सिकंदर

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(सिकंदर महान से अनुप्रेषित)
अलेक्जेंडर द ग्रेट
बैसिलेयस ऑफ मैसेडोन, हेगेमॉन ऑफ द हैलेनिक लीग, मिस्र का फैरो, फारस का शहंशाह
पेरिस के लोवो संग्रहालय में रखी सिकंदर की प्रतिमा
शासनावधि336–347 ई पू
पूर्ववर्तीफिलिप द्वितीय, मैसेडोन
उत्तरवर्तीसिकंदर चतुर्थ, मैसेडोन
जन्म२० जुलाई, ३५६ ईसा पूर्व[a]
पेला, मैसेडोन, यूनान
निधन१० या ११ जून ३२३ ईसा पूर्व
बेबीलोन
जीवनसंगीरुखसाना, बैक्ट्रिया,
स्ट्रैटेयरा द्वितीय
संतानसिकंदर चतुर्थ, मैसेडोन
पिताफिलिप द्वितीय, मैसेडोन
माताओलंपियस
Alexander the Great mosaic
Alexander the Great and the family of the Persian king Darius III

सिकंदर या अलेक्जेंडर द ग्रेट (अंग्रेज़ी: Alexander) (यूनानी: Αλέξανδρος)[b] (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी (सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 15 प्रतिशत भाग को ही जीत पाया था)[उद्धरण चाहिए]ब)[4] उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत के कंधार प्राचीन भारतीय हिस्सा पर विजय के लिए आया लेकिन यहां उसको हिन्दू राजा पोरस [पुरू] से हार का सामना करना पड़ा के उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र (गंधार और पौरव राष्ट्र नहीं) उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है।

उतराधिकारी के रूप में[संपादित करें]

-प्रतिनिधि और पिता के साथ सैन्य अभियान[संपादित करें]

20 वर्ष की आयु में, अरस्तू से शिक्षा प्राप्त कर सिकंदर राज्य में वापस आ गया। उसी समय फिलिप ने बाइजेंटियम के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया, और सिकंदर को राज्य का प्रभारी बना कर उसकी देख रेख में छोड़ दिया।[5] फिलिप की अनुपस्थिति के दौरान, थ्रेसियन मैदी ने मैसिडोनिया के खिलाफ विद्रोह कर दिया। सिकंदर ने तुरंत उनके खिलाफ़ अभियान चलाकर उन्हें अपने इलाके से खदेड़ दिया। बाद में उसी इलाके में यूनानियों के साथ एक उपनिवेश स्थापित कर अलेक्जेंड्रोपोलिस नामक एक शहर की स्थापना भी की।[6]

फिलिप वापस लौटकर, दक्षिणी थ्रेस में विद्रोह को दबाने के लिए एक छोटे सैन्य दल के साथ सिकंदर को वहां भेजा। यूनानी शहर पेरिन्थस के खिलाफ लड़ाई के दौरान, सिकंदर ने अपने पिता की जान बचाई थी। थ्रेस में अभी भी कब्जा जमाये फिलिप ने सिकंदर को दक्षिणी ग्रीस में एक अभियान के लिए एक सेना खड़ा करने का आदेश दिया। कहीं अन्य ग्रीक राज्य इसमें हस्तक्षेप न करें, सिकंदर ने ऐसा दिखाया कि वह इलियारिया पर हमला करने की तैयारी कर रहा है। इसी दौरान, इलियरीयस ने मैसेडोनिया पर हमला बोल दिया, जिसे सिकंदर ने वापस खदेड़ दिया।[7]

