कैफ़ भोपाली
कैफ़ भोपाली | |
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जन्म | 20 फरवरी 1917![]() (अब) भोपाल मध्य प्रदेश ![]() |
मृत्यु | 24 जुलाई 1991 भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत |
पेशा | शायर,गीतकार, कवि |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | गज़ल, उर्दू शायरी |
विषय | प्यार, दर्शन |
कैफ़ भोपाली (उर्दू: کیف بھوپالی ) एक भारतीय उर्दू शायर और फ़िल्मी गीतकार थे। वे 1972 में बनी कमाल अमरोही की फिल्म पाक़ीज़ा में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीत "चलो दिलदार चलो....." से लोकप्रिय हुए।[1][2]
करियर
[संपादित करें]कैफ़ भोपाली ने कई हिंदी फिल्मों में गीत लिखे, किन्तु 1972 में बनी पाक़ीज़ा उनकी यादगार फिल्म रही। इस फिल्म के लगभग सभी गाने लोकप्रिय हुए, जैसे "तीरे नज़र..", "चलो दिलदार चलो, चाँद के पार चलो...." आदि।[3]
सत्तर-अस्सी के दशक में वे लगातार मुशायरों की जान बने रहे। उन्होंने कई प्रसिद्ध गज़लें कही है, जैसे "तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है", झूम के जब रिन्दों ने पिला दी आदि जिसे आवाज़ दी है जगजीत सिंह ने।[4]कमाल अमरोही की एक और फिल्म रज़िया सुल्तान में उनके द्वारा लिखा एक गाना "ऐ खुदा शुक्र तेरा...." काफी लोकप्रिय हुआ। उनकी पुत्री "परवीन कैफ़" भी उर्दू की मशहूर शायरा हैं।
फिल्मोग्राफी
[संपादित करें]- पाक़ीज़ा(1972 फिल्म) * शंकर हुसैन 1977 * रज़िया सुल्तान
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Let's Enjoy". Sify.com Movies. 6 अक्टूबर 2004. मूल से से 24 नवंबर 2005 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 18 मार्च 2014.
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(help) - ↑ "Matchless magic lingers". द हिन्दू. 31 Jul 2002. मूल से से 28 दिसंबर 2010 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 18 मार्च 2014.
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(help) - ↑ "Lyrics by Kaif Bhopali". 23 अप्रैल 2014 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 18 मार्च 2014.
- ↑ "Down memory lane with Jagjit Singh". Indian Express. 9 नवम्बर 1998.