भोपाल
भोपाल
Bhopal | ||
|---|---|---|
| महानगर | ||
बिरला मंदिर बड़ा तालाब जनजातीय संग्रहालय न्यू मार्केट शिवाजीनगर चौक | ||
| ||
| उपनाम: झीलों का शहर | ||
| निर्देशांक: 23°15′35.6″N 77°24′45.4″E / 23.259889°N 77.412611°E | ||
| देश | ||
| राज्य | मध्य प्रदेश | |
| विभाग | भोपाल | |
| ज़िला | भोपाल | |
| वार्ड की संख्या | 85[1] | |
| नाम स्रोत | भोज | |
| शासन | ||
| • प्रणाली | नगर निगम | |
| • सभा | भोपाल नगर निगम | |
| • महापौर | मालती राय (BJP) | |
| • सांसद | आलोक शर्मा | |
| क्षेत्रफल[2][3][4] | ||
| • महानगर | 463 किमी2 (179 वर्गमील) | |
| • महानगर[5] | 648.24 किमी2 (250.29 वर्गमील) | |
| ऊँचाई | 518.73 मी (1,701.87 फीट) | |
| जनसंख्या (2011)[4] | ||
| • महानगर | 17,98,218 | |
| • पद | 20वाँ (भारत) | |
| • घनत्व | 3,900 किमी2 (10,000 वर्गमील) | |
| • महानगर | 19,17,051 | |
| • महानगरीय घनत्व | 3,000 किमी2 (7,700 वर्गमील) | |
| • पद | 18वाँ (भारत) | |
| वासीनाम | भोपाली | |
| समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) | |
| PIN | 462001-50 | |
| दूरभाष संख्या | 0755 | |
| वाहन पंजीकरण | MP-04 | |
| GDP (प्रति व्यक्ति) | $2.087 या ₹1.47 लाख[6] | |
| आधिकारिक भाषा | हिन्दी | |
| साक्षरता (2011) | 80.37%[7] | |
| वर्षण | 1,123.1 मिलीमीटर (44.22 इंच) | |
| मध्यम उच्च तापमान | 31.7 °से. (89.1 °फ़ै) | |
| मध्यम निम्न तापमान | 18.6 °से. (65.5 °फ़ै) | |
| HDI (2016) | 0.77 (उच्च)[8] | |
| वेबसाइट | ||
भोपाल (अंग्रेज़ी: Bhopal) भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल जनपद का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को राजा भोज की नगरी तथा 'झीलों की नगरी' भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े तालाब हैं। यह नगर अचानक चर्चा में तब आ गया, जब 1984 में अमरीकी कम्पनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग 20,000 लोग मारे गये थे। भोपाल को स्मार्ट सिटी मिशन के तहत स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने वाले पहले बीस भारतीय शहरों (प्रथम चरण) में से एक के रूप में चुना गया था। [9] भोपाल को लगातार तीन वर्षों, 2017, 2018 और 2019 तक भारत में सबसे स्वच्छ राज्य की राजधानी का दर्जा दिया गया। [10]
भोपाल की प्रसिद्धि
[संपादित करें]भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान केन्द्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कण्ट्रोल फ़ैसिलटी' यहाँ स्थापित किया है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबन्धन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे 2003 में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था जोकि वर्ष 2015 से कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय हैं जैसे कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय आदि। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल, भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान इंजीनियरिंग महाविद्यालय, गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय, नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। भोपाल में कोलार तथा केरवा नदियाँ हैं। बेतवा नदी का उद्गम स्थल कोलाश्र बाँध के पास झिरी में है। मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के कई साक्ष्य मौजूद है।
इतिहास
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कुछ इतिहासकारों को भ्रम है की इस शहर को राज भोज ने बसाया था। जो की पूर्णतः गलत है। राजा भोज जिस जगह इलाज कराने आए थे। उस शहर का नाम भोजपुर है। जो की भोपाल से 50 किलो मीटर दूर है।

