सामग्री पर जाएँ

"भारत का प्रधानमन्त्री": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
भारत का प्रधानमंत्री को अनुप्रेषित
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{Infobox official post
#पुनर्प्रेषित [[भारत का प्रधानमंत्री]]
|post = [[भारत गणराज्य]] की/के प्रधानमन्त्री<br><small>Prime Minister of India<br>''प्राइम मिनिस्टर ऑफ़ इण्डिया''</small>
|flag = Flag of India.svg
|flagsize = 110px
|flagcaption = [[भारत का राष्ट्रीय ध्वज|भारतीय राष्ट्रीय ध्वज]]
|insignia = Emblem of India.svg
|insigniasize = 50px
|insigniacaption = [[भारत का राज्य संप्रतीक|भारत सरकार का संप्रतीक]]
|image = PM Modi Portrait(cropped).jpg
|imagesize = 200px
|incumbent = [[नरेन्द्र मोदी]]
|incumbentsince = २६ मई २०१४
|style = [[माननीय]] (औपचारिक) <br/> [[महामहिम]] (राजनयिक)
|member_of = [[भारत का केन्द्रीय मंत्रिमंडल|केन्द्रीय मंत्रिमण्डल]]<br/>[[नीति आयोग]]<br/>[[भारतीय संसद |संसद]]
|reports_to = [[भारतीय संसद ]]<br/>[[भारत के राष्ट्रपति |राष्ट्रपति]]
|residence = [[७, लोक कल्याण मार्ग]], [[नई दिल्ली]], [[भारत]]
|seat = [[प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)|प्रधानमन्त्री कार्यालय]], [[साउथ ब्लॉक]], [[नई दिल्ली]], [[भारत]]
|appointer = [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]]
|appointer_qualified = {{raise|0.3em|रीतिस्पद रूपतः [[लोकसभा]] में [[बहुमत]] सिद्ध करने की क्षमता द्वारा}}
|termlength = {{raise|0.4em|[[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] के प्रसादपर्यंत<ref>[[भारतीय संविधान]] अनुछेद ७५(२)[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/PartV.pdf]</ref><br/><small>परंपरागत रूप से, [[लोकसभा]] में बहुमत सिद्ध करने की क्षमता पर<be/>[[लोकसभा]] की दीर्घतम कार्यावधि ५ वर्ष होती है, बशर्ते की कार्यकाल समापन के पूर्व ही सभा भंग न की जाए तो।<br/>कायर्काल पर किसी भी प्रकार की समय-सीमा रेखकांकित नहीं की गयी है।</small>}}
|formation = {{start date and years ago|df=yes|1947|08|15}}
|inaugural = [[जवाहरलाल नेहरू]]
|salary = {{INRConvert|20|l}} {{resize|80%|(वार्षिक, {{INRConvert|960|k}} संसदीय वेतन समेत)}}
|website = [http://pmindia.gov.in/ प्रधानमन्त्री कार्यालय]
}}

'''भारत गणराज्य के प्रधानमन्त्री'''(सामान्य वर्तनी:''प्रधानमंत्री''), का पद, [[भारत|भारतीय संघ]] के [[शासनप्रमुख]] का पद है। [[भारतीय संविधान]] के अनुसार, प्रधानमन्त्री, [[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)|केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद्]] का प्रमुख और [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के [[कार्यकारिणी (सरकार)|कार्यपालिका]] का प्रमुख होता है, और सरकार के कार्यों के प्रती [[भारतीय संसद|संसद्]] को जवाबदेह होता है। [[भारत]] की [[संसदीय प्रणाली|संसदीय राजनैतिक प्रणाली]] में [[राष्ट्रप्रमुख]] और [[शासनप्रमुख]] के पद को पूर्णतः विभक्त रखा गया है। सैद्धांतिकरूपे, संविधान, [[भारत के राष्ट्रपति]] को देश का राष्ट्रप्रमुख घोषित करता है, और सैद्धांतिकरूपे, शासनतंत्र की सारी शक्तियों को राष्ट्रपति पर निहित करता है। तथा संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है की राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधकारियों की सलाह पर करेगा।<ref>[[भारतीय संविधान]], अनुछेद ५३</ref> संविधान द्वारा [[राष्ट्रपति]] के सारे कार्यकारी अधिकारों को प्रयोग करने की शक्ति, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, प्रधानमन्त्री को दी गयी है।<ref>संविधान का अनुछेद 74</ref> संविधान अपने भाग ५ के विभिन्न अनुछेदों में प्रधानमन्त्रीपद के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है।

[[भारतीय संविधान]] के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति आवश्यक माना गया है। उसकी मृत्यु या त्याग की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह स्वेच्छा से ही [[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)| मंत्रीपरिषद ]] का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है। सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है। [[राष्ट्रपति]] तथा मंत्री परिषद के मध्यसंपर्क सूत्र भी वही है। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह परिषद के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है। संसद मे परिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्रीगण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना आवश्यकतानुसार मंगवा सकता है।

प्रधानमन्त्री, [[लोकसभा]] में [[बहुमत]]-धारी [[राजनैतिक दल|दल]] का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति [[भारत के राष्ट्रपति]] द्वारा, [[लोकसभा]] में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है, परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है, जबतक [[लोकसभा]] में बहुमत उसके पक्ष में हो।

संविधान, विशेष रूप से, [[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)|केंद्रीय मंत्रिमण्डल]] पर प्रधानमन्त्री को पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इस पद के पदाधिकारी को सरकारी तंत्र पर दी गयी अत्यधिक नियंत्रणात्मक शक्ति, प्रधानमन्त्री को [[भारत गणराज्य]] के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति बनती है। विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य बलों समेत एक [[परमाणु शास्त्र|परमाणु-सम्मत देश]] के नेता होने के कारण भारतीय प्रधानमन्त्री को विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों में गिना जाता है। वर्ष २०१० में [[फ़ोर्ब्स पत्रिका]] ने अपने, विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में तत्कालीन प्रधानमन्त्री [[मनमोहन सिंह]] को १८वीं स्थान पर रखा था,<ref>{{cite news| url=http://www.forbes.com/profile/manmohan-singh | work=फ़ोर्ब्स | title= विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति:मनमोहन सिंह| date=३ नवंबर २०१०}}(अंग्रेज़ी)</ref> तथा २०१२ और २०१३ में उन्हें क्रमशः १९वें और २८वें स्थान पर रखा था।<ref>{{cite web|url=http://www.forbes.com/profile/manmohan-singh/|title=मनमोहन सिंह:forbes.com|publisher=|accessdate=16 नवंबर 2016}}(अंग्रेज़ी)</ref><ref>{{cite web|url=http://blogs.reuters.com/india/2013/10/31/sonia-gandhi-manmohan-singh-slip-in-forbes-most-powerful-list/|title=फ़ोर्बेस की सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों की सूची में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह|first=By Tony|last=Tharakan|publisher=|accessdate=16 नवंबर 2016}}(अंग्रेज़ी)</ref><ref>{{cite web|url=http://www.ndtv.com/photos/news/these-are-the-worlds-most-powerful-people-14299#photo-185869|title=विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की फ़ोटो दीर्घा|publisher=|accessdate=16 नवंबर 2016}}(अंग्रेज़ी)</ref> तथा उनके उत्तराधिकारी, [[नरेंद्र मोदी]] को, वर्ष २०१४ में १५वें स्थान पर, तथा, वर्ष २०१५ में विश्व का ९वाँ सबसे शक्तिशाली व्यक्ति नामित किया था।<ref>{{cite web|url=http://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/pm-narendra-modi-worlds-9th-most-powerful-person-in-forbes-list/articleshow/49663215.cms|title=फ़ोर्बेस की सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में प्रधामन मोदी 9वें स्थान पर |work=द इकॉनोमिक टाइम्स}}(अंग्रेज़ी)</ref><ref>{{cite news |title= विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्तिगण|author= |url=http://www.forbes.com/profile/narendra-modi/|newspaper=फ़ोर्बेस|date= नवंबर 2014|accessdate=6 नवंबर 2014}}(अंग्रेज़ी)</ref>

इस पद की स्थापना, वर्त्तमान, कर्तव्यों और शक्तियों के साथ, २६ जनवरी १९४७ में, [[भारत का संविधान|संविधान]] के परवर्तन के साथ हुई थी। उस समय से वर्त्तमान समय तक, इस पद पर कुल १५ पदाधिकारियों ने अपनी सेवा दी है। इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले पदाधिकारी, [[जवाहरलाल नेहरू]] थे, जबकि, भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री, [[नरेंद्र मोदी]] हैं, जिन्हें २६ मई २०१६ को इस पद पर नियुक्त किया गया था।

==संवैधानिक पद व व्युत्पत्ति==
[[भारत]] के [[भारत की संविधान सभा|संविधान-निर्माताओं]] ने भारतीय राजनैतिक प्रणाली को [[वेस्टमिंस्टर प्रणाली]] से प्रभावित होकर एक [[संसदीय प्रणाली|संसदीय गणराज्य]] का रूप दिया था, जिसमें [[राष्ट्रप्रमुख]] तथा [[शासनप्रमुख]] के पदों को पूर्णतः विभक्त रखा गया था। भारतीय राजनैतिक प्रणाली में प्रधानमन्त्री का पद [[भारत का संविधान|संविधान]] द्वारा स्थापित [[शासनप्रमुख ]] का पद है, जिसपर [[सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार]] के आधार पर [[लोकतंत्र|प्रजातान्त्रिक]] रूप से निर्वाचत व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है। वहीँ [[भारत के राष्ट्रपति]] का पद भारत गणराज्य के [[राष्ट्रप्रमुख]] का पद है, जिन्हें संसद द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित किया जाता है। [[प्रधानमन्त्री]] का पद निःसंदेह, भारतीय राजनैतिक प्रणाली का सबसे शक्तिशाली एवं वर्चस्वपूर्ण पद है। [[भारत सरकार|संघीय सरकार]] तथा केंद्रीय मंत्रिमण्डल की सारी गतिविधियों व नीतियों पर अंत्यत् नियंत्रण प्रधानमन्त्री के पास ही होता है।<ref>[http://www.elections.in/government/prime-minister.html प्रधानमन्त्री का संवैधानिक पद, एलेक्शन्स.इन](अंग्रेज़ी)</ref> केंद्रीय मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी भी अंत्यतः प्रधानमन्त्री ही करते हैं।

हालाँकि, मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी व अन्य ऐसे कार्य प्रधानमन्त्री स्वयँ नहीं कर सकते है। मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] द्वारा प्रधानमन्त्री के सलाह पर होता है। [[भारतीय संविधान]] क्रमशः ऐसे कई विधान प्रेषित करता है, जिनके द्वारा वैधिक रूप से यह सुनिष्चित किया गया है की सामान्य(गैर-आपातकालीन) हालातों में, कार्यपालिका के मामले में राष्ट्रपति पर केवल नाममात्र शक्तियाँ निहित हों, जबकि वस्तासिक शक्तियाँ प्रधानमन्त्री के हाथों में हो। संविधान ने प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति की शक्तियों को भाग 5 के विभिन्न अनुछेदों में कुछ इस प्रकार अंकित किया गया है:<ref>[http://hindi.webduniya.com/samayik/samvidhan/part_5_lession_1.htm संविधान का भाग ५-वेबदुनिया](हिंदी)</ref>

{{quote|''संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।''<br/>-पञ्चम् भाग, ५३वीं अनुछेद(१)}}

{{quote|''राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधानमन्त्री होगा और राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करेगा, परंतु राष्ट्रपति मंत्रि-परिषद से ऐसी सलाह पर साधारणतया या अन्यथा पुनर्विचार करने की अपेक्षा कर सकेगा और राष्ट्रपति ऐसे पुनर्विचार के पश्चात्‌ दी गई सलाह के अनुसार कार्य करेगा।''<br/>-पञ्चम् भाग, ७४वीं अनुछेद(१)}}

{{quote|''प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री की सलाह पर करेगा।''<br/>-पञ्चम् भाग, ७५वीं अनुछेद(१)}}

==नियुक्ति==
[[चित्र:Lord Mountbatten swears in Jawaharlal Nehru as the first Prime Minister of free India on Aug 15, 1947.jpg|thumb|right|250px|[[भारत के गवर्नर-जनरल|भारत के अंतिम महाराज्यपाल]] [[लुईस माउंटबेटन, बर्मा के पहले अर्ल माउंटबेटन|लॉर्ड माउण्ट्बॅटन]], [[जवाहरलाल नेहरू|पण्डित जवाहरलाल नेहरू]] को भारत के प्रथम् प्रधानमन्त्री ककी शपथ दिलाते हुए, १५ अगस्त १९४७]]
[[चित्र:Narendra Modi taking oath.jpg|thumb|right|300px|[[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] [[प्रणब मुखर्जी]] द्वारा प्रधानमंत्रित्व की शपथ लेते, [[नरेंद्र मोदी]], २७ मई २०१४]]
साधारणतः, प्रधानमन्त्री को [[भारत में चुनाव|संसदीय आम चुनाव]] के परिणाम के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। प्रधानमन्त्री, [[लोकसभा]] में [[बहुमत]]-धरी दल (या गठबंधन) के नेता होते हैं। हालाँकि, प्रधानमन्त्री का स्वयँ लोकसभा सांसद होना अनिवार्य नहीं है, परंतु उन्हें, लोकसभा में बहुमत सिद्ध करना होता है, और नियुक्ति के छह महीनों के भीतर ही संसद् का सदस्य बनना पड़ता है। प्रधानमन्त्री संसद् के दोनों सदनों में से किसी भी एक सदन के सदस्य हो सकते हैं। ऐतिहासिक तौरपर ऐसे कई प्रधानमन्त्री हुए हैं, जोकि [[राज्यसभा ]]-सांसद् थे; १९६६ में [[इंदिरा गांधी]], [[ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा|देवगौड़ा]](१९९६) और हालही में [[मनमोहन सिंह]](२००४, २००९), [[राज्यसभा]]-सांसद् थे।<ref name="omabc" /> प्रत्येक चुनाव पश्चात्, नविन सभा की बैठक में [[बहुमत]] दाल के नेता के चुनाव के बाद, [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]], बहुमत-धरी दल के नेता को प्रधानमन्त्री बनने हेतु आमंत्रित करते हैं, आमंत्रण स्वीकार करने के पश्चात, संबंधित व्यक्ति को [[लोकसभा]] में मतदान द्वारा विश्वासमत प्राप्त करना होता है। तत्पश्चात् विश्वासमत-प्राप्ति की आदेश को राष्ट्रपति तक पहुँचाया जाता है, जिसके बाद एक समारोह में प्रधानमन्त्री तथा अन्य मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई जाती है, और उन्हें प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जाता है।<ref>[http://www.desikanoon.co.in/2014/05/how-is-prime-minister-appointed-elected-india.html भारत में प्रधानमन्त्री का चुनाव एवं नियुक्ति की प्रक्रिया], देसीकानून.सीओ.इन(अंग्रेज़ी)</ref> यदि कोई एक दल या गठबंधन, [[लोकसभा]] में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम होता है, तो, यह पूर्णतः [[भारत के राष्ट्रपति|महामहिम राष्ट्रपति]] के विवेक पर निर्भर होता है की वे किस व्यक्ति को प्रधानमन्त्रीपद प्राप्त करने हेतु आमंत्रित करें। ऐसी स्थिति को [[त्रिशंकु सभा]] की स्थिति कहा जाता है। त्रिशंकु सभा की स्थिति में राष्ट्रपति साधारणतः सबसे बड़े दल के नेता को निम्नसदन में बहुमत सिद्ध करने हेतु आमंत्रित करते है(हालाँकि संवैधानिक तौरपर वे इस विषय में अपने पसंद के किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित करने हेतु पूर्णतः स्वतंत्र हैं)। निमंत्रण स्वीकार करने वाले व्यक्ति का लोकसभा में विश्वासमत सिद्ध करना अनिवार्य है, और उसके बाद ही वह व्यक्ति [[ प्रधानमन्त्री]] नियुक्त किया जा सकता है।<ref>[http://www.legalserviceindia.com/article/l389-Hung-Parliament.html त्रिशंकु सभा-इतिहास व विश्लेषण], www.legalservice.com(अंग्रेज़ी)</ref><ref name="दूसरी अनुसूची">[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/SECOND-SCHEDULE.pdf दूसरी अनुसूची-भारतीय ग्रंथागार]</ref> ऐतिहासिक तौरपर, इस विशेषाधिकार का प्रयोग अनेक अवसरों पर विभिन्न [[राष्ट्रपति|राष्ट्रपतिगण]] कर चुके हैं। वर्ष १९७७ में [[राष्ट्रपति]] [[नीलम संजीव रेड्डी]] ने प्रधानमन्त्री [[मोरारजी देसाई]] के इस्तीफे के पश्चात्, [[चौधरी चरण सिंह]] को इसी विशेषाधिकार का प्रयोग कर, प्रधानमन्त्री नियुक्त किया था।<ref name="omabc">[http://www.omabc.com/national/constitution-of-india/executive/union/prime-minister/ प्रधानमन्त्री, भारत], ॐ एबीसी</ref><ref name="चरणसिंह">[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/श्री-चरण-सिंह/ प्रधानमन्त्री चरण सिंह की प्रोफाइल, व संक्षिप्त जीवनी], [[प्रधानमन्त्री कार्यालय]] की आधिकारिक वेबसाइट</ref> इसके अलावा भी इस विशेषाधिकार का उपयोग कर, राष्ट्रपतिगण ने १९८९ में [[राजीव गांधी]] और [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]], १९९१ में [[नरसिंह राव]] तथा १९९६ और १९९८ में [[अटल बिहारी वाजपेयी]] को प्रधानमंत्रित्व पर नियुक्त करने के लिए किया है।<ref name="vle">[http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=11998&chapterid=23952 भारतीय प्रधानमन्त्री, केस स्टडी], vle.du.ac.in(अंग्रेज़ी)</ref> कैबिनेट, प्रधानमन्त्री द्वारा चयनित और [[राष्ट्रपति]] द्वारा नियुक्त मंत्रियों से बना होता है।

