गोलकोण्डा
गोलकोंडा | |
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గోల్కొండ گولکنڈہ | |
![]() गोलकोंडा क़िला | |
सामान्य विवरण | |
राष्ट्र | भारत |
निर्देशांक | 17°23′N 78°24′E / 17.38°N 78.40°E |
निर्माण सम्पन्न | 1600s |

गोलकुंडा या गोलकोण्डा दक्षिणी भारत में, हैदराबाद नगर से पाँच मील पश्चिम स्थित एक दुर्ग तथा ध्वस्त नगर है। पूर्वकाल में यह कुतबशाही राज्य में मिलनेवाले हीरे-जवाहरातों के लिये प्रसिद्ध था।[1]
इस दुर्ग का निर्माण वारंगल के राजा ने 14वीं शताब्दी में कराया था। बाद में यह बहमनी राजाओं के हाथ में चला गया और मुहम्मदनगर कहलाने लगा। 1512 ई. में यह कुतबशाही राजाओं के अधिकार में आया और वर्तमान हैदराबाद के शिलान्यास के समय तक उनकी राजधानी रहा। फिर 1687 ई. में इसे औरंगजेब ने जीत लिया। यह ग्रैनाइट की एक पहाड़ी पर बना है जिसमें कुल आठ दरवाजे हैं और पत्थर की तीन मील लंबी मजबूत दीवार से घिरा है। यहाँ के महलों तथा मस्जिदों के खंडहर अपने प्राचीन गौरव गरिमा की कहानी सुनाते हैं। मूसी नदी दुर्ग के दक्षिण में बहती है। दुर्ग से लगभग आधा मील उत्तर कुतबशाही राजाओं के ग्रैनाइट पत्थर के मकबरे हैं जो टूटी फूटी अवस्था में अब भी विद्यमान हैं।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "The Qutb Shahi Monuments of Hyderabad Golconda Fort, Qutb Shahi Tombs, Charminar". मूल से 1 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2019.
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
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Qutb Shahi dynasty से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |