"सुखदेव": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो →‎जीवनचरित: replaced: पंजाबपंजाब AWB के साथ
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
* [http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2007/09/070925_bhagat_sukhdev_letter.shtml गाँधी जी के नाम खुली चिट्ठी-बीबीसी हिंदी पर]
* [http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2007/09/070925_bhagat_sukhdev_letter.shtml गाँधी जी के नाम खुली चिट्ठी-बीबीसी हिंदी पर]
* [http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/03/120323_sukhdev_birthplace_va.shtml कई तालों में कैद है आजादी के मतवाले सुखदेव का घर]
* [http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/03/120323_sukhdev_birthplace_va.shtml कई तालों में कैद है आजादी के मतवाले सुखदेव का घर]
* [http://ajmernama.com/vishesh/150181/ शहीद ''गुलाब सिंह लोधी''] अमर शहीद ''गुलाब सिंह लोधी'' पर लेख


{{भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम}}
{{भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम}}

04:29, 23 अगस्त 2015 का अवतरण

चित्र:Sukhdev455.JPEG
सुखदेव (जन्म:१९०७-मृत्यु:१९३१) का चित्र

सुखदेव (पंजाबी: ਸੁਖਦੇਵ ਥਾਪਰ) का पूरा नाम सुखदेव थापर था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें भगत सिंह और राजगुरु के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। इनकी शहादत को आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। सुखदेव भगत सिंह की तरह बचपन से ही आज़ादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों 'लाहौर नेशनल कॉलेज' के छात्र थे। दोनों एक ही सन में लायलपुर में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए।

जीवनचरित

सुखदेव थापर का जन्म पंजाब के शहर लायलपुर में श्रीयुत् रामलाल थापर व श्रीमती रल्ली देवी के घर विक्रमी सम्वत १९६४ के फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष सप्तमी तदनुसार १५ मई १९०७ को अपरान्ह पौने ग्यारह बजे हुआ था। जन्म से तीन माह पूर्व ही पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण इनके ताऊ अचिन्तराम ने इनका पालन पोषण करने में इनकी माता को पूर्ण सहयोग किया। सुखदेव की तायी जी ने भी इन्हें अपने पुत्र की तरह पाला। इन्होंने भगत सिंह, कॉमरेड रामचन्द्र एवं भगवती चरण बोहरा के साथ लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन किया था।

लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिये जब योजना बनी तो साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा राजगुरु का पूरा साथ दिया था। यही नहीं, सन् १९२९ में जेल में कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किये जाने के विरोध में राजनीतिक बन्दियों द्वारा की गयी व्यापक हड़ताल में बढ-चढकर भाग भी लिया था। गान्धी-इर्विन समझौते के सन्दर्भ में इन्होंने एक खुला खत गान्धी के नाम अंग्रेजी में लिखा था जिसमें इन्होंने महात्मा जी से कुछ गम्भीर प्रश्न किये थे। उनका उत्तर यह मिला कि निर्धारित तिथि और समय से पूर्व जेल मैनुअल के नियमों को दरकिनार रखते हुए २३ मार्च १९३१ को सायंकाल ७ बजे सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह तीनों को लाहौर सेण्ट्रल जेल में फाँसी पर लटका कर मार डाला गया। इस प्रकार भगत सिंह तथा राजगुरु के साथ सुखदेव भी मात्र २३वर्ष की आयु में शहीद हो गये।

बाहरी कड़ियाँ