भोपाल की स्थापना गोंड राजवंश के राजा भूपाल शाह ने 669-679 ईस्वी में की थी। उनके राज्य की राजधानी भूपाल ही था, जो अब मध्य प्रदेश का एक ज़िला है। शहर का पूर्व नाम 'भूपाल' था जो भूपाल से बना था। गोंड राजाओं के अस्त के बाद यह शहर कई बार लूट का शिकार बना। गोंड राजवंश के बाद भोपाल शहर में अफ़ग़ान सिपाही दोस्त मोहम्मद ख़ान (1708-1740) का शासन रहा है। मुग़ल साम्राज्य के विघटन का फ़ायदा उठाते हुए खान ने बेरासिया तहसील हड़प ली। कुछ समय बाद गोण्ड महारानी कमलापति की मदद करने के लिए ख़ान को भोपाल गाँव भेंट किया गया। रानी की मौत के बाद खान ने छोटे से गोण्ड राज्य पर कब्जा जमा लिया।
महारानी कमलापति गोण्ड महाराजा निज़ाम शाह की पत्नी थीं। राजा निज़ाम शाह की मृत्यु हो जाने पर महारानी कमलापति ने राज्य की बागडोर संभाली। भोपाल शहर के अन्दर बड़े तालाब के पास इनकी स्मृति के रूप में कमला पार्क का निर्माण किया गया है।साथ ही रानी कमलापति रेल्वे स्टेशन का नामकरण किया गया है।
1720-1726 के दौरान दोस्त मोहम्मद ख़ान ने भोपाल गाँव की किलाबन्दी कर इसे एक शहर में तब्दील किया। साथ ही उन्होंने नवाब की पदवी अपना ली और इस तरह से भोपाल राज्य की स्थापना हुई। मुग़ल दरबार के सिद्दीक़ी बन्धुओं से दोस्ती के नाते खान ने हैदराबाद के निज़ाम मीर क़मर-उद-दीन (निज़ाम-उल-मुल्क) से दुश्मनी मोल ले ली। सिद्दीक़ी बन्धुओं से निपटने के बाद 1723 में निज़ाम ने भोपाल पर हमला कर दिया और दोस्त मोहम्मद खान को निज़ाम का आधिपत्य स्वीकार करना पड़ा।
मराठाओं ने भी भोपाल राज्य से चौथ (कुल लगान का चौथा हिस्सा) वसूली की। 1737 में मराठाओं ने मुग़लों को भोपाल की लड़ाई में मात दी। खान के उत्तराधिकारियों ने 1818 में ब्रिटिश हुकूमत के साथ सन्धि कर ली और भोपाल राज्य ब्रिटिश राज की एक रियासत बन गया। 1947 में जब भारत को स्वतन्त्रता मिली, तब भोपाल राज्य की वारिस आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गईं। उनकी छोटी बहन बेग़म साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया। 1 जून 1949 के दिन भोपाल राज्य का भारत में विलय[11] हो गया।
भोपाल मेट्रो
[संपादित करें]भोपाल मेट्रो, भोपाल की एक निर्माणाधीन यातायात प्रणाली है।[12]। वर्तमान समय में भोपाल मेट्रो में दो मार्गों पर काम हो रहा है।[13]
लाइन 2: करोंद चौराहा - भोपाल टॉकीज - रेलवे स्टेशन - भारत टॉकीज - पुल बोगदा - सुभाष नगर अंडरपास - डीबी मॉल - बोर्ड ऑफिस चौराहा - हबीबगंज नाका - अलकापुरी बस स्टॉप - अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
मार्ग की लम्बाई: 14.99 किमी
लाइन 5: डिपो चौराहा - जवाहर चौक - रोशनपुरा चौराहा - मिण्टो हॉल - लिली टॉकीज़ - जिन्सी डिपो - बोगदा पुल - प्रभात चौराहा - अप्सरा टॉकीज - गोविन्दपुरा इण्डस्ट्रियल एरिया - जे के रोड - रत्नागिरी चौराहा
मार्ग की लम्बाई: 12.88 किमी
भोपाल गैस त्रासदी
[संपादित करें]भोपाल गैस काण्ड विस्तार में देखें।
भौगोलिक स्थिति
[संपादित करें]भोपाल भारत के मध्य भाग में स्थित है और इसके निर्देशांक 23.27º उ. एवं 77.4º पू. हैं। यह विन्ध्य पर्वत शृंखला के पूर्व में है। भोपाल एक पहाड़ी इलाक़े पर स्थित है किन्तु इसका तापमान अधिकतर गर्म रहता है। इसका भू-भाग ऊँचा-नीचा है एवं इसके दायरे में कई छोटे पहाड़ हैं। उदाहरण के लिए श्यामला हिल, ईदगाह हिल, अरेरा हिल, कटारा हिल इत्यादि। यहाँ गर्मियाँ गर्म और सर्दियाँ सामान्य ठण्डी रहती हैं। बारिश का मौसम जून से ले के सितम्बर-अक्टूबर तक रहता है और सामान्य वर्षा दर्ज की जाती है। 2019 मानसून में भोपाल में 40 वर्षों में सबसे अधिक वर्षा हुई है [14]
नगर निगम की सीमा 289 वर्ग कि॰ मी॰ है। शहरी सीमा के भीतर दो मानव निर्मित झीलें है जो संयुक्त रूप से भोज स्थल के नाम से जानी जाती हैं। बड़ी झील राजा भोज द्वारा निर्मित करवाई गई थी जिसका कुल जल ग्रहण क्षेत्र 361 वर्ग कि॰ मी॰ है। छोटी झील का निर्माण राजा भोज ने करवाया।
