काला चौना, चौखुटिया तहसील

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
काला चौना, चौखुटिया तहसील
—  गाँव  —
निर्देशांक: (निर्देशांक ढूँढें)
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला अल्मोड़ा
आधिकारिक भाषा(एँ) हिन्दी,संस्कृत
आधिकारिक जालस्थल: www.uttara.gov.in

काला चौना रामगंगा नदी के पूर्वी छोर पर चौखुटिया ब्लॉक के तल्ला गेवाड़ में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित कनौंणियॉ बिष्ट नाम से विख्यात कुमॉऊनी हिन्दू राजपूतों के ऐतिहासिक गॉवों में से एक गाँव है।

इतिहास[संपादित करें]

प्राचीन इतिहास के अनुसार, जैसा कि अाज तक गेवाड़ घाटी के तकरीबन अधिकॉश अनुभवी इस इतिहास से भली भॉति परिचित हैं। ततसमय में तल्ला गेवाड़ के राजवंशी ठाकुर मेलदेव कनौणियॉ बिष्ट ने अपने राज्य को कई हिस्सों में बॉट दिया था। जिनमें से कुछों के साक्ष्य बहुविदित हैं। जैसे अपने चार पुत्रों और एक पुत्री तथा कुलपुरोहित यानि छ: भागों का विभाजन। जिसमें से पहला भाग रामगंगा के पश्चिमी ओर मध्य का हिस्सा (जो अब कनौंणी नाम से प्रचलित है) सबसे बड़े पुत्र को, दूसरा रामगंगा के पश्चिमी ओर का उत्तरी क्षेत्र (जिसे डॉंग कहते हैं) दूसरे पुत्र को, तीसरा दक्षिणी भू भाग (काला चौना) तीसरे पुत्र को, चौथा रामगंगा के पश्चिमी ओर उत्तर व मध्य के बीच का पठार (आदीग्राम कनौणियॉं) सबसे छोटे पुत्र को, पॉचवॉ उत्तर में डॉंग और आदीग्राम कनौणियॉं के बीच का भाग (जो आज आदीग्राम फुलोरिया के नाम से प्रसिद्ध है) कुलपुरोहित फुलोरियाओं को सौंप दिया, छटवॉ रामगंगा के पूर्वी छोर से लगा उत्तर में डॉंग के सामने से लेकर काला चौना की सीमा रेखा तक का भू भाग, यह दे दिया अपनी पुत्री को। जिसे आज मॉसी नाम से जाना जाता है। तो काला चौना हुआ तीसरे पुत्र का यानि प्रस्तुत काला चौना के निवासी राजवंशी ठाकुर मेलदेव कनौणियॉ बिष्ट के तीसरे पुत्र ही वंशज हैं। यहॉ पर पूर्ण रूप से कुमॉऊनी हिन्दू संस्कृति का समावेश है।

दर्शनीय स्थल[संपादित करें]

कोटेश्वर महादेव काला चौना गॉव की रिहायश से चन्द कदम दूर, दक्षिणी छोर पर स्थित प्राचीन और एकमात्र शिवालय है। चारों तरफ खेतों की हरियाली तथा फल फूलों से लदी डालियों के बीच स्थापित शिवालय। यह काला चौना निवासियों का देवों के देव महादेव की पूजा आराधना करने का उत्कृष्ट एवम् साफ स्वच्छ शिवालय है।

रामसिंह वैद्यजी आयुर्वेदिक औषधालय[संपादित करें]

काला चौना में रामसिंह वैद्यजी आयुर्वेदिक औषधालय है। इसकी स्थापना इसी गॉव में जन्मे रामसिंह कनौणियॉं बिष्ट ने 1967 में तल्ला गेवाड़ घाटी के तत्कालीन वरिष्टतम स्वतंत्रता आन्दोलनकारी विभूतियों में से एक तथा कुमॉंऊनी राजपूत (आजादी के दौरान अल्मोड़ा से प्रकाशित अख़बार) व समयांतर समाचार पत्र के संस्थापक नेताजी शेरसिंह हीत बिष्ट के संरक्षण व नेत्रित्व में की थी, तब इस गॉव में ही नहीं बल्कि सूमूचे दस-पन्द्रह वर्ग किलोमीटर में स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं का अभाव था। सर्वप्रथम इस औषधालय की स्थापना पट्टी वल्ला नया के पटियाचौरा नामक छोटे से संकीर्ण स्थान पर की गयी थी। यह स्थान पटियाचौरा भिकियासैंण मॉसी मोटर मार्ग पर पौराणिक बृद्ध केदार नामक शिवालय के समीप है। कुछ सालों के दौरान ही विषम परिस्थितियों के कारण आगे चल न सका। तत्पश्चात रामसिंह कनौणियॉ बिष्ट वैद्यजी ने अपने पैत्रक निवास काला चौना से ही संचालित किया था। जो अब काला चौना में ही स्थित है। इस घाटी के अधिकॉश लोग इस बात से भली भॉति अवगत है कि यहॉ पर हैजा, तपेदिक और बाल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक होता है।

प्राकृतिक सौन्दर्य[संपादित करें]

कुमाऊॅ के सभी तीज-त्यौहार मनाऐ जाते हैं। यहॉ पर पूर्ण रूप से कुमॉऊनी हिन्दू संस्कृति का समावेश पाया जाता है। यहॉ पर तकरीबन साल भर प्राकृतिक सौन्दर्य की विरासतता चारों ओर बिखरी रहती है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]