केरल का भूगोल
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विज्ञापनों में केरल को 'ईश्वर का अपना घर' (God's Own Country) कहा जाता है, यह कोई अत्युक्ति नहीं है। जिन कारणों से केरल विश्व भर में पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना है, वे हैं : - उष्ण मौसम, समृद्ध वर्षा, सुंदर प्रकृति, जल की प्रचुरता, सघन वन, लम्बे समुद्र तट और चालीस से अधिक नदियाँ। भौगोलिक दृष्टि से केरल उत्तर अक्षांश 8 डिग्री 17' 30" और 12 डिग्री 47' 40" के बीच तथा पूर्व रेखांश 74 डिग्री 7' 47" और 77 डिग्री 37' 12" के बीच स्थित है। यह सह्याद्रि तथा अरब सागर के बीच एक हरित मेखला की तरह खूबसूरत लगता है। केरल की उत्पत्ति के संबन्ध में परशुराम की कथा प्रसिद्ध है। किंवदन्ती है कि महाविष्णु के दशावतारों में से एक परशुराम ने अपना फरसा समुद्र में फेंक दिया, उससे जो स्थान उभरकर निकला वही केरल बना।
विभाजन
[संपादित करें]केरल के कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्र (agroecological zones) | |
जैवक्षेत्र के अनुसार केरल के ज़िले, हर प्रकार की मृदा अलग रंग में दी गई है। | |
भौगोलिक प्रकृति के आधार पर केरल को अनेक क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। सर्वप्रचलित विभाज्य प्रदेश हैं:
- पर्वतीय क्षेत्र,
- मध्य क्षेत्र और
- समुद्री क्षेत्र
अधिक स्पष्टता की दृष्टि से इस प्रकार विभाजन किया गया है - पूर्वी मलनाड (Eastern Highland), अडिवारम (तराई - Foot Hill Zone), ऊँचा पहाडी क्षेत्र (Hilly Uplands), पालक्काड सुरंग, तृश्शूर-कांजगाड समतल, एरणाकुलम - तिरुवनन्तपुरम रोलिंग समतल और पश्चिमी तटीय समतल। केरल का सह्याद्रि से जुडा हुआ दक्षिण-उत्तर की ओर वाला भाग हिंसक वन्य जीवों से भरा बीहड वन है। यहाँ उष्ण क्षेत्र में पाये जाने वाले सदैव हरित छायादार वन हैं। केरल की प्रमुख नदियों का उद्रम स्थान भी मलनाड अर्थात् यह पर्वतीय प्रदेश है, ही है। सर्वाधिक प्रसिद्ध सदा बहार वन साइलेन्टवेली है जो पालक्काड जिले के मण्णार्काड के पास स्थित है। साइलेन्टवेली तथा इरविकुलम दोनों राष्ट्रीय उद्यान है। केरल का सबसे ऊँचा पर्वत शृंग आनमुडी (2695 मीटर) है। केरल के दक्षिणी छोर का सबसे ऊँचा शृंग अगस्त्यकूट (1869 मीटर) है। दक्षिण से उत्तर की ओर फैला हुआ पश्चिमी समुद्र तटीय समतल सह्याद्रि के समानान्तर में है। मलनाडु और तटीय क्षेत्र के बीच वाले भाग को इटनाडु या मध्यक्षेत्र कहा जाता है। यहाँ की भौगोलिक प्रकृति में पहाड और समतल दोनों का समावेश है।
केरल को जल समृद्ध बनाने वाली 41 नदियाँ पश्चिमी दिशा में स्थित समुद्र अथवा झीलों में जा मिलती हैं। इनके अतिरिक्त पूर्वी दिशा की ओर बहने वाली तीन नदियाँ, अनेक झीलें और नहरें हैं।
केरल की नदियां
[संपादित करें]केरल में 44 नदियाँ हैं जिनमें 41 नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं, 3 नदियाँ पूरब की ओर बहती हैं। जो नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं वे या तो अरब सागर में या झीलों अथवा अन्य नदियों में जा मिलती हैं। इन नदियों में हज़ारों झरने और नहरें बह कर आती हैं। सन् 1974 में राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग ने जो जल संसाधन रपट प्रस्तुत की है उसमें उन जल प्रवाहों को नदियाँ माना गया है जिनकी दूरी 15 किलो मीटर से अधिक हो।
पश्चिम की ओर बहनेवाली नदियाँ
[संपादित करें]- मंजेश्वरम पुष़ा (16 कि. मी.)
