बर्नूली संख्या

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  • '''''भिन्नों की एक श्रेणी को बर्नौली संख्याएँ' (Bernoulli number) दिया जाता है, जैसे 1/6, 1/30, 1/42, 1/30, 5/66.....आदि। जेकब बर्नौली (Jacob Bernoulli) ने इस श्रेणी का प्रतिपादन किया था तथा उन्होंने इसका उपयोग प्रथम (x) पूर्णांकों के (n) घातों का योग निकालने के लिए किया। इन्हें B0, B1, B2, B3 आदि से निरूपित किया जाता है।
n 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14
Bn 1 −1/2 1/6 0 −1/30 0 1/42 0 −1/30 0 5/66 0 −691/2730 0 7/6

संख्या सिद्धान्त से इन संख्याओं का निकट सम्बन्ध है। इस संख्याओं का उपयोग संख्याओं के सिद्धांत, अंतरकलन तथा निश्चित समाकलों के सिद्धांत से संबंधित गणितीय निर्धारणों में किया जाता है। tan x तथा tanh x के टेलर श्रेणी प्रसार में ये संख्याएँ आतीं हैं।

प्राकृतिक संख्याओं के m घात का योग[संपादित करें]

जहाँ (m + 1k) द्विपद गुणांक हैं।

उदाहरण,

आर्यभट ने अपने आर्यभटीय के निम्नलिखित श्लोक के प्रथम भाग में प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों के योग का तथा तथा द्वितीय भाग में घनों के योग का सूत्र दिया है।[1]

स-एक-स-गच्छ-पदानाम् क्रमात् त्रि-संवर्गितस्य षष्ठस् अंशस्।
वर्ग-चिति-घनस् सस् भवेत् चिति-वर्गस् घन-चिति-घनस् च ॥
(अंग्रेजी अनुवाद) : The sixth part of the product of three quantities consisting of the number of terms, the number of terms plus one, and twice the number of terms plus one is the sum of the squares. The square of the sum of the (original) series is the sum of the cubes. (Katz, 217)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Sums of Powers of Positive Integers - Aryabhata (b. 476), northern India". मूल से 10 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 मई 2017.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]