जयन्त विष्णु नार्लीकर
जयन्त विष्णु नार्लीकर | |
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जन्म |
19 जुलाई 1938[1][2][3] कोल्हापुर |
आवास |
पुणे ![]() |
नागरिकता |
भारत ![]() |
शिक्षा |
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय,[4] टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान ![]() |
पेशा |
खगोल विज्ञानी, विश्वविद्यालय शिक्षक ![]() |
जीवनसाथी |
मंगला नार्लीकर ![]() |
माता-पिता |
विष्णु वासुदेव नार्लीकर ![]() |
पुरस्कार |
महाराष्ट्र भूषण पुरुस्कार, कलिंग पुरस्कार,[5] शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार ![]() |
जयन्त विष्णु नार्लीकर (मराठी: जयन्त विष्णु नारळीकर ; जन्म 19 जुलाई 1938) प्रसिद्ध भारतीय भौतिकीय वैज्ञानिक हैं जिन्होंने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी में अनेक पुस्तकें लिखी हैं। ये ब्रह्माण्ड के स्थिर अवस्था सिद्धान्त के विशेषज्ञ हैं और फ्रेड हॉयल के साथ भौतिकी के हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं। इनके द्वारा रचित एक आत्मकथा चार नगरातले माझे विश्व के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[6]
परिचय
जयन्त विष्णु नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर [महाराष्ट्र]में हुआ था। उनके पिता विष्णु वासुदेव नार्लीकर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में गणित के अध्यापक थे तथा माँ संस्कृत की विदुषी थीं। नार्लीकर की प्रारम्भिक शिक्षा Central Hindu boys School CHS वाराणसी में हुई। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि लेने के बाद वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गये। उन्होने कैम्ब्रिज से गणित की उपाधि ली और खगोल-शास्त्र एवं खगोल-भौतिकी में दक्षता प्राप्त की।
आजकल यह माना जाता है कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति विशाल विस्फोट (Big Bang) के द्वारा हुई थी पर इसके साथ साथ ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में एक और सिद्धान्त प्रतिपादित है, जिसका नाम स्थायी अवस्था सिद्धान्त (Steady State Theory) है। इस सिद्धान्त के जनक फ्रेड हॉयल हैं। अपने इंग्लैंड के प्रवास के दौरान, नार्लीकर ने इस सिद्धान्त पर फ्रेड हॉयल के साथ काम किया। इसके साथ ही उन्होंने आइंस्टीन के आपेक्षिकता सिद्धान्त और माक सिद्धान्त को मिलाते हुए हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
1970 के दशक में नार्लीकर भारतवर्ष वापस लौट आये और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान में कार्य करने लगे। 1988 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा उन्हे खगोलशास्त्र एवं खगोलभौतिकी अन्तरविश्वविद्यालय केन्द्र स्थापित करने का कार्य सौपा गया। उन्होने यहाँ से 2003 में अवकाश ग्रहण कर लिया। अब वे वहीं प्रतिष्ठित अध्यापक हैं।
सम्मान
[संपादित करें]अपने जीवन के सफर में नार्लीकर को अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। इन पुरस्कारों में प्रमुख हैं: स्मिथ पुरस्कार (1962), पद्म भूषण (1965), एडम्स पुरस्कार (1967), शांतिस्वरूप पुरस्कार (1979), इन्दिरा गांधी पुरस्कार (1990), कलिंग पुरस्कार (1996) और पद्म विभूषण (2004), महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार (2010)।
नार्लीकर न केवल विज्ञान में किये कार्य के लिये जाने जाते हैं पर वे विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में भी पहचाने जाते हैं। उन्हें अक्सर दूरदर्शन या रेडियो पर विज्ञान के लोकप्रिय भाषण देते हुऐ या फिर विज्ञान पर सवालों के जवाब देते हुए देखा एवं सुना जा सकता है।
पुस्तकें व प्रकाशन
[संपादित करें]नार्लीकर ने विज्ञान से सम्बन्धित अकल्पित व कल्पित दोनों तरह की पुस्तकें लिखी हैं। यह सारी पुस्तकें अंग्रेजी, हिन्दी, मराठी के साथ कई अन्य भाषाओं में हैं। धूमकेतु नामक पुस्तक विज्ञान से सम्बन्धित की छोटी छोटी कल्पित कहानियों का संकलन है। यह हिन्दी में है। इसकी कुछ कहानियाँ मराठी से अनूदित हैं। यह कहानियां विज्ञान के अलग अलग सिद्धान्तों पर आधारित हैं। द रिटर्न ऑफ वामन (अंग्रेजी: The Return of Vaman, वामन की वापसी) उनके द्वारा लिखा हुआ विज्ञान का कल्पित उपन्यास है। इस उपन्यास की कहानी भविष्य की एक घटना पर आधारित है, जिसके ताने-बाने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा बहुत सुन्दर तरीके से समायोजित है। यह दोनो पुस्तकें सरल भाषा में, विज्ञान को सरलता से समझाते हुऐ लिखी गयी हैं।
विज्ञानकथा
[संपादित करें]- अंतराळातील भस्मासुर
- अभयारण्य
- टाइम मशीनची किमया
- प्रेषित
- यक्षांची देणगी
- याला जीवन ऐसे नाव
- वामन परत न आला
- व्हायरस
इतर विज्ञानविषयक पुस्तकें
[संपादित करें]- आकाशाशी जडले नाते
- गणितातील गमतीजमती
- युगायुगाची जुगलबंदी गणित अन् विज्ञानाची (आगामी)
- नभात हसरे तारे (सहलेखक : डॉ॰ अजित केंभावी आणि डॉ॰ मंगला नारळीकर)
- विज्ञान आणि वैज्ञानिक
- विज्ञानगंगेची अवखळ वळणे
- विज्ञानाची गरुडझेप
- विश्वाची रचना
- विज्ञानाचे रचयिते
- सूर्याचा प्रकोप
- Facts And Speculations In Cosmology (सहलेखक : Geoffrey Burbidge)
- Seven Wonders Of The Cosmos
आत्मचरित
[संपादित करें]- चार नगरांतले माझे विश्व
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Jayant Narlikar". Retrieved 9 अक्टूबर 2017.
- ↑ संक्षिप्त मराठी वाङ्मयकोश खंड १ से ३, Wikidata Q67180886
- ↑ "Jayant V. Narlikar". Retrieved 9 अक्टूबर 2017.
- ↑ Mathematics Genealogy Project, Wikidata Q829984
- ↑ http://www.kalingafoundationtrust.com/website/kalinga-prize-for-the-popularization-of-science.htm.
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(help) - ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. Archived from the original on 15 सितंबर 2016. Retrieved 11 सितंबर 2016.
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Pages using the JsonConfig extension
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- भौतिक विज्ञान में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विजेता
- १९६५ पद्म भूषण
- भारतीय विज्ञान
- भारतीय वैज्ञानिक
- खगोलशास्त्री
- साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत मराठी भाषा के साहित्यकार
- 1938 में जन्मे लोग
- महाराष्ट्र के लोग
- 20वीं सदी के भारतीय खगोलविद
- विज्ञान और इंजीनियरिंग में पद्म विभूषण के प्राप्तकर्ता