फिलिप और उसकी सेना 338 ईसा पूर्व में अपने बेटे से जा मिली, और वे दक्षिण में थर्मोपाइल पर चढ़ाई करने के लिये निकल गये जहाँ थबर्न कि सेना के कड़े प्रतिरोध के बाद उस पर कब्जा कर लिया गया। वे इलेसिया शहर पर कब्जा करने गए, जो एथेंस और थीब्स से कुछ ही दूर स्थित था। जिसे देख डेमोस्थेनस की अगुवाई वाली एथिनियन ने मैसेडोनिया के विरुद्ध थीब्स के साथ गठबंधन करने का फैसला किया। हलांकि फिलिप ने भी एथेंस के खिलाफ थीब्स से गठबंधन हेतु दूत भेजे, लेकिन थीब्स ने एथेंस का साथ दिया।[8] फिलिप ने एम्फिसा की ओर कूच किया जहां उसने डेमोस्थेनस द्वारा भेजे गए भाड़े के सैनिकों हरा कर शहर को आत्मसमर्पण के लिये मजबूर कर दिया। फिलिप फिर इलेसिया लौट गया, जहाँ से उसने एथेन्स और थीब्स को शांति का अंतिम प्रस्ताव भेजा, जिसे दोनों ने खारिज कर दिया।[9]

इस्तांबुल पुरातत्व संग्रहालय में सिकंदर की मूर्ति

फिलिप ने दक्षिण की ओर कूच की, जहाँ उसके विरोधियों ने उसे चैरोनीआ, बोएसिया के पास रोक लिया। चैरोनीआ की लड़ाई के लिये, फिलिप ने दाहिने पंक्ति और सिकंदर को फिलिप के विश्वसनीय जनरलों के एक समूह के साथ वाम पंक्ति संभालने का आदेश दिया। प्राचीन स्रोतों के अनुसार, दोनों पक्ष में कुछ समय के लिए भंयकर लड़ाई हुई। फिलिप ने जानबूझकर अपने सैनिकों को पीछे हटने का आदेश दिया, ताकि अथेनियन सैनिक उसका पीछा कर अपनी सुरक्षा पंक्ति से अलग हो सके, और वे उसमें भेद लगा सके। सिकंदर ने सबसे पहले थीबन कि सुरक्षा पंक्तियों को तोड़ा, उसके पीछे फिलिप के जनरलों थे, दुश्मन के सामंजस्य को नुकसान पहुंचाने के बाद, फिलिप ने अपने सैनिकों को आगे बढ़ने का आदेश दिया और उन्हें जल्दी घेरने का आदेश दिया। एथेनियन के हारने के साथ ही, थिबियन अकेले लड़ने के लिए बचे हुए थे और चारों ओर से घिरे हुए थे। अंतत: वे हार गए।

चैरोनीआ में जीत के बाद, फिलिप और सिकंदर निर्विरोध पेलोपोन्नीज़ की ओर बढ़ने लगे जहाँ उनका सभी शहरों द्वारा स्वागत किया गया; हालांकि, जब वे स्पार्टा पहुंचे, वहाँ उन्हें नकार दिया गया, लेकिन फिलिप ने युद्ध का सहारा नहीं लिया गया।[10] कुरिन्थ में, फिलिप ने "हेलिनिक एलायंस" की स्थापना की (फारसी-विरोधी गठबंधन के तौर पर ग्रीक-फारसी युद्धों पर आधारित), जिसमें स्पार्टा को छोड़कर अधिकांश ग्रीक शहर-राज्य शामिल थे। फिलिप को इस लीग के नाम पर हेगॉन (सर्वोच्च कमांडर) नाम दिया गया, और उसने फ़ारसी साम्राज्य पर हमला करने की अपनी योजना की घोषणा की।[11][12]

निर्वासन और वापसी[संपादित करें]

जब फिलिप पेला वापस लौट आया, तो उसे अपने सेनापति अटलुस की भतीजी क्लियोपेट्रा ईरीडिइस से प्यार हो गया और उससे विवाह कर लिया।[13] इस विवाह से सिकंदर की उत्तराधिकारी के रूप में दावेदारी सकंट में आ गई, क्योंकि क्लियोपेट्रा ईरीडीस से उत्पन्न बेटा पूरी तरह से मकदूनियन उत्तराधिकारी होता, जबकि सिकंदर केवल आधा मकदूनियन था।[14] विवाह के भोज के दौरान, शराब के नशे में अटालूस ने सार्वजनिक तौर पर देवताओं से प्रार्थना की, कि अब मकदूनियाँ में एक वैध उत्तराधिकारी का जन्म होगा।[13]

