गोपी कुमार पोदिला
गोपी कुमार पोदिला (१४ सितंबर, १९५७ - १२ फ़रवरी, २०१०) एक भारतीय-अमेरिकी जीवविज्ञानी, विख्यात विद्वान और हण्ट्सविल के अलाबामा विश्वविद्यालय में संकाय सदस्य थे। १२ फ़रवरी २०१० को विश्वविद्यालय में कथित रूप से अमी बिशप द्वारा की गई गोलीबारी में वे मारे गए तीन संकाय सदस्यों में से एक थे।[1] वे विश्वविद्यालय के जैविकी विभाग में कुर्सीरत थे और उन्हें चिनार की पारिस्थितिकी और उनके माइकॉर्हिज़ल सिम्बायन्ट्स (mycorrhizal symbionts) में विशेष रुचि थी।
अनुसंधान जीवृति
[संपादित करें]अपनी अनुसंधान रुचि के रूप में उन्होंने "जैवऊर्जा, कार्यात्मक जीनोमिक्स संयंत्र, आण्विक पादप जैविकी और जैवतकनिकी के लिए अभियान्त्रिकी वृक्ष जैव-ईंधन" को सूचीबद्ध किया।[2]
विशेष रूप से, पोदिला ने उन गुणसूत्रों का अध्ययन किया जो वृक्षों में वृद्धि को विनियमित करते हैं, विशेष रूप से चिनार और अस्पन। उन्होंने मकई के वैकल्पिक स्रोतों के लिए तेज़ी से बढ़ते वृक्षों और घासों की इथेनॉल उत्पादन के लिए संभावित उपयोग के रूप में पक्षसमर्थकता की है।[3] वे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के संकाय के समन्वयक भी थे, जिसने माइकॉर्हिज़ल कवक के गुणसूत्र का उद्वाचन किया है, जो एक कवक है जिसकी सहजीवी विशेषताएँ वृक्षों को बड़ी मात्रा में जैव-ईंधन का उत्पादन करने की अनुमति देती है।
जी.के. पोदिला ने आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय, भारत से विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। लुइसियाना राज्य विश्वविद्यालय से उन्होंने १९८३ में स्नात्कोतर और १९८७ में इण्डियाना राज्य विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी। हन्ट्सविल के अलाबामा विश्वविद्यालय से जुड़ने से पहले वे १९९०-२००२ तक मिशिगन तकनीकी विश्वविद्यालय में कार्यरत थे।
पोदिला निम्नलिखित संपादकीय पत्रिकाओं के बोर्ड के सदस्य थे: सिम्बायोसिस, न्यू फाय्टोलॉजिस्ट, फिजियोलॉजी एण्ड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ऑफ़ प्लाण्ट्स और जॉरनल ऑफ़ प्लाण्ट इण्टरैक्श्न्स।
अपनी मृत्यु के समय पोदिला इंटरनेशनल सिम्बायोसिस सोसायटी के एक पार्षद थे। मृत्यु के समय उनकी पत्नी वाणी पोदिला उनके साथ थीं।
विश्वविद्यालय गोलीबारी
[संपादित करें]१२ फ़रवरी २०१० के दिन, अमी बिशप, जो पोदिला के विभाग की संकाय सदस्य थी, ने स्टाफ् मीटिंग के दौरान कथित रूप से एक हस्तपिस्तौल निकाली और छः लोगों को गोली मार दी। पोदिला और दो अन्य संकाय सदस्य मारे गए। बिशप को भवन से बाहर हिरासत में ले लिया गया और उसपर पहले दर्जे की हत्या का आरोप लगा। यदि बिशप पर आरोप सिद्ध हो जाता है तो राज्य कानून के अनुसार उसे मृत्युदण्ड दिया जा सकता है।
कार्य
[संपादित करें]- अजीत वर्मा, गोपी के. पोदिला, एड (२००६) रोगाणुओं के अनुप्रयोगों की जैव प्रौद्योगिकी। टनबिज वेल्स, केण्ट: अनशन. LCCN 2006-411669. ISBN 1-904798-61-6.
- गोपी के.पोदिला और डेविड डी डोड्स, जूनियर, एड (२०००) माइकॉर्हिज़ अनुसंधान में वर्तमान अग्रगति. सन्त पॉल, मिनिसोटा: अमेरिकन फाय्टोपओथॉलॉजिकल सोसायटी. पीपी. IX, 193. LCCN 99-068446. ISBN 0-89054-245-7.
- लीलण्ड जे. सीकी, पीटर बी. कओफ़मन, गोपी के. पोदिला और चुंग-जुइ त्साइ, एड (२००२)। जैविकी और औषध में आणविक और कोशिकीय विधियों की हस्तपुस्तिका। टेलर और फ्रांसिस। ISBN 0-8493-0815-1.
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अमेरिकी विश्वविद्यालय में हुई गोलीबारी में भारतीयामेरिकी वैज्ञानिक सहित तीन लोग मरे। Archived 2010-03-16 at the वेबैक मशीन टाइम्स ऑफ इण्डिया
- ↑ "डॉ॰ जी. के. पोदिला, कुर्सीरत, जैविक विज्ञान विभाग"हण्ट्सविल का अलाबामा विश्वविद्यालय
- ↑ "महासागरों को विषाक्त किए बिना वृक्ष और घास इथेनॉल का उत्पादन कर सकते हैं". मूल से 17 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 मार्च 2010.