कमलाकर
कमलाकर (1616–1700) भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलविद थे। उनके तीन भाइयों में से अन्य दो भी गणितज्ञ व खगोलविद थे। इनमें से दिवाकर सबसे बड़े थे और उनका जन्म १६०६ में हुआ था। उनके सबसे छोटे भाई रंगनाथ भी गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे।
कमलाकर का जन्म गोदावरी के उत्तरी किनारे पर स्थित गोलग्राम में हुआ था। उनका परिवार विद्वानों का परिवार था। कमलाकर ने अपने बड़े भाई दिवाकर से खगोलशास्त्र सीखा। बाद में कमलाकर का परिवार वाराणसी आ गया था।
सिद्धान्ततत्त्वविवेक, कमलाकर की सबसे प्रसिद्ध रचना है। इसकी रचना उन्होंने काशी में सन १६५८ में की थी। सुधाकर द्विवेदी ने इसे वाराणसी शृंखला के अन्तर्गत इसे प्रकाशित किया था। इसमें मापन की इकाइयाँ, ग्रहों की माध्य गति, ग्रहों की यथार्थ देशान्तर, ग्रहों के व्यास एवं दूरियाँ, चन्द्रमा का उदय और अस्त, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण आदि का वर्णन है। शेषवासना एवं सौरवासना उनके अन्य ग्रन्थ हैं।
कमलाकर, सिद्धान्तसार्वभौम के रचयिता मुनीश्वर के कटु विरोधी थे।
कृतियाँ
[संपादित करें]लेख
[संपादित करें]- A K Bag, "Indian literature on mathematics during 1400–1800 A.D.", Indian J. Hist. Sci. 15 (1) (1980), 79–93.
- Radha Charan Gupta, "Kamalakara's mathematics and construction of Kundas", Ganita Bharati 20 (1-4) (1998), 8–24.
- Radha Charan Gupta, "Addition and subtraction theorems for the sine and the cosine in medieval India", Indian J. History Sci. 9 (2) (1974), 164–177.
- Radha Charan Gupta, "Sines and cosines of multiple arcs as given by Kamalakara", Indian J. History Sci. 9 (2) (1974), 143–150.
- Radha Charan Gupta, "Sines of sub-multiple arcs as found in the Siddhanta-tattva-viveka", Ranchi Univ. Math. J. 5 (1974), 21–27.
- David Pingree, "Islamic astronomy in Sanskrit", J. Hist. Arabic Sci. 2 (2) (1978), 315–330; 425.
- A N Singh, "Hindu trigonometry", Proc. Benares Math. Soc. 1 (1939), 77–92.
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- कमलाकर भट्ट
- सिद्धान्ततत्त्वविवेक
- SiddhantaTattvaViveka with VasanaBhashya ( Gangadhara Sharma, Krishna Chandra Dvivedi)