===पात्रता===
[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] के पञ्चम् भाग के ७४, ७५वें व ८४वें अनुछेदानुसार प्रधानमन्त्रीपद के दावेदार को निम्नांकित योग्यताओं पर खरा उतरना होता है:<ref>[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/PartV.pdf भारतीय संविधान का पंचम् भाग-पात्रता संबंधीन नियम अनुछेद ७४ तथा ८४ में दिए गए हैं](हिंदी)</ref><ref>[http://archive.india.gov.in/govt/constitutions_india.php?id=3 संविधान के विभिन्न भागों के विषय(संबंधीन अनुछेद, पंचम भाग बे हैं)]</ref>

*उनके पास [[भारत गणराज्य]] देश की नागरिकता होनी चाहिए
*प्रधानमन्त्री के पास [[लोकसभा ]] अथवा [[राज्यसभा]] की सदस्यता होनी चाहिए। यही नियुक्ति के समय, पात्र, [[भारतीय संसद]] के दो सदनों में, किसी भी एक सदन का सदस्य नहीं होता है, तो नियुक्ति के ६ महीनों के मध्य ही उन्हें संसद की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य है, अन्यथा उनका प्रधानमंत्रित्व से खारिज हो जायेगा।
*यदि पात्र [[लोकसभा|लोकसभा सांसद]] है तो उसकी न्यूनतम् आयु २५ वर्ष, एवं यदि [[राज्यसभा|राज्यसभा सांसद]] है तो न्यूनतम् आयु ३० वर्ष होना अनिवार्य है।
*पात्र का, [[भारत सरकार|केंद्रीय सरकार]], [[भारत के राज्य|किसी भी राज्य सरकार]] अथवा पूर्वकथित किसी भी सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय तथा प्रशासनिक या गैर-प्रशासनिक निकाय की सेवा में किसी भी लाभकारी पद का कर्मचारी नहीं होना चाहिए।

इन योग्यताओं के अतिरिक्त, पात्र को [[संसद]] द्वारा भविष्य में पारित पात्रता के किसी भी योगता पर खरा उतारना होगा, तथा, क्योंकि प्रधानमन्त्री का सांसद होना अनिवार्य है, अतः प्रधानमंत्रित्व के पात्र को [[लोकसभा]] या [[राज्यसभा]] का सदस्य होने योग्य होना भी अंत्यतः अनिवार्य है। सांसद होने की योग्यताओं में उसे विकृत चित्त वाला व्यक्ति या दिवालिया घोषित ना होना, स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेना, किसी न्यायलय द्वारा उसका निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया जाना, तथा [[राष्ट्रपति]] या [[राज्यपाल]] नियुक्त होना शामिल हैं।<ref>[http://rajyasabhahindi.nic.in/rshindi/hindipage.asp राज्यसभा का जालघर]</ref><ref>[http://loksabhahindi.nic.in/ लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट]</ref> साथ ही सदन से प्रस्ताव-स्वीकृत निष्कासन से भी पात्र की सदस्यता समाप्त हो जाती है।<ref>[http://www.bharat.gov.in/govt/parliament.php संसद]</ref>

===कार्यपद के शपथ===
प्रधानमन्त्री को पद की शपथ [[भारत के राष्ट्रपति |राष्ट्रपति ]] द्वारा दिलाई जाती है। पद पर नियुक्ति हेतु, भावी पदाधिकारी को दो शपथ लेनेकी अनिवार्यता है। ये दोनों शपथ, [[भारतीय संविधान ]] की तीसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं(अनुच्छेद 75 (4), 99, 124 (6), 148 (2), 164 (3), 188 और 219) (अनुच्छेद 84 (क) और 173 (क) भी देखिए।):<ref>[http://archive.india.gov.in/govt/constitutions_india.php?id=3 भारतीय संविधान (सम्पूर्ण) -archive.india.gov.in]</ref><ref>[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/THIRD-SCHEDULE.pdf तीसरी अनुसूची-पीडीएफ़]</ref>

शपथ या प्रतिज्ञान के प्ररूप:

1 मंत्रीपद की शपथ का प्ररूप :
{{cquote|'' <small>'मैं, [अमुक], ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, (संविधान (सोलहवाँ संशोधन) अधिनियम, 1963 की धारा 5 द्वारा अंतःस्थापित।) मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा, मैं संघ के प्रधानमन्त्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा।'</small> ''}}

2 गोपनीयता की शपथ का प्ररूप :

{{cquote|'' <small>'मैं, [अमुक], ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि जो विषय संघ के प्रधानमन्त्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक्‌ निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूँगा।'</small> ''}}

==कार्यकाल व निलंबन==
[[File:Morarji Desai portrait.jpg|thumb|right|200px|[[मोरारजी देसाई]] पहले ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने कार्यकाल की बीच ही पदत्याग किया था।]]
सैद्धान्तिक रूपतः, पदस्थ प्रधानमन्त्री, "[[राष्ट्रपति]] के प्रसादपर्यंत"<ref>[[भारतीय संविधान]] अनुछेद ७५(२)[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/PartV.pdf]</ref>, अपने पद पर बना रहता है। राष्ट्रपतिपद के विपरीत, प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के लिए कोई काल-सीमा निर्धारित नहीं की गए है। अतः एक पदस्थ प्रधानमन्त्री अनिश्चित काल तक प्रधानमन्त्रीपद पर बना रह सकता है, बशर्ते की [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] को उसपर "विश्वास" हो। इसका वास्तविक अर्थ यह है की एक व्यक्ति केवल तब तक प्रधानमन्त्री पद पर बना रह सकता है, जबतक [[लोकसभा]] में बहुमत का विश्वाश उसके पक्ष में है।<ref name="yal" /> बहरहाल, [[लोकसभा]] का पूरा कार्यकाल ५ वर्ष होता है, जिसके बाद नए चुनाव कराये जाते हैं, और नविन सभा पुनः प्रधानमन्त्री के पक्ष में विश्वासमत पारित करती है, यदि नव-निर्वाचित सभा प्रधानमन्त्री में अविश्वास घोषित कर देती है, तो फिर, प्रधानमन्त्री का कार्यकाल समाप्त हो जाता है।<ref name="elec" /> अतः यह कहा जा सकता है, की प्रधानमन्त्री का एक पूरा कार्यकाल ५ वर्ष का होता है, जिसकी बाद उसकी पुनःसमीक्षा होती है।<ref name="yal">[http://www.yourarticlelibrary.com/political-science/prime-minister-of-india-power-and-position-of-the-prime-minister/40355/ भारत के प्रधानमन्त्री, पद, कार्य व शक्तियाँ], योर आर्टिकल लाइब्रेरी(अंग्रेज़ी)</ref>

बहरहाल, प्रधानमन्त्री का कार्यकाल ५ वर्षों से पूर्व ही समाप्त हो सकता है, यदि किसी कारणवश, [[लोकसभा]] सरकार के विरोध में अविश्वास मत पारित करे अथवा यदि किसी कारणवश, प्रधानमन्त्री की संसद की सदस्यता शुन्य घोषित हो जाए तो। प्रधानमन्त्री, किसी भी समय, अपने पद का त्याग, [[राष्ट्रपति]] को एक लिखित त्यागपत्र सौंपके कर सकते हैं। प्रधानमन्त्री [[मोरारजी देसाई]] देश के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने कार्यकाल के बीच अपना पद त्याग दिया था।<ref>[http://www.thecolorsofindia.com/interesting-facts/government/first-indian-prime-minister-to-resign-from-office.html पद से त्याग करने वाले पहले भारतीय प्रधानमन्त्री, मोरारजी देसाई], कलर्स ऑफ़ इण्डिया (अंग्रेज़ी)</ref> प्रधानमन्त्री के कार्यकाल पर नाही किसी प्रकार की समय-सीमा है, ना कोई आयु सीमा निर्दिष्ट की गई है।<ref name="elec">[http://www.elections.in/government/prime-minister.html प्रधानमन्त्री], इलेक्शन.इन(अंग्रेज़ी)</ref>

==कार्य व शक्तियाँ==
{{भारत की राजनीति}}

[[भारतीय संविधान]] के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति आवश्यक मानता है। उसकी मृत्यु या त्यागपत्र की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह अकेले ही मंत्री परिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है। सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्री परिषद के मध्यसंपर्क सूत्र भी वही है। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह परिषद के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है । संसद मे परिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्री गण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना मंगवा सकता है। इन सब कारणॉ के चलते प्रधानमन्त्री को [[भारत]] का सबसे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक व्यक्तित्व माना जाता है।

===कार्यकारी शक्तियाँ===
[[चित्र:Narendra Modi Signing Documents In Prime Minister Office.jpg|thumb|right|200px|अपने कार्यालय में दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करते हुए, प्रधानमन्त्री मोदी]]
भारतीय प्रधानमन्त्रीपद के वर्चस्व व महत्व का सबसे अहम कारण है, उसके पदाधिकारी को प्रदान की गई कार्यकारी शक्तियाँ। संविधान का अनुछेद ७४<ref>भारतीय संविधान, भाग ५, अनुच्छेद ७४</ref> [[प्रधानमन्त्री]] के पद को स्थापित करता है, एवं यह निर्दिष्ट करता है की एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रधान, प्रधानमन्त्री होगा, जो [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] को "सलाह और सहायता" प्रदान करेंगे। तथा अनुछेद ७५ यह स्थापित करता है की मंत्रियों की नियुक्ति, [[राष्ट्रपति]] द्वारा प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार की जायेगी, एवं मंत्रोयों को विभिन्न कार्यभार भी राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार ही देंगे।<ref>भारतीय संविधान, भाग ५, अनुच्छेद ७५</ref> अतः संविधान यह निर्दिष्ट करता है की, जहाँ संवैधानिक कार्यकारी अधिकार [[भारत के राष्ट्रपति]] के पास है, परंतु क्योंकि इन संबंधों में [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] केवल प्रधानमन्त्री की सलाहनुसार कार्य करते हैं, अतः वास्तविकरूपे, इन कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग प्रधानमन्त्री अपनी इच्छानुसार करते हैं। इन विधानों द्वारा संविधान यह स्थापित करता है, की भारत के [[राष्ट्रप्रमुख]] होने के नाते, राष्ट्रपति पर निहित सारे कार्यकारी अधिकार, अप्रत्यक्षरूपे, प्रधानमन्त्री ही किया करेंगे, तथा संपूर्ण मंत्रिपरिषद् के प्रधान होंगे। तथा, अनुछेद ७५ द्वारा मंत्रिपरिषद् का गठन, मंत्रियों की नियुक्ति एवं उनका कार्यभार सौंपना भी प्रधानमन्त्री की इच्छा पर छोड़ दिया गया है, बल्कि मंत्रियों और मंत्रालयों के संबंध में संविधान, प्रधानमन्त्री को पूरी खुली छूट प्रदान करता है। प्रधानमन्त्री, अपने मंत्रिमण्डल में किसी भी व्यक्ति को शामिल कर सकते है, निकाल सकते है, नियुक्त कर सकते हैं या निलंबित करवा सकते हैं।<ref name="elec" /><ref name="pya" /><ref name="yal" /> क्योंकि मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा केवल प्रधानमन्त्री की सलाह पर होता है, अतः इसका अर्थ यह है की [[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)|केंद्रीय मंत्रिपरिषद्]] वास्तविकरूपे प्रधानमन्त्री की पसंद के लोगों द्वारा निर्मित होती है, जिसमें वे अपनी पसंदानुसार कभी भी फेर-बदल कर सकते है। साथ ही मंत्रियों को विभिन्न कार्यभार प्रदान करना भी पूर्णतः प्रधानमन्त्री की इच्छा पर निर्भर करता है; वे अपने मंत्रियों में से किसी को भी कोई भी मंत्रालय या कार्यभार सौंप सकती हैं, छीन सकते हैं या दूसरा कोई कार्यभार/मंत्रालय सौंप सकते हैं। इन मामलो में संबंधित मंत्रियों से सलाह-मश्वरा करने की, या उनकी अनुमति प्राप्त करने की, प्रधानमन्त्री पर किसी भी प्रकार की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है।<ref name="yal" /> बल्कि मंत्रियों व मंत्रालयों के विषय में पूर्वकथित किसी भी मामले में संबंधित मंत्री या मंत्रियों की सलाह या अनुमति प्राप्त करने की, प्रधानमन्त्री पर किसी भी प्रकार की संवैधानिक बाध्यता नहीं है। वे कभी भी अपनी इच्छानुसार, किसी भी मंत्री को मंत्रिपद से इस्तीफ़ा देने के लिए भी कह सकते है, और यदि वह मंत्री, इस्तीफ़ा देने से इंकार कर देता है, तो वे राष्ट्रपति से कह कर उसे पद से निलंबित भी करवा सकते हैं।<ref name="yal" /><ref name="pya">http://www.publishyourarticles.net/knowledge-hub/political-science/what-are-the-powers-and-functions-of-the-prime-minister-of-india/3313/</ref><ref name="elec" />

[[चित्र:The first Cabinet of independent India.jpg|thumb|left|250px|स्वतंत्र [[भारत]] की पहली मंत्रिपरिषद्, राष्ट्रपति [[राजेन्द्र प्रसाद]] के साथ]]
[[चित्र:Modi cabinet pays homage to the victims of attacks on Adivasis in Assam.jpg|thumb|left|250px|प्रधानमन्त्री [[नरेंद्र मोदी]] की मंत्रिमण्डलीय बैठक की तस्वीर]]
मंत्रियों की नियुक्ति एवं मंत्रालयों के आवण्टन के अलावा, मंत्रिमण्डलीय सभाएँ, कैबिनेट की गतिविधियाँ और सरकार की नीतियों पर भी प्रधानमन्त्री का पूरा नियंत्रण होता है। प्रधानमन्त्री, मंत्रिपरिषद् के संवैधानिक प्रमुख एवं नेता होते हैं।<ref>अनुछेद 74</ref> वे संसद एवं अन्य मञ्चों पर [[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)| मंत्रिपरिषद्]] का प्रतिनिधित्व करते है। वे मंत्रिमण्डलीय सभाओं की अध्यक्षता करते हैं, तथा इन बैठकों की कार्यसूची, तथा चर्चा के अन्य विषय वोही तय करते हैं। बल्कि कैबिनेट बैठकों में उठने वाले सारे मामले व विषयसूची, प्रधानमन्त्री की ही स्वीकृति व सहमति से निर्धारित किये जाते हैं। कैबिनेट की बैठकों में उठने वाले विभिन्न प्रस्तावों को मंज़ूर या नामंज़ूर करना, प्रधानमन्त्री की इच्छा पर होता है। हालाँकि, चर्च करने और अपने निजी, सुझाव व प्रस्तावों को बैठक के समक्ष रखने की स्वतंत्रता हर मंत्री को है, परंतु अंत्यतः वही प्रस्ताव या निर्णय लिया जाता है, जिसपर प्रधानमन्त्री की सहमति हो, और निर्णय पारित किये जाने के पश्चात् उसे पूरे मंत्रिपरिषद् का अंतिम निर्णय मन जाता है, और सभी मंत्रियों को प्रधानमन्त्री के उस निर्णय के साथ चलना होता है। अतः यह कहा जा सकता ही की संवैधानिक रूपतः, [[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)|केंद्रीय मंत्रिमण्डल]] पर प्रधानमन्त्री को पूर्ण नियंत्रण व चुनौतीहीन प्रभुत्व हासिल है। नियंत्रण के मामले में प्रधानमन्त्री, मंत्रिपरिषद् का सर्वेसर्वा होता है, और उसके इस्तीफे से पूरी सरकार गिर जाती है, अर्थात् सारे मंत्रियों का मंत्रित्व समाप्त हो जाता है। मंत्रिपरिषद् की अध्यक्षता के अलावा संविधान, प्रधानमन्त्री पर एक और ख़ास विशेषाधिकार निहित करता है, यह विशेषाधिकार है, मंत्रिपरिषद् और राष्ट्रपति के बीच का मध्यसंपर्क सूत्र होना। यह विशेषाधिकार केवल प्रधानमन्त्री को दिया गया है, जिसके माध्यम से प्रधानमन्त्री समय-समय पर, राष्ट्रपति को मंत्रीसभा में लिए जाने वाले निर्णय और चर्चाओं से संबंधित जानकारी से राष्ट्रपति को अधिसूचित कराते रहते हैं। प्रधानमन्त्री के अलावा कोई भी अन्य मंत्री, स्वेच्छा से मंत्रीसभा में चर्चित किसी भी विषय को [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] के समक्ष उद्घाटित नहीं कर सकता है।<ref>[http://www.yourarticlelibrary.com/political-science/prime-minister-of-india-power-and-position-of-the-prime-minister/40355/ भारतीय प्रधानमन्त्री, प्रधानमन्त्री का पद व शक्तियाँ], योर आर्टिकल लाइब्रेरी,</ref> यह विशेषाधिकार की महत्व व अर्थ यह है की मंत्रिमण्डलीय सभाओं में चर्चित विषयों में से किन जानकारियों को गोपनीय रखना है, एवं किन जनकरोयों को दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है, यह तय करने का अधिकार भी प्रधानमन्त्री के पास है।

