तारागढ़ दुर्ग

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तारागढ़ दुर्ग का दृष्य

तारागढ़ दुर्ग अरावली की ऊंची पहाड़ियों में से एक नागपहाड़ी पर बना एक भव्य दुर्ग है। यह दुर्ग "गिरि दुर्ग" का उत्कृष्ट उदाहरण है और 1426 फीट ऊचें पर्वत शिखर पर बना है। इसे "बूंदी का किला" भी कहते हैं। चौदहवीं सदी (1354) में बूंदी के संस्थापक राव देव हाड़ा ने इस विशाल और सुन्दर दुर्ग का निर्माण कराया था।

अरावली पहाड़ी की खड़ी ढलान पर बने इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिए तीन विशाल द्वार बनाए गए हैं। इस दुर्ग का निर्माण राव बर सिंह हाडा ने करवाया इसके दरवाजों को इन्हे लक्ष्मी पोल, हाथीपोल, फूटा दरवाजा और गागुड़ी का फाटक के नाम से जाना जाता है।[1] महल के द्वार हाथी पोल पर बनी विशाल हाथियों की जोड़ी है। इस किले के भीतर बने महल अपनी शिल्पकला एंव भित्ति चित्रों के कारण अद्वितीय है। इन महलों में छत्रमहल, अनिरूद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फुल महल प्रमुख हैं।

गर्भ गुंजन[संपादित करें]

किले की भीम बुर्ज पर रखी "गर्भ गुंजन" तोप अपने विशाल आकार और मारकक्षमता से शत्रुओं के छक्के छुड़ाने का कार्य करती थी। आज भी यह तोप यहां रखी हुई है लेकिन वर्तमान में यह सिर्फ प्रदर्शन की वस्तु बनकर रह गई है। कहा जाता है जब यह तोप चलती थी तब इसकी भयावह गर्जना से उदर में झंकार हो जाती थी। इसीलिए इसका नाम "गर्भगुंजन" रखा गया। सोलहवीं सदी में यह तोप कई मर्तबा गूंजी थी।[2]

तलाब[संपादित करें]

इस किले में पानी के तीन तलाब शामिल हैं जो कभी नहीं सूखते। इन तालाबों का निर्माण इंजीनियरिंग (अभीयांत्रिकी) के परिष्कृत और उन्नत विधि का प्रमुख उदाहरण है जिनका प्रयोग उन दिनों में हुआ था।इन जलाशयों में वर्षा का जल सिंचित रखा जाता था और संकटकाल होने पर आम निवासियों की जरूरत के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता था। जलाशयों का आधार चट्टानी होने के कारण पानी सालभर यहां एकत्र रहता था।

खंम्भों की छतरी[संपादित करें]

कोटा जाने वाले मार्ग पर देवपुरा ग्राम के निकट एक विशाल छतरी बनी हुई है। इस छतरी का निर्माण राव राजा अनिरूद्ध सिंह के धाबाई देवा के लिए 1683 में किया। तीन मंजीला छतरी 84 भव्य स्तंभ हैं।

पहुँचने के मार्ग[संपादित करें]

रेलगाड़ी द्वारा : निकटतम रेलवे स्टेशन अजमेर जंक्शन है जो मुंबई-अहमदाबाद-जयपुर-दिल्ली लाइन पर स्थित है। आप सभी प्रमुख भारतीय शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, जयपुर, इलाहाबाद, कोलकाता आदि से अजमेर के लिए आसानी से ट्रेन ढूंढ सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा : यह स्थान राष्ट्रीय राजमार्गों और अच्छी तरह से बनी सड़कों से भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप या तो बस ले सकते हैं क्योंकि अजमेर बस स्टैंड निकटतम है। या, आप यहां पहुंचने के लिए एक निजी टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।

वायुमार्ग द्वारा : लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर, किशनगढ़ हवाई अड्डा निकटतम है। एक बार जब आप वहां पहुंच जाते हैं, तो आप तारागढ़ पहुंचने के लिए एक निजी टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या आरएसआरटीसी की बस ले सकते हैं।[3]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]