"वृत्तरत्नाकर": अवतरणों में अंतर

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*[https://sa.wikibooks.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0 वृत्तरत्नाकर] (संस्कृत विकिपुस्तकानि)
*[https://sa.wikibooks.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0 वृत्तरत्नाकर] (संस्कृत विकिपुस्तकानि)
*[https://archive.org/details/VrittaRatnakaraKedaraBhattaSktHindi1942 वृत्तरत्नाकर] (वृत्तरत्नाकरस्य संस्कृत-व्याख्या हिन्दी-व्याख्या नरसिंहदेवशास्त्रिणः। )
*[https://archive.org/details/VrittaRatnakaraKedaraBhattaSktHindi1942 वृत्तरत्नाकर] (वृत्तरत्नाकर की संस्कृत-व्याख्या तथा हिन्दी-व्याख्या नरसिंहदेवशास्त्री द्वारा)


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04:34, 5 नवम्बर 2018 का अवतरण

वृत्तरत्नाकर एक छन्दशास्त्रीय संस्कृत ग्रन्थ है जिसके रचयिता केदारभट्ट हैं। केदारभट्ट के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अधिक जानकारी प्राप्त नहीं होती। इस ग्रन्थ का रचनाकाल १५वीं शताब्दी स्वीकार किया जाता है। छन्दोविवेचन की दृष्टि से वृत्तरत्नाकर एक प्रौढ़ रचना है। इसमें छः अध्याय तथा १३६ श्लोक हैं।

वृत्तरत्नाकर की एक विशेषता यह है कि छन्द के लक्षण रूप में प्रयुक्त पङ्क्ति छन्द के उदाहरण रूप में भी घटित हो जाती है। [1]अधिक उपयोगी होने के कारण वृत्तरत्नाकर की अनेक टीकाएँ लिखीं गयीं। इस पर प्राचीन चौदह टीकाएं उपब्ध हैं जिनमें से नारायणी टीका को ज्ञानवर्धन की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है।

सन्दर्भ

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