकर्ता शब्द के स्थान पर सदस्य शब्द का उपयोग बहुत ही अच्छा है। एक तो सदस्य लिखना बहुत ही छोटा होता है और इस शब्द का उपयोग भी बहुत आसानी से होता है। हम इस शब्द का मेम्बर के लिए भी कर सकते हैं और यूज़र के लिए भी कर सकते हैं। इस कारण इस शब्द का प्रचार काफी अधिक हो है। इस कारण इसे प्रचलित रखने में हमें थोड़ा कम मेहनत करना पड़ेगा। हमें अपनी सोच इसी तरह बदलनी होगी और अंग्रेजी के शब्दों के लिए कोई नया शब्द ढूँढने के स्थान पर इसी तरह दूसरे शब्द का उपयोग करना चाहिए। जैसे टाइप के लिए भी "लिखना" और उपयोगकर्ता के लिए भी "सदस्य" शब्द का उपयोग।
भारतीयों में एक गुप्त शक्ति है जो उन्हें अदम्य बनाती है। कितने सारे पुस्तकालय जला दिए गये फिर भी ३ करोड़ से अधिक संस्कृत पाण्डुलिपियाँ उन्होने बचा ली। दस-बीस वर्ष नहीं, हजारों वर्ष तक बचाये रखा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
हमला और आक्रमण में से हम किसी एक ही शब्द का उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों ही किसी न किसी तरह से प्रचलित ही हैं। लेकिन आक्रमण शब्द किसी देश या साम्राज्य के मध्य युद्ध से जुड़ा है तो दूसरा "हमला" शब्द किसी पर भी चाकू से हमला करने को भी हम "हमला" कह सकते हैं। यदि हमें इन दोनों को प्रचलन में बनाए रखना है तो हमें इन दोनों का अलग अलग कार्यों में उपयोग करना चाहिए, ताकि लोग आसानी से तुरंत फैसला ले सकें और इन शब्दों का उपयोग कर सकें। पर "हमला" शब्द समाचारों में काफी प्रचलित है। इस कारण मेरी राय में इसे ही ___ हमला में उपयोग किया जाना चाहिए और "आक्रमण" शब्द दो देशों या साम्राज्य के मध्य लड़ाई में उपयोग होता है, तो उसे उसमें उपयोग करना ज्यादा अच्छा होगा।
समाचार मुख्यतः 'श्रव्य-दृष्य' है, हिन्दी विकि पर 'लिखा' जाता है। दोनों की भाषा की अलग होगी। कोई नहीं मानेगा कि 'चाकू से हमला करना ठीक है' और 'चाकू से आक्रमण करना गलत'। किसी शब्दकोश में दिए अर्थ के अनुसार आपने लिखा हो तो कृपया उसका सन्दर्भ दीजिए।अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अब हमला और आक्रमण वाली बात से हट कर खिड़की और वातायन में आता हूँ। इसमें तो साफ है कि लोगों को खिड़की शब्द के बारे में अच्छी तरह जानकारी होगा ही। खिड़की नाम से एक धारावाहिक भी बना था। शायद पिछले कुछ वर्षों में ही प्रसारित हो चुका है। कुछ हिन्दी गानों में भी "खिड़की" शब्द का उपयोग हुआ है। इनमें कुछ नए फिल्म भी हैं। पुस्तकों में भी साफ साफ कई जगह केवल और केवल खिड़की शब्द का उपयोग हुआ है। इसे बदलने का तो कोई कारण ही नहीं था।
वैसे सलमा जी ने जब आक्रमण को हमला करने हेतु लेख के नाम परिवर्तन का अनुरोध किया था, तो वहाँ मैंने कई सारे समाचार सन्दर्भ दिये थे, कि इतने सारे समाचार स्रोत "हमला" शब्द का ही उपयोग कर रहे हैं। वैसे सभी समाचार स्रोत इसका उपयोग न भी करें, पर पिछले कई लेखों का नाम इसी अनुसार ही रखा गया है। इस बारे में भी मैंने कहा था। उस समय मुझे जल्दी थी कि "हमला" शब्द के उपयोग करने से पाठकों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी ही। पर उस दौरान आधे से अधिक समय तक उसका नाम आक्रमण ही रखा गया था, शायद उसके कारण जितने लोग आने थे, उससे थोड़े कम आए होंगे। वैसे आक्रमण शब्द तो प्रचलित ही है, लेकिन उसका इस तरह उपयोग नहीं किया गया है, इस कारण इस घटना को खोजने वाले भी "हमला" लिख कर ही खोजते या खोजेंगे।
यह शुद्ध कपोलकल्पना है कि 'हमला' देखकर अधिक लोग हिन्दी विकी पर आयेंगे। हिन्दी विकी पर सामग्री खोजते हुए लोग आते हैं और निराश होकर लौटना पड़ता है- इसे ठीक करना होगा। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
वैसे हिन्दी विकिपीडिया में कुछ लेखों के नामों को बदलने से इस तरह के शब्द प्रचलित नहीं हो सकते, पर यकीनन इससे विकि पाठकों को अच्छा नहीं लगेगा, जो खिड़की वाला लेख देखने के लिए इसे खोलेंगे और नाम ही बिल्कुल अलग दिखेगा। मैंने ऊपर भी कहा है कि प्रचलित हिन्दी शब्दों के कमजोर होने से उसका लाभ पूरी तरह अंग्रेजी को ही मिलेगा। इस कारण इस लेख का नाम "खिड़की" ही रखना ठीक रहेगा, पर इसमें जानकारी के लिए आप "वातायन" लिख सकते हैं। ताकि लोगों को पता रहे कि इसे वातायन भी बोलते हैं।
पढ़ाई की पुस्तकों में इसे खिड़की के नाम से ही देखा हूँ, कहीं भी वातायन नहीं देखा। क्या आपके पढ़ाई के पुस्तक में "वातायन" नाम लिखा है? वैसे बचपन से ही हिन्दी नाम के रूप में "खिड़की" शब्द ही बताया जाता है। इसे अचानक से "वातायन" करने से किसको अच्छा लगेगा? जबकि कई जगह इसी शब्द का उपयोग मिल रहा है।
यदि अंग्रेजों ने भी इस तरह से शब्दों को बदला होता तो बहुत से लोग इसका विरोध ही करते, पर उनके कार्य बहुत धीमे धीमे हुआ है। इस कारण कई सारे शब्द ऐसे हैं, जिसे हम जानते हुए भी उपयोग कर लेते हैं। हमें प्रचलित हिन्दी शब्दों से ही लेख का शीर्षक रखना चाहिए, ताकि लोगों को हिन्दी बहुत ही आसान लगे और अन्दर में उन शब्दों का उल्लेख करना चाहिए, जैसे अंगूर को द्राक्षा भी कहा जाता है।, खिड़की को वातायन भी कहा जाता है, आदि । इससे लोगों को धीरे धीरे ही इन शब्दों के बारे में पता चलेगा और हमें विकिपीडिया के साथ साथ दूसरे माध्यमों से भी इन शब्दों का प्रचार करना पड़ेगा, क्योंकि एक माध्यम से इसका प्रचार करेंगे तो प्रचार भी अच्छे से नहीं होगा और लोगों को अच्छा नहीं लगेगा।
बचपन से ही "अंगूर", "खिड़की" जैसे शब्द हिन्दी के ही बोले गए और पढ़ाई में भी इन शब्दों का उल्लेख था, ऐसे में उसे अचानक से बदलने से ऐसा लग रहा है जैसे मैं जिस हिन्दी को जानता हूँ और जिस कारण से विकिपीडिया में योगदान दे रहा, वो हिन्दी कोई और ही है।
अ़़ब़ ऩुक़़्त़ा क़ी ब़ा़त़, ज़ो श़ा़य़द क़िस़ी भ़ी ह़िऩ़्द़ी म़ाध़्य़म़ क़े व़िद्यार्थी को पता ही नहीं होगी और इसके कारण मेरे कुछ दोस्तों का दिमाग भी खराब हो जाता है। वैसे मुझे इसके बारे में विकिपीडिया में आने से पहले कुछ पता ही नहीं था और न ही इसका उच्चारण पता है। पढ़ाये जाने वाले किसी भी पुस्तक में मैंने एक भी नुक्ता नहीं देखा। पता नहीं विकिपीडिया में पढ़ाई से जुड़े लेखों में भी नुक्ते का इतना उपयोग क्यों होता है। पर मुझे इससे अभी तो कोई समस्या नहीं है, पर कुछ फॉन्ट में नुक्ते के कारण अक्षर समझ ही नहीं आते थे, उसे बदलने के बाद ही मैं नुक्ते वाले अक्षरों को समझ पाया। खास कर ऐसे शब्द जिसमें नुक्ता भी हो और तिरछा किया गया हो, वो तो बिल्कुल कोई अलग शब्द ही लगने लगता है। इसके अलावा एक और समस्या दो अलग अलग नुक्ते में है।
नुक्ते़ अ़ल़ग़ अ़ल़ग़ भ़ी ह़ोत़े है़ं, इ़स़क़ा प़त़ा़ भ़ी़ क़ई़ स़म़य़ क़े ब़ा़द प़त़ा च़ल़ा। जै़से फ़ = फ़, ज़ = ज़ दोनों ओ़़ऱ नु़क़्त़े है़ं, ल़ेक़िऩ द़ोऩों ए़क़ ऩह़ीं ह़ै। इ़स़क़े क़ाऱण़ ख़ोज़ऩे मे़ं और कड़ी जोड़ने में समस्या उत्पन्न होती है और कई बार एक से अधिक लेख भी बन जाता है। इसके कारण कुछ अन्य जगहों पर भी समस्या उत्पन्न हो गई है। खास कर लिखने वाले वेबसाइट में, जिसमें हिन्दी में कितने तेज लिख सकते हो, वो पता चलता है। वो सब ठीक से काम ही नहीं करता है। उसका कारण भी नुक्ता ही है। दो अलग अलग तरह के नुक्ते के कारण आप आसानी से लिख ही नहीं सकते। मैंने उन सभी को इस समस्या को हल करने लिए ईमेल भी किया था, पर एक का ही जवाब आया और वे भी समस्या को समझ नहीं पा रहे। चाहें तो पूरे विकि से नुक्ते को न हटाएँ, पर पढ़ाई से जुड़े लेखों में नुक्ते को रखना ठीक नहीं है, क्योंकि पुस्तकों में नुक्ते का उपयोग नहीं किया जाता है और शायद किसी भी हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी को नुक्ते के बारे में पता नहीं होगा । यदि वो किसी अन्य माध्यम से इसकी जानकारी प्राप्त न किया हो। वैसे इनपुट टूल के कारण नुक्ता डालने में कोई समस्या नहीं आती है। पर इनस्क्रिप्ट उपयोग करने वालों को व्यर्थ में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पूरे विकिपीडिया से हटाएँ या न हटाएँ, पर मुझे लगता है कि इसे उन सभी लेखों से हटा देना ही सही होगा, जो पढ़ाई से जुड़े हैं। रसायन, भूगोल, गणित, विज्ञान आदि से। वैसे पूरे जगह से नुक्ता हटा भी दें तो एक नई समस्या उत्पन्न हो जाएगी। लगभग सभी इनपुट टूल जैसे गूगल या माइक्रोसॉफ़्ट इनपुट टूल में अपने आप ही कई जगह नुक्ता आ जाता है। तो नुक्ता वाले लेख तो लोग बना ही लेंगे और खोजने वाले नुक्ते के साथ भी खोज सकते हैं।
अंकों के बारे में हम लोगों ने पहले भी बहुत सी चर्चाओं में चर्चा किए हैं। शायद सभी का यही निर्णय निकला था कि लेखों में जो अंक पहले से है, उसे ही पूरे लेख में रखा जाये। उसे बदला न जाये। वैसे इसका एक और हल भी है, पूरी तरह उपयोग तो नहीं कर सकते पर उसका लाभ जरूर होगा। हम लेखों में जितना हो सके, उतने जगहों पर संख्या को अंकों के स्थान पर शब्दों में लिख सकते हैं। जैसे आठ लोगों की मौत, तीन लोग डूब कर मर गए, या उन्नीस लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत आदि। कुछ लोग जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करते हैं, वे लोग अंकों को अंग्रेजी में ही बोल देते हैं। इस समस्या का हल भी इसी से हो जाएगा। इससे उन लोगों को शब्द याद रहेगा और हमें भी अंकों के बारे में उतना सोचना नहीं पड़ेगा।
संख्यासूचक शब्दों को अंकों में लिखा जाय या शब्दों में? - इस सम्बन्ध में एक अच्छी नीति हमे बतायी गयी थी। साहित्य आदि लिखते समय शब्दों का करें ( आठ पहर लिखिए, ८ पहर नहीं।) गणित, विज्ञान आदि में अधिक से अधिक अंकों का प्रयोग करना चाहिए। इतिहास में भी तिथियाँ आदि अंकों में लिखी जानी चाहिए ( भारत सन् १९४७ में स्वतन्त्र हुआ। )अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
ऊपर की सारी चर्चाओं को देख कर ऐसा लगता है कि हमें हर परियोजना हेतु शब्दावली का निर्माण करना चाहिए और उन्हीं शब्दों का उपयोग लेखों में करना चाहिए। जैसे विकिपरियोजना फिल्म में फिल्म में उपयोग होने वाले सभी शब्दों का उसके अर्थ के साथ सूची रहेगा, जिससे कोई भी सदस्य आसानी से उन सूचियों से देख कर नाम लिख लेगा, इससे इस तरह की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और साथ ही साथ इससे हिन्दी के शब्दों का प्रचार भी काफी अच्छे से हो सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ उस विषय पर लिखने वाले सदस्यों को होगा और वो भी कोई नया सदस्य या जो उस विषय पर पहली बार लिख रहा हो।
प्रथम विश्व युद्ध या पहला विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध या दूसरा विश्व युद्ध में तो प्रथम और द्वितीय रखने में क्या समस्या हो सकती है ये तो समझ नहीं आ रहा, पर पाठ्यपुस्तकों में तो प्रथम और द्वितीय शब्द का बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इतिहास में प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध लिखा रहता है।
मैं जब क्रिकेट से जुड़ा लेख बना रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि कोई एक शब्दावली हर परियोजना में होनी चाहिए, जिसे देख कर आसानी से अनुवाद किया जा सके। जब गूगल से अनुवाद करते हैं तो उसमें कई बार सही शब्द नहीं आता है या अर्थ ही नहीं दिखाता है, इस कारण मजबूरी में अंग्रेजी शब्द का ही उपयोग कर लेते हैं। पर शब्दावली रहेगा तो तुरंत कोई भी उसका हिन्दी अर्थ लिख देगा। हो सकता है कि इससे कई लोगों को अनुवादक की जरूरत भी न पड़े। हिन्दी के शब्दों का प्रचार करने और विवादों को दूर रखने में ये उपयोगी सिद्ध होगा। पर इसका निर्माण सभी से पूछ कर और सभी की सहमति से ही करना चाहिए। इस बात का भी ख्याल रखना पड़ेगा कि अलग अलग परियोजनाओं में अलग अलग तरह के शब्दों का उपयोग होता है। जैसे विकिपीडिया में हम रिवियू को पुनरीक्षण लिखते हैं और अन्य जगहों में "समीक्षा" लिखते हैं।
एक ही शब्द के अलग-अलग सन्दर्भों में अलग-अलग अर्थ होते ही हैं। 'कम्प्लेक्स नम्बर' और 'फ्युएल कम्प्लेक्स' और 'इनफेरिआरिटी कम्प्लेक्स' में 'कम्प्लेक्स' का अर्थ समान नहीं है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
इसके अलावा मुझे लगता है कि हमें शब्दों के साथ साथ अनुवाद विकि पर भी ध्यान देना चाहिए, उसके लिए भी हमें एक परियोजना का निर्माण करना चाहिए, जिसमें हम सभी मिल कर शब्दों को चुन कर सूची का निर्माण कर सकें। कई बार वहाँ लोग ऐसे शब्द लिख देते हैं, जो दूसरे में कुछ और व तीसरे में कुछ और होती है। सबसे ज्यादा पुनरीक्षण शब्द को समीक्षा लिख दिया जाता है। हटाने के शब्द को निकालें या अवरोध वाले शब्द को बार बार ब्लॉक लिख देते हैं। प्रतिबंध और अवरोध को भी इधर उधर कर के लिखा गया है। उसमें कई सारे शब्द में मात्रा त्रुटि भी है और कई में व्याकरण त्रुटि भी है। इस कारण हमें इस परियोजना की आवश्यकता है, जिससे इस तरह के अनुवादों को उसी समय सुधार कर लिया जाये और सभी जगह एक ही शब्द लिख रहे।
हिन्दी विकिपीडिया में कई सारे अनुवाद अनुवादविकि के अनुवाद से अलग हैं, इस कारण कई सारे गलत अनुवाद दिखाई नहीं दे रहे हैं, कुछ दूसरे एक्स्टेंसन में भी कई लोगों ने खराब अनुवाद किए हैं। उन्हें भी ठीक करना पड़ेगा। पर उन सभी को ठीक करने से पूर्व हमें इस नई परियोजना का निर्माण करना पड़ेगा, जिससे शब्दों को चुनने में हमें कोई परेशानी न हो और कोई दूसरा सदस्य यदि कोई उल्टा सीधा अनुवाद कर दे तो हम उसे शब्दावली दिखा सकते हैं। पर अभी कोई दूसरे शब्द को सही बोले तो हम कुछ नहीं कर सकते। वैसे कई लोग वहाँ पृष्ठ, पन्ना, पेज, तीनों को ही लिख देते हैं। इस तरह की समस्या भी दूर हो जाएगी। --स (वार्ता) 17:01, 24 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, दो दिनों के लिए विकिपीडिया पर नहीं था न ही आपने मेरी अंतिम टिप्पणी पर कोई टिप्पणी की। ऊपर इस लंबी टिप्पणी के लेखक "सदस्य:स" जी हैं। आपके कुछ वाक्यों से ऐसा लग रहा जैसे इसे आप मेरी टिप्पणी समझ बैठे। स जी की उपरोक्त बातों में कई से सहमत और कई से असहमत हूँ और समय मिलते ही लिखूँगा। बस एक चीज नहीं समझ में आई, आप हर उस व्यक्ति को हुन्जजल का अवतार क्यों घोषित करने लगते जिससे आपकी असहमति हो? क्या आपको मालुम नहीं कि कठपुतली होना एक गंभीर ग़लती है और केवल संदेह के आधार पर किसी पर इसका आरोप लगाना भी? मेरे खाते पर हुंजाजल की कठपुतली होने का संदेह व्यक्त करके क्या साबित करना चाह रहे?--SM7--बातचीत--10:13, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: तीनों के विचारों में, भाषा में, शैली में इतनी अधिक समानता है कि मन तीनों को अलग मानने को तैयार ही नहीं होता। भारत में लभ जिहाद चल सकता है तो हिन्दी विकि पर क्यों नहीं? - अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:14, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह, SM7, और स: नेहल जी से मेरी व्यक्तिगत बातचीत हो गयी है और वो इस मुद्दे को इतना तूल देने के समर्थन में नहीं हैं। उनके हिंदुस्तानवासी जी और SM7 जी से कुछ छोटे विवाद (असहमतियाँ) हैं जिन्हें बहुत आसानी से सुलझा लिया जायेगा। इस पर इस तरह की लम्बी वार्ता और आपस में कठपुतली कहना शोभा नहीं देता। मुझे स जी, SM7 जी और Hunnjazal जी की शैली, भाषा और विचार अलग-अलग लगते हैं। कई बार देखने के नज़रिये से भी समानता दिखाई दे सकती है जैसे हम सभी हिन्दी विकि के योगदानकर्त्ता हैं और हिन्दी भाषा अपनी समानता को प्रदर्शित करती है। अतः मेरा अनुरोध है कि आप सभी लोग, कृपया अपनी गलतियाँ स्वीकार करके (यदि आपको नहीं लगता कि आपने गलती की है तो भी क्षमा माँग सकते हो) विवाद का अन्त करें। इस विवाद के समय को विकि-विकास में लगायें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 18:11, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, आपके द्वारा प्रस्तुत किये गए संदेह को मैंने सूचनापट पर रख दिया है और आशा करता हूँ इसका निर्णय बाकी के प्रबंधकगण करेंगे। आपसे उमीद करता हूँ कि आप नेहल जी के दायित्व छोड़ने के निर्णय पर चर्चा आगे बढ़ायेंगे। उक्त निर्णय में यदि भाषा शैली और/अथवा किसी अन्य नीतिगत प्रश्न पर निर्णय आप पहले आवश्यक समझते हों (अथवा कोई अन्य सदस्य आवश्यक समझता हो) तो कृपया अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रस्ताव के रूप में लिखें। यदि किसी को पहले उन विवादों पर निर्णय सुनाना आवश्यक लगता हो जिनके कारण आदरणीय नेहल जी ने अपने अधिकार त्याग की चर्चा आरंभ की तो कृपया उसे अलग और स्पष्ट अनुभाग में लिखें और सबकी राय लें।
@SM7: जी, प्रबन्धक सूचनापट्ट पर आप के सन्देश को मैने पढ़ लिया है। संजीव कुमार जी ने संक्षेप में अपने विचार भी रख दिये हैं। आप और हुञ्जाल जी हिन्दी के प्रबन्धक हैं। क्या आपको नहीं लगता कि शंका को निर्मूल करने का सबसे अच्छा तरीक यह होता कि आप दो कदम और आगे जाकर अपना चेक यूजर कराने का प्रस्ताव स्वयं देते? हिन्दी विकी पर कठपुतली के इतिहास में हुञ्जाल जी का नाम भी अंकित है। अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:08, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, जो तरीका मुझे सबसे अच्छा लगा वही किया है। विकि के इतिहास में या तो आप जैसे इतिहासी लोगों को रूचि है या विवाद प्रेमी जनता को जिसे इतिहास का उद्धरण देना प्रिय है, मेरी कोई रूचि नहीं। हुन्जजल जी अब प्रबंधक नहीं हैं। मैं हूँ, परन्तु मैं बतौर प्रबंधक शायद इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। थोड़ा धैर्य रखिये, बाक़ी प्रबंधकों पर भी विश्वास न हो तो ये दो क़दम का फ़ासला आप ख़ुद भी तय कर सकते हैं, आशा करता हूँ इतना चलने के लिए तो तैयार ही होंगे जो यह आरोप लगाया है। --SM7--बातचीत--18:45, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7:जी, आश्चर्य है कि इतिहास से सहसा घृणा हो गयी, वैराग्य आ गया। क्या नैतिकता की सारी बातें इतिहास हो गयीं? आपको पता है कि सोने को आग से डर नहीं लगता क्योंकि आग में जाकर सोना शुद्धतर होकर निकलता है। एक प्रबन्धक अपनी जाँच से डरे तो जनता में क्या सन्देश जाएगा?
@अन्य सदस्य -- यह अनुभाग मुझसे प्रश्न के रूप में लिखा गया था। जो मेरे वार्ता पन्ने पे किया जाना चाहिए था। अनुरोध करने पर वहाँ भी लिखा गया और पहले उन प्रश्नों का उत्तर माँगा जा रहा जिनकी वज़ह से आदरणीय नेहल जी को यहाँ आना पड़ा। मेरे उत्तर देने के विलम्ब को "कतराना" कहा गया। स्पष्ट कर दूँ कि जिन बातों पर मुझसे प्रश्न पूछा जा रहा उनका उत्तर मैं अभी कदापि नहीं दूँगा। कारण भी बता देता हूँ, मेरी स्पष्ट राय है कि विवाद पर चर्चा करने हेतु दायित्व छोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है। जब तक इसका निर्णय नहीं होता किसी ऐसे विवाद पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूँगा जिसे पहले ही सामान्य रूप से सुलझाया जा सकता था। नेहल जी (और एक और मित्र ने जाने की धमकी दी है) की कार्यशैली देखते हुए ही इस नतीज़े पे पहुँचा हूँ कि ये लोग मात्र ध्यानाकर्षण हेतु ऐसे मुद्दे इस रूप में उछालते है। यकीन न हो तो कृपया इसी पन्ने पे ऊपर देखें, (छोटा सा उदाहरण दे रहा) नेहल जी ने एक लेख को निर्वाचित घोषित कर दिया क्योंकि "मेरा ये करने का उद्देश ये था कि कोई तो आगे आये और इस विषय पर चर्चा करे।" और विकीतर वाट्स एप समूह में इसे "बम फोड़ने" की संज्ञा भी दी थी (क्षमा प्रार्थी हूँ अनौपचारिक समूह की बात लिखने के लिए)।
उक्त तरीकों से शहीद बनने और त्याग की भावना (दायित्व त्याग) दिखाने का प्रयास ये लोग कर रहे -- और माननीय अनुनाद जी का कहना है कि पवित्र युद्ध में भाग लेने वाले (जिहादी) हम हैं। ख़ुद ये लोग टीम बना कर विकिपीडिया को पवित्र करने का अभियान चला रहे और आरोप हमपे कि हम जिहाद कर रहे। खिड़की को वातायन किया जा रहा कि यह शुद्ध किया जा रहा, और टोको तो हम जा रहे, तुम हमें छोड़ने पे मजबूर कर रहे इसलिए खलनायक हुए। सामने वाले को निन्दित करने का बेहतरीन तरीका खोजा है। आरोप लगा दो, ख़ुद अच्छे साबित हो गए।
एक समय था जब हिन्दुस्तानीलेन्गुएज और हिन्दुस्थानवासी को एक समझा जाता था। फिर शनैः शनैः वो भ्रम दूर होता गया। अभी कुछ दिनों पूर्व की ही बात है, जब किसी पुरातन सदस्य का नाम ले कर कठपुतलि लेखा बनाई गयी थी, जिससे प्रबन्धक के लिये नामांकन किया और पुनरीक्षक पद के लिये भी आवदेन किया गया था। व्यवहार पर शंका करना और उसको व्यक्त करना अत्यावश्यक है। फिर वो असत्य या सत्य सिद्ध हो तो किसी की जय या पराजय नहीं होती, अपि तु समुदाय का हित होता है। अतः इसे आप अपनी प्रतिष्ठा का विषय न बनाएँ।
"कतराना" शब्द आज भी उचित है और निर्वाचित लेख के समय भी उचित ही था। विकिपीडिया पर स्वान्तः सुखाय कार्य होता है और कभी कभी निष्क्रिय होना भी अत्यन्त लाभकारी होता है। इस नीति का प्रबन्धकगण अनुचित लाभ ले रहे हैं। जब किसी चर्चा पर मत देने की बात आती है या निर्णय करने की बात आती है, तो जानकर या तो निष्क्रिय हो जोते हैं या अन्य बात करते हैं। अभी तो आपके द्वारा दो दिन ही विलम्ब से उत्तर (नहीं) दिया गया। परन्तु निर्वाचित लेख के समय तो बहुत दिन हो चुके थे। अब पुछा जाये तो अन्य ही कारण मिलेगा।
आपको जो प्रश्न किये हैं, वे आपको किसी सदस्य के रूप में पुछे नहीं गये। वे प्रश्न प्रबन्धक के रूप में आप से किये गये हैं। अतः अपने दायित्व से भागने का प्रयास न करें। आपकी प्रथम टिप्पणी से मैं देख रहा हूँ कि आप बात को घुमा रहे हैं। फिर भी मैं आप जैसे चाहते हैं, वैसे करने का प्रयास कर रहा हूँ। इसलिये नहीं कि मुझे किसी को अनुचित सिद्ध करना है। इसलिये कि मुझे समस्या का समाधान चाहिए। परन्तु प्रबन्धक के रूप में आप समाधान करने के स्थान पर पहले क्यों नहीं किया? अधिकार की आड क्यों ली? यहाँ क्यों लिखा? अमुक लेख का शीर्षक क्यों बदला? इत्यादि प्रतिप्रश्न कर विवाद को बढा रहे हैं। वास्तव में यदि आप निष्पक्ष हैं और हिन्दी की एक शैली के प्रति पक्षपाती नहीं, तो अपना मत प्रस्थापित करने से बचते (कतराते) क्यों दिख रहे हैं?
बम फोड़ना शब्द प्रयोग कोई अनुचित नहीं था। क्योंकि यही वास्तविकता है कि, जब सब से मत मांगा जाता है, तब कुछ लोग निष्क्रियता का आवरण ले लेते हैं। फिर जैसे निर्णय अन्तिम चरम पर होता है, तो विवाद उत्पन्न किया जाता है। क्या एक प्रबन्धक के रूप में आपको पता नहीं था कि उस लेख के सन्दर्भ में क्या समस्या चल रही थी? अब आप कहेंगे मेरा ध्यान नहीं था। परन्तु खिड़की का वातायन होने पर आपका ध्यान है और इतना विशाल विवाद आपके ध्यान में नहीं था? या आप प्रतीक्षा कर रहे थे कि देखते हैं मेरे विचार के अनुरूप निर्णय हो तो उचित है, अन्यथा मैं कूद पडूंगा। कौन प्रबन्धक बनेगा और किसको अमुक अधिकार मिलेंगे ये नेपथ्य में ही निश्चित हो जाता है। ये व्यक्ति? इसने तो उस दिन मुझ से अमुक प्रश्न किये थे। ये नहीं। वो? हाँ वो अच्छा है। उसने उस समय अच्छा तर्क दिया था (जो मेरे अनुकूल था)। इसे आगे बढाते हैं।
नेपथ्य में विवाद के समाधान पर कार्य करना कोई अनुचित कार्य नहीं है। सब चाहते थे कि निर्वाचित लेख पर कोई अपना मत देवें। परन्तु जिनके पास ये क्षमता थी वो अघोषित रूप से अपने दायित्व से भाग रहे थे और अपने अधिकारों का अवलम्बन (आड) लेकर अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। वो अधिकार के अवलम्बन में चर्चा न करना यदि उचित है, तो मेरा अधिकार त्यागने की बात कर चर्चा करवाना भी उचित ही है। वास्तव में ये आरोप ही है कि मैंने अधिकारों के अवलम्बन में चर्चा करवाई। फिर भी उसका समाधान ये है कि, चाहे इस चर्चा का निर्णय पक्ष में या विपक्ष में आये मैं ये अधिकार त्याग दूंगा। इस वाक्य से मेरी मन्शा स्पष्ट है। द्राक्षा, वातायान इत्यादि की जो बात है, वो मैं स्वीकार करता हूँ। वहाँ स्थिति ये थी कि, मैंने अधिक शुद्ध शब्दों के प्रयोग का सोचा। क्योंकि समाज में स्थानप्राप्त शब्दों को तो सब जानते ही हैं। वो खोजेंगे तो अनुप्रेषण के माध्यम से वो खोज ही लेंगे। परन्तु उनको वास्तविक शब्द नहीं पता चलेगा। उदा.। खिड़की सब उपयोग सब करते हैं, तो उसे खोजा ही जाएगा। अतः उसको कोई समस्या नहीं है। परन्तु उससे किसी को वातायन शब्द का ज्ञान नहीं होगा। यदि हम खड़की को अनुप्रेषित कर वातायन की ओर भेजें, तो अंगूर जानने वाले को वातायन शब्द का भी बोध होगा और खिड़की शब्द तो वो जानता ही है। परन्तु आप लोगो के ऐनक में ये कृत्य अन्यथा है। अतः मैं स्वीकारता हूँ कि वो मेरी क्षति थी। परन्तु यहाँ जो विषय है, उस में जानकर किसी के द्वारा प्रयुक्त शब्द को परिवर्तित कर अपने सीमित (पक्षपाती) ज्ञान के आधार पर एक ही शब्द उपयोग करने के लिये अन्य को विवश किया जा रहा है। इन दोनों अंशों को आपने स्पष्ट रूप से समान सिद्ध करने का प्रयास किया।
दो व्यक्तिओं के मध्य मतभेद होता है और तृतीय व्यक्ति आता है, जिसे समाधान ज्ञात है। अब वो व्यक्ति समाधान देगा और विवाद समाप्त करेगा। परन्तु यहाँ तर्क दिया जाता है कि, उस में से एक व्यक्ति यदि ऐसे करता तो विवाद होता ही नहीं या समाधान हो सकता था, अतः मैं समाधान नहीं दूंगा। ये हास्यास्पद और स्पष्टरूप से उत्तर देने से बचने का प्रयास ही कहा जाएगा। क्योंकि वो उस द्वितीय व्यक्ति के पक्ष का तर्कसंगत पाता है और अपनी विचारधारा के अनुरूप व्यक्ति के पक्ष को और अपने पक्ष को तर्कहीन।
संजीवजी से मेरी विस्तृत बात हुई है। मैं उनसे भी निवेदन किया है और उसका ही यहाँ पुनरावर्तन कर रहा हूँ। मैं विवाद नहीं चाहता और न मैंने विवाद आरम्भ किया है। मैंने लेख बनाया और उस में जितने भी तथ्यों का अभाव बताया गया वो मैंने लेख में अन्तर्भूत किये। परन्तु एक पक्षपाती रूप से शीर्षक और लेख में प्रयुक्त हिन्दी शब्द को आक्रमण, दायित्व इत्यादि शब्दों के प्रयोग से रोका गया। संख्या विवाद जो वास्तविक विवाद है भी नहीं। क्योंकि अंक परिवर्तक नामक उपकरण बना हुआ है। जिसे जो चाहे वो अंक देख सकता है। फिर भी वो अन्य के प्रयुक्त अंक को परिवर्तन करते हैं। इससे अधिक लेख में दिये उचित सन्दर्भों को नीकाला गया और पक्षपातपूर्ण लेख सज्ज किया गया। तो ऐसा करने वाले को दण्ड हो मैं नहीं चाहता परन्तु हिन्दी शब्दों के प्रयोग के लिये स्वतन्त्रता हो इतना ही हो ऐसा मैंने कहा।
जब मैंने खिड़की का वातायान किया और अंगूर का द्राक्षा किया तो उसे पूर्ववत् कर दिया गया, तो अब इस अनुचित कृत्य के लिये कार्यवाही की याचना मुझे किसी भी प्रकार का भयादोहन (blackmail) नही लगता। किसी अन्य पद्धति से हो सकता था, परन्तु वास्तविकता ये है कि नहीं हुआ। अब नहीं हुआ तो कभी नहीं होना चाहिये ऐसी नीति का त्याग कर पूर्वकाल में असिद्ध को सिद्ध करना चाहिये। अस्तु। ॐNehalDaveND•✉•✎08:39, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
सलमाजी भारत नामका एक देश है, जहाँ शताब्दीयों से नहीं युगों से मूर्तिपूजक, मूर्तिपूजा के न मानने वाले, ईश्वरवादी, ईश्वर में न मानने वाले लोग रहते हैं। उन लोगो की भावना को आहत करने वाले कुछ तत्त्वों को जब कहा जाता है कि, ये करना है तो जिस देश में ऐसा होता है, वहाँ चले जाएँ। तब वो कहते हैं कि ये देश उतना ही हमारा है, जितना तुम सबका। उस तर्क को मैं दे रहा हूँ। यदि हिन्दी के शब्दावली विभिन्न भाषाओं से प्रभावित है और भाषाविज्ञान भी उसके लिये तर्क देता है, तो किसी एक ही पक्ष की भाषा के उपयोग करने वालों का विरोध क्यों न करूं? और ये भाषा जितनी आपकी है उतनी मेरी भी है, तो मैं कहीं जा कर क्यों लिखूँ? मैं यहाँ लिखूँ या नहीं ये कोई मुजाहिद निश्चित नहीं करेगा। ॐNehalDaveND•✉•✎09:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
दोस्तों यहाँ चर्चा विश्वकोश निर्माण की नहीं, भाषा निर्माण की हो चली है। ये हमारे बस में नहीं है और हमारा काम भी नहीं है। कृपया यहाँ विकिपीडिया पर अपनी राजनीतिक आस्था लेकर युद्ध न चलाया जाए। हमारा मकसद हिन्दी में विश्वकोशीय जानकारी देना है, किसी राजनीतिक पद्धति या शब्द को प्रचारित करना नहीं है। इसके लिये ही साधारण शब्द उपयोग करने की अनुशंसा है और की गई है। कृपया इसी को ध्यान में रखें। जो कोई (मतलब हर कोई) ऐसा नहीं कर सकता वो जाने को स्वतंत्र है। उसके लिये इतना बवाल और शोर-शराबा करने की जरूरत नहीं। हम में से हर कोई किसी न किसी मकसद के लिये आया था यहाँ पर, तो जाहिर है जब वो मकसद पूरा होते हुए न लगे तो मन उखड़ जाता है और कुछ करने का मन नहीं करता। इसका उपाय यही हो सकता है कि मकसद बदल लिया जाए या विदा ली जाए। परिपक्व लोग इसे शांति से करेंगे और कुछ नहीं। पर इससे वास्तविकता नहीं बदलती। खैर इस मामले को तूल न दिया जाए और जो विकिपीडिया निर्माण के लिये आए हैं, वो अपने काम में लग जाए। जिनको कुछ और करना है वो दूसरा माध्यम तलाश लें। धन्यवाद।--हिंदुस्थान वासीवार्ता10:55, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@हिंदुस्थान वासी: जी, आपके इस 'साधारण शब्द' का क्या अर्थ निकाला जाय? मैं यदि सीधे-सीधे कहूँ तो हममे से जो सबसे कम पढ़ा-लिखा, सबसे कम हिन्दी जानने वाला, या सबसे मूर्ख होगा उसकी हिन्दी शब्दावली का उपयोग करना पड़ेगा तब जाकर हम सही अर्थों में कह सकेंगें कि हम 'साधारण शब्दों' का उपयोग कर रहे हैं।क्या आप इसके लिए तैयार हैं? उदाहरण के लिए ऊपर आपने जो 'दोस्तों' का प्रयोग किया है, साधारण जनता वही उपयोग करती है। किन्तु हिन्दी का व्याकरण कहता है कि उसके स्थान पर 'दोस्तो' सही है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:11, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
इसके लिये कोई नीतिगत चर्चा पृष्ठ बना के विचार किया जाना चाहिए। ये मुद्दा कई महीनों के अंतराल पर उठता रहता है, इसका समाधान होना चाहिए। "प्रचलित" शब्द कैसे तय होंगे इसपर भी बात होनी चाहिए, खासतौर से शीर्षक में। अंदर पाठ में तो ज्यादा किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। मूल मुद्दा संस्कृत या फ़ारसी का न बनाकर (विश्वकोश की) भाषा की सरलता और उपयोगिता पर होना चाहिए।--हिंदुस्थान वासीवार्ता18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
विश्वकोश का निर्माण का आधार भाषा है यहाँ पर। हिन्दी भाषा में विश्वकोश बनाने के लिये ही सब प्रयत्न कर रहे हैं। परन्तु जो लोग अपनी राजनीतिक आस्था को गुप्त रख कर अन्यों पर राजनीतिक आस्था के लिये युद्ध करने का आरोप करें, तो उन्हें दर्पण देख लेना चाहिए। यहाँ किसी के जाने के और न जाने के विषय मैं जो बात हो रही है, वो किसी ऐसे व्यक्ति के कारण आरम्भ हुई जो अपनी मनमानी करना चाहता है। किसी अन्य को विवश करना चाहता है कि उसको और उसके राजनीतिक आस्था वालों को जो शब्द आता है, उसका ही सब लोग उपयोग करें। 'तार्किक रूप से सही' बोल कर मनमानी कर लते हैं, अतः आप से वैसे भी हि.वि के सदस्यों की चिन्ता की अपेक्षा नहीं है। परन्तु ध्यान रहे, जो अधिकार आपके पास है, वो निर्माण के लिये विनाश के लिये नहीं। जाने न जाने की चर्चा तो एस.एम.7 जी ने पहले ही समाप्त करवा दी। अब यहाँ चर्चा समाधान की हो रही है, जो आपके स्वभाव में नहीं। ॐNehalDaveND•✉•✎12:03, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
नेहल जी, ये तो साफ़ है कि आप संस्कृत शब्द का प्रचार ही करना चाहते हैं और ऐसे शायद संस्कृत विकिपीडिया के लिये नए सदस्य खोज रहे हैं। उसे हिन्दी बताकर सबको "शुद्ध" करना चाहते है। क्या मैंने कोई शब्द जबरदस्ती करने के लिये हो-हल्ला किया है? जो लोगों को सही लगा होने दिया। अब आप कभी जाने का और कभी न जाने की कहते हैं। कोई ढंग का लेख बनाइये, क्यों शब्द को प्रचारित करने में हमारा समय बर्बाद कर रहे।
आप बार-बार अमरनाथ हमला की चर्चा को ले आते हैं। उसकी सच्चाई सबको दिख रही है। वहाँ सब लोग हमला शब्द करने के साथ थे (आप को छोड़कर), वो भी तर्क के साथ। आप ही नए-नए जुगाड़ निकाल रहे थे उसको न होने देने से। हर किसी का सम्पादन हटा रहे थे। जरूर आपका उन लोगों के प्रति सहानुभूति हो सकती है और आपका लेख के साथ लगाव भी। पर आप वहाँ सिर्फ एक तरफा ही लिख रहे थे जिसे आप "सच्चाई" मानते हैं। मैंने उस लेख में कोई सम्पादन नहीं किया है। नाम बदलने की चर्चा खुली हुई थी मैंने उसको बंद किया। उसके बाद से आप यहाँ पर बचकानी हरकत कर रहे जो आपको शोभा नहीं देता। आपको पुचकारने का काम खत्म, अब बड़े हो जाइए और परिपक्वता से कार्य करें।
आपके साथ शब्द प्रचार में बिल्कुल साथ नहीं दिया जाएगा। इस विषय (विदेशी शब्द से हिन्दी को "शुद्ध" करना) में कोई समाधान की गुंजाइश नहीं है और कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इनको प्रचारित करने का कोई और साधन खोज लें। धन्यवाद।--हिंदुस्थान वासीवार्ता18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
वो लेख अब जिस स्थिति में है, उस का आप समर्थन कर रहे हो। क्योंकि उस में शब्दों का परिवर्तन किया गया और सन्दर्भ नीकाले गये। इसे प्रबन्धक के रूप में समर्थन देना अनुचित आपको नहीं लगा इस में मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। पुचकारने की आपकी कोई मन्शा नहीं हो ये अच्छी बात है, परन्तु अपनी मनमानी करना नहीं। मैंने प्रचलित अप्रचलित की कभी बात नहीं की है। परन्तु जब कुछ लोगोने तर्क दिये, तो मैंने उनके तर्कों के अनुगुण भी मेरा कार्य उचित है, ये तर्क दिया था। अन्यथा मेरा एक ही मत है, जैसे अन्यों को शब्दों के प्रयोग में सब को स्वतन्त्रता है, वैसे मुझे भी हो। फिर उस में ये अप्रचिलत है या मुझे समझ नहीं आता या अशिक्षित लोगों को समझ नहीं आयेगा इत्यादि कारण देना अनुचित है। समाधान वैसे भी आप से होने की कोई अपेक्षा नहीं थी न है। यदि आप एकाकी प्रबन्धक के रूप में निर्णय ले कर इस चर्चा को बंद करें, तो आप स्वतन्त्र हैं। परन्तु मेरा प्रश्न सर्वदा एक ही रहेगा कि, क्यों एक ही शब्द के प्रयोग पर किसी सम्पादक को विवश किया जा रहा है? ये मनामानी नहीं, तो क्या? ॐNehalDaveND•✉•✎03:31, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
इस सम्पादन में जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, यदि ऐसा होता रहा, तो सर्वदा शब्द युद्ध में ही सम्पादक व्यस्त रहेगा। क्योंकि उसने जो शब्द लिखें, जो उसके मन में हैं, उसे बारंबार परिवर्तित करने से कार्य कभी आगे नहीं बढ़ेगा। अंक परिवर्तक निर्मित है, जिसे जो अंक चाहिये वो देखें। उस में किसी लेख में जाकर अंको के परिवर्तन करने की आवश्यकता क्यों हैं? तब जब कुछ लोग अरबी अंक को लिखना चाहते हैं और कुछ देवनागरी। एक शब्द के तो अनेक पर्यायवाची शब्द होते हैं, तो मुझे जो पर्याय अच्छा लगता है, उसे ही में जा कर लेखों में परिवर्तित कर दूं, तो मुझे आप विकिकार्यो में विघ्न उत्पादन करने की श्रेणी में डालते हैं और समान कार्य कोई अन्य करता है, तो उसे पुचकारते हैं। ये प्रबन्धक के मत अनुरूप कार्य करने वालों के प्रति पक्षपात नहीं तो क्या है। मैं केवल शब्दों के प्रयोग में स्वतन्त्रता तो चाहता हूँ। इस में सब ने राजनीति, धार्मिकता और बहुत कुछ जोड़ दिया। उसका उत्तर इसलिये दिया क्योंकि वो आरोप लगा रहे थे। वास्तव में शुद्ध और स्तय विचार मेरा शब्दों के परिवर्तन से होने वाले विवादो के प्रति थी। परन्तु चर्चा को बारं बार यहाँ वहाँ ले जाया गया। इससे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले और समाधान भी नहीं। आप से तो समाधान की कोई अपेक्षा भी नहीं थी अतः अधिकार छोड़ जा रहा था। परन्तु आपके स्थान पर सत्यंजी ने पुछा की पुनर्विचार करें अन्यथा मैं कुछ कहे बिना ही त्याग देता। क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास था कि, आप बिना कुछ चर्चा किये मेरे अधिकार हटा देंगे और सह समाप्त हो जाएगा। परन्तु ये चर्चा चली। वास्तव में सत्यं जी मेरे विरुद्ध केवल दिख रहे हैं, परन्तु प्रत्येक समय वो किसी न किसी प्रकार मुझे मार्ग बताते गये और अन्त में मैंने उनके संकेतो को ग्रहण किया और अधिकार त्याग की बात को अनुचित स्वीकार कर समस्या का समाधान करना चाहा। परन्तु अभी आपके प्रत्युत्तर से स्पष्ट है, कि मैंने पहले विचार जो किया था कि समाधान असम्भव है, वहीं होगा। अब @Innocentbunny, Mala chaubey, Anamdas, स, Sniggdha rai, Somesh Tripathi, Sushilmishra, Suyash.dwivedi, अनुनाद सिंह, चंद्र शेखर, SM7, संजीव कुमार, Hindustanilanguage, Swapnil.Karambelkar, Kamini Rathee, Ganesh591, Gaurav561, Hunnjazal, J ansari, अजीत कुमार तिवारी, ShriSanamKumar, Jayprakash12345, आशीष भटनागर, चक्रपाणी, और भोमाराम सुथार:
@संजीव कुमार, अनिरुद्ध कुमार, SM7, अजीत कुमार तिवारी, और हिंदुस्थान वासी: प्रबन्धकगण और अन्य सदस्य जो निर्णय ले मेरे लिये स्वीकार्य होगा। अधिकार की ये बात थी ही नहीं शब्द स्वतन्त्रता की बात थी। जिसे अधिकार की आड़ लेना कहा गया। परन्तु ऊपर मैंने जो सत्य था वो सब के सम्मुख प्रस्थापित किया। अब पुचकारना कहें या चर्चा करना आप सब निर्धारित करें। शब्द प्रयोग की स्वतन्त्रता ही न हो ऐसा कैसे हो सकता है? ॐNehalDaveND•✉•✎03:46, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जैसा कि सभी माननीय सदस्यों को सूचित किया जा चुका है कि हिंदी विकिमीडियन्स सदस्यदल के तत्वावधान में जयपुर में ११-१२ नवंबर के दिन एक अनुरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें होने वाले व्यय हेतु विकिमीडिया फॉऊण्डेशन को अनुदान के लिए निवेदन किया गया है, कृपया अपना समर्थन दें। लिंक नीचे दिया है:
जैसा कि हम काफी पहले से ही चर्चा कर रहे है कि दिल्ली में एक सम्मेलन हो ,और अब लगभग ऐसा लग रहा है कि हम सम्मेलन को जनवरी 2018 में अवश्य कर लेंगे। लेकिन इस सम्मेलन की ग्रांट अभी तक हमने सबमिट नहीं की है और कार्य आज ही करना है तो कृपया ग्रांट प्रस्ताव को देखें और सुझाव दें। प्रस्ताव यहाँ है।--•●राजू जांगिड़ (चर्चा करें●•) 12:54, 25 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अभी हिन्दी विकिपीडिया पर हिन्दी दिवस लेख प्रतियोगिता चल रही है जिसका आरंभ 14 सितंबर हिन्दी दिवस के दिन हुआ था। जैसे अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला है, सदस्यों की राय के अनुसार इसे १४ दिन तक ही रखने के बदले पूरे एक महीने तक चलानी चाहिए जिससे अधिक से अधिक लेखों का निर्माण हो सकें और नए द्सदस्यों को भी जोड़ा जा सके। अतः इस प्रतियोगिता की समय मर्यादा 30 सितंबर से बढ़ाकर १३ अक्तूबर तक बढ़ायी जाती है। १४ सितंबर से १३ अक्तूबर तक ये प्रतियोगिता चलेगी। आप इस प्रतियोगीता से जुड़े नहीं है तो अभी भी जुड़ सकते हैं।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 08:10, 26 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मैंने हहेच नामांकन किया तब ट्विंकल में ये पृष्ठ निर्माण नहीं हुआ। खोज के परिणाम में खोजा, वहाँ कोई पृष्ठ नहीं बना हो तो लाल अक्षरों में दिखता है और उसे बनाने का विकल्प आता है लेकिन इस में नहीं आया। अतः समस्या ट्विंकल में नहीं है। शायद ये पृष्ठ में कोई ऐसा शब्द हो जो पृष्ठ बनाने से सुरक्षित किया गया हो।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:32, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
ये [[विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/साँचे/भारत के राज्यों और संघक्षेत्रों के राज्यपाल और लॅफ़्टिनॅण्ट गवर्नर]] बिना नो विकि लगाए ही नो विकि के प्रारूप में ही प्रदर्शित हो रहा, मतलब पृष्ठ की कड़ी या पृष्ठ न बना हो तो उसकी लाल कड़ी दिखनी चाहिए जो नहीं हो रही।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 03:40, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मैंने परीक्षण हेतु मेरे प्रयोगपृष्ठ पर हहेच नामांकन किया, जिस में ट्विंकल से चर्चा का पृष्ठ बन गया। मतलब कि ट्विंकल में कोई क्षति नहीं है। हहेच पन्ने को मैंने उपरोक्त पन्ने के नाम पर स्थानांतरित करने का प्रयत्न किया जो सफल नहीं रहा। निम्नलिखित त्रुटि दिख रही है:
आपको इस पृष्ठ को स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं हैं, निम्नलिखित कारण की वजह से:
अनुरोधित पृष्ठ का शीर्षक अमान्य, खाली, या अंतर-भाषीय / अंतर-विकि शीर्षक से गलत ढंग से जुड़ा हुआ है। इसमें एक या एक से अधिक ऐसे अक्षर-स्वरूप (character) हैं जो शीर्षक में इस्तेमाल नहीं किए जा सकते हैं
प्रतियोगिता में मैंने जो भी लेख लिखे हैं सभी को शीघ्र हटाने का नामांकन किया गया है जिसमे शीघ्र हटाने हेतु असंगत/गलत श्रेणी व1 • अर्थहीन नाम अथवा सम्पूर्णतया अर्थहीन सामग्री वाले पृष्ठ भी चुनी गई है
प्रिय सदस्य:स तथा सदस्य:आर्यावर्त जी, मैंने इस प्रतियोगिता के लिये बड़े परिश्रम से दिन-रात एक कर के ६ लेख लिखे हैं, मैंने प्रथम बार विकिपीडिया में सम्पादन का कार्य किया है. मुझे हिंदी टंकण तक करने का पूर्ण ज्ञान नहीं है बस कर लेता हूँ. और मेरे सभी ६ लेखों को हटाने का नामांकन दो सदस्यों सदस्य:Dharmadhyaksha तथा सदस्य:Swapnil.Karambelkar ने कर दिया है और अभी अभी वे सभी लेख पूर्णरूप से विकिपीडिया से मुझसे बिना किसी चर्चा के हटा दिए गए हैं.
अपितु मैंने सभी शर्तों को ध्यान में रखने का प्रयास किया है लेकिन सदस्य:Chandresh Chhatlani जी के लेख को पढ़ कर मैनें अपने लेख समान्य शैली में लिख दिए थे. सोचा था कि संचालकों से कुछ मार्गदर्शन मिलेगा तो सुधार करूँगा. प्रतियोगिता के अंतिम दिनों में जुड़ने के कारण ज्यादा ही जोश भी है इसलिये गलतियाँ स्वाभाविक हैं. परन्तु मैंने पूर्ण रात्रि अपने लेखों को समर्पित कर दी थी जिनका ऐसा तिरस्कार मेरे दिल को असहनीय कष्ट दे गया है.
कृपया मेरे साथ थोडा सा उदार रवैया अपनाएं और मुझे मार्गदर्शित करें कि मैं प्रतियोगिता के लायक क्यों नहीं हूँ. मेरे लेख और नामांकन सूचना पृष्ठ में और लेख यथास्थान सूचीबद्ध किये गए हैं. कृपया उनको देख कर अपना निर्णय बताएं कि मुझे आगे क्या करना है? कम से कम मेरे द्वारा बनाये गए लेखों को मेरे सदस्य पृष्ठ के उप पृष्ठों में ही डाल दें. --Shubhanshu Singh Chauhan Vegan (वार्ता) 19:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
हमे शुभांशु की बात को भी ध्यान से सुनना चाहिए। मैं भी समझता हूँ कि अपने वर्तमान रूप में इनके द्वारा बनाए गये लेख रखे नहीं जा सकते। किन्तु क्या कुछ परिवर्तन करके हिन्दी विकि पर रखने योग्य बनाया जा सकता है? मुझे इसकी बहुत सम्भावना दिख रही है। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 02:44, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
शुभांशु जी, हिन्दी दिवस प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्दी विकिपीडिया में जुडने के लिए धन्यवाद और आपका स्वागत है। जैसा कि आपने लिखा है, आप के हिसाब से आप की बात सही है किन्तु विकिपीडिया की नीतियों के अनुसार विकिपीडिया में लिखने की शैली कुछ अलग प्रकार की होती है और लेख का विषय भी कुछ अलग प्रकार का होता है जो साहित्यिक प्रकार के लेखन से भिन्न है। इसके लिए पहले आपको विकिपीडिया को समझना होगा। विकिपीडिया एक ज्ञानकोश है, जहां जानकारी का संग्रह होता है। अतः प्रथम तो आप जी विषय में लेख बना रहे हैं वो विषय ज्ञानकोषीय मतलब कि इतिहास में स्थान देने योग्य या तो महत्वपूर्ण होना चाहिए। विकिपीडिया की लिखने की शैली भी अलग है, यहाँ तृतीय पक्ष के तौर पर तटस्थता पूर्वक लिखा जाता है। आप विकिपीडिया से जुड़े ही हैं तो थोड़े समय में विकिपीडिया की कार्यशैली से अवगत हो जाएँगे और बाद में आपको इस प्रकार कि समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 04:18, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जी नमस्कार u:आर्यावर्त सम्पादक महोदय, मैंने सदस्य:Chandresh Chhatlani जी का लेख भी अपने लेखों के साथ ध्वस्त होते हुए देखा तब समझ में आया कि हमने प्रतियोगिता को थोड़ा गलत समझ लिया था. हमें लगा कि यह प्रतियोगिता विकी से थोड़ा अलग हट के सिर्फ हिंदी दिवस के अवसर पर बनी है. जबकि इसका उद्देश्य नए विकी लेख बनाना मात्र था. चलिए अब हम अगली बार कोई अच्छा लेख भी लिखेंगे. तब तक अभ्यास करते रहेंगे. आपकी बात मै समझ चुका हूँ तथा मुझे अब किसी प्रकार का दुःख नहीं है. परन्तु जैसा कि वार्ता पृष्ठ में लिखा है कि मेरे पृष्ठ के उप पृष्ठ पर ये पृष्ठ मैं डलवाने का आपसे आग्रह कर सकता हूँ और मैंने किया भी है जिसका कोई उत्तर नहीं दिया गया. तो क्या मेरा आग्रह ठुकराया गया है? यदि आप नहीं करना चाहते तो मुझे उप पृष्ठ बनाने का तरीका बताएं. मैं खुद बना लेता हूँ. आप ईमेल से उनकी सामग्री ही भेज दें. धन्यवाद! --Shubhanshu Singh Chauhan Vegan (वार्ता) 19:06, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
हिन्दी विकिपीडिया में एक और हम सब लेख बनाने में, चौपाल पे चर्चा आदि कार्यों में व्यस्त हैं और ज्ञानकोश को समृद्ध करने के लिए लगातार अपना योगदान दे रहे हैं। दूसरी और आजकल हिन्दी विकिपीडिया के लिए आजकल लाखो रुपयों के आर्थिक व्याहर हो रहे हैं। जिस विषय में समुदाय को अवगत करने के लिए और योग्य निर्णय लेने के लिए ये संदेश यहाँ स्थापित कर रहा हूँ।
समस्या १
कुछ दिन पूर्व चौपाल पर एक प्रस्ताव आया कि हिन्दी विकिपीडिया के लिए एक विज्ञापन प्रचार समिति का गठन किया जाये और इसके लिए केवल ३ सदस्य आमंत्रित हैं। उक्त संदेश में ये नहीं बताया गया था कि हिन्दी विकिपीडिया के लिए फाउंडेशन के द्वारा लाखो रूपिये के अनुदान से एडवरटाइजिंग होने वाला है। ये प्रस्ताव चौपाल के पुरालेख में चला गया, वहाँ ही चर्चा हुई, रातोरात बाहर से कुछ ऐसे सदस्य जिनका योगदान हिन्दी विकि पर ना के बराबर है, आ गए और उनकी समिति भी बन गई जिस में कोई हिन्दी विकिपीडियन नहीं है। ३ से अधिक सदस्यों को भी ले लिया गया और लाखो रूपियों से हिन्दी विकि का प्रचार होने वाला है लेकिन हमें कुछ भी पता नहीं कि ये कैसे होगा, कब कहाँ होगा और कौन कर रहा। समुदाय को कुछ भी पता नहीं।
समस्या २
मेटा पर यहाँस:AbhiSuryawanshi जी ने, हिन्दी विकिपीडिया के नाम पे ४४००० डॉलर यानी २८ लाख से अधिक रुपयों कि ग्रांट प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव रखा है। मैंने यहाँ उनसे पूछा कि इतनी बड़ी ग्रांट लेने का निर्धार कब हो गया हमें तो कुछ पता भी नहीं। उत्तर में उन्होने बताया कि:-
चौपाल पे समुदाय से चर्चा करके ये तय किया गया है। (मुझे यहाँ एसी कोई चर्चा नहीं मिली।)
सभी प्रबन्धको को व्यक्तिगत कॉल करके बताया गया था। (प्रबंधक ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं।)
वोटसेप आदि में चर्चा की थी। (मुझे पता नहीं)
मेटा पर हिन्दी विकिमेडियन सदस्य दल के पन्ने पर चर्चा। (वहाँ कोई चर्चा नहीं, दो दिन पूर्व सदस्य ने खुद आगामी कार्यक्रम के रूप में एक कड़ी डाल दी थी।)
और तो और इसमें कुछ और समस्याएँ भी हैं। जिसके विषय में भी मैं समुदाय का ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा।
ये प्रस्ताव का इतिहास देखने से पता चलता है कि पहले ये प्रस्ताव कुछ और ही था और सितंबर में इसमें बदलाव करके ४४००० डॉलर की ग्रांट की रकम जोड़ी गई हैं। जो यहाँ १ सितंबर के पहले के अवतरण में देखा जा सकता है कि ये प्रस्ताव पहले कुछ और था।
इतिहास में जाकर देखें तो २०१४ से ये प्रस्ताव वहाँ पे है। तब समर्थन भी करवाए गए थे। लेकिन तब कुछ और ही था और अब कुछ और ही है। समर्थन ले लेने के बाद पूरा प्रस्ताव ही बदल गया है।
क्या सदस्य हिन्दी विकिपीडियन है?
क्या समुदाय को पता है कि हम ये कार्यक्रम कर रहे हैं और २८ लाख की ग्रांट ले रहे हैं?
जब जब भी आर्थिक व्यवहारों की बात आती है बाहर से कुछ लोग आ जाते हैं जो योगदान देने नहीं आते किन्तु ग्रांट लेने में ही रुचि रखने वाले हैं, उनके लिए हमारे पास कोई नीति है? क्या करना चाहिए?
समस्या ३
राजू जी २०१८ में विकिपीडिया का सम्मेलन करवा ने हेतु ५ लाख की ग्रांट ले रहे हैं। जो प्रस्ताव यहाँ है। राजू जी के नाम से इसका संचालन भी उपरोक्त सदस्य के द्वारा ही हो रहा है। कुछ दिन पूर्व राजू जी ने मुझे बताया कि उनकी आयु 18 से 19 साल है। अब इतना छोटा विद्यार्थी 5 लाख की ग्रांट का आर्थिक व्यवहार कैसे कर सकता है? इस ग्रांट के पन्ने पर इतिहास में जाकर देखा जाये तो पहले ये कुछ और ग्रांट का प्रस्ताव था जो सम्मेलन 2017 में होने वाला था और तब वापस ले लिया गया था। उसी प्रस्ताव में पुराने समर्थनों के आधार पर रकम, वर्ष आदि में पूरा बदलाव हो गया और पुराने समर्थनों के आधार पर ही ग्रांट ली जा रही है। 1 लाख रुपया तो cis को केवल ग्रांट के संचालन हेतु दिये जाने वाले है।
२०१४ से अब तक AbhiSuryawanshi के ५०० संपादन भी नही है और कुल १० लेखों मे संपादन किया है। संपादनों की संख्या ज्यादा मायने नही रखती, पर शायद ये महोदय इतने कम योगदान में हिन्दी विकि ठिक से समझे भी नही होगे। Dharmadhyaksha (वार्ता) 08:26, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आपके विचार से मैं सहमत हूँ। ऐसा लगता है विकिमीडिया फाउंडेशन के उदार रवैये का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। वह कमजोर विकिपीडियाओं को मजबूत बनाने के लिये हर संभव मदद करने को तैयार है तो कुछ लोगों ने इसके फायदा लिया है। इस पर विचार किया जाए। @Dharmadhyaksha: उनको अधिकार इसलिये दिया गया है क्योंकि वो परिचित है। वह सम्मेलन आदि ही करते हैं। इसलिये उनके छोटे मोटे योगदान जाँचने की जरूरत अधिकार देने वाले प्रबंधक को महसूस नहीं हुई।--हिंदुस्थान वासीवार्ता09:08, 28 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मै भी आर्यावर्त जी की बातों से सहमत हू। जो व्यक्ति केवल ग्रांट के लिए आते है वो सही नहीं है। उनका योगदान भी होना चाहिए। 28 लाख कोई मामूली रकम नहीं है। मै हिन्दी विकि पर जब से आया हू तब से अभी तक भोपाल सम्मेलन हुआ है जो रैपिड ग्रांट पर था लगभग 1.5 लाखा का। अगर दो लाख का भी हम ओसत ले तो हम 14 सम्मेलन 28 लाख मे करा सकते है। और छोटे मोटे कॉलेज मे शिक्षण भी कर सकते है। यदि 14 सम्मेलन मे 10 मे भी शिक्षण किया और 5 सदस्य प्रति शिक्षण जोड़े तो 50 लोग भी हिन्दी विकि पर बहुत मदद कर सकते है। लेकिन 28 लाख एक ही चीज पर खर्चा करना सही है। एक वैश्विक नीति है कि Don't put all egg in One Basket अर्थात सारे अंडे एक ही टोकरी मे मत डालो। हमे भी केवल छोटे छोटे कार्यक्रम करने चाहिए। और उनमे मिली नाकामी से सीखना चाहिए। 28 लाख का जुआ एक कार्यक्रम पर बिलकुल सही नहीं है। और जो लोग केवल ग्रांट के लिए आ रहे है उन्हे रोका जाना चाहिए।-जयप्रकाश >>> वार्ता04:24, 29 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
बिलकुल तार्किक है कि चौपाल पर चर्चा किए बिना हिंदी विकि के नाम पर ग्रांट नहीं ली जानी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि ग्रांट देने वाले दे कैसे रहे हैं? अवश्य ही ऐसे कुछ नियम अथवा छिद्र हैं जिनके बारे में अधिकांश समुदाय जानता नहीं है। योगेश जी ने यह संदेश चौपाल पर दिया इसके लिए उनका साधुवाद। लेकिन कहीं ऐसा न हो कि अनुदान लेने वाले वहाँ अनुदान ले लें और हम यहाँ चर्चा करते रहें। अतः सर्वप्रथम अपनी आपत्तियों को वहाँ दर्ज करवाना अत्यावश्यक है, जहाँ अनुदान प्रदाता इसे देखने वाले हैं। यह अवश्य कह दूँ कि न तो आलोचकों को प्रस्तावकों की नीयत पर शक करने की आवश्यकता है, और न ही प्रस्तावकों को आलोचकों की। सकारात्मक तरीके से सवाल रखे जाने चाहिएँ (प्रस्तावक भी अनुभवी और पुराने सदस्य हैं), सकारात्मक तरीके से जवाब भी दिए जाने चाहिएं (प्रस्तावक कितने ही पुराने और अनुभवी हों, उन्हें यह देखना चाहिए कि उनकी कार्यपद्धति से संदेह उत्पन्न हो रहा है)। विकिपीडिया की आपसी सद्भावना की नीति के अनुसार ही प्रश्न किए जाने चाहिएँ, प्रश्नकर्ता उचित उत्तर मिलने पर समर्थन करने को तैयार रहे, व प्रस्तावक उचित उत्तर न दे सकने की स्थिति में प्रस्ताव वापिस लेने अथवा प्रस्नकर्ता के सुझाव के अनुसार परिवर्तन करने को तैयार रहे। इस चर्चा से वातावरण प्रदूषित न हो इसका दोनों पक्ष ध्यान रखें।
ऊपर एक प्रश्न में प्रबंधकों की भूमिका पर सवाल उठाया गया है। एक प्रबंधक होने के नाते मैं अपना उत्तर प्रस्तुत करना चाहूँगा। जहाँ तक प्रबंधक से हुई चर्चा की बात है तो मेरा स्पष्ट मत है कि मेरे साथ किसी की फोन पर हुई कोई भी बात मेरे व्यक्तिगत विचार हो सकते हैं, किसी भी प्रकार से उसे हिंदी विकिपीडिया समुदाय की राय समझ लिया जाएगा या इस प्रकार दिखाया जाएगा तो मैं इसका सख्त विरोध करता हूँ। मेरे विचार एकदम स्पष्ट हैं - किसी भी व्यक्तिगत वार्तालाप की जिम्मेदारी मैं नहीं लेता और किसी भी प्रकार से मेरी किसी भी बात को समुदाय की बात नहीं समझा जाए। मैं पूर्णतया पारदर्शिता में विश्वास करता हूँ और इस बारे में मुझे कोई संदेह नहीं है कि जब तक चौपाल में कोई बात स्पष्ट नहीं लिख दी जाती तब तक किसी को भी उसे समुदाय की राय मानने का अधिकार नहीं है। प्रबंधक का अर्थ सिर्फ विकि में संपादन के अतिरिक्त किए जाने वाले रखरखाव में भाग लेना मात्र है, प्रबंधक का अर्थ समुदाय का प्रतिनिधित्व कतई नहीं है, जब तक कि चौपाल पर ऐसा स्पष्ट जनादेश न ले लिया जाए। समुदाय ही सर्वोपरि है, जिसके लिए चौपाल ही सर्वाधिक उचित मंच है। हालाँकि हम लोग हैंगआऊट, व्हट्सअप आदि पर भी सामूहिक चर्चाएँ करते हैं, लेकिन यहाँ भी मेरा स्पष्ट मत है कि ऐसी कोई भी चर्चा अथवा निर्णय मान्य नःीं जब तक कि चौपाल पर समुदाय उसे स्वीकृत न कर ले। --अनामदास06:55, 29 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
प्रस्ताव ३ के बारे बात की जाए तो जितना मुझे पता है उसके अनुसार राजू जी को भविष्य में तैयार करने के लिए आगे रखा गया है। आप ध्यान से देखें तो पाएंगे कि कई अनुभवी व्यक्ति उनके साथ हैं। आशा है इससे आपकी चिंता का निवारण हो गया होगा। यदि आप भी उनकी सहायता करना चाहें तो आपका भी स्वागत है। बाकी तकनीकी खामियों के बारे में प्रस्तावपृष्ठ पर ही आपत्ति दर्ज करवाना उचित रहेगा। --अनामदास07:05, 29 सितंबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स्पष्टीकरण
समस्या २
सवाल पूछने के लिये धन्यवाद मैं पूरी कोशिश करूँगा सभी सदस्यों को उनके सवालों के जवाब मिले -
संक्षेप में मेरी समज में यह कुछ सवाल हैं
चौपाल पर जो भी जानकारी दी वह पूरी नहीं थी और सबसे अहम चीज की धन के बारे में चौपाल पर बात नहीं की
जहां तक धन की बात है हमने अभी हाल ही में इसपर फैसला किया है।
आप सब ग्रैंड पेज पर देख सकते है की २५% स्पोनसएशिप हमे मिली है और कोशिश जारी है की हम पूरी स्पॉन्सरशिप प्रदान करले।
अगर धन की बात को हटा दे तो पूरा प्रपोजल हिंदी में यहाँ हुआ था।
आप सब ग्रैंड पेज पर देख सकते है की २५% स्पोनसएशिप हमे मिली है और कोशिश जारी है की हम पूरी स्पॉन्सरशिप प्रदान करले।
आप सब जानते है की सरकारे देर दूरस्थ फैसले लेती है। और यही वजह है देर से डाला। हमने विदेशी राज्य मंत्री से तक बात किया है और प्रयास जारी है। विदेश में हिंदी के बढ़ा-वे का कार्य विदेश मंत्रालय करता है और इस प्रचार पर काफी राशि खर्च भी करता है और वह आप सब देख अपेंडिक्स मे सकते है।
जी हाँ देर ही सही हमें धन की बात साझा कर देनी थी।
हमने प्रोजेक्ट ग्रांट के नियमो के अनुसार हिंदी मेलिंग लिस्ट पर तुरंत डाल दिया लेकिन चौपाल पर नहीं, हम आगे से ध्यान रखेंगे। हम माफी मांगते है। जहा तक बिना बताये ग्रांट लेना की है कोई भी प्रोजेक्ट ग्रांट बिना कम्युनिटी रिव्यु के नहीं पास होती है। कम्युनिटी को सूचित करा जाता है की ग्रांट सबमिट हुई है।
फिर भी गलती के लिए माफी मांगते है |
जो धन माँगा गया है वो बहुत ज्यादा है और उचित नहीं
आप सब को पता है की अमेरिका में और भारत में आर्थिक फर्कः है फिर भी अमेरिका के औसत से बहुत कम है(https://www.payscale.com/research/US/Job=Program_Manager%2C_Non-Profit_Organization/Salary) | अमेरिका से स्पोंसरशिप मिल ही चुकी है और का प्रयास हम कर ही रहे है और भारत सरकार से भी। इसके अथवा में आप को साझा करना चाहूंगा की बाकि प्रोजेक्ट ग्रांट्स के बारे मे भारत से कई प्रोजेक्ट ग्रैंड है और आप आर्थिक अंतर देखे तो हम ऐसा कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे है | २२ लांख रुपये लोग हिंदुस्तान में भी मांग रहे है जिसमे हिंदी पर भी काम होगा | खैर प्रोजेक्ट ग्रांट का मकसद पूरा करना उद्देश्य है न की तुलना और हम भरोसा दिलाते है की हम उद्देश्य पूरा करेंगे। कैसे क्या कार्य करेंगे - वो हमने चार्ट वह बुलेट पॉइंट्स से बताया है। कृपया राय दे |
इसके अलावा हम यह भी साझा करना चाहते है की बाकी हिंदुस्तानी भाषा पर कितना खर्च किया गया है|
भारत में छोटी छोटी कार्य करना भहतर है ना की अमेरिका या विदेश में कही और
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत मे और कार्य होने चाहिए। परंतु ध्यान दें कांफ्रेंस और प्रोजेक्ट ग्रैंट दो अलग चीज़ है और कांफ्रेंस ग्रांट पर भी हम आगे आ रहे है। आप सब को पता है कि बहुत सारे भारत के वासी विदेश में रहते है। इनके पास लैपटॉप इंटरनेट की कोई समस्या नहीं होती है और इनकी पहेली या फिर दूसरी भाषा आज भी हिंदी होती है। गौर करे भारत सरकार विदेश में हिंदी पर क्यों इतना खर्चा करे गी और हिंदी सेक्रेटेरिएट देश से बाहर क्यों खोलेगी। क्या भारत सरकार के लिये देश का विकास सबसे पहले नहीं है? फ्रांस कभी फ्रेंच को , स्पेन कभी स्पेनिश को या फिर इंग्लैंड कभी इंग्लिश को अपने देश तक सीमित नहीं रखता है। अमेरिका के चैप्टर भी इसका समर्थन कर रहे है अगर वो हिंदी को बढ़ावा देना चाहते है तो वह कुछ गलत नहीं कर रहे है हमें उनका आभारी होना चाहिए |
समुदाय के लोगो को भरोसे में नहीं लिया
हैंगऑउट, व्हाट्सप्प, कांफ्रेंस कॉल और चौपाल पर बात तो करी पर लोगो ने जैसे बताया है आगे से वैसे ही करेंगे और चौपाल पर ज्यादा सतर्क रहेंगे | ध्यान दे कम्युनिटी से पूछे बिना कोई ग्रांट नहीं आगे जाती है।
समर्थन बहुत पुराने है और बहुत कुछ बदल चुका है
यह कार्य २०१४ से प्लान किया जा रहा है अगर आप विस्तार से देखे तो सारी हिंदुस्तानी भाषा पर काम करने का इरादा है पर चर्चा में यह साफ़ हुआ की एक भाषा से शुरू किया जाएगा। हिंदी इस लिए क्योंकि भारत सरकार विदेश में हिंदी पर बहुत काम करती है और हम चाहते है की फाउंडेशन का पैसे कम से काम उपयोग हो।
इसी के कारण बाकी के विकी समुदाय बढ़ रहे है और एक दिन हमसे आगे भी निकल जाएंगे। उनके पास कर्मचारी हैं जो साझेदारी / पार्टनरशिप्स बढ़ाते है। जर्मन विकिपीडिया वालो का तो ९० लोगोका कार्यालय है।
हिंदी के लिए भी बढ़ना हैं तो भारत सरकार द्वारा दिया गया हात पकड़ना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए ऐसे मुझे लगता है।
बात आती है मेरी -
मैंने पिछले ७ साल में - सूडान, कैरो , न्यू यॉर्क, बोस्टन, सँन फ्रांसिस्को, सँन डिएगो, न्यू इंग्लैंड, बर्लिन जैसी जगहों पे विकी के लिए उपक्रम किये है और वहा पर ६ साल तक पूछते थे की आप हिंदी पे क्यों कुछ नहीं करते (ऑफलाइन काम), २०१५ में पहला हिंदी सम्मेलन मैंने ही आयोजित किया था (सबके मदत से), आप जिस हिंदी व्हाट्सप्प ग्रुप पे बात करते हो - वो भी मैंने ही शुरू किया था । और उसके बाद काम के बजह से दूर जाना पड़ा था - अब काम करने के लिए प्रायोजक तक ढूंढ लिए तो लोग बोलते है ये कहा से आगया। विकि के इतिहास के पन्नो में झांको तो आधे देशो के कार्यक्रमो में मेरा नाम मिलेगा।
हिंदी में देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हु और अगली बार से पारदर्शिता पर और मेहनत लूंगा।
जैसा कि कुछ सदस्यो ने बिना हिन्दी विकिपीडिया समुदाय की आम सहमती लिए बिना ही मेटा पर हिन्दी विकिपीडिया के नाम पे 44000 डॉलर-28 लाख रुपये की ग्रांट ली जा रही है और समुदाय को पता ही नहीं था। ये विषय पे चौपाल पे और ग्रांट के वार्तापृष्ठ पर चर्चा चल रही है। ये चर्चा यहाँ है:-
ग्रांट के वार्तापृष्ठ की चर्चा का पाठ
I'm Active user and reviewer on Hindi Wikipedia. In my information hindi wiki dont know about this proposal. No any discussion i local village pump. All endorsement are very old, sice 2014. Community do not know about this. After endorsement that time this proposal is totally changed now.user submitted this high budget request without community discussion.--आर्यावर्त (talk) 16:30, 26 September 2017 (UTC)
This proposal came out of Hindi Wikipedia 2014 and 2015 meet-up and national conference. Photos as well as links provided. Apart from that in last two months, updated links were shared on all possible platforms. Sorry if you missed them, I am listing notifications -
This: To inform those who might have missed it - Another round of notification (with Hindi translation of grant and budget) sent to Village Pump and Mailing List
u provide vilage pump link but there is no ant discussion related about your 48000 doller grant proposel. m asking here to community about this proposel but community do not know abot. also u updated (in grant page) 48000 doller related changes in september. in auguest this proposel is diff.
in user group page, you updated your self. only link. no any discussion. i think you are making fraud.
i have in hagout discussin. you taking only abot activity plan. not talking about your proposel. we dnt know you making grant proposel.
so i thiunk its fraud. please withdraw this proposel and next time do not make any grant proposel for hiwiki without community discussion. thanks.--आर्यावर्त (talk) 14:45, 29 September 2017 (UTC)
Interestingly - you were the only person involved in this grant discussion on Hindi Wikipedia Village pump. I am attaching the screenshot in case if you forgot it. Fortunately everything is documented and it is still in Village Pump archives.
Village Pump Hindi Translation of this Proposal (Summary) - Posted in August 2017
You talked about the grant amount and asked for program details, and I shared it (proposal summary in Hindi) - adding another screenshot and VP archive link.
As per as exact amount and timing is concerned - we were negotiating with sponsors and were hopeful about getting 100% however, we got 25% and after receiving confirmation - we updated grant proposal and immediately sent notifications. We are hopeful about getting 100% external support in future after running this pilot project.
I would appreciate if you can provide explanation behind your surprise, is there any misunderstanding? Thank you bringing it to our notice, we have sent another notification with updated grant budget (and Hindi translation) to mailing list as well as Village Pump. Your feedback is valuable and it will help us in future. AbhiSuryawanshi (talk) 10:37, 30 September 2017 (UTC)
Dear abhishek ji read my responce carefully in this discussion mainteind by you. i have aske you in this discussion no detail about my question. in this duscussion community dont supporting you to make this grant proposel. thanks.--आर्यावर्त (talk) 05:51, 1 October 2017 (UTC)
उपरोक्त चर्चा में उल्लेखित चौपाल की चर्चा
सदस्य ने उपरोक्त चर्चा में चौपाल की जिस चर्चा का उल्लेख किया है वो चर्चा यहाँ ये पुरालेख में है और सदस्यो के लिए में उसे नीचे डाल रहा हूँ:-
न्यू यॉर्क में रहने वाले स्वयंसेवक हिंदी विकिपीडिया से ज्यादा लोग जोड़ने के लिये प्रयास शुरू कर रहे हैं। अगर कोई न्यू यॉर्क में है और अगर आपक स्वयंसेवक स्तर पे कार्यशाला में सहभागी होना चाहते हैं तो कृपया यहाँ पर अपना नाम दर्ज करे। AbhiSuryawanshi (वार्ता) 04:29, 15 अगस्त 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@AbhiSuryawanshi जी, इसमें न तो दिनांक, स्थल कार्यक्रम, खर्छ का विवरण है और न ही कोइ विशेष जानकारी है। आपसे अनुरोध और हम अपेक्षा रखते हैं कि आप हिन्दी विकि के नाम से कोई कार्यक्रम कर रहे हैं तो हिन्दी विकि समूदाय को विश्वास में लेने के बाद कीजीये तो अवश्य हमारा समर्थन रहेगा। आप २४ लाख जी ग्रांत माग रहे हैं किन्तु समूदाय को इस बात का कुछ भी पता नहीं है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 10:18, 18 अगस्त 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उपरोक्त चर्चा में सदस्य ने सदस्य ने कुछ भी जानकारी नहीं दी थी। मेरे द्वारा पुछने पर उन्होने कहाँ कि 24 लाखा की ग्रांट? आपको पता हो तो कड़ी दीजिये! अब इस चर्चा के आधार पर ग्रांट कैसे माँग सकते हैं? तब कुछ और कह रहे अब 24 लाख से भी अधिक रकम की ग्रांट का प्रस्ताव हो गया और समुदाय को बताए बिना ही ग्रांट प्रस्ताव सबमिट भी कर दिया गया है।
उपरोक्त चर्चा में हिन्दी सदस्य का उल्लेख किया गया है और कड़ी भी दी है है। वहाँ जाकर इतिहास में देखा जाये तो जो भी जानकारी है इसी सदस्य ने रख दी है और कड़ी दे दी है। वहाँ कोई चर्चा दिख नहीं रही। और तो और हमारे द्वारा चुने गए ध्वजवाहक इस विषय में मौन रहकर कोई भी स्पष्टता नहीं कर रहे हैं।
जिस हेंगाउट चर्चा का हवाला इसमें दिया गया है, उक्त चर्चा में मैं भी था। वहाँ इस प्रकार की ग्रांट लेने की कोई भी चर्चा नहीं हुई थी।
ये प्रस्ताव सबमिट हो गया है और उसे रोकने के लिए सदस्य दल के ध्वजवाहको के द्वारा अभी भी क्यों कोई कदम नहीं उठाए जा रहे?
चौपाल के पुरालेख की चर्चा से ये भी साबित हो जाता है कि 18 अगस्त को ही मेरे द्वारा सदस्य को सूचित किया गया था कि आप बिना समुदाय की अनुमति लिए 24 लाख की ग्रांट ले रहे है। वहाँ पुछने पर सदस्य ने कोई जानकारी नहीं दी और तो और ये सूचित करने के बावजूद भी हिन्दी विकिपीडिया के नाम से ग्रांट प्रस्ताव डालने से पहले समुदाय की समहती लेना उचित नहीं समझा।
अगर इस प्रकार की कार्यप्रणाली और कार्यो को अभी अनुमति दे दी जाएगी तो आगे किसी को भी इस प्रकार से बिना समुदाय को बताए या तो बताना कुछ और दिखाना कुछ और करके कितनी भी रकम की ग्रांट लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
इसके पहेले की चर्चा में सदस्य ने बताया है की उन्होने 25% स्पोंसर ढूँढे हैं और 100% स्पोनसरशिप ढूंढ रहे हैं। विकिपीडिया के लिए हम चन्दा माँग ते हैं? क्या समुदाय को पता है कि हम चन्दा माँग रहे हैं? क्या समुदाय ने ऐसा कुछ तय किया है कि हम हिन्दी विकिपीडिया के लिए चन्दा मांगे? क्या ये सही है?इसकी अनुमति किसने दी?--☆★आर्यावर्त (✉✉) 06:30, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अतिरिक्त स्पष्टीकरण
नमस्ते आर्यावर्त जी,
इससे पहले की में आप के प्रश्न का उत्तर दूँ में आप से अनुरोध करता हूँ कि आप यह चर्चा समस्या २ के अंतर्गत ही करे | इससे बाकी लोगों के लिए पढ़ना आसान रहेगा |
मेरे द्वारा पुछने पर उन्होने कहाँ कि 24 लाखा की ग्रांट? आपको पता हो तो कड़ी दीजिये! अब इस चर्चा के आधार पर ग्रांट कैसे माँग सकते हैं? तब कुछ और कह रहे अब 24 लाख से भी अधिक रकम की ग्रांट का प्रस्ताव हो गया और समुदाय को बताए बिना ही ग्रांट प्रस्ताव सबमिट भी कर दिया गया है।
आप से अनुरोध है कि आप कल की चौपाल स्पष्टीकरण को पढ़े| जब मैंने यह बात साझा करी थी तब तक कोई ग्रांट का इरादा नहीं था | जैसा की कल साझा किया हम स्पॉन्सरशिप का प्रयास कर रहे थे और अभी भी कर रहे है |
जब आप ने २४ लाख कि बात करी तब मैंने आप से ही पूछा यह किसने बोला हमने खुद कोई गणना नहीं कि थी | और मैं फिर पूछता हूँ यह किसने बोला था आप ने इसका उत्तर नहीं दिया | जहाँ तक इससे अधिक ग्रांट का सवाल है|
इसका २४ लाख की आप की बात से कोई मेल नहीं है | जहाँ तक ज्यादा धन की बात है इसके बारे में हम कल जानकारी दे चुके है|
उपरोक्त चर्चा में हिन्दी सदस्य का उल्लेख किया गया है और कड़ी भी दी है है। वहाँ जाकर इतिहास में देखा जाये तो जो भी जानकारी है इसी सदस्य ने रख दी है और कड़ी दे दी है। वहाँ कोई चर्चा दिख नहीं रही। और तो और हमारे द्वारा चुने गए ध्वजवाहक इस विषय में मौन रहकर कोई भी स्पष्टता नहीं कर रहे हैं।
जहाँ तक मुझे आप की समस्या समाज में आ रही है आप नाराज़ है की चौपाल पर क्यों नहीं रखा | हमने कल सब कुछ साझा कर दिया है और पिछली गलती के लिए माफी भी मांगी है | कृपया ऊपर पढ़े | सभी लोग सवाल करने के लिया आमंत्रित है |
जिस हेंगाउट चर्चा का हवाला इसमें दिया गया है, उक्त चर्चा में मैं भी था। वहाँ इस प्रकार की ग्रांट लेने की कोई भी चर्चा नहीं हुई थी।
में नहीं देख सकता हूँ की आप वहाँ उपस्थित थे (12 अगस्त) | उस दिन ६ सदस्य उपस्थित थे पर आप नहीं | पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता हम आप के सारे उत्तर दे रहे है |
ये प्रस्ताव सबमिट हो गया है और उसे रोकने के लिए सदस्य दल के ध्वजवाहको के द्वारा अभी भी क्यों कोई कदम नहीं उठाए जा रहे?
जैसा की कल कहा प्रस्ताव कम्युनिटी रिव्यू के लिया जाता है फिर ही पारित होता है| यह रैपिड ग्रांट नहीं है | आप खुद ही प्रोजेक्ट ग्रैंट के पेज पर पढ़ सकते है| कम्युनिटी रिव्यू के लिए हमने बहुत तैयारी किये है | धन का उपयोग कैसे होगा यह टेबल, चार्ट और बुलेट पॉइंट से बताया है | आशा करूँगा की आप इसपर राय दे |
चौपाल के पुरालेख की चर्चा से ये भी साबित हो जाता है कि 18 अगस्त को ही मेरे द्वारा सदस्य को सूचित किया गया था कि आप बिना समुदाय की अनुमति लिए 24 लाख की ग्रांट ले रहे है। वहाँ पुछने पर सदस्य ने कोई जानकारी नहीं दी और तो और ये सूचित करने के बावजूद भी हिन्दी विकिपीडिया के नाम से ग्रांट प्रस्ताव डालने से पहले समुदाय की समहती लेना उचित नहीं समझा।
जहाँ तक बिना बताये ग्रांट डाला इसके बारे में हम कल लिख चुके है और माफ़ी भी मांग चुके है | कृपया ऊपर पढ़े | नहीं पता और क्या कहें- क्या दंड देना चाहेंगे? मैं आप से १८ अगस्त की बात से सहमत नहीं हूँ |
अगर इस प्रकार की कार्यप्रणाली और कार्यो को अभी अनुमति दे दी जाएगी तो आगे किसी को भी इस प्रकार से बिना समुदाय को बताए या तो बताना कुछ और दिखाना कुछ और करके कितनी भी रकम की ग्रांट लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
कम्युनिटी रिव्यु (समुदाय समीक्षा): एक शब्द में जवाब| फाउंडेशन भी सतर्क रहता है ऐसा कुछ ना हो | वरना तो लोग हवाई जहाज भी खरीद लेंगे।
फाउंडेशन के पास १५ से ज्यादा का अनुभव है और वह ऐसी चीज़ो का ख्याल रखते है।
इसके पहेले की चर्चा में सदस्य ने बताया है की उन्होने 25% स्पोंसर ढूँढे हैं और 100% स्पोनसरशिप ढूंढ रहे हैं। विकिपीडिया के लिए हम चन्दा माँग ते हैं? क्या समुदाय को पता है कि हम चन्दा माँग रहे हैं? क्या समुदाय ने ऐसा कुछ तय किया है कि हम हिन्दी विकिपीडिया के लिए चन्दा मांगे? क्या ये सही है?इसकी अनुमति किसने दी?-
विकिमेडीया फाउंडेशन सिर्फ ‘और सिर्फ' चन्दा पर चलती है | यह चंदा लेने का अधिकार फाउंडेशन और चैपटर को होता है| जैसा की हमने बताया अमेरिका के चैपटर इसका सहयोग कर रहे है|
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आशा है की आपको सभी सवालो का जवाब मिल गया है, और कोई जानकारी चाहिए हो तो ज़रूर पूछे। बाकी के सदस्य भी अपनी टिपण्णी दे सकते है।
हम दोनों के मार्ग अलग अलग भले ही हो पर आपका और मेरा मकसद एक ही है - हिंदी विकिपीडिया की तरक्की।हम एक साथ काम करे तो हम ज्यादा लोगो तक विकिपीडिया पोहोंचा सकते है।
अभिषेक जी उत्तर देने हेतु धन्यवाद। वैसे ये सवाल आपसे नहीं समुदाय और हमारे सदस्य दाल के ध्वजवाहकों के लिए थे। @Anamdas, Suyash.dwivedi, और आशीष भटनागर: जी स्पष्टता करें और आगे की कार्यवाही करके जो भी हो स्पष्ट रखें। आपसे सवाल ये था कि इस प्रस्ताव में हिन्दी सदस्य दल का भी नाम है, सुयश जी आदि का समर्थन भी वहाँ है और इस कार्य को हिन्दी सदस्य दल की इवेंट के रूप में बताया गया है और ग्रांट माँगी जा रही है तो क्या सदस्य दल ने ये कार्यक्रम तय किया है? चर्चा हुई थी? आप सब भी इसमें जुड़े हुए हैं? ये कार्यक्रम सदस्य दल कर रहा है?