क्लियोपेट्रा, जिससे फिलिप विवाह कर रहा था, बहुत युवा थी, उसके चाचा अटलूस ने शराब के नशे में मकदूनियाँ के लोगों से आग्रह करता है, कि अब राजा उसकी भतीजी से राज्य के लिए एक वैध उत्तराधिकारी देगा। जिससे सिकंदर चिढ़ कर, "आप बदमाश," कह उसके सिर पर शराब का कप फेंक देता है, और पूछता है, "क्या, तो मैं एक अवैध संतान हूँ?"। फिलिप, अटकलुस की बेइज्जती से क्रुध हो सिकंदर को मारने के लिये खड़ा हो जाता है। लेकिन उन दोनों के लिए अच्छे भाग्य से, उसके अति क्रोध, या तो अति शराब के नशे में, उसका पैर फिसल गया, और वह फर्श पर गिर गया। जिस पर सिकंदर ने उसे अपमानित करते हुए कहा: "ये देखो, यह व्यक्ति आपको यूरोप से एशिया ले जायेगा, जो कि खुद एक सीढ़ी से दूसरे सीढ़ी पर जाने में ही गिर जाता है।"
—- प्लूटार्क, फिलिप के विवाह में विवाद का वर्णन करता है।

सिकंदर अपनी मां के साथ मेसेडोन से भाग कर, उसे अपने मामा, एपिरस के राजा अलेक्जेंडर प्रथम के पास डोडोना में छोड़ दिया।[15] और खुद इलियारिया चला गया[15], जहाँ उसने इलियाई राजा से संरक्षण की मांग की। कुछ साल पूर्व सिकंदर से लड़ाई में पराजित होने के बावजूद उसने सिकंदर का अतिथि के तौर पर स्वागत किया। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि फिलिप ने कभी भी अपने राजनीतिज्ञ और सैन्य प्रशिक्षित बेटे को अस्वीकार नहीं करना चाहता था।[15] तदानुसार, सिकंदर एक परिवारिक दोस्त, डेमरातुस के प्रयासों के कारण छह महीने के बाद मकदूनियाँ वापस लौट आता हैं।[16]

अगले वर्ष में, पिक्सोडारस, कारिया के फारसी गवर्नर ने अपनी सबसे बड़ी बेटी को सिकंदर के सौतेले भाई, फिलिप एर्हिडियस से विवाह का प्रस्ताव रखा।[15] ओलंपियस और सिकंदर के कई दोस्तों ने सुझाव दिया कि फिलिप ने एर्हिडियस को अपना उत्तराधिकारी बनाने का इरादा किया है।[15] सिकंदर ने पिक्सेलरस को एक दूत थिस्सलुस को भेज यह बतलाय कि उसे अपनी बेटी का हाथ अवैध बेटे को देने के बजाय सिकंदर को देना चाहिये। जब फिलिप ने इस बारे में सुना तो उसने प्रस्ताव वार्ता को रोक दिया और सिकंदर को चिल्लाते हुए कहा कि वह क्यु पिक्सोडारस की बेटी से शादी करना चाहता है, उसने समझाया कि वह उसके लिए बेहतर दुल्हन चाहता था।[15] फिलिप ने सिकंदर के चार मित्रों हर्पालुस, नारकुस, टॉलमी और एरिजियस को निर्वासित कर दिया, और कोरिंथियंस को थिस्सलुस को जंजीरों में लाने के लिये भेज दिया।[17]

राजा के रूप में[संपादित करें]

राज्याभिषेक[संपादित करें]

मकदुनियाँ साम्राज्य, 336 ईपू.

