बलराम

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बलराम
श्रीकृष्ण के बड़े भाई
Rath Yatra in Munich 2020, Balarama 20200725 160849.jpg
जग्गनाथ पुरी में बलराम की मूर्ति
अन्य नाम संकर्षण , हलधर , हलायुध , रोहिणीनन्दन , काम , नीलाम्बर आदि।
संबंध शेषनाग का अवतार
मंत्र ॐ हलधाराय संकर्षणाय नम:
अस्त्र हल, गदा
जीवनसाथी रेवती
माता-पिता
भाई-बहन कृष्ण और सुभद्रा
संतान निषस्थ , उल्मुख और वत्सला
शास्त्र महाभारत और अन्य पुराण
त्यौहार बलराम जयन्ती
बलराम ( बाएँ ) अपने भाई श्रीकृष्ण और बहिन चित्रा (सुभद्रा) के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा में

पांचरात्र शास्त्रों के अनुसार बलराम (बलभद्र) भगवान वासुदेव के ब्यूह या स्वरूप हैं।उनका जन्म यदुवंश वंश में हुआ, उनका श्रीकृष्ण के अग्रज और शेष का अवतार होना ब्राह्मण धर्म को अभिमत है। जैनों के मत में उनका सम्बन्ध तीर्थकर नेमिनाथ से है।[1]

बलराम या संकर्षण का पूजन बहुत पहले से चला आ रहा था, पर इनकी सर्वप्राचीन मूर्तियाँ मथुरा और ग्वालियर के क्षेत्र से प्राप्त हुई हैं। ये शुंगकालीन हैं। कुषाणकालीन बलराम की मूर्तियों में कुछ व्यूह मूर्तियाँ विष्णु के समान चतुर्भुज प्रतिमाए हैं और कुछ उनके शेष से संबंधित होने की पृष्ठभूमि पर बनाई गई हैं। ऐसी मूर्तियों में वे द्विभुज हैं और उनका मस्तक मंगलचिह्नों से शोभित नागफणों से अलंकृत है। बलराम का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में उठा हुआ है और बाएँ में मदिरा का चषक है। बहुधा मूर्तियों के पीछे की ओर नाग का आभोग दिखलाया गया है। कुषाण काल के मध्य में ही व्यूहमूर्तियों का और अवतारमूर्तियों का भेद समाप्तप्राय हो गया था, परिणामतः बलराम की ऐसी मूर्तियाँ भी बनने लगीं जिनमें नागफणाओं के साथ ही उन्हें हल-गदा से युक्त दिखलाया जाने लगा। गुप्तकाल में बलराम की मूर्तियों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। उनके द्विभुज और चतुर्भुज दोनों रूप चलते थे। कभी-कभी उनका एक ही कुंडल पहने रहना "बृहत्संहिता" से अनुमोदित था। स्वतंत्र रूप के अतिरिक्त बलराम तीर्थंकर नेमिनाथ के साथ, देवी एकानंशा के साथ, कभी दशावतारों की पंक्ति में दिखलाई पड़ते हैं। उन्होंने अपने छोटे भाई श्री कृष्ण के साथ बचपन में मथुरा के राजा कंस के पहलवान चाणूर और मुष्टिक में से मुष्टिक का वध किया था और साथ ही उन्होंने कंस के दानव धेनुक का भी वध किया था।

कुषाण और गुप्तकाल की कुछ मूर्तियों में बलराम को सिंहशीर्ष से युक्त हल पकड़े हुए अथवा सिंहकुंडल पहिने हुए दिखलाया गया है। इनका सिंह से सम्बन्ध कदाचित् जैन परंपरा पर आधारित है।

मध्यकाल में पहुँचते-पहुँचते ब्रज क्षेत्र, जहाँ कुषाणकालीन मदिरा पीने वाले द्विभुज बलराम मूर्तियों की परंपरा ही चलती रही, के अतिरिक्त बलराम की प्रतिमा का स्वरूप बहुत कुछ स्थिर हो गया। हल, मूसल तथा मद्यपात्र धारण करनेवाले सर्पफणाओं से सुशोभित बलदेव बहुधा समपद स्थिति में अथवा कभी एक घुटने को किंचित झुकाकर खड़े दिखलाई पड़ते हैं। कभी-कभी रेवती भी साथ में रहती हैं।

जन्म[संपादित करें]

बलराम जी का जन्म विद्रुम वन वर्त्तमान बलदेव में हुआ था। बलराम का जन्म यदूकुल में हुआ। कंस ने अपनी प्रिय बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वसुदेव से विधिपुर्वक कराया।

जब कंस अपनी बहन देवकी को रथ में बिठा कर वसुदेव के घर ले जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई और उसे पता चला कि उसकी बहन का आठवाँ संतान ही उसे मारेगा।

कंस ने अपनी बहन को कारागार में बन्द कर दिया और क्रमशः 6 पुत्रों को मार दिया, 7वें पुत्र के रूप में शेष के अवतार बलराम जी थे जिसे श्री हरि ने योगमाया से देवकी के गर्भ से रोहिणी के गर्भ में स्थापित करा दिया।

आठवें गर्भ में भगवान श्री कृष्ण थे।

परिचय[संपादित करें]

बलभद्र या बलराम श्री कृष्ण के बड़े भाई थे जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। बलराम, हलधर, हलायुध, संकर्षण आदि इनके अनेक नाम हैं। बलभद्र के सगे सात भाई और एक बहन सुभद्रा थी जिन्हें चित्रा भी कहते हैं। इनका ब्याह रेवत की कन्या रेवती से हुआ था। कहते हैं, रेवती 21 हाथ लंबी थीं और बलभद्र जी ने अपने हल से खींचकर इन्हें छोटी किया था।

इन्हें नागराज अनंत का अवतार कहा जाता है और इनके पराक्रम की अनेक कथाएँ पुराणों में वर्णित हैं। ये गदायुद्ध में विशेष प्रवीण थे। दुर्योधन और भीमसेन इनके ही शिष्य थे। इसी से कई बार इन्होंने जरासंध को पराजित किया था। श्रीकृष्ण के पुत्र शांब जब दुर्योधन की कन्या लक्ष्मणा का हरण करते समय कौरव सेना द्वारा बंदी कर लिए गए तो बलभद्र ने ही उन्हें दुड़ाया था। स्यमंतक मणि लाने के समय भी ये श्रीकृष्ण के साथ गए थे। मृत्यु के समय इनके मुँह से एक बड़ा नाग निकला और प्रभास के समुद्र में प्रवेश कर गया था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Balarama Facts: क‍िसका अवतार थे कान्‍हा के दाऊ बलराम, क्‍यों कहते हैं उनको क‍िसानों का देवता". www.timesnowhindi.com. 2020-08-09. अभिगमन तिथि 2021-07-23.