चंद्रगिरि दुर्ग, केरल
चन्द्रगिरि दुर्ग (मलयालम:ചന്ദ്രഗിരി കോട്ട and Tulu :ಚಂದ್ರಗಿರಿ ಕೊಟ್ಟೆ) भारत के दक्षिणी राज्य केरल में कैसरगोड जिले में १७वीं शताब्दी से बना हुआ है। यह लगभग वर्गाकार दुर्ग सागर सतह से १५० फीट (४६ मी॰) कि ऊंचाई पर बना है और लगभग ७ एकड़ के क्षेत्र में विस्तृत है। [1] यह दुर्ग पयस्विनी नदी के किनारे स्थित है और वर्तमान में जीर्णावस्था में है।
इस दुर्ग का घटनाओं से भरा इतिहास है। पुरातन काल में यह नदी दो शक्तिशाली राज्यों - कोलतुनाडु और तुलुनाडु की सीमा हुआ करती थी। जब तुलुनाडु पर विजयनगर साम्राज्य का अधिकार हुआ, कोलतुनाडु राजाओं ने चन्द्रगिरि दुर्ग भी उनके हाथों गंवा दिया। कालान्तर में विजयनगर साम्राज्य के पतन के समय इस क्षेत्र की देखरेख इक्केरी के केलड़ी नायक के अधीन थी १६वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के पतन होने पर वेंगप्पा नायक ने स्वतंत्र घोषित कर दिया। बाद में शिवप्पा नायक ने इसका अधिकार लिया और एक दुर्गों की शृंखला निर्माण की जिसका चन्द्रगिरी एक भाग है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- कण्णूर दुर्ग
- तालश्शेरी दुर्ग
- बेकल दुर्ग
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ दिवाकरन, कट्टकड़ (२००५). केरल संचारम. तिरुवनन्तपुरम, भारत: ज़ेड पुस्तकालय. पृ॰ ९२५.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]चन्द्रगिरी दुर्ग से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
निर्देशांक: 12°28′12″N 75°00′11″E / 12.470°N 75.003°E
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