===प्रशासनिक शक्तियाँ===
[[चित्र:Prime Minister Narendra Modi during Russia-India talks.jpg|thumb|right|200px|अपने विभिन्न उच्चाधिकारियों और सलाहकारों के साथ द्विपक्षीय व्रत में भाग ले रहे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी]]
प्रधानमन्त्री, राज्य के विभिन्न अंगों के मुख्य प्रबंधक के रूप में कार्य करते है, जिसका कार्य, राज्य के सरे विभागों व अंगों से, अपनी इच्छानुसार कार्य करवाना है। सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के बीच समन्वय बनाना, और कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को कार्यान्वित करवाना तथा विभिन्न विभागों को निर्देशित करना भी उनका काम है। मंत्रालयों और विभागों के बीच के प्रशासनिक मतभेद सुलझना और अंतिम निर्णय लेना भी उनका काम है।<ref name="yal" />

सरकारी कार्यों के कार्यान्वयन जे अलावा भी, सरकारी तंत्र पर प्रधानमन्त्री का अत्यधिक प्रभाव और पकड़ होता है। शासन व सरकार के प्रमुख होने के नाते, कार्यकारिणी की तमाम नियुक्तियाँ वास्तविक तौरपर प्रधानमन्त्री द्वारा की जाती है। सारे उच्चस्तरीय अधिकारी व पदाधिकारी प्रधानमन्त्री, अपने पसंद के ही नियुक्त करते हैं। इन नियुक्तियों में, उच्च-सलाहकारों तथा सरकारी मंत्रालयों और कार्यालयों के उच्चाधिकारी समेत, [[राज्यपाल(भारत)|विभिन्न राज्यों के राज्यपाल]], [[महान्यायवादी]], [[महालेखापरीक्षक]], [[लोक सेवा आयोग]] के अधिपति, व अन्य सदस्य, विभिन्न देशों के [[राजदूत]], [[वाणिज्यदूत]], इत्यादि, सब शामिल हैं। यह सारे उच्चस्तरीय नियुक्तियाँ, [[भारत के राष्ट्रपति]] द्वारा, प्रधानमन्त्री की सलाह पर किये जाते हैं।<ref name="yal" />

===विधानमण्डलीय शक्तियाँ===
[[चित्र:Prime Narendra Modi replying to a Motion of thanks to the President’s address.jpg|thumb|right|250px|[[लोकसभा]] में शासन का पक्ष रखते हुए, [[प्रधानमन्त्री]] [[नरेंद्र मोदी]]]]
[[भारत सरकार|सरकार]] और [[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)|मंत्रिपरिषद्]] के प्रमुख होने के नाते, प्रधानमन्त्री, [[लोकसभा]] में बहुमत और सत्तापक्ष के नेता और प्रमुख प्रतिनिधि हैं। इस सन्दर्भ में, सदन में सरकार और सत्तापक्ष का प्रतिनिधित्व करना प्रधानमन्त्री का कर्त्तव्य माना जाता है। साथ ही, यह आशा की जाती है की, सदन में सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण विधेयक और घोषणाएँ प्रधानमन्त्री करेंगे, तथा उन महत्वपूर्ण निर्णयों के विषय में सत्तापक्ष की तरफ़ से प्रधानमन्त्री उत्तर देंगे।<ref name="elec" /><ref name="yal" /><ref name="pa" /> [[लोकसभा के सभापति|लोकसभा अध्यक्ष]] का चुनाव, निर्वाचन द्वारा होता है, अतः साधारणतः, सभापति भी बहुमत दाल का होता है। अतः, बहुमत दाल के नेता होने के नाते, सभापति के ज़रिये, प्रधानमन्त्री, [[लोकसभा]] की कार्रवाई को भी सीमितरूप से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, क्योंकि सभापति, सभा का अधिष्ठाता होता है, और सदन में चर्च की विषयसूची भी सभापति ही निर्धारित करता है, हालाँकि सदन की कार्रवाई को अधिक हद तक प्रभावित नहीं किया जा सकता है। इन कर्तव्यों के अलावा, संसदीय कार्रवाई को पर प्रधानमन्त्री का सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है, लोकसभा सत्र बुलाने और सत्रांत करने की शक्ति। [[भारतीय संविधान|संविधान]] का अनुछेद ८५, [[लोकसभा]] के सत्र बुलाने और सत्रांत करने का अधिकार, [[भारत के राष्ट्रपति]] को देता है, परंतु इस मामले राष्ट्रपति को प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार कार्य करना पड़ता है।<ref>[http://archive.india.gov.in/govt/documents/hindi/PartV.pdf भारतीय संविधान, भाग 5], अनुछेद 85 देखें</ref> अर्थात् वस्तविकरूपे, लोकसभा का सत्र बुलाना और अंत करना प्रधानमन्त्री के हाथों में होता है। यह अधिकार, निःसंदेह, प्रधानमन्त्री के हाथों में दी गयी सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है, जोकि उनको न केवल अपने दाल पर, बल्कि विपक्ष के सांसदों की गतिविधियों पर भी सीमित नियंत्रण का अवसर प्रदान करता है।<ref name="yal" /><ref name="pa">[http://www.preservearticles.com/2011100314403/what-are-the-powers-and-functions-of-the-prime-minister-of-india.html भारतीय प्रधानमन्त्री के कार्य, शक्तियाँ और कर्तव्य-प्रीज़र्व आर्टिकल्स.कॉम], प्रीज़र्व आर्टिकल्स</ref>

===वैश्विक संबंधों में किरदार===
[[File:BRICS leaders meet on the sidelines of 2016 G20 Summit in China.jpg|thumb|200px|right|[[ब्रिक्स|ब्रिक्स सम्मेलन]] २०१६ में भारतीय प्रधानमन्त्री, अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ]]
[[File:Putin and Modi press statement following Russian-Indian talks in 2014 (2).jpeg|thumb|200px|right|[[रूस|रूसी]] राष्ट्रपति [[व्लादिमीर पुतिन]] के साथ प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी]]
[[भारत सरकार|सरकार]] और देश के नेता होने के नाते, वैश्विक मञ्च पर [[भारत]] का प्रतिनिधित्व करना प्रधानमन्त्री की सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियों में से एक है। सरकार और मंत्रिपरिषद् पर अपनी अपार नियंत्रण के कारन, [[भारत|भारतीय राज्य]] की वैश्विक नीति निर्धारित करने में प्रधानमन्त्री की सबसे अहम भूमिका होती है। देश की विदेश नीति से संबंधित निर्णय, देश की सामरिक, कूटनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक, इत्यादि, आवश्यकताओं के अनुसार आमतौर पर मंत्रिपरिषद् में चर्चा द्वारा निर्धारित की जाती है, जिनमे अंतिम निर्णय प्रधानमन्त्री लेते हैं।<ref>तमाम कैबिनेट् बैठकों में अंतिम निर्णय केवल प्रधानमन्त्री का होता है, अन्य मंत्री केवल सलाह दे सकते हैन, और चर्चा में अपना पक्ष रख सकते हैं, कार्यकारी शक्तियों वाला भाग देखें</ref> वैश्विक संबंधों और उनसे जुड़े मामलों [[भारत]] का [[विदेश मंत्रालय (भारत)|विदेश मंत्रालय]] संभालता है, जिसके लिए, [[विदेश मंत्रालय (भारत)|विदेश मंत्री]] के नाम से एक स्वतंत्र कैबिनेट मंत्री भी नियुक्त किया जाता रहा है(कई बार प्रधानमन्त्री स्वयँ भी विदेश मंत्रालय का प्रभार संभालते हैं), परंतु क्योंकि विदेश नीतियाँ, इत्यादि, प्रधानमन्त्री निरतदारित करते हैं, अतः, विदेश मंत्री, अंत्यतः प्रधानमन्त्री द्वारा लिए गए निर्णयों और नीतियों को कार्यान्वित करने का काम करता है।<ref name="yal" /><ref name="elec" /><ref name="pya" /><ref name="omabc" /><ref name="mea">[http://www.mea.gov.in/index-hi.htm विदेश मन्त्रालय] {{hi icon}}</ref>

विभिन्न देशों से सामरिक, आर्थिक, कूटनीतिक, वाणिज्यिक और संसाधनिक, इत्यादि संधियाँ और समझौते, तथा उनसे जुड़ी कूटनीतिक बहस और वार्ताओं में प्रधानमन्त्री का किरदार सबसे महत्वपूर्ण होता है, और ऐसे वार्ताओं में वे देश के प्रतिनिधित्व करते हैं।[[चित्र:Prime Minister Narendra Modi addresses the 69th session of the UN General Assembly.jpg|thumb|200px|left|[[संयुक्त राष्ट्र महासभा]] से ख़िताब करते हुए, प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी]] विभिन्न देशों के के राष्ट्राध्यक्षों व प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत-सत्कार करना व उनकी मेजबानी करना भी प्रधानमन्त्री की ज़िम्मेदार होती है। विदेशी प्रतिनिधियों की मेज़बानी के आलावा, प्रधानमन्त्री, जनप्रतिनिधि व शासनप्रमुख होने के नाते, विदेशों में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। वे [[संयुक्त राष्ट्र संघ]], [[जी-२०]], [[ब्रिक्स]], [[सार्क]], [[गुट निरपेक्ष आंदोलन]], [[राष्ट्रमण्डल]], इत्यादि जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, और भारत का पक्ष रखते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मञ्च पर देश की छवि बनाने, और कूटनीतिक वार्ताओं द्वारा देश के हित की आपूर्ति करने में प्रधानमन्त्री का स्थान बेहद महत्वपूर्ण है।<ref name="yal" /><ref name="elec" /><ref name="pya" /><ref name="omabc" />

[[भारतीय संविधान]], [[राष्ट्रप्रमुख]] और सर्व सामरिक बलों के अधिपति होने के नाते, किसी अन्य देश से युद्ध व शांति घोषित करने का अधिकार [[भारत के राष्ट्रपति]] को देता है,<ref>संविधान, भाग 5</ref> परंतु इसका वास्तविक अधिकार [[प्रधानमन्त्री]] को है, क्योंकि, राष्ट्रपति इस मामले में प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार कार्य करने हेतु बाध्य हैं। युद्ध की घोषणा के अलावा, युद्ध की रणनीति निर्धारित करना तथा सामरिक बलों को नियंत्रित करना भी प्रधानमन्त्री द्वारा ही होता है। तथा शांति-घोषणा करना और शांति-समझौता करना भी प्रधानमन्त्री का कर्त्तव्य है।<ref name="yal" /><ref name="elec" /><ref name="pya" /><ref name="omabc" />

===विभिन्न मंत्रालयों/विभागों का प्रभार===
[[भारत सरकार]] के कुछ विशेष, संवेदनशील एवं उच्चस्तरीय विभाग व [[मंत्रालय]] ऐसे हैं, जिनकी विशेषता, संवेदनशीलता, या अन्य किसी कारणवश प्रधानमन्त्री के अलावा अन्य किसी भी मंत्री को इनका कार्यभार नहीं सौंपा जाता है। इन विभिन्न विभागों के कार्यों के प्रति वे संसद को जवाबदेह है, और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें संसद् में पूछे गए प्रश्नो का उत्तर देना पड़ता है।<ref name="min">{{cite web |url=http://pmindia.nic.in/parl.htm
|title= संसदीय प्रश्न पर प्रधानमन्त्री का उत्तर |publisher=pmindia.nic.in |accessdate=2008-06-05 |last= |first= }}</ref> आम तौरपर, प्रधानमन्त्री इन निम्नलिखित विभागों के प्रभारी होते हैं:

* [[कैबिनेट नियुक्ति आयोग]]
* [[जनशिकायत मंत्रालय, भारत सरकार|कार्यकर्मि, जनशिकायत व पेंशन मंत्रालय]]
* [[नीति आयोग]]
* [[परमाणु ऊर्जा विभाग (भारत)|परमाणु ऊर्जा विभाग]]
* [[अंतरिक्ष विभाग]]
* [[नाभिकीय कमान प्राधिकरण (भारत)|नाभिकीय कमान प्राधिकरण]]

===परंपरागत कर्त्तव्य===
भारत के प्रधानमन्त्रीपद की राजनैतिक महत्त्व एवं उसके पदाधिकारी की जननायक और राष्ट्रीय नेतृत्वकर्ता की छवि के लिहाज़ से, प्रधानमन्त्री पद के पदाधिकारी से यह आशा की जाती है, की वे भारत के जनमानस को भली-भाँति जाने, समझे, एवं राष्ट्र को उचित दिशा प्रदान करें। जनमानस के प्रतिनिधि होने के नाते, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवसों और समारोहों में प्रधानमन्त्री के अहम पारंपरिक एवं चिन्हात्मक किरदार रहा है। समय के साथ, प्रधानमन्त्री पर अनेक परांमरगत कर्त्तव्य विकसित हुए हैं। इन कर्तव्यों में प्रमुख है, [[स्वतंत्रता दिवस (भारत)|स्वतंत्रता दिवस]] के अवसर पर प्रतिवर्ष, [[दिल्ली]] के [[लाल किला|लाल क़िले]] की प्राचीर से प्रधानमन्त्री का राष्ट्र को संबोधन। स्वतंत्रता पश्चात्, वर्ष १९४७ से ही यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें, प्रधानमन्त्री, स्वयँ [[दिल्ली]] के ऐतिहासिक [[लाल किला|लाल क़िले]] की प्राचीर पर, [[भारतीय राष्ट्रिय ध्वज|राष्ट्रीय ध्वज]] फहराते हैं, और जनता को संबोधित करते हैं। इन भाषणों में अमूमन प्रधानमन्त्रीगण, बीते वर्ष में सरकार की उपलब्धियों को उजागर करते हैं, तथा आगामी वर्षो में सरकार की कार्यसूच और मनोदशा से लोगों को प्रत्यक्ष रूप से अवगत कराटे हैं। १५ अगस्त, वर्ष १९४७ को सर्वप्रथम, भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री, [[जवाहरलाल नेहरू]] ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया था। लाल किले से जनता को संबोधित करने की इस परंपरा को उनहोंने अपने १७ वर्षीया कार्यकाल में प्रतिवर्ष जारी रखा। तत्पश्चात्, उनके द्वारा शुरू की गयी इस परंपरा को उनके प्रत्येक उत्तराधिकारी ने बरकार रखा है, और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।<ref>पीटीआई (15 अगस्त 2013). [http://www.thehindu.com/news/national/manmohan-first-pm-outside-nehrugandhi-clan-to-hoist-flag-for-10th-time/article5025367.ece "प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह नेहरू-गांधी परिवार के बहार के पहले व्यक्ति, जोकि १०वीं बार लाल किले से भाषण देंगे"]. ''[[द हिन्दू]]'' अभिगमन तिथि: 30 अगस्त 2013.</ref> वर्तमान समय में, प्रधानमन्त्री का भाषण वर्ष के सबसे अहम राजनैतिक घटनों में से एक माना जाता है, जिसमे प्रधानमन्त्री स्वयँ प्रत्यक्ष रूप से जनता के समक्ष सरकार की उपलब्धियों और मनोदशा को प्रस्तुत करता है। [[१५ अगस्त]] के भाषण के अलावा, प्रतिवर्ष, २६ जनवरी को [[गणतंत्र दिवस (भारत)|गणतंत्रता दिवस]] के दिन, [[राजपथ]] पर गणतंत्रता दिवस के समारोह की प्रारंभ से पूर्व, प्रधानमन्त्री, देश के तरफ से, [[अमर जवान ज्योति]] पर पुष्पमाला अर्पित कर, भारतीय सुरक्षा बलों के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है। इस परंपरा की शुरुआत, प्रधानमन्त्री [[इंदिरा गांधी]] के शासनकाल के समय हुई थी, जब १९७१ की युद्ध में [[पाकिस्तान]] की पराजय और [[बांग्लादेश मुक्ति युद्ध|बांग्लादेश की मुक्ति]] के पश्चात् देश की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिकों के उपलक्ष में दिसंबर १९७१ को अमर जवान ज्योति को स्थापित किया गया। सर्वप्रथम, [[इंदिरा गांधी]] ने अमर जवान ज्योति पर, शहीद सैनिकों २६ जनवरी १९७९ को, २३वें गणतंत्रता दिवस पर यहाँ पुष्पमाला अर्पित किया था। तत्पश्चात्, प्रतिवर्ष, प्रत्येक प्रधानमन्त्री इस परंपरा को निभा रहे हैं।,<ref name="gupta, 10dec">{{cite news|last=Gupta|first=Geeta|title=ज्वाला का रखवाला|url=http://archive.indianexpress.com/news/keeper-of-the-flame/960016/0|accessdate=10 अप्रैल 2014|newspaper=इण्डियन एक्सप्रेस.|date=10 June 2012}}</ref><ref name="Goswami,10 april">{{cite news|last=Goswami|first=Col (retd) Manoranjan|title=युद्ध स्मारक|url=http://www.assamtribune.com/scripts/details.asp?id=aug3009/edit3|accessdate=10 April 2014|newspaper=असम ट्रिब्यून}}</ref>

<gallery height=150px mode="packed">
Prime Minister Narendra Modi's address to the nation on the 69th Independence Day.jpg | [[लाल किला]] के प्राचीर से ध्वज फहराते हुए, प्रधानमन्त्री [[नरेंद्र मोदी]], २०१५
PM Modi addressing the nation on Independence Day 2014 (2).jpg | स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी का भाषण, २०१४
PM at India Gate on Republic Day (24743728320).jpg | अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि आपात करते हुए, प्रधानमन्त्री।
</gallery>

==प्रधानमन्त्री कोष==
प्रधानमन्त्री, विभिन्न राहत कोषों के अध्यक्ष हैं, जिनका उपयोग, विभिन्न प्रकार की [[प्राकृतिक आपदा|प्राकृतिक]], सामरिक तथा अन्य आपदाओं में आर्थिक सहायता देने के लिए किया जाता है। ये कोष, पूर्णतः सार्वजनिक-अंशदान पर निर्भर होती हैं।<ref name="राराको" /> इन्हें [[सरकार]] द्वारा किसी प्रकार की वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाती है, और इन्हें [[प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)|प्रधानमन्त्री कार्यालय]] द्वारा एक न्यास की तरह प्रबंधित किया जाता है।

