बागेश्वर जिला
बागेश्वर ज़िला
Bageshwar district | |
---|---|
उत्तराखण्ड का ज़िला | |
ऊपर-बाएँ से दक्षिणावर्त: बागेश्वर में सरयू नदी, कौसानी से पंचाचूली पर्वत का दृश्य, पिण्डारी हिमानी, बैजनाथ मंदिर से दृश्य | |
![]() उत्तराखण्ड में स्थिति | |
देश | ![]() |
राज्य | उत्तराखण्ड |
मण्डल | कुमाऊँ मण्डल |
स्थापना | 15 सितम्बर 1997 |
मुख्यालय | बागेश्वर |
तहसील | 4 |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 2302 किमी2 (889 वर्गमील) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 2,59,898 |
• घनत्व | 110 किमी2 (290 वर्गमील) |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, कुमाऊँनी |
जनसांख्यिकी | |
• साक्षरता | 80.01% |
• लिंगानुपात | 1000:839 ♂:♀ |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
वेबसाइट | bageshwar |
बागेश्वर ज़िला (Bageshwar district) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल का एक ज़िला है। इसका मुख्यालय बागेश्वर है।[1][2]
विवरण
[संपादित करें]बागेश्वर ज़िले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है।
इतिहास
[संपादित करें]वर्तमान बागेश्वर क्षेत्र ऐतिहासिक तौर पर दानपुर के नाम से जाना जाता था, और ७वीं शताब्दी के समय यहाँ कत्यूरी राजवंश का शासन था। १३वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश के विघटन के बाद यह क्षेत्र बैजनाथ कत्यूरों के शासन में आ गया। १५६५ में राजा बालो कल्याण चन्द ने पाली, बारहमण्डल और गंगोली के साथ दानपुर पर भी कब्ज़ा कर इसे कुमाऊं में शामिल कर लिया। सन् १६०२ मे राजा लक्ष्मी चन्द ने बागनाथ के वर्तमान मुख्य मन्दिर एवं मन्दिर समूह का पुनर्निर्माण किया था। १७९१ में, कुमाऊं की राजधानी अल्मोड़ा पर नेपाल के गोरखाओं ने हमला किया और कब्जा कर लिया। गोरखाओं ने इस क्षेत्र पर २४ वर्षों तक शासन किया और बाद में १८१४ में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा पराजित होकर, १८१६ में सुगौली संधि के तहत कुमाऊं को अंग्रेजों को सौंप दिया।
१९वीं सदी के प्रारम्भ में बागेश्वर आठ-दस घरों की एक छोटी सी बस्ती थी। सन् १८६० के आसपास यह स्थान २००-३०० दुकानों एवं घरों वाले एक कस्बे का रूप धारण कर चुका था। मुख्य बस्ती मन्दिर से संलग्न थी। सरयू नदी के पार दुग बाजार और सरकारी डाक बंगले का विवरण मिलता है। एटकिन्सन के हिमालय गजेटियर में वर्ष १८८६ में इस स्थान की स्थायी आबादी ५०० बतायी गई है। वर्ष १९२१ के उत्तरायणी मेले के अवसर पर कुमाऊँ केसरी बद्री दत्त पाण्डेय, हरगोविंद पंत, श्याम लाल साह, विक्टर मोहन जोशी, राम लाल साह, मोहन सिह मेहता, ईश्वरी लाल साह आदि के नेतृत्व में सैकड़ों आन्दोलनकारियों ने कुली बेगार के रजिस्टर बहा कर इस कलंकपूर्ण प्रथा को समाप्त करने की कसम इसी सरयू तट पर ली थी।
बागेश्वर को १९७४ में अलग तहसील बनाया गया, और १९७६ में इसे परगना घोषित कर दिया गया था। परगना दानपुर के ४७३, खरही के ६६, कमस्यार के १६६, और पुँगराऊ के ८७ गाँवों का समेकन केन्द्र होने के कारण शीघ्र ही यह प्रमुख प्रशासनिक केन्द्र बन गया। १९८५ से ही इसे जिला घोषित करने की मांग अलग-अलग पार्टियों और क्षेत्रीय लोगों द्वारा उठाई जाने लगी, और फिर, १५ सितंबर १९९७ को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने बागेश्वर को उत्तर प्रदेश का नया जिला घोषित कर दिया।[3]
चंद राजवंश के राजा लक्ष्मीचंद ने 1450 में बागेश्वर में एक मंदिर की स्थापना की थी। यह प्राचीन काल से ही भगवान शिव और माता पार्वती की पवित्र भूमि के रूप में प्रसिद्ध रहा है। पुराणों के अनुसार बागेश्वर को देवों का देव कहा जाता है। बागेश्वर में स्थित प्राचीन मंदिर बागनाथ मंदिर के नाम पर ही इस जिले का नाम बागेश्वर रखा गया। उत्तराखंड में बागेश्वर को भगवान शिव के कारण ही तीर्थराज के तौर पर भी जाना जाता है। बागेश्वर वास्तव में भगवान शिव की लीला स्थली मानी जाती है। भगवान शिव के गण चंदिस ने इस क्षेत्र की स्थापना की थी। यहां पर भगवान शिव और पार्वती निवास करते थे।[4]