भोपाल का तालाब
भोपाल की पहचान भोपाल के बड़े तालाब से है। कहा जाता है- "तालों में ताल भोपाल ताल बाकी सब तलैया"। बड़े तालाब में स्थित बोट क्लब एक पर्यटन स्थल है जो बोटिंग के लिए सुन्दर स्थान है।
पर्यटन
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यहां का छोटा तालाब, बड़ा तालाब, भीम बैठका, अभयारण्य, शहीद भवन तथा भारत भवन देखने योग्य हैं। भोपाल के पास स्थित सांची का स्तूप भी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है, जोकि यूनेस्को द्वारा संरक्षित है। भोपाल से लगभग 28 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर मन्दिर एक एतिहासिक दर्शनिय स्थल है। भेल स्थित श्रीराम मन्दिर, बरखेड़ा एक प्रसिद्ध आस्था का केन्द्र है।

लक्ष्मीनारायण मन्दिर, भोपाल
[संपादित करें]- भोपाल के अरेरा पहाड़ी पर पाँच दशक पूर्व स्थापित बिड़ला मन्दिर वर्षों से धार्मिक आस्था का केन्द्र रहा है। मन्दिर में स्थापित भगवान श्रीहरि विष्णु एवं लक्ष्मीजी की मनोहारी प्रतिमाएँ बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकृष्ट कर रही हैं। करीब 7-8 एकड़ पहाड़ी क्षेत्र में फैले इस मन्दिर की ख्याति देश व प्रदेश के विभिन्न शहरों में फैली हुई है।
- जानकारों के अनुसार इस मंदिर का शिलान्यास वर्ष 1960 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ॰ कैलाशनाथ काटजू ने किया था और उद्घाटन वर्ष 1964 में मुख्यमन्त्री द्वारका प्रसाद मिश्र के हाथों सम्पन्न हुआ। मन्दिर के अन्दर विभिन्न पौराणिक दृश्यों की संगमरमर पर की गई नक्काशी दर्शनीय तो है ही, उन पर गीता व रामायण के उपदेश भी अंकित हैं।
- मन्दिर के अन्दर विष्णुजी व लक्ष्मीजी की प्रतिमाओं के अलावा एक ओर शिव तथा दूसरी ओर माँ जगदम्बा की प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर परिसर में हनुमानजी एवं शिवलिंग स्थापित हैं। वहीं मन्दिर के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने बना विशाल शंख भी दर्शनीय है। मन्दिर की स्थापना के समय पूर्व मुख्यमन्त्री कैलाश नाथ ने बिड़ला परिवार को शहर में उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन देने के साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वह इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में एक भव्य तथा विशाल मन्दिर का निर्माण करवाएँ। मन्दिर के उद्घाटन के समय यहाँ विशाल विष्णु महायज्ञ भी आयोजित किया गया था, जिसमें अनेक विद्वानों व धर्म शास्त्रियों ने भाग लिया था। आज भी यह मन्दिर जन आस्था का मुख्य केन्द्र बिन्दु है। जन्माष्टमी पर यहाँ श्रीकृष्ण जन्म का मुख्य आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर विष्णु की आराधना करते है।
श्रीराम मन्दिर, बरखेड़ा
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इस मन्दिर में मुख्य मन्दिर में विराजे श्रीराम चतुष्ट्य की स्थापना 4 अप्रैल 1971 को हुई थी। यहाँ की सभी मूर्तिया बहुत सुन्दर और अलौकिक है. इस मन्दिर का दिव्य वातावरण सबका मन मोह लेता है. करीब 3 एकड़ में फैले इस मन्दिर में मनोहारी उपवन है जिसमें अनेक प्रकार के फूल खिलते है। मन्दिर में श्रीराम के अलावा दुर्गा जी, योगेश्वर कृष्ण, रामभक्त हनुमान, शंकर जी, शिव जी व गुरुदेव दत्तात्रेय भी विराजे है. मंदिर परिसर में बच्चों के लिए अनेक झूले भी लगे है। घास के बड़े मैदानों में बच्चे किलकारी मारते खेला करते है। सुबह व् शाम सुन्दर कर्णप्रिय भजन भक्तों का मन मोह लेते है। मन्दिर में ऑनलाइन दर्शन की भी व्यवस्था है। श्रीराम नवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हनुमान जयन्ती, शिवरात्रि, दत्तात्रेय जयन्ती समेत अनेक पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाये जाते है। विशेष पर्वो पर भोपाल के सभी मन्दिरों की तुलना में सबसे ज्यादा श्रद्धालु इसी मन्दिर में एकत्र होते है। श्रीराम नवमी पर तो पूरे दिन मन्दिर में पैर रखने तक की जगह नहीं होती।