आप लोगों में चर्चा करके इस ग्रांट प्रस्ताव डालने हेतु आपसी सहमति बनी थी? क्या हिन्दी सदस्य दल ने न्यूयॉर्क में भी कोई ब्रांच खोली है? कृपया बताएं। --☆★आर्यावर्त (✉✉) 11:12, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@आर्यावर्त: - मैंने उत्तर नीचे दिए हैं। उसे पढ़ लें। किसकी कितनी सहमति है आपको पता चल जाएगा। जब आपको पता ही है कि सुयश जी का समर्थन पुराना है तो उक्त प्रश्न का क्या अर्थ है? जब आपको पता ही है कि धन की बात आखरी दिन लिखी गई तो उक्त प्रश्न कयों? जब अपनी व्यक्तिगत वार्ताओं को सामुदायिक समर्थन समझने पर विरोध मैंपहले ही कर चुका तो उक्त प्रश्न क्यों? दूसरी बात- क्या अभिषेक जी सदस्यदल के सदस्य नहीं है? क्या सदस्य दल विकिपीडियनों से अलग है? क्या सदस्यदल की ब्रांच अमरेली में नहीं है? आप प्रश्न पूछने से पहले ही अभिषेक जी को कोई माफिया मान बैठे हैं ऐसा लग रहा है? साथ ही यह भी मान बैठे हैं कि जो आपका समर्थन न करे वह उनका गुर्गा। ध्यान रखें कि यदि आप प्रश्न किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर पूछ रहे हैं तो आप अपनी ही महत्ता कम कर रहे हैं। ध्यान रखें कि आप और हम सभी हिंदी विकि के सम्मानित सदस्य हैं और आपसी सद्भाव ही हिंदी विकि के विकास का एकमात्र उपाय है। आपसी अविश्वास के चलते आजतक हिंदी विकिपीडिया तरक्की नहीं कर पाया है, ध्यान रखें कि आगे यह रोड़ा न बने। यदि कोई किसी कार्य के लिए आगे आ रहा है तो कृपया ऐसे न पेश आएँ कि वे हतोत्साहित हों। इसे देखकर भविष्य में भी कोई आगे नहीं आएगा। प्रस्ताव में कमी निकालना, उसे कम से कम बजट में करना, इस बारे में सुझआव देना हम सबका कर्तव्य है, इस संबंध में आपके सभी प्रश्नों का स्वागत है, किंतु कृपया सकारात्मकता से बात करें और शब्दों का चयन सावधानीपूर्वक करें। एक बार माहौल खराब हुआ सालों की छुट्टी समझिए। यदि आपको प्रस्ताव में खामियां लग रही हैं तो शांतिपूर्वक चर्चा कर बेहतर प्रस्ताव का निर्माण करें। --अनामदास11:49, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
सबसे पहले @आर्यावर्त: जी से निवेदन है कि चर्चा को सकारात्मक तरीके से करें और दूसरे पक्ष का स्पष्टीकरण न मिलने तक किसी परिणाम तक न पहुँचें। कहीं ऐसा न हो कि अंत में आप स्वयं सहमत हो जाएँ और फिर विरोध मात्र इसी बात का रह जाए कि पुरानी बात से पीछे कैसे हटें। तथ्यपरक बातों पर किसी भी प्रकार का सवाल करने का हक सभी के पास है, लेकिन किसी की नीयत पर सवाल उठाने का अधिकार किसी के पास नहीं है। आपका हर सवाल स्वागत योग्य है - समुदाय को विश्वास में नहीं लिया गया, पूर्व चर्चाओं में धन की बात नहीं की गई, आखरी तारीख को जल्दबाजी की गई, व्यक्तिगत चर्चाओं को सामुदायिक चर्चाओं के समान मान लिया गया, पुराने समर्थनों को आधार बनाया गया, प्रस्ताव में परिवर्तन के बाद समर्थन भी नए सिरे से मांगे जाने चाहिएँं, आदि। आपके इन सभी सवालों से मैं भी सहमत हूँ और आयोजकों को यह स्पष्टीकरण समुदाय के समक्ष देना ही चाहिए। लेकिन इस तमाम प्रस्ताव को फ्रॉड कहने की आपकी बात का समर्थन मैं नहीं करता। शायद आप अनभिज्ञ हैं कि हिंदी विकि का सबसे पहला सम्मेलन २०१५ में @AbhiSuryawanshi: जी ने ही करवाया था। अभिषेक जी का योगदान तब भी हिंदी विकि एक संपादक के रूप में नगण्य योगदान था, लेकिन उस सम्मेलन से हिंदी विकि में एक नया अध्याय जुड़ा। अभिषेक जी का हिंदी विकि पर आज भी नगण्य योगदान होगा, लेकिन यदि वे संपादन के अतिरिक्त कोई योगदान देना चाहते हैं तो क्या इस आधार पर उन्हें रोका जाना उचित है कि इनके संपादन नहीं हैं? टीम में सभी ११ खिलाड़ी हरफनमौला (ऑल राउंडर) हों, ऐसा नहीं होता है। जिसको जो काम अच्छे से आता है उसी का उपयोग किया जाता है। आप बैटिंग में अच्छे हैं तो आप क्या चाहेंगे कि आपकी टीम में सब बैट्समेन ही हों? जिसे बैटिंग नहीं आती, लेकिन गेंदबाजी आती है, तो क्या आप उसे टीम में नहीं लेंगे? आभिषेक जी संपादन न कर पाते हों, लेकिन आयोजनों में, संस्थाओं से संपर्क में निपुण हैं, @Suyash.dwivedi: सुयश जी भी इसी श्रेणी में आते हैं, तो यदि आपका विचार है कि ये लोग हिंदी विकिपीडियन नहीं हैं तो मैं आपसे सहमत नहीं हूँ। जिसे जो कार्य आता हो मैंं विकि के लिए उससे वही योगदान लेने को तैयार हूँ। आशा है आप सहमत होंगे। अभिषेक जी ने इतिहास में अपने किए गए कार्य गिनवा दिए हैं, शायद उनके परिचय के बारे में आपका संशय समाप्त हो गया होगा। मुझे लगता है कि अपने भूतकाल के कार्यों से स्वयं प्रभावित हो अभिषेक जी शायद अतिविश्वास के शिकार हो गए होंगे, तभी उनसे इस प्रकार की चूकें हुईं। अच्छा ही है, यह चर्चा उनके लिए भी एक सबक है।
दूसरी बात यह भी है कि ग्रांट अभी स्वीकार नहीं हुई है, अतः अगर कुछ गड़बड़ हो भी सही प्रस्ताव के स्तरपर ही है, इसलिए तकनीकी तौर पर इसे फ्रॉड नहीं कहा जा सकता। गलत सोचना पाप होता है, करना अपराध। कानून में अपराध की सजा दी जाती है, पाप की नहीं। इसलिए अभी चिंता की बात नहीं है। आपने कहा ध्वजवाहक आगे क्यों नहीं आ रहे, तो मैं पहले ही कह चुका हूँ कि ध्वजवाहक या प्रबंधक समुदाय नहीं है। न ही वो समुदाय का ठेकेदार है और न ही नौकर। ध्वजवाहक उतना ही आम आदमी है जितने आप। ध्वजवाहक को समुदाय का नेता अथवा प्रतिनिधि घोषित करने की परंपरा शुरु न करें, बहुत घातक है। पहले इसी बात पर मैं अभिषेक जी का विरोध कर चुका हूँ, जब उन्होंने कहा कि प्रबंधकों से बात हो गई है। अब आप वही बात कर रहे हैं। सावधान रहें। समुदाय को सर्वोपरि रहने दें। आपको गलत लगा, आप विरोध कर दीजिये, बात समाप्त। आप ही समुदाय हैं। किसी की प्रतीक्षा न करें। आप ने ग्रांट प्रस्ताव पर विरोध कर ही दिया है तो फॉउंडेशन देख ही लेगा, किसी ध्वजवाहक के होने न होने से क्या फर्क पड़ता है। ध्वजवाहक भी ईंसान है, स्वयंसेवक मात्र है। समय मिलेगा, इच्चा होगी तो कार्य करेगा, नहीं होगी तो नहीं करेगा। यहाँ किसी पर कोई कार्य थोपा नहीं जाता है, न ही थोपा जा सकता है। यहाँ हर कोई स्वेच्छा से योगदान करता है। आप अपना करें, दूसरों से आशा न रखें। मुझे अब समय मिला है तो मैं लिख रहा हूँ, कल की कोई गारंटी नहीं है।
योगेश जी की क्लास खत्म। अब अभिषेक जी की बारी। मेरा एक विरोध इस बात को लेकर था कि चाहे मैं प्रबंधक हूँ लेकिन मेरी किसी राय को समुदाय की राय नहीं मान लेना चाहिए। आपने इस बात पर सहमति जता दी है और आगे से ध्यान रखने को कहा है, अतः यह विवाद अब समाप्त माना जाए। आपने शांतिपूर्वक सभी सवालों का जवाब देकर, जहाँ आप तथ्य दे सकते थे वहाँ तथ्य देकर, जहाँ आप नहीं दे सकते थे वहाँ अपनी सभी गलतियों को मानकर आपने संयम का परिचय दिया है। योगेश जी की तीखी बातें सुनकर भी आपने संयम रखा, इसके लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं। अब जब आप गलतियाँ स्वीकार ही कर चुके हैं तो कहने को अधिक कुछ बचा नहीं। फिलहाल योगेश जी सहमत हैं कि नहीं, यह योगेश जी ही बताएंगे। रही बात मेरी, तो मेरे मन में जो भी सवाल थे, उनमें से कुछ योगेश जी पहले ही पूछ चुके हैं। अधिकांश के आपने जवाब भी दे दिए हैं। अब मेरे पास कुछ ही सवाल हैं - पहला कि जितनी ग्रांट का प्रस्ताव आपने रखा है, उतने में भारत में १५ रैपिड ग्रांट वाले सम्मेलन करवाए जा सकते हैं। मैं दुविधा में हूँ कि भारत में आम जनता जिसके पास कंप्यूटर ईंटरनेट कम ही हैं उन्हें पहले संगठित किया जाए या आप्रवासी जनता को जिनके पास संसाधन अधिक हैं। इस बात पर समुदाय को चर्चा करनी चाहिए कि प्राथमिकता किसे दी जाए। एक स्पष्टीकरण और मिल जाए तो इस दुविधा को हल करने में मदद कर सकता है, वो यह कि क्या हिंदी समुदाय को दी जाने वाली ग्रांट के लिए कोई कोटा निर्धारित है? क्या आपके प्रस्ताव की ग्रांट उस कोटे में से कटेगी या किसी अलग अंतर्राष्ट्रीय आदि कोटे से? अर्थात् यदि आपकी ग्रांट से हिंदी विकिपीडिया का कोटा प्रभावित होता है तो मैं भारत में १५ सम्मेलनों को प्राथमिकता दूँगा, यदि इससे हिंदी विकि को मिलने वाली ग्रांट पर कोई असर नहीं पड़ता तो आपके प्रस्ताव पर आगे चर्चा की जा सकती है (अभी आपके प्रस्ताव में चर्चा की बहुत गुंजाईश है, उसमें बहुत कुछ ऐसा है जिसका ज्ञान हमें नहीं, अतः हम भी सीखना चाहेंगे अथवा प्रस्ताव को सुधारना चाहेंगे)।
यदि इस प्रश्न का उत्तर मिल जाए तो समुदाय से मेरा निवेदन है कि स्वस्थ मानसिकता से आगे की पूरी चर्चा करें। चर्चा का उद्देश्य अभिषेक जी के प्रस्ताव का सुधार होना चाहिए, यदि हमें लगता है कि वे अनावश्यक खर्च कर रहे हैं तो खर्चा कम करने के सुझाव दें, फ्रॉड का आरोप न लगाएँ। यदि प्रस्तावक न मानें तो प्रस्ताव पर औपचारिक तौर पर फाउंडेशन के सामने विरोध दर्ज करें। यदि किसीको लगता है कि प्रस्ताव गलत है अथवा इसमें फ्रॉड की गुंजाइश है, तो किसी प्रकार का क्रोध करने की आवश्यकता नहीं है, असंयमित भाषा का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है, कृपया अपने तथ्य प्रस्तुत करें और जवाब मांगे। जवाब से संतुष्ट हों तो ठीक, नहीं तो तर्कसहित विरोध दर्ज करा दें। अंतिम निर्णय फाउंडेशन पर छोड़ दें। कृपया इस बात का खास ध्यान रखें कि वातावरण प्रदूषित न हो। सभी पक्ष संयम रखें। --अनामदास10:57, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
नमस्कार! मेरे उत्तर या कहें स्पष्टिकरण शतशः अनामदास जी से मेल खाते हैं, अतः उनकी पुनरावृत्ति करने की कोई आवश्यकता नहीं समझता हूं। हाँ अनुदान राशि की गणना में शायद कुछ शीघ्रता दिखाई गयी होगी, किन्तु इस बारे में अभिषेक जी पर पूर्ण विश्वास के साथ लिखूंगा कि इस ्निर्णय पर अविश्वास करने का मुझे कोई कारण नहीं दिखाई देता। उनका अनुभव व कार्यशैली मैंने स्वयं दिल्ली के पिछले सम्मेलन में देखा है। इसमें योगेश जी ये कदापि भी न समझें कि हम उनके साथ नहीं या किसी अन्य के साथ खड़े हो गये, वरन यही बता रहा हूं कि हम सभी साथ हैं, कोई भी अलग नहीं खड़ा है, सभी हिन्दी विकिहित के साथ खड़े हुए हैं - ऐसा भरोसा रखें। हाँ कभी कभी किसी अनदेखे कारणवश कोई सूचना सर्वसाझा करने से (ऐसी मंशा न होने पर भी) रह जाती है, तो उसे अन्यथा न लें।आशीष भटनागरवार्ता23:29, 6 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
फ़्रौड/धोखा प्रस्ताव डालने में है
@Anamdas: महोदय। आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। फ़्रौड शब्द का मतलब हिन्दी में धोखा होता है और इस प्रस्ताव में जो भी धोखा हैं स्वतः स्पष्ट ही है।
बिना समुदाय को बताए कि में ये ग्रांट ले रहा हूँ सीधे ही ग्रांट प्रस्ताव सबमिट कर देना। सभी बात समुदाय के समक्ष रखी जाये, आम सहमति बने उसके बाद ही समुदाय के नाम से ग्रांट (वो भी बड़ी) सबमिट कर सकते हैं। यहाँ समुदाय को अवगत न करना और समुदाय के नामपर ग्रांट मांगना वाला धोखा/फ़्रौड दिख रहा।
वहाँ ग्रांट प्रस्ताव में चौपाल, सदस्य दल, हेंगाउट, प्रबन्धक आदि के साथ चर्चा करने के बाद ग्रांट मांगी जा रही एसा हवाला देना लेकिन ग्रांट के विषय में ग्रांट प्रस्ताव सबमिट कराते समय न केवल समुदाय जिसके भी साथ चर्चा हुई उसे कुछ भी पता न होना। यहाँ सभी का गलत रूप से उपयोग करके प्रस्तुत करने वाला धोखा/फ़्रौड दिख रहा।
पहले ये प्रस्ताव आइडिया लेब में था और आइडिया रखना और ग्रांट लेना ये दोनों भिन्न बाते हैं। पहेले कुछ और रखना और समर्थन लेकर बाद में कुछ और कर देना। (मैं प्रतियोगिता के लिए ग्रांट मांगु और समर्थन ले लूँ, बाद में कुछ और रकम जोड़ दूँ तो ये कैसे चलेगा?) यहाँ एसा ही हुआ है। पहले कुछ और था। ग्रांट सबमिट कराते समय ही 48000 डॉलर की रकम दाल दी गई। और तो और 5 लाख वाली सम्मेलन की ग्रांट में भी पुराने कम ग्रांट वाले और वापस ले लिए गए प्रस्ताव में पुरानी रकम हटाकर रकम 5 लाख की कर दी गई। इतिहास में देखा जा सकता है। यहाँ समर्थन लेकर बाद में अपने हिसाब से बदलाव करने वाला धोखा/फ़्रौड दिख रहा है।
ये सब इस प्रस्ताव को अविश्वासनीय बनाता है और ये सब होने के बाद कैसे विश्वास कर सकते हैं? ये सब बातें आपको बहुत छोटी सी लग रही? अतः ये कोई आरोप नहीं है किन्तु स्वयं स्पष्ट है और ठोस कारण है। इसलिए मैं विश्वास नहीं कर सकता और वहाँ मैंने मेरा विरोध दर्ज करा भी दिया है। फाउंडेशन पे छोडने की बात हो तो मेरा ये मानना है की ग्रांट प्रस्ताव समुदाय की सहमति से ही मांगना चाहिए और मांगना न मांगाना या वापस लेना ये समुदाय के ऊपर निर्भर है। बाद में प्रस्ताव स्वीकार करना या न करना ये फाउंडेशन के ऊपर निर्भर है। जहां तक ग्रांट मांगने और योगदान वाला प्रश्न है मेरा मानना है कि कोई भी एक्सपर्ट का मतलब ये नहीं कि कोई भी, कम से कम समुदाय का उसके ऊपर विश्वास होना चाहिए, वरना हिन्दी विकिपीडिया में बहुत से लोग बाहर से आए हैं, आते हैं और हमें कुछ पता भी नहीं होता। २०१४ के सम्मेलन की बात हो तो मैं तब सक्रिय नहीं था और उसके बाद सदस्य सक्रिय नहीं थे। ३ सालों में बहुत कुछ बदला गया है। सदस्य ने खुद अपनी गलती का स्वीकार किया है और गलती का सुधार तभी हो सकता है कि गलती से रखा गया प्रस्ताव वापस ले लिया जाये और जब समुदाय ये कार्यक्रम करना चाहेगा तब देखा जाएगा। उक्त समय में सदस्य समुदाय का साथ दें, समुदाय के निर्णय का स्वीकार करें। अभी जो हुआ है, विश्वास नहीं किया जा सकता। सदस्य विश्वास स्थापित कराते हैं तो मैं अवश्य समर्थन दूंगा। जहां तक सुयश जी की बात है, भोपाल सम्मेलन की ग्रांट के समय एक अनजान व्यक्ति को हिन्दी विकि की ग्रांट मांगते देखकर तब भी मैंने विरोध किया था, क्योकि सारी चर्चा वोटसेप दल में हुई थी और चौपाल पे चर्चा न होने के कारण सदस्यों को और मुझे भी ज्यादा कुछ पता नहीं था। जब मुझे पता चला कि आप भी इसमे सम्मिलित है और पूरा समुदाय जुड़ा है तो मैंने समर्थन भी दिया था और आज भी दे रहा हौं। विश्वास तो स्थापित हो। मुझे किसी व्यक्ति से व्यक्तिगतरूप से लगाव या आपत्ति नहीं है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 12:17, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जब सदस्य ने गलती स्वीकार कर ही ली है तो सुधार का मार्ग सुझाना चाहिए। प्रस्ताव वापिस लेकर बाद में कभी करने की बजाय अच्छा है कि यहीं अभी चर्चा कर ली जाए। प्रस्ताव का सुधार करना, प्रस्ताव को वापिस लेने से बेहतर होगा। यदि न हो पाए तो इतने सदस्यों का विरोध हो ही गया है तो वसे ही अस्वीकृत होना तय ही है। फिर भी जितना संभव हो, उतना सकारात्मक सोचना चाहिए। कई सुधार किए जा सकते हैं जिससे कि पैसा भी व्यर्थ न हो और कुछ काम भी हो जाए, जैसे कि व्यर्थ का खर्चा हटाकर कम कर दिया जाए, या इतने व्यापक स्तर की बजाय एक छोटे स्तर पर प्रारंभ किया जाए। सार यह कि जो हुआ सो हुआ, गलती मान लेने पर क्षमा कर दिया जाना चाहिए और प्रस्ताव के तथ्यों पर चर्चा की जानी चाहिए। मेरा सुझाव है कि अभिषेक जी को फिलहाल न्य़ूनतम संभव स्तर पर प्रस्ताव को सीमित कर देना चाहिए। विस्तृत प्रस्ताव वे समुदाय की सहमति लेकर बाद में प्रस्तुत कर सकते हैं। दिल्ली सम्मेलन इस प्रकार की चर्चा के लिए उपयुक्त रहेगा। --अनामदास13:10, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जी, बात न केवल गलती की विश्वास की है और विकि के भविष्य की भी। अविश्वास की स्थिति में अभी प्रस्ताव वापस लेने पर विश्वास स्थापित होने के बाद समुदाय का पूरा समर्थन मिल सकता है। ये कार्य वैसे भी 3 साल से तैयारियों में था, अब कुछ और सही। मुख्य बात ही समुदाय को विश्वास में लेने की है। ये सब होने के बाद भी मैं तुरंत विश्वास कर लूं तो समुदाय को मेरे ऊपर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। क्योंकि मेरा ऐसा करना समुदाय के हित में नहीं है। मुझे व्यक्तिगत रूप से प्रस्तावक से कोई समस्या नहीं, न तो हमारा कभी झगड़ा हुआ। न तो उनको रोकने का इरादा, और ऐसा करके न तो मुझे कोई पारितोषिक मिलने वाला है। मैं मानता हूं कि में समुदाय के हित को ही आगे रखु। जिस तरह समस्या का समाधान होने पर सुयश जी को भी हमने स्वीकार किया था, इस प्रस्ताव के ऊपर भी पुख्त चर्चा हो, आम राय बनेगी तब मैं भी समर्थन करूँगा। अभी अविश्वास की स्थिति में विरोध के कारण नुकसान ही है। संयदाय के साथ चलने से फायदा। विश्वास स्थापित होने के बाद ये कार्य सर्व सम्मति से होगा। अतः धैर्य रखें और बिना संयदाय की सहमति प्रस्ताव डालना ही नहीं होता तो अभी प्रस्ताव वापस लेना सर्वोत्तम विकल्प है गलती को सुधार ने का। अभी भी समय है।--☆★आर्यावर्त (✉✉) 14:09, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनामदास जी हमारी कोई सदस्य से व्यक्तिगत दुश्मनी तो नहीं है। लेकिन जिस प्रकार यह कार्य किया गया। वो बिलकुल भी उचित नहीं है। मै भी काफी गलतिया गिना सकता हु। लेकिन दोहराव का कोई फायदा नहीं है। आर्यावर्त जी की बात को भी समझे। जब शुरू से ही समुदाय से बहुत कुछ छुपा रहा तो आगे ऐसा नहीं होगा कोई गारेंट्टी नहीं। अब विश्वास का कोई अर्थ नहीं रहता है। समय के अनुरूप ग्रांट वापिस लेना ही उचित है। जब समुदाय को विश्वास नहीं हो जाएगा। तो ही ग्रांट को आगे करना चाहिए। आप एक बार अपने को आर्यावर्त जी की जगह रखकर देखे। उनके शब्द कडवे है परंतु सोच नहीं। फिर भी यदि आपको ग्रांट सही लग रही है तो केवल फ़ाउंडेशन ही समर्थन के आधार पर फैसला कर लेगी। धन्यवाद-जयप्रकाश >>> वार्ता04:47, 2 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
शादी की बाते चल रही है और बोल रहे हैं की मुहूरत तय करने हमे क्यों नहीं बुलाया। शादी करनी है और इसकी मानसिकता बनी है तब सभी रिश्तेदारों को आमंत्रित करके तिथि और बाकी की चीज़े होती है, संयम रखे। समीक्षा का समय अभी शुरू भी नहीं हुवा और आप बोल रहे है की हमें समीक्षा का मौका नहीं मिला, हमारे साथ धोका हुआ। समीक्षा जब ४ अक्टूबर से शुरू है, उसके लिए फाउंडेशन खुद न्योता देगी - तो आपके साथ विश्वास घात किसने किया? विकिपीडिया के ऊपर आपका जितना हक़ है उतना हमारा भी है। 'हम अन्दरवाले और आप बाहरवाले' - ये क्या हैं? विश्वासघात? विकिपीडिया तथ्यों पर चलता है। तथ्यों पे आपका विश्वास ना हो तो इसमें हम क्या करे। माफ़ी पहले भी चुके है और अब भी मांग ही रहे है। दुनिया के सामने जाने से पहले फाउंडेशन कार्यप्रणाली के नियम कानून पढ़ ले, हिंदी वाले बिना नियम पढ़े कुछ भी बोलते इस तरह की प्रतिमा बन रही है। AbhiSuryawanshi (वार्ता) 09:14, 2 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
विकिपीडिया सन्दर्भ के ऊपर चलता है और भले ही १०० लोग समर्थन दे की दिल्ली चीन में है पर एक व्यक्ति संदर्भ के साथ दिल्ली को भारत में बताता है - तो १०० की जगह १ व्यक्ति की जानकारी को रखा जाता है। मान / सन्मान के नाम पर सरकार गिराने की धमकी - ये राजनीति में चलता है।
यह विकिपीडिया है, प्रकल्प पे उसकी मजबूती के हिसाब से चर्चा की जाती है - इस लिए अगर आप अपना वक़्त और ताकत प्रकल्प की चर्चा दे तो ज्यादा फायदा ही होगा।
@Jayprakash12345:, @आर्यावर्त:, @Anamdas:: आप तो लड़केवाले हो सर, आपको नाराज करके शादी थोड़ेही होगी? आप अगर शादी तोड़ने को कहते हो तो शादी मैं खुद ही तोड़ दूंगा पर ये तो बताये की आपके या किसी के साथ क्या अविश्वास / धोका हुआ है? सभी नियमो के अनुसार ही सब चल रहा है। आपको लगता है की धोका हुआ है तो दोबारा और एक बार माफ़ी मांग रहा हु। आशा है की आपका आशीर्वाद मिलेगा वरना बिना साझेदारी और सरकारी मदत बिना इतने साल कुंवारे थे, और कुछ समय ऐसेही बिता देंगे बिना शादी के। समुदाय तो सवाल पूछ ही लेगा, क्या आप बता सकते है की आपका आशीर्वाद पाने के लिए क्या करना पड़ेगा? परियोजना में सुधार कौनसे करे? AbhiSuryawanshi (वार्ता) 04:50, 3 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
भ्रम और तथ्य
आर्यावर्त जी और अनामदास जी आप की अनुमति से मे कुछ तथ्य साझा करना चाहता हूँ।
प्रोजेक्ट ग्रैंट एक अलग चीज़ है रैपिड ग्रांट से और यह हर वक्त उपलब्ध नहीं होती है।
रैपिड ग्रांट की समीक्षा के लिए समय की पाबंदी नहीं होती।
प्रोजेक्ट ग्रांट के समीक्षा के लिए फाउंडेशन ने ४ अक्टूबर से १७ अक्टूबर का समय रखा है और सभी विकिमेडिया के स्वयंसेवक सदस्य (हिंदी और बाकी का कोई भी) अपनी राय दे सकते है।
आप इस ग्रांट को रैपिड की तरह देख रहे है इसलिए भी उलझन है।
आप समीक्षा कालावधी में आधिकारिक तौर पे चर्चा कर सकते है। समीक्षा समय के पहले चर्चा 'good faith' में शुरू की है।
मैं आप लोगों की अनुमती से फाउंडेशन से पूछना चाहता हूँ कि क्या यह ग्रांट लेने से बाकि हिंदी ग्रांट पर असर पड़े गा - में अनामदास जी को, आशीषजी को और सुयशजी को इस मेल में कॉपी करूँगा। मेरे अनुभव के हिसाब से ऐसा कुछ भी नहीं है फिर भी बेहतर यही है कि हम उनसे साफ पूछे।
हमने इतनी शक्ति लगा दी है सही और गलत निकलने में पर क्या हम ग्रांट पर चर्चा नहीं कर सकते? अगर किसान सिर्फ ऋण राशि की बात करें और खेती की नहीं तो यह गलत हैं। हम सब कब से आगे बढ़ने की बात कर रहे है फिर हम दूसरी भाषा की तरह क्यों नहीं रिव्यू कर सकते? यह वैश्विक मापदंड है। फाउंडेशन सभी को रिव्यू का समय देती है।
में आप सबसे और एक निवेदन करूँगा कि आप लोग इस ग्रांट की समीक्षा दिल्ली सम्मेलन में भी करे। मेरी राय में वह एक राष्ट्रीय कांफ्रेंस है हमे वहां वर्क प्लान बनाना चाहिए - आउटरीच का, प्रतियोगिता का और प्रोजेक्ट ग्रांट का भी। इसकी चर्चा अभी भी जारी रख सकते है। AbhiSuryawanshi (वार्ता) 18:55, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
राखी टंडन
ध्यान दें, राखी टंडन के बारे में एक नई चर्चा शुरू हुई है। कृपया अपनी राय देने के लिए वार्ता:राखी टंडन पर जाएँ।
जैसे विकिमीडिया आंदोलन रणनीति प्रक्रिया के पहले चरण का अंत रणनीतिक दिशानिर्देश के बनने के साथ हो रहा है, इसके साथ ही रणनीति समन्वयक के तौर में मेरी अस्थायी भूमिका का भी अंत हो रहा है।
रणनीतिक दिशानिर्देश दस्तावेज़ लगभग तैयार हो गया है। रणनीति प्रक्रिया के दुसरे चरण की तैयारी नवंबर में शुरू होगी। इस अगले चरण में भी आपके शामल होने के लिए संभावनाएँ होंगी ताकि आप हमारे आंदोलन के भविष्य के बारे में होने चर्चाओं में भागीदार बन सकें। आपके समर्थन और मदद के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। --SGill (WMF) (वार्ता) 17:55, 1 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनिवार्य बात - Friendly Space Policy / सद्व्यवहार नीति + समिति निर्माण
फाउंडेशन ने सम्मेलन के लिए 'Friendly Space Policy' बनाने के लिए कहा है - यह बनाये बिना सम्मेलन के ग्रांट नहीं मिलेगी। यह महत्वपूर्ण घटक है।
किस लिए चाहिए -
अगर सम्मेलन में कोई परेशानी महसूस करता है या उसे लगता है की उसे तंग किया जा रहा है - तो उसे यह निति अनुसार समिति के पास न्याय मांगने का अधिकार होगा। इन चीज़ो के लिए 'फ्रेंडली स्पेस पॉलिसी' सारे कार्यक्रमों के लिए अनिवार्य है
यह दिखती कैसी है? नमूना देखने के लिए मिलेगा?
हाँ - आप यहाँ पर सर्वसाधारण पॉलिसी का ढांचा देख सकते है:
कृपया उन अन्य भारतीय भाषाओं की सूचि दिखाए , जिनका विकिपीडिया incubation में है |
मेरा अनुरोध है की मुख्य पृष्ठ पर उन अन्य भारतीय भाषाओं की सूचि दिखाए , जिनका विकिपीडिया अभी incubation में है | ताकि लोगों को जानकारी मिले एवं उस wiki का विकास हो | जैसे: https://incubator.wikimedia.org/wiki/Wp/mwr
[bug] It is not possible to save your preferences
Hello
Sorry to write in English. कृपया अपनी भाषा में अनुवादित करने में सहायता करें। I'm also not sure I'm posting at the right place, so please move that message and tell me.
At the moment, it is not possible for you to save your preferences on this wiki. This is a known bug and the developers are working on it.
This is why you can't save some settings or use some Gadgets and tools. This is not due to the release by default of the advanced filters on RecentChanges.
अंग्रेजी में लिखने के लिए खेद है कृपया अपनी भाषा में अनुवाद करने में सहायता करें मुझे यह भी निश्चित नहीं है कि मैं सही जगह पर पोस्ट कर रहा हूं, इसलिए कृपया इस संदेश को सही जगह ले जाएं और मुझे बताएं।
फिलहाल, इस विकी पर आपकी प्राथमिकताओं को सहेजना संभव नहीं है। यह ज्ञात बग है और डेवलपर इस पर काम कर रहे हैं।
यही कारण है कि आप कुछ सेटिंग सहेज नहीं सकते हैं या कुछ गैजेट्स और टूल का उपयोग नहीं कर पा रहे ।
यह हालिया परिवर्तनों पर उन्नत फ़िल्टर के डिफ़ॉल्ट रूप से जारी होने के कारण नहीं है।
उस असुविधा के लिए क्षमा करें,Trizek (WMF) ":-अनुवाद Swapnil.Karambelkar (वार्ता) 14:05, 6 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
प्रस्ताव
नमस्कार! एक विचार है जो हिंदी विकिपीडिया मैं सुधार मैं सहायक हो सकता है । भारत तथा विश्व में अनेकानेक छात्र हिंदी पर अध्ययन कर रहे है । अंग्रेजी विकिपीडिया छात्रों के लिए विशेष कार्यक्रम करता रहता है । क्या हिंदी विकिपीडिया भी छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए कोई कार्यक्रम रख सकता है? Capankajsmilyo (वार्ता) 02:46, 7 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समस्या का समाधान
नमस्ते सर्वेभ्यः
कल से हम सब हिन्दी विकि पर जिस समस्या का सामना कर रहे थे, आज उसका समाधन हो गया है। फिर भी किसी सदस्य को कोई भी परेशानी आ रही हो तो निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें।
हाल में हुए बदलाव पृष्ठ पर कल से लागू हुआ नया उपकरण आपको पसंद नहीं है, समस्या हो रही है तो पसंद में जाकर उसे निष्क्रिय कर सकते हैं। पसंद में, हाल में हुए बदलाव टैब में बदलावों के बाहर के विकल्प नाम के भाग में 'हाल के परिवर्तनों के बेहतर संस्करण को छुपाये' पर टिक करने से ये निष्क्रिय हो जाएगा।
ट्विंकल, होटकेट आदि उपकरण अभी काम कर रहे हैं या नहीं ये देख लें और काम न कर रहे हो तो पसंद में गैजेट(उपकरण) टैब में जाकर उसे पुनः टिक कर दीजिए और सहेज ने के बाद काम करेंगे।
मनोज जी ने बताया था कि हिंदी विकिसदस्यो के पास काम बहुत अधिक है जो संभव नही हो पा रहा है। इसके लिए चर्चा करके ये निष्कर्ष निकला था की विकिपीडिया:प्राथमिकता का संपादन किया जाए। इसका आरम्भ किया जा चुका है अतः आप सभी से अनुरोध है कि अपने विचार यहां अथवा बताये गए पृष्ठ पर रखें। धन्यवाद Capankajsmilyo (वार्ता) 16:31, 8 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
वादक का मतलब वादन से है और वादन संगीत का एक भाग तो है किन्तु दोनों भिन्न विषय हैं। संगीत में वादन, गायन, राग आदि का समावेश होता है। वादक वाला ज्ञानसन्दुक केवल वादन से जुड़े व्यक्तियों के लिए है और संगीतज्ञ संगीत से जुड़े। अतः विलय करना सही नहीं।--आर्यावर्त (वार्ता) 10:23, 10 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
साँचे पृष्ठों से भिन्न होते है। तो इनकी नाम से पहचान करना ठीक नही होगा। साँचे का स्वयं में कोई अस्तित्व नही है। इन्हें पृष्ठों पर प्रयोग किया जाता है। तो वादक ओर संगीतज्ञ का अंतर मायने नही रखता। मायने ये रखता है कि इन दोनों साँचो मैं किन प्राचालो का प्रयोग किया गया है। अगर वे समान है तो भिन्न भिन्न साँचो का न कोई सार्थक उपयोग है ना महत्व। वही अगर प्राचालो मैं काफी अंतर है तो विलय करना उचित नही। इसी संबंध में मैं एक विकिपृष्ठ पर भी संपादन कर रहा हूँ। आप चाहे तो विकिपीडिया:ज्ञानसन्दूक देख सकते है। Capankajsmilyo (वार्ता) 10:39, 10 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे ज्ञात है कि साँचे पृष्ठों से भिन्न होते है फिर भी साँचे के नाम उनकी पहचान ही प्रदान करते हैं। रही बात उपयोग की तो दोनों विषयो का स्वतंत्र अस्तित्व होने के कारण दोनों के लिए भिन्न भिन्न प्राचल जोड़ने की पूरी संभावना है। अभी आपको लगता है कि दोनों में प्राचल एक जैसे ही है तो भी कोई समस्या नहीं है क्योंकि वादक लिखो या संगीतज्ञ दोनों काम करेंगे। इसलिए किसी एक साँचे के स्वतंत्र अस्तित्व को हमेशा के लिए मिटा देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप पूर्व भी बहुत से साँचे को मिटा चुके हैं और चर्चा में स्पष्ट विरोध और आम सहमति के बिना ही आप साँचों को मिटाते गए हैं। इससे कोई लाभ नहीं। दोनों भिन्न साँचों में विकास की संभावना ज्यादा है, जैसे संगीतज्ञ में उनके राग, लोकप्रिय अल्बम, गीत आदि जोड़ सकते हैं और वादन वाले में वादन विषयक जानकारी से जुड़े प्राचल जोड़े जा सकते हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि कृपया साँचो को मिटाने का कार्य बंद कर दीजिये और हो सके तो नए साँचो का निर्माण कीजिये।--आर्यावर्त (वार्ता) 04:03, 11 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
तूर्यनाद कार्यक्रम भोपाल द्वारा हिन्दी विकिपीडिया के साथ सह-आयोजन हेतु प्रस्ताव
समर्थन - गत वर्ष दिए गए परिचय व्याख्यान के परिणाम स्वरुप इस बार हिंदी समारोह तूर्यनाद के साथ विकिपीडिया को सह आयोजन का प्रस्ताव आया है.यह एक सुनहरा अवसर है जब हिंदी विकिपीडिया ,तकनीकी शिक्षण संस्थानों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है.भोपाल के दल से पूर्ण सहयोग का आश्वासन देना चाहूंगा एवं मेरा सुझाव है कि २ दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाये।: Swapnil.Karambelkar (वार्ता) 12:44, 9 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मेरा सुझाव है कि इस आयोजन हेतु cis आदि किसी अनुभवी संस्था की मदद लेनी चाहिए। हिंदी विकी पर इस प्रकार के अनिभव रखने वाले लोगों की कमी है अतः cis आदि से मार्गदर्शन का निवेदन करना चाहिए। यदि संस्थान अपनी लैब आदि देने को तैयार हो तो एक वर्कशॉप भी रखी जा सकती है। प्रचार का अवसर खोना नहीं चाहिए ताकि जितना संभव हो उतने नए संपादक प्राप्त किये जा सकें। --अनामदास17:04, 9 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन हिंदी विकिपीडिया में अधिक से अधिक छात्र आएं तो अच्छ होगा चूँकि यह कार्यक्रम हिंदी भाषा के उन्नयन हेतु है अतः पूर्ण समर्थन है साथ ही CIS का सहयोग मिलता ही तो अच्छा -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 13:19, 12 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
हिंदी विकिपीडिया के साँचो में देवनागरी अंक नहीं आ रहे हैं। इसका कारण पार्वकल मे हुआ यह बदलाव है। देवनागरी अंको को पुनः आरम्भ करने के लिए यहाँ और यहाँ चर्चा चल रही है। क्या आप देवनागरी अंक दोबारा देखना चाहेंगे? Capankajsmilyo (वार्ता) 14:04, 9 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन -- @आर्यावर्त: जी ने जिस षडयंत्र (इनपुट सर्वत्र अरबी, आऊटपुट सर्वत्र नागरी, अंकपरिवर्तक इकतरफा) का आरोप @SM7: जी पर लगाया है, उस षडयंत्र का प्रस्ताव वास्तव में मेरा था और वह इस अज्ञान पर आधारित था कि नागरी अंकों का उपयोग साचों व गणना आदि में संभव नहीं है। यदि ऐसा संभव है तो हर हाल में मैं नागरी अंकों का ही समर्थन करूँगा। जो पाठक मात्र अरबी अंक देखना चाहें, उन सदस्यों को वरीयताओं में यह चुनने का विकल्प दिया जा सकता है। अंक परिवर्तक भी है ही। बाकियों का मैं नहीं जानता, लेकिन मेरा यहाँ योगदान करने का उद्देश्य हिंदी को पुनर्जीवित होते देखना है, और हिंदी का वास्तविक रूप तो नागरी अंकों में ही है। समय के साथ चलने के जो सुझाव दिए जा रहे हैं यदि आज से १० साल पहले यह चर्चा होती जब यूनिकोड नहीं था, तो इंटरनेट पर हिंदी को जिंदा रखने के लिए इसे रोमन लिपि में भी लिखना पड़ता तो कोई और चारा न होने की दशा में शायद मैं सहमत होता, लेकिन धन्य हैं वे हिंदी प्रेमी जिन्होंने अपने आपको या हिन्दी के स्वरूप को बदलने के स्थान पर प्रयास किए और सिस्टम को बदल दिया और देवनागरी लिपि में टंकण को समभव व सुविधाजनक बनाया। ठीक यही स्थिति आज है, नागरी अंकों के प्रयोग से फार्मूलों आदि में गणना में असुविधा है तो काम चलता रहे इसके लिए अरबी अंकों के बारे में सोचा जा सकता है लेकिन यदि गणना नागरी अंकों से भी संभव है, तो अरबी अंकों को प्रयोग करने का औचित्य ही नहीं है, सवाल ही नहीं है, कतई नहीं है। मात्र दस चिह्नों की पहचान कोई इतना बड़ा और कठिन कार्य भी नहीं है कि कोई भाग ही जाए। जिस दिन बाकी सदस्य हिंदी विकिपीडिया को रोमन लिपि में लिखने पर सहमत हो जाएंगे तो उस दिन मैं भी अरबी अंकों के प्रयोग के बारे में पुनर्विचार करूँगा। जब तक भाषा देवनागरी लिपि है तो अंक भी देवनागरी ही होने चाहिएँ। धन्यवाद। --अनामदास08:56, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
Anamdas जी ऊपर वाला वाक्य थोड़ा ठीक कर दें, पहली बार पढ़ने पे मुझे लगा कि "आरोप लगाने का" सुझाव आपका था और आर्यावर्त जी द्वारा क्रियान्वित किया गया। हम कुछ-कुछ खुश भी होने लगे थे। दूसरी बात, हम तो अपनी अज्ञानता स्वीकार कर चुके हैं (नीचे ↓), आपको यह नया वाला ज्ञान कहाँ से मिला कि इससे गणनायें देवनागरी में संभव हो जायेंगी?--SM7--बातचीत--09:45, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
SM7: वाक्य ठीक कर दिया है। नया ज्ञान या नया अज्ञान कहें, इस बात पर आधारित है कि फैब्रिकेटर पर जो पुरानी टिकट आपने दिखाई है, उससे जितना मुझे समझ आया वह यह कि अरबी अंकों का स्थापन मयूर जी द्वारा किए गए निवेदन के पश्चात हुआ। मेरे तकनीकी ज्ञान के बारे में आप जानते ही हैं, अतः मैं तकनीकी बात न लिखकर सामान्य शब्दों में पुनः लिख देता हूँ- मेरी प्रथम वरीयता है कि नागरी अंकों से गणना हो सके ऐसा समाधान करके नागरी अंकों का प्रचलन होना चाहिए। जब तक ऐसा संभव न हो तब तक अरबी अंकों के प्रयोग से भी मुझे कोई आपत्ति नहीं।--अनामदास10:15, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
विरोध
#विरोध - यदि इसका उद्देश्य हिंदी विकि का डिफॉल्ट अंक सिस्टम बदलवाना है तो। T31279 द्वारा किया गया बदलाव जिन कारणों से किया गया था उनका अभी तक कोई समाधान नहीं है। समाधान के लिए T36193 के रूप में बग लिखा गया था जिसका कोई निराकरण नहीं हो पाया। T155888 पुरानी समस्या का दुहराव मात्र है। T160423 किसलिए लिखा गया है स्पष्ट नहीं। --SM7--बातचीत--19:35, 10 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
विरोध - क्यों? देवनागरी अंकों का इस्तेमाल अब अप्रचलित हो गया है। विकिपीडिया इसे पुनः प्रचलित बनाने का स्थान नहीं है। इंटरनेट पर सारे मेजर वेबसाइट (ख़बरें, आधिकारिक/सरकारी पृष्ठ, आदि) अरबी अंकों का इस्तेमाल करते हैं। आजकल के ज़्यादातर हिन्दी पाठ्यपुस्तक, उपन्यास, और अन्य प्रकाशनों में अरबी अंकों का इस्तमाल हो रहा है। जब तक हालिया प्रकाशनों में देवनागरी के अंकों का इस्तेमाल नहीं हो जाएगा, तब तक यहाँ पर भी इसका इस्तेमाल नहीं हो जाएगा। अपने मत आधुनिक हिन्दी स्रोतों पर आधारित करें, न कि तर्कहीन आन्दोलनों पर। सादर, --सलमा महमूद (वार्ता) 14:09, 13 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मुज़म्मिलुद्दीन जी, क्या आप कह सकते हैं कि केवल एक अंक-प्रणाली का प्रयोग करने से 'सारे' कान्फ्यूजन दूर हो जाएंगे? उर्दू वाले कितना कान्फ्यूजन झेलते होंगे जब एक ही वाक्य में संख्या बाएँ-से-दाएँ लिखते/पढ़ते होंगे और शेष शब्द दायें से बाएँ? फिर भी उन्होने अपनी लिपि को सीने से लगा रखा है! आप तो फारसी के बारे में भी जानते होंगे, वहाँ तो वे फारसी अंक प्रयोग कर रहे हैं। बंगला विकि पर भी बंगला संख्याएँ लिखी मिल रही हैं। हिब्रू, रूसी, चीनी, जापानी आदि के पास अपने दश-आधारी अंक होते तो क्या वे कभी रोमन का प्रयोग करते? चीनी में इतने 'अक्षर' हैं कि सामान्य की-बोर्ड प्रयोग ही नहीं किया जा सकता। उन्होने तो हार नहीं मान ली।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:05, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अगर अपने समर्थन या असमर्थन से पहले चर्चा करनी हो तो यहां करे:
क्या कोई बता सकता है कि ऐसा करने से फायदा क्या है? या सिर्फ इसलिये इसे लागू करवाना है कि कुछ सदस्यों को ज्ञानसंदूक में देवनागरी अंक देखने हैं। ये भी जानना आवश्यक है कि ऐसा किया ही क्यों गया था और वो कारण आज भी सार्थक है क्या।--हिंदुस्थान वासीवार्ता14:18, 10 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: आपका पूरा षड्यंत्र अब समझ में आ रहा है। पहले तो आप साँचों में देवनागरी अंक काम नहीं कर रहे इसलिए हमें अरबी अंको को प्रयोग करना ही पड़ेगा एसा कहकर अब तक देवनागरी के स्थान पर अरबी अंको को लागू करने का आपके द्वारा प्रयत्न किया गया है। सदस्यों को पता ही नहीं था कि पूर्व में एसी ही मानसिकता वाले कुछ लोगों ने देवनागरी अंक साँचे में काम न करे और केवल अरबी अंक ही काम करे ऐसे बदलाव किए थे। और अरबी अंक काम कर रहे इस आधार पर बार बार अरबी अंक स्थापित करने का प्रयत्न किया गया है। अब देवनागरी अंक काम नहीं कर रहे थे इस समस्या का समाधान मिल ही गया है तब आपका विरोध यही बात स्पष्ट करता है कि आप देवनागरी अंको को हटाना चाहे थे, है, और तो और आपने अङ्ग्रेज़ी शीर्षकों को भी समर्थन दिया। शुद्ध हिन्दी लिखने वालों को प्रताड़ित किया और अपनिमनमनी चलायी। आपको अङ्ग्रेज़ी इतनी ही पसंद है तो अङ्ग्रेज़ी विकिपीडिया पर चले जाइए। हिन्दी को बर्बाद करने का आपका ये कार्य निंदनीय है। आपके जैसे सदस्य प्रबन्धक बन गए हैं ये हिउंदी विकिपीडिया की कमनसिबी है।--आर्यावर्त (वार्ता) 04:22, 11 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
षड़यंत्र और मनमानी जैसे शब्द इस्तेमाल करने के पीछे निहितार्थ क्या है, समझ से परे है। हिन्दी प्रेम तो ठीक है लेकिन अपनी शर्तों पर प्रेम की जिद तो जानलेवा है। काफी दिनों से देख और पढ़ रहा हूं। एक तबका हिंदी को लेकर ठीक उसी तरह के वाद-विवाद में लीन है जो भारतेंदु हरिश्चंद्र और सितार-ए-हिंदी राजा शिवप्रसाद सिंह के जमाने में संपन्न हो चुका था। हिंदी में संस्कृत के शब्द ठेलकर, गोंचकर आप विकिपीडिया पर गंगाजल छिड़कते हुए तथाकथित शुद्धीकरण अभियान में लगे रहिए, लोकभाषा के रूप और स्वरूप पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला। तमाम बोलियों को अपनाने वाले लोग हिंदी का प्रयोग संपर्क भाषा के रूप में कर रहे हैं और करते रहेंगे। इसी से हिंदी समृद्ध हुई है, होती रहेगी। इतिहास गवाह है कि जिस भाषा में जितना लचीलापन और बाह्य-सामग्री को ग्रहण करने की क्षमता रही है वो भाषा उतनी ही सशक्त हुई जबकि शुद्धीकरण ने संस्कृत को लोकभाषा से हटाकर ग्रंथों की भाषा बना दिया और पालि, प्राकृत, अपभ्रंश का प्रादुर्भाव हो गया। इसलिए भाषा को कृत्रिम बनाने के उपक्रम में जो भी लोग लगे हैं उनको शुभकामनाएं। बदल डालिए हिंदी विकिपीडिया की भाषा लेकिन साहित्य और संचार की भाषा तो वहीं रहेगी जिसका स्वरूप प्रचलित है। --कलमकारवार्ता13:27, 13 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अरबी अंकों का इस्तेमाल सबसे व्यापक है। अपनी एक्टिविज़्म के तहत इन अप्रयुक्त व अप्रचलित देवनागरी अंकों को हम सब पर लागू मत करें। हिन्दी भाषा आगे बढ़ रही है। इसके साथ आगे बढ़िए, या पीछे रहिए, लेकिन हम सब को अपने साथ पीछे मत लेना। हिन्दी विकी और हिन्दी ज़बान को तबाह करने की इस साज़िश अब ख़त्म कीजिए। सादर, --सलमा महमूद (वार्ता) 14:09, 13 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कलमकार जी, आपने यह नहीं लिखा कि पालि, प्राकृत, अपभ्रंश कितने दिन चलीं और संस्कृत कितने हजार वर्ष? जब पालि, प्राकृत इतनी ही 'प्रोग्रेसिव' और 'आसान' थीं तो मर क्यों गयीं? अंग्रेजी और हिन्दी में किसने अधिक लचीलापन दिखाया है और कौन अधिक सशक्त है? यदि आपका उपरोक्त थेसिस सही था तो १८३५ में भारत में अंग्रेजी लादने का कानून क्यों बनाना पड़ा? लोग अपने-आप सीख जाते। क्यों अमेरिका, ब्रिटेन भारतीयों का 'उन्नत अंग्रेजी' टेस्ट लेकर अपने देश में आने देते हैं? आपका यह थेसिस जापानी, फ्रेंच, जर्मन, रूसी, चीनी, फारसी, हिब्रू वालों को क्यों समझ नहीं आता? हिन्दी का सर्वाधिक विकास किस काल में हुआ? अनुनाद सिंह (वार्ता) 14:52, 13 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, आपके प्रश्नों को एक लंबे उत्तर की दरकार है। फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि संक्षेप में ही इन सभी प्रश्नों का समुचित जवाब दिया जाए। आपने पूछा है कि पालि, प्राकृत, अपभ्रंश कितने दिन चलीं और संस्कृत कितने हजार वर्ष? भारत के इतिहास पर नजर डालें तो संस्कृत भाषा की प्राचीनता ऐतिहासिक तथ्यों से परिभाषित नहीं की जा सकती। इसकी कई वजहें हैं, जिनके विस्तार में जाना विषयांतर होगा। जबकि भारत का लिखित इतिहास छठी शताब्दी ईसा पूर्व से उपलब्ध है। यह ठीक-ठीक वही समय है जब गौतम बुद्ध का प्रादुर्भाव हुआ। ये वो समय था जब पालि प्राकृत का प्रचलन शुरू हो चुका था। तो वहीं अपभ्रंश से हिंदी की विभिन्न बोलियों के विकास को हम ग्यारहवीं सदी में साफ तौर पर देख सकते हैं। आपने पूछा है कि 1835 में भारत में अंग्रेजी लादने का कानून क्यों बनाना पड़ा? आपके इस सवाल का भाषा की क्षमता और अक्षमता से कोई सरोकार नहीं। सन् 1835 भारत के इतिहास में वो साल है जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने "खल्क खुदा का, मुल्क बादशाह का, हुक्म कम्पनी सरकार का" की औपचारिकता को भी बुहारकर किनारे कर दिया और मुगल बादशाह के नाम पर चल रहे सिक्के भट्टी में पिघलाकर अंग्रेज बादशाह विलियम तृतीय के नाम पर ढाल दिए गए। भारतीय उपनिवेश को पूरी तरह से गुलामी की जंजीरों में जकड़ने के लिए देसी जुबान और पाठ्यक्रम को खारिजकर शासकवर्ग की भाषा को स्थापित करना ही अंग्रेजी कानून को लादने की वजह था। ये अलग बात है कि इस वक्त तक हिंदी खड़ी बोली अपना आधुनिक स्वरूप नहीं ग्रहण कर पाई थी। रही बात रूसी, जापानी, फ्रेंच और जर्मन की शुद्धता का तो इसके लिए जरा इन भाषाओं के इतिहास में गहरे उतरिए आपको अपने सवालों का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा। रूसी साहित्य में लेव तोलस्तोय और फ्योदोर दास्तोयवस्की जैसे रचनाकारों को पढ़िए। इनकी भाषा फ्रेंच के शब्दों से अटी पड़ी है। इनकी रचनाओं के कुछ किरदार तो लगातार फ्रेंच बोलते दिखते हैं। जर्मन भाषा में भी एकरूपता नहीं है पूरब की जर्मन और पश्चिम की जर्मन में जमीन आसमान का अंतर है। जापानी में टोकियो और क्योटो की जापानी में समानता नहीं दिखती। फिर भी लोग भाषा में किस एकरूपता और शुद्धि का राग अलाप रहे हैं। सादर--कलमकारवार्ता10:12, 14 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कलमकार जी,
आपने मेरे प्रश्नों का क्या उत्तर दिया है़? झटके में कोई कह सकता है कि आपको हिन्दी ही समझ में नहीं आती। "संस्कृत भाषा की प्राचीनता ऐतिहासिक तथ्यों से परिभाषित नहीं की जा सकती।" का क्या मतलब है? जब आपको संस्कृत की ऐतिहासिकता ही पता नहीं है कि संस्कृत ५०० वर्ष जीवित रही, ५ हजार वर्ष या ५० हजार वर्ष, तो संस्कृत का उदाहरण देना कितना तर्कसंगत है? आपने इस प्रश्न पर मौन क्यों धारण कर लिया कि पालि और प्राकृत जब 'लोक' जे जुड़ी हुई 'आसान' भाषाएँ थीं तो इतनी जल्दी कैसे मर गयीं? कही-सुनी बातें उगलने से इसका उत्तर नहीं मिलेगा। अंग्रेजी के बारे में भी पता नहीं चल रहा है कि आपने उत्तर दिया है या मेरे प्रश्न को प्रकारान्तर से पुनः लिख दिया है। मेरा प्रश्न यह था कि अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी के प्रचार-प्रसार के लिए आपका नुस्खा क्यों नहीं आजमाया? उन्होने संस्कृत के हजार-दो हजार शब्द ले लिए होते, फारसी के ले लिए होते, कुछ तमिल-तेलुगू के ले लिए होते। ये कानून का सहारा क्यों लेना पड़ा?