336 ईसा पूर्व की गर्मियों में, एयगे में अपनी बेटी क्लियोपेट्रा के विवाह में भाग लेते हुए फिलिप को उसके अंगरक्षकों के कप्तान, पॉसनीस द्वारा हत्या कर दी गई। जब पॉसनीस भागने का प्रयास किया, तो सिकंदर के दो साथी, पेर्डिकस और लेओनाटस ने उसका पीछा कर उसे मार डाला। उसी समय, 20 वर्ष की उम्र में सिकंदर को रईसों और सेना द्वारा राजा घोषित कर दिया गया।[18][19][20]

शक्ति का एकीकरण[संपादित करें]

सिंहासन संभालते ही सिकंदर अपने प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने लगा। जिसकी शुरुआत उसने अपने चचेरे भाई, पूर्व अमीनटस चौथे की हत्या करवाके की। उसने लैंकेस्टीस क्षेत्र के दो मैसेडोनियन राजकुमारों को भी मार दिया, हलांकि तीसरे, अलेक्जेंडर लैंकेस्टीस को छोड़ दिया। ओलम्पियस ने क्लियोपेट्रा ईरीडिइस और यूरोपा को, जोकि फिलिप की बेटी थी, जिंदा जला दिया। जब अलेक्जेंडर को इस बारे में पता चला, तो वह क्रोधित हुआ। सिकंदर ने अटलूस की हत्या का भी आदेश दिया,[21] जोकि क्लियोपेट्रा के चाचा और एशिया अभियान की सेना का अग्रिम सेनापति था।[22]

अटलूस उस समय एथेंस में अपने दोषरहित होने की संभावना के बारे में डेमोथेन्स से बातचीत करने गया था। अटलूस ने सिकंदर का कई बार घोर अपमान कर चुका था, और क्लियोपेट्रा की हत्या के बाद, सिकंदर उसे जीवित छोड़ने के लिए बहुत खतरनाक मानता था।[22] सिकंदर ने एर्हिडियस को छोड़ दिया, जोकि संभवतः ओलंपियास द्वारा जहर देने के परिणामस्वरूप, मानसिक रूप से विकलांग हो चुका था।[18][20][23]

फिलिप की मृत्यु की खबर से कई राज्यों में विद्रोह होने लगा, जिनमें थीब्स, एथेंस, थिसली और मैसेडोन के उत्तर में थ्रेसियन जनजाति शामिल थे। जब विद्रोह की खबर सिकंदर तक पहुंची, तो उसने तुरंत उस पर ध्यान दिया। कूटनीति का इस्तेमाल करने कि बजाय, सिकंदर 3,000 मैसेडोनियन घुड़सवार सेना का गठन कर, थिसली की तरफ दक्षिण में कूच करने लगा। उसने पाया की थिसली की सेना, ओलम्पियस पर्वत और ओसा पर्वत के बीच के रास्ते पर कब्जा किये हुए है, उसने अपनी सेना को ओसा पर्वत पर चढ़ने का आदेश दिया। दूसरे दिन जब थिसलियन सेना जागी, तो पाया कि सिकंदर अपनी सेना के साथ उनके पीछे खड़ा था, और उन्होंने तुरंत आत्मसमर्पण कर दिया। सिकंदर ने उनकी घुड़सवार सेना को अपनी में मिला कर दक्षिण में पेल्लोपोनिस की ओर कूच करने लगा।[24]