===प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष===
प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष, जनता के अंशदान से बनी एक न्यास है, जिसका प्रबंधन प्रधानमन्त्री अथवा विविध नामित अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इस कोष के अध्यक्ष, स्वयं [[प्रधानमन्त्री]] होते हैं। इस राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब प्रमुखतया [[बाढ़]], [[चक्रवात]] और [[भूकंप]] आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, [[हृदय शल्य-चिकित्सा]], गुर्दा प्रत्यारोपण, [[कैंसर]] आदि के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती है। इसे वर्ष 1948 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित [[जवाहरलाल नेहरू]] की अपील पर जनता के अंशदान से [[पाकिस्तान]] से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए स्थापित किया गया था।<ref name="राराको">http://www.pmindia.gov.in/hi/प्रधान-मंत्री-कोष/</ref>

यह कोष केवल जनता के अंशदान से बना है और इसे कोई भी बजटीय सहायता नहीं मिलती है। समग्र निधि का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विभिन्न रूपों में निवेश किया जाता है। कोष से धनराशि प्रधानमन्त्री के अनुमोदन से वितरित की जाती है। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष का गठन [[संसद]] द्वारा नहीं किया गया है।<ref>http://www.pmindia.gov.in/en/pms-funds/</ref> इस कोष की निधि को [[आयकर]] अधिनियम के तहत एक ट्रस्ट के रूप में माना जाता है और इसका प्रबंधन प्रधानमन्त्री अथवा विविध नामित अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इस कोष का संचालन [[प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)|प्रधानमन्त्री कार्यालय]], [[साउथ ब्लॉक]], [[नई दिल्ली]] से किया जाता है। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 और 139 के तहत आयकर रिटर्न भरने से छूट प्राप्त है।<ref name="राराको" />

प्रधानमन्त्री, प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष के अध्यक्ष हैं और अधिकारी/कर्मचारी अवैतनिक आधार पर इसके संचालन में उनकी सहायता करते हैं। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष में किए गए अंशदान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 (छ) के तहत कर योग्य आय से पूरी तरह छूट हेतु अधिसूचित किया जाता है। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष में किसी व्यक्ति और संस्था से केवल स्वैच्छिक अंशदान ही स्वीकार किए जाते हैं। सरकार के बजट स्रोतों से अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बैलेंस शीटों से मिलने वाले अंशदान स्वीकार नहीं किए जाते हैं।<ref name="राराको" />

===प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय रक्षा निधि===
{{मुख्य|राष्ट्रीय रक्षा निधि (भारत)}}
राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने हेतु नकद एवं वस्तुओं के रूप में प्राप्त स्वैच्छिक दान की जिम्मेदारी लेने और उसके इस्तेमाल पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय रक्षा कोष स्थापित किया गया था। इस कोष का इस्तेमाल [[भारतीय सेना |सशस्त्र बलों]] तथा [[अर्ध सैनिक बल|अर्द्ध सैनिक बलों]] के सदस्यों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए किया जाता है। यह कोष एक कार्यकारिणी समिति के प्रशासनिक नियंत्रण में होता है। इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होते हैं और रक्षा, वित्त तथा [[भारत के गृहमंत्री |गृहमंत्री]] इसके सदस्य होते हैं। वित्तमंत्री इस कोष के कोषपाल होते हैं तथा इस विषय को देख रहे प्रधानमन्त्री कार्यालय के संयुक्त सचिव कार्यकारिणी समिति के सचिव होते हैं। कोष का लेखा [[भारतीय रिजर्व बैंक]] में रखा जाता है। यह कोष भी जनता के स्वैच्छिक अंशदान पर पूरी तरह से निर्भर होता है और इसे किसी भी तरह की बजटीय सहायता नहीं मिलती है।<ref>http://www.pmindia.gov.in/hi/राष्ट्रीय-रक्षा-निधि/</ref><ref>http://www.pmindia.gov.in/en/national-defence-fund/</ref>

==वेतन व पेञ्शन==
{| class="wikitable" style="float:right; margin:1ex 0 1ex 1ex;"
|- colspan="3" style="text-align:center;"
|+ '''प्रधानमंत्रित्वीय प्रतिश्रमकीय इतिहास'''
! दिनांक !! वेतन(₹)
|-
| अक्टूबर २००९ में वेतन || style="text-align:right;"| {{INRConvert|100000}}
|-
| अक्टूबर २०१० में वेतन || style="text-align:right;"| {{INRConvert|135000}}
|-
| जुलाई २०१२ में वेतन || style="text-align:right;"| {{INRConvert|160000}}
|-
| colspan="2" style="text-align:center; font-size: 0.85em; background-color: #f2f2f2; padding-top: 5px;"| स्त्रोत:<ref name="ol" /><ref name=salary>{{cite web|title=Pay & Allowances of the Prime Minister|url=http://pmindia.nic.in/pmsalary_jul2012.pdf|format=PDF|publisher=pmindia.nic.in/|accessdate=14 June 2013}}</ref>
|}

[[भारतीय संविधान]] के अनुछेद ७५ के अनुसार, प्रधानमन्त्री तथा संघ के अन्य मंत्रियों को मिलने वाली प्रतिश्रमक इत्यादि का निर्णय [[संसद]] करती है।<ref>भारतीय संविधान, अनुछेद 75-6</ref> इस राशि को समय-समय पर संसदीय अधिनियम द्वारा पुनरवृत किया जाता है। मंत्रियो के वेतन से संबंधित मूल राशियों का उल्लेख संविधान की दूसरी अनुसूची के भाग 'ख' में दिया गया था, जिसे बाद में संवैधानिक संशोधन द्वारा हटा दिया गया था। वर्ष २०१० में जरी की गयी आधिकारिक सूचना में [[प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)|प्रधानमन्त्री कार्यालय]] ने यह सूचित किया था की प्रधानमन्त्री की कुल आय उनकी मूल वेतन से अधिक उन्हें प्रदान किये जाने वाले विभिन्न भत्तों के रूप में होता है।<ref>{{cite news |title=A Raise for Prime Minister Manmohan Singh? |work=Wall Street Journal |accessdate=14 August 2012 |date=23 July 2010 |url=http://blogs.wsj.com/indiarealtime/2010/07/23/a-raise-for-prime-minister-mamohan-singh/}}</ref> वर्ष २०१३ में आए, एक [[सूचना अधिकार]] आवेदन के उत्तर में यह स्पष्ट किया गया था की प्रधानमन्त्री का मूल वेतन ₹५०,००० प्रति माह था, जिसके साथ ₹३,००० का मासिक, व्यय भत्ता भी प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमन्त्री को ₹२,००० की दैनिक दर से प्रतिमाह ₹ ६२,००० का दैनिक भत्ता मुहैया कराया जाता है, साथ ही ₹४५,००० का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी प्रधानमन्त्री को प्रदान किया जाता है। इन सब भत्तों और राशियों को मिला कर, प्रधानमन्त्री की मासिक आय का कुल मूल्य ₹१,६०,०००, प्रतिमाह तथा ₹२० लाख प्रतिवर्ष है।<ref name="ol">[http://www.outlookindia.com/blog/story/what-is-mr-modis-salary-as-pm-rs-160-lakhpm/3275 प्रधानमन्त्री मोदी की वार्षिक आय ₹1.6 लाख] आउटलुक इण्डिया (अंग्रेज़ी)</ref><ref name="nh" /> अमरीकी पत्रिका, [[द एकॉनॉमिस्ट]] की एक रिपोर्ट के अनुसार, पर्चेज़िंग पावर प्रॅरिटी के अनुपात के आशार पर भारतीय प्रधानमन्त्री $४१०६ के समानांतर वेतन प्राप्त करते हैं। प्रति-व्यक्ति जीडीपी के अनुपात के आधार पर यह आंकड़ा विश्व में सबसे कम है।<ref>{{cite news |title=Leaders of the fee world: How much a country's leader is paid compared to GDP per person |work=The Economist |accessdate=14 August 2012 |date=5 July 2010 |url=http://www.economist.com/node/16525240}}</ref> प्रधानमन्त्री की सेवानिवृत्ति के पश्चात् प्रधानमन्त्री को ₹२०,००० की मासिक पेंशन प्रदान की जाती है, एवं सीमित सचिवीय सहायता के साथ, ₹६,००० का कार्यालय खर्च भी प्रदान किया जाता है।<ref name="nh" />

==सहूलियतों==
===प्रधानमन्त्री कार्यालय===
{{मुख्य|प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)}}

[[चित्र:New Delhi government block 03-2016 img4.jpg|300px|thumb|right|केंद्रीय सचिवालय का [[साउथ ब्लॉक]], प्रधानमन्त्री कार्यालय का दफ़्तर]]
प्रधानमन्त्री कार्यालय, [[भारत सरकार]] का उच्चतम् कार्यालय है, जो प्रधानमन्त्री को सचिवीय सहायता प्रदान करता है। इसमें, प्रधानमन्त्री के तत्काल कार्यकारिणी एवं सलाहकार शामिल रहते हैं, साथ ही संबंधित वरिष्ठाधिकारियों की सहकारिणी भी इस कार्यालय का भाग होते है।<ref>[https://india.gov.in/my-government/whos-who/prime-minister india.gov.in-भारत का राष्ट्रीय पोर्टल/प्रधानमन्त्री]</ref> इस कार्यालय के विभिन्न विभाग होते हैं, जोकि प्रधानमन्त्री को शासन चलाने, विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय बनाने तथा जनता की शिकायतों का निपटान करने में प्रधानमन्त्री की सहायता करती है। यह कार्यालय प्रधानमन्त्री तथा उनके द्वार [[भारतीय प्रशासनिक सेवा|प्रशासनिक सेवाओं]] के कुछ गिने-चुने वरिष्ठ अधिकारियों की मेज़बानी करता है। प्रधानमन्त्री कार्यालय की अध्यक्षता प्रधानमन्त्री के प्रधान सचिव करते हैं। इसी कार्यालय के माध्यम से सभी मंत्रिमण्डलीय मंत्रिगण, स्वतंत्र-प्रभारी राज्यमंत्रिगण, मंत्रालयों, राज्य सरकारों तथा राज्यपालगण के साथ आधिकारिक संबंध तथा समन्वय साधते हैं। यह कार्यालय [[भारत सरकार|केंद्र सरकार]] का ही एक हिस्सा है और [[रायसीना पहाड़ी]], [[नई दिल्ली]] के सचिवीय भवनों के [[साउथ ब्लॉक]] से कार्य करता है।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/ कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट]</ref>

===प्रधानमन्त्री आवास===
{{मुख्य|७, लोक कल्याण मार्ग}}

भारत के प्रधानमन्त्री का वर्त्तमान आधिकारिक निवास, [[७, लोक कल्याण मार्ग]] पर अवस्थित है, जिसे पूर्वतः [[७, रेस कोर्स रोड]] कहा जाता था। इस आवास का आधिकारिक नाम "''पञ्चवटी''" है। [[नई दिल्ली]] के लोक कल्याण मार्ग पर स्थित यह संपत्ति १२ एकर की भूमि पर फैली हुई है, जिसमें कुल पाँच बंगले शामिल हैं। कुल मिला कर, इन पाँच भवनों, बगीचों तथा कुछ अन्य सामरिक संरचनाओं का यह समुच्च, भारतीय प्रधानमन्त्री का आधिकारिक निवास तथा प्रमुख कार्यगार है।<ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/india/Modi-to-shift-to-7-RCR-on-Monday-night/articleshow/35610636.cms मोदी का 7 RCR में प्रवेश], द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया</ref> इस संपत्ति में प्रधानमन्त्री का निजी आवासीय क्षेत्र, कार्यगृह, सभागृह एवं अतिथिशाला स्थित हैं। यहाँ निवास करने वाले प्रथम् प्रधानमन्त्री, [[राजीव गांधी]] थे। भारत के सप्तम् प्रधानमन्त्री एवं राजीव गांधी के उत्तराधिकारी, [[प्रधानमन्त्री]] [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] ने पहली बार इसे स्वयँ एवं भविष्य के प्रधानमंत्रियों के लिए आधिकारिक प्रधानमन्त्री आवास निर्दिष्ट किया था।<ref>{{cite news |title=7 RCR के निकट के मेट्रो स्टेशन बंद|url=http://articles.economictimes.indiatimes.com/2011-08-26/news/29931886_1_metro-stations-udyog-bhawan-7race-course-road |publisher=[[The Economic Times|Economic Times]] |date=Aug 26, 2011 }}</ref>

[[File:Prime Minister Narendra Modi welcomes Dr.Manmohan Singh at 7RCR..jpg|left|thumb|200x200px|प्रधानमन्त्री [[नरेंद्र मोदी]], पूर्व प्रधानमन्त्री [[मनमोहन सिंह]] का पञ्चवटी में स्वागत करते हुए<ref>{{Cite web|url=http://www.newindianexpress.com/nation/Hours-After-Tirade-Manmohan-Drives-to-PM-Modis-House/2015/05/28/article2836536.ece|title=7 आरसीआर में PM मोदी से मिले मनमोहन|website=The New Indian Express|access-date=2016-03-05}}</ref>]]
अमूमन प्रधानमन्त्रीगण अपने सारे आधिकारिक और राजनैतिक बैठकें यहीं किया करते हैं, हालाँकि, प्रधानमन्त्री का मूल कार्यालय [[रायसीना पहाड़ी|रायसीना की पहाड़ी]] पर स्थित, केंद्रीय सचिवालय में अवस्थित है, परंतु पञ्चवटी में भी प्रधानमन्त्री के लिए एक कार्यगृह एवं सभागृह विद्यमान है, जहाँ प्रधानमन्त्री यहीं रहते हुए अपने कार्यों का निर्वाह कर सकते हैं।<ref>{{cite web|url=http://sify.com/news/pm-chairing-meeting-on-cwg-news-national-kiosEdgbdhd.html |title=cwg के विषय पर प्रधानमन्त्री आवास में बैठक |publisher=[[Sify.com]] |date=2010-08-14 }}</ref><ref>{{cite news |title=Matherani recalled; Cong core group meets |url=http://www.tribuneindia.com/2005/20051203/main2.htm |publisher=[[The Tribune (Chandigarh)|The Tribune]] |date= December 3, 2005 }}</ref> यह एक अतितीव्र-सुरक्षा क्षेत्र है और हर क्षण [[विशेष सुरक्षा दल ]] के पहरे में रहता है। साधारण जनमानस का प्रवेश यहाँ पूर्णतः निषेध होता है। लोक कल्याण मार्ग का नाम पूर्वतः रेस कोर्स रोड था। सितंबर २०१६ में इसके नाम को परिवर्तित कर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था, जिसके बाद इसका वर्त्तमान पता ७ लोक कल्याण मार्ग होगया।<ref name="ndtv.com">[http://www.ndtv.com/india-news/race-course-road-where-prime-minister-lives-renamed-lok-kalyan-marg-1464691 रेस कोर्स रोड अब इतिहास है-, एनडीटीवी], ७ रेस कोर्स रोड का नाम परिवर्तन</ref>

===सुरक्षा===
{{मुख्य|विशेष सुरक्षा दल}}

[[File:SPG India PM.jpg|thumb|250px|एसपीजी की काउंटर असॉल्ट् टीम, [[लाल क़िला]], नयी दिल्ली में]]
भारतीय प्रधानमन्त्री पर प्रति क्षण मण्डरा रहे आत्मघाती संकट के मद्देनज़र, प्रधानमन्त्री की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण विषय है। प्रधानमन्त्री की सुरक्षा, संघ की एक विशेष सुरक्षा बल, [[विशेष सुरक्षा दल]](एसपीजी) की ज़िम्मेदार होती है, यह विशिष्ट बल सीधे [[भारत सरकार|केंद्र सरकार]] के मंत्रिमण्डलीय सचिवालय के अधीन है, और [[आसूचना ब्यूरो]](आईबी) के अंतर्गत उसके एक विभाग के रूप में कार्य करती है।
एसपीजी के जवान प्रधानमन्त्री को २४ घंटे एक विशेष सुरक्षा घेरा प्रदान करते है, तथा उनकी अंगरक्षा, अनुरक्षण एवं उनके आवासों, विमानों और वाहनों की सुरक्षा, आरक्षा एवं अनुरक्षणिक जाँच प्रदान करती है। एसपीजी देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बालों में से एक है। एसपीजी के जवानों को सुरक्षा, अंगरक्षा, अनुरक्षण एवं अनुरक्षणिक जाँच हेतु विशेष एवं पेशेवर परिक्षण, उपकरण और पोषक प्रदान की जाती है तथा दृढ अनुशासन में रखा जाता है,<ref name="unnithan2008">{{cite web |url=http://indiatoday.intoday.in/index.php?option=com_content&task=view&&issueid=68&id=13607&sectionid=3&Itemid=1&page=in&latn=2 |title=If looks could kill |author=Unnithan, Sandeep |date=2008-08-22 |publisher=इंडिया टुडे |accessdate=2009-04-04}}</ref><ref name="unnithanprint2008">Unnithan, Sandeep (September 01, 2005). "SPG Gets More Teeth". India Today (ISSN 0254-8399).</ref> ताकि प्रधानमन्त्री को सुरक्षा प्रदान करने में वे लोग पूर्णतः सक्षम रहें।