जनसांख्यिकी
[संपादित करें]२०११ की जनगणना के अनुसार बागेश्वर जिले की जनसंख्या २,५९,८४० है, जो लगभग वानूआतू देश के बराबर है। जनसंख्या के मामले में भारत के जिलों में इसका स्थान ५७८वां है (कुल ६४० में से)। जिले में जनसंख्या घनत्व ११६ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। २००१-२०११ के दशक में इसकी जनसंख्या वृद्धि दर ५.१३% थी। बागेश्वर की साक्षरता दर ८०.६९% है और लिंग अनुपात १०९३ महिलायें प्रति १००० पुरुष है।
प्रशासन
[संपादित करें]जिले के प्रशासनिक मुख्यालय बागेश्वर नगर में हैं। प्रशासनिक कार्यों के लिए जिले को सात तहसीलों में विभाजित किया गया है: बागेश्वर, कपकोट, गरुड़, कांडा, दुगनाकुरी, शामा तथा काफलीगैर। इसके अतिरिक्त जिले को आगे ३ सामुदायिक विकास खण्डों और ३९७ ग्राम पंचायतों में भी बांटा गया है। जिले में कुल ९४७ गांव और २ नगर हैं। बागेश्वर तहसील का गठन १९७४ में हुआ था। १२ सितम्बर १९९७ को बागेश्वर तहसील से २४७ ग्रामों के साथ कपकोट तहसील का गठन किया गया। इसके बाद फरवरी २००४ में बागेश्वर तहसील के १९७ ग्रामों से गरुड़ तहसील, तथा बागेश्वर के १४७, और कपकोट के ३३ ग्रामों से कांडा तहसील का गठन किया गया। शामा तहसील का गठन २३ अक्टूबर २०१३ को,[5] और दुगनाकुरी[6] तथा काफलीगैर तहसीलों का गठन २०१४ में क्रमशः १९ फरवरी तथा ११ नवंबर को हुआ।[7]
सम्पूर्ण जिला अल्मोड़ा लोक सभा क्षेत्र का हिस्सा है, तथा इसमें दो उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं: बागेश्वर तथा कपकोट। राज्य गठन के समय कांडा विधान सभा क्षेत्र भी था, परन्तु २००९ में हुए परिसीमन के बाद उसका विलय कपकोट में ही कर दिया गया।[8]
नगर
[संपादित करें]बागेश्वर जिले के कस्बे तथा नगर[9] निम्नलिखित हैं।
नगर का नाम | तहसील | प्रकार | चित्र | जनसंख्या (२०११) |
क्षेत्रफल (वर्ग किमी) |
साक्षरता दर (२०११) |
---|---|---|---|---|---|---|
बागेश्वर | बागेश्वर | नगर पालिका | ![]() |
९,२२९ | ५.०० | ९०.७२ |
कपकोट | कपकोट | नगर पंचायत | ![]() |
५,०८० | ५.४९ | ८१.८० |
कौसानी | गरुड़ | क़स्बा | ![]() |
२,४०८ | ४.२९ | ८७.८० |
गरुड़ | गरुड़ | क़स्बा | ![]() |
- | - | - |
कांडा | कांडा | क़स्बा | ![]() |
- | - | - |
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
- ↑ "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994
- ↑ "बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं, जन्मदिन मुबारक बागेश्वर". बागेश्वर: अमर उजाला. १४ सितम्बर २०१७. Archived from the original on 28 सितंबर 2017. Retrieved 27 सितम्बर 2017.
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(help) - ↑ Kothyari, Piyush. "क्या हें बागेश्वर जिले का इतिहास". Lovedevbhoomi.com.
- ↑ "शामा तहसील के नाम पर 'धोखा'". बागेश्वर: अमर उजाला. २० अक्टूबर २०१४. Archived from the original on 14 फ़रवरी 2018. Retrieved १३ फरवरी २०१८.
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(help) - ↑ "मजाक बनकर रह गई है दुग नाकुरी तहसील". बागेश्वर: अमर उजाला. ९ अगस्त २०१७. Archived from the original on 14 फ़रवरी 2018. Retrieved १३ फरवरी २०१८.
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(help) - ↑ "दुग नाकुरी तहसील अस्पताल में तो पंचायत घर में चल रही शामा उप तहसील". बागेश्वर: अमर उजाला. १३ फरवरी २०१६. Archived from the original on 22 मार्च 2018. Retrieved १३ फरवरी २०१८.
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(help) - ↑ "परिसीमन से धूमिल हुई उम्मीदें". बागेश्वर: दैनिक जागरण. १२ जनवरी २०१७. Archived from the original on 14 फ़रवरी 2018. Retrieved १३ फरवरी २०१८.
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(help) - ↑ सांख्यिकी पत्रिका २०१७ (PDF). pp. ७१. Archived (PDF) from the original on 14 नवंबर 2017. Retrieved 13 फ़रवरी 2018.
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