सिकंदर थर्मोपाइल में रुका, जहाँ उसे एम्फ़िक्टीयोनीक लीग के नेता के रूप में चुना गया, फिर वह वहा से दक्षिण की ओर कोरिन्थ कि ओर निकल गया। एथेंस ने शांति के लिए गुहार लगाई, जिसे सिकंदर ने मान लिया और विद्रोहियों को माफ़ कर दिया। सिकंदर और डायोजनीज डिओजेन्स द सीनिक के बीच प्रसिद्ध मुलाकात कोरिन्थ में रहने के दौरान हुई थी। जब सिकंदर ने डियोजेन्स से पूछा कि वह उनके लिए क्या कर सकता है, तो दार्शनिक ने घृणापूर्वक से सिकंदर को एक तरफ खड़ा होने के लिए कहा, क्योंकि वह सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर रहा था।[25] इस हाजिर जवाब से अलेक्जेंडर को खुश हुआ, और उसने कहा की "अगर मैं सिकंदर नहीं होता, तो मैं डियोजेन्स बनना चाहता"।[26] कोरिन्थ में, जैसे फिलिप को फारस के खिलाफ आने वाले युद्ध के लिए कमांडर नियुक्त किया गया था वैसे ही सिकंदर को हेगमन ("नेता") का शीर्षक दिया गया। यहाँ उसे थ्रेसियन विद्रोह की खबर भी प्राप्त हुई।[27]

बाल्कन अभियान[संपादित करें]

The emblema of the Stag Hunt Mosaic, c. 300 BC, from Pella; the figure on the right is possibly Alexander the Great due to the date of the mosaic along with the depicted upsweep of his centrally-parted hair (anastole); the figure on the left wielding a double-edged axe (associated with Hephaistos) is perhaps Hephaestion, one of Alexander's loyal companions.Chugg, Andrew (2006). Alexander's Lovers. Raleigh, N.C.: Lulu. ISBN 978-1-4116-9960-1, pp. 78–79.

एशिया को पार करने से पहले, सिकंदर अपनी उत्तरी सीमाओं को सुरक्षित करना चाहता था। 335 ईसा पूर्व के वसंत में, वह कई विद्रोहों दबाने के लिए चल पड़ा। एम्पीपोलिस से शुरू होकर, वह "स्वतंत्र थ्रेसियन" के देश में पूर्व की ओर यात्रा करता रहा; और हेमस पर्वत पर, मैसेडोनियन सेना ने थ्रेसियन सेनाओं को ऊंचाइयों पर भी हमला कर पराजित किया। आगे सेना ट्रिबाली देश में घुस गए और उन्होंने उनकी सेना को लईजिनस नदी (डेन्यूब की एक सहायक नदी) के पास हराया।[28] सिकंदर ने डेन्यूब के लिये तीन दिन की यात्रा की, और रास्ते में विपरीत किनारे पर स्थित गेटिए जनजाति का सामना किया। रात को ही नदी पार करते हुए, उसने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया और पहली घुड़सवार झड़प के बाद उनकी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।[29]

सिकंदर तक जब यह समाचार पहुंची कि सेल्सियस, इलियारिया का राजा और त्युआलांती के राजा ग्लुआकी उसके खिलाफ खुले में विद्रोह करने लगे थे। वह पश्चिम में ईलारीरिया कि ओर रुख किया, सिकंदर ने एक के बाद एक दोनो को हराने के बाद, दोनो शासकों को अपनी सैना के साथ भागने के लिए मजबूर कर दिया। इन जीतों के साथ ही, उसने अपनी उत्तरी सीमा को सुरक्षित कर लिया था।[30]

जब सिकंदर अपने उत्तर के अभियान में था, उसे थीब्स और एथेनियन के एक बार फिर से विद्रोह कि जानकारी मिली और सिकंदर तुरंत दक्षिण की ओर चल पड़ा।[31] जबकि अन्य शहर सिकंदर से टकराने में झिझक रहे थे, थीब्स ने लड़ाई करने का फैसला किया। थीब्स का प्रतिरोध अप्रभावी था, और सिकंदर ने उन्हैं पछाड़ शहर को कब्जे में ले लिया और और इस क्षेत्र को अन्य बोओटियन शहरों के बीच में बांट दिया। थिब्स के अंत ने एथेंस को चुप कर दिया और अस्थायी तौर पर ही सही, सारे यूनान पर शांति आ गई।[31] तब सिकंदर एंटीपिटर को राज-प्रतिनिधि के रूप में छोड़, अपने एशियाई अभियान निकल गया।[32]