भोजेश्वर मन्दिर ,भोजपुर
[संपादित करें]- यह प्राचीन शहर दक्षिण पूर्व भोपाल से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। यह शहर भगवान शिव को समर्पित भोजेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मन्दिर को पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है। भोपाल से 28 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर की स्थापना परमार वंश के राजा भोज ने की थी। इसीलिए यह स्थान भोजपुर के नाम से चर्चित है। यह स्थान भगवान शिव के भव्य मन्दिर और साईक्लोपियन बाँध के लिए जाना जाता है। यहाँ के भोजेश्वर मन्दिर की सुन्दर सजावट की गई है। मन्दिर एक ऊँचे चबूतरे पर बना है जिसके गर्भगृह में लगभग साढ़े तीन मीटर लम्बा शिवलिंग स्थापित है। इसे भारत के सबसे विशाल शिवलिंगों में शुमार किया जाता है।
मोती मस्जिद, भोपाल
[संपादित करें]- इस मस्जिद को क़ुदसिया बेग़म की बेटी सिकंदर जहां बेग़म ने 1860 ई॰ में बनवाया था।
ताज-उल-मस्जिद, भोपाल
[संपादित करें]
- यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल की आठवीं शासिका शाहजहां बे सिकंदर बेगम के शासन काल में प्रारम्भ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवन्तपर्यंत यह बन न सकी।
शौकत महल, भोपाल और सदर मंजिल, भोपाल
[संपादित करें]- शौकत महल, भोपाल शहर के बीचोंबीच चौक एरिया के प्रवेश द्वार पर स्थित है।
गोहर महल, भोपाल
[संपादित करें]- झील के किनारे बना यह महल सदर मंज़िल के पीछे स्थित है।
पुरातात्विक संग्रहालय, भोपाल
[संपादित करें]- बाणगंगा रोड पर स्थित इस संग्रहालय में मध्यप्रदेश के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित की हुई मूर्तियों को रखा गया है।
भारत भवन
[संपादित करें]- यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों में एक है। 1982 में स्थापित इस भवन में अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
[संपादित करें]यह अनोखा संग्रहालय श्यामला की पहाडियों पर 200 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।
भीमबेटका शैलाश्रय|भीमबेटका गुफाएँ
[संपादित करें]- दक्षिण भोपाल से 46 किलोमीटर दूर स्थित भीमबेटका की गुफाएं प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं। यह गुफाएँ चारों तरफ से विन्ध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं, जिनका सम्बन्ध नवपाषाण काल से है। इन गुफाओं के अन्दर बने चित्र गुफाओं में रहने वाले प्रागैतिहासिक काल के जीवन का विवरण प्रस्तुत करते हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12 हजार वर्ष पूर्व की मानी जाती है।
शौर्य स्मारक
[संपादित करें]- शौर्य स्मारक शहर के अरेरा हिल्स इलाके में स्थित है। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 14 अगस्त 2016 को किया गया। स्मारक 12 एकड़ में फैला हुआ है। इसे पार्क के रूप में विकसित किया गया है और पाकिस्तान व चीन से हुए युद्धों से सम्बन्धित प्रदर्शनियाँ भी है। बोट क्लब-
बोट क्लब
[संपादित करें]- बोट क्लब श्यामला हिल्स में है जहाँ आप बोटिंग का आनन्द ले सकते हैं। बोट क्लब में शामिल हैं स्टीमर बोट और बहुत कुछ।
भोपाल की वनस्पतियाँ
[संपादित करें]
भोपाल शहर वनस्पतियों की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध शहर है। यहाँ पर्याप्त हरियाली मौजूद है।
आवागमन
[संपादित करें]- वायु मार्ग