[[File:SPG protecting Indian PM.jpg|200px|thumb|left|प्रधानमन्त्री [[नरेंद्र मोदी]] को आरक्षा प्रदान करते हुए एसपीजी के जवान]]
[[दिल्ली|राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र]], देश के अन्य हिस्से, तथा विदेशी दौरों पर, हर स्थान, हर क्षण, प्रधानमन्त्री की अंगरक्षा एवं किसी भी प्रकार के हमले से उनकी सुरक्षा, एसपीजी की ज़िम्मेदारी होती है। प्रधानमन्त्री की अंगरक्षा के अलावा, एसपीजी, प्रधानमन्त्री आवास, प्रधानमन्त्री कार्यालय तथा हर वह स्थान जहाँ प्रधानमन्त्री वास करते है, उसकी सुरक्षा एसपीजी करती है। साथ ही प्रधानमन्त्री के तत्काल परिवार एवं पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों की सुरक्षा(पदत्याग के बाद १ वर्ष तक) भी एसपीजी करती है। प्रधानमन्त्री की अंगरक्षा हेतु एक [[विशेष सुरक्षा दल]] की आवश्यकता पहली बार प्रधानमन्त्री [[इंदिरा गांधी]] की हत्या के बाद महसूस हुई थी, तत्पश्चात्, १९८८ में एसपीजी को आईबी की एक विशेष अंग के रूप में, सीधे केंद्र सरकार के अंतर्गत एक सुरक्षा टुकड़ी के रूप में गठित किया गया था।<ref name="TOI 3 nov">{{cite news|title=Prasad's appointment as SPG chief stuns many|url=http://timesofindia.indiatimes.com/city/hyderabad/Prasads-appointment-as-SPG-chief-stuns-many/articleshow/10586063.cms|accessdate=23 May 2014|newspaper=Times of India|date=Nov 3, 2011}}</ref>

एसपीजी के गठन से पूर्व, १९८१ से पहले राष्ट्रीय राजधानी में, प्रधानमन्त्री की सुरक्षा [[दिल्ली पुलिस]] की एक विशेष अंग के अंतर्गत थी। तत्पश्चात् प्रधानमन्त्री की अनुरक्षण एवं विशिष्ट सुरक्षा घेरा प्रदान करने हेतु, आसूचना ब्यूरो ने एक विशेष कार्य बल गठित किया। [[इंदिरा गांधी]] की हत्या के पश्चात् [[विशेष सुरक्षा दल]] को एक स्वतंत्र निर्देशक के अंतर्गत स्थापित किया गया, जोकि राजधानी, देश तथा विश्व के हर कोने में, जहाँ प्रधानमन्त्री जाएँ, वहां उनको सुरसक्षा प्रदान करे।<ref name="THE SPECIAL PROTECTION GROUP ACT 1988 ,22">{{cite web|last=The Gazette of India|title=THE SPECIAL PROTECTION GROUP ACT 1988 [AS AMENDED IN 1991, 1994 & 1999]|url=http://www.spg.nic.in/spgact.htm|work=No. 30|publisher=The Government of India|accessdate=22 May 2014|location=New Delhi|date= 7 June 1988}}</ref><ref>{{cite news| url=http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2008-01-08/india/27781362_1_spg-act-spg-personnel-proximate-security | work=टाइम्स ऑफ़ इण्डिया | title=मायावती को एसपीजी सुरक्षा प्रदान करने से इंकार - The Times of India}}</ref>

===अन्य सहूलियतें===
{{मुख्य|एयर इण्डिया वन|विशेष सुरक्षा दल}}

[[चित्र:Prime Ministers car.jpg|thumb|250px|right|[[राष्ट्रपति भवन]] के बहार खड़ा, प्रधानमन्त्री का विशेष वाहन, अक्टूबर २०१६]]
[[File:SPG BMW.jpg|thumb|250px|right|एसपीजी अनुरक्षकों के साथ प्रधानमन्त्री का विशेष वाहन]]
[[प्रधानमन्त्री कार्यालय|सचिवीय सहायता]], निःशुल्क आवास एवं २४ घंटे-३६५ दिन की एसपीजी सुरक्षा के अलावा और भी कई सहूलियतें [[प्रधानमन्त्री]] को मुहैया कराइ जाती हैं। प्रधानमन्त्री को देश एवं दुनिया भर में असंख्य निःशुल्क यात्राएँ करने की सहूलियत प्राप्त होती है। प्रधानमन्त्री की आवा-जाही हेतु विशिष्ट एवं अत्याधुनिक सुरक्षा-उपकरणों से लैस वाहन प्रदान किये जाते हैं, जोकि बुलेट-प्रूफ और बम-प्रूफ होने के साथ साथ इस तरह से बनाये जाते हैं की उसके ईंधन टंकी को नुकसान पहुँचने के बावजूद भी उसमे विस्फोट नाहीं होती है। साथ ही प्रधानमन्त्री का विशेष वाहन फ्लॅट टायर के साथ भी मीलों तक बिना रुके चल सकता है। इसके अलावा, गैस या रासायनिक हमले समय, इस वाहन की अंदरुनी कक्ष, एक गैस-चैम्बर में तबदील होने में भी सक्षम है, ताकि बहरी वायु भीतर प्रवेश का कर सके, और अंदृकि कक्ष में [[ऑक्सीजन]] की सप्लाई भी मौजूद रहती है। [[प्रधानमन्त्री]] के विशेष वाहन के अलावा, प्रधानमन्त्री अपने विशेष काफिले के साथ चलते हैं, जिनमे करीब दर्जन-भर और गाड़ियाँ होती है, जिनमें प्रधानमन्त्री की सुरक्षा में मशगूल एसपीजी के जवान प्रधानमन्त्री के अनुरक्षण हेतु उपस्थित रहते हैं। इसके अलावा काफ़िले में एक [[एम्बुलेंस]] और एक जैमर भी हमेशा मौजूद रहता है।<ref name="bma" />

[[चित्र:VT-EVB.jpg|thumb|200px|left|प्रधानमन्त्री का विशेष विमान, बोइंग-७७७-४०० [[टोरंटो]] से वैंकोवर के लिए उड़न भरते हुए]]
[[चित्र:Prime Minister Narendra Modi exiting Air India One at Heathrow Airport, London.jpg|thumb|200px|left|लंदन के हीथ्रो एअरपोर्ट पर एयर इंडिया वन]]
विशेष वाहन के अलावा प्रधानमन्त्री के लिए विशेष विमान भी उपलब्ध कराई जाती है। भारतीय प्रधानमन्त्री की मेज़बानी कर रहे किसी भी विमान का आधिकारिक कॉल-साइन ''एयर इण्डिया वन'' होता है। इन विमानों को [[भारतीय वायु सेना]] द्वारा वीवीआईपी विमानों की तरह चलाया जाता है। वायु सेना, प्रधानमन्त्री, [[राष्ट्रपति]] एवं [[भारत के उपराष्ट्रपति|उपराष्ट्रपति]] की वायु यात्राओं के लिए कुछ विशेष विमान रखती है। वायुसेना दो प्रकार के विमान रखती है, एक जिन्हें देश के भीतर यात्रा करने के लिए उपयोग किया जाता है, एवं दुसरे वो जिन्हें प्रधानमन्त्री के विदेश दौरों के लिए रखा जाता है। यह तमाम [[विमान]] विशिष्ट उपकरणों और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं, और प्रधानमन्त्री के विमानों की सुरक्षा [[एसपीजी]] के नियंत्रण में रहती है।<ref name="bma" />

यातायात की सुविधाओं के अलावा, प्रधानमन्त्री को संपर्क और दूरभाष की भी अनेक सुविधाएँ प्राप्त हैं। प्रधानमन्त्री अपने सरकारी फ़ोन से देश और दुनिया-भर में असंख्य निःशुल्क फ़ोन कॉल कर सकते हैं।<ref name="bma">http://www.bemoneyaware.com/blog/pay-and-perks-of-indian-mp-mla-and-prime-minister/</ref><ref name="nh" />

===सेवानिवृत्ति पश्चात्===
सेवानिवृत्ति पश्चात्, पूर्व पदाधिकारियों को जीवन-भर की निःशुल्क आवास तहत सेवानिवृत्ति के बाद के पाँच वर्षोन तक मेडिकल सुविधा, १४ सचिवीय कार्यकारिणी, कार्यकारी खर्च, वार्षिक तौर पर ६ एक्सिक्यूटिव कलास की अप्रवासिया वायु यात्राएँ एवं असंख्य मुफ़्त ट्रेन यात्राएँ प्रदान किये जाते हैं। सेवानिवृत्ति के एक वर्ष बाद तक उन्हें [[एसपीजी]] सुरक्षा प्रदान की जाती है। पाँच वर्षों की समाप्ति के पश्चात् उन्हें एक निजी सहायक, एक संत्री, तथा निःशुल्क वायु और [[ट्रेन]] टिकट तथा मासिक तौर पर ₹६००० के कार्यालय खर्च प्रदान किया जाता है।<ref name="nh">http://www.naukrihub.com/salary-in-india/prime-minister.html</ref>

==पद का इतिहास==
===१९४७-१९८०===
वर्ष १९४७ से २०१५ तक, प्रधानमन्त्री के इस पद पर कुल १४ पदाधिकारी अपनी सेवा दे चुके हैं। और यदि [[गुलज़ारीलाल नंदा]] को भी गिनती में शामिल किया जाए,<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a8%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%be/ गुलज़ारीलाल नंद की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> जोकि दो बार कार्यवाही प्रधानमन्त्री के रूप में अल्पकाल हेतु अपनी सेवा दे चुके हैं, तो यह आंकड़ा १५ तक पहुँचता है। १९४७ के बाद के कुछ दशकों ने [[भारत]] के राजनैतिक मानचित्र पर [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस पार्टी]] की लगभग चुनौतीहीन राज देखा। इस कल के दौरान, कांग्रेस के के नेतृत्व में कई मज़बूत सरकारों का राज देखा, जिनका नेतृत्व कई शक्तिशाली व्यक्तित्व के प्रधानमन्त्रीगण ने किया। [[भारत]] के पहले प्रधानमन्त्री, [[जवाहरलाल नेहरू]] थे, जिन्होंने १५ अगस्त १९४७ में कार्यकाल की शपथ ली थी। उन्होंने अविरल १७ वर्षों तक सेवा दी। उन्होंने ३ पूर्ण और एक निषपूर्ण कार्यकालों तक इस पद पर विराजमान रहे। उनका कार्यकाल, मई १९६४ में उनकी मृत्यु पर समाप्त हुआ। वे इस समय तक, सबसे लंबे समय तक शासन संभालने वाले प्रधानमन्त्री हैं।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%b0-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a5%82/ जवाहरलाल नेहरू की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> [[जवाहरलाल नेहरू]] की मृत्यु के बाद, उन्हीके पार्टी के, [[लाल बहादुर शास्त्री]] इस पद पर विद्यमान हुए, जिनके लघुकालीय १९-महीने के कार्यकाल ने [[दूसरी कश्मीर युद्ध|वर्ष १९६५ की कश्मीर युद्ध]] और उसमे [[पाकिस्तान]] की पराजय देखी। युद्ध के पश्चात्, [[ताशकेंत समझौता|ताशकेंत के शांति-समझौते]] पर हस्ताक्षर करने के बाद, [[ताशकेंत]] में ही उनकी अकारण व अकस्मात् मृत्यु हो गयी।<ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=DWXwVK7rrNY प्रधानमन्त्री शास्त्री-'''प्रधानमन्त्री''' वीडियो सीरीज], [[यूट्यूब]] (वीडियो)</ref><ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=OUHvi0i4Q0Q प्रधानमन्त्री शास्त्री के मृत्यु के बाद-'''प्रधानमन्त्री'''], [[यूट्यूब|यूट्यूब वीडियो सीरियस]](हिंदी)</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80/ की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> शास्त्री के बाद, प्रधानमन्त्रीपद पर, [[जवाहरलाल नेहरू|नेहरू]] की पुत्री, [[इंदिरा गांधी]] इस पद पर, देश की पहली महिला प्रधानमन्त्री के तौर पर निर्वाचित हुईं। इंदिरा का यह पहला कार्यकाल ११ वर्षों तक चला, जिसमें उन्होंने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण और [[ब्रिटिशकालीन भारतीय रियासतों की सूची|पूर्व राजपरिवारों]] को मिलने वाले [[भारत में राजभत्ता|शाही भत्ते]] और राजकीय उपादियों की समाप्ती, जैसे कठोर कदम लिया। साथ ही [[बांग्लादेश मुक्ति युद्ध|१९७१ का युद्ध]] और [[बांग्लादेश]] की स्थापना, जनमत-संग्रह द्वारा [[सिक्किम]] का [[भारत]] में अभिगमन और [[पोखरण]] में भारत का पहला परमाणु परिक्षण जैसे ऐतिहासिक घटनाएँ भी इंदिरा गांधी के इस शासनकाल में हुआ। परंतु इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद, १९७५ से १९७७ तक का कुख्यात [[आपातकाल (भारत)|आपातकाल]] भी [[इंदिरा गांधी]] ने ही लगवाया था। यह समय सरकार द्वारा, आंतरिक उथल-पुथल और अराजकता को "नियंत्रित" करने हेतु, लोकतांत्रिक नागरिक अधिकारों की समाप्ति और राजनैतिक विपक्ष के दमन के लिए कुख्यात रहा।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%ae%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%87%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a5%80-2/ इंदिरा गांधी की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref><ref>[http://www.pravakta.com/emergency-banaras-hindu-university-and-the-memories-part-1 आपात्काल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और स्मृतियां – भाग-१]</ref><ref>
[http://rajasthanpatrika.patrika.com/news/emergency-black-chapter-of-democracy/1161267.html इमरजेंसी: लोकतंत्र का काला अध्याय] (राजस्थान पत्रिका)</ref><ref>[http://www.pravakta.com/emergency-and-democracy आपातकाल और लोकतंत्र] (प्रवक्ता डॉट कॉम)</ref> इस आपातकाल के कारण, इंदिरा के खिलाफ उठे विरोध की लहार के कारन, विपक्ष की तमाम राजनैतिक दलों ने आपातकाल के समापन के बाद, १९७७ के चुनावों में, संगठित रूप से [[जनता पार्टी]] की छात्र के नीचे, [[कांग्रेस]] के खिलाफ एकजुट होकर लड़ा, और कांग्रेस को बुरी तरह परस्जित करने में सफल रही। तथा, [[जनता पार्टी]] की गठबंधन के तरफ से [[मोरारजी देसाई]] देश के पहले गैर-[[कांग्रेस|कांग्रेसी]] प्रधानमन्त्री बने। प्रधानमन्त्री [[मोरारजी देसाई]] की सरकार अत्यंत विस्तृत एवं कई विपरीत विचारधाराओं की राजनीतिक दलों द्वारा रचित थी, जिनका एकजुट होकर साथ चलना और विभिन्न राजनैतिक निर्णयों पर एकमत व समन्वय बरकरक रखना बहुत कठिन था। अंत्यतः ढाई वर्षों के बाद, २८ जुलाई १९७९ को [[मोरारजी देसाई|मोरारजी]] के इस्तीफ़े के साथ ही उनकी सरकार गिर गई।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/shri-morarji-desai/ मोरारजी देसाई की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> तत्पश्चात्, क्षणिक समय के लिए, मोरारजी की सर्कार में [[भारत के उप प्रधानमन्त्री|उपप्रधानमन्त्री]] रहे, [[चौधरी चरण सिंह]] ने [[कांग्रेस]] के समर्थन से, बहुमत सिद्ध किया और प्रधानमन्त्री की शपथ ली। उनका कार्यकाल केवल ५ महीनों तक चला(जुलाई १९७९ से जनवरी १९८०)। उन्हें भी घटक दलों के साथ समन्वय बना पाना कठिन हो रहा था, और अंत्यतः [[कांग्रेस]] के समर्थन वापस लेने के कारण उनहोंने भी बहुमत खो दिया, और उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9/ चरण सिंह की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> इन तकरीबन ३ वर्षों की सत्ता से बेदखली के बाद, [[कांग्रेस]] पुनः भरी बहुमत के साथ सत्ता में आई, और [[इंदिरा गांधी]] को अपने दुसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया गया। इस दौरान, उनके द्वारा की गयी सबसे कठोर एवं विवादस्पद कदम था [[ऑपरेशन ब्लू स्टार]], जिसे [[अमृतसर]] के [[हरिमंदिर साहिब]] में छुपे हुए खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ किया गया था। अंत्यतः, उनका कार्यकाल, ३१ दिसंबर १९८४ की सुबह को [[इंदिरा गांधी की हत्या|उनकी हत्या ]] के साथ समाप्त हो गया।

===१९८०-२०००===
इंदिरा के बाद, भारत के प्रधानमन्त्री बने, उनके छोटे पुत्र, [[राजीव गांधी]], जिन्हें, ३१ अक्टूबर की शाम को ही कार्यकाल की शपथ दिलाई गयी। उन्होंने पुनः निर्वाचन करवाया और इस बार, [[कांग्रेस]] ऐतिहासिक बहुमत प्राप्त कर, विजई हुई। १९८४ के चुनाव में कांग्रेस ने [[लोकसभा]] में ४०१ आसान प्राप्त किया था, जोकि किसी भी दाल द्वारा प्राप्त किया गया अधिकतम सङ्ख्या है। ४० वर्ष की आयु में प्रधानमन्त्रीपद की शपथ लेने वाले [[राजीव गांधी]], इस पद पर विराजमान होने वाले सबसे युवा व्यक्ति हैं।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5-%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a5%80-2/ राजीव गांधी की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> [[राजीव गांधी]] के बाद, राष्ट्रीय मञ्च पर उबरे, [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]], जोकि [[राजीव गांधी]] की कैबिनेट में, [[वित्तमंत्री]] और [[रक्षामंत्री]] के पद पर थे। अपनी साफ़ छवि के लिए जाने जाने वाले [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] ने अपने वित्तमंत्रीत्व और रक्षामंत्रीत्व के समय, भ्रष्टाचार, कला-बाज़ारी और टैक्स-चोरी जैसी समस्याओं के खिलाफ कई कदम उठाये थे, ऐसा अनुमान लगाया जाता है की इन कदमों में कई ऐसे भी थे, जिनके कारण [[कांग्रेस]] की पूर्व सरकारों के समय किये गए घोटालों पर से पर्दा उठ सकता था, और इसीलिए अपनी पार्टी की साख पर खतरे को देखते हुए, उन्हें [[राजीव गांधी]] ने मंत्रिमंडल से १९८७ में निष्कासित कर दिया था। १९८८ में उन्होंने [[जनता दल]] नमक राजनैतिक दल की स्थापना की, और अनेक [[कांग्रेस]]-विरोधी दलों की मदद से [[नेशनल फ्रंट]] नमक गठबंधन का गठन किया। १९८९ के चुनाव में कांग्रेस ६४ सीटों तक सीमित रह गयी, जबकि [[नेशनल फ्रंट]], सबसे बड़ा गुथ बन कर उबरा। [[भारतीय जनता पार्टी]] और वामपंथी दलों के बाहरी समर्थन के साथ [[नेशनल फ्रंट]] ने सर्कार बनाई, जिसका नेतृत्व [[विश्वनाथ प्रताप सिंह|विश्वनाथजी]] को दिया गया। वी.पी. सिंह के कार्यकाल में सामाजिक न्याय की दिशा में कई कदम उठाये गए थे, जिनमे से एक था, [[मंडल आयोग]] की सुझावों को मानते हुए, अन्य पिछड़े वर्ग में आने वाले लोगो के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थानों में कोटे का प्रावधान पारित करना। इसके अलावा, उन्होंने, राजीव गांधी के काल में, [[श्रीलंका]] में तमिल अयंकवादियों के खिलाफ जरी सेना की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। अमृतसर के [[हरिमंदिर साहिब]] में [[ऑपरेशन ब्लू स्टार]] हेतु क्षमा-याचना के लिए उनकी यात्रा, और उसके बाद के घटनाक्रमों ने बीते बरसों से [[पंजाब]] में तनाव को लगभग पूरी तरह शांत कर दिया था। परंतु [[अयोध्या]] में "''कारसेवा''" के लिए जा रहे [[लालकृष्ण आडवाणी]] के "रथ यात्रा" को रोक, आडवानी की गिरफ़्तारी के बाद, [[भाजपा]] ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। वी.पी.सिंह ने ७ नवंबर १९९० को अपना त्यागपत्र [[राष्ट्रपति]] को सौंप दिया।<ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=NJImiHrENGk बोफोर्स घोटाले की कहानी-'''प्रधानमन्त्री''']</ref><ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=lGZPyqOenAc मंडल कमीशन और वी पी सिंह का अंत-'''प्रधानमन्त्री''' वीडियो सीरीज], [[यूट्यूब]](हिंदी)</ref><ref name=जागरण>{{वेब सन्दर्भ|title=विश्वनाथ प्रताप सिंह|url=http://politics.jagranjunction.com/2011/08/09/former-prime-minister-vishwa-nath-pratap-singh/|website=http://politics.jagranjunction.com/|publisher=जागरण जंक्शन|accessdate=17 जुलाई 2015}}</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/1665-2/ वी पी सिंह की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> सिंह के इस्तीफे के बाद, उनके पुर्व साथी, [[चंद्रशेखर]] ने ६४ सांसदों के साथ [[समाजवादी जनता पार्टी]] गठित की और [[कांग्रेस]] के समर्थन के साथ, लोकसभा में बहुमत सिद्ध किया। परंतु उनका प्रधानमन्त्री काल, अधिक समय तक टिक नहीं सका। [[कांग्रेस]] की समर्थन वापसी के कारण, नवंबर १९९१ को चंद्रशेखर का एक वर्ष से भी कम का कार्यकाल समाप्त हुआ, और नए चुनाव घोषित किये गए।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a5%87%e0%a4%96%e0%a4%b0/ प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref>

प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर के ६ महीनों के शासनकाल के पश्चात्, [[कांग्रेस]] पुनः सत्ता में आई, इस बार, [[पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव|पमुलापति वेङ्कट नरसिंह राव]] के नेतृत्व में। नरसिंह राव, [[दक्षिण भारत|दक्षिण भारतीय]] मूल के पहले प्रधानमन्त्री थे। साथ ही वे न केवल नेहरू-गांधी परिवार से बहार के पहले कांग्रेसी प्रधानमन्त्री था, बल्कि वे [[नेहरू-गांधी परिवार]] के बहार के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने अपना पूरे पाँच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया था। नरसिंह राव जी का कार्यकाल, [[भारतीय अर्थव्यवस्था]] के लिए निर्णायक एवं ऐतिहासिक परिवर्तन का समय था। अपने [[वित्तमंत्री]], [[मनमोहन सिंह]] के ज़रिये, नरसिंह राव ने भारतीय अर्थव्यवस्था की उदारीकरण की शुरुआत की, जिसके कारन, [[भारत ]] की अबतक सुस्त पड़ी, खतरों से जूझती अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया। इन उदारीकरण के निर्णयों से [[भारत]] को एक दृढतः नियंत्रित, कृषि-उद्योग मिश्रित अर्थव्यवस्था से एक बाज़ार-निर्धारित अर्थव्यवस्था में तबदील कर दिया गया। इन आर्थिक नीतियों को, आगामी सरकारों ने जरी रखा, और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाया।<ref>[http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=48745 देश की आर्थिक आजादी के मसीहा: नरसिंह राव], बिज़नस-स्टॅण्डर्ड(हिंदी)</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/shri-p-v-narasimha-rao/ नरसिंह राव की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> इन आर्थिक परिवर्तनों के आलावा, नरसिंह राव के कार्यकाल ने [[अयोध्या]] की [[बाबरी मस्जिद]]-रामजन्मभूमि के विवादित ढांचे का विध्वंसन और [[भारतीय जनता पार्टी]] का एक राष्ट्रीय स्तर की दल के रूप में उदय भी देखा। नरसिंह राव जी का कार्यकाल, मई १९९६ को समाप्त हुआ, जिसके बाद, देश ने अगले तीन वर्षों में चार, लघुकालीन प्रधानमयों को देखा: पहले [[अटल बिहारी वाजपेयी]] की १३ दिवसीय शासनकाल, तत्पश्चात्, प्रधानमन्त्री [[एच डी देवगौड़ा]] (1 जून, 1996 से 21 अप्रेल, 1997) और [[इंद्रकुमार गुज़राल]](21 अप्रेल, 1997 से 19 मार्च, 1998), दोनों की एक वर्ष से कम समय का कार्यकाल एवं तत्पश्चात्, पुनः प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] की १९ माह की सरकार।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%8f%e0%a4%9a-%e0%a4%a1%e0%a5%80-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b5%e0%a5%87%e0%a4%97%e0%a5%8c%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%be/ देवगौड़ा जी की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%87%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%9c%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b2/ गुजराल जी की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> १९९८ में निर्वाचित हुए प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] की सरकार ने कुछ अत्यंत ठोस और चुनौती पूर्ण कदम उठाए। मई १९९८ में सरकार के गठन के एक महीने के बाद, सरकार ने [[पोखरण]] में पाँच भूतालिया परमाणु विस्फोट करने की घोषणा की। इन विस्फोटों के विरोध में [[अमरीका]] समेत करी पश्चिमी देशों ने [[भारत]] पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, परंतु [[रूस]], [[फ्रांस]], [[खाड़ी देश|खाड़ी देशों]] और कुछ अन्य के समर्थन के कारण, पश्चिमी देशों का यह प्रतिबंध, पूर्णतः विफल रहा।<ref name="britannica.com">{{cite web|url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/621705/Atal-Bihari-Vajpayee |title=भारत के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी|work=एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिक |date=25 दिसंबर 1924 |accessdate=2012-11-24}}</ref><ref>[http://cns.miis.edu/other/indbomb.pdf भारत का परमाणु परिक्षण]</ref> इस आर्थिक प्रतिबंध की परिस्थिति को बखूबी संभालने को अटल सरकार की बेहतरीन कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया। भारतीय परमाणु परीक्षण के जवाब में कुछ महीने बाद, [[पाकिस्तान]] ने भी परमाणु परिक्षण किया।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/श्री-अटल-बिहारी-वाजपेयी/ श्री-अटल-बिहारी-वाजपेयी की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> दोनों देशों के बीच बिगड़ते हालातों को देखते हुए, सरकार ने रिश्ते बेहतर करने की कोशिश की। फ़रवरी १९९९ में दोनों देशों ने [[लाहौर घोषणा]] पर हस्ताक्षर किये, जिसमें दोनों देशों ने आपसी रंजिश खत्म करने, व्यापर बढ़ने और अपनी परमाणु क्षमता को शांतिपूर्ण कार्यों के लिए इस्तेमाल करने की घोषणा की।

===२०००-वर्त्तमान===
१७ अप्रैल १९९९ को [[जयललिता]] की पार्टी आइएदमक ने सर्कार से अपना समर्थन है दिया, और नए चुनावों की घोषणा करनी पड़ी।<ref>{{cite news | url = http://news.bbc.co.uk/2/hi/special_report/1998/india_elections/61761.stm | title = Atal Bihari Vajpayee: India's new prime minister | accessdate=1998-03-03 | publisher=BBC News | date=3 March 1998}}</ref><ref>{{cite news | url = http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/322065.stm | title = South Asia Vajpayee's thirteen months
| accessdate=1999-04-17 | publisher=BBC News | date=17 April 1999}}</ref> तथा अटल सर्कार को चुनाव तक, सामायिक शासन के स्तर पर घटा दिया गया। इस बीच, [[कारगिल]] में [[पाकिस्तानी]] घुसपैठ की खबर आई, और अटलजी की सर्कार ने सैन्य कार्रवाई के आदेश दे दिए। यह कार्रवाई सफल रही और करीब २ महीनों के भीतर, भारतीय सऐना ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर ली। १९९९ के चुनाव में [[भाजपा]] के नेतृत्व की [[राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन]] ने बहुमत प्राप्त की, और प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] अपनी कुर्सी पर बरकरार रहे। अटल ने आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को बरक़रार रखा और उनके शासनकाल में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक विकास दर प्राप्त किया। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी सहूलियतों के विकास के लिए सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाए, जिनमें, [[राजमार्ग|राजमार्गों]] और सडकों के विकास के लिए [[राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना]] और [[प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना]] जैसी योजनाएँ शामिल हैं।<ref name="news.in.msn.com">{{cite web|url=http://news.in.msn.com/National/independenceday09/article.aspx?cp-documentid=3131559&page=4 |title=Vajpayee, the right man in the wrong party – ,Vajpayee, the right man in the wrong party – 4 – ,4 – National News – News – MSN India |publisher=MSN |accessdate=2012-11-24}}</ref><ref>{{cite news|last=Mahapatra|first=Dhananjay|title=NDA regime constructed 50% of national highways laid in last 30 years: Centre|url=http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-07-02/india/40328372_1_national-highways-state-highways-total-road-network|accessdate=26 नवम्बर 2013|newspaper=द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया|date=2 जुलाई 2013}}</ref> परंतु, उनके शासनकाल के दौरान, वर्ष २००२ में, [[गुजरात]] में [[गोधरा कांड]] के बाद भड़के [[२००२ गुजरात दंगे|हिन्दू-मुस्लिम दंगों]] ने विशेष कर [[गुजरात]] एवं देश के अन्य कई हिस्सों में, स्वतंत्रता-पश्चात् [[भारत]] के सबसे हिंसक और दर्दनाक सामुदायिक दंगों को भड़का दिया। सरकार पर और गुजरटी के तत्कालीन [[मुख्यमंत्री]] , [[नरेंद्र मोदी]], पर उस समय, दंगो के दौरान रोक-थाम के उचित कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया गया था। प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|वाजपेयी]] का कार्यकाल मई २००४ को समाप्त हुआ। वे देश के पहले ऐसे ग़ैर-[[कांग्रेस|कांग्रेसी]] प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने अपना पूरे पाँच वर्षों का कार्यकाल पूर्ण किया था। २००४ के चुनाव में [[राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन]], लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम रहा, और [[कांग्रेस]] सदन में सबसे बड़ी दल बन कर उबरी। वामपंथी पार्टियों और कुछ अन्य दलों के समर्थन के साथ, [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में [[यूपीए]](संयुक्त विकासवादी गठबंधन) की सर्कार स्थापित हुई, और [[प्रधानमन्त्री]] बने, [[मनमोहन सिंह]]। वे देश के पहले [[सिख]] प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने, दो पूर्ण कार्यकालों तक इस पद पर अपनी सेवा दी थी। उनके कार्यकाल में, देश ने [[अटल बिहारी वाजपेयी|प्रधानमन्त्री वाजपेयी]] के समय हासिल की गए आर्थिक गति को बरक़रार रखा।<ref>{{cite web|url=https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/geos/in.html#Econ |title=CIA – वर्ल्ड फॅक्टबूक|publisher=Cia.gov |accessdate=15 फ़रवरी 2011}}</ref><ref name="astaire">{{cite web|url=http://www.ukibc.com/ukindia2/files/India60.pdf |title= द इण्डिया रिपोर्ट |publisher=ऍस्टेयर रिपोर्ट |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20090114195859/http://www.ukibc.com/ukindia2/files/India60.pdf |archivedate=14 जनवरी 2009 }}</ref> इसके अलावा, सरकार ने [[आधार]](विशिष्ट पहचान पत्र), और [[सूचना अधिकार]] जैसी सुविधाएँ पारित की। इसके अलावा, [[मनमोहन सिंह]] के कार्यकाल में अनेक सामरिक और सुरक्षा-संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा। २६ नवंबर २००८ को [[मुम्बई]] पर हुए [[२००८ के मुंबई हमले|आतंकवादी हमले]] के बाद, देश में कई सुरक्षा सुधर कार्यान्वित किये गए। उनके पहले कार्यकाल के अंत में अमेरिकाके के साथ, नागरिक परमाणु समझौते के मुद्दे पर, लेफ़्ट फ्रंट के समर्थन वापसी से सरकार लगभग गिरने के कागार पर पहुँच चुकी थी, परंतु सर्कार बहुमत सिद्ध करने में सक्षम रही। २००९ के चुनाव में कांग्रेस, और भी मज़बूत जनादेश के साथ, सदन में आई, और प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री के आसान पर विद्यमान रहे।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/डॉ-मनमोहन-सिंह/ डॉ-मनमोहन-सिंह की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref> प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल, अनेक उच्चस्तरीय घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही। साथ ही आर्थिक उदारीकरण के बाद आई प्रशंसनीय आर्थिक गति भी सुस्त पद गयी, और अनेक महत्वपूर्ण परिस्थितियों में ठोस व निर्णायक कदम न उठा पाने के कारण सरकार सर्कार की छवि काफी ख़राब हुई थी। प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का कार्यकाल, २०१४ में समाप्त हो गया।<ref>{{cite news|title=India's Manmohan Singh to step down as PM|url=http://www.theguardian.com/world/2014/jan/03/india-manmohan-singh-rahul-gandhi-narendra-modi|accessdate=20 April 2015|publisher=द गार्डियन|date=३ जनवरी २०१४}}</ref> २०१४ के चुनाव में [[भारतीय जनता पार्टी]], जिसने भ्रस्टाचार और आर्थिक विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, ने अभूतपूर्व बहुमत प्राप्त किया, और [[नरेंद्र मोदी]] को प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया। वे पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमन्त्री हैं, जोकि पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर विद्यमान हुए हैं। साथ ही वे पहले ऐसे प्रधानमन्त्री हैं, जोकि आज़ाद भारत में जन्मे हैं।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/अपने-प्रधान-मंत्री-को-जान-2/ प्रधानमन्त्री मोदी के बारे में...], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)</ref>

==प्रधानमन्त्रीगण की सूची==
{{मुख्य|भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची}}
===जीवित पूर्व प्रधानमन्त्री===
<center>
<gallery width="200px">
File:Deve Gowda BNC.jpg|[[ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा]]<br><small>1 जून 1996-21 अप्रैल 1997</small>
File:Atal Bihari Vajpayee (cropped).jpg|[[अटल बिहारी वाजपेयी]]<br><small>19 मार्च 1998-22 मई 2004</small>
File:Prime Minister Manmohan Singh in WEF ,2009 (cropped).jpg|[[मनमोहन सिंह]]<br><small>22 मई 2004-26 मई 2014</small>
</gallery>
</center>

===कालक्रम===
{{भारत के प्रधान मंत्री कालक्रम}}

==उप-प्रधानमन्त्री==
{{मुख्य|भारत के उप प्रधानमन्त्री}}

[[चित्र:Sardar patel (cropped).jpg|thumb|right|200px|वल्लभभाई पटेल देश के पहले उपप्रधानमन्त्री थे]]
भारत के उपप्रधानमन्त्री का पद, तकनीकी रूप से एक एक [[भारतीय संविधान|संवैधानिक]] पद नहीं है, नाही संविधान में इसका कोई उल्लेख है। परंतु ऐतिहासिक रूप से, अनेक अवसरों पर विभिन्न सरकारों ने अपने किसी एक वरिष्ठ मंत्री को "''उपप्रधानमन्त्री''" निर्दिष्ट किया है। इस पद को भरने की कोई संवैधानिक अनिवार्यता नहीं है, नाही यह पद किसी प्रकार की विशेष शक्तियाँ प्रदान करता हैं। आम तौर पर [[भारत के वित्तमंत्री|वित्तमंत्री]] या [[भारत के गृहमंत्री|गृहमंत्री]] जैसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों को इस पद पर स्थापित किया जाता है, जिन्हें प्रधानमन्त्री के बाद, सबसे वरिष्ठ माना जाता है। अमूमन इस पद का उपयोग, गठबंधन सरकारों में मज़बूती लाने हेतु किया जाता रहा है। इस पद के पहले धारक [[सरदार वल्लभभाई पटेल]] थे, जोकि [[जवाहरलाल नेहरू ]] की कैबिनेट में [[भारत के गृहमंत्री|गृहमंत्री]] थे। कई अवसरों पर ऐसा होता रहा है की प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उपप्रधानमन्त्री संसद या अन्य स्थानों पर उनके स्थान पर सर्कार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

==इन्हें भी देखें==
;भारत की राजनीति से संबंधित पृष्ठ:
*[[भारत के राष्ट्रपति]]
*[[भारत सरकार]]
*[[भारत का संविधान]]
*[[भारत की राजनीति]]
*[[भारत की संसद]]
**[[लोकसभा]]
**[[राज्यसभा]]
*[[केंद्रीय मंत्रिमंडल (भारत)]]
*[[भारत के उप प्रधानमन्त्री]]

;;पूर्व प्रधानमन्त्रीगण के पृष्ठ:
{{Div col|3}}
*[[जवाहरलाल नेहरू]]
*([[गुलजारीलाल नंदा]])
*[[लालबहादुर शास्त्री]]
*[[इन्दिरा गान्धी]]
*[[मोरारजी देसाई]]
*[[चौधरी चरण सिंह]]
*[[राजीव गान्धी]]
*[[विश्वनाथ प्रताप सिंह]]
*[[चंद्रशेखर]]
*[[नरसिंह राव]]
*[[हड्डनहल्ली डड्डगौड़ा देवगौड़ा]]
*[[इंद्रकुमार गुज़राल]]
*[[अटल बिहारी वाजपेयी]]
*[[मनमोहन सिंह]]
*[[नरेन्द्र मोदी]]
{{Div col end}}

;;पूर्व प्रधानमन्त्रीगण के मंत्रीपरिषदों के पृष्ठ:
{{Div col|3}}
*[[प्रथम नेहरू मंत्रिमण्डल]]
*[[द्वितीय नेहरू मंत्रिमण्डल]]
*[[तृतीय नेहरू मंत्रिमण्डल]]
*[[चतुर्थ नेहरू मंत्रिमण्डल]]
*[[लालबहादुर शास्त्री मंत्रिमण्डल]]
*[[प्रथम इन्दिरा गान्धी मंत्रिमण्डल]]
*[[द्वितीय इन्दिरा गान्धी मंत्रिमण्डल]]
*[[तृतीय इन्दिरा गान्धी मंत्रिमण्डल]]
*[[मोरारजी देसाई मंत्रिमण्डल]]
*[[चरण सिंह मंत्रिमण्डल]]
*[[राजीव गान्धी मंत्रिमण्डल]]
*[[विश्वनाथ प्रताप सिंह मंत्रिमण्डल]]
*[[चंद्रशेखर मंत्रिमण्डल]]
*[[नरसिंह राव मंत्रिमण्डल]]
*[[देवगौड़ा मंत्रिमण्डल]]
*[[इंद्रकुमार गुज़राल मंत्रिमण्डल]]
*[[प्रथम वाजपेयी मंत्रिमण्डल]]
*[[द्वितीय वाजपेयी मंत्रिमण्डल]]
*[[तृतीय वाजपेयी मंत्रिमण्डल]]
*[[प्रथम मनमोहन सिंह मंत्रिमण्डल]]
*[[द्वितीय मनमोहन सिंह मंत्रिमण्डल]]
*[[नरेन्द्र मोदी मंत्रिमण्डल]]
{{Div col end}}

;प्रधानमन्त्रीपद से संबंधित अन्य पृष्ठ:
*[[भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची]]
*[[७, लोक कल्याण मार्ग]]
*[[प्रधानमन्त्री कार्यालय]]
*[[साउथ ब्लॉक]]
*[[विशेष सुरक्षा दल]]
*[[एयर इण्डिया वन]]
*[[राष्ट्रीय रक्षा निधि]]

==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची|3}}

==बाहरी कड़ियाँ और अधिक जानकारी==
*[http://www.pmindia.gov.in/hi/ pmindia.gov.in-प्रधानमन्त्री की आधिकारिक वेबसाइट]
*[http://archive.india.gov.in/govt/constitutions_india.php?id=3 archive.india.gov.in-भारतीय संविधान, आधिकारिक हिंदी संस्करण](पीडीएफ)
*[http://hindi.webduniya.com/samayik/samvidhan/index.htm hindi.webduniya.com-भारतीय संविधान, आधिकारिक हिंदी संस्करण](वेबपृष्ठ)
*[http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=11998&chapterid=23952 vle.du.ac.in-भारतीय प्रधानमन्त्रीपद](अंग्रेज़ी)
*[http://www.pmindia.gov.in/hi/पूर्व-प्रधान-मंत्री/ प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट-पूर्व प्रधानमन्त्रीगण के बारे में]
*[http://loksabha.nic.in/ लोकसभा की वेबसाइट]
*[http://cabsec.nic.in/hindi/index.php cabsec.nic.in-मंत्रिमण्डलीय सचिवालय की आधिकारिक वेबसाइट](हिंदी)
*[http://cabsec.nic.in/ cabsec.nic.in-मंत्रिमण्डलीय सचिवालय की आधिकारिक वेबसाइट](अंग्रेज़ी)
*[https://m.youtube.com/show/pradhanmantri "'''प्रधानमन्त्री'''"- भारतीय प्रधानमन्त्रीपद के इतिहास पर विशेष वीडियो सिरीज़], [[यूट्यूब]](हिंदी वीडियो सिरीज़)
#%&$@

[[श्रेणी:भारत की राजनीति]]
[[श्रेणी:भारत का संविधान]]
[[श्रेणी:भारत के प्रधानमन्त्री]]

07:55, 12 दिसम्बर 2016 का अवतरण

भारत गणराज्य की/के प्रधानमन्त्री
Prime Minister of India
प्राइम मिनिस्टर ऑफ़ इण्डिया
, {{{body}}}
पदस्थ
नरेन्द्र मोदी

२६ मई २०१४ से
शैलीमाननीय (औपचारिक)
महामहिम (राजनयिक)
सदस्यकेन्द्रीय मंत्रिमण्डल
नीति आयोग
संसद
उत्तरदाइत्वभारतीय संसद
राष्ट्रपति
आवास७, लोक कल्याण मार्ग, नई दिल्ली, भारत
अधिस्थानप्रधानमन्त्री कार्यालय, साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली, भारत
नियुक्तिकर्ताराष्ट्रपति
रीतिस्पद रूपतः लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने की क्षमता द्वारा
अवधि कालराष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत[1]
परंपरागत रूप से, लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने की क्षमता पर<be/>लोकसभा की दीर्घतम कार्यावधि ५ वर्ष होती है, बशर्ते की कार्यकाल समापन के पूर्व ही सभा भंग न की जाए तो।
कायर्काल पर किसी भी प्रकार की समय-सीमा रेखकांकित नहीं की गयी है।
उद्घाटक धारकजवाहरलाल नेहरू
गठन15 अगस्त 1947; 76 वर्ष पूर्व (1947-08-15)
वेतन20 लाख (US$29,200) (वार्षिक, 9,60,000 (US$14,016) संसदीय वेतन समेत)
वेबसाइटप्रधानमन्त्री कार्यालय

भारत गणराज्य के प्रधानमन्त्री(सामान्य वर्तनी:प्रधानमंत्री), का पद, भारतीय संघ के शासनप्रमुख का पद है। भारतीय संविधान के अनुसार, प्रधानमन्त्री, केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद् का प्रमुख और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का प्रमुख होता है, और सरकार के कार्यों के प्रती संसद् को जवाबदेह होता है। भारत की संसदीय राजनैतिक प्रणाली में राष्ट्रप्रमुख और शासनप्रमुख के पद को पूर्णतः विभक्त रखा गया है। सैद्धांतिकरूपे, संविधान, भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रप्रमुख घोषित करता है, और सैद्धांतिकरूपे, शासनतंत्र की सारी शक्तियों को राष्ट्रपति पर निहित करता है। तथा संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है की राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधकारियों की सलाह पर करेगा।[2] संविधान द्वारा राष्ट्रपति के सारे कार्यकारी अधिकारों को प्रयोग करने की शक्ति, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, प्रधानमन्त्री को दी गयी है।[3] संविधान अपने भाग ५ के विभिन्न अनुछेदों में प्रधानमन्त्रीपद के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति आवश्यक माना गया है। उसकी मृत्यु या त्याग की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह स्वेच्छा से ही मंत्रीपरिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है। सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्री परिषद के मध्यसंपर्क सूत्र भी वही है। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह परिषद के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है। संसद मे परिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्रीगण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना आवश्यकतानुसार मंगवा सकता है।

प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा, लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है, परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है, जबतक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो।

संविधान, विशेष रूप से, केंद्रीय मंत्रिमण्डल पर प्रधानमन्त्री को पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इस पद के पदाधिकारी को सरकारी तंत्र पर दी गयी अत्यधिक नियंत्रणात्मक शक्ति, प्रधानमन्त्री को भारत गणराज्य के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति बनती है। विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य बलों समेत एक परमाणु-सम्मत देश के नेता होने के कारण भारतीय प्रधानमन्त्री को विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों में गिना जाता है। वर्ष २०१० में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने अपने, विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को १८वीं स्थान पर रखा था,[4] तथा २०१२ और २०१३ में उन्हें क्रमशः १९वें और २८वें स्थान पर रखा था।[5][6][7] तथा उनके उत्तराधिकारी, नरेंद्र मोदी को, वर्ष २०१४ में १५वें स्थान पर, तथा, वर्ष २०१५ में विश्व का ९वाँ सबसे शक्तिशाली व्यक्ति नामित किया था।[8][9]

इस पद की स्थापना, वर्त्तमान, कर्तव्यों और शक्तियों के साथ, २६ जनवरी १९४७ में, संविधान के परवर्तन के साथ हुई थी। उस समय से वर्त्तमान समय तक, इस पद पर कुल १५ पदाधिकारियों ने अपनी सेवा दी है। इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले पदाधिकारी, जवाहरलाल नेहरू थे, जबकि, भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री, नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें २६ मई २०१६ को इस पद पर नियुक्त किया गया था।

संवैधानिक पद व व्युत्पत्ति

भारत के संविधान-निर्माताओं ने भारतीय राजनैतिक प्रणाली को वेस्टमिंस्टर प्रणाली से प्रभावित होकर एक संसदीय गणराज्य का रूप दिया था, जिसमें राष्ट्रप्रमुख तथा शासनप्रमुख के पदों को पूर्णतः विभक्त रखा गया था। भारतीय राजनैतिक प्रणाली में प्रधानमन्त्री का पद संविधान द्वारा स्थापित शासनप्रमुख का पद है, जिसपर सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रजातान्त्रिक रूप से निर्वाचत व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है। वहीँ भारत के राष्ट्रपति का पद भारत गणराज्य के राष्ट्रप्रमुख का पद है, जिन्हें संसद द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित किया जाता है। प्रधानमन्त्री का पद निःसंदेह, भारतीय राजनैतिक प्रणाली का सबसे शक्तिशाली एवं वर्चस्वपूर्ण पद है। संघीय सरकार तथा केंद्रीय मंत्रिमण्डल की सारी गतिविधियों व नीतियों पर अंत्यत् नियंत्रण प्रधानमन्त्री के पास ही होता है।[10] केंद्रीय मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी भी अंत्यतः प्रधानमन्त्री ही करते हैं।

हालाँकि, मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी व अन्य ऐसे कार्य प्रधानमन्त्री स्वयँ नहीं कर सकते है। मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री के सलाह पर होता है। भारतीय संविधान क्रमशः ऐसे कई विधान प्रेषित करता है, जिनके द्वारा वैधिक रूप से यह सुनिष्चित किया गया है की सामान्य(गैर-आपातकालीन) हालातों में, कार्यपालिका के मामले में राष्ट्रपति पर केवल नाममात्र शक्तियाँ निहित हों, जबकि वस्तासिक शक्तियाँ प्रधानमन्त्री के हाथों में हो। संविधान ने प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति की शक्तियों को भाग 5 के विभिन्न अनुछेदों में कुछ इस प्रकार अंकित किया गया है:[11]

संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
-पञ्चम् भाग, ५३वीं अनुछेद(१)
राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधानमन्त्री होगा और राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करेगा, परंतु राष्ट्रपति मंत्रि-परिषद से ऐसी सलाह पर साधारणतया या अन्यथा पुनर्विचार करने की अपेक्षा कर सकेगा और राष्ट्रपति ऐसे पुनर्विचार के पश्चात्‌ दी गई सलाह के अनुसार कार्य करेगा।
-पञ्चम् भाग, ७४वीं अनुछेद(१)
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री की सलाह पर करेगा।
-पञ्चम् भाग, ७५वीं अनुछेद(१)

नियुक्ति

भारत के अंतिम महाराज्यपाल लॉर्ड माउण्ट्बॅटन, पण्डित जवाहरलाल नेहरू को भारत के प्रथम् प्रधानमन्त्री ककी शपथ दिलाते हुए, १५ अगस्त १९४७
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा प्रधानमंत्रित्व की शपथ लेते, नरेंद्र मोदी, २७ मई २०१४

साधारणतः, प्रधानमन्त्री को संसदीय आम चुनाव के परिणाम के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धरी दल (या गठबंधन) के नेता होते हैं। हालाँकि, प्रधानमन्त्री का स्वयँ लोकसभा सांसद होना अनिवार्य नहीं है, परंतु उन्हें, लोकसभा में बहुमत सिद्ध करना होता है, और नियुक्ति के छह महीनों के भीतर ही संसद् का सदस्य बनना पड़ता है। प्रधानमन्त्री संसद् के दोनों सदनों में से किसी भी एक सदन के सदस्य हो सकते हैं। ऐतिहासिक तौरपर ऐसे कई प्रधानमन्त्री हुए हैं, जोकि राज्यसभा -सांसद् थे; १९६६ में इंदिरा गांधी, देवगौड़ा(१९९६) और हालही में मनमोहन सिंह(२००४, २००९), राज्यसभा-सांसद् थे।[12] प्रत्येक चुनाव पश्चात्, नविन सभा की बैठक में बहुमत दाल के नेता के चुनाव के बाद, राष्ट्रपति, बहुमत-धरी दल के नेता को प्रधानमन्त्री बनने हेतु आमंत्रित करते हैं, आमंत्रण स्वीकार करने के पश्चात, संबंधित व्यक्ति को लोकसभा में मतदान द्वारा विश्वासमत प्राप्त करना होता है। तत्पश्चात् विश्वासमत-प्राप्ति की आदेश को राष्ट्रपति तक पहुँचाया जाता है, जिसके बाद एक समारोह में प्रधानमन्त्री तथा अन्य मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई जाती है, और उन्हें प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जाता है।[13] यदि कोई एक दल या गठबंधन, लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम होता है, तो, यह पूर्णतः महामहिम राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर होता है की वे किस व्यक्ति को प्रधानमन्त्रीपद प्राप्त करने हेतु आमंत्रित करें। ऐसी स्थिति को त्रिशंकु सभा की स्थिति कहा जाता है। त्रिशंकु सभा की स्थिति में राष्ट्रपति साधारणतः सबसे बड़े दल के नेता को निम्नसदन में बहुमत सिद्ध करने हेतु आमंत्रित करते है(हालाँकि संवैधानिक तौरपर वे इस विषय में अपने पसंद के किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित करने हेतु पूर्णतः स्वतंत्र हैं)। निमंत्रण स्वीकार करने वाले व्यक्ति का लोकसभा में विश्वासमत सिद्ध करना अनिवार्य है, और उसके बाद ही वह व्यक्ति प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जा सकता है।[14][15] ऐतिहासिक तौरपर, इस विशेषाधिकार का प्रयोग अनेक अवसरों पर विभिन्न राष्ट्रपतिगण कर चुके हैं। वर्ष १९७७ में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई के इस्तीफे के पश्चात्, चौधरी चरण सिंह को इसी विशेषाधिकार का प्रयोग कर, प्रधानमन्त्री नियुक्त किया था।[12][16] इसके अलावा भी इस विशेषाधिकार का उपयोग कर, राष्ट्रपतिगण ने १९८९ में राजीव गांधी और विश्वनाथ प्रताप सिंह, १९९१ में नरसिंह राव तथा १९९६ और १९९८ में अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्रित्व पर नियुक्त करने के लिए किया है।[17] कैबिनेट, प्रधानमन्त्री द्वारा चयनित और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मंत्रियों से बना होता है।

पात्रता

भारतीय संविधान के पञ्चम् भाग के ७४, ७५वें व ८४वें अनुछेदानुसार प्रधानमन्त्रीपद के दावेदार को निम्नांकित योग्यताओं पर खरा उतरना होता है:[18][19]

  • उनके पास भारत गणराज्य देश की नागरिकता होनी चाहिए
  • प्रधानमन्त्री के पास लोकसभा अथवा राज्यसभा की सदस्यता होनी चाहिए। यही नियुक्ति के समय, पात्र, भारतीय संसद के दो सदनों में, किसी भी एक सदन का सदस्य नहीं होता है, तो नियुक्ति के ६ महीनों के मध्य ही उन्हें संसद की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य है, अन्यथा उनका प्रधानमंत्रित्व से खारिज हो जायेगा।
  • यदि पात्र लोकसभा सांसद है तो उसकी न्यूनतम् आयु २५ वर्ष, एवं यदि राज्यसभा सांसद है तो न्यूनतम् आयु ३० वर्ष होना अनिवार्य है।
  • पात्र का, केंद्रीय सरकार, किसी भी राज्य सरकार अथवा पूर्वकथित किसी भी सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय तथा प्रशासनिक या गैर-प्रशासनिक निकाय की सेवा में किसी भी लाभकारी पद का कर्मचारी नहीं होना चाहिए।