भारतीय उपमहाद्वीप में अभियान[संपादित करें]

सिकंदर के सैनिकों के खिलाफ भारतीय युद्ध हाथी।

स्पितमेनेस की मृत्यु और रोक्सेना के साथ उसकी नई शादी के बाद, सिकंदर ने भारतीय उपमहाद्वीप कि ओर अपना ध्यान ले गया। उसने गांधार (वर्तमान क्षेत्र में पूर्वी अफगानिस्तान और उत्तरी पाकिस्तान का क्षेत्र) के सभी प्रमुखों को आमंत्रित कर, उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र सिकंदर के अधीन करने के लिये कहा। तक्षशिला के शासक आम्भी (ग्रीक नाम ओमफी), जिसका राज्य सिंधु नदी से झेलम नदी (हाइडस्पेश) तक फैला हुआ था, ने इसे स्वीकार कर लिया, लेकिन कुछ पहाड़ी क्षेत्रों के सरदार, जिसमें कंबोज क्षेत्र के अश्वान्यास (असंबी) और अश्वकन्यास (आंडेनोयोई) ने मानने से मना कर दिया।[33] आम्भी ने सिकंदर को दोस्ती का यकीन दिलाने और उन्हें मूल्यवान उपहारों देने, उसके सभी सेना के साद खुद उसके पास गया। सिकंदर ने न केवल उसे उसका पद और उपहारों को लौटा दिया, बल्कि उसने अम्भी को "फ़ारसी वस्त्र, सोने और चांदी के गहने, 30 घोडे और 1,000 सोने की प्रतिभाएं" उपहार स्वरूप दे दिया। सिकंदर ने अपनी सेना बांट दी, और अम्बी ने सिंधु नदी पर पुल के निर्माण करने में हिपेस्टियन और पेड्रिकस की मदद की, साथ ही उसके सैनिकों को भोजन की आपूर्ति करता रहा। उसने सिकंदर और उसकी पूरी सेना का उसकी राजधानी तक्षशिला शहर में दोस्ती का सबसे बड़ा प्रदर्शन करते हुए सबसे उदार आतिथ्य के साथ स्वागत किया।

सिकंदर के आगे बढ़ने पर, तक्षशिला ने उसकी 5,000 लोगों की एक सेना की मदद के साथ, झेलम नदी की लड़ाई (हाइडस्पेश) में हिस्सा भी लिया। इस युद्ध में विजय के बाद, सिकंदर ने अम्भी को पुरूवास (पोरस) से बातचीत के लिये भेजा, जिसमें पोरस का सारा राज्य सिकदंर के अधीन करने जैसी शर्तें पेशकश की गई, चुंकि आम्भी और पोरस पुराने दुश्मन थे उसने सभी शर्तें ठुकरा दी और अम्भी बड़ी मुश्किल से अपनी ज़िन्दगी बचा वहाँ से भाग पाया। हालांकि इसके बाद, दोनों प्रतिद्वंद्वियों को सिकंदर ने व्यक्तिगत मध्यस्थता से मेल मिलाप करा दिया; और तक्षशिला को, झेलम पर बेड़े के लिये उपकरण और सैन्यबल के योगदान के कारण, आम्भी को झेलम नदी और सिंधु के बीच का पूरा क्षेत्र सौंपा दिया गया; मचाटस के बेटे फिलिप की मृत्यु के बाद उसे और शक्ति मिल गई; सिकंदर (323 ईसा पूर्व) की मौत के बाद और 321 ईसा पूर्व त्रिपरादीसुस में प्रांतों के विभाजन बाद के भी उसे अपने अधिकार को बरकरार रखने की अनुमति दी गई।