भोपाल का राजा भोज हवाई अड्डा शहर से १२ कि॰मी॰ की दूरी पर है। दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चेन्नई, चंडीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता, रायपुर से यहां के लिए एयर इंडिया एवम अन्य निजी एयरलाइन्स कंपनियों की नियमित उडान सेवाएँ हैं।
- रेल मार्ग
भोपाल का रेलवे स्थानक देश के विविध रेलवे स्थानकों से जुडा हुआ है। यह रेलवे स्थानक भारतीय रेल के दिल्ली-चैन्नई मुख्य मार्ग पर पड़ता है। शताब्दी एक्सप्रेस भोपाल को दिल्ली से सीधा जोडती है। साथ ही यह शहर मुम्बई, आगरा, ग्वालियर, झांसी, उज्जैन, कोलकाता, चैन्नई, बंगलूरू, हैदराबाद आदि शहरों से अनेक रेलगाडियों के माध्यम से जुडा हुआ है।
- सडक मार्ग


सांची, इंदौर, उज्जैन, खजुराहो, पंचमढी, जबलपुर आदि शहरों से आसानी से सडक मार्ग से भोपाल पहुंचा जा सकता है। मध्यप्रदेश और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से भोपाल के लिए नियमित बसें चलती हैं।
चित्र दीर्घा
[संपादित करें]- गोलघर
- भोपाल रियासत के समय में चलने वाले बाँट
- भोपाल रियासत का प्रतीक चिन्ह, कपड़े पर कढ़ाई किया हुआ
- भोपाल रियासत के शासक को एवं उनके परिवारों के मकबरों की सूची
- उर्दू भाषा में लिखा एक दस्तावेज
- ख़िताबाद ओहदे दारान रियासत
- ख़िताबाद फरमान खायान रियासत
- उर्दू भाषा में लिखा एक दस्तावेज
- सदर मंजिल का भीतरी भाग
- सदर मंजिल का भीतरी भाग
- सदर मंजिल का भीतरी भाग
- नक्कारखाना
- कलेक्टर कार्यालय भोपाल जिसे पुराना सचिवालय से भी जाना जाता है
जनसंख्या
[संपादित करें]भोपाल शहर की कुल जनसंख्या (२०११ की जनगणना के अनुसार) कुल 95,64,817 है। भोपाल जिले की कुल जनसंख्या 23,68,145 है। जिसमे करीब 56% हिन्दू, 40% मुस्लिम हैं। पुरुषों की संख्या 12,39,378 तथा महिलाओं की संख्या 11,28,767 है। कुल साक्षरता 82.26% है (पुरुष: 87.44%, महिला: 76.57%)। 2024 में इंदौर शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 2,788,000 है, जबकि इंदौर मेट्रो की जनसंख्या 3,081,000 अनुमानित है।[15]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "History". Bhopal Municipal Corporation. मूल से पुरालेखन की तिथि: 2 October 2017. अभिगमन तिथि: 13 November 2021.
- ↑ "BMC". मूल से पुरालेखन की तिथि: 28 July 2015. अभिगमन तिथि: 19 November 2020.
- ↑ "BMC Plan". अभिगमन तिथि: 19 November 2020.
- 1 2 "District Census Handbook – Bhopal" (PDF). Census of India. p. 35. 7 August 2015 को मूल से पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि: 22 September 2015.
- ↑ "Cricket Exchange Live – Online Cricket Betting Casino". #. मूल से पुरालेखन की तिथि: 18 August 2000.
- ↑ "District Domestic Product Per Capita". अभिगमन तिथि: 8 January 2023.
- ↑ "Madhya Pradesh Literacy Rate 2021". indiacensus.net. अभिगमन तिथि: 13 November 2021.
- ↑ "The Madhya Pradesh Human Development Index" (PDF). 20 March 2016. मूल से (PDF) से 20 March 2016 को पुरालेखित।.
- ↑ ""Why only 98 cities instead of 100 announced: All questions answered about smart cities project"".
- ↑ ". "Swachh Survekshan 2019: Indore cleanest city, Bhopal cleanest capital | Bhopal News - Times of India"".
- ↑ भोपाल विलय के 68 साल- दैनिक भास्कर [मृत कड़ियाँ]
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से से 26 अप्रैल 2019 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 23 सितंबर 2019.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से से 26 अप्रैल 2019 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 23 सितंबर 2019.
- ↑ "Bhopal receives its highest rainfall in 40 years in unending monsoon". The Times of India. 2019-09-19. अभिगमन तिथि: 2025-11-10.
- ↑ "Bhopal Population 2024".