इन योग्यताओं के अतिरिक्त, पात्र को संसद द्वारा भविष्य में पारित पात्रता के किसी भी योगता पर खरा उतारना होगा, तथा, क्योंकि प्रधानमन्त्री का सांसद होना अनिवार्य है, अतः प्रधानमंत्रित्व के पात्र को लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होने योग्य होना भी अंत्यतः अनिवार्य है। सांसद होने की योग्यताओं में उसे विकृत चित्त वाला व्यक्ति या दिवालिया घोषित ना होना, स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेना, किसी न्यायलय द्वारा उसका निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया जाना, तथा राष्ट्रपति या राज्यपाल नियुक्त होना शामिल हैं।[20][21] साथ ही सदन से प्रस्ताव-स्वीकृत निष्कासन से भी पात्र की सदस्यता समाप्त हो जाती है।[22]

कार्यपद के शपथ

प्रधानमन्त्री को पद की शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है। पद पर नियुक्ति हेतु, भावी पदाधिकारी को दो शपथ लेनेकी अनिवार्यता है। ये दोनों शपथ, भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं(अनुच्छेद 75 (4), 99, 124 (6), 148 (2), 164 (3), 188 और 219) (अनुच्छेद 84 (क) और 173 (क) भी देखिए।):[23][24]

शपथ या प्रतिज्ञान के प्ररूप:

1 मंत्रीपद की शपथ का प्ररूप :

'मैं, [अमुक], ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, (संविधान (सोलहवाँ संशोधन) अधिनियम, 1963 की धारा 5 द्वारा अंतःस्थापित।) मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा, मैं संघ के प्रधानमन्त्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा।'

2 गोपनीयता की शपथ का प्ररूप :


'मैं, [अमुक], ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि जो विषय संघ के प्रधानमन्त्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक्‌ निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूँगा।'

कार्यकाल व निलंबन

मोरारजी देसाई पहले ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने कार्यकाल की बीच ही पदत्याग किया था।

सैद्धान्तिक रूपतः, पदस्थ प्रधानमन्त्री, "राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत"[25], अपने पद पर बना रहता है। राष्ट्रपतिपद के विपरीत, प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के लिए कोई काल-सीमा निर्धारित नहीं की गए है। अतः एक पदस्थ प्रधानमन्त्री अनिश्चित काल तक प्रधानमन्त्रीपद पर बना रह सकता है, बशर्ते की राष्ट्रपति को उसपर "विश्वास" हो। इसका वास्तविक अर्थ यह है की एक व्यक्ति केवल तब तक प्रधानमन्त्री पद पर बना रह सकता है, जबतक लोकसभा में बहुमत का विश्वाश उसके पक्ष में है।[26] बहरहाल, लोकसभा का पूरा कार्यकाल ५ वर्ष होता है, जिसके बाद नए चुनाव कराये जाते हैं, और नविन सभा पुनः प्रधानमन्त्री के पक्ष में विश्वासमत पारित करती है, यदि नव-निर्वाचित सभा प्रधानमन्त्री में अविश्वास घोषित कर देती है, तो फिर, प्रधानमन्त्री का कार्यकाल समाप्त हो जाता है।[27] अतः यह कहा जा सकता है, की प्रधानमन्त्री का एक पूरा कार्यकाल ५ वर्ष का होता है, जिसकी बाद उसकी पुनःसमीक्षा होती है।[26]

बहरहाल, प्रधानमन्त्री का कार्यकाल ५ वर्षों से पूर्व ही समाप्त हो सकता है, यदि किसी कारणवश, लोकसभा सरकार के विरोध में अविश्वास मत पारित करे अथवा यदि किसी कारणवश, प्रधानमन्त्री की संसद की सदस्यता शुन्य घोषित हो जाए तो। प्रधानमन्त्री, किसी भी समय, अपने पद का त्याग, राष्ट्रपति को एक लिखित त्यागपत्र सौंपके कर सकते हैं। प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई देश के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने कार्यकाल के बीच अपना पद त्याग दिया था।[28] प्रधानमन्त्री के कार्यकाल पर नाही किसी प्रकार की समय-सीमा है, ना कोई आयु सीमा निर्दिष्ट की गई है।[27]

कार्य व शक्तियाँ

भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति आवश्यक मानता है। उसकी मृत्यु या त्यागपत्र की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह अकेले ही मंत्री परिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है। सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्री परिषद के मध्यसंपर्क सूत्र भी वही है। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह परिषद के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है । संसद मे परिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्री गण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना मंगवा सकता है। इन सब कारणॉ के चलते प्रधानमन्त्री को भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक व्यक्तित्व माना जाता है।

कार्यकारी शक्तियाँ

चित्र:Narendra Modi Signing Documents In Prime Minister Office.jpg
अपने कार्यालय में दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करते हुए, प्रधानमन्त्री मोदी

भारतीय प्रधानमन्त्रीपद के वर्चस्व व महत्व का सबसे अहम कारण है, उसके पदाधिकारी को प्रदान की गई कार्यकारी शक्तियाँ। संविधान का अनुछेद ७४[29] प्रधानमन्त्री के पद को स्थापित करता है, एवं यह निर्दिष्ट करता है की एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रधान, प्रधानमन्त्री होगा, जो राष्ट्रपति को "सलाह और सहायता" प्रदान करेंगे। तथा अनुछेद ७५ यह स्थापित करता है की मंत्रियों की नियुक्ति, राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार की जायेगी, एवं मंत्रोयों को विभिन्न कार्यभार भी राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार ही देंगे।[30] अतः संविधान यह निर्दिष्ट करता है की, जहाँ संवैधानिक कार्यकारी अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास है, परंतु क्योंकि इन संबंधों में राष्ट्रपति केवल प्रधानमन्त्री की सलाहनुसार कार्य करते हैं, अतः वास्तविकरूपे, इन कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग प्रधानमन्त्री अपनी इच्छानुसार करते हैं। इन विधानों द्वारा संविधान यह स्थापित करता है, की भारत के राष्ट्रप्रमुख होने के नाते, राष्ट्रपति पर निहित सारे कार्यकारी अधिकार, अप्रत्यक्षरूपे, प्रधानमन्त्री ही किया करेंगे, तथा संपूर्ण मंत्रिपरिषद् के प्रधान होंगे। तथा, अनुछेद ७५ द्वारा मंत्रिपरिषद् का गठन, मंत्रियों की नियुक्ति एवं उनका कार्यभार सौंपना भी प्रधानमन्त्री की इच्छा पर छोड़ दिया गया है, बल्कि मंत्रियों और मंत्रालयों के संबंध में संविधान, प्रधानमन्त्री को पूरी खुली छूट प्रदान करता है। प्रधानमन्त्री, अपने मंत्रिमण्डल में किसी भी व्यक्ति को शामिल कर सकते है, निकाल सकते है, नियुक्त कर सकते हैं या निलंबित करवा सकते हैं।[27][31][26] क्योंकि मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा केवल प्रधानमन्त्री की सलाह पर होता है, अतः इसका अर्थ यह है की केंद्रीय मंत्रिपरिषद् वास्तविकरूपे प्रधानमन्त्री की पसंद के लोगों द्वारा निर्मित होती है, जिसमें वे अपनी पसंदानुसार कभी भी फेर-बदल कर सकते है। साथ ही मंत्रियों को विभिन्न कार्यभार प्रदान करना भी पूर्णतः प्रधानमन्त्री की इच्छा पर निर्भर करता है; वे अपने मंत्रियों में से किसी को भी कोई भी मंत्रालय या कार्यभार सौंप सकती हैं, छीन सकते हैं या दूसरा कोई कार्यभार/मंत्रालय सौंप सकते हैं। इन मामलो में संबंधित मंत्रियों से सलाह-मश्वरा करने की, या उनकी अनुमति प्राप्त करने की, प्रधानमन्त्री पर किसी भी प्रकार की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है।[26] बल्कि मंत्रियों व मंत्रालयों के विषय में पूर्वकथित किसी भी मामले में संबंधित मंत्री या मंत्रियों की सलाह या अनुमति प्राप्त करने की, प्रधानमन्त्री पर किसी भी प्रकार की संवैधानिक बाध्यता नहीं है। वे कभी भी अपनी इच्छानुसार, किसी भी मंत्री को मंत्रिपद से इस्तीफ़ा देने के लिए भी कह सकते है, और यदि वह मंत्री, इस्तीफ़ा देने से इंकार कर देता है, तो वे राष्ट्रपति से कह कर उसे पद से निलंबित भी करवा सकते हैं।[26][31][27]

स्वतंत्र भारत की पहली मंत्रिपरिषद्, राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के साथ
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिमण्डलीय बैठक की तस्वीर

मंत्रियों की नियुक्ति एवं मंत्रालयों के आवण्टन के अलावा, मंत्रिमण्डलीय सभाएँ, कैबिनेट की गतिविधियाँ और सरकार की नीतियों पर भी प्रधानमन्त्री का पूरा नियंत्रण होता है। प्रधानमन्त्री, मंत्रिपरिषद् के संवैधानिक प्रमुख एवं नेता होते हैं।[32] वे संसद एवं अन्य मञ्चों पर मंत्रिपरिषद् का प्रतिनिधित्व करते है। वे मंत्रिमण्डलीय सभाओं की अध्यक्षता करते हैं, तथा इन बैठकों की कार्यसूची, तथा चर्चा के अन्य विषय वोही तय करते हैं। बल्कि कैबिनेट बैठकों में उठने वाले सारे मामले व विषयसूची, प्रधानमन्त्री की ही स्वीकृति व सहमति से निर्धारित किये जाते हैं। कैबिनेट की बैठकों में उठने वाले विभिन्न प्रस्तावों को मंज़ूर या नामंज़ूर करना, प्रधानमन्त्री की इच्छा पर होता है। हालाँकि, चर्च करने और अपने निजी, सुझाव व प्रस्तावों को बैठक के समक्ष रखने की स्वतंत्रता हर मंत्री को है, परंतु अंत्यतः वही प्रस्ताव या निर्णय लिया जाता है, जिसपर प्रधानमन्त्री की सहमति हो, और निर्णय पारित किये जाने के पश्चात् उसे पूरे मंत्रिपरिषद् का अंतिम निर्णय मन जाता है, और सभी मंत्रियों को प्रधानमन्त्री के उस निर्णय के साथ चलना होता है। अतः यह कहा जा सकता ही की संवैधानिक रूपतः, केंद्रीय मंत्रिमण्डल पर प्रधानमन्त्री को पूर्ण नियंत्रण व चुनौतीहीन प्रभुत्व हासिल है। नियंत्रण के मामले में प्रधानमन्त्री, मंत्रिपरिषद् का सर्वेसर्वा होता है, और उसके इस्तीफे से पूरी सरकार गिर जाती है, अर्थात् सारे मंत्रियों का मंत्रित्व समाप्त हो जाता है। मंत्रिपरिषद् की अध्यक्षता के अलावा संविधान, प्रधानमन्त्री पर एक और ख़ास विशेषाधिकार निहित करता है, यह विशेषाधिकार है, मंत्रिपरिषद् और राष्ट्रपति के बीच का मध्यसंपर्क सूत्र होना। यह विशेषाधिकार केवल प्रधानमन्त्री को दिया गया है, जिसके माध्यम से प्रधानमन्त्री समय-समय पर, राष्ट्रपति को मंत्रीसभा में लिए जाने वाले निर्णय और चर्चाओं से संबंधित जानकारी से राष्ट्रपति को अधिसूचित कराते रहते हैं। प्रधानमन्त्री के अलावा कोई भी अन्य मंत्री, स्वेच्छा से मंत्रीसभा में चर्चित किसी भी विषय को राष्ट्रपति के समक्ष उद्घाटित नहीं कर सकता है।[33] यह विशेषाधिकार की महत्व व अर्थ यह है की मंत्रिमण्डलीय सभाओं में चर्चित विषयों में से किन जानकारियों को गोपनीय रखना है, एवं किन जनकरोयों को दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है, यह तय करने का अधिकार भी प्रधानमन्त्री के पास है।

प्रशासनिक शक्तियाँ

अपने विभिन्न उच्चाधिकारियों और सलाहकारों के साथ द्विपक्षीय व्रत में भाग ले रहे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमन्त्री, राज्य के विभिन्न अंगों के मुख्य प्रबंधक के रूप में कार्य करते है, जिसका कार्य, राज्य के सरे विभागों व अंगों से, अपनी इच्छानुसार कार्य करवाना है। सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के बीच समन्वय बनाना, और कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को कार्यान्वित करवाना तथा विभिन्न विभागों को निर्देशित करना भी उनका काम है। मंत्रालयों और विभागों के बीच के प्रशासनिक मतभेद सुलझना और अंतिम निर्णय लेना भी उनका काम है।[26]

सरकारी कार्यों के कार्यान्वयन जे अलावा भी, सरकारी तंत्र पर प्रधानमन्त्री का अत्यधिक प्रभाव और पकड़ होता है। शासन व सरकार के प्रमुख होने के नाते, कार्यकारिणी की तमाम नियुक्तियाँ वास्तविक तौरपर प्रधानमन्त्री द्वारा की जाती है। सारे उच्चस्तरीय अधिकारी व पदाधिकारी प्रधानमन्त्री, अपने पसंद के ही नियुक्त करते हैं। इन नियुक्तियों में, उच्च-सलाहकारों तथा सरकारी मंत्रालयों और कार्यालयों के उच्चाधिकारी समेत, विभिन्न राज्यों के राज्यपाल, महान्यायवादी, महालेखापरीक्षक, लोक सेवा आयोग के अधिपति, व अन्य सदस्य, विभिन्न देशों के राजदूत, वाणिज्यदूत, इत्यादि, सब शामिल हैं। यह सारे उच्चस्तरीय नियुक्तियाँ, भारत के राष्ट्रपति द्वारा, प्रधानमन्त्री की सलाह पर किये जाते हैं।[26]

विधानमण्डलीय शक्तियाँ

चित्र:Prime Narendra Modi replying to a Motion of thanks to the President’s address.jpg
लोकसभा में शासन का पक्ष रखते हुए, प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी

सरकार और मंत्रिपरिषद् के प्रमुख होने के नाते, प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत और सत्तापक्ष के नेता और प्रमुख प्रतिनिधि हैं। इस सन्दर्भ में, सदन में सरकार और सत्तापक्ष का प्रतिनिधित्व करना प्रधानमन्त्री का कर्त्तव्य माना जाता है। साथ ही, यह आशा की जाती है की, सदन में सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण विधेयक और घोषणाएँ प्रधानमन्त्री करेंगे, तथा उन महत्वपूर्ण निर्णयों के विषय में सत्तापक्ष की तरफ़ से प्रधानमन्त्री उत्तर देंगे।[27][26][34] लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव, निर्वाचन द्वारा होता है, अतः साधारणतः, सभापति भी बहुमत दाल का होता है। अतः, बहुमत दाल के नेता होने के नाते, सभापति के ज़रिये, प्रधानमन्त्री, लोकसभा की कार्रवाई को भी सीमितरूप से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, क्योंकि सभापति, सभा का अधिष्ठाता होता है, और सदन में चर्च की विषयसूची भी सभापति ही निर्धारित करता है, हालाँकि सदन की कार्रवाई को अधिक हद तक प्रभावित नहीं किया जा सकता है। इन कर्तव्यों के अलावा, संसदीय कार्रवाई को पर प्रधानमन्त्री का सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है, लोकसभा सत्र बुलाने और सत्रांत करने की शक्ति। संविधान का अनुछेद ८५, लोकसभा के सत्र बुलाने और सत्रांत करने का अधिकार, भारत के राष्ट्रपति को देता है, परंतु इस मामले राष्ट्रपति को प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार कार्य करना पड़ता है।[35] अर्थात् वस्तविकरूपे, लोकसभा का सत्र बुलाना और अंत करना प्रधानमन्त्री के हाथों में होता है। यह अधिकार, निःसंदेह, प्रधानमन्त्री के हाथों में दी गयी सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है, जोकि उनको न केवल अपने दाल पर, बल्कि विपक्ष के सांसदों की गतिविधियों पर भी सीमित नियंत्रण का अवसर प्रदान करता है।[26][34]

वैश्विक संबंधों में किरदार

ब्रिक्स सम्मेलन २०१६ में भारतीय प्रधानमन्त्री, अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी

सरकार और देश के नेता होने के नाते, वैश्विक मञ्च पर भारत का प्रतिनिधित्व करना प्रधानमन्त्री की सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियों में से एक है। सरकार और मंत्रिपरिषद् पर अपनी अपार नियंत्रण के कारन, भारतीय राज्य की वैश्विक नीति निर्धारित करने में प्रधानमन्त्री की सबसे अहम भूमिका होती है। देश की विदेश नीति से संबंधित निर्णय, देश की सामरिक, कूटनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक, इत्यादि, आवश्यकताओं के अनुसार आमतौर पर मंत्रिपरिषद् में चर्चा द्वारा निर्धारित की जाती है, जिनमे अंतिम निर्णय प्रधानमन्त्री लेते हैं।[36] वैश्विक संबंधों और उनसे जुड़े मामलों भारत का विदेश मंत्रालय संभालता है, जिसके लिए, विदेश मंत्री के नाम से एक स्वतंत्र कैबिनेट मंत्री भी नियुक्त किया जाता रहा है(कई बार प्रधानमन्त्री स्वयँ भी विदेश मंत्रालय का प्रभार संभालते हैं), परंतु क्योंकि विदेश नीतियाँ, इत्यादि, प्रधानमन्त्री निरतदारित करते हैं, अतः, विदेश मंत्री, अंत्यतः प्रधानमन्त्री द्वारा लिए गए निर्णयों और नीतियों को कार्यान्वित करने का काम करता है।[26][27][31][12][37]

विभिन्न देशों से सामरिक, आर्थिक, कूटनीतिक, वाणिज्यिक और संसाधनिक, इत्यादि संