मुनिसुव्रतनाथ
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मुनिसुव्रतनाथ | |
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बीसवें जैन तीर्थंकर | |
मुनिसुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा, अगाशी जैन तीर्थ,विरार | |
विवरण | |
अन्य नाम | मुनिसुव्रतनाथ जिन |
शिक्षाएं | अहिंसा |
पूर्व तीर्थंकर | मल्लिनाथ |
अगले तीर्थंकर | नमिनाथ |
गृहस्थ जीवन | |
वंश | हरिवन्श |
पिता | सुमित्र |
माता | पदमावती |
पंच कल्याणक | |
जन्म कल्याणक | कार्तिक शु० पू० |
जन्म स्थान | राजगृही |
केवल ज्ञान कल्याणक | राजगृह |
मोक्ष | चैत्र शु० ६ |
मोक्ष स्थान | सम्मेद शिखर |
लक्षण | |
रंग | काला |
चिन्ह | कछुआ |
ऊंचाई | २० धनुष (६० मीटर) |
आयु | ३०,००० वर्ष |
शासक देव | |
यक्ष | वरुण |
यक्षिणी | नरदत्ता |
मुनिसुव्रतनाथ या मुनिसुव्रत जैन धर्म के २० वें तीर्थंकर माने गए हैं। उनके पिता का नाम सुमित्र और माता का नाम पद्यावती था। बलभद्र राम इनके शासन काल मे जन्मे थे, ।जैन पुराणों की काल गणना के आधार पर आज से लगभग 65लाख 95हजार 721 वर्ष पूर्व उ नका जन्म राजगृह (राजगिर) और निर्वाण संमेदशिखर पर हुआ था। यह काल गणना महावीर निर्वाण सम्बत या जन्म संवत से की जा सकती हैँ...
कछुवा उनका चिह्न बताया गया है। उनके समय में ९वें चक्रवर्ती महापद्य का जन्म हुआ जो विष्णुकुमार महापद्य के छोटे भाई थे। आगे चलकर विष्णुकुमार मुनि जैनधर्म के महा उद्धारक हुए। मुनि सुव्रतनाथ के समय में ही राम (अथवा पद्य) नाम के ८वें वासुदेव और रावण नाम के ८वें प्रतिवासुदेव, लक्ष्मण नाम के ८वें बलभद्र का जन्म हुआ।
इन्हें भी देखें
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