- उप्पळा पुष़ा (50कि. मी.)
- षीरिया पुष़ा (67 कि. मी.)
- मेग्राल पुष़ा (34 कि. मी.)
- चन्द्रगिरि पुष़ा (105 कि. मी.)
- चिट्टारि पुष़ा (25 कि. मी.)
- नीलेश्वरम पुष़ा (46 कि. मी.)
- करियान्कोड पुष़ा (64 कि. मी.)
- कव्वायि पुष़ा (31 कि. मी.)
- रुवन्पा पुष़ा (51 कि. मी.)
- रामपुरम पुष़ा (19 कि. मी.)
- कुप्पम पुष़ा (82 कि. मी.)
- वळपट्टनं पुष़ा (110 कि. मी.)
- अंचरकण्डि पुष़ा (48 कि. मी.)
- तलश्शेरि पुष़ा (28 कि. मी.)
- मय्यष़ि पुष़ा (54 कि. मी.)
- कुट्याडि पुष़ा (74 कि. मी.)
- कोरप्पुष़ा (40 कि. मी.)
- कल्लायि पुष़ा (22 कि. मी.)
- चालियार पुष़ा (169 कि. मी.)
- कडलुण्डि पुष़ा (130 कि. मी.)
- तिरूर पुष़ा (48 कि. मी.)
- भारतप्पुष़ा (244 कि. मी.)
- कीच्चेरि पुष़ा (51 कि. मी.)
- पुष़क्कल पुष़ा (29 कि. मी.)
- करुवन्नूर पुष़ा (48 कि. मी.)
- चालक्कुटि पुष़ा (130 कि. मी.)
- पेरियार (209 कि. मी.)
- मूवाट्टुपुष़ायार (121 कि. मी.)
- मीनच्चिलार (78 कि. मी.)
- मणिमलयार (90 कि. मी.)
- पंपयार (176 कि. मी.)
- अच्चनकोविलार (128 कि. मी.)
- पल्लिक्कलार (42 कि. मी.)
- कल्लाडायार (121 कि. मी.)
- इत्तिक्करायार (56 कि. मी.)
- अयिरूर (17 कि. मी.)
- वामनपुरम आर (88 कि. मी.)
- मामम् आर (27 कि. मी.)
- करामनायार (68 कि. मी.)
- नेय्यार (56 कि. मी.)
पूरब की ओर बहने वाली नदियाँ :
[संपादित करें]- कबिनी नदी
- भवानिप्पुष़ा
- पांपार
केरल की झीलें
[संपादित करें]केरल की प्रमुख झीलें -
- वेंपनाडु कायल
- अष्टमुडिक्कायल
- कायम्कुळम कायल
- शास्तामकोट्टक्कायल
- परावूर कायल
- इडवाक्कायल
- नडयरा कायल
- अंचुतेंगु कायल
- कठिनंकुळम कायल
- वेळिक्कायल
- वेळ्ळायणिक्कायल
- कोडुंगल्लूर कायल
- वराप्पुष़ा कायल
- एनामाक्कल कायल
- मणक्कोडि कायल
- मूरियाड कायल
- वेलियन्कोड कायल
- चावक्काड कायल
- कुन्पळक्कायल
- कलनाड कायल
- बेक्कल कायल
- चित्तारि कायल
- कव्वायिक्कायल
निम्नलिखित झीलों में मधुर जल प्राप्त होता हैं –
- तिरुवनन्तपुरम जिले की वेल्लायणि कायल,
- कोल्लम जिले की शास्ताम्कोट्टक्कायल,
- त्रिस्सूर जिले की एनामाक्कल,
- मणक्कोडि सरोवर और
- वयनाडु के पूक्कोड सरोवर।
- ↑ Jose AI, Paulose S, Prameela P & Bonny BP (eds), 2002, Package of Practices Recommendations: Crops, Kerala Agricultural University "Archived copy". मूल से 19 दिसंबर 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फ़रवरी 2006.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link), Retrieved on 18 January 2006.