लेव तोलस्तोय का कोई किरदार फ्रेन्च बोले जा रहा है तो क्या हो गया? २ हजार वर्ष पहले के संस्कृत नाटकों में कोई संस्कृत बोल रहा है कोई प्राकृत । यह नाटक में सहजता लाने की एक युक्ति है। आज भी प्रयुक्त होती है। इसका भाषा की सरलता से कोई लेना-देना नहीं है न ही भाषायी गुलामी की मानसिकता से। यह बिलकुल अलग बात है। ऐसा नहीं है कि राजा संस्कृत में बोल रहा है और 'सद्भाव' बनाए रखने के लिए बीच-बीच में अरबी या रूसी के शब्द भी मिला लेता है।
"जर्मन भाषा में भी एकरूपता नहीं है पूरब की जर्मन और पश्चिम की जर्मन में जमीन आसमान का अंतर है। जापानी में टोकियो और क्योटो की जापानी में समानता नहीं दिखती।" - ये बात एसएम७ (पूर्वनाम, सत्यम् मिश्र) को मत बताइयेगा नहीं तो जर्मन और जापानी की 'बोलियों' की दुर्गति को लेकर वे आन्दोलित हो सकते हैं। लेकिन मैं तो यह कहूंगा कि आप फिर गलत उपमा दे रहे हैं। लगता है कि आप देसी कहावत 'कोस-कोस पर बदले बानी' नहीं सुने हैं (ये अलग बात है कि यह सोवियत कहावत नहीं है।)। अरे भाई, इसका भी 'भाषा की सरलता' सम्बन्धी आपके थेसिस से कोई सम्बन्ध नहीं है। आप तो ये बताइये कि यहूदी लोग लिपि के लिए रोमन और शब्दों के लिए अरबी अपनाकर हिब्रू को सरल बनाकर उसका प्रसार क्यों नहीं करते? जबकि यहूदियों की बहुत बड़ी संख्या रूस, जर्मनी, फ्रान्स आदि से आयी थी और वे सब तरफ से अरबी क्षेत्रों से घिरे हैं। क्यों फ्रान्स ने विदेशी शब्दों के फ्रेन्च में मिलाने के विरुद्ध कानून बनाया है? क्यों यूके यह शर्त लगाता है कि जिनको अंग्रेजी नहीं आती उनको ब्रिटेन में नहीं घुसने देंगे?
अन्त में बात विकिपिडिया पर गंगाजल छिड़कने की। स्वयं आप ७० वर्ष की अल्पायु में मृत (आत्महत) मार्क्सवाद की जूठन लिए फिर रहे हैं, उसके बारे में क्या कहना चाहेंगे? जूठन का सेवन कब तक जारी रहेगा?
चर्चा साँचों में देवनागरी के अंकों के बारे में है लेकिन पता नहीं अनुनाद जी और आर्यवर्त जी हमेशा इस बेकार शुद्धतावादी मुद्दे को लेकर विकिपीडिया पर चर्चा करना चाहते हैं। माने या न माने, हिन्दी का विकास सिर्फ़ संस्कृत से नहीं बल्कि प्राकृत, अरबी, फ़ारसी, तुर्की, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि में से भी हुआ है। यह कॉल्ड हार्ड लिंग्विस्टिक फ़ैक्ट है। अगर अंग्रेज़ी भाषा के पुनर्निर्माण इस "भाषा शुद्धतावाद" की बुनियाद पर हुआ, तो आज अंग्रेज़ी भाषा ऐसी लगेगी। लेकिन इस तरह की अंग्रेज़ी का अस्तित्व ग़ायब है, क्योंकि इस नक़ली भाषा का इस्तेमाल किसी भी नहीं करते हैं। सादर, --सलमा महमूद (वार्ता) 11:09, 14 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी,
मुझे हिंदी समझ में आती है या नहीं आती है, इसके लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की डिग्री और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की फेलोशिप पर्याप्त है। इसके लिए अब आपसे प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। दूसरी बात, भाषाओं के इतिहास और भारत पर औपनिवेशिक राज और उसकी नीतियों की तो उसके लिए वैज्ञानिक इतिहास दृष्टि की जरूरत है। मुझ ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मैंने इस बिंदु पर वाद विवाद संवाद की पात्रता और अर्हता की अनदेखी कर दी। वैसे गुलामी ढोने का ये जुमला अब बासी पड़ चुका है। कुछ नया सोचिए। इस बिंदु पर ये मेरी आखिरी टिप्पणी है। वैचारिक असहमति में शालीनता के अभाव को देखते हुए बातचीत के इस सिलसिले को यहीं विराम देता हूं। शुभकामनाएं--कलमकारवार्ता17:48, 15 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कलमकार जी, मुझे आपसे यही आशा भी थी। मुझे पता था कि आप रटी-रटायी बात बोल रहे हैं और जब उस पर प्रतिप्रश्न किया जायेगा तो पहले 'घुमाने' की कोशिश करेंगे और बाद में बच निकलने का कुछ बहाना ढूढ़ लेंगे। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 11:17, 16 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
ये तो बिलकुल वैसी बात हो गई जैसे चोर कोटवाल को दंड दे। कलमकार जी वाला खाता संदिग्ध है, वे विकि में खाता खोलने के साथ ही विकिपीडिया की शैली आदि से परिचित थे। उनकी नीति स्पष्ट समझ में आ रही है। सलमा जी वाले खाते का सम्पादन इतिहास देखा जाये तो स्वतः ही पता चल जाएगा, कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं। हिंदुस्थानवासी जी जैसे प्रबन्धक भी इसमें सम्मिलित है ये बात अवश्य अनपेक्षित है। एसएम7 जी को मैं धन्यवाद देता हूँ। हिन्दी भाषा सैकड़ो सालो से है और हिन्दी का जन्म ही संस्कृत से हुआ है। अब किसी को संस्कृत से धृणा है तो ये उनकी व्यक्तिगत समस्या है, ये उनका व्यक्तिगत हेतु है। हिन्दी भाषा देवनागरी में लिखी जाती है न कि अरबी में। वो भी युगो से। हिरण्यकश्यपू ने एक बार घोषित कर दिया कि अब से कोई भगवान विष्णु की पुजा नहीं करेगा। हिरण्यकश्यपू ही आज से भगवान है। मंदिर तोड दिये गए, यज्ञ करने पर प्राणदंड था। जैसे सनातन धर्म नष्ट हो गया। किन्तु ये अल्पकालीन था, हमारी भाषा, संस्कृति, धर्म आज भी है। भारत में मुस्लिमो का आक्रमण हुआ, मंदिर तोड़ दिये गए, सोमनाथ मंदिर में ही 1 लाख ब्राह्मणो की हत्या की गई थी। अनेक लोगों को मारकर धर्म परिवर्तन कराया गया। क्या हमारी भाषा और धर्म समाप्त हो गये? वो भी अल्पकालीन था। फिर भारत में अंग्रेज़ आए, भारत के इतिहास को बदला गया ताकि भारत के लोग अपना गौरवपूर्ण इतिहास भूल जाए और भारतीय लोगों में आत्मविश्वास की कमी के कारण स्वयं को दीन, हीन, बिछड़ा हुआ समझे। भारत में कायदे लाद कर जबर्दस्ती अँग्रेजी थोपी गई थी, आज भी हिन्दी को हटाने के लिए भारत के कुछ भागो में आंदोलन चल रहा है। इन लोगों को मन में ठसाया गया है कि अँग्रेजी से ही उनका कल्याण हो सकता है। दक्षिण भारत के भागो में आज भी हिन्दी को समाप्त करने के प्रयत्न हो रहे है। ये पूरा षड्यंत्र तो है ही किन्तु ये भी अल्पकालीन है। ऐसे लोगों के कारण देवनागरी समाप्त नहीं हो जाएगी, काल की गति के साथ ये लोग भी समाप्त हो जाएँगे।
हिन्दी विकिपीडिया हिन्दी में ही लिखा जाता है और देवनागरी में ही लिखा जाता है, आंदोलन तो अनेक चल रहे हैं जैसे इसे अरबी में लिखना। फिजिहिंदी विकिपीडिया देख ही रहे हैं। किन्तु ये हिन्दी विकिपीडिया है और देवनागरी के अंक यहाँ लादे नहीं जा रहे हैं, ये तो प्रारम्भ से ही है, रहेंगे। देवनागरी अंक से ही ये अरबी अंको का जन्म हुआ है। जब अरबी अंको का अस्तित्व नहीं था तब भी ये थे। ये तो मूलाधार है। विकिपीडिया में कुछ सदस्यो ने शुद्ध हिन्दी लिखने वाले को प्रताड़ित किया और इसके कारण अनेक मूलभूत से हिन्दी और विकिपीडिया को समर्पित संपादक विकिपीडिया छोडकर जाने के लिए विवश हो गए। विकिपीडिया में लेख कैसे लिखे वाली नीति भी इस बात का प्रमाण है जो हमारे सामने उपस्थित है। पुरालेख पढ़िये। लवि सिंघल जैसे कठपुतली खातो का भी प्रयोग किया गया और अपने छ्द्म हेतु को कार्यान्वित करने के लिए आक्रमण किया गया था। अनुनाद जी आज भी हमारे समक्ष हैं जो इन चीजों से युद्ध कर चुके हैं और आज भी विकि को समर्पित होकर बिना कोई अधिकार लिए योगदान दे रहे हैं। छ्द्म हेतु की पूर्ति के लिए काम कर रहे सदस्य और अनुनाद जी दोनों का योगदान देखकर ही ज्ञात हो जाएगा की कौन विकि को समर्पित है, विकि का सच्चा शुभचिंतक कौन है। कौन अपने निजी स्वार्थ के लिए लड़ रहा है और कौन विकि के हित के लिए युद्ध कर रहा है। कुछ ऐसे प्रबन्धको को हटाना पड़ा था। तब ये लोगों ने साँचे में अंक बदलवा दिये और ऐसा बदलाव किया गया कि देवनागरी अंक काम करे ही नहीं और हमें अरबी प्रारूप का ही उपयोग करना पड़े। गुजराती में गुजराती अंक काम कर रहे है और कोई समस्या नहीं है। न हो सकती है। बाद में ये कहकर अरबी अंको को लागू करने का प्रयत्न किया गाय कि साँचे में देवनागरी अंक काम नहीं करते है इसलिए अरबी अंको को लागू कर दिया जाये और देवनागरी अंको में लिखने पर ही रोक लगा दी जाये। कारण तो बताए गए थे कि ये लाभ होगा और ये लाभ होगा, तब मैंने इसका विरोध किया था। तब हमें ये पता नहीं था कि देवनागरी अंक काम क्यों नहीं कर रहे। पुरानी चर्चाओ के अनुसार समस्या तो यही थी कि देवनागरी अंक काम नहीं कर रहे इसलिए अरबी अंको का प्रयोग करना पड़ेगा। अब ये समस्या का मूल मिल गया है और ये चर्चा के बाद देवनागरी अंक काम करेंगे। फिर उनका देवनागरी अंको को हटाने का स्वप्न ध्वस्त होते देख ऐसे लोग विरोध कर रहे हैं। देवनागरी अंक थोपे नहीं जा रहे, मूल से, प्रारम्भ से है और रहेंगे। अरबी अंक थोपे जा रहे थे। पहले भी कुछ लोग अपने इस छ्द्म हेतु की पूर्ति के लिए प्रबन्धक बनकर ये कार्यक्रम चला रहे थे। आज भी हमारे प्रबन्धको में ऐसे सदस्यों की संख्या ज्यादा है। ये वहीं लोग है, जो अनिरुद्ध जी, अनुनाद जी को प्रबन्धक बनाने का विरोध करेंगे ताकि उनकी मनमानी चल सके। अनिरुद्ध जी को विकि छोडना पड़ा। अनुनाद जी को प्रबन्धक पद छोडना पड़ा। ये लोगों ने इतने सारे नीति नियम बना दिये कि प्रबन्धक बनना मतलब राष्ट्रपति बनाना हो, कोई प्रबन्धक न बन पाये और सबकुछ उनके हाथों में रहे और उनका छ्द्म कार्य भी चलता रहे। इसके कारण अनेक सदस्यो को आगे बढ्ने का मौका नहीं मिला, नामांकन कराते ही ये लोग वहाँ विरोध करने आ जाते और खुद के बनाए अनेकों नीति नियम जाड़ देते। इसकारण अनेक योगदानकर्ता विकिपीडिया छोडकर चले गए। विकिपीडिया में आज भी ये सब चल रहा है। उनको, ऐसे लोगों को पहचानिए और सोचिए।--आर्यावर्त (वार्ता) 05:10, 16 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आर्यवर्त, मैं पहले से ही कह चुकी हूँ कि यह ज्ञानकोश है, मंदिर नहीं। आपके सदस्यनाम से ही साफ़ है कि विकी पर आपकी मौजूदगी का मक़सद क्या है। नाम ही तो एक फ़ासीवादी आन्दोलन से जुड़ा है। जिस तरह आपने इस अज़ीमतरीन विस्तृत निबंध को लिखा है, मेरी उम्मीद है कि इंशाअल्लाह आप ऐसे ही विस्तार के साथ हिन्दी विकी के लेखों में विषयवस्तु जोड़ेंगे - बस आपके घटिया, बेबुनियाद हिन्दुत्ववादी बकवास के बग़ैर। ये हिरण्यकश्यपू-सनातन धर्म बकवास और आपके विकृत ऐतिहासिक नज़रिए से मुझे कोई लेना देना नहीं है। आपने ख़ुद अपनी निन्दनीय पक्षपाती भावनाओं को स्पष्ट कर दिया है। ख़ैर, आपसे सियासत के बारे में बहस करने के लिए नहीं आई हूँ। विकी की चर्चाएँ इन सब के लिए मुनासिब स्थान नहीं है। चर्चा अंकों के बारे में है तो वहीं पर मैं चर्चा करूँगी।
अरबी अंकों के बारे में आपके जो भी निजी मत है जैसे कि "देवनागरी अंक से ही ये अरबी अंको का जन्म हुआ है", वग़ैरह - वो यहाँ पर बिल्कुल अप्रासंगिक है। सच्चाई तो यह है कि आधुनिक हिन्दी प्रकाशनों में अरबी अंकों का इस्तेमाल सर्वव्यापक है। यह तो निर्विवाद, अखंडनीय सच्च है।
"हिन्दी भाषा देवनागरी में लिखी जाती है न कि अरबी में।" आप किस को बेवक़ूफ़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं? अंग्रेज़ी, स्पेनी, डच, आदि तो रोमन लिपि में लिखी जाती है, तो क्या इन भाषाओं की विकिपीडियाओं में रोमन न्यूम्रल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए?
विकी के सबसे आम पहलुओं में से ये है कि हम मूलशोध के मुताबिक़ नहीं बल्कि भरोसेमन्द आधुनिक स्रोतों के आधार पर काम करते हैं और ये भी है कि विकी एक लोकतंत्र नहीं है। इसलिए मैं हिन्दी भाषा के कुछ मशहूर व जाने पहचाने स्रोतों की लिस्ट दूँगी:
तो यहाँ पर देवनागरी अंक थोपने से पहले इन सारे स्रोतों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को अरबी अंकों के ख़तरों के बारे में समझाएँ। आधुनिक हिन्दी प्रकाशनों में बदलाव लाने के बाद ही हम विकिपीडिया पर मुनासिब तब्दीलियाँ लाएँगे। लेकिन जब तक यह नहीं हो जाता, तब तक विकिपीडिया पर डिफ़ॉल्ट में अरबी अंकों का इस्तेमाल किया जाएँगे। साँचों में देवनागरी अंक थोपने की कोई ज़रूरत नहीं है। यह "अंक परिवर्तन" कोम्प्रोमाइज़ ही काफ़ी से ज़्यादा है क्योंकि मेरे ख़्याल से, उपरोक्त स्रोतों के जैसे, विकिपीडिया पर सिर्फ़ और सिर्फ़ अरबी अंकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सम्माननीय सलमा बहन जी, यहाँ जिस जिस साइट का आपने उल्लेख किया है और उसके आधार पे आप हिन्दी विकिपीडिया में अरबी अंको को थोपना चाहते हैं उनसे अच्छा है कि आप स्वयं उसी साइट पे योगदान दीजिये जहाँ ये सब है। वहाँ ये है तो यहाँ भी होना ही चाहिए ऐसा बिलकुल नहीं है। न तो यहाँ देवनागरी अंक थोपे जा रहे हैं। ये तो प्रारम्भ से ही है और रहेंगे। इसका हिन्दुत्व के साथ कोई लेना देना नहीं है। हिन्दुत्व के अनुसार मैं शरीर नहीं शुद्धात्मा हूँ और जो आपके अंदर भी वहीं ईश्वर का मैं दर्शन कर रहा हूँ। इसलिए तो मैं सदैव आपका सम्मान करता हूँ और भूतकाल की चर्चाओ में भी आपने जो भी आक्षेप किए हो, मैंने आपको आपकी भाषा में प्रत्युत्तर नहीं दिया। हम स्त्रियों का सम्मान करते हैं और मैं व्यक्तिगत रूप से आपका सम्मान करता हूँ। आपके मजहब का भी हम सम्मान करते हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि इसे हिन्दुत्व से न जोड़े। हिन्दी देवनागरी अंको में लिखी जाती है और देवनागरी वर्णमाला और अंक इसके आरंभ से ही है अतः कभी भी इसे थोपा हुआ नहीं कहा जा सकता। मेरा जो मत है मैंने स्पष्ट लिख दिया है। आपका मत भिन्न हो सकता है। वैसे भी मैं विकिपीडिया छोडना चाहता हूँ। मेरा स्पष्ट रूप से मानना है कि मुझे हिन्दी लेखन में देवनागरी अंको में नहीं लिखने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता।--आर्यावर्त (वार्ता) 06:29, 18 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
" ये तो प्रारम्भ से ही है और रहेंगे।" जी ठीक है, हिन्दी विकिपीडिया के शुरुआती दिनों में एक ग़लती की गई थी, तो फिर हम इसमें सुधार नहीं कर सकते हैं क्या?
आप ही थोपने के पक्ष में हैं, मैं नहीं। मैं बस हिन्दी लेखन के मौजूदा तौर-तरीक़ों के मुताबिक़ काम करना चाहती हूँ, और उपरोक्त स्रोतों ने इस बात की पुष्टि भी की है। आप विकिपीडिया पर इस अप्रचलित अंक प्रणाली का पुनःप्रचलन करना चाहते हैं - और विकिनीतियों के तहत पर ही यह बिल्कुल मना है। अगर मैं थोपने के आन्दोलन चलाने की कोशिश कर रही हूँ तो इन अर्थशास्त्र, गणित, भौतिकी, आदि की आधुनिक हिन्दी पाठ्यपुस्तकों में देवनागरी अंकों का प्रयोग क्यों नहीं हुआ है?
"वहाँ ये है तो यहाँ भी होना ही चाहिए ऐसा बिलकुल नहीं है।" - ये विचार पूर्णतः विकिनीतियों के ख़िलाफ़ है। विकिपीडिया पर आम सहमति भरोसेमन्द स्रोतों के आधार पर पहुँची जाती है, न कि आपकी, या किसी और की ज़ाती भावनाओं (या मूलशोध) पर। यहाँ मैंने कई स्रोत दिए जिनके मुताबिक़ यह साबित हुआ है कि आधुनिक हिन्दी में देवनागरी अंकों का प्रयोग बहुत कम है, इसलिए इन अंकों को विकिपीडिया पर थोपने का कोई जायज़ कारण नहीं है।
"हिन्दी देवनागरी अंको में लिखी जाती है और देवनागरी वर्णमाला और अंक इसके आरंभ से ही है अतः कभी भी इसे थोपा हुआ नहीं कहा जा सकता।" ग़लत। पहले से ही कह चुकी हूँ कि अंग्रेज़ी, स्पेनी, डच, आदि तो रोमन लिपि में लिखी जाती है, तो क्या इन भाषाओं की विकिपीडियाओं पर रोमन अंकों (I, II, III, IV, V, आदि) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए?
कुछ और मिसालें: थाई लिपि के अपने अंक भी होते हैं - ๐, ๑, ๒, ๓, ๔, आदि - लेकिन आप इनको थाई विकी पर नहीं थोप सकते हैं क्योंकि आधुनिक थाई ज़बान के प्रकाशनों में अरबी अंकों का इस्तेमाल सबसे आम है। सिरिलिक लिपि की भी अपनी अंक प्रणाली है लेकिन रूसी, युक्रेनी, आदि विकिपीडियाओं पर आप इन अंकों को थोप नहीं कर पाएँगे। वैसे ही, आप देवनागरी अंकों को हिन्दी विकिपीडिया पर नहीं थोप सकेंगे।
जहाँ सम्मान की बात है, तो मुझे सहमत है कि आपस में सम्मान रखना बहुत ही ज़रूरी है। लेकिन सबसे ज़रूरी ये है कि हम विकिपीडिया और इसकी नीतियों का सम्मान करें। इन नीतियों से ही विकिपीडिया का जन्म हुआ और इसका विकास इन्हीं के तहत पर होना चाहिए।
इस बात पर भी ग़ौर किया जाए कि विकी एक लोकतंत्र नहीं है - मैं हमारी विकिनीति का हवाला देती हूँ:
"कभी-कभी सम्पादक एक दूसरे के मत जानने के लिए छोटी-मोटी गिनतियाँ कर लेते हैं लेकिन इनके नतीजे सहमती बनाने का इकलौता मार्ग बिलकुल नहीं हैं।" - "औपचारिक चुनाव केवल सदस्यों को कमेटियों के लिए चुनने में प्रयोग होते हैं। सम्पादन में इनके ज़रिये ज़बरदस्ती फ़ैसले करवाने की कोशिश न करें।"
सलमा महमूद जी, आपने लिख-लिखकर पूरा पन्ना भर दिया है किन्तु मैं ढूढ़ रहा था कि इसमें कोई 'ठोस तर्क' मिले। आपने 'विकिपीडिया लोकतन्त्र नहीं है', 'मूल शोध', पत्रपत्रिकाओं में रोमन अंकों का प्रयोग आदि सब कुछ यहाँ डाल दिया है। इनमें से सारे सिद्धान्त अपनी जगह पर सत्य हैं किन्तु कौन सा सिद्धान्त कहाँ लगेगा, यह नहीं जानतीं या जानबूझकर उनका गलत सन्दर्भ में प्रयोग कर रहीं हैं। उदाहरण के लिये, 'विकिपीडिया लोकतन्त्र नहीं है' - इसका उपयोग करके हम कह सकते हैं कि रूसी, थाई या इथियोपियाई, दिल्ली विश्वविद्यालय, या झुमरी तलैया विश्वविद्यालय यदि रोमन अंकों का प्रयोग कर रहें हैं तो करें। यदि देवनागरी प्रयोग के अन्य औचित्य हैं तो इसमें संख्या (वोट) नहीं गिनी जायेगी। इसमें भोंदी नकल नहीं की जायेगी (सिरिलिक संख्याओं/रोमन संख्याओं और देवनागरी संख्याओं में अन्तर आपको पता नहीं है क्या?) इसी तरह विकिपीडिया पर देवनागरी अंकों का प्रयोग मूलशोध नहीं है बल्कि विकिपीडिया की मूल भावना के अनुरूप है। मैं ये क्यों कह रहा हूँ? इसलिये कि विकिपीडिया हजारों नहीं तो सैकड़ों भाषाओं का समर्थन करने की नीति का पालन करती है। आपकी नीति पर चलती तो विकि कहती कि 'सारी दुनिया अंग्रेजी बोलती है, केवल अंग्रेजी विकि ही पर्याप्त है।' लेकिन ऐसा नहीं है। यहाँ तक कि यदि कोई भाषा कई लिपियों में लिखी जाती है तो उनके लिए विशेष प्रबन्ध किया है। यूनिकोड कान्शोर्शियम को देवनागरी अंकों के लिये यूनिकोड निर्धारित करने की क्या आवश्यकता थी? आपके अनुसार तो देवनागरी 'मर' गयी है। सलमा जी, देवनागरी अंक संस्कृत में प्रयुक्त होते हैं, मराठी में प्रयुक्त होते हैं, नेपाली में प्रयुक्त होते हैं। वे लोग पूछेंगे कि हमारे देवनागरी अंक किससे कम हैं, तो आप क्या उत्तर देंगी? सलमा जी, लिपि संरक्षण/भाषा संरक्षण एक पवित्र कार्य है जिसे आज पूरा विश्व समर्थन करता है। आश्चर्य नहीं कि अपनी विकि पर भी अधिकांश सदस्यों ने देवनागरी अंकों के प्रयोग का समर्थन किया है। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:40, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कुछ महत्वपूर्ण बातें छूट गयीं थीं, उन्हें भी लिख दूँ। जब आप लिखतीं हैं कि यह 'ज्ञानकोश है, मन्दिर नहीं' - तो आपका अज्ञान बरबस सामने आ जाता है। आपको 'ज्ञानकोश' का अर्थ ही पता नहीं है। आप नहीं जानतीं कि 'त्रिभुज कखग एक समकोण त्रिभुज है' और 'Triangle ABC is a right angled triangle' - इन दोनों में ज्ञानकोश की दृष्टि से कोई अन्तर नहीं है। आप यह भी 'अरबी अंको' के जिहाद में यह भी भूल गयीं हैं कि शून्य सहित दस अंकों का विकास, दाशमिक संख्या पद्धति, आदि भारतीयों ने किया था। गंगा में नहा-नहाकर, मंदिर में पूजा करके, संस्कृत के श्लोकों में जो बातें लिख दीं वे आज भी आश्चर्यजनक लगतीं हैं। आपको जानकर बड़ा दुख होगा कि ये अंक ही यात्रा करके इटली, स्पेन तक पहुंचे तो उन्हें इनके प्रयोग में अपूर्व आनन्द आया किन्तु कूपमण्डूकता के चलते उन्होने इन्हें 'अरबी अंक' कह दिया।
दूसरी बात यह कि जब आप 'रोमन अंक बहुत प्रचलित हैं, रोमन अंक बहुत प्रचलित हैं' का ढिढोरा बजाती हैं तो मुझे ब्रिटिश काल के उन लोगों के ढिढोरे की याद आती है जो 'ब्रिटेन का सूरज कभी नहीं डूबता' का ढिढोरा पीट-पीटकर स्वतन्त्रता सेनानियों का मनोबल कम करने का मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ रहे थे। किन्तु उन मनस्वियों को पता था कि गुब्बारा जितना फूला हो, सुई से उसमें छेद करके उसकी 'हवा निकालना' उतना ही आसान होता है। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 09:09, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
लिपि और अंकप्रणाली दो अलग चीज़ें हैं। आपने अब स्वयं अपना उद्देश्य को व्यक्त किया है: आप हिन्दी लेखन की मौजूदा सूरतेहाल को तब्दील करना चाहते हैं। विकिपीडिया पर योगदान देने से हम सब के निजी उद्देश्य हो सकते हैं और इसलिए विकिपीडिया की नीतियाँ मौजूद हैं। सो अनामदास जी, अगर हिन्दी में लिखी गई स्कूल और युनिवर्सिटी टैक्स्टबूक में अरबी अंकों का प्रयोग सबसे ज़्यादा है - तो यहाँ पर आप देवनागरी अंकों को क्यों थोपना चाहते हैं? पहले बाहर जाइए, इस देवनागरी अंकप्रणाली का हिन्दी लेखन में पुनःप्रचलन करिए, और फिर वापस आइए और स्रोतसबूत के साथ साबित करिए कि अब हिन्दी लेखन में किस अंकप्रणाली सर्वप्रचलित है।
अगर मेरा सदस्यनाम "सीमा मेहता" था न कि "सलमा महमूद" तो क्या आप फिर भी बारम्बार मुझपर "जिहाद" करने का आरोप लगाते? आप मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय ज़ाती आक्षेप करना चाहते हैं और हमेशा अपनी घटिया सियासत के तहत गालियाँ देना चाहते हैं। ज़रा माफ़ कीजिए लेकिन मैं आपके स्तर तक नहीं गिरने वाली हूँ। लो आप अज्ञान की बात कर रहे हैं, इसके पहले रोमन अंक (i, ii, iii, iv, v...) और अरबी अंक (1, 2, 3, 4, 5...) में अन्तर के बारे में जानिए। बेशक देवनागरी ज़िन्दा है, ये तो ज़ाहिर सी बात है। मैंने कब कहा कि देवनागरी मर चुकी है? बस ये कि आधुनिक हिन्दी लेखन में एक अलग अंकप्रणाली अब प्रचलित है। इस बात को मैंने स्रोतसबूत के साथ साबित कर दिया है।
मुद्दे पर बात करें:
अनुनाद जी ने बिलकुल ग़लत समझा, या वे जानबूझकर भ्रामक बातें कर रहे हैं। मेरी नीति नहीं, बल्कि विकिपीडिया की नीति स्पष्ट है: हम विश्वसनीय तृतीय पक्ष स्रोतों के अनुसार कार्य करते हैं न कि "मूल भावनाओं" पर। विश्वसनीय तृतीय पक्ष स्रोतों का लोकतंत्र या मूलशोध से कुछ नहीं लेना देना है। ये सारे बातें जो अनुनाद जी कर रहे हैं सब मूलशोध की सबसे उत्तम मिसालें हैं -
"आपको जानकर बड़ा दुख होगा कि ये अंक ही यात्रा करके इटली, स्पेन तक पहुंचे तो उन्हें इनके प्रयोग में अपूर्व आनन्द आया किन्तु कूपमण्डूकता के चलते उन्होने इन्हें 'अरबी अंक' कह दिया।" तो?? अब यही अरबी अंकप्रणाली हिन्दी लेखन में सर्वव्यापक है। अनुनाद जी ने बड़ी चालाकी से इस बात को किसी अप्रासंगिक ब्रिटिश चीज़ से तुलना किया है, क्योंकि वे इसे हरगिज़ ग़लत साबित नहीं कर पाएँगे। विकिपीडिया देवनागरी अंकप्रणाली का पुनःप्रचलन करने के लिए जगह नहीं है।
सलमा जी, मैने आपको 'जिहादी' कहा है कोई 'नादिरशाह की बुआ' या 'औरंगजेब की दीदी' नहीं कहा। 'जिहाद' पर इतना लाल-पीला होने से पहले आप एक बार वह भी पढ़ लीजिए जो आपने स्वयं आर्यावर्त के लिये लिखा है। (( आर्यवर्त, मैं पहले से ही कह चुकी हूँ कि यह ज्ञानकोश है, मंदिर नहीं। आपके सदस्यनाम से ही साफ़ है कि विकी पर आपकी मौजूदगी का मक़सद क्या है। नाम ही तो एक फ़ासीवादी आन्दोलन से जुड़ा है।))
सलमा जी, विकिपीडिया वालों को समझाइये कि 'रोमन के साम्राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं होता (मैं सौ बार कह चुकी हूँ)' , क्यों इतनी सारी लिपियों में विकि लिखवा रहे हो!!
सलमा जी, 'विकि लोकतन्त्र नहीं है', 'मूलशोध', 'स्रोत' आदि का मतलब एक बार फिर पढ़ लीजिए।
सलमा जी ये 'अंक प्रणाली' क्या होती है? थोड़ा प्रकाश डालिये ना? 'लिपि और अंकप्रणाली दो अलग चीज़ें हैं।' - इस पर थोड़ा और प्रकाश डलिये ना? मैंने तो देखा है कि विकिपीडिया पर जिस भी लिपि का लेख लिखा गया है, उसी के साथ उस लिपि में प्रयुक्त अंक-संकेतों (या संख्या संकेतों) का भी वर्णन किया गया है। जरा ये भी बताइयेगा कि जो चर्चा चल रही है वह अंकों के बारे में है, संख्याओं के बारे में है, अंक-संकेतों के बारे में है, संख्या-प्रणाली के बारे में है या किसी और बारे में?-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:58, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
साफ़ है कि उपरोक्त चर्चा में आर्यवर्त ने सनातन धर्म के कथित महान और गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में बयान दिया। उन्होंने भारत के मुसलमानों की तुलना एक राक्षस हिरण्यकशिपु से किया था, जैसे कि सारे मुसलमान हिन्दू धर्म, संस्कृति, इतिहास, मन्दिर, आदि को नष्ट करना चाहते थे। ये सारे सांप्रदायिक आक्षेप उन्होंने स्वय्ं व्यक्त किया। फिर भी मैंने आपसे और उनसे भी कहा कि मुझे सियासत के बारे में बहस नहीं करनी है।
अनुनाद जी, आपने मुज़म्मिल के साथ ऊपर की चर्चा में बंगाली, उर्दू और फ़ारसी विकियों की अंकप्रणालियों का ज़िक्र किया। आम बंगाली मीडिया में आप देख सकते हैं कि पूरबी नागरी अंकों (১, ২, ৩, ৪, आदि) का प्रयोग ज़्यादा है - आनन्दाबाज़ारबीबीसी बंगालीबांग्लादेश सरकारबांग्ला अकादमीपश्चिम बंगाल सरकार - इसलिए इनके इस्तेमाल बंगाली विकी पर भी हो रहा है। फ़ारसी के हालिया प्रकाशनों में पूरबी अरबी अंकों (۲, ۳, ۴, ۵, आदि) का इस्तेमाल भी सबसे व्यापक है, इरानी हकूमतवोआन्यूज़एरान अख़बारफ़ारस न्यूज़, इसलिए इनके इस्तेमाल फ़ारसी विकी पर भी हो रहा है। लेकिन उर्दू में पश्चिमी अरबी अंक ज़्यादा प्रयुक्त है और इसलिए उर्दू विकी पर उन अंकों का प्रयोग हो रहा है। वैसे ही हम देख सकते हैं कि हिन्दी की आम मीडिया में भी पश्चिमी अरबी अंक ज़्यादा नज़र आते है, और इसलिए हिन्दी विकी पर देवनागरी अंकों को लागू करने के लिए कोई कारण नहीं है। --सलमा महमूद (वार्ता) 13:29, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
सलमा महमूद जी, मैं तो यह देख रहा हूँ कि आर्यावर्त और नेहल दोनो बार-बार आपसे 'जबान संभाल के' बात करने का निवेदन कर रहे हैं और आप उनको तरह-तरह की गालियाँ (फालतू, बेकार, शुद्धतावादी, ऐक्टिविज्म, गंगाजल आदि) दिये जा रहीं है। मुझे तो लग रहा है कि आप अपने नाम (स्त्री नाम) का भरपूर दुरुपयोग कर रहीं हैं।
फिर आपने रटी-रटायी बातें लिख दीं। यदि विकिपीडिया पर 'प्रचलन' कोई आधार होता तो संस्कृत विकि, लैटिन विकि, भोजपुरी विकि आदि नहीं होते। भोजपुरी का तो लिखित 'साहित्य' लगभग शून्य है।
पुराने प्रश्न फिर पूछ रहा हूँ। चर्चा आगे बढ़े इसके लिये कृपया बताएँ कि जो चर्चा चल रही है वह अंकों के बारे में है, संख्याओं के बारे में है, अंक-संकेतों के बारे में है, संख्या-प्रणाली के बारे में है या किसी और बारे में? यह 'ज्ञानकोश' की आपकी समझ जानने के लिये यह भी जानना चाहता हूं कि कोई लिख दे कि 'त्रिभुज कखग का क्षेत्रफल १२ वर्ग सेमी है' तो क्या यह 'अज्ञानकोशीय' हो जायेगा?
मेरे विचार से यह चर्चा गलत दिशा में जा रही है। हिंदी भाषा की शुद्धता तो केंद्रबिंदु था ही नही। अंको की लिपि था। जो।भी तर्क इसके समर्थन अथवा विरोध में दिए जा रहे है वो सीधे सीधे भावनाओ से प्रेरित है न कि ठोस तथ्यों से। कृपया सभी अपनी निजी भावनाओ को किनारे कर इस विषय से सीधी संबंधित बात करे तो निष्कर्ष पर पहुंचना सरल हो पायेगा। दो प्रश्न भी यहाँ महत्वपूर्ण है। १) ऐसा किया ही क्यों गया था? @SM7: आपके द्वारा दिये गए phab से कुछ जानकारी तो मिलती है परंतु स्पष्टता नही है। इसका एक कारण शायद यह भी है कि वहाँ दी गयी बहुत सी कड़िया अब उपस्थित नही है। अगर इसका एक संक्षिप्त विवरण दे सके तो सहायक होगा। २) अरबी अंको को प्राथमिकता देने से क्या लाभ है और देवनागरी अंको को समाप्त करना क्यों आवश्यक है? क्या देवनागरी अंको से कोई हानि होती है? Capankajsmilyo (वार्ता) 11:34, 14 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आपकी बात पूर्णतः सहमत हूँ कि यह चर्चा देवनागरी अंकों के हिन्दी विकि पर उपयोग के बारे में है। इससे किसी ने विषयान्तर कर दिया तो उत्तर देना मुझे आवश्यक लगा। विषयान्तर करने में मैं भी सहयोगी बना, इसके लिए क्षमा चाहता हूँ। चर्चा को पटरी पर लाने के लिए आपका धन्यवाद।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 03:55, 15 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
presenting the project Wikipedia Cultural Diversity Observatory and asking for a vounteer in हिन्दी Wikipedia
Hello everyone,
My name is Marc Miquel and I am a researcher from Barcelona (Universitat Pompeu Fabra). While I was doing my PhD I studied whether an identity-based motivation could be important for editor participation and I analyzed content representing the editors' cultural context in 40 Wikipedia language editions. Few months later, I propose creating the Wikipedia Cultural Diversity Observatory in order to raise awareness on Wikipedia’s current state of cultural diversity, providing datasets, visualizations and statistics, and pointing out solutions to improve intercultural coverage.
I am presenting this project to a grant and I expect that the site becomes a useful tool to help communities create more multicultural encyclopaedias and bridge the content culture gap that exists across language editions (one particular type of systemic bias). For instance, this would help spreading cultural content local to हिन्दी Wikipedia into the rest of Wikipedia language editions, and viceversa, make हिन्दी Wikipedia much more multicultural.
Here is the link of the project proposal:
https://meta.wikimedia.org/wiki/Grants:Project/Wikipedia_Cultural_Diversity_Observatory_(WCDO)
I am searching for a volunteer in each language community: I still need one for the हिन्दी Wikipedia. If you feel like it, you can contact me at: marcmiquel *at* gmail.com I need a contact in your every community who can (1) check the quality of the cultural context article list I generate to be imported-exported to other language editions, (2) test the interface/data visualizations in their language, and (3) communicate the existance of the tool/site when ready to the language community and especially to those editors involved in projects which could use it or be aligned with it. Communicating it might not be a lot of work, but it will surely have a greater impact if done in native language!:). If you like the project, I'd ask you to endorse it in the page I provided. In any case, I will appreciate any feedback, comments,... Thanks in advance for your time! Best regards, --Marcmiquel (वार्ता) 21:49, 9 अक्टूबर 2017 (UTC) Universitat Pompeu Fabra, Barcelona[उत्तर दें]
टूल
यह टूल उन पृष्ठों की सूची देता है जिन्हें सबसे ज़्यादा देखा जा रहा है। क्योंकि इनकी लोकप्रियता बाकी पृष्ठों से अधिक है तो इनके रखरखाव तथा सुधार की आवश्यकता भी बाकी पृष्ठों से अधिक हो जाती है। क्या इस विषय में चरणबद्ध एवं लक्ष्यकेन्द्रित पद्यति से कोई कार्य किया जा सकता है? Capankajsmilyo (वार्ता) 11:04, 10 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
इन्हें सुधारने और विस्तार करने का कार्य तो किया जा सकता है, लेकिन जिन विषयों पर रुचि न हो, उस विषय से जुड़े लेखों का विस्तार और सुधार कठिन हो जाता है। सुधालेख वाली परियोजना से भी इस कारण कोई लाभ नहीं हुआ। --स (वार्ता) 12:44, 21 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे कोई अनुमति चाहिए
मै दिन भर हिंदी विकिपीडिया में एडिट करता हूं और लेख भी लिखता हूं, क्या आप मुझे कोई अनुमति देंगे मै सही लेख लिखता हूं और सही संपादन करता हूं आप मुझे "बाट समूह", "स्वतःपरीक्षित सदस्य" , "रोलबैकर" , "पुनरीक्षक" या कुछ भी अनुमति दे दीजिए ताकि मै दिन भर हिंदी विकिपीडिया के देख रेख कर सकू इसकी वजह यह है कि बहुत से लोग गलत गलत संपादन करते है और मै दिन भर यही देखते रहता हूं मैंने दो लेख भी लिखा है मै अपने इस अनुमति का गलत उपयोग नहीं करूंगा जो हिंदी विकिपीडिया के खिलाफ हो।मुझे लगता है कि हिंदी विकिपीडिया इंग्लिश विकिपीडिया जैसे सुरक्षित नहीं है इसमें कोई भी कुछ कर देता है और इसका सुधार करने वाले बहुत कम अनुमति वाले है मुझे ये अनुमति मिल जाएगा तो मै दिन भर हिंदी विकिपीडिया में गलत संपादित करने वालो की सुधार करूंगा। धन्यवाद्। मेडफॉर्यूसंदेश छोड़े!12:45, 10 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
: हिंदुस्थान वासी माननीय प्रबन्धक महोदय जी मैंने देखा कि शिवम कुमार श्रीवास्तव के नाम से तीन पृष्ठ बनाए गए है और सदस्य अपने नाम का प्रष्ठ बना रहा है और ये विकिपीडिया के नियम के आधीन है कृपया आप इसकी जांच करिए और मुझे कुछ आज्ञा दीजिए मैंने आवेदन पृष्ठ पर आवेदन किया है बाट का और पुनः रक्षित का तो मै ऐसे फाल्तू के पृष्ठ बनाने वालो को बता सकूं और हटाने के लिए नामांकन कर सकू मै दिन भर यही करता हूं विकिपीडिया में दिन बाहर चालू रहता हूं मेरा कोई काम नहीं है मेरा काम यही है कि मै हिंदी विकिपीडिया में ध्यान रख सकू और मैंने कुछ पृष्ठ बनाए हैं और कुछ संपादन किया है जो एक दम सत्य है भले मेरा खाता एक दिन पूराना है पर मुझे अनुभव बहुत है और मै विश्वास योग्य हूं आप मेरे ऊपर एक महीने के लिए भरोसा करिए और सिर्फ मुझे एक महीने के लिए कोई हक दीजिए बाट का चाहे पुनः रक्षित का मै अपना काम अच्छे से करूंगा और तारीफ के लायक काम करूंगा।धन्यवाद मध्य प्रदेशसंदेश छोड़े!07:57, 13 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
सहायता
माननीय प्रबंधक महोदय मैंने ये खाता बनाया है नया मुझे इसे अब हमेशा चलाना है मै अच्छे से संपादन करूंगा पहले मै सदस्य:MadeforU चलाता था पर मैंने अब नया खाता बनाया है जिसे मै अब हमेशा चलाऊंगा अगर मै अब कोई भी खाता बनाऊ तो आप उसे बंद कर सकते है मुझ पर एक बार भरोसा करिए मै अब कोई अन्य खाता नहीं बनूंगा कृपया मेरा खाता सुनक्षित करिए।
पर मै संपादन किए गए लेख वापस नहीं(Reverted) नहीं कर पा रहा हूं इसमें मेरी मदद करिए। और पूर्ववत(undo) हो रहा है पर वापस नहीं हो रहा है(Reverted)। नमनसंदेश छोड़े! 12:45, 10 अक 04:46, 11 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आपके परिचय पृष्ट से पता चलता है कि आप 'उन्नत हिन्दी' में योगदान कर सकते हैं। लेकिन लेखों को देखने से पता चलता है कि कम्प्यूटर द्वारा अनुवाद करके बनाये गये हैं और उनकी भाषा 'मशीनी' भाषा है। इसका क्या कारण है? अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:45, 11 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी, इसका कारण यह है कि कुछ लेख खुद लिख रहा हूं और जो समझ में नहीं आता उसे कम्प्यूटर द्वारा अनुवाद कर रहा हूं पर सब मैंने सही सही ही लेख लिखा है और मैंने भी देखा कि मैंने जो लेख लिखे है वो मशीनी भाषा लग रहे है, पर मै इस पर काम कर रहा हूं और सारे लेखों को सुधारने की कोशिश में लगा हूं जहा तक है मै दो से तीन दिन के अंदर सब सही कर दूंगा और जहां तक है कुछ दिनों में इंग्लिश विकिपीडिया में जितने लेख है उतने ही अपने हिंदी विकिपीडिया में भी होंगे और मै उसी कोशिश में लगा हूं। नमनसंदेश छोड़े! 12:45, 10 अक 08:12, 11 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
क्या मेरी कोई मदद करेगा मुझे लेख लिखना है पर मेरा खाता नहीं खुल रहा है तो मैंने दूसरा खाता बनाया है और मेरा खाता क्यों नहीं खुल रहा मुझे इसकी जानकारी चाहिए मैंने कुछ गलती भी नहीं किया है मैंने अपना काम सिर्फ सही किया है और मै सच्चा हूं भरोसे के लायक हूं, कोई मुझे बताएगा की मेरा खाता क्यों नहीं खुल रहा है मेरा खाता है जो नहीं खुल रहा है MadeforU और नमन मिश्रा दोनों वैश्विक रूप से अवरुद्ध बता रहा है लॉगिन करने पर जबकि किसी ने अवरुद्ध नहीं किया है तो भी मै परेशान हूं, जब मैंने लॉगिन करके कुछ लेख और संपादन करता था तो अपने आप लॉग आउट हो जाता था और बताता था कि आप अंदर से लॉगिन कृपया फिर से रिलोड करिए और मेरे साथ कल से ये हो रहा था फिर जब मैंने रिलोड किया तो लॉगिन करने को बोला और मैंने जैसे ही लॉगिन किया फिर वो गलत पासवर्ड बताने लगा फिर पासवर्ड मैंने फॉरगेट किया और जैसे ही नया पासवर्ड डाला तो वाश्विक रूप से अवरुद्ध बताने लगा जबकि किसी ने मेरा खाता अवरुद्ध नहीं किया तो भी इसलिए मैंने फिर ये खाता बनाया है मुझे माफ़ करिए आखिरी बार "प्रबन्धक" महोदय मेरा खाता नहीं खुल रहा था इसलिए मैंने ये खाता बनाया इतना मुसीबत आप भी समझ सकते है मुझे माफ़ करिए अब मै कोई खाता नहीं बनाऊंगा। मैंने इतने सारे लेख लिखे है जो खाते नहीं खुल रहे है उनसे मुझे इसकी जानकारी दीजिए "माननीय प्रबन्धक महोदय जी"। धन्यवाद
मध्य प्रदेशसंदेश छोड़े!04:32, 12 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जी मै आपकी बातों से सहमत हूं मैंने भी पहले यही कहा था कि हिंदी विकिपीडिया में बहुत से पृष्ठ ऐसे भी है जो है ही नहीं , इसमें कोई भी कितने समय ऐसा पृष्ठ बना देता है जिसको देखने वाला कोई नहीं है कि क्या ये सत्य है भी या नहीं, और मैंने ये भी देखा की हिंदी विकिपीडिया में जितने लेख है एक दम थोड़े थोड़े है और कोई बनाया भी है लेख पृष्ठ वो देखने से भी अच्छा नहीं दिखता , देखने भी से लगना चाहिए कि जितनी सुन्दर अपनी हिंदी मातृभाषा है उतने ही सुन्दर हिंदी विकिपीडिया के पृष्ठ हो मै ये चाहता हूं और अगर मुझे ये कार्यभार मिल जाता है तो मै 1महीने के अंदर हिंदी विकिपीडिया के जितने लेख है सबको सुधार कर डालूंगा, आप मुझे सिर्फ एक महीने के लिए बॉट और पुनरिक्षित का पद दे के देखिए मै कैसे हिंदी विकिपीडिया को सुन्दर और सहज बना देता हूं मुझ पर एक बार भरोसा कीजिए, और मैंने इस बात के लिए अपने आप को चुना है कि मै ये बाट का कार्यभार संभाल सकता हूं मै हिंदी विकिपीडिया में दिन भर देख रेख करते रहता हूं क्या मेरी बात से आप सहमत है। अगर सहमत है तो मुझे बाट का कार्य सौंपने का सहमत दे। धन्यवाद मध्य प्रदेशसंदेश छोड़े!05:57, 12 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
हिंदुस्थान वासीवार्ता माननीय प्रबन्धक महोदय जी मैंने कुछ आवेदन किया है कृपया आप आवेदन पृष्ठ को देखे मैंने बाट और कुछ अधिकार के लिए आवेदन किया है कृपया आप उसे देखिए और अपना विचार बताइए। मै देखता हूं कि हिंदी विकिपीडिया में ऐसे बहुत से सदस्य है जो फाल्तू लेख लिखे है और इधर उधर का संपादन करते रहते है और उनके संपादन को देखने वाले बहुत कम लोग है।क्योंकि सब अपने काम में लगे रहते है मै देखता हूं जितने यह अधिकार वाले सदस्य है अपना काम अच्छे से नहीं कर रहे है कृपया आवेदन पृष्ठ देखिए और मेरा आवेदन स्वीकार कीजिए मै दिन भर विकिपीडिया में देख रख करूंगा कृपया आप मुझे सिर्फ एक महीने के लिए ये अधिकार दे के देखिए मै प्रशंसनीय कार्य ही करूंगा।
मध्य प्रदेशसंदेश छोड़े!17:07, 12 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे क्यों अवरुद्ध किया जा रहा है
मुझे क्यों अवरुद्ध किया जा रहा है मैंने इतने सारे लेख लिखे है जो के एकदम सही है मैंने विकिपीडिया के नियम के खिलाफ कोई भी काम नहीं किया है आप मुझे बताएं मेरा योगदान देख लीजिए मैंने कोई गलत कुछ किया हो तो फिर मुझे अवरुद्ध कीजिए। मध्य प्रदेशसंदेश छोड़े!16:38, 13 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनजाने में कुछ लोग समुदाय को गुमराह कर रहे हैं। अगर समीक्षा का समय अक्टूबर में शुरू होता हैं, और हमने चर्चा उसके एक महीने पहले ही शुरू कर दी - तो यह बात अच्छी है, आलोचना / समीक्षा के लिए ज्यादा समय मिलता है।
अमेरिका में World Hindi Secreteriat , Hindi Raajbhaasha Department जैसी संस्थाओ के साथ साझेदारी - इसके ऊपर प्रतिक्रिया, आलोचना, सुझावों का स्वागत है
बिना बताये कुछ हुआ - यह आरोप बेबुनियाद है, बताने के लिए जो तिथि तय की गयी थी - उसके एक माह पहले ही चर्चा चौपाल पे शुरू हो गयी थी।
समीक्षा में दुनियाभर से लोग शामिल होते है, आप भी इसमें शामिल हो सकते है।
प्रस्ताव में बजट को आखरी समय मे जोड़ा गया, उस पर सही ढंग से चर्चा नहीं कि गयी, इसी लिए यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
१) प्रस्ताव फाउंडेशन के पास भेजा जाता है
२) फाउंडेशन उसकी पात्रता निकषों के आधार पर तय करती है
३) पात्र प्रकल्प समुदाय के सामने रखे जाते है
पात्रता के पहले चर्चा की जाए, और प्रकल्प पात्र ही ना हो - तो समुदाय का समय बरबाद होता है, इसी लिए समीक्षा पात्रता के बाद होती है। कुछ सदस्यों ने पात्रता के पहले ही चर्चा शुरू कर दी थी।
यह अनुदान बजट 10 रैपिड अनुदान के समतुल्य है, यदि मंजूरी दी गई है तो क्या इसका मतलब यह है कि अगले 10 या अधिक हिंदी समुदाय अनुदान रद्द कर दिया जाएगा?
(बहोत सारे लोगों को डर था की प्रोजेक्ट ग्रांट की बजह से बाकीके कार्यक्रम रद्द ना हो जाए)
प्रोजेक्ट ग्रांट प्राप्त करना रैपिड ग्रांट्स की संख्या को प्रभावित नहीं करती है, जिसके लिए एक समुदाय कभी भी आवेदन कर सकता है।कृपया ध्यान दें कि कोई भी व्यक्ति या समूह प्रोजेक्ट या रैपिड अनुदान के लिए आवेदन कर सकता है - उन्हें यूजर ग्रुप समूह के सदस्य होने की आवश्यकता नहीं है।
अनुदान देने के लिए मापदंड क्या हैं? अगर किसी व्यक्ति को कम गुणवत्ता वाले प्रोजेक्ट के लिए 100 ऐंडोर्समेंट/समर्थन मिलते हैं और अन्य कम गुणवत्ता वाले परियोजना के लिए केवल नगण्य समर्थन मिलता है, तो किस परियोजना का चयन किया जाएगा? यह वोटों पर आधारित है?
(बहोत सारे लोग इसे लोकतंत्र की तरह मानते मानते हैं।)
ग्रांट कैसे दी जाए ये वोटिंग तंत्र नहीं है और अनुदान के मूल्यांकन में छोटी भूमिका निभाता है।
अनुदान की समीक्षा करने के लिए कई चीज़ो पर विचार किया जाता हैं। ग्रांट किसे दी जाए यह एक एक गहन समीक्षा प्रक्रिया है, जिसमें कार्यक्रम अधिकारी, विकीमीडिया स्वयंसेवकों का दल 'अनुदान समीक्षा समिति' में शामिल होता है
अनुदान प्राप्त करने के लिए हिंदी समुदाय की अधिकतम सीमा क्या है?
(सामुदायिक सदस्य तदनुसार कार्यक्रमों का चयन करना चाहते हैं)
वर्तमान में एक समुदाय को प्राप्त अनुदान की संख्या पर कोई सीमा नहीं है।
यह कार्यक्रम भारत में नहीं किया जा सकता। विदेश से भारत में पैसे लाने के लिए भारत सरकार की अनुमति की ज़रुरत है और कोई भी भारतीय संस्था भारत के बाहर खर्चा नहीं कर सकती। CIS एवं विकिमीडिआ इंडिया चैप्टर कर्नाटका सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत है और नियमो के अनुसार वो संस्थाए भारत के बहार खर्चा नहीं कर सकती। न्यू यॉर्क में खर्चा करना है तो उधर के कानूनी मापदंडोके हिसाब से खर्चा किया जाता है।
१) समीक्षा / कम्युनिटी रिव्यु: यह प्रक्रिया जारी हैं और कोई भी इसमें टिपण्णी दे सकता है। नियमो के अनुसार समीक्षा समय के पहले ही इस विषय पर चर्चा शुरू की गयी थी।
२) आर्थिक / बजट: विकिमीडिआ फाउंडेशन की तरफ से आर्थिक विशेषज्ञ समिति इसकी जांच करती है, और उसी के ऊपर निर्णय लिए जाते हैं। ऐसेही मिठाई बाट रहे होते तो कोई भी हवाई जहाज भी मांग लेता। हमारे प्रोजेक्ट ग्रांट के लिए विशेषज्ञों से बातचीत हुयी थी, और १००% स्पॉन्सरशिप लेनेकी कोशिश अभी भी चल रही है। इसमें कोई हिंदी से कोई सुझाव दे सकता है तो बेहतर ही है। भारत में और अमेरिका के मानवाधिकार में बहोत अंतर है, न्यू यॉर्क में आपको उस राज्य के नियमो के हिसाब से ही खर्चा करना पड़ता है।
आप मुंबई के CST पे गाँव के हिसाब से चाय भी नहीं खरीद सकते, मुंबई सरकार ने जो कीमत तय की है - वही आपको भरनी पड़ती है।
३) हटा दो / निकाल दो / पीछे लो: इसके पीछे अगर कोई एक भी कारण देता है या उसपे तथ्यों के साथ टिपण्णी देता है - तो यह परियोजना अपने आप ही की प्रक्रिया से बाद होगी।
४) चर्चा: आप सिर्फ "हमें नहीं पूंछा" - इसी मुद्दे पे अड़े हैं, इसके आगे बढ़कर परियोजना पर भी टिपण्णी दे।
हिंदी विकिपीडिया सशक्त है, और समीक्षा / आलोचना हर साइड से होनी चाहिए।
मुझे बहोत ख़ुशी है की आप इसपर टिपण्णी दे रहे हैं, पर आप पिछले १५ दिन से एक ही मुद्दा बार बार लिख रहे है, आपको बुरा लगा / आपके साथ धोका हुआ ऐसे आपको लगा - यह चीज़ १० से ज्यादा बार लिखी गयी है (इसमें थोड़ा भी तथ्य रहेगा तो परियोजना अपने आप बाद की जायेगी।)
परियोजना में क्या कमी है, यही काम कानूनी तरीकेसे कम पैसो में कैसे किया जाए इसपर भी चर्चा करे।
@AbhiSuryawanshi: आपने ऊपर जो भी लिखा है और हिन्दी विकिपीडिया के नाम पे या हिन्दी विकिपीडिया के लिए भारतीय मूल्य में 28 लाख की ग्रांट का प्रस्ताव ड़ाल दिया है और अब केवल समुदाय को समीक्षा करने के लिए कर रहे हैं ये स्थिति में केवल यहीं प्रतीत होता है कि ये प्रस्ताव हिन्दी विकिपीडिया समुदाय का नहीं किन्तु आपका व्यक्तिगत है। व्यक्तिगत है और आप अपने हिसाब से ही करना चाहते हैं तो आप जानिए और फाउंडेशन जाने। हमने हमारा काम कर दिया है। आपको समझ में न आया हो तो अभी भी मैं स्पष्ट रूप से बताना चाहूँगा कि ये कार्य करना है या नहीं करना है ये समुदाय को तय करने का अधिकार है, क्योंकि जो भी है समुदाय के लिए है। इसलिए समुदाय तय करे उसके बाद ही हम किसी ग्रांट के लिए प्रस्ताव डालते हैं और इसी संदर्भ में इस प्रस्ताव के विषय में समुदाय अनभिज्ञ था। समुदाय ने ये कार्यक्रम करने का आयोजन नहीं किया है और करने के लिए हम तैयार भी नहीं है। अब ये पहले प्रस्ताव डालकर समुदाय की समीक्षा के नाम से ग्रांट किसी भी हाल में लेनी ही है तो हम तैयार नहीं है। आपकी शरतों पे समुदाय नहीं चलेगा। समुदाय ने ऐसा कोई कार्यक्रम न्यू यॉर्क में करना नहीं चाहा और ये स्थिति में ग्रांट का प्रस्ताव भी सबमिट हो गया! समुदाय का मौन और कुछ सदस्यो के द्वारा स्पष्ट विरोध के बाद भी प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया। इन सब से यहीं प्रतीत होता है कि समुदाय के नाम से ग्रांट ली जा रही है और समुदाय को साथ नहीं रखा या तो समुदाय के सहमति हो न हो ये ग्रांट आपको लेनी ही है।
सब से पहला तो सवाल ही यहीं है कि जब हमने (समुदाय ने) ऐसा कोई कार्यक्रम न्यू यॉर्क में करना है और इसके लिए 28 लाख तक का खर्च करना है ऐसा निर्धारित ही नहीं किया तो आगे की समीक्षा क्यों करें? ऐसा कार्यक्रम करने की आम सहमति ही नहीं बनी थी फिर भी ये आ गया और समुदाय का उपयोग किया जा रहा है। स्पष्ट ही है कि ये कार्यक्रम करना आप चाहते है किन्तु क्या समुदाय चाहता था?--आर्यावर्त (वार्ता) 06:49, 18 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अभी भी स्पष्ट कर दूँ कि ऐसा कोई कार्यक्रम करने का हमने कोई आयोजन ही नहीं किया था फिर भी ग्रांट प्रस्ताव सबमिट हो गया तब तक हमें या तो समुदाय को पता नहीं था, न तो हम अभी ऐसा कोई कार्यक्रम करना चाहते हैं फिर भी ग्रांट प्रस्ताव वापस नहीं लिया जा रहा। जहाँ तक समीक्षा के नियमो की बात है जब हम ऐसे कोई कार्यक्रम का आयोजन करेंगे तो समीक्षा करेंगे ना। जैसे ग्रांट प्रस्ताव सबमिट हो गया वैसे भी ग्रांट भी पास हो जाये ये सब कुछ समझ से परे है। समस्या ये है कि ये सब समुदाय के नाम पे हो रहा है! समुदाय का कोई मूल्य होता तो समुदाय के द्वारा तय किए बिना ग्रांट प्रस्ताव आता ही नहीं।आर्यावर्त (वार्ता) 07:10, 18 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आपको समझ में न आया हो तो अभी भी मैं स्पष्ट रूप से बताना चाहूँगा कि ये कार्य करना है या नहीं करना है ये समुदाय को तय करने का अधिकार हैइसलिए समुदाय तय करे उसके बाद ही हम किसी ग्रांट के लिए प्रस्ताव डालते हैं और इसी संदर्भ में इस प्रस्ताव के विषय में समुदाय अनभिज्ञ था।
प्रस्ताव डालने के समुदाय के अधिकार -मैं इसके बारे में पढ़ना चाहता हूँ। ऐसे कहा पे लिखा है? निति की लिंक / कड़ी मिलेगी?
समुदाय का मौन और कुछ सदस्यो के द्वारा स्पष्ट विरोध के बाद भी प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया।
आपका वैयक्तिक विरोध मैं समझ सकता हु, कृपया अपने आप को समुदाय की आवाज के रूप में प्रस्तुत करने से रोकें।
@आर्यावर्त: जी नमस्कार, जैसा कि अभी तक इस सम्मेलन के बारे में यहाँ चर्चा में पाया जा रहा है कि आप और जयप्रकाश जी के अलावा कोई अन्य सदस्य विरोध नहीं कर रहा है और जो भी बाकी कोई सदस्य टिप्पणी कर रहे है वो यही समझाने की कोशिश कर रहे है कि इस मशले को सही किया जाए लेकिन आप तो बिलकुल समझने की कोशिश तक नहीं कर रहे है। हिन्दी विकिपीडिया पर जिस प्रकार आपको प्यार है वह @AbhiSuryawanshi: जी को नहीं हो सकता है क्या? यह कहाँ पर लिखा गया है कि जो विकिपीडियन सम्पादन करेगा वह ही सम्मेलन इत्यादि करवाएगा? साथ ही आपको क्या पता की समुदाय यह सम्मेलन नहीं चाहता , आप खुद को यानी (अकेले) को समुदाय बनने से रोकें क्योंकि यहाँ बाकी सदस्य भी है तो उनको भी अपने विचार खुद को रखने दें ,केवल आप ही नहीं जो यह कह दें कि हमें यह सम्मेलन नहीं करवाना है। या फिर आपको हिन्दी विकिपीडिया पर कोई विशेष अधिकार दिए गए है, अगर हाँ तो कृपया बताएं।
@आर्यावर्त: जी रही बात पैसों की तो कुछ दिन पहले दिल्ली वाले सम्मेलन के सिलसिले में यह भी पूछा गया था कि इस न्यूयॉर्क वाले सम्मेलन से आगे हिन्दी विकिपीडिया पर कोई प्रभाव पड़ेगा, तो फाउंडेशन ने यही बोला है कि इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अब रही बात दान कर्ताओं के धन की तो बार - बार यही सोचने से तो अच्छा यह है कि हम कोई सम्मेलन इत्यादि करवाना ही छोड़ दें। लेकिन एक बार सोचिये अगर हम लोग ये पैसे फ़ालतू में ही बहाते तो क्या फाउंडेशन की आँखे नहीं है क्या क्योंकि देने वाले तो वो ही है ना। फॉउंडेशन तैयार है कि आप कुछ सम्मेलन, कार्यशाला एवं शिक्षा कार्यक्रम करो तो हमें क्या दिक्कत। अगर यही पैसे हम हिन्दी पर खर्च नहीं करेंगे तो कोई अन्य समुदाय करेगा। धन्यवाद --राजू जांगिड़ (वार्ता) 17:33, 18 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@राजू जांगिड़ और AbhiSuryawanshi: जी, आप दो लोग समर्थन कर रहे हैं इसका मतलब ये नहीं कि पूरा हिन्दी विकि समुदाय इसका समर्थन कर रहा हैं। आपका तो अभि जी के साथ ग्रान्ट प्रस्ताव का व्यवहार है, देखा जाता है कि आप अभी 19 साल के ही है और आपने 2018 के विकि सम्मेलन की ग्रान्ट का प्रस्ताव रखा है जिसका संचालन अभि जी कर रहे हैं। मैं समुदाय नहीं हूँ किन्तु मुझे भी भगवान ने आंखे, नाक, कान, बुद्धि दी है। ग्रान्ट के रिव्यू का समय 18 अक्टूबर तक था और इस दौरान अभि जी के इस ग्रान्ट प्रस्ताव में इंडोर्समेंट विभाग में समर्थन करने वाले आप (राजू जी) ही अकेले सक्रिय हिन्दी विकिपीडियन हैं। दूसरे सब हिन्दी विकि समुदाय से नहीं है। विरोध में मैं, जय जय, स जी हैं जो पुनरीक्षक हैं। सुयश जी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। अतः ये स्पष्ट ही है कि हिन्दी विकि समुदाय का विरोध हैं और कोई तटस्थ व्यक्ति समर्थन नहीं कर रहा हैं। अतः आप से अनुरोध है कि इसे मेरी व्यक्तिगत राय बताकर समुदाय को गुमराह करने का प्रयत्न न करें।--आर्यावर्त (वार्ता) 06:14, 24 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@राजू जांगिड़, AbhiSuryawanshi, और आर्यावर्त:: आर्यावर्त जी, १९ साल की उम्र में राजू जी पर बिज़नेस स्टैंडर्ड जैसे राष्ट्रीय अखबार में पूरा लेख छप चुका है, अतः ऐसे अनाप शनाप तर्क न दें तो बेहतर होगा। वार्ता को तर्कों तक सीमित रखें, भावनाओं को बीच में न लाएँ। जब भोपाल टीम ने ग्रांट का आवेदन किया था तो उन्हें भी कोई अनुभव नहीं था। यहाँ सभी इस मामले में नौसिखिये हैं, अतः राजू जी के अतिरिक्त कोई और भी आगे आएगा तो आप आरोप लगाएँगे ही। अभिषेक जी ने जब ग्राण्ट का आवेदन किया था तो कई सवाल उठे थे, उन्होंने माफी भी मांगी और स्पष्टीकरण भी दिए। जैसा कहा गया वैसे सुधार भी किए, लेकिन आप अभी तक प्रारंभ की बातों पर ही अड़े हुए हैं। शायद आपने जो शब्दों का प्रयोग किया उन्हें वापिस लेना आपको भारी पड़ रहा है। यही होता है जब तर्कों के स्थान पर भावनाओं को मौका दिया जाता है तो। कृपया शांति से काम लें। अगर आपका विरोध है तो भी इसे अपने तक ही सीमित रखें, समुदाय का नाम न दें। आपके आँख कान हैं तो बाकी सब के भी हैं। जिसे बोलना हो स्वयं आगे आए और लिखे। सामान्यतः विधि में चुप्पी को स्वीकृति ही माना जाता है। जिन जिन बातों पर मेरा विरोध या शंका थी, उसे मैंने व्यक्त कर दिया है। आप लोगों के विचार के अनुसार यूज़रग्रुप का नाम ग्रांट में से हटाने को कह दिया गया है। अब यह ग्रांट अभिषेक जी की व्यक्तिगत ग्रांट है। इसके व अन्य शंकाओं के समाधान के बाद मैंने अपना समर्थन व्यक्त कर दिया है। आप अपने विवेक के अनुसार जो उचित समझें वह करें किंतु ध्यान रखें कि शब्द व भाषा का चयन इस प्रकार करें कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने हिंदी समुदाय की मिट्टी पलीत न हो। --अनामदास08:32, 24 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@आर्यावर्त: जी समुदाय की आवाज तो आप बन रहे है, मैंने तो यही कहा है कि आपको अगर इस सम्मेलन से कोई परेशानी है तो यह आपका विचार है न कि पूरे समुदाय का ,लेकिन आप तो अभी भी अपनी बातों में अड़े हुए है। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि पूरे समुदाय को इस सम्मेलन के लिए समर्थन है बल्कि मेरा इसमें पूरा समर्थन है। जिन लोगों को सही लगेगा वो समर्थन कर देंगे जिनको गलत लगेगा वो विरोध। कृपया सभी को अपने विचार खुद रखने दें, इसका मतलब यह नहीं है कि हम लोगों के अलावा कोई नहीं लिखे तो आप सभी के विचार रख दें।--राजू जांगिड़ (वार्ता) 18:54, 24 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
शुभ दीपावली। समस्त विकिपीडिया परिवार को दीपावली की ढेरों शुभकामनाएँ। दीपावली के इस पावन अवसर पर ईश्वर आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करें, आपका जीवन दीपावली के दीपों के समान जगमग रहे। धन्यवाद।
बहुत विचित्र है कि अभी तक हिन्दी विकिस्रोत का अस्तित्व नहीं है जबकि बंगला, संस्कृत, तमिल, मराठी आदि के विकिस्रोत बन चुके हैं। हिन्दी विकिस्रोत पहले की अपेक्षा अब अधिक आवश्यक हो गया है। इसका प्रमुख कारण विकिस्रोत की सेवा में अब गूगल ओ सी आर का आ गया है। हिन्दी में हजारों/लाखों पुस्तकें गूगल बुक्स और अन्यत्र उपलब्ध हैं। उनमें से बहुत सारी पुस्तकें कॉपीराइट मुक्त भी हो गयीं हैं। अतः इस ओ सी आर उपकरण के द्वारा इन्हें सरलता से यूनिकोड में बदला जा सकता है। साधारण से साधारण व्यक्ति भी इस काम को कर लेगा। अतः इस प्रौद्योगिकी विकास को ध्यान में रखते हुए हमें हिन्दी विकिस्रोत बनाने का प्रयास करना चाहिये। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:58, 20 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद सिंह जी, जो पुस्तक पहले ही पीडीएफ़ आदि में उपलब्ध है, उसे रोबोट की तरह विकि में लिखने का क्या लाभ होगा? जिसे जरूरत होगी, वो तो पीडीएफ़ से ही पढ़ लेगा। वैसे ये कार्य बोट द्वारा भी आसानी से हो सकता है, लेकिन पुस्तकों की हमेशा से कमी ही रही है। आधे से अधिक पुस्तक कॉपीराइट वाले हैं। और जो कॉपीराइट मुक्त हैं भी तो उसे देखने से इतनी गलती और ढेर सारे अंग्रेजी शब्द ही मिलते हैं। इस कारण हिन्दी के लिए विकिस्रोत का कोई खास लाभ नहीं होगा, बल्कि हमें विकिपीडिया पर ही अधिक ध्यान देना चाहिए। --स (वार्ता) 12:26, 21 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स महोदय, हिन्दी विकिस्रोत से कितना लाभ होगा, आप की कल्पना शक्ति के बाहर है। आजकल कुछ ढूढ़ना होता है तो कोई पुस्तकालय नहीं जाता, अन्तरजाल पर कुछ मिनटों/सेकेण्डों में पा जाता है। इसके लिये सामग्री 'मशीन-पठनीय' रूप में होनी चाहिये। यूनिकोड के पदार्पण से मशीन पठनीयता में क्रान्ति आ गयी है। वैसे तो पीडीएफ और इमेज आदि भी कुछ सीमा तक मशीन-पठनीय हो चुके हैं, किन्तु यूनिकोड से इनकी कोई तुलना नहीं है। आप सही कह रहे हैं- बाट द्वारा 'ओसीआर' सबसे दक्षतापूर्वक हो सकेगा। किन्तु ओसीआर में हुई त्रुटियाँ एक व्यक्ति ही ठीक कर पायेगा। हाँ इसके लिये बहुत पढ़ा लिखा विद्वान नहीं चाहिए। यदि 'आधी' पुस्तकें कॉपीराइट-मुक्त हैं तो इनकी संख्या का अनुमान लगाने का प्रयत्न कीजिए। लाखों में नहीं तो हजारों में होंगी। मैं तो सोचता हूँ कि हिन्दी की १०० पुस्तकें भी यूनिकोडित होकर अन्तरजाल पर आ जाँय तो एक 'महान' कार्य हो जायेगा। जहाँ तक हिन्दी में अंग्रेजी के शब्दों के मिश्रित होने की 'समस्या' है, यह कोई समस्या नहीं रह गयी है। गूगल ओसीआर इतना उन्नत हो चुका है कि बीच-बीच में अंग्रेजी के शब्द आयें तो उसे पहचानने में कोई समस्या नहीं होती। अन्त में, हिन्दी विकिपीडिया महत्वपूर्ण है, किन्तु उसके द्वारा हिन्दी विकिस्रोत की कमी की पूर्ति नहीं हो पायेगी। इसका अपना महत्व है। बहुत से लोग विकिपीडिया पर कहीं से सामग्री कॉपी-पेस्ट करने का प्रयत्न करते हैं जिसे हम रोकने की कोशिश करते हैं। लेकिन कितनी अच्छी बात है कि विकिस्रोत पर इसी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 06:22, 22 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद सिंह जी, विकिस्रोत से कितना लाभ होगा और कितना हानि, इस बारे में मैं अच्छी तरह जानता हूँ। गूगल ओसीआर से लगभग 99% सही पाठ प्राप्त किया जा सकता है। कुछ छोटी छोटी गलती होती है। मैंने विकिस्रोत में हिन्दी पुस्तकों में गूगल ओसीआर कुछ साल पहले उपयोग किया था। लेकिन उसमें एक पन्ने में कुछ छोटे छोटे गलतियों को ठीक करने में इतना समय लग जाता है कि उससे आप विकि में पूरा एक अच्छा लेख बना सकते हो। क्योंकि उसमें प्रारूप भी उसी तरह रखना होता है। इस कारण साँचे भी ढूँढने होते हैं। उसमें देख कर सही साँचा लगाने में और अन्य कार्यों में बहुत समय लग जाता है।
मैं बिना कॉपीराइट वाली अच्छी हिन्दी पुस्तक ढूंढ ढूंढ कर थक चुका हूँ, यदि आपके पास सौ अच्छी हिन्दी पुस्तकों के नाम भी हों तो कृपया बता दें। ढूँढने से कभी कभी कुछ अच्छी हिन्दी पुस्तकें भी मिलती है, लेकिन वो सब कॉपीराइट वाली ही होती हैं। जो कॉपीराइट मुक्त हिन्दी पुस्तक मिलती है, उसे ज़्यादातर किसी अंग्रेज ने लिखा होता है या किसी न किसी कारण अच्छी नहीं होती है। जैसे, अंग्रेजों या उनसे प्रेरित लेखकों के पुस्तकों में कई सारे पन्ने अंग्रेजी में होते हैं। यदि वाक्य में बीच में गलती से एक दो अंग्रेजी में लिखा शब्द आ भी जाये तो कोई समस्या नहीं होती है, पर पूरा दो तीन पन्ना अंग्रेजी में रहे तो अच्छा नहीं लगता है।
शायद आपको पता होगा कि क्राविवि वालों का विकिपीडिया के अलावा विकिस्रोत दूसरा ठिकाना है। उनके योगदानों से तो आप अवश्य ही परिचित होंगे। वे लोग विकिस्रोत में भी कचरा भरने का कार्य कर रहे थे। यदि विकिस्रोत बन गया तो उसके देखरेख हेतु कोई न कोई होना चाहिए। यदि आपके पास सप्ताह में एक दिन भी इसे देखने हेतु समय हो तो इसे जरूर निर्मित करें।
यदि आपको सौ अच्छी हिन्दी पुस्तकें मिल गई तो इस प्रकल्प को बनाना बहुत अच्छा रहेगा, और यदि नहीं मिली तो मान लें कि हिन्दी के लिए विकिस्रोत सही नहीं है।--स (वार्ता) 09:59, 24 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स महोदय, आपने अपने नए सन्देश में पूरी बात ही बदल दी। पहले कहा था कि 'आधी' पुस्तकें कॉपीराइट मुक्त हैं, अब मुझसे १०० कापीराइटमुक्त पुस्तकों के नाम पूछ रहे हैं। कहाँ-कहाँ देखा? डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ़ इण्डिया पर देखा क्या? गूगल बुक्स पर? इन्टरनेट आर्काइव पर? (https://archive.org/search.php?query=Hindi&page=2 देखिये)।
अब आपकी दूसरी बात पर। विकिपीडिया का कोई भी प्रकल्प इस विश्वास पर आधारित है कि 'जनता या भीड़ भी मिलकर ज्ञान का सृजन-प्रबन्धन कर सकती है। मेरे पास यदि वहाँ जाने का समय नहीं मिला तो भी ये चलेगा।
आपकी तीसरी बात पर। हिन्दी की १०० कॉपीराइट-मुक्त पुस्तकें मिलने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिये। किन्तु आरम्भ १०० से नहीं होता, आरम्भ तो १ से होता है। क्या आपको १ पुस्तक भी नहीं मिल रही है? वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग की साइट पर कई उपयोगी पुस्तकें इमेज रूप में पा सकते हैं। उनका ही यूनिकोडीकरण करके हिन्दी विकिस्रोत पर डाल दीजिये। सरस्वती पत्रिका के कुछ संस्करण नेट पर पड़े होंगे, उनका यूनिकोडीकरण करके डाल सकते हैं। --अनुनाद सिंह
अनुनाद सिंह जी, थोड़ा ध्यान से पढ़ें, मैंने वहाँ लिखा था कि "आधे से अधिक पुस्तक कॉपीराइट वाले हैं।"
शुरू में तो कोई नहीं आएगा, सभी नए सदस्य धीरे धीरे आना शुरू करेंगे, पर हर सदस्य अच्छा ही योगदान नहीं करेगा, कुछ लोग परीक्षण करेंगे तो कुछ लोग प्रचार भी करेंगे। जैसा अन्य प्रकल्पों पर हो रहा है।
यदि सौ अच्छी कॉपीराइट मुक्त हिन्दी पुस्तकें ढूंढने में कोई समस्या न हो तो कृपया ढूंढ कर अपलोड कर दें। यदि अपलोड करने में समस्या हो तो बस नाम ही चलेगा, मैं ही उसे अपलोड कर दूंगा। चाहें तो बाद में एक एक कर के ही उसे पूरा कर लेंगे। वैसे कई सारे पुस्तक पहले से विकिस्रोत में हैं। गूगल में काफी समय तक खोजने पर मुझे एक ही ढंग का पुस्तक मिला था, जिसे मैंने अपलोड भी कर दिया था। मैं सोच रहा था कि हिन्दी व्याकरण पर कोई पुस्तक अपलोड कर दूँ, लेकिन वहाँ सारे अंग्रेज लेखकों के ही पुस्तक कॉपीराइट मुक्त थे और जो अच्छे हिन्दी पुस्तक थे, जिसे भारत के लोगों ने लिखा था, वो सभी कॉपीराइट वाले थे। पढ़ाई से जुड़े कॉपीराइट मुक्त पुस्तकें तो मिल ही नहीं रही थी। शायद आपको मिल जाए।--स (वार्ता) 19:32, 27 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स महोदय, "आधे से अधिक पुस्तक कॉपीराइट वाले हैं।" - यदि मैं इसका अर्थ निकालूँ कि "लगभग आधी पुस्तकें कापीराइट-मुक्त हैं" तो इसमें क्या दोष है? पता नहीं कि आप किस विषय पर चर्चा कर रहे हैं? विकिस्रोत के महत्व और उसकी आवश्यकता से आप सहमत हैं या अभी भी नहीं हैं। मैं १०० पुस्तकों का नाम भी दे दूँ तो फिर आप पूछेंगे कि आप कैसे कहते हैं कि ये अच्छी पुस्तकें हैं? मुझे क्या पता कि आप किसे उपयोगी/अच्छी मानते हैं? उदाहरण के लिये ऊपर आपने विदेशी लेखकों की पुस्तकों का उल्लेख किया है। मैं तो ऐतिहासिक दृष्टि से उन्हें भी महत्वपूर्ण मानता हूँ। इन्टरनेट आर्काइव पर आपको कितनी मुक्त पुस्तकें मिलीं? गूगल पुस्तकें देखीं क्या? नहीं देखी तो यहाँ कुछ पुस्तकें देख लीजिये- (१ , २; ३ , ४)
अनुनाद सिंह जी, "आधे से अधिक पुस्तक कॉपीराइट वाले हैं।" का अर्थ यही है कि पचास से सौ प्रतिशत के मध्य कोई भी संख्या हो सकती है, जो कॉपीराइट के अंतर्गत आ रही है। मैंने गूगल पुस्तकें, archive.org आदि कुछ जगहों पर ढूंढ चुका हूँ। पर आधे से अधिक पुस्तकें कॉपीराइट के अंतर्गत ही आ रही हैं। अच्छी पुस्तकों में मैं ऐसी पुस्तकों के बारे में बोल रहा हूँ, जिसमें ढेर सारे अंग्रेजी शब्द मौजूद न हों। लेकिन अंग्रेजों द्वारा लिखे गए पुस्तकों में बहुत सारे अंग्रेजी शब्द होते हैं और उतना ही नहीं, कई में तो मुझे एक एक पन्ना भर कर अंग्रेजी लिखा हुआ दिखा। यदि आप पुस्तक देखेंगे तो आपको स्वयं ही पता चल जाएगा कि कौनसा पुस्तक अच्छा है और कौनसा नहीं। --स (वार्ता) 17:49, 28 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स महोदय, " 'आधे से अधिक पुस्तक कॉपीराइट वाले हैं।'- का अर्थ यही है कि पचास से सौ प्रतिशत के मध्य कोई भी संख्या हो सकती है" -- यह तो विचित्र गणित है। यह ऐसे ही है जैसे कोई कहे कि दिल्ली और कोलकाता के बीच की दूरी १ किमी से अधिक है। तकनीकी तौर पर इसमें कोई गलती नहीं है!!
