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नागपुरी भाषा

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नागपुरी
सादरी
बोलने का  स्थान भारत
तिथि / काल २०११ की जनगणना
क्षेत्र भारत के बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा
समुदाय नागपुरिया लोग
मातृभाषी वक्ता 5 मिलियन (लगभग ५० लाख)[1]
भाषा परिवार
लिपि देवनागरी
भाषा कोड
आइएसओ 639-3 sck
भारत में नागपुरी भाषा क्षेत्र
भारत में नागपुरी भाषा क्षेत्र

नागपुरी झारखण्ड, बिहार, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्यों में बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। isse नागजाति या नागवंश के शासन स्थापित होने पर (६४ ई.) इसकी राजभाषा नागपुरी, छोटानागपुर (झारखंड) में सर्वमान्य हुई। यह सदानो की मातृ भाषा है। नागपुरी को सदान के अतिरिक्त मुण्डा, खड़िया, उराँव, लोहरा, महली, चिक बड़ाईक आदि की यह सम्पर्क भाषा अर्थात सर्वसाधारण की बोली हो गई है। नागपुरी के पूर्व नाम, सदानी, सादरी, गँवारी भी प्रचलित रहे हैं। अब यह नागपुरी नाम पर विराम पा गई है।

नामोत्पत्ति

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कई इतीहासकारों का मानना है की सादानी शब्द की उत्पत्ति निषध शब्द से हुई है। इस क्षेत्र में नागवंशी राजावों के शासन के कारण इस भाषा का नाम नागपुरी हुआ। इसे सादरी के नाम से भी जाना जाता है। नागपुरी भाषा बोलने वालो को नागपुरिया कहा जाता है।[2][3]

भौगोलिक विस्तार

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नागपुरी भारत में मुख्य रूप से झारखंड के चतरा, लातेहार, लोहरदग्गा, गुमला, राँची, खूँटी, सिमडेगा, छत्तीसगढ़ के जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, और उड़ीसा के सुन्दरगड़ जिला में बोली जाती है|

फादर पीटर शांति नवरंगी ने इसके उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रश्न उठाया कि नागपुरी छोटानागपुर की आर्य भिन्न बोलियों के मध्य में कैसे पड़ी? कहाँ से आई? कब आई? नागपुरी के प्रथम वैयाकरण रेव. ई. एच. ह्विटली ने नागपुरी का संबंध किसी आर्य बोली से नहीं बतलाया। तो दूसरी ओर नागपुरी के दूसरे समर्थ वैयाकरण रेव. कोनराड बुकाउट ने नागपुरी को मगही, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी इत्यादि से मिलती-जुलती बताया। फिर भी यह इनसे भिन्न भाषा है जो छोटानागपुर के अरण्यों और पहाड़ियों के बीच बसे गाँवों में स्वतंत्रातापूर्वक पनपी और विकसित हुई। अतः नागपुरी का शुद्ध रूप अब उन गाँवों में ही सुरक्षित है। फादर नवरंगी ने यह स्वीकार किया है कि यह कहना कठिन है कि नागपुरिया सदानी (नागपुरी) भाषा किस प्राचीन प्राकृत अथवा मध्ययुग की किसी अपभ्रंश बोली का वर्तमान रूप है। इस भाषा के सर्वनामों और क्रियाओं के कोई-कोई रूप दूरवर्ती राजस्थानी और नेपाली रूपों से मिलते हैं, कितने रूप प्राचीन वैस्वारी और अवधी से संबंध दिखाते है, कितने रूप तो बंगला और उड़िया की चलित बोलियांे के रूप से मेल खा जाते हैं।

नागपुरी भाषा के प्रख्यात विद्वान प्रो॰ केसरी कुमार ने भी कहा है कि मगही और मैथिली की तरह नागपुरी भी मागधी अपभ्रंश से प्रसूत और उन्हीं की तरह एक निश्चित बोली है जो बिहारी के अंतर्गत आती है। डॉ॰ सुनीति कुमार चाटुर्ज्या के अनुसार मागधी प्रसूत भाषाओं की प्राचीन सामग्री के आधार पर भाषाविदों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि पूर्ववर्ती मागधी अपभ्रंश के सभी स्थानीय रूपों मगही, मैथिली, भोजपुरी, बंगला, उड़िया और असमिया ने आठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक न्यूनाधिक मात्रा में स्वतंत्रा रूप से अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर लिया होगा। यह पार्थक्य किस शताब्दी से सम्पन्न हुआ इसके संबंध में निश्चित रूप से कुछ कहा जाना संभव नहीं। यही स्थिति हम नागपुरी के लिए भी कह सकते हैं।

पूर्व में, नागपुरी कविताएँ लिखने में देवनागरी या कैथी लिपि का उपयोग किया जाता था। वर्तमान में, नागपुरी आमतौर पर देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।

साहित्य

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नागपुरी भाषा में काव्यों की रचना 17वी शताब्दी में शुरू हुई। नागवंशी राजाओं और रामगढ़ के राजाओं के शासनकाल के दौरान देवनागरी और कैथी लिपि में कई नागपुरी कविताएँ लिखी गई।[4][5] नागवंशी राजाओं में से कई राजा कवि, लेखक और रचनाकार रहे हैं। नागवंशी राजा रघुनाथ शाह एक कवि थे। हनुमान सिंह, बंधु लोहार, जयगोविंद मिश्र, बरजू राम, महाकवि घासी राम और दास महली नागपुरी के रचनाकार रहे हैं।[6] बेनीरामराम मेहता द्वारा लिखित "नागवंशावली" एक ऐतिहासिक कृति है। माहाकवी घासीराम द्वारा लिखित वंशावली, दुर्गासप्तशती, बरहामासा, विवह परिछन आदि प्रमुख है। प्रद्धुम्न दास और रुद्र सिंह भि प्रमुख लेखक रहे हैं।[7] डॉ बीपी केसरी नागपुरी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।[8][9][10]

वर्तमान में डॉ. उमेश नंद तिवारी, डॉ. शकुंतला मिश्र, डॉ. राम कुमार, डॉ. बूटन महली, हरिनंदन राम महली, संतोष महली एवं रामदेव बड़ाईक नागपुरी साहित्य के भण्डार भर रहे हैं।

नागपुरी, रांची विश्वविद्यालय और झारखंड के अन्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है।[11] कई नागपुरी पत्रिकाओं भारत के विभिन्न हिस्सों सहित रांची , शिलांग , डुआर्स और पश्चिम बंगाल के तराई क्षेत्रों में प्रकाशित होता है।

कुछ वाक्यांश

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वाक्यांश संस्कृत अनुवाद हिन्दी अनुवाद मराठी अनुवाद
मोर नाव महेश हेके। मम नाम महेश। मेरा नाम महेश है। माझं नाव महेश आहे
तोयं कैसन आहीस् /आपने कैसन आही? भवान कथम् अस्ति? तुम कौसे हो / आप कैसे हैं? तू कसा आहेस?
मोएं ठिक आहों। अहं कुशली। मैं ठीक हूँ। मी ठीक आहे.
का? किम? क्या? काय?
के? क:?(पुरुष), का?(महिला) कौन? कोण?
काले? किमर्थम्? क्युं? का?
कैसन? कथम्? कैसे? कस?
हीयां आओ। अत्र आगच्छतु। यहां आ। इकडे ये.
मोएं घर जात हों। अहम् गृहं गच्छामि। मैं घर जा रहा हूँ। मी घरी जातोय.
मोएं खा हों। मैने खाया है। मी खाल्लं आहे.
मोएं खाए रहों। मैने खाया था। मी खाल्लं होतं.
मोएं जामु। मैं जाउंगा। मी जाईन
हामे दुयो जाइल। आवां गच्छावः। हम दोनो जाते हैं। आम्ही दोघं जातोय.
तोयं जाइस्। त्वं गच्छासि तुम जाते हो। तू जात आहेस.
तोयं लिखतहिस्। त्वं लिखसि तुम लिख रहे हो। तू लिहत आहेस.
तोयं आबे। तुम आना। तू ये.
हामे लिखतहि। वयं लिखामः हम लिख रहे हैं। आम्ही लिहत आहोत.
हामे लीख हि। हम लिखे हैं। आम्ही लिहलंय.
उ आवेला। स: आगच्छति। वह आता है। तो येत आहे.
उ जात हे। स: गच्छति। वह जा रहा है। तो जात आहे.
उ आवत रहे। वह आ रहा था। तो येत होता.
उ खेली। वह खेलेगा। तो खेळेल.
उमन रोटि खा हयं। वे रोटी खाये हैं। त्यानी पोळी / चपाती खाल्ली आहे.
उमन गेलयं। वे गयें। ते गेले
उमन घर जाबयं। वे घर जायेंगे। ते घरी जातील.

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "Statement 1: Abstract of speakers' strength of languages and mother tongues - 2011". www.censusindia.gov.in. Office of the Registrar General & Census Commissioner, India. Archived from the original on 16 जुलाई 2019. Retrieved 2018-12-19.
  2. "नागपुरी भाषा को दो अलग कोड देने पर नाराजगी". livehindustan. 11 जुलाई 2021. Retrieved 17 अक्टूबर 2022.
  3. "ठेठ नागपुरी गीत-नृत्य के पुरोधा गोविंद शरण लोहरा". prabhatkhabar. 20 सितंबर 2019. Retrieved 17 अक्टूबर 2022.
  4. "Giant new chapter for Nagpuri poetry". www.telegraphindia.com. Archived from the original on 30 मार्च 2019. Retrieved 6 मार्च 2019.
  5. "नागपुरी कवि और उनका काव्य विमोचित". m.jagran.com. Archived from the original on 25 मार्च 2019. Retrieved 25 मार्च 2019.
  6. "नागपुरी राग-रागिनियों को संरक्षित कर रहे महावीर नायक". prabhatkhabar. 4 September 2019. Archived from the original on 4 सितंबर 2019. Retrieved 17 September 2019.
  7. "Jharkhand Samanya Gyan". books.google.co.in. Archived from the original on 30 मार्च 2019. Retrieved 13 मार्च 2019.
  8. "डॉ. बी पी केसरी का निधन नागपुरी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति". m.jagran.com. Archived from the original on 25 मार्च 2019. Retrieved 25 मार्च 2019.
  9. "डॉ बीपी केसरी की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि". www.prabhatkhabar.com. Archived from the original on 30 मार्च 2019. Retrieved 30 मार्च 2019.
  10. "डॉ रामदयाल मुंडा व डॉ केसरी को पढ़ेंगे स्कूली बच्चे". www.prabhatkhabar.com. Archived from the original on 25 मार्च 2019. Retrieved 25 मार्च 2019.
  11. "नागपुरी भाषा परिषद की ओर से मनाया जाएगा प्रफुल्‍ल जयंती, साहित्‍यकार होंगे सम्‍मानित". prabhatkhabar.com. Archived from the original on 22 मार्च 2019. Retrieved 22 मार्च 2019.

बाहरी कड़ियाँ

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