भारतीय उपमहाद्वीप में सिकंदर का आक्रमण

327/326 ईसा पूर्व की सर्दीयों में, सिकंदर ने कुनार घाटियों की एस्पैसिओई, गुरुईस घाटी के गुरानी, ​​और स्वात और बुनेर घाटियों के आसेनकी जैसे क्षेत्रीय कबिलों के खिलाफ एक अभियान चलाया।[34] एस्पैसिओई के साथ एक भयंकर लड़ाई शुरू हुई जिसमें सिकंदर का कंधा एक भाला से घायल हो गया, लेकिन आखिरकार एस्पैसिओई हार गया। सिकंदर ने फिर अस्सकेनोई का सामना किया, जिसने मस्सागा, ओरा और एरोन्स के गढ़ों से लड़ाईयाँ लड़ी।[33]

मस्सागा का किला एक खूनी लड़ाई के बाद ही जीता जा सका, इसमें सिकंदर का टखना गंभीर रूप से घायल हो गया था। कूर्टियस के अनुसार, "न केवल अलेक्जेंडर ने मस्सागा की पूरी आबादी को मार डाला, बल्कि उसके सभी इमारतों को मलबे में बदल दिया।"[35] इसी प्रकार का नरसंहार ओरा में भी किया गया। मस्सागा और ओरा के बाद, कई असेंसिअन एरोन्स के किले में भाग गए। सिकंदर ने उनका पीछा किया और चार दिनों की खूनी लड़ाई के बाद इस रणनीतिक पहाड़ी-किले पर कब्जा कर लिया।[33]

एरोन्स के बाद, 326 ईसा पूर्व में सिकंदर ने सिंधु को पार किया और राजा पोरस के खिलाफ एक महायुद्ध जीता, जिसका झेलम (हाइडस्पेश) और चिनाब नदी (एसीसेंस) के बीच वाले क्षेत्र पर शासन था, जो अब पंजाब का क्षेत्र कहलाता हैं।[36] सिकंदर व पोरस की बहादुरी से काफी प्रभावित हुए, और उसे अपना एक सहयोगी बना लिया। उसने पोरस को अपना उपपति नियुक्त कर दिया, और उसके क्षेत्र के साथ, उसके अपने जीते दक्षिण-पूर्व में व्यास नदी (ह्यफासिस) तक के क्षेत्र को जोड़ दिया।[37][38] स्थानीय उपपति चुनने से ग्रीस से इतने दूर स्थित इन देशों को प्रशासन में मदद मिली।[39] सिकंदर ने झेलम नदी के विपरीत दिशा में दो शहरों की स्थापना की, पहले को अपने घोड़े के सम्मान में बुसेफेला नाम दिया, जो कि युध्द में मारा गया था।[40] दूसरा, निकाया (विजय) था, जो वर्तमान में मोंग, पंजाब क्षेत्र पर स्थित हैं।[41]

सिकंदर का प्रिय घोड़ा ब्यूसेफ़ेलस था । इसी के नाम पर इसने झेलम नदी के तट पर ब्यूसेफ़ेला नाम से एक नगर बसाया था[42]

सेना का विद्रोह[संपादित करें]

Alexander troops beg to return home from India in plate 3 of 11 by Antonio Tempesta of Florence, 1608

सन्दर्भ[संपादित करें]

टिप्पणी[संपादित करें]

  1. अलेक्ज़ेंडर के जन्म की सही तारीख को लेकर मतभेद है।[1][2]
  2. प्लटास (२५४ – १८४ ईसा पूर्व) नामक एक रोमन नाटककार द्वारा मोस्टेलारिया नाटक में अलेक्ज़ेंडर को पहली बार "महान" के रूप में संदर्भित किया गया था।[3]

उद्धरण[संपादित करें]