अब 'अच्छी पुस्तकों' के बारे में। मैं नहीं मानता कि किसी पुस्तक में कुछ पेज पूरे-के-पूरे अंग्रेजी में हों तो वह अच्छी नहीं है। बहुत सी स्थितियों में ऐसा करना जरूरी होता है। उदाहरण के लिये किसी दूसरे के विचार को बिना अनुवाद किये मूल रूप में लिख देना। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:14, 29 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद सिंह जी, मेरे पास कुल हिन्दी पुस्तकों की संख्या नहीं है, होने से थोड़ा अच्छी तरह से संख्या बता पाता। भारत के कॉपीराइट नीति के कारण हिन्दी में बहुत कम ही पुस्तकें कॉपीराइट मुक्त होंगे।
कुछ जगहों पर तो मूल शब्द या वाक्य को लिखना जरूरी होता है, लेकिन अकारण कई जगह अंग्रेजी में लिखा हो तो अच्छी नहीं लगेंगी। वैसे आप अपने हिसाब से पुस्तकें चुन लें, जो भी आपको ठीक लगे उसे अपलोड कर दें। यदि आप कम अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करने वाले पुस्तकों को प्राथमिकता देंगे तो मुझे अच्छा लगेगा। किसी प्रतियोगिता के आयोजन हेतु भी उन सौ पुस्तकों का हम उपयोग कर सकते हैं। --स (वार्ता) 10:19, 30 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि एक ही नाव में सवार एक ही गंतव्य को जा रहे लोग आपस में झगड़ कैसे लेते हैं। मुझे विश्वास है कि यह ज्ञानियों की लड़ाई है (ज्ञानी ज्ञानी जब लड़ें करें ज्ञान की बात, मूरख मूरख जब लड़ें, दे मुक्का दे लात), अतः जल्दी समाप्त हो जाएगी। फिलहाल बीच में टाँग अड़ाने की अनुमति चाहता हूँ। भारतीय कॉपीराइट नियमों के अनुसार लेखक की मृत्यु के कुछ निश्चित वर्ष बाद सामग्री कॉपीराइट से मुक्त हो जाती है, लगभग सभी महान लेखकों की रचनाएँ इस श्रेणी के अंतर्गत उपलब्ध होंगीं। कृपया जाँच लें। --अनामदास04:19, 31 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मावतिनि के बारे में एक नई चर्चा
ध्यान दें, मावतिनि के बारे में एक नई चर्चा शुरू हुई है। कृपया अपनी राय देने के लिए वार्ता:मावतिनि पर जाएँ।
मेरी यह निजी राय है कि समूह को अपना एक समाचार पत्र प्रकाशित करना चाहिए| यह हम हर महीने या फिर हर तीसरे महीने प्रकाशित कर सकते है| इस पत्र में हिंदी विकी की सारी जानकारी हो गी प्रतियोगिता से ले कर मिनट्स ऑफ़ मीटिंग| ऐसा कई अंतरराष्ट्रीय समूह करते है और भारत में विकिमीडिया इंडिया और CIS भी| सारी जानकारी लिंक समेत रहती है और सभी सदस्य सारी जानकारी के लिए एक जगह पर जा सकते है| मुझे लगता है बहुत सारी बातें समुदाय से साँझा करना रह जाता है| इसके अतिरिक्त यूजर ग्रुप की रिपोर्टिंग की तरह भी यह पत्रिका काम करती है तो बाद में भार कम भी होता है| उदाहरण में यह देखे| --Abhinav619 (वार्ता) 07:52, 26 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
तरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी इ.या. होरबाचेवस्की के नाम पर है।
विकिपीडिया एशियाई माह 2017 एक ऑनलाइन एडिट-ए-थान कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य एशियाई विकिपीडिया समुदायों के बीच बेहतर सामंजस्य बढ़ाना है यह कार्यक्रम पूरे नवंबर माह सन् २०१७ को चलेगा हिंदी विकिपीडिया पर एशियाई माह का यह कार्यक्रम का उद्देश्य अधिक से अधिक संख्या में तथा उच्च गुणवत्ता के लेखों का निर्माण करना है जोकि आपके देश के अलावा अन्य एशियाई देशों पर हो। -सुयश द्विवेदी (वार्ता) 20:25, 31 अक्टूबर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
Hello, CIS-A2K has published their newsletter for the months of August and September 2017. Please find below details of our August and September newsletters:
August was a busy month with events across our Marathi and Kannada Focus Language Areas.
Workshop on Wikimedia Projects at Ismailsaheb Mulla Law College, Satara
Marathi Wikipedia Edit-a-thon at Dalit Mahila Vikas Mandal
Marathi Wikipedia Workshop at MGM Trust's College of Journalism and Mass Communication, Aurangabad
नमस्ते प्रतीक जी, जैसा कि ऊपर जयप्रकाश जी ने लिखा है, इसका कारण साँचे में हाल में किया गया बदलाव है जिसके बाद कुछ प्राचलों के मान सीधे विकिडेटा से लेकर प्रदर्शित किये जा रहे हैं, यदि उन्हें ज्ञानसंदूक में स्थानीय रूप से नहीं उपलब्ध कराया गया। यदि, इन प्रदर्शित हो रहे नामों पर हिंदी विकिपीडिया में लेख होते और विकिडेटा से जुड़े होते तो उनकी कड़ी दिखती न कि वर्तमान की तरह अंगरेजी विकि की कड़ी। या यदि इनका नाम विकिडेटा के साथ हिंदी में भी उपलब्ध हो तो नाम हिंदी में दिखेगा (हालाँकि कड़ी तब भी अंग्रेजी विकिपीडिया की होगी जब तक हिंदी में बना लेख विकिडेटा से नहीं जुड़ता)। इस तरह के बदलाव कई अन्य साँचों में भी हुए हैं और वहाँ भी इस तरह से अंग्रेजी की कड़ियाँ प्रदर्शित हो रही हैं।
यह एक अच्छी सुविधा है कि यदि स्थानीय रूप से कोई प्राचल गायब है तो उसका मान विकिडेटा से लेकर प्रदर्शित किया जाय, लेकिन शायद सभी मानों के लिए नहीं। वास्तव में इस पर समुदाय में चर्चा होनी चाहिए थी कि हम किन मानों को हिंदी विकिपीडिया पर सीधे विकिडेटा से लेकर प्रदर्शित कर सकते हैं, क्योंकि यदि लेख हिंदी विकिपीडिया पर उपलब्ध नहीं होगा तो मान में अंग्रेजी विकिपीडिया की कड़ी दिखेगी या अंग्रेजी में दिखेगा।
अतः आप इस तरह से विकिडेटा से मान (लेख की कड़ी और/अथवा लेबल) लेकर प्रदर्शित किये जाने हेतु किये गए बदलावों पर नीचे एक नए अनुभाग के रूप में चर्चा शुरू कर सकते हैं। इस तरह से सबकी राय जानने के बाद इस समस्या पर आम सहमति से कोई निर्णय लिया जा सकता है। --SM7--बातचीत--17:47, 6 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
प्रतीक जी यदि आप इन मानो को नहीं चाहते तो आप लेख के साँचे मे | mother = | father = जोड़ दे। क्यूकी जब स्थानीय विकिपीडिया पर कोई मान सेट कर दिया जाता है तो वह विकिडाटा से वैल्यू नहीं लेता है। यह सुविधा तो अच्छी है परंतु हिन्दी विकि के लिए अभी इतनी उपयुक्त नहीं है। हिन्दी विकि पर आंकड़े जैसे डाटा को ही फेट्च करना चाहिए।--जयप्रकाश >>> वार्ता05:38, 7 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, क्या यह बदलाव हिन्दी विकी समुदाय ने किये हैं? क्योंकि अंग्रेजी विकी पर ऐसा नहीं है। आप en:Lord Voldemort पृष्ठ देख सकते हैं सांचे की उसी प्रारूप की मैंने यहाँ नकल की थी।
धन्यवाद जयप्रकाश जी, मैं फ़िलहाल इन दो प्राचलों को लेख के साथ जोड़ देता हूँ क्योंकि इस प्रकार से विकीडाटा लिंक प्रदर्शित होना हिन्दी विकिपीडिया की साख पर प्रश्नचिन्ह लगायेगा।प्रतीक मालवीय•✉•✎08:55, 7 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कुछ ज्ञानसन्दूकों में विकिडेटा से लेकर जानकारी दिखाया जाना
नमस्ते,
पिछले दिनों सदस्य:Capankajsmilyo जी द्वारा कई महत्वपूर्ण और बहुत से पन्नों पर उपयोग होने वाले ज्ञानसन्दूक साँचों में बदलाव किये गए थे। इन बदलावों का उद्देश्य ज्ञानसन्दूक में प्राचल मान न मौजूद होने की दशा में उसके लिए लेख से जुड़े हुए विकिडेटा आइटम में मौजूद को प्रदर्शित करने हेतु व्यवस्था की गयी थी। समस्या यह है कि इस कारणवश वे विकिडेटा प्रविष्टियाँ भी हमारे लेखों में प्रदर्शित हो रही हैं जिनके ऊपर हिंदी विकिपीडिया में लेख नहीं हैं, इन सभी की विकिडेटा कड़ी यहाँ लेखों में प्रदर्शित हो रही है (और जिनका लेबल हिंदी में नहीं लिखा गया उनके लिए अंग्रेजी लेबल दीखता है)। प्रतीक जी द्वारा इससे उत्पन्न समस्या का ज़िक्र ऊपर किया गया है जो साँचा:ज्ञानसन्दूक पात्र में इस तरह के बदलाव के कारण हुई।
उक्त समस्या के समाधान हेतु सदस्यों से अनुरोध है कि विकिडेटा से इस प्रकार जानकारी लेकर यहाँ हिंदी विकिपीडिया पर प्रदर्शित करने के बारे में अपनी राय व्यक्त करें।--SM7--बातचीत--12:39, 7 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
हिन्दी विकि के लिए अभी विकिडाटा से बिना संख्या वाले मान लेना सही नहीं है। क्यूकी अभी हिन्दी विकिपीडिया से कोई ज्यादा सदस्य विकिडाटा पर जुड़े नहीं है। वहाँ अभी लेबल भी हिन्दी मे नहीं हुए है। अंत केवल संख्या वाले मानो को ही फेट्च करना चाहिए।--जयप्रकाश >>> वार्ता13:11, 7 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मेरे मतानुसार विकीडाटा से से मान लेना बिल्कुल भी सही नहीं है। सामान्यतः कोई भी विकी पाठक नीली लिंक देखकर यह समझता है कि इस विषय पर लेख उपलब्ध है। अगर वह लिंक देखकर क्लिक करे और विकीडाटा पृष्ठ खुल जाय तो इससे हिन्दी विकी की साख पर प्रश्नचिन्ह भी लगेगा। इस कारण से मुझे विकीडाटा से मान लेने का मुझे कोई औचित्य नहीं समझ आता।--प्रतीक मालवीय•✉•✎08:54, 8 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अंत में, डेटा को विकिडाटा से ही प्राप्त होना है। विकिडाटा इसी कारण तो बना है कि सभी समान डेटा एक जगह हो और सारे विकिपीडिया ये वही से ले। मुझे नही लगता के सदस्य:Capankajsmilyo के बदलावोंसे ज्यादा हानी पोहची है। अब हिन्दी विकि पे लेख नही है तो नही है। हिन्दी विकी की साख पर प्रश्नचिन्ह ना उठे इस कारण हम लाल लिंक तो नही निकालते; तो इसमें क्या हर्ज है? एक बड़ा काम ये जरुरी है कि ५०००+ लेख जो विशेष:अन्तरविकि रहित है उन्हे उनके सही विकिडाटा से जोडने में जुट जाए। इस कार्य में मैने देखा है कि यांत्रीक रुप से बने कई एक-वाक्य वाले लेखोंके दोहरे लेख भी सामने आते है और उनका विलय हो सकता है। Dharmadhyaksha (वार्ता) 10:19, 8 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मैं विकिडाटा के समर्थन में हूँ। सत्य को छुपाने से क्या लाभ, यदि हम पीछे हैं तो हैं। अपने पिछड़ेपन को स्वीकार करना आगे बढ़ने की दिशा में सबसे पहला कदम है। इसी को छुपाने में लगे रहे तो आगे बढ़ने की कब सोचेंगे? यहां अभी अधिकांश लोग विकिडाटा के बारे में जानते ही नहीं है, नई प्रणाली से सब लोगों को इस लाभकारी प्रकल्प के बारे में जागरूकता होगी व लोग इसे अपनाएंगे। फिलहाल कई देशों के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति तक बदल जाते हैं और हिंदी विकी पर अद्यतन नहीं होता। विकिडाटा से मान स्वतः आयात होंगे तो अद्यतन की बहुत बड़ी समस्या समाप्त हो जाएगी। थोड़ी बहुत जो समस्यायें आएंगी उनपर चर्चा करके समाधान निकाले जा सकते हैं जैसे कि ऊपर की चर्चा में भी हुआ है। लेकिन इन समस्याओं के चलते विकिडाटा से संबंध विच्छेद करने के पक्ष में मैं नहीं हूँ। --अनामदास00:48, 9 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@Dharmadhyaksha:@Anamdas: मैं विकीडाटा से सम्बन्ध विच्छेद करने की बात नही कह रहा। अगर विकीडाटा से हिन्दी विकी समुदाय का इस प्रकार से लाभ है तो उसका फायदा अवश्य उठाया जाना चाहिये। लेकिन जो कमी है (जिसका मैंने ऊपर उल्लेख किया) उसपर भी ध्यान देना चाहिये। वोल्डेमॉर्ट पृष्ठ पर उसके माँ व पिता का नाम अपने आप वह भी अंग्रेजी में अद्यतन हो गया था। प्रश्न यह है कि जब हिन्दी विकी पर संबंधित लेख ही नहीं है तो विकीडाटा पर हिन्दी लेबल कहाँ से होगा? फिर हमे अंग्रेजी में लिखे मान ही दिखाई पड़ेंगे।--प्रतीक मालवीय•✉•✎08:23, 9 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे नीचे एक विषय पर आमंत्रण मिला तो यहां भी अपने विचार रख रहा हूँ | अगर किसी प्रबंधक को इसपर आपत्ति हो तो कृपया मुझे ब्लॉक कर दे | प्रतीक जी हिंदी लेबल के लिए हिंदी पृष्ठों की कोई आवश्यकता नहीं है |
Featured Wikimedian [November 2017]
On behalf of Wikimedia India, I hereby announce the Featured Wikimedian for November 2017.
Balaji Jagadesh is one of the top contributors from the Tamil Wikimedia community. Though he started contributing since 2009, he was quite active after his participation in WikiConference India 2011. Initially he started contributing to Tamil Wikipedia, but was later attracted towards Tamil Wikisource, Tamil Wikitionary, and Wikidata. His global contributions count to whooping 2,50,000 edits. He is an admin on Tamil Wikitionary.
After his interaction with Mr. Loganathan (User:Info-farmer), Balaji was very much motivated to contribute to Wikimedia projects. He says, "When I was editing in Tamil Wikipedia, I used to translate science articles from English to Tamil. But faced problem in finding equivalent Tamil words. The English to Tamil dictionaries were inadequate. Hence I felt the need to work in the Tamil Wikitionary. After a while there was a collaboration with Tamil Wikisource and Tamil Nadu Government through Tamil Virtual University through 2000 CC0 books were uploaded".
As an active contributor to Wikidata, he says that the vision of Wikimedia movement is, "Imagine a world in which every single human being can freely share in the sum of all knowledge", but with Wikidata we can make it, "Imagine a world in which every single human being and every single machine can freely share in the sum of all knowledge". Apart from regular contributions, he also created templates to Tamil Wikimedia projects, and also maintains Tamil Wikisource's official Twitter handle.
Balaji hails from Coimbatore, Tamil Nadu, and is a post-graduate is Physics. He currently works as a Senior Geophysicist in Oil and Natural Gas Corporation Limited (ONGC).
कुछ हफ्ते पहले घोषणा की थी कि अगला विकिमीडिया सम्मेलन अप्रैल 20 से 22, 2018 बर्लिन में होगा। यह सभी विकीमीडिया संगठनों (विकिमीडिया चैप्टर, थीमेटिक ग्रुप्स, यूजरग्रुप और विकिमीडिया फाउंडेशन) की वार्षिक बैठक है
पहली बार हिंदी समुदाय में से किसी को भेजने का अवसर दिया जा रहा हैं
पंजीकरण
पंजीकरण प्रक्रिया 24 नवंबर, 2017 से शुरू होगी।
प्रतिनिधि चयन
विकिमीडिया हिंदी सदस्य समूह (यूजरग्रुप) एक व्यक्ति को इस सम्मेलन के लिए जर्मनी भेज सकता है।
मतदान १५ दिसंबर २०१७ तक चलेगा।
प्रतिनिधि कैसा हो?
विकीमीडिया सम्मेलन भागीदारी/participation के लिए है। सम्मेलन को सफल बनाने के लिए अपने सही प्रतिनिधियों का चयन करना आवश्यक होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या चल रहा हैं, यह जानने के लिए और साझा करने के लिए प्रतिभागियों को बर्लिन आना चाहिए, सम्मेलन में सीखी हुयी चीज़े बाद में समूह के साथ साझा करना आवश्यक है।
विकिमीडिया आंदोलन के भविष्य को आकार देने में मदद कर सकता है,
या भागीदारी विशेषज्ञ,
या कार्यक्रम/प्रोजेक्ट करवाने वाला नेता
प्रतिभागी आंदोलन वार्तालापों को आकार देने के लिए उत्सुक होना चाहिए;
प्रतिभागी संस्थानों, फंडर्स और समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ-साथ अपने सहयोगियों के प्रभाव को सुधारने के लिए प्रयास करने वाला और लोगों के साथ भागीदारी के लिए जुनून रखने वाला हो।
पूरा सम्मेलन अंग्रेजी में होता हैं इसलिए प्रतिभागी के लिए अंग्रेजी ठीक से समझना और बोल पाना ज़रूरी रहेगा।
जर्मनी जाने का खर्चा कौन उठाएगा?
समुदाय द्वारा चुने गए प्रतिनिधि का पूरा खर्चा (जाने-आने का टिकट, रहने की व्यवस्था, पंजीकरण और भोजन व्यवस्था) फाउंडेशन करेगी।
प्रतिनिधि चुनने की प्रक्रिया
हर समूह अपनी प्रक्रिया अलग से बना सकता हैं, सामान्य रूप से सदस्य नामांकन करते है, समुदाय का प्रतिनिधित्व कौन अच्छी तरीके से करेगा इस पर चर्चा के बाद एक व्यक्ति चुना जा सकता हैं। अगर ज्यादा नाम आते है तो मतदान के जरिये प्रतिनिधि चुने जा सकते है। सारी प्रक्रिया ऐसी जगह हो पर हो जहां सभी लोग सहभाग ले सकें (मेलिंग लिस्ट, चौपाल, मेटा इत्यादि) AbhiSuryawanshi (वार्ता) 22:18, 13 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
नामांकन
अगर आप किसी को नामांकित करना चाहते है या खुद इसमें शामिल होना चाहते हैं तो नीचे नाम दर्ज कीजिये।
नामांकित व्यक्ति का परिचय: मेरी निजी राय है कि अनामदास जी अगर इस कार्यशाला में सम्मिलित होते है तो यह सबसे अच्छा होगा। वो समुदाय में लोकप्रिय हैं और सब उनका आदर करते है। वो समुदाय का अच्छा नेतृत्व कर रहे है और इस कार्यशाला से जो भी ज्ञान प्राप्त होगा उसका वो सही उपयोग यूजर ग्रुप में करेंगे | -Abhinav619 (वार्ता) 02:34, 14 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स्वीकृति: मैं इस नामांकन को स्वीकार करता हूँ। मुझे लगता है कि यदि यह जिम्मेदारी मुझे दी जाती है तो मैं इसे पूरा करने में काफी हद तक समर्थ हूँ। --अनामदास09:13, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन--आशीष भटनागरवार्ता11:40, 14 नवम्बर 2017 (UTC), इनकी कार्यक्षमता, लोकप्रियता, दक्षता पर कोई सन्देह नहीं। निश्चय ही इन योग्यताओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिये जो हिन्दी विकिपीडिया के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इनका सामना फ़ाउण्डेशन से अभी उतना नहीं हुआ है, अतएव सुयश जी को वरीयता देना चाहूंगा।[उत्तर दें]
समर्थन मेरी पहली प्राथमिकता अनामदास जी को है वह इसके लिए सबसे अच्छे है। अंत मेरे प्रथम प्राथमिकता अनामदास जी को है परंतु हमे एक वैकल्पिक विकल्प रखना चाहिए। उस वैकल्पिक विकल्प के लिए मै सुयश जी को नामांकित करता हु।--जयप्रकाश >>> वार्ता09:59, 14 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन --आशीष भटनागरवार्ता11:40, 14 नवम्बर 2017 (UTC), सुयश जी हिन्दी विकिपीडिया को विकिमीडिया फ़ाउण्डेशन से जोड़ने वाले सेतु हैं, जिन्होंने हमें पहली बार फाउण्डेशन से परिचय करवाया (अभिषेक जी को गिनती में नहीं गिन रहा हूं) अतः सामान्य सम्पादन की गणना अधिक न होते हुए भी सुयश जी की कार्यकलापों में अत्यधिकता को देखते हुए प्रथम समर्थन इन्हीं को करता हूं। इन्हीं के प्रयासों (स्वपनिल जी के साथ) के कारण अकेले वर्ष २०१७ में इतने हिन्दी विकिपीडिया कार्यक्रम सम्पन्न हुए। इसका श्रेय इन्हें अवश्य जाता है और जब एक व्यक्ति कोई समर्थन करना है तो अवश्य इन्हें करता हूं। (कृपया अन्य कुछ विशेष लोग अन्यथा न लें, वे भी मेरे लिये विशिष्ट गणना में आते हैं किन्तु वरीयता मात्र एक को ही देनी है।)[उत्तर दें]
समर्थन --मेरी तीसरी प्राथमिकता सुयश जी है ,वे धरातल पर बहुत अच्छा काम कर रहे है और मेरा ऐसा मानना है कि भोपाल में एक अच्छी समर्पित टीम आकार ले चुकी है.हमें (चूँकि मेरा नाम भी आशीष जी ने लिखा है) अभी बहुत काम करना है एवं हिंदी विकी को सुदृढ़ करना है। : Swapnil.Karambelkar (वार्ता) 16:39, 14 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन -- जिस प्रकार का अनुभव इस सम्मेलन के लिए चाहिए वह निश्चित रूप से सुयश जी सर्वाधिक मात्रा में रखते हैं। उनके पदार्पण के बाद ही हिन्दी विकि में इस प्रकार के आयोजन देखने को मिले। मुझे पूरा विश्वास है कि यदि उन्हें इस सम्मेलन में भेजा जाता है तो हिंदी विकि को उसका भरपूर लाभ प्राप्त होगा। हालाँकि नीचे दी गयी अभिषेक जी की टिप्पणी भी विचारणीय है। यदि सुयश जी चैप्टर की तरफ से जा सकते हैं तो उन्हें उसी मार्ग को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि यहाँ से किसी और सदस्य को भेजा जा सके। किंतु यदि यह संभव नहीं हो सके तो इस मार्ग से भी उन्हें भेजने हेतु मेरा पूर्ण समर्थन है। --अनामदास09:04, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
नामांकित व्यक्ति का परिचय: आशीष भटनागर जी ,हिंदी विकिमीडिएंस सदस्य दल के ध्वजवाहक है तथा हिंदी विकिपीडिया के सबसे वरिष्ठ एवं सबसे पुराने सम्पादको में से एक है। अतुलनीय सम्पादन संख्या ,उच्च श्रेणी के लेख बनाने में इनका भरपूर अनुभव है.मिलनसार व्यक्तित्व एवं शांतचित्त स्वभाव के साथ ही ये नए सम्पादको की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते है.
समर्थन: सुयश जी के बाद मेरी दूसरी प्राथमिकता आशीष जी है। भोपाल व जयपुर के दोनों आयोजनों में आप शामिल रहे हैं और वरिष्ठतम सदस्यों में से एक होने के नाते हिंदी विकिपीडिया की आवश्यकताओं, वरीयताओं, कमियों, अच्छाइयों से भली प्रकार परिचित हैं। अतः इस सम्मेलन से हिंदी विकि के लिए सर्वोत्तम परिणाम कैसे लिए जा सकते हैं, इसका निर्णय करने में वे भली भांति करने में सक्षम हैं। --अनामदास09:19, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन: तीसरी प्राथमिकता के रूप में समर्थन। समुदाय के वरिष्ठतम सदस्य के रूप में इनका अनुभव हर तरह से इस सम्मेलन में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।--कलमकारवार्ता01:29, 16 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
सबसे अच्छा तो यह होगा कि दोनों लोग सम्मेलन में जाएं। सुयश जी चैप्टर से और अनामदास जी हिंदी यूजरग्रुप से जा सकते है। चैप्टर के लोग अगर समुदाय/यूजरग्रुप से जाते है तो यह कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट/हित द्वंद की श्रेणी होगी।
अगर आसान भाषा में बोले तो एक मंत्री दोनों (केंद्र और राज्य या दो अलग अलग राज्य) सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। राज्य सरकार का कोई जाता है तो उसे राज्य के बारे में बात करने के लिए ज्यादा समय मिलता हैं, राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए केंद्रीय मंत्री को भेजा तो उसे राज्य के साथ बाकी के लोगो का प्रतिनिधित्व भी करना पड़ सकता है।
केंद्र में जाने के बाद भी अगर मोदीजी गुजरात का मंत्रिपद भी रखते है और बाहरी देशो में सिर्फ गुजरात की बाते करने लगे तो बाकी राज्यों पर असर पड़ेगा। या अरविन्द केजरीवाल खुदही दोनों राज्यों के मंत्री बन जाते हैं तो यह स्थानिक नेतृत्व पे प्रभाव डाल सकता है।
आशा हैं की सुयश जी (चैप्टर अनुमति के साथ) और अनामदासजी (हिंदी यूजरग्रुप अनुमति से) जर्मनी में प्रतिनिधित्व करेंगे।
मैं भी तो वही बोल रहा हूँ। "विकिमीडिया इंडिया चैप्टर किसी एक भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करता" - आपकी बात से मैं १००% सहमत। आंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में चैप्टर बोर्ड के सदस्य को एक भाषा तक सिमित रखना चैप्टर के पॉलिसी से बाहर हैं। आंतरराष्ट्रीय स्तर पे उन्हें पूरे देश का प्रतिनिधित्व करना पड़ता हैं, एक भाषा का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें खुद के चैप्टर से भी बात करनी पड़ेगी। सुयश जी का काम बहोत बढ़िया हैं और उसी आधार पर चैप्टर से अनुमति लेनी चाहिए। मैं सुयश जी से विनंती करता हु की वो चैप्टर के बोर्ड के साथ बात करके पात्रता मापदंड जांच ले। अगर वहा से उन्हें अनुमति मिलती हैं तो ही यहाँ पर चर्चा/मतदान करने का फायदा हैं। वो चैप्टर द्वारा जर्मनी को आ सकते हैं, इससे हिंदी को ही फायदा होगा। एक की जगह दो लोग जर्मनी आंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जा सकते हैं।
चुकी यह प्रक्रिया हिंदी विकी के लिए नई है,प्रथम - हमारा समुदाय यह अवश्य जानना चाहेगा कि अन्य समुदाय (जो अपने प्रतिनिधि भेजते है),वे क्या प्रक्रिया अपनाते है। भले ही हम उनका अनुसरण ना करे परन्तु कम से कम हमें प्रक्रिया तो पता चलेगी। द्वितीय -यदि समुदाय में यह सर्वसम्मति है कि तीनो ध्वजवाहकों में से ही कोई एक जाएगा तब हमें ध्वजवाहको पर विश्वास कर उपयुक्त व्यक्ति को भेजने की जिम्मेदारी उनपर ही छोड़ देनी चाहिए।: Swapnil.Karambelkar (वार्ता) 06:26, 16 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
विकिपीडिया पर रसायन शास्त्र शीर्षक से एक आलेख लंबे समय से उपलब्ध था। उस आलेख को अब रसायन विज्ञान पर स्थानांतरित कर दिया गया है। केमिस्ट्री को हम सबने हिंदी में रसायन शास्त्र ही पढ़ा है। फिर ये अचानक रसायन विज्ञान पर क्यों स्थानांतरित कर दिया गया, समझ से परे है। कोई विद्वजन इस विषय पर प्रकाश डालकर शंका और जिज्ञासा का समाधान करें। धन्यवाद--कलमकारवार्ता18:45, 14 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे नहीं लगता कि आपने कभी 'रसायनशास्त्र' पढ़ा होगा। किसी साथी की 'रसायनशास्त्र' नामक पुस्तक का नाम देख लिया होगा जो अब तक याद है। यदि समझ बहुत छोटी होगी तो कोई भी बात समझ से परे जा सकती है। 'रसायनशास्त्र' आपकी व्यक्तिगत पसन्द होगी। मैने तो अपनी सीमित जानकारी और वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा सुझाये गये शब्द के आधार पर यह परिवर्तन किया है। मैने 'रसायनशास्त्र' भी पढ़ा है और 'रसायन विज्ञान' भी खूब पढ़ा है। दोनों प्रचलित भी हैं और अच्छे भी, किन्तु मानकीकरण भी कोई वस्तु है!! -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 03:16, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
महामहिम, आपका प्राकट्य एक विस्मयकारी परिघटना है। मैंने तो उक्त विषय पर एक लघु शंका रखी थी, आप इसे दीर्घ बनाने पर कृतसंकल्प हैं। वैसे आगमन निगमन में आप कदाचित सिद्धहस्त जान पड़ते हैं। मेरा सौभाग्य है कि आपने एक बार फिर से मुझे पारितोषिक स्वरूप प्रमाण-पत्र प्रदान किया है। वैसे समझदानी के विस्तारीकरण का कोई नुस्खा हो तो मुझे उपलब्ध कराकर अनुग्रहीत करें। अब आपके जितना पढ़ा लिखा नहीं हूं इसलिए मानकीकरण के स्वयंप्रदत्त आपके अधिकार से सर्वथा अनभिज्ञ था। वैसे ज्ञान-गंगा में 'रक्तमुख' की क्या हैसियत जो 'करालमुख' से शास्त्रार्थ करने की हिमाकत करे। नमन्--कलमकारवार्ता03:38, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आपकी प्रारंभिक टिप्पणी का प्रथम वाक्य ही 'दीर्घशंका" है। आरोप आप मुझ पर मढ़ रहे हैं। वैसे बिन मांगे एक सुझाव दे रहा हूं। हिंदी विकिपीडिया पर आपका योगदान अनुकरणीय और प्रशंसनीय है लेकिन वार्ताओं में तल्खी और आक्रामकता आपकी बौद्धिक गतिविधियों से मेल नहीं खाती। क्या आप इस पर कभी विचार नहीं करते? करिएगा...शुभकामनाएं।--कलमकारवार्ता04:34, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मेरी टिप्पणी आपको 'आक्रमकता' कैसे लग गयी? क्या आपने अपने सन्देश का शीर्षक पढ़ा जो मेरी टिप्पणी के पहले आया है? किसी शंका का शीर्ष ऐसे ही होना चाहिए? इसकी शब्दावली और भाषा न तो किसी शंका की भाषा है, न किसी सदुद्देश्य से शुरू किये गये चर्चा की भाषा। यह तो किसी सनकी जज द्वारा सनक में दिये गये जजमेन्ट की भाषा है। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 06:11, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
User:कलमकार जी, अनुभाग का शीर्षक पढ़ने से ऐसा नहीं लग रहा है कि कुछ पूछा जा रहा है। बल्कि ऐसा प्रतीत हो रहा है आपने शीर्षक मे ही रिज़ल्ट घोषित कर दिया हो। अंत अनुरोध है कि शीर्षक सही कर ले। अन्यथा विवाद ही बढ़ेगा।-जयप्रकाश >>> वार्ता07:24, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जयप्रकाश जी, सवाल बिलकुल स्पष्ट है। कोई व्यक्ति विशेष क्या विकिपीडिया को निजी संपत्ति समझकर मनमानी कर सकता है? रसायन शास्त्र को रसायन विज्ञान में परिवर्तित करने का तर्क समझ से परे है। जवाब में एक व्यक्ति लगातार सामान्य शिष्टाचार को पांवों तले रौंद रहा है। फिर भी आपको मेरे प्रश्न में ही खोट नजर आ रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण है ये। किसी की बदजुबानी का जवाब मैं भी उचित भाषा में दे सकता हूं। लेकिन मेरा स्वभाव ऐसा नहीं है। धन्यवाद--कलमकारवार्ता07:43, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आप क्या लिख रहे हैं? कौन कह रहा है कि आपका सवाल स्पष्ट नहीं है? हम सब कह रहे हैं कि आपके शीर्षक की भाषा (और नीयत) गलत थी। इस पर कुछ लिख सकते हैं तो लिखिये। विवाद को और बढाने के लिये 'मनमानी' और 'पांवों तले रौदना' अलग से जोड़ दिया! क्या अभी भी शीर्षक परिवर्तन का कारण तर्कसंगत नहीं लग रहा है? नहीं लग रहा हो तो कहिये। वास्तव में मेरी पहली टिप्पणी में आपकी भाषा का भी जवाब था और आपकी शंका का भी।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:56, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
"व्यक्तिगत पसंद नापसंद को समाज पर थोपना कितना तर्कसंगत?" इस सवाल में क्या आपत्तिजनक है?....इसके जवाब में "मुझे नहीं लगता कि आपने कभी 'रसायनशास्त्र' पढ़ा होगा। किसी साथी की 'रसायनशास्त्र' नामक पुस्तक का नाम देख लिया होगा जो अब तक याद है। यदि समझ बहुत छोटी होगी तो कोई भी बात समझ से परे जा सकती है।..." लिखना किस बौद्धिक चर्चा और विमर्श की परंपरा में आता है। मुझे लगता है कि हिंदी विकिपीडिया पर 'मात्रा' (volume) के जरिए एक व्यक्ति विशेष को भाषाई हिंसा पर indemnity मिली हुई है। मैं फिर से निवेदन कर रहा हूं कि ये सामुदायिक हित में ठीक नहीं है। फिर भी जैसा आप लोग सोचें।--कलमकारवार्ता08:58, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जयप्रकाश जी, रसायन शास्त्र और रसायन विज्ञान में कोई फर्क नहीं है। लेकिन केमिस्ट्री के लिए रसायन शास्त्र पहले से स्थापित और सर्वमान्य है। फिर अचानक एक दिन इसे दूसरे शब्द से बदलने का तर्क मुझे समझ में नहीं आया। बस यही मेरा सवाल था। रही बात सरकारी तकनीकी शब्दावली आयोग के अनुमोदन की तो इसका संदर्भ उन परिस्थितियों में ग्रहण किया जाता है जब किसी विदेशी भाषा के तकनीकी शब्द का तर्जुमा हिंदी में उपलब्ध नहीं होता। लेकिन रसायन शास्त्र और रसायन विज्ञान के संदर्भ में यह सिर्फ बौद्धिक विलास है, आवश्यकता नहीं। इति--कलमकारवार्ता09:09, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है कि चर्चा को मुद्दों तक सीमित रखें, व्यक्तिगत न करें। अपनी भाषा पर संयम रखें व दूसरों की बात का बुरा न मानें। यहाँ पर सभी सहृदयता से योगदान करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। एक दूसरे पर सद्विश्वास रखते हुए चर्चाओं को तर्कों तक सीमित रखें और भाषा आदि पर अधिक ध्यान न दें और भावनाओं को समझें। फिलहाल इस चर्चा को इस तर्क के साथ समाप्त करता हूँ कि अधिक लोग प्रकाशित तकनीकी शब्दावली के पक्ष में हैं। रसायन शास्त्र से भी अनुप्रेषण उपलब्ध रहेगा। चर्चा के परिणाम को कृपया कोई सदस्य अपनी हार अथवा जीत न समझें। सद्भावना रखते हुए कृपया अपना योगदान जारी रखें। धन्यवाद सहित। --अनामदास09:30, 15 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मेरे लघु पर दीर्घ करने वाले स्वयंप्रदत्त, स्वयंसिद्ध, स्वयंभू हैं। फिर भी 'दीर्घसूत्र' के समक्ष तो ये कदाचित श्रेयष्कर ही है। वो कहते हैं न "दीर्घसूत्री विनश्यति..."। मैं सोच रहा हूं कि जहां कहीं भी 'साहित्य' शब्द या साहित्य से जुड़े आलेख हैं वहां 'वाङ्मय' लिख दूं क्योंकि तकनीकी शब्दावली में यही अनुसंशा की गई है। आशा करता हूं इस पर समुदाय को कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन भरोसा रखिए मैं ऐसा करूंगा नहीं।--कलमकारवार्ता01:22, 16 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
एक बिना सन्दर्भ की बात कहना चाहूंगा कि यदि युधिष्ठिर की ५ गांव की बात दुर्योधन ने मान ली होती तो कदाचित दुर्योधन अपने असली नाम सुयोधन से जाना जाता, किन्तु हमें महाभारत और साथ ही भग्वद्गीता ग्रन्थ न उपलब्ध होते। अब इसका अर्थ महाभारत युद्ध होना सही था या उसका न होना.... ये विवेक पर छोड़ा जा सकता है।--आशीष भटनागरवार्ता05:45, 16 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कलमकारवार्ता 18:23, 16 नवम्बर 2017 (UTC)
यह चर्चा Wikipedia की नीति के अनुसार न रहकर व्यक्तिगत होती जा रही प्रतीत होती है। माननीय सदस्य कृपया इसे विराम देने का कष्ट करें और अपना कीमती समय Wikipedia में सार्थक योगदान देने हेतु समर्पित करें। धन्यवाद सहित।--अनामदास04:25, 18 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
विमान के सही नाम
मेंने चेंगदू जे-20 लेख का नाम Chengdu J-20 के आधार पर रख दिया गया है। परंतु मुझे भी नहीं पता कि इसे कैसे लिखेगे। क्यूकी यहाँ चेंगडू भी हो सकता है। इसी प्रकार शेनयांग जे-31 का नाम भी Shenyang J-31 के आधार पर रख दिया है। अगर कोई सही नाम को बता सके तो बहुत महरबनी होगी। क्यूकी पूरी श्रंखला बनाने के बाद सभी को move करने मे परेशानी होगी।--जयप्रकाश >>> वार्ता15:51, 16 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आशीष जी,अनामदास जी, संजीव जी, जयप्रकाश जी एवं अन्य सम्मानित संपादकगण,
रहीम का मकबरा आलेख के ज्ञान-संदूक में सूचनाएं सही डालने के बावजूद उसमें त्रुटियां दिख रही हैं। कृपया इसे ठीक करने का कोई उपाय सुझाए। मेरी समझ से ये समस्या लुआ (Lua) की असंगतियों से संबन्धित है। लेकिन ये सही कैसे होगा ये विषय अभी तक स्पष्ट नहीं है। कृपया मदद करें। धन्यवाद--कलमकारवार्ता03:54, 17 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
शुरुआत मे ही पता चल गया था कि यह निर्देशांक के संबन्धित समस्या है। {{Location map दिल्ली}} को देखा तो लगा कि मैप मे तो सीमा निर्देशांक 72.7692 से 73.1165 तक है। और लेख मे 77.245825 दिया है तो पहली गलती तो यही है कि दिल्ली के मैप मे यह रेंज नहीं है। फिर कुछ और निदेशांक डालके देखने से पता चला कि समस्या यह है कि पेज विकिडाटा से जुड़ा नहीं था। और शायद लुआ विकिडाटा से निर्देशांक लेता है। विकिडाटा से पेज जोड़ने पर अब समस्या सही हो गई है।--जयप्रकाश >>> वार्ता05:18, 17 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@कलमकार जी उपरोक्त समस्या का समाधान कर दिया गया है और दिल्ली के नक़्शे पर सही सही अवस्थिति दिख रही है। कुछ बदलाव स्थाई तौर पर करने होंगे जिन्हें बाद में कर लिया जाएगा, फिलहाल यह समस्या ढेरों पन्नों पर थी जो ठीक हो गयी। ध्यानाकर्षण हेतु धन्यवाद।
@जयप्रकाश जी{{Location map दिल्ली}} में लगा नक्शा केवल केन्द्रीय दिल्ली के लिए था, पूरी दिल्ली के लिए नहीं, अतः आपके द्वारा निर्देशांकों की रेंज पूरी दिल्ली वाली डालने के बाद नक़्शे (चित्र) और निर्देशांकों के बीच का सामंजस्य सही नहीं रह जाता। फिलहाल उसे मैंने पूरी नई दिल्ली वाले साँचे पर अनुप्रेषित कर दिया है।--SM7--बातचीत--15:16, 17 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मेक्सिको, नाइजीरिया और भारत में नये रीडर टीम के द्वारा किए गए शोध से हाइलाइट किए गए क्षेत्रों में बेहतर ऑफ़लाइन कार्यक्षमता प्रदान करना था। टीमों ने मोबाइल पीडीएफ़ के लिए एक प्रोटोटाइप बनाया, जिसका मूल्यांकन उपयोगकर्ता अनुसंधान और समुदाय प्रतिक्रिया द्वारा किया गया था। प्रोटोटाइप मूल्यांकन को सकारात्मक प्रतिक्रिया और परिणाम प्राप्त हुए, इसलिए विकास जारी रखा जायेग।
प्रारंभिक तैनाती के लिए, यह सुविधा एंड्रॉइड पर गूगल क्रोम ब्राउज़र पर उपलब्ध होगी। भविष्य में आने वाले अन्य मोबाइल ब्राउज़र के लिए समर्थन किया जयेग। क्रोम के लिए, यह सुविधा मूल एंड्रॉइड प्रिंट कार्यक्षमता का उपयोग करेगी। उपयोगकर्ता PDF के रूप में एक वेबपेज डाउनलोड कर सकते हैं। छोटे स्क्रीन के लिए अनुकूलतम पठनीयता सुनिश्चित करने के लिए इन पीडीएफ के लिए मोबाइल प्रिंट शैलियों का उपयोग किया जाएगा।
नमस्ते सर्वेभ्यः
मुझे ये बताते हुये अत्यंत ही खुशी हो रही है कि आज मैं यहाँ हिन्दी दिवस लेख प्रतियोगिता का परिणाम घोषित करने जा रहा हूँ। इस प्रतियोगिता मेन 16 प्रतिभागियो ने लेख बनाए, जिस में से दो बिलकुल नए सदस्यो ने अपना खाता बनाकर भाग लिया। 14 सदस्य ऐसे हैं जिनके लेख विकिपीडिया पे रखने योगी से लेकर उच्च गुणवत्ता वाले लेखों का भी निर्माण हुआ। इस प्रतियोगिता में 238 नए लेखों का निर्माण हुआ है। परिणाम निम्नलिखित है।
आर्यावर्त जी, सबसे पहले आपको और स जी को प्रतियोगिता करके हेतु धन्यवाद। और आगे भी ऐसा ही होते रहे ऐसी शुभकामनायें। जैसा की योजना अनुसार मे केवल प्रतियोगिता मे बूस्ट लाने के लिए लेख बना रहा था। मेंने पहले ही बोल दिया था कि मेरा कोई स्थान आने पर भी में किसी पुरस्कार का भागी नहीं होंगा। केवल कुछ सदस्यो को पता भी है। अंत मेरा नाम निकर्ल दे, और मेरे से नीचे वालों के एक एक पायदान ऊपर कर दे। अंत मेरा पुरुसकर को रद्द करे। में केवल उन चीजों का ही भागी होंगा जो सभी मे वितरित होगी। धन्यवाद--जयप्रकाश06:11, 24 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आर्यावर्त और स जी इस प्रकार की प्रतियोगिता, अन्य विकी समुदाय के लिए भी अनुकरणीय बनेगी ऐसा मेरा मानना है। आपकी कठिन मेहनत और विकी हेतु समर्पण का मै सदैव प्रशंसक रहा हूँ और एक बार आपने पुनः इसे सिद्ध कर दिया, सभी को हार्दिक बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाऍ -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 11:16, 24 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@Jayprakash12345: जी, पुरस्कार के त्याग की आपकी भावना बहुत ही अच्छी है और इसके लिए साधुवाद। आपकी इच्छा के अनुसार हम इसे दूसरे सदस्य को नहीं दे पाएंगे क्योंकि हमारे पास 5 सांत्वना पुरस्कारों का प्रावधान था उसमें से भी एक पुरस्कार अभी भी बचा है। आप सुझाए इस तरीके से इसका उपयोग विकि के हित में किया जा सकता है। आपकी युवावस्था की प्रारंभिक आयु के अनुसार ये पुरस्कार की रकम आपके लिए बड़ी रकम हो सकती थी फिर भी आपने त्याग की भावना दिखाई ये अत्यंत प्रसंशनीय है। त्याग और देने की भावना विकि सदस्यो का मूल आधार है।--आर्यावर्त (वार्ता) 11:02, 28 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
लिव एंड मॅडी
Hello, I need help with translating this paragraph for the article लिव एंड मॅडी:
Liv and Maddie, titled Liv and Maddie: Cali Style in its fourth season, is an American teen sitcom created by John D. Beck and Ron Hart that originally aired on Disney Channel from July 19, 2013 to March 24, 2017. The series stars Dove Cameron in a dual role as identical twin sisters with entirely different personalities, with Liv being a girly girl who was an actress in Hollywood for four years and Maddie being a tomboy with a facility for sports, particularly basketball. The series revolves around Liv readjusting to normal family life after production on her hit television program Sing It Loud! ended, as well as the two sisters being best friends despite their opposing personalities and different interests.
पन्ने के सबसे उपरी "मेरी पसंद" का चयन करने पर जब आप "उपकरण (गैजेट)" टैब में जाते है, वहा "Navigation popups" नाम का एक उपकरण है। इसे चुनने पर भी ये Navigation popups चालू नही हो रहे। ये समस्या कोई सलझा सकता है? Dharmadhyaksha (वार्ता) 09:13, 29 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
Dharmadhyaksha यह पुराने उपकरण वनाम नया मीडियाविकि का खेल है। हिन्दी विकि पर उपकरण पुराने होते जा रहे है। Navigation popups मे 2012 से किसी हिन्दी विकि वालो ने सुधार नहीं किया है। हिन्दी विकि पर विज्वल एडिटर इसलिए ही काम नहीं करता है। किसी ने फैब पर यह टिप्पणी भी की है कि यदि हिन्दी विकि वाले गैजेट का रखरखाव नहीं कर सकते तो उन्हे गैजेट को किसी दूसरी विकि से केंद्रीय फेट्च करना चाहिए। --जयप्रकाश09:51, 29 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
धर्माध्यक्ष जी मुझे इस चर्चा में सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद् | जयप्रकाश जी का कथन सर्वथा उचित है | मैंने भी इस प्रकार की समस्याओ का निवारण करने का प्रयास आरम्भ किया था | किन्तु मुझे कहा गया की जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दिया जाये | इसलिए मैंने हिंदी विकी से संन्यास ले लिया | जयप्रकाश जी केंद्रीय फेच का समर्थन नहीं करना चाहते हिंदी विकी के कुछ लोग | गैजेट तो दूर यहाँ तो सांचो में मॉड्यूल के प्रयोग पर भी सहमति नहीं है | Capankajsmilyo (वार्ता) 11:53, 29 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
पंकज जी, साँचे, मॉड्यूल और मिडियाविकि पृष्ठ भिन्न हैं। जहां तक केंद्रीय फेट्च करने की बात है, साँचो में किए गए बदलावो के कारण अनेक पृष्ठों में समस्या उत्पन्न हुई है और इसके निराकरण हेतु चर्चा भी चल रही है। मॉड्यूल और मिडियाविकि पृष्ठ भिन्न हैं। मॉड्यूल भी ऐसा ही संवेदनशील है जिस में बदलाव से अनेक पृष्ठो को असर पहुँच सकती हैं। मीडियाविकि पृष्ठ उपकरण के लिए काम करता है, उनसे उपकरण को छोडकर सीधे ही लेख के पृष्ठो पर असर नहीं पहुँच सकती। वैसे ये प्रबन्धको का विषय है, अब देखते हैं कि प्रबन्धक इस मीडियाविकि पृष्ठों को अध्यातन न होने वाली समस्या का समाधान करते हैं या नहीं। दूसरे किसी सदस्य को इस पृष्ठ को संपादित करने का अधिकार नहीं है।--आर्यावर्त (वार्ता) 13:23, 30 नवम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
Dharmadhyaksha जी उपकरण को अंग्रेजी विकि के अनुरूप अद्यतन कर दिया गया है। फिलहाल यह कार्य करेगा किन्तु इसका इंटरफेस अंग्रेजी में ही है।
अनुप्रेषण के बाद विकिडेटा पर भी इसके अनुसार अद्यतन करना पड़ सकता है। जिनके नाम में अंग्रेजी में "Country data ..." लिखा हुआ है उनका शायद यहाँ कोई इस्तेमाल नहीं होता क्योंकि मूल साँचे द्वारा कड़ी "देश आँकड़े ..." प्रारूप में ही बनती है। अतः "Country data ..." को हटाया जा सकता है, हाँ, "देश आँकड़े ENNAME" प्रारूप वालों का हो सकता है कई जगह इस्तेमाल हो रहा हो, उन्हें रख सकते हैं (अनुप्रेषण के रूप में)। --SM7--बातचीत--13:00, 2 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
Featured Wikimedian [December 2017]
Greetings, on behalf of Wikimedia India, I, Krishna Chaitanya Velaga introduce you to the Featured Wikimedian of the Month for December 2017, Hrishikes Sen.
Hrishikes Sen is one of the most active contributors from the Bengali community. Though he started editing English and Bengali Wikipedia in 2007, he had to take a long break due to professional constraints. Later he started working on Bengali Wikisource from 2012, and ever since, he has been an active contributor, and expanded to English Wikisource as well. With more than 45,000 global edits, he is an admin on English Wikisource.
As a child, Hrishikes always found reading books as a fascinating task. He says that he finds reference books as interesting as mystery novels. That interest, over years motivated him to contribute to Wikisource. The journey and motivation behind his contributions to Wikisource can be read from a post on WMF's blog, Why I contribute to Wikisource?. He says that till date he's been only active online, but he plans to do outreach in the coming future. He hopes that attending the 10th Anniversary Celebratory Workshop of
Bengali Wikisource in Kolkata on 10 December may be a harbinger to his future offline activities.
Hrishikes believes that Wikisource will one day emerge as of the top digital libraries in the world, and says that as a store-house for primary and secondary source materials for Wikipedia, the importance of Wikisource is steadily becoming invaluable. Much of his time, Hrishikes spends working around Indian works, with a special focus on the works of Bankim Chandra Chattopadhyay, Jagadish Chandra Bose, and Rabindranath Tagore. Apart from being a proofreader, he uploaded more than 750 books spreading over five languages to Wikimedia Commons.
Hrishikes hails from Kolkata, but is presently based in Lucknow. By profession, he is a doctor serving in paramilitary forces. To his Bengali friends, he welcomes them to contribute to Bengali Wikisource which has more than 676,000 that have completed Optical Character Recognition and are waiting to be proofread.
Apologies for writing in English, please consider translating the message
Hello,
We are delighted to inform that the Train-the-Trainer (TTT) 2018 programme organised by CIS-A2K will be held from 26-28 January 2018, in Mysore, Karnataka, India.
What is TTT?
Train the Trainer or TTT is a residential training program. The program attempts to groom leadership skills among the Indian Wikimedia community (including English) members. Earlier TTT have been conducted in 2013, 2015, 2016 and 2017.
Who should join?
An editor who is interested to conduct real-life and online Wiki-events such as outreach, workshop, GLAM, edit-a-thon, photowalk etc.
Any active Wikimedian contributing to any Indic language Wikimedia project is eligible to apply.
The editor must have 500+ global edits before 1 November 2017
Anyone who has already participated in an earlier iteration of TTT, can not apply.
सम्मेलन के कुछ अंशो का फिल्मांकन/तस्वीर खींचने के लिए १०,०००/- का प्रावधान किया है।
फिल्मांकन/तस्वीर की क्या ज़रुरत है?
आने वाले समय में सम्मेलन इतिहास सिर्फ शब्दों की जगहों पर चित्रों और चलचित्रों द्वारा पेश किया जाए तो परिणाम अच्छे आएंगे। यह रिपोर्ट में भी अच्छी तरह से दिखेगी।
कौन फिल्मांकन कर सकता है?
कोई भी अगर किसी फिल्मकार+फोटोग्राफर को जानता है तो आंतरराष्ट्रीय स्तर का चलचित्रण/फिल्मांकन कर सके - उनका नाम निचे दर्ज कराये।
मानधन?
फिल्मांकन: हम १०,०००/- रुपये तक का मानधन भी दिया जा सकता है। ज़रूरत के अनुसार खाने/पिने का इंतज़ाम भी किया जा सकता है।
ये चित्रफित कहा पे दिखाई जायेगी?
बानी हुयी फिल्म कॉमन्स पे डाली जायेगी और विश्व हिंदी सचिवालय जैसी जगहों पे बैठक में दिखाई जा सकती है।
मैं सम्मेलन में आ रहा/रही हूँ पर मैं नहीं चाहता/चाहती की मेरी कोई तस्वीर खींचे या मेरा फिल्मांकन करे , क्या ये संभव है?
हाँ, सम्मेलन के पहले आप आयोजकों से और फ़िल्मकार से बात करके उन्हें सूचित कर सकते है।
मेरे पास (हिंदी विकी सम्बंधित) बोलने जैसा बहोत कुछ है, मेरा चित्रीकरण होगा?
हां, इसकेलिए भी पहले आयोजक और फ़िल्मकार से बात करले।
वर्ल्ड हिंदी सेक्रेटेरिएट "हिंदी विश्व सम्मेलन" का आयोजन करता है। सचिवालय में हिंदी विकी प्रबंधक प्रतिनिधि भेजे जा सके इस लिए मैं यहाँ ये संदेश छोड़ रहा हु
विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा विज्ञानी, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी प्रेमी जुटते हैं। पिछले कई वर्षोँ से यह प्रत्येक चौथे वर्ष आयोजित किया जाता है।
सम्मेलन क्यों आयोजित किया जाता है?
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की राष्ट्रभाषा के प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक व पाठक दोनों के स्तर पर हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिन्दी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकतापूर्ण व महत्त्वपूर्ण रिश्तों को और अधिक गहराई व मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से १९७५ में विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शृंखला शुरू हुई।
हिंदी विकिपीडिया और विश्व हिंदी सम्मलेन:
हिंदी विकिपीडिया दुनिया का सबसे बड़ा लोगों द्वारा चलाये जाने वाला विश्वकोश हैं। हमारे प्रतिनिधि "विश्व हिंदी सम्मेलन" में सहभागी हो, और उन्हें आयोजन समिति में भी शामिल किया जाए इस लिए जनवरी २०१८ के दूसरे सप्ताह में विश्व हिन्दी सचिवालय में बैठक आयोजित किया जा सकता है। यह बैठक हमारे दिल्ली सम्मेलन के पहले रखी जायेगी - विश्व हिंदी सचिवालय से लौटे प्रबंधक अपना अनुभव सारे समुदाय के साथ दिल्ली में साझा कर सकते है।
हिंदी विकी से प्रतिनिधि:
सम्मेलन अभी काफी दूर है पर अभी से संपर्क बनाने की ज़रुरत है।
दो (समुदाय द्वारा चुने गए) प्रबंधक अगर समय निकाल कर जनवरी में विश्व हिन्दी सचिवालय जा सकते है तो इससे पूरे समुदाय को फायदा होगा -
प्रबंधक भेजने के फायदे:
-सबसे ज्यादा तकनिकी ग्यान प्रबंधको के पास है और अफसरों के टेढ़े सवालों के जवाब भी प्रबंधक आसानीसे दे सकते है।
-प्रबंधक हिंदी विकिपीडिया कैसे काम करता है दिखा सकते है और प्रबंधक होने के नाते वो गलत जानकारी या पन्ने कैसे हटाते हैं यह दिखा सकते है।
-प्रबंधक अफसरों का विश्वास आसानी से हासिल कर सकते है।(कुछ लोग प्रबंधको की कमी की बजह से विकिपीडिया पे कम विश्वास रखते है, प्रबंधक खुद प्रकट हो जाए तो फ़ायदा तो होगा ही)
समुदाय अगर दो प्रबंधक प्रतिनिधि चुनता है, तो सारा खर्चा फाउंडेशन द्वारा उठाया जा सकता है।
सफलता:
अगर हमारे लोग जनवरी से ही सचिवालय के संपर्क में रहे तो मुख्य अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में ज्यादा फायदा होगा। अगला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सितम्बर / अक्टूबर २०१८ में आयोजित किया जाएगा।
नामांकन:
अगर आप खुद को या किसी प्रबंधक को नामांकन देना चाहते है तो कृपया निचे नाम दर्ज करे।
(२ जनवरी से १२ जनवरी के बिच में बैठक आयोजित की जा सकती है, चुने गए प्रतिनिधि उनके हिसाब से और हिंदी सचिवालय के उपलब्धि ध्यान में रख कर आखरी तारीख तय कर सकते है)
नामांकन १
व्यक्ति का नाम: अभिषेक सूर्यवंशी
स्वीकृति:दो दिग्गज प्रबंधको के होते हुए नामांकन/छात्रवृत्ति की अपेक्षा करना मुझे उचित नहीं लगता। मेरा पूरा सहयोग रहेगा। मैंने जर्मनी वाले सम्मेलन की लिए भी यही बात की थी, चैप्टर के व्यक्ति वैसे भी आसानी से किधर भी पोहोंच सकते है, इस लिए मैं हिंदी के नामांकनो से दूर रहना चाहता हूँ, हिंदी से भी नामांकन स्वीकृत करना और इसका भाग होना हित द्वंद श्रेणी में जाएगा। मैं इस लिए भी दूर रहना चाहता हु क्योकि मेरी इच्छा हैं की हिंदी के वरिष्ठ लोगो को मौका मिले जो (फिलहाल) किसी भी चैप्टर के कार्यकारिणी में नहीं है। केंद्रीय मंत्री राज्य स्तर पर भी लाभ ले तो मेरे हिसाब से गलत होगा, मैं मदत के लिए हमेशा तैयार रहूँगा और आंतरराष्ट्रीय स्तर से जो भी मदत लगे - वो दिलाने की पूरी कोशिश करूँगा। धन्यवाद। --AbhiSuryawanshi (वार्ता) 18:33, 5 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन:
समर्थन - प्रस्तावक के तौर पर। कार्यक्रम के सूत्रधार एवं संचालक होने के नाते अभिषेक जी का प्रतिनिधिमंडल में होना अपरिहार्य है। --अनामदास03:05, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स्वीकृति: अन्य उपयुक्त व्यक्तियों की अनुपस्थिति की स्थिति में स्वीकृत कर रहा हूँ। यदि स जी, SM7 जी, पीयूष जी अथवा अन्य कोई कुशल प्रबन्धक अथवा कुशल पूर्व प्रबन्धक (जैसे शुभम जी, मयुर जी) यदि भाग लेना चाहें तो मैं अपने आप को योग्य नहीं मानता। मैं कुछ लोगों का नाम नहीं लिख रहा हूँ क्योंकि कुछ पहले से नामांकित हैं और कुछ के नाम याद नहीं आ रहे।☆★संजीव कुमार (✉✉) 14:25, 8 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन - मेरे विचार से संजीव जी इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त व्यक्ति हैं। हिंदी विकि पर दीर्घकालीन आनुभव और यहाँ की समस्यायों/ज़रूरतों/भावी प्रायोज्यताओं का आपसे बेहतर किसी को अनुमान नहीं हो सकता। अतः आपको समर्थन। --SM7--बातचीत--19:47, 11 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स्वीकृति: मेरा चिर उद्देश्य हिन्दी की सेवा करना व उसे बढ़ावा देना रहा है। कार्यालय में भी मेरा यही प्रयास रहता है। हिन्दी विकिपीडिया पर अपने बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं समझता हूँ। हाँ अपने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु अन्तर्राष्ट्रीय मञ्च पर यदि अवसर मिले तो मेरा यह आश्वासन है कि मैं हिन्दी विकिपीडिया द्वारा हिन्दी के उत्थान में अभिन्न योगदान को सिद्ध करने में नहीं चूकूंगा एवं आप सभी को निराश नहीं करूँगा। मेरी पूर्ण स्वीकृति इस हेतु है।--आशीष भटनागरवार्ता16:10, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन-- आशीष जी पिछली बार भी सरकारी अफसरों से मिले थे, तब बाकीके सरकारी कर्मचारी उनका काम और (सरकारी) पेशा देख कर अचंबित हुए थे। आशीष जी भी सरकार के लिए (उच्च स्तर के हवाई खाते में) काम करते हैं, और सरकारी काम से वक़्त निकाल कर विकिपीडिया पे आते है - यह बात (हिंदी भाषा मंडल के) सरकारी पेशे में काम करने वाले लोगों के दिल को छू गयी थी। एक उच्च स्तर का सरकारी अधिकारी जब दूसरे खाते के उच्च सरकारी अधिकारी से मिलता है, तो उसे 'अपना'पन महसूस होना स्वाभाविक है। (यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव हैं, मैंने आशीष जी के साथ हिंदी भाषा मंडल में गया था और ये वहा का अनुभव है)
उनका काम भलेही हवा में उड़ने वाली चीज़ो से निगडित हो, पर वो हमेशा से ही जमींन पर बिना घमंड के रहे है और हिंदी विकिपीडिया को आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का उनका प्रयास रहा है, इस लिए मैं चाहता हु की (कमसे कम पहली बैठक में) आशीष जी ज़रूर जाए। -- AbhiSuryawanshi (वार्ता) 07:07, 6 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन - प्रस्तावक के तौर पर। प्रबंधन एवं तकनीकी ज्ञान में प्रवीण। निवेदन है कि ऑफ लाइन प्रबंधन की विधा में भी अपने ज्ञान व अनुभव का लाभ समुदाय को प्रदान करें। --अनामदास03:05, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स्वीकृति: इस कार्य हेतु मेरी सहर्ष सहमति है।दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन जो भोपाल में आयोजित हुआ था वहाँ इस कार्यक्रम/आयोजन/प्रबंधन को मैंने बारीकी से देखा था, तथा विभिन्न सदस्यों से समय समय पर चर्चा कर अगले विश्व हिन्दी सम्मलेन में किस प्रकार हिन्दी विकिपीडिया इसका प्रतिभागी हो सकता है और इसके हेतु पूर्व से ही तैयारियों की रणनीति की चर्चा की। --सुयश द्विवेदी (वार्ता) 07:56, 5 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन:
समर्थन - प्रस्तावक के तौर पर। चैप्टर के सदस्य होने के नाते विस्तृत अधिकार क्षेत्र, वैधानिक वार्ता हेतु सक्षम, आयोजनों व विभिन्न संस्थाओं से संबंध स्थापित करने का व्यापक अनुभव। --अनामदास03:05, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
राजनय मार्ग: सुयशजी - क्या आपने चैप्टर के विकल्प के बारे में सोचा हैं? विकिमीडिआ इंडिया चैप्टर के पास हिंदी का नेतृत्व करनेकी संधि है। हिंदी से अनुभवी प्रबंधक चुने जाये और आप चैप्टर की तरफ से आते है तो राजनय/diplomacy अच्छे से बनेगी। --AbhiSuryawanshi (वार्ता) 07:27, 6 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
स्वीकृति: उक्त नामांकनों के किसी भी कारणवश फलीभूत न हो पाने की स्थिति में विकल्प के तौर पर मैं स्वनामांकन भी कर रहा हूँ। यदि अभिषेक जी मार्गदर्शक के तौर पर साथ रहते हैं तो हिंदी विकि व सदस्यदल के प्रतिनिधि के रूप में मैं स्वयं को इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने हेतु कुछ सीमा तक (कम से कम गुजारा चलाने लायक) सक्षम समझता हूँ। --अनामदास03:17, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन:
समर्थन प्रबन्धक एवं आउटरिच कार्यक्रमों के लिए अनुभवी होने के कारण मेरे हिसाब से आप सब से उचित सदस्य हैं। और तो और आपने अपनी स्वीकृति भी प्रदान कर दी हैं।--आर्यावर्त (वार्ता) 13:13, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन हिन्दी विकिपीडिया में योगदान, पकड़ एवं अच्छी समझ के साथ साथ मेरे साथ उत्कृष्त सामञ्जस्य एवं समञ्जन (ट्यूनिंग) भी अनामदास जी के साथ होने के कारण मुझे पूर्ण विश्वास है कि ये उक्त सम्मेलन में मेरे साथ या बिना भी जाकर मेरे उद्देश्य को अक्षरशः पूर्ण करने में समर्थ हैं। अतः मेरी प्रथम वरीयता अपने साथ अनामदास जी की ही है।आशीष भटनागरवार्ता16:21, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
समर्थन -- हिंदी विकिपीडिया को संगठनात्मक संरचना/organizational-structure की ज़रुरत है ये बात अनामदास जी ने बहोत पहले कही है, और उन्होंने कदम भी उठाये (जैसे की यूजरग्रुप/सदस्यदल की स्थापना, विकिमीडिआ फाउंडेशन से जुड़ा रहना और हिंदी के दूत/ambassador लोगो में ढूंढ़ना इत्यादि)
ऐसे कामो के लिए राजनय कला ज़रूरी है और अनामदास जी इसमें विशेषज्ञ है।
दूरदृष्टि, अनुभव, राजनय कला और हिंदी विकी के तरक्की के लिए महत्वाकांक्षा - इन मुख्य मुद्दों को ध्यान में रखकर मैं चाहता हूँ की अनामदास जी सचिवालय में हिंदी विकिपीडिया का प्रतिनिधित्व करे। --AbhiSuryawanshi (वार्ता) 07:57, 6 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
टिप्पणी
टिप्पणी इसी वर्ष जनवरी में चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन विशाखापट्टनम में आयोजित हुआ था जिसमें मैं उपस्थित था और "हिन्दी विकिपीडिया के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रयोग को बढाने का प्रयास" के शीर्षक पर सम्बोधित किया था। उस समय विश्व हिन्दी सचिवालय के कुछ सदस्यों से भी मेरी बात हुई थी। इसके पश्चात भारत में महात्मा गान्धी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के दूर शिक्षा निदेशालय की ओर से एम ए हिन्दी के लिए " हिन्दी विकीपिडिया लेखन और उसकी विकास प्रक्रिया का अध्ययन" की इकाई लिखने का अवसर प्राप्त हुआ। इससे पूर्व भी दस हिन्दी विकिपीडिया प्रशिक्षण वीडियोज़ की तय्यारी भी मेरे लिए गौरव का विषय थी। मेरी शुभकामनाएँ मेरे सारे मित्रों के लिए है जो प्रबंधक हों या न हों, पर हिविकि की सेवा से वे जुड़े हैं। यदि कोई मित्र इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने में असमर्थ है और मुझे सम्मिलित करना चाहें तो मैं सेवा के लिए तय्यार हूँ। धन्यवाद! --मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 08:03, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
जिस विश्व हिन्दी सम्मेलन की बात यहाँ हो रही है उसका चतुर्थ संस्करण सन् 1993 में मॉरीशस में आयोजित हुआ था। अतः शायद उक्त तथ्य में कोई गलतफहमी है अथवा वह आयोजन किसी और संस्था द्वारा किया गया होगा। दूसरी बात, आप भी अपना नामांकन करने के लिए स्वतंत्र हैं जैसा कि मैंने अपने लिए भी किया है। आपका हिंदी विकिपीडिया पर दिया गया योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसमें संदेह नहीं। लेकिन नामांकन करने के लिए किसी की प्रतीक्षा करना उचित नहीं। कृपया आगे आएँ और नामांकन करें। --अनामदास11:36, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
ये पद्धति सही नहीं है कि प्रस्तावक स्वयं प्रस्ताव रखें और कुछ सदस्यों का नामांकन भी कर दें। चर्चा के बाद नामांकन या तो सदस्य को स्वयं आगे आकर नामांकन करना चाहिए। नामांकन का क्रम भी जो पहले नामांकन करें उसका नाम प्रथम इस पद्धति से होना चाहिए। मान लों कि हम सभी ने संजीव जी को मत दिये और बाद में संजीव जी के पास जाने के लिए समय न भी हो। अच्छा रहेगा कि जो जाना चाहता हो स्वयं नामांकन करें। कुछ लोगों का नामांकन हो जाये और कुछ लोग जाना चाहते हो उसका नामांकन ही न हो, उनको स्वयं का नाम जोड़ने में शर्म आ रही हो, कुछ भी हो सकता है। इसलिए ये पद्धति योग्य नहीं है। (स्पष्टता:-मुझे अपना नामांकन करना नहीं है, मेरे पास अभी समय नहीं है। अतः कोई ये न समझे कि ये टिप्पणी मेरा नामांकन नहीं हुआ इसलिए हैं!--आर्यावर्त (वार्ता) 13:05, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@आर्यावर्त: स्वीकृति का प्रावधान किया गया है। जब तक नामांकित सदस्य नामांकन स्वीकार न करे, तो मत न दें। रही बात अपने नामांकन पर शर्म आने की,(शायद संकोच अधिक उचित शब्द है), तो जिसे शर्म आती हो उसके लिए पर्दे में पड़े रहना ही उचित है। जहाँ कार्य करने जाना हैं, वहाँ जाकर कहीं शर्माने न लगे। --अनामदास13:15, 4 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
मेरा यह मानना है की प्रारभिक स्तर से ही इस सम्मलेन हेतु तैयारी की जानी चाहिए तथा मुख्य सम्मलेन में ०८ -१० सदस्यों का दल भेजना चाहिए, जो की वहा कुछ समय तक रुक कर अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनो से बातचीत कर सकें तथा उनका हिंदी विकिपीडिया/यूज़र ग्रुप के साथ MOU कर हिन्दी भाषा और विकी का कल्याण हो सके। --सुयश द्विवेदी (वार्ता) 08:05, 5 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आर्यावर्त जी, आपके विचार भी उचित हैं और मैं समहत भी हूँ लेकिन जैसा अनामदास जी ने कहा, स्वीकृति का विकल्प भी इसका दूसरा पर्याय है। जब तक सदस्य स्वीकृति न दे, तब तक उनको दिये गये मत महत्त्व नहीं रखते।☆★संजीव कुमार (✉✉) 14:31, 8 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
चर्चा जारी है।
CIS-A2K Newsletter October 2017
Hello, CIS-A2K has published their newsletter for the months of October 2017. The edition includes details about these topics:
Marathi Wikipedia - Vishwakosh Workshop for Science writers in IUCAA, Pune
अंग्रेज़ी विकिपीडिया एक श्रेणी en:Category:User_essays मौजूद है। यह श्रेणी विशेष रूप से विकिपीडिया पर सक्रिय सदस्यों के निबंधों पर आधारित है। इसके कुछ नियम जो देखने में आए हैं:
सदस्य निबंधों को मुख्य नामस्थान के बजाए सदस्यों के उप-पृष्ठ के रूप में निर्मित किया जाता है। यानी यदि आपका सदस्य खाता स:Xyz है, और आप क्रिकेट के लेखों के अपने अनुभ पर एक निबंध "क्रिकेट के लेखों पर मेरा अनुभव" लिखना चाहते हैं, तो उप-पृष्ठ स:Xyz/क्रिकेट के लेखों पर मेरा अनुभव बनेगी।
साधारण रूप से कोई भी सदस्य इन्हे इस प्रकार अपने सदस्य उप-पृष्ठ रूप में से स्वतंत्र रूप से लिख सकता है और कुछ भी सामग्री जोड़ सकता है (जब तक एक सभ्य भाषा हो और किसी की मानहानि का इरादा न हो)।
सदस्य निबंध ज्ञानकोश का भाग नहीं हैं। न ही ये कोई नियम तय करते हैं। परन्तु सक्रिय तथा अनुभवी सदस्यों द्वारा लिखित निबंध भविष्य के सदस्यों को विकिपीडिया पर वर्तमान योगदानकर्ता के अनुभवों और उनके विचारों को दिखा सकते हैं।
Supporting Indian Language Wikipedias Program: Needs Assessment Survey
Please translate this message if possible
Hello,
We are extremely delighted to inform that the Wikimedia Foundation and CIS-A2K have come together in a partnership with Google to launch a pilot project Supporting Indian Language Wikipedias Program to address local online knowledge content gaps in India. In order to engage and support active Wikipedia volunteers to produce valuable new content in local Indian languages, we are conducting a needs assessment survey. The aim of this survey is to understand the needs of the Indic Wikimedia community and ascertaining their infrastructure requirements that we can fulfill during the course of this project.
Please help us by participating in the survey here.
साहित्य का सुक्षमता के साथ परीक्षण करना स्कैनिंग या क्रमवीक्षण कहलाता है।
हिन्दी विकिसम्मेलन
ध्यान दे हिन्दी विकिसम्मेलन २०१८ नई दिल्ली के सिलसिले में कल १० दिसंबर , रविवार को हिंदी समुदाय की गूगल हैंगआउट पर चर्चा होगी आप से निवेदन है कि आप इसमें जुड़े| समय ८.३० रात्री यह लिंक पर। -Abhinav619 (वार्ता) 01:58, 9 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
दिल्ली विकिसम्मेलन की चर्चा से प्रेरित होकर एक विचार आया तो वह रखना चाहूंगा। जैसे विकिसम्मेलन मैं सब धरातल पे एक दूसरे से मिलते है और नाना प्रकार के कार्यक्रम में भाग लेते है, उसी प्रकार से एक ऑनलाइन सम्मेलन भी होना चाहिए निश्चित अंतराल पर। इसमे आप अलग अलग कार्यक्रम निश्चित भी कर सकते है। जैसे चर्चा, ट्रेनिंग, आउटरीच, प्लैनिंग, सुझाव, संपादन प्रतियोगिता, इत्यादि। इसके दो विशेष लाभ होंगे। एक तो इसमें विकिसम्मेलन से अधिक लोग सम्मिलित हो पाएंगे और दूसरा इसमें विकिसम्मेलन से कई गुना कम खर्च में भी किया जा सकता है। साल में एक विकिसम्मेलन ओर सप्ताह या माह में एक ऑनलाइन सम्मेलन का होना काभी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। कृपया सब अपने विचार रखें। Capankajsmilyo (वार्ता) 17:13, 10 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
यह चर्चा समाप्त हो चुकी है। कृपया इसे न बदलें। आगे की वार्ताएँ इस पृष्ठ में नये विभागों में होनी चाहिएँ।
भोपाल के सदस्यो के लिए हवाई यात्रा हेतु आवेदन
भोपाल से ४ सदस्योने दिल्ली विकि सम्मेलन में हवाई यात्रा हेतु आवेदन किया है। जिसमे सुयश जी, स्वप्निल जी, श्रेया जी और सुकीर्ति जी है। भोपाल से दिल्ली का ट्रेन का अंतर ८ से ११ कलाक तक का है। ट्रेन आधी रात को दिल्ली पाहुचती है जो समय अनुकूल नहीं है। साथ में दो स्त्री सदस्य हैं। दिल्ली सम्मेलन के लिए हवाई यात्रा का भी प्रावधान है और इसके लिए बड़ी ग्रांट ली गई है। कृपया अपना मत यहाँ दें। हवाई यात्रा के लिए वर्तमान में सम्मेलन के कम से कम एक महिना पूर्व बुकींग कराने पर डोमेस्टिक फ्लाइट की टिकट वातानुकूलित ट्रेन के दाम में मिल जाती है। अतः निर्णय जल्द हो, अन्यथा बाद में ज्यादा दाम चुकाने पड़ेंगे और फाउंडेशन की रकम का ज्यादा याय होगा।
उपरोक्त चर्चा को एक पुरालेख के रूप में संरक्षित किया गया है। कृपया इसमें कोई बदलाव न करें। आगे की वार्ताएँ इस पृष्ठ पर नये विभागों में होनी चाहिएँ।
हिंदी विकिमीडिएंस सदस्य दल / यूजरग्रुप: भविष्य २०१८
हिंदी विकिमीडिएंस सदस्य दल / यूजरग्रुप:
सबसे पहले में ध्वजवाहकों को धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि उन्होंने पंजीकरण के समय ये जिम्मेदारी उठायी। उस वक़्त ये बात हुयी थी की ध्वजवाहक चुनाव से तय किये जाए। सदस्य-दल बने हुए लगभग एक साल हो चूका है और "जनवरी २०१८ दिल्ली सम्मेलन" में ध्वजवाकको के कार्य और चुनाव पर चर्चा हो सकती है।
विकी के प्रचार का काम आप तो वैसेभी कर सकते हो पर सदस्य-दल के कुछ फायदे है:
आप बड़ी ग्रांट (समूह की ओर से) मांग सकते हो।
विकिमीडिआ का ट्रेडमार्क (लोगो/चिन्ह आदि) इस्तेमाल कर सकते है।
जर्मनी जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिनिधि भेज सकते है।
सदस्य दल में कौन कौन शामिल हो सकता है?
सदस्य-दल हिंदी में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को लिए निशुल्क खुला है।
सदस्य-दल का काम कौन देखता है?
ध्वज-वाहक/बोर्ड मेंबर्स सदस्य-दल का काम देखते है।
ध्वज-वाहक कैसे चुने जाते है?
यूजरग्रुप के सदस्य चुनाव के ज़रिये नेतृत्व का चयन कर सकते है।
अगले चुनाव कब होंगे?
दिल्ली सम्मेलन में चुनाव का प्रस्ताव है।
चुनाव में भाग लेने के लिए दिल्ली आना ज़रूरी है?
आप आये तो बढ़िया है पर अगर आप किसी निजी कारण से नहीं आ सकते तो भी आप चुनाव में हिस्सा ले सकते है।
मतदान कैसे होगा?
गुप्त मतदान किया जा सकता है और ज्यादा लोगों की मांग हो तो खुला मतदान भी ले सकते है।
चुनाव कौन देखेगा? निर्णय आदि कौन तय करेगा?
विकिमीडिआ इंडिया चैप्टर से लोगों को बुलाया जाएगा और पारदर्शिता रखी जायेगी। उनका निर्णय अंतिम रहेगा।
चुनाव में कौन खड़ा रह सकता है?
कोई भी जो हिंदी विकिमीडिआ प्रकल्पो पे विश्वास रखता हो और जो महत्वाकांक्षा से सदस्य-दल को आगे बढ़ाना चाहता है - वो कोई भी सदस्य चुनाव लड़ सकता है।
चुनाव में कौन मतदान कर सकता है?
सदस्य-दल का कोई भी आम सदस्य मतदान कर सकता है।
एक बार में कितने लोगों को मत दे सकते है?
आप ज्यादा से ज्यादा ७ लोगों को मतदान दे सकते है।
महत्वपूर्ण तिथियां
चुनाव नामांकन शुरू: १५ दिसंबर २०१७
चुनाव नामांकन की आखरी तारीख: २५ दिसंबर २०१७
नाम वापस लेने की आखरी तारीख: ३१ दिसम्बर २०१७
सवाल - जवाब : १ - ७ जनवरी २०१८ (कोई भी आपको क्यों चुनना चाहिए इसपर सवाल पूछ सकता है)
अंतिम मतदान: दिल्ली, १४ जनवरी २०१८। दोपहर ४ बजे
निकाल घोषणा: दिल्ली, १४ जनवरी २०१८। शाम ८ बजे
मतदान कैसे और कब होगा?
आप अपना (गुप्त) मत दिल्ली में दे सकते है । आप सम्मेलन में नहीं आ रहे तो कृपया किसी और के साथ मत देने का इंतज़ाम करे, या यहाँ (निचे टिपण्णी में) आपकी मतदान करने की इच्छा व्यक्त करे और कोई और आपको मदत करेगा।
खुद को भी नामांकन दिया जा सकता है। आप ज्यादा से ज्यादा २ लोगों को नामांकित कर सकते है। हर नामांकन के लिए एक प्रस्तावक का होना ज़रूरी है - ये व्यक्ति ऐसी हो जो आपको जानती हो। खुद को नामांकन देने के बाद भी प्रस्तावक चाहिए।
नामांकन :
व्यक्ति का नाम:
प्रस्तावक:
स्वीकृति:
आपका अभी तक का हिंदी के लिए योगदान:
ध्वजवाहक क्यों चुना जाए?:
मिग १५
ध्यान दें, मिग १५ के बारे में एक नई चर्चा शुरू हुई है। कृपया अपनी राय देने के लिए वार्ता:मिग १५ पर जाएँ।
मुझे विकिपीडिया एशियाई माह २०१७ प्रतियोगिता का परिणाम सूचित करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है, @Nilesh shukla: जी विकिपीडिया एशियाई माह २०१७ में हिन्दी भाषा से ३८ लेख बना कर प्रथम स्थान पाने तथा राजदूत बनने पर हार्दिक बधाई तथा @Jayprakash12345: जी विकिपीडिया एशियाई माह २०१७ में हिन्दी भाषा से ३१ लेख बना कर द्वितीय स्थान पाने तथा राजदूत बनने पर हार्दिक बधाई।तृतीय स्थान पर @राजू जांगिड़ और Dharmadhyaksha: रहे। आप जैसे सदस्यों के सक्रिय योगदान से यह प्रतियोगिता अत्यंत सफल हुई और पिछले वर्ष २०१६ में ५ प्रतिभागियों तथा २३ लेखो की तुलना की तुलना में इस वर्ष हिन्दी से इस वर्ष १० प्रतिभागी रहे और कुल ९६ लेख बने, अर्थात प्रतिभागियों की संख्या में दुगनी तथा लेखों की संख्या में चार गुनी वृद्धि हुई। अगले चक्र में १५ दिसंबर,२० दिसंबर और २५ दिसंबर को पत्रव्यहवार अदि हेतु आपके पते के लिए आपसे संपर्क किया जाएगा। एकबार पुनः विकिपीडिया एशियाई माह २०१७ का आयोजक होने के नाते तथा हिंदी समुदाय की और से आपको और सभी प्रतिभागियों को ढेरों बधाई आशा है अगले वर्ष हम इससे भी अधिक सफलता पाएंगे ऎसी आशा है , शुभकामनाओ सहित -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 07:37, 16 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कृपया राजू जांगिड़ का प्रबन्धक पद के लिए नामांकन ध्यान दें। मेरा विश्वास है कि राजू जी ने किसी टिप्पणी से आहत होकर अपना नामांकन वापस ले लिया है। मेरा विचार है कि उसके पहले प्राप्त समर्थन/विरोध के आधार पर उनके नामांकन का परिणाम घोषित किया जाय। इसके साथ ही उन प्रबन्धकों को हटाने की प्रक्रिया आरम्भ की जाय जो सदा से हिन्दी और देवनागरी के विरुद्ध घोषित रूप से या छिपकर कार्य करते रहे हैं। उस आदमी को प्रबन्धक बने रहने का क्या औचित्य है जो आज अपने को 'तकनीकी रूप से माहिर' घोषित कर रहा है किन्तु कल ही ऐसे काम को जो दूसरे जगह पर हो चुका है, चिल्ला-चिल्लाकर उसे भी 'असम्भव' घोषित कर रहा था। हिन्दी विकि पर इतनी सारी (छोटी-छोटी) तकनीकी समस्याएँ मुंह बाए खड़ी हैं, उनकी तकनीकी महारत कहाँ छिप गयी है? अनुनाद सिंह (वार्ता) 14:12, 17 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उधमसिंहनगर
ध्यान दें, उधमसिंहनगर के बारे में एक नई चर्चा शुरू हुई है। कृपया अपनी राय देने के लिए वार्ता:उधमसिंहनगर पर जाएँ।
User group for Military Historians
Greetings,
"Military history" is one of the most important subjects when speak of sum of all human knowledge. To support contributors interested in the area over various language Wikipedias, we intend to form a user group. It also provides a platform to share the best practices between military historians, and various military related projects on Wikipedias. An initial discussion was has been done between the coordinators and members of WikiProject Military History on English Wikipedia. Now this discussion has been taken to Meta-Wiki. Contributors intrested in the area of military history are requested to share their feedback and give suggestions at Talk:Discussion to incubate a user group for Wikipedia Military Historians.
समर्थन-पंकज बिष्ट हिंदी के एक मुर्धन्य रचनाकार है। उनकी उल्लेखनीयता असंदिग्ध है। पंकज बिष्ट वर्तमान में 'समयांतर' पत्रिका के संपादक हैं। इसके अतिरिक्त आज तक उनके पांच कहानी संग्रह और चार उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। ये उपन्यास हैं, लेकिन दरवाजा, उस चिड़िया का नाम, पंख वाली नाव, शताब्दी से शेष। उपन्यास 'उस चिड़िया का नाम' का अंगरेजी सहित अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इतनी ही नहीं इस उपन्यास के लिए उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए भी चुना गया था लेकिन पंकज बिष्ट ने कुछ सैद्धांतिक मुद्दे उठाकर ये पुरस्कार लेने से मना कर दिया। इसलिए मेरा निवेदन है कि इस लेख को न हटाया जाय। ये लेख विकिपीडिया के लिए ज्ञानकोशीय महत्व रखता है।--कलमकारवार्ता04:55, 13 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
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विकीपीडिया हिन्दी संस्करण में पंकज बिष्ट, हिन्दी साहित्य के प्रेरक रचनाकारों में से एक के विकी हिन्दी के प्रारूप बने पृष्ट को सुधारने अथवा दोषपूर्ण-दोषसुधार का टैग लगाने की बजाय शीघ्र हटाये जाने की घोषणा विकी हिन्दी के वरिष्ठ दंडाधिकारियों के हिन्दी साहित्यकारों के प्रति गहन-शोध, मातृ-भाषा के प्रति समर्पितता व हिन्दी साहित्य जगत की विद्वता तथा उनकी उत्तरदायित्वपूर्ण वरिष्ठ-परिपक्वता अधिक सराहनीय व विचारणीय होने के साथ-साथ विचारशील सम्पादकों के लिये अभीष्ट चाहे न हो, परन्तु नवागन्तुकों के हतोत्साहन का सूचक समझना सहज व स्वाभाविक है।
अतिशयोक्ति, प्रचार व व्यावसायिकता को परिभाषित करने वाले शब्दों से यहॉं पर परहेज स्वाभाविक है, हिन्दी के समर्पित उन रचनाकारों के विरुद्ध भी है, जिन्होंने अपने जीवनकाल में हिन्दी साहित्य के प्रति प्राप्त सम्मानों के साथ मिलने वाली अच्छी खासी धनराशियों को स्वसिद्धान्तों के विरुद्ध समझकर अस्वीकार किया (वर्षों का ठीक-ठीक अनुमान प्राप्त न होने के कारण, प्रस्तुत पृष्ठ में सम्मान नामक उपशीर्षक रिक्त छोड़ा गया है)।
इतना ही नहीं पंकज बिष्ट ने भारत सरकार के सूचना व प्रकाशन विभाग के अन्य महत्वपूर्ण पदों (जिनका उल्लेख भी पृष्ठ पर नहीं हुआ है) का कर्तव्यपरायणता के साथ निर्वहन करने के उपरान्त, आज भी दिल्ली के यमुनापार स्थित एक साधारण फ्लैट में अपने छोटे से परिवार व लेखनी के साथ संतुष्ट हैं।
यहॉं पर यह बताना भी शायद उचित हो, पंकज बिष्ट द्वारा सम्पादित की जा रही समयांतर नामक मासिक पत्रिका की कोई भी प्रति देखने से व्यावसायिक व प्रचार शब्द का स्पष्टीकरण स्वत: हो जाता है, जिसे सुविज्ञ पाठक को विज्ञापन रहित पत्रिका कहनें में संदेह नहीं होता।
अतएव, पृष्ट निर्माता होने के माध्यम से, विकीपीडिया हिन्दी संस्करण के मानद मनीषियों से आग्रह करता हूँ कि अपने अधिकारों का विकीपीडिया हिन्दी संस्करण के मानदंडो के अनुरूप उचित निर्वहन करते हुए प्रस्तुत पंकज बिष्ट नामक पृष्ट को शीघ्र सुरक्षित अथवा हटाने-मिटाने की कृपा करें। सधन्यवाद। नगेन्द्र बिष्ट (वार्ता) 04:09, 21 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
ऐसी आभूषणों से अलंकृत भाषा का प्रयोग यहाँ सियार विलाप के मध्य करने की अपेक्षा उपरोक्त लेख में वह सब उद्धृत कर देना अत्यधिक श्रेयस्कर होता (मेरे विचार से)। सियार विलाप इसलिये लिखा कि आपके उपरोक्त शब्द तो यहां वैसे ही लगे जैसे कि सीताजी के सुन्दर आभूषण ऋष्यमूक पर्वत पर कपि-टोली को लगे होंगे। उनका मूल्य श्रीराम के पूज्य हाथों में जाकर लगा, जिससे यह ज्ञात हुआ कि माता इस ओर ही कहीं गयी हैं - ठीक वैसे ही आपके रत्नाभूषण रूपी शब्द उस लेख की सज्जा कर उसमें साहित्य शृंगार का समावेश कर पाते, व हम पिपासु भी अपनी क्षुधा मिटा लेते उस लेख को पढ़कर। भाषा में हुई किसी संभव व अज्ञानतावश भूल को क्षमा करेंगे ऐसी आशा के साथ आपका योगदान चाहूंगा उस लेख में, क्योंकि शायद हम में से कोई उनके क्षेत्र में ज्ञानी नहीं है, तो आप ही मोहिनी बनकर अमृतपान करायें। सादर एवं सधन्यवाद (अग्रिम) - अनुज --आशीष भटनागरवार्ता15:09, 22 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
भावार्थ - एक बडे ही दुष्ट व्यक्ति (साहित्यकार )के द्वारा कानों में अमृत के समान मधुर लगने वाली सूक्तियों (काव्य) का आनन्द लेने के बदले उनमें यत्न पूर्वक केवल दोषों को खोजने की प्रवृत्ति वैसी ही है जैसे किसी सुन्दर उद्यान में जा कर कोई ऊंट कंटीली झाडियों को ही खोज कर अपना भरण पोषण करें।
विकिपीडिया एक सुन्दरत्तम उद्यान है। लेख यहाँ के लता, पत्र, पुष्प, फल हैं। पाठक इस उद्यान के अतिथि हैं। यहाँ अहर्निश ज्ञान की गंगा प्रवाहित होती है। इस नयनरम्य उद्यान में जब आ ही गए हैं तो क्या करना ये ज्ञानियो के विवेक पर निर्भर है। कोई मन को मोहित करने वाले पुष्पों की सगंध लेता हैं, कोई ज्ञानगंगा में कुछ प्रवाहित करता है। शेष सुज्ञजन स्वयं निर्धारित करें।--आर्यावर्त (वार्ता) 17:03, 22 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
राजू जी के साथ जयप्रकाश जी का भी नामांकन हुआ था। उन्हें भी प्रबंधक बनने नहीं दिया गया। प्रातः काल ही उन्होंने हिन्दी विकि का व्हाट्सएप सदस्य दल छोड़ दिया और जिन्दगी रहेगी तो फिर मिलेंगे ऐसा लिखा है। ये मेरे साथ भी हुआ था और मुझे भी बहुत दुःख हुआ था और लंबे काल तक विकि छोड़ दिया था।--आर्यावर्त (वार्ता) 02:38, 21 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
चम्पा षष्ठी के दिन महाराष्ट्र के जेजुरी के खंडोबा मंदिर में भक्तों द्वारा हल्दी के चूर्ण उड़ाते हुए हल्दी की होली के त्योहार मनाने का एक दृश्य। चित्र श्रेय: {{{author}}}
एक विकिपरियोजना आरम्भ की गयी है: विकिपीडिया:विकिपरियोजना पाकिस्तान जिसके बारे में कोई चर्चा नहीं दिखाई देती एवं किसी सदस्य सामी ने स्वयं ही इसे पाकिस्तान संबंधी सभी लेखों के वार्ता पृष्ठों पर इसका सांचा लगा भी दिया है। इस बारे में किसी को कोई चर्चा या सहमति नहीं ली गयी दिखती है। चौपाल के पुरालेखों में भी ढूंढ लिया गया। एस परियोजना में सभी सम्पादन सदस्य:Samee के ही हैं, और केवल एक सम्पादन सदस्य:Salma Mahmoud का है:
सदस्य:Samee जी से आग्रह है कि इस प्रकार के सम्पादन करने से पहले समुदाय में चर्चा करे एवं राय लें। रही बात स्थानांतरण की ,तो इस बाबत चर्चा करके ही कोई निर्णय लिया जाए अन्यथा सब अगर अपने मन से स्थानांतरण करने लगे तो अराजकता फैलेगी।आगे से ध्यान रखे ऐसी आशा। Swapnil.Karambelkar (वार्ता) 13:18, 18 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
वैसे "पाक अधिकृत कश्मीर" के स्थान पर "पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर" करना गलत नहीं है लेकिन इसमें विवाद की स्थिति से बचने के लिए पहले चर्चा करना उचित है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 18:17, 20 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
नमस्कार! मैं आप सभी से क्षमा चाहता हूँ। मुझे इसके बारे में पता नहीं था। मैंने लगभग 2 साल पहले विकिपीडिया:विकिपरियोजना पाकिस्तान शुरू किया था लेकिन किसी ने कोई आपत्ति व्यक्त नहीं की थी। मैं आगे से ध्यान रखूंगा।
आपने हिन्दी विकिपीडिया पर सम्पादन किये, उसका बहुत बहुत धन्यवाद। किन्तु कृपया अपने सम्पादनों को गलत दिशा में न ले जायें। असन्दर्भित तथ्यों का प्रयोग कृपया न करें, न ही सर्वथा गलत या अमर्यादित कार्य करें। भारत में POK क्षेत्र को पाक अधिकृत कश्मीर ही कहा जाता है, अतः इसे जैसे आपने पहले बदला, वैसे पुन न बदलें। न ही किसी अन्य लेख को इस प्रकार बदलें। आपके योगदान पाकिस्तान पर ही केन्द्रित रहे हैं, इसमें यहां कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु उन योगदानों को सकारात्मक रूप से करें, न कि नकारात्मक रूप में। इससे पूर्व भी आपने वि:विकिपरियोजना पाकिस्तान बिना किसी चर्चा या अनुमति के आरम्भ कर दी व पाक सम्बन्धी सभी लेखों पर अनावश्यक रूप से उसका सांचा लगा दिया था। अतः इस प्रकार के कार्य कृपया न करें व हिन्दी विकिपीडिया को निजी सोच का माध्यम न बनाएं। यह एक विश्वकोश है तो वैसा ही रहने दें। शुभकामनाएं:--आशीष भटनागरवार्ता06:18, 18 दिसम्बर 2017 (UTC)1[उत्तर दें]
मैं यहाँ स्पष्ट शब्दों में ये बताना चाहता हूँ कि मेरा कोई प्रो-पाकिस्तान या कोई भारत विरोधी एजेंडा नहीं है।
मैं हिन्दी विकिपीडिया को निजी सोच का माध्यम नहीं समझता। मैं इसे विश्वकोश ही समझता हूँ। एक प्रबंधक द्वारा उपरोक्त लिखित (सदस्य वार्ता:Samee से) में एक तेज विपरीत है। हमारे यहाँ भारतीय कश्मीर को मक्बूज़ा कश्मीर (अधिकृत कश्मीर) कहा जाता है, उर्दू विकिपीडिया पर भी निष्पक्ष शब्द का उपयोग किया गया है। एक प्रबंधक ने यह पृष्ठ हटा दिया, जिसे हटाना जरूरी नहीं था। लेकिन फ़िर भी मैं इस के लिए भी माफी चाहता हूँ क्योंकि मुझे चर्चा करना चाहिए था।
जहाँ तक जलालपोर जट्टाॅं को जलालपुर जट्टाॅं पर स्थानांतरण का सवाल है तो वह मैं ने इस लिए किया क्यूंकि वर्तनी में कुछ ग़लती थी और इस पृष्ठ को मैं ने ही बनाया था।1
We wanted to inform you that scholarship applications for Wikimania 2018 which is being held in Cape Town, South Africa on July 18–22, 2018 are now being accepted. Applications are open until Monday, 22 January 2018 23:59 UTC.
Applicants will be able to apply for a partial or full scholarship. A full scholarship will cover the cost of an individual's round-trip travel, shared accommodation, and conference registration fees as arranged by the Wikimedia Foundation. A partial scholarship will cover conference registration fees and shared accommodation. Applicants will be rated using a pre-determined selection process and selection criteria established by the Scholarship Committee and the Wikimedia Foundation, who will determine which applications are successful. To learn more about Wikimania 2018 scholarships, please visit: wm2018:Scholarships.
It is highly recommended that applicants review all the material on the Scholarships page and the associated FAQ before submitting an application. If you have any questions, please contact: wikimania-scholarships at wikimedia.org or leave a message at: wm2018:Talk:Scholarships. Please help us spread the word and translate pages!
साँचा:Convert को लुआ आधारित कर दिया गया है। हालांकि इसका पूरा अनुवाद नहीं हुआ है। लेकिन वर्तमान मे हिन्दी विकिपीडिया पर उपलब्ध सभी साँचो का इसमे समावेश कर दिया गया है। तो अभी के लिए किसी भी प्रकार की पूर्ण अनुवाद की जरूरत नहीं है। यदि किसी भी साँचा:Convert से संबन्धित लेख मे कोई त्रुटि दिखे तो मेरे वार्ता पेज कर सूचित कर दे। कुछ अनुवाद को सदस्य:Jayprakash12345/प्रयोगपृष्ठ पर देखा जा सकता है। धन्यवाद--जयप्रकाश >>> वार्ता01:57, 27 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उपकरण
यह चर्चा समाप्त हो चुकी है। कृपया इसे न बदलें। आगे की वार्ताएँ इस पृष्ठ में नये विभागों में होनी चाहिएँ।इसका संक्षिप्त परिणाम निम्न रहा:
किये जा चुके बदलावों पर सदस्यों द्वारा कोई आपत्ति/सुझाव न व्यक्त करने और नए प्रस्तावों में कोई रुचि न लेने की स्थिति में यथास्थिति रखते हुए चर्चा समाप्त की गयी। --SM7--बातचीत--15:20, 10 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
नमस्ते, पिछले दिनों कई गैजेट्स के पुराने पड़ जाने से समस्याएँ उत्पन्न हुईं। समस्या चिह्नित करने वाले सदस्यों को धन्यवाद, विशेषकर सदस्य:Jayprakash12345 जी को जिन्होंने कई उपकरणों के त्रुटियुक्त होने को सूचित किया।
इस क्रम में कई उपकरणों को अद्यतन किया गया है। कुछ कार्य न कर रहे उपकरणों को असक्रिय किया गया है (हटाया नहीं बल्कि छिपाया गया है) जिन्हें तत्काल अद्यतन करना संभव नहीं था; हालाँकि, यदि इन्हें कोई अद्यतन करे और दुबारा कार्यशील बनाए तो पुनः सक्रिय और सूची में प्रदर्शित किया जा सकता है।
कई उपकरणों का विवरण (पाठ जो उनके परिचय के रूप में वरीयताओं में दिखता है) अद्यतन किया गया है और सूची को देवनागरी वर्णमाला के क्रम में किया गया है, यदि इन बदलावों पर किसी को आपत्ति हो तो तत्काल इन्हें वापस लिया जा सकता है।
इस क्रम में आगे कुछ अन्य बिंदु हैं जिनके लिए समुदाय की सहमति/सहयोग/सुझाव आवश्यक हैं:
उपरोक्त कार्यशील नहीं थे, इन्हें सुधारने हेतु सदस्यों का स्वागत है।
नए उपकरण शामिल करने हेतु
1. RTRC
पुनरीक्षण हेतु उपकरण। इसे अभी तक पुनरीक्षकों और प्रबंधकों द्वारा मेटा विकि से अपने व्यक्तिगत .js में लेकर इस्तेमाल किया जाता है। इसे वरीयताओं में उपलब्ध कराना उचित प्रतीत हो रहा। अंग्रेजी, पंजाबी, बंगाली इत्यादि विकिपीडियाओं पर ऐसा पहले से है। मूल उपकरण यहाँ नहीं स्थापित किया जाना है बस वरीयताओं में उपलब्ध कराना है।
2. Cat-a-lot
HotCat की तरह श्रेणीकरण में सुविधाजनक उपकरण। हाल में कुछ सदस्यों द्वारा इसके उपयोग को देखते हुए इसे वरीयताओं में उपलब्ध कराना।
मोनोबुक के लिए काले बैकग्राउंड में हरे रंग में पाठ दिखाने के लिए। वर्तमान उपयोग शून्य।
अन्य कोई उपकरण, जो सदस्यों को लगता है कि पुराना हो गया है और आवश्यक नहीं हटा देना चाहिए यहाँ सुझावित करें और सदस्यों से सहमति लें।
मत यहाँ व्यक्त करें:
क्या हटाने का कारण यहीं है कि अब काम का नहीं है? या तो कोई उपयोग नहीं कर रहा? अगर हाँ तो हटाने या न हटाने से कोई फायदा नहीं। न हटाया जाए तो कभी किसीको उपयोग करना भी हो तो कर सकते हैं।--आर्यावर्त (वार्ता) 01:42, 28 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उपरोक्त चर्चा को एक पुरालेख के रूप में संरक्षित किया गया है। कृपया इसमें कोई बदलाव न करें। आगे की वार्ताएँ इस पृष्ठ पर नये विभागों में होनी चाहिएँ।
जयप्रकाश जी के प्रबन्धक के लिए नामांकन का परिणाम
जयप्रकाश जी के प्रबन्धक पद के लिए नामांकन के परिणाम मुझे समझ में नहीं आ रहा है। कृपया प्रबन्धकगण स्पष्ट करें कि मतों की गिनती किस प्रकार हुई है। किन लिखित नीतियों के अनुसार उन्हें प्रबन्धक नहीं बनाया जा सका? अनुनाद सिंह (वार्ता) 11:44, 27 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद जी, आप यदि केवल वहाँ के मतदान को समझना चाहो तो मैं आपसे व्यक्तिगत चैट (हैंगआउट) पर बात करना पसन्द करूँगा और आपके प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करूँगा। यदि आप यहाँ उत्तर चाहते हो तो कृपया प्रश्न को स्पष्ट करें, वहाँ पर सबकुछ बहुत ही स्पष्ट शब्दों में लिखने का प्रयास किया गया है फिर भी आपके सभी प्रश्नों का समाधान करने का प्रयास किया जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 17:24, 27 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव कुमार जी, मेरा विचार है कि यदि यह चर्चा सार्वजनिक हो तो सबको लगेगा कि हिन्दी विकि पर पारदर्शिता की कमी नहीं है। आपने वहाँ लिखा है कि जयप्रकाश जी को 'तकनीकी प्रबन्धक' बनाने की बात हुई थी। यह बात कहाँ हुई थी, कृपया बतायें। यदि तकनीकी प्रबन्धक बनाने की बात हुई थी तो तकनीकी प्रबन्धक के चुनाव के नियम क्या/कहाँ लिखे हैं? तीसरी बात- यह निर्णय कैसे ले लिया गया कि अमुक-अमुक लोगों के मत ही मान्य होंगे? मतदान के पहले ही क्यों स्पष्ट नहीं किया गया कि इसमें सबको मतदान करने की आवश्यकता नहीं है? अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:30, 28 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद सिंह जी, संजीव जी ने कोई भी निर्णय लिया होगा तो वह नीति के अनुसार ही लिया गया। में पहले ही उन पर कई बार गलत आरोप लगा चुका हु। में अब वह दोहराव नहीं चाहता। मुझे लगता है सभी चीजे नीति के अनुसार हुई होगी। शायद अभी में ही प्रबन्धक बनने के काबिल नहीं हु।--जयप्रकाश >>> वार्ता16:48, 28 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
कुछ चर्चा मेरे वार्तापृष्ठ पर भी हुई है जो देख सकते हैं। प्रबंधक चाहे तो अभी भी निर्णय बदल सकते हैं, जो निर्णय लिया वहीं सही रख सकते हैं और चाहे तो मेटा पर भी स्टुअर्ड के द्वारा निर्णय हो सकता है। प्रबंधकों से अनुरोध है कि बड़ा दिल रखें।--आर्यावर्त (वार्ता) 01:49, 28 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह और आर्यावर्त: मुझे पारदर्शिता से कोई आपत्ति नहीं है, मुझे सार्वजनिक चर्चा से भी ऐतराज नहीं है लेकिन कुछ बातें पर्दे के पिछे हो जायें तो भी अच्छी होती हैं। 'तकनीकी प्रबन्धक' की बात नामांकन में तथा बाद में चर्चा में हुआ है। कृपया चर्चा को देखें। वैसे मेरी कुछ लोगों (प्रबन्धकों से) बात अन्य माध्यमों पर भी हुई थी और इसी बातचीत के लिए मैंने कुछ दिनों रोककर रखा था। तकनीकी प्रबन्धक के नियम भी नियमावली में आंशिक रूप से लिखे हैं। यदि आप सम्बंधित नियमावली के नियम 2 और नियम 4 को देखो तो प्रबन्धकों के कार्यों की समीक्षा को समझा जा सकता है। हाँ, ये नियमावली इतनी अधिक स्पष्ट नहीं है अतः मैंने इसके चयन में कोई तरिका अपनाना था तो मैंने भी एक नियम अपनाया। यदि आपको यदि इसके स्थान पर कोई अन्य प्रस्ताव उचित लगता है तो आपके सुझाव का स्वागत किया जायेगा। किसी के भी मतदान को गलत नहीं बताया जा सकता और यह चर्चा में भाग लेने वाले सभी सदस्यों की नैतिक सोच पर निर्भर करता है कि कहाँ मतदान करना है और कहाँ नहीं। उदाहर्णार्थ मैं अधिकतर जगहों पर मतदान में भाग लेना पसन्द नहीं करता जबकि पहले हर जगह भाग लेना पसन्द करता था। इसमें कोई मनाही नहीं होती। हाँ, बहुत ही नये सदस्यों को ऐसे मतदान में भाग लेने से मना किया जाता है और उनके मतों को कभी भी महत्त्व भी नहीं दिया जाता। आर्यावर्त जी, आप बार-बार मॅटा पर जाने की बात करते हो लेकिन मॅटा पर जाकर निर्णय तब लेने को कहते हैं जब अपने यहाँ से बात स्पष्ट न हो अथवा अधिकार क्षेत्र में न हो। अभी अपने यहाँ पर तत्कालीन समय में स्थिति स्पष्ट रही है, हालांकि नामांकन के सफल होने पर अधिकार देने की सुविधा यहाँ उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा यह कहीं नहीं लिखा हुआ कि जिस सदस्य का नामांकन एक बार असफल हो जाता है वो भविष्य में प्रबन्धक नहीं बन सकता। अपने यहाँ पर बहुत लोग ऐसे प्रबन्धक रहे हैं जिनके नामांकन असफल भी रहे हैं अतः इस बात को इस तरह न लें कि जयप्रकाश जी का नामांकन असफल हो गया है, बल्कि ऐसे लें कि उनका प्रबन्धक बनना कुछ समय के लिए स्थगित हो गया है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 17:54, 28 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उस सदस्य के बुरे बर्ताव का क्या? इस विकी के बाहर फ़ेब्रिकेटर के प्रबन्धक ने उस सदस्य के बुरे बर्ताव और ग़लत शिष्टाचार को पहचाना। लेकिन निर्णय के कारण में इसके बारे में एक लफ़्ज़ भी नहीं निकला? ऐसा क्यों? अगर ये बुरा बर्ताव बाहर वालों से भी देखा जा रहा है तो आप से क्यों नहीं? चाहे जितने भी वोट मिले, आप भले ऐसे बर्ताव करने वाले लोगों को कैसे प्रबन्धकीय ज़िम्मेदारी सौंप सकते हैं?
नामांकन पृष्ठ पर सदस्य:चक्रपाणी ने कहा "अस्थाई प्रबंधक पद हेतु समर्थन, ताकि उक्त सदस्य अपने आप को नीतियों से अवगत करा सके व आगे के लिये अनुभव प्राप्त कर सके।"
तो इस समर्थन वोट से ही चक्रपाणी ने इस बात का इज़हार किया कि ये सदस्य इस वक़्त पूरी तरह से विकी की नीतियों से वाक़िफ़ नहीं है। क्या विकिनीतियाँ सीखने के लिए पद की ज़रूरत है? प्रबन्धक बनने के लिए विकी की नीतियों से वाक़िफ़ होना ज़रूरी नहीं है क्या? आख़िर ये विकिनीतियों को कैसे क़ायम रखेगा जब ये ख़ुद उन नीतियों से मुतआरुफ़ नहीं है? --सलमा महमूद22:42, 28 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@संजीव कुमार: जी, मैंने तो चर्चा कब की समाप्त कर दी थी। चर्चा का कारण ये था कि नामांकन मैंने ही किया था जो असफल होने के विषय में कुछ सवाल थे। एक उद्देश्य ये भी था कि इन सभी मुद्दों से आपको अवगत कराया जाए और भविष्य में ही सही हम ऐसी नीति का निर्माण कर पाए जो अधिक स्पष्ट हो। मैं तो आपको प्रशासक के रूप में देखना चाहता हूं किन्तु इसके लिए आवश्यक है कि प्रशासक सदस्यों को अधिकार देने में अधिक रुचि रखता हो, न कि रोकने में। आप कार्यशालाओं में अनुभवी सदस्यों को पुनरीक्षण और प्रबंधन कार्य का प्रशिक्षण दे भी रहे हैं ये अच्छी बात है। भूतकाल में मेरे भी बहुत से नामांकन असफल रहे हैं। मैं भी अभीतक प्रबंधक नहीं बन पाया। मैं न सही, दूसरे तो सही। इसलिए मेरा रवैया अनुभवी सदस्यों को अधिकार देने के पक्ष में रहा है और समयांतर पर अनुभवी सदस्यों का नामांकन करता भी रहता हूँ।
आप से जो सवाल पूछे गए थे स्पष्टता के लिए चर्चा आवश्यक थी। समस्या का मूल अस्पष्ट नियमों है। आपके, यहाँ और मेरे वार्तापृष्ठ पर विस्तृत प्रत्युत्तर देने के लिए धन्यवाद।--आर्यावर्त (वार्ता)|
@संजीव कुमार: जी, मैने चर्चा का पुनः पाठ किया। उसमें 'तकनीकी' शब्द आया है, न कि 'तकनीकी प्रबन्धक' । लोगों ने जयप्रकाश जी के अच्छे तकनीकी ज्ञान की बात कही है, न कि उन्हें 'तकनीकी प्रबन्धक' बनाने की। वैसे भी इस मामले में केवल यह देखना चाहिए कि हिन्दी विकि पर क्या नियम है, न कि चर्चा में किसने क्या मत रखा है। मुझे अच्छी तरह पता है कि जो निर्णय आपने लिखा है वह जरूरी नहीं कि आपका अपना मत हो। वह शायद सामूहिक मत है। यदि आप मानते हैं कि यह निर्णय बिना किसी नीति/नियम के हुआ है तो निर्णय को तुरन्त बदला जाय। न्याय के प्रचलित नियमों के अनुसार भी सन्देह/नियमों की अस्पष्टता का लाभ केवल जयप्रकाश जी को मिलना चाहिए। प्राप्त मतों के प्रशितत की गणना उसी रीति से की जाय जिस रीति से अभी तक यह हो रहा था। नया कुछ करना हो तो नयी नीति बनायी जाय, उस पर मतदान कराकर उसे स्वीकृत किया जाय और फिर उसके अनुसार निर्णय लिए जाँय। कुछ दिन पूर्व भारतीय राज्यसभा के चुनावों में परिणाम की घोषणा और पुनर्घोषणा अभी सबको याद होगी।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) 02:54, 29 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@Salma Mahmoud: आपने उपर उचित भाषा का उपयोग नहीं किया है। आपको सम्बंधित सदस्य से आपकी भाषा के लिए माफी मांगनी चाहिए। हिन्दी विकि पर नियमावली के अनुरूप आप सभी सदस्यों को "जी" लगाकर बात करोगे। प्रबन्धक कोई पद नहीं है, केवल सम्पादन के कुछ अधिक उपकरणों तक पहुँच मात्र है। फैब्रिकैटर की चर्चा की कड़ी मेरे वार्ता पृष्ठ पर दें।
@आर्यावर्त: कोई नियम अस्पष्ट नहीं है, हाँ समझने वाले का तरिका अलग-अलग हो सकता है। इसी कारण शायद आपको मेरी बातें मुश्किल से समझ आती है। मेरा मानना है कि हिन्दी विकि को अभी प्रशासक की जरुरत नहीं है।
@अनुनाद सिंह: 'तकनीकी प्रबन्धक' कोई अलग से अधिकार नहीं है, यह शब्द मैंने इसलिये काम में लिया था कि कुछ लोग प्रबन्धन अधिकार केवल इसलिए देना चाहते हैं कि वो केवल तकनीकी कार्य सम्भालेंगे। मैंने अपना मत नहीं लिखा, केवल हिन्दी विकि की नियमावली के अनुरूप लिखा है। नीति/नियम के विरुद्ध कुछ नहीं हुआ। प्रचलित नियमों के किसी भी सन्देह की अस्पष्टता यहाँ नहीं थी। विकिपीडिया लोकतंत्र नहीं है, यहाँ सब फैसले केवल बहुमत से नहीं होते बल्कि नीति से होते हैं।☆★संजीव कुमार (✉✉) 10:10, 29 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@संजीव कुमार: जी, आपका यह उत्तर लोकतन्त्र और विकि की भावना के अनुरूप नहीं है। आपने जो लिखा है वैसा कभी नहीं हुआ है। आपके तीन उत्तर (सन्देश) तीन तरह के हैं। तीनों में सच्चाई से भागने की कोशिश स्पष्ट दिख रही है। बिना लाग लपेट के कहूँ तो यह लोकतन्त्र की हत्या है। दो लाइन पहले आप लिखते हैं कि "प्रबन्धक कोई पद नहीं है, केवल सम्पादन के कुछ अधिक उपकरणों तक पहुँच मात्र है" और यहाँ लिख रहे हैं कि मतदान का कोई मतलब नहीं प्रबन्धकों के निर्णय से ही प्रबन्धक बनते हैं। इस निर्णय को उलटना बहुत जरूरी है। पहले आपने लिखा कि सभी शंकाओं का समाधान करेंगे। पहले आपने दिखाने की कोशिश की कि जयप्रकाश को मतदान में कम प्रतिशत के कारण प्रबन्धक नहीं बनाया जा सकता। अब उसके ठीक उलटा कैसे बोल रहे हैं कि विकि लोकतन्त्र नहीं है? -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:29, 29 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह: जी नहीं, प्रबन्धक नीति और सर्वसम्मति से बनते हैं, मैं कभी नहीं कहता कि प्रबन्धकों की इच्छा से प्रबन्धक बनते हैं। प्रबन्धक पद नहीं है, ये अब भी कह रहा हूँ। अपना वर्तमान विषय लोकतंत्र के बारे में नहीं है अतः मैंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की जो लोकतंत्र को सही अथवा गलत कहे। मेरे तीन उत्तर तीन तरह के कैसे हैं? मैंने सच्चाई से भागने की कोई कोशिश नहीं की है। सम्बंधित सदस्य ने आपसे (और मुझसे भी) उपर अनुरोध किया है कि हम उनके इस नामांकन के बारे में चर्चा करें, फिर भी हम ऐसा करके साथी सदस्य का अपमान कर रहे हैं, जिसके लिए मैं साथी सदस्य से क्षमा चाहता हूँ। लोकतंत्र की हत्या का यहाँ कोई अर्थ ही नहीं है, यदि आपको यह लगता है कि मैं लोकतंत्र की हत्या करने लग गया हूँ तो मैं प्रबन्धन अधिकार छोड़ने को भी तैयार हूँ, आज भी मुझे इन अधिकारों से कोई मोह नहीं है और पिछले १ माह को छोड़ दिया जाये तो मैं वर्तमान में इन अधिकारो को घसीटने के अतिरिक्त कुछ कर भी नहीं रहा। शंकाओं का समाधान का प्रयास किया है, कर रहा हूँ और आगे भी करूँगा लेकिन आपकी शंका भी समझ आनी चाहिये। क्या अकेले आपके विचारों को पढ़कर निर्णय को पलटना ही शंका का निवारण है? यदि हाँ, तो मैं शंकाओं को दूर करने में पूर्णतः असमर्थ हूँ।☆★संजीव कुमार (✉✉) 13:53, 29 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
आप सभी से अनुरोध है कि किसी प्रकार का झगड़ा न करे। संजीव जी आपने हिन्दी की इतनी सेवा की है उसके सामने में या मेरा योगदान एक कूड़े के समान है। अंत आप मेरे कारण विकि छोड़कर नहीं जाना। में चाहता हु चर्चा यही समाप्त हो जाए।-जयप्रकाश >>> वार्ता15:00, 29 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@Jayprakash12345: जी, आपने सोच भी कैसे लिया कि यहाँ झगड़ा हो रहा है? आप निश्विन्त रहें और भावना में न बहे। और मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यहाँ जबरदस्ती आपको अधिकार दिलवाने के लिए कोई झगड़ा नहीं हो रहा है और न तो आपके बार बार आपके अनुरोध के बाद भी आपके ऊपर कोई चर्चा हो रही। ये एक नीति विषयक चर्चा है। विकिपीडिया में आपके पहले भी बहुत से नामांकन हुए थे और भविष्य में भी बहुत से नामांकन होते रहेंगे। ये उन सभी से जुड़ा है। आपकी इस प्रकार की टिप्पणी से मुझे बहुत ही दुःख हुआ कि अपने इसे झगड़ा का स्वरूप दे दिया।--आर्यावर्त (वार्ता) 05:19, 30 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@संजीव कुमार: जी, मैं पहली बार आपको उत्तर देते हुए देख रहा हूँ जिसमें प्रश्न और उत्तर का कोई तालमेल नहीं है। आप मान रहे हैं कि 'तकनीकी प्रबन्धक' का कोई पद नहीं है। फिर आपकी परिणाम घोषणा के सन्दर्भ में लिखी हुई सारी बातें (किसके-किसके मत गिने गये हैं) शून्य (null and void) हों जातीं हैं। यदि आप कह रहे हैं कि यह परिणाम नीति के अनुसार हुआ है तो बताइये कि आज तक कब (किस मामले में) इस तरह से मतों की गिनती की गयी है। संजीव कुमार जी, आप जो कुछ भी लिख रहे हैं वह किसी के दबाव में लिख रहे हैं। मेरा मन कह रहा है कि मैं इसी बात पर हिन्दी विकि से नाता तोड़ लूँ। किन्तु इससे हिन्दी विकि का नुकसान के अलावा कोई लाभ नहीं होगा। इसलिये मैं यह काम नहीं करुँगा। यदि अलगले ५ दिनों के अन्दर इस निर्णय को नहीं बदला गया या इस निर्णय को न बदलने का संतोषजनक (और नीतिसम्मत) जवाब नहीं दिया जा सका तो हिन्दी विकि पर मैं एक नया अभियान चलाऊँगा। - अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:03, 30 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@अनुनाद सिंह, आर्यावर्त, और Jayprakash12345: मैंने विकि छोड़ने की बात नहीं की। केवल अपने अधिकार छोड़ने की कही है। विकि को तो कुछ ही हालत में छोड़ूँगा: (१) स्वयं की समय न दे पाने की समर्थता अथवा (२) यहाँ से प्रतिबन्धित करके निकालने पर। अन्य सभी बातों का उत्तर दे चुका हूँ। मैं किसी के दवाब में नहीं लेकिन जिनके लिए चर्चा चल रही है, उनकी अनुमति नहीं है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 14:39, 30 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@संजीव कुमार: जी, चर्चा वहाँ पहुँच गयी है जहाँ जयप्रकाश जी को अब स्पष्ट करना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं। @Jayprakash12345: जी, यदि आप हिन्दी विकि पर प्रबन्धक का उत्तरदायित्व स्वीकारने के लिए तैयार हैं तो साफ-साफ लिखें कि आप यह चुनौती स्वीकारने के लिए अब भी तैयार हैं। यदि आप अब प्रबन्धक बनने के इच्छुक नहीं हैं तो ऐसा साफ-साफ लिखें। यदि आप इस विषय में यहाँ कुछ भी नहीं लिखते हैं तो भी समझा जाएगा कि आप प्रबन्धक बनने के इच्छुक नहीं हैं। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) 02:10, 31 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
अनुनाद सिंह गुरु जी, जब मैं विकि पर आया था। तब सम्पादन के अलावा कोई भी ज्ञान नहीं था। मैंने अपने आप ही बॉट से लेकर मीडियाविकि तक सीखा है। इसलिए यह बात स्पष्ट है मैं कभी भी चुनौती को अस्वीकार नहीं करता। यदि मुझे कोई चीज नहीं भी आती है तो मैं सीख लेता हूँ। परंतु आपकी गलतिया आपकी गर्दन की तरह होती है। जिसे आप खुद नहीं देख सकते। बल्कि कोई दूसरा ही आपको बता सकता है। मैं हर समय नई चुनौती को स्वीकार करने के लिए आगे रहता हूँ। परंतु बड़ो के सम्मान को ठेस पहुँचकर मैं किसी भी ऐसी चुनौती को स्वीकार करूँ। यह सही नहीं है। अनामदास जी जैसे उदारवादी व्यक्ति ने भी मुझे समर्थन नहीं किया यह भी मेरे विरोध से कम नहीं है। जब आप सभी मुझे एक मत से यहाँ चुनौती देंगे तभी मेरा प्रबन्धक बनाना सही रहेगा।-जयप्रकाश >>> वार्ता05:24, 31 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
@Jayprakash12345: जी, आपके इस सन्देश का अर्थ मैं यह समझ रहा हूँ कि जब सभी लोग आपको प्रबन्धक बनाने के पक्ष में मत देंगे तब तक आप प्रबन्धक बनना पसन्द करेंगे। यदि ऐसा विचार आरम्भ में ही (अपनी स्वीकृति देते समय) लिख दिये होते तो हम सभी का बहुत सा समय बच जाता। - अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:43, 31 दिसम्बर 2017 (UTC)[उत्तर दें]
उपरोक्त चर्चा को एक पुरालेख के रूप में संरक्षित किया गया है। कृपया इसमें कोई बदलाव न करें। आगे की वार्ताएँ इस पृष्ठ पर नये विभागों में होनी चाहिएँ।
I respectfully disagree Your Honour
We are being conditioned to have faith that certain rights have nothing to do with authority, dominance or power.It's only ability to operate some more technical tools.What an honest proclamation...it's anything but simplicity.Users like us are active like watchdog correcting errors, indicating vandalism.However privileged few are somehow enjoying their super-specialties ultra-immunity and spiritual simplicity overlooking TAGs or lumpen-ism on hi-W.P....I bow my head before thee Me Lord...Keep it up!!!--कलमकारवार्ता18:21, 2 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
आपके अलविदा विकिपीडिया!!!' कहने का मुझे दु:ख है। कृपया यहाँ रुक जाइये और जो भी आप योगदान देना चाहें दीजिए, भले ही आप छोटे बदलाव करें या पूरे लेख लिखें। पिछले कुछ महीनों से मुझे हिन्दी विकिपीडिया की राजनीति से दु:ख हुआ है, जिसके कई कारण हैं:
* कई मामलों में प्रबंधक कुछ नहीं कहते, मगर कुछ अन्य सदस्य निर्णय लेते हैं या आधिकारिक रूप से कहते हैं।
* विकिमीडिया-भारत परामर्श में जहाँ हिन्दी विकिपीडिया के सम्बंध में पहली बार ज़ोरदार माँगें रखी गई थी, जिनके आधार पर प्रथम हिन्दी विकि-सम्मेलन का आयोजन सम्भव हो सका, उसके लक्ष्यों को कोने में डाल दिया गया। दूसरे हिन्दी विकि-सम्मेलन का एक मुख्य बिन्दु यह प्रस्ताव था कि एक प्रबंधक को विकिमेनिया सम्मेलन भेजा जाए। यह भी कहा गया कि कोई और सदस्य विकिमेनिया की छात्रवृत्ति का आवेदन न दे।
* ऐसे सदस्यों को हिन्दी विकिपीडिया का प्रतिनिधि/ प्रवक्ता समझने में कोई बुराई नहीं मानी जाती है जो यहाँ नवागंतुक हों, जिन्होंने न तो हज़ार-दो हज़ार सम्पादन किये हों और न ही कोई सौ लेख लिखे हैँ। जबकि हिन्दी विकिपीडिया के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे / प्रयत्नशील सदस्यों को सीधे तौर पर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
इसी चौपाल पर एक सदस्य ने मुझ पर आरोप लगाया कि मैं केवल हवाई यात्राओं का इच्छुक हूँ। गत वर्ष विशाखपट्टनम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में मैं बस के धक्के खाते हुए गया और ट्रेन से वापस आया। किसी के मुँह से और कोई निराधार आरोप न निकले, इसके लिए मैं किसी हिन्दी सम्मेलन के लिए न तो छात्रवृत्ति का आवेदन दे रहा हूँ और न ही अपना नाम आगे कर रहा हूँ। मैं इस वर्ष विकिमेनिया भी नहीं जाने का निर्णय कर चुका (शायद मेरे न जाने से किसी और सदस्य को इस वैश्विक सम्मेलन में जाने का अवसर मिले)। आपके अलविदाई सन्देश पर किसी और सदस्य का कुछ न कहना यहाँ के वातावरण में पाई जाने वाली तानाशाही और उदारता की कमी दिखाता है। मैं यहाँ केवल एक पुनरीक्षक हूँ, छोटा-सा सेवक हूँ, मैं आपसे सविनय निवेदन करता हूँ कि हिन्दी विकिपीडिया मत छोड़िये। --मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 12:11, 5 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
@कलमकार: जी मुझे लगता है आप अंग्रेजी विकिपीडिया पर अपना खाता अवरुद्ध होने के कारण दुखी है पर आप इससे दुःखी क्यों हो रहे है? आप हिंदी विकिपीडिया पर अपना अमूल्य योगदान देकर इसे आगे बढ़ाएं। मेरी आपसे यही विनती है की हिंदी विकिपीडिया को आप जेसे अनुभवी सदस्यों की जरूरत है, कृपया इसे अलविदा न कहे। अगर आप यहाँ रुकेंगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। HindWikiConnect09:18, 7 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
@HindWIKI: जी, बात तो सही कह रहे हैं आप। दु:खी जरूर हूं। वो इसलिए कि अब तो रोजी-रोटी के ही लाले पड़ गए। अब घर-गृहस्थी कैसे चलेगी समझ में ही नहीं आ रहा है। पूरी तरह से बेरोजगार हो चुका हूं। लेकिन क्या करें मैंने विकिपीडिया के साथ इतनी बर्बरता दिखाई अवरुद्ध होना ही पड़ा। साथ में मेरे ऑफिस के कुछ दूसरे नौजवानों को भी अवरुद्ध होना पड़ा। अब वो भी बेरोजगार होकर मेरी तरह से सड़क पर हैं। अच्छा किया आपने पूछ लिया वर्ना यहां तो व्यक्तिगत मेल करने के बाद भी संत-महात्माओं को फुर्सत नहीं। रही योगदान करने की बात तो अब और कितनी बर्बरता का प्रदर्शन किया जाए। कुछ शर्म तो बाकी ही है अपने अंदर। टिप्पणी के लिए आभार--कलमकारवार्ता03:19, 8 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
@मुज़म्मिलुद्दीन: जी, संदेश के लिए आभार, साथ ही विकिपीडिया के एक अन्य मित्र को भी मेरी ओर से हार्दिक आभार जिन्होंने फोन पर वजह जानने का कष्ट उठाया। दरअसल मैंने किसी तकलीफ की वजह से इस जगह को अलविदा नहीं कहा बल्कि हैरान करने वाली खुदगर्जी को देखकर यहां से रुख़सत हुआ। खैर विस्तार में जाने की अब कोई आवश्यकता नहीं, जब समुदाय को इस बात मे कोई रुचि नहीं। मेल पर आप लोगों का संदेश मिला तो जवाब देना मेरा फर्ज़ था। आप तीनों का बहुत-बहुत आभार--कलमकारवार्ता03:19, 8 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
नमस्कार मित्रों, मैं हिंदविकि आज से अंग्रेजी व हिन्दी विकिपीडिया को छोड़ रहा हूँ। विकिपीडिया पर तानाशाही को देखते हुए, मैं यह कदम उठा रहा हूँ। @कलमकार: अब मैं भी आपके साथ हूँ। मेरी वजह से कोई गलती हुई हो तो क्षमा करें। HindWikiConnect12:48, 8 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
मैंने अपने एक लेख में Jainologist के लिए जैनधर्मविद शब्द का प्रयोग किया है। यदि इस शब्द के स्थान पर कोई और शब्द उचित है तो माननीय सदस्यगण मुझे सूचित करें। धन्यवाद। --मुज़म्मिलुद्दीन (वार्ता) 16:43, 12 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
हिंदी विकिपीडिया पर उपस्थित सभी सदस्यगणों को मेरा नमस्कार। मैं विकिपीडिया पर नयी हूँ लेकिन मैं विकिपीडिया पर पहले बिना कोई खाते से आईपी से संपादन करती थी। अब मैं हिंदी विकिपीडिया पर आपके साथ इसे और सुदृढ़, विस्तृत एवं ज्ञानकोश योग्य बनाने मे मदद करुँगी। Sandman Girl (वार्ता) 11:39, 13 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
It is being planned to organize Wikigraphists Bootcamp in India, please fill out the survey form to help the organizers. Your responses will help organizers understand what level of demand there is for the event (how many people in your community think it is important that the event happens). At the end of the day, the participants will turn out to have knowledge to create drawings, illustrations, diagrams, maps, graphs, bar charts etc. and get to know to how to tune the images to meet the QI and FP criteria. For more information and link to survey form, please visit Talk:Wikigraphists Bootcamp (2018 India). MediaWiki message delivery (वार्ता) 12:43, 15 जनवरी 2018 (UTC)[उत्तर दें]
अनुवाद
विकिग्राफिस्ट बूटकैम्प (2018 भारत)
नमस्कार ,भारत में विकिग्राफिस्ट बूटकैंप आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है, कृपया आयोजकों की सहायता के लिए नीचे दी गई लिंक से सर्वेक्षण फ़ॉर्म भरें। आपकी प्रतिक्रियाएं आयोजकों को यह समझने में सहायता करेगी कि इस आयोजन के लिए कितनी मांग है (आपके समुदाय के कितने लोग यह सोचते हैं कि यह आयोजन/कार्यक्रम महत्वपूर्ण है)। अंततः प्रतिभागी इस कार्यक्रम से , चित्र, आरेख, नक्शे, ग्राफ, बार चार्ट इत्यादि बनाने के लिए जानकारी प्राप्त करेंगे और QI (Quality Image) और FP मानदंडों को पूरा करने के लिए चित्रों को कैसे ट्यून करें ,इस बारे में ज्ञान प्राप्त करेंगे।अधिक जानकारी और सर्वेक्षण फार्म की लिंक के लिए, कृपया यहाँ जाएं Talk:Wikigraphists Bootcamp (2018 India).