अनुशासनपर्व
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अनुशासन पर्व महाभारत के 18 पर्वों में से एक प्रमुख पर्व है। इसमें भीष्म के साथ युधिष्ठिर का धर्म कर्म के विषय में संवाद है। भीष्म युधिष्ठिर को नाना प्रकार से तप, धर्म और दान की महिमा बतलाते हैं और अन्त में युधिष्ठिर पितामह की अनुमति पाकर हस्तिनापुर चले जाते हैं। भीष्मस्वर्गारोहण पर्व में भीष्म के पास युधिष्ठिर का जाना, युधिष्ठिर की भीष्म से बात, भीष्म का प्राणत्याग, युधिष्ठिर द्वारा उनका अन्तिम संस्कार किए जाने का वर्णन है। इस अवसर पर वहाँ उपस्थित लोगों के सामने गंगा जी प्रकट होती हैं और पुत्र के लिए शोक प्रकट करने पर श्री कृष्ण उन्हें समझाते हैं।
अनुशासन पर्व के अन्तर्गत २ उपपर्व हैं-
- (1) दान-धर्म-पर्व,
- (2) भीष्मस्वर्गारोहण पर्व
अनुशासन पर्व में कुल मिलाकर १८६ अध्याय हैं।
बाहरी कडियाँ
[संपादित करें]- वेद-पुराण - यहाँ चारों वेद एवं दस से अधिक पुराण हिन्दी अर्थ सहित उपलब्ध हैं। पुराणों को यहाँ सुना भी जा सकता है।
- महर्षि प्रबंधन विश्वविद्यालय-यहाँ सम्पूर्ण वैदिक साहित्य संस्कृत में उपलब्ध है।
- ज्ञानामृतम् - वेद, अरण्यक, उपनिषद् आदि पर सम्यक जानकारी
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- जिनका उदेश्य है - वेद प्रचार[मृत कड़ियाँ]
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