  1. Plutarch, Life of Alexander 3.5: "The birth of Alexander the Great". Livius. मूल से 20 March 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 December 2011. Alexander was born the sixth of Hekatombaion.
  2. David George Hogarth (1897). Philip and Alexander of Macedon : two essays in biography. New York: Charles Scribner's Sons. पृ॰ 286–287.
  3. Diana Spencer (2019-11-22). "Alexander the Great, reception of". Oxford Research Encyclopedias. अभिगमन तिथि 2021-11-09. Alexander enjoys the epithet the Great for the first time in Plautus's Roman comedy Mostellaria (775–777).
  4. "सिकंदर को कांटे की टक्कर देने वाले राजा पोरस कौन थे". मूल से 4 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 नवंबर 2018.
  5. Roisman & Worthington 2010, पृ॰ 188.
  6. Fox 1980, पृष्ठ 68, Renault 2001, पृष्ठ 47, Bose 2003, पृष्ठ 43
  7. Renault 2001, पृ॰प॰ 47–49.
  8. Renault 2001, पृष्ठ 50–51, Bose 2003, पृष्ठ 44–45, McCarty 2004, पृष्ठ 23
  9. Renault 2001, पृष्ठ 51, Bose 2003, पृष्ठ 47, McCarty 2004, पृष्ठ 24
  10. "History of Ancient Sparta". Sikyon. मूल से 5 March 2001 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 November 2009. नामालूम प्राचल |dead-url= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  11. Renault 2001, पृ॰ 54.
  12. McCarty 2004, पृ॰ 26.
  13. Roisman & Worthington 2010, पृ॰ 179.
  14. McCarty 2004, पृ॰ 27.
  15. Roisman & Worthington 2010, पृ॰ 180.
  16. Bose 2003, पृष्ठ 75, Renault 2001, पृष्ठ 56
  17. McCarty 2004, पृष्ठ 27, Renault 2001, पृष्ठ 59, Fox 1980, पृष्ठ 71
  18. McCarty 2004, पृ॰प॰ 30–31.
  19. Renault 2001, पृष्ठ 61–62
  20. Fox 1980, पृष्ठ 72
  21. Roisman & Worthington 2010, पृ॰ 190.
  22. Green 2007, पृष्ठ 5–6
  23. Renault 2001, पृष्ठ 70–71
  24. McCarty 2004, पृष्ठ 31, Renault 2001, पृष्ठ 72, Fox 1980, पृष्ठ 104, Bose 2003, पृष्ठ 95
  25. Stoneman 2004, पृ॰ 21.
  26. Dillon 2004, पृ॰प॰ 187–88.
  27. Renault 2001, पृष्ठ 72, Bose 2003, पृष्ठ 96
  28. Arrian 1976, I, 2
  29. Arrian 1976, I, 3–4, Renault 2001, पृष्ठ 73–74
  30. Arrian 1976, I, 5–6, Renault 2001, पृष्ठ 77
  31. Roisman & Worthington 2010, पृ॰ 192.
  32. Roisman & Worthington 2010, पृष्ठ 199
  33. Tripathi 1999, पृ॰प॰ 118–21.
  34. Narain 1965, पृष्ठ 155–65
  35. McCrindle, J. W. (1997). "Curtius". प्रकाशित Singh, Fauja; Joshi, L. M. (संपा॰). History of Punjab. I. Patiala: Punjabi University. पृ॰ 229.
  36. Tripathi 1999, पृ॰प॰ 124–25.
  37. p. xl, Historical Dictionary of Ancient Greek Warfare, J, Woronoff & I. Spence
  38. Arrian Anabasis of Alexander, V.29.2
  39. Tripathi 1999, पृ॰प॰ 126–27.
  40. Gergel 2004, पृ॰ 120.
  41. Worthington 2003, पृष्ठ 175
  42. "ब्यूसेफ़ेला". इन्साइलोपीडिया ब्रिटैनिका. इन्साइलोपीडिया ब्रिटैनिका. अभिगमन तिथि अकटूबर २, २०१८. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]