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हल्बी भाषा

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हल्बी भाषा ओडिया और मराठी के बीच की एक पूर्वी भारतीय-आर्य भाषा है। यह भारत के मध्य भाग में लगभग ५ लाख लोगों की भाषा है। इसे बस्तरी, हल्बा, हल्बास, हलबी, हल्वी, महरी तथा मेहरी भी कहते हैं। इस भाषा के वाक्यों में कर्ता के बाद कर्म और उसके बाद क्रिया आती है। इसमें विशेषण, संज्ञा के पहले आते हैं। यह प्रत्ययप्रधान भाषा है। यह एक व्यापारिक भाषा के रूप में प्रयोग की जाती है किन्तु इसमें साक्षरता बहुत कम है।

हल्बी, देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।

Linguistic Survey of India, Vol. VII, By G.R. Grierson, 1905

Specimens for dialect of the Halbas of Berar, Ellichpur Page No. 367-368

     कोनी एक मानुसला दोई पोऱ्या होता। ओका भितरल एक लाहानो पोऱ्या बापला बोलीस बाबा जो जिनगीको हिस्सा मोला आव्ह ओ दे। मग ओन ओला पैसा बाट दीईस। मग थोड दिवसमा लाहानो पोऱ्या समदो पैसा जमा कर-सरी दूर मुलुखमा चली गयो। आनी वहॉ उघडोपनान रह-सरी आपलो पैसा गमादीस। मग ओन सर्व पैसा खर्ची भयो बरतु ओन मुलखमा काड पडयो। ओन-मुड ओ खाबला मोताब भयो। तब ओ मुलखको एक मानुसक पास जाय-सरी रहेनु। ओन ओला डुकर चरबला आपल बावरमा धाडीस। तब डुकर जो फोल खात होता ओक बरतु ओन आपल पोट भरनो अश्यो ओला समज्यो। आखीन ओला कोणी कॉही देईन नही। मग शुध बरतु आय-सरी बोलीस, मोरो बापका किती सालदारला पोटभर भाकर भेटते आनी मी उपाशी मरतु। मी उठ-सरी आपलो बापकु द्या जाहॅु आखीन ओला बलहॅु, अरे बाबा मी देवको कहयोको बाहर आनखी तोरो सामने पाप करे आहॅु। ये पुढ तोरो पोऱ्या बलबी मोला बेस लागत नही।  तोरो एखादे सालबशा सरीको ठेव।  मंग उठ-सरी ओ आपलो बापकु द्या गयो। तब ओ दूरच आहा इतकोमा ओला देख-कुना ओक बापला दया आयी। आखीन ओन धाय-कुना ओक गरोमा हात टाकीस वो ओका मुका लेयीस। मग पोऱ्या ओला बलबला लाग्यो,  बाबा देवक कहेनोको बाहर वो तोरो सामनो मी पाप करे आहॅु आखीन येक पुढ तोरो पोऱ्या बलबला मोला बरो लागत नही।  पन बापन आपलो कामदारला सांगीस चांगलो पांघरुन आन-सरी येला पेहराव आखीन ओक बोटमा मुंदी वो पायमा जोडा घाल।  मग आपून खाय-पीयी-कुना मजा करबो।  केनकसाठी की यो पोऱ्या मऱ्यो होतो तो अब जीतो भयो।  वो हराप्यो होतो तो सपडयो।  तब वे आनन्द करब लाग्या।।

     ओन बेरा ओको मोठा पोऱ्या बावरमा होता।  मग ओ घर आय-बऱ्या ओन बाजा व नाच आयकीस। तब कामदार-भितरको एक झनला बलाय-कुना ओन पुसीस, यो काय आहा।  ओन ओला सांगीस की तोरो भाई आय आहा, आखीन ओ तोरो बापला खुशाल भेटे आहा बल-कुना ओन मोठी पंगत करीस आहा।  तब ओ राग भर-सरी भीतर जात नी होता।  येकसाठी ओको बाप बाहर आय-सरी ओला समजाबला लाग्यो।  पन ओन बापला बलीस ए देख मी इतको बरीसको तोरी चाकरी करतु आखीन तोरी मर्जी कबकही मी तोडयो नही।  तरी मी आपले गडी बरोबर मजा करनो येकसाठी मोला कॉही शेरीकी पिलाही देयेस नही।  आनी जेन तोरा पैसा किसबीनी संग नास करीस ओ तोरो पोऱ्या आयो तब तुन ओकसाठी मोठी पंगत देये आहास।  तब ओन ओला बलीस पोऱ्या तॅू सारो दिन मोरो संगमा आहास।  आखीन मोरी समदी जिंदगानी तोरीच आहा। पन हौस वो खुशी करनो अशो बरो होतो।  कहा-की तोरो भाई मरो होतो अब ओ जीतो भयो वो हरप्यो होतो ओ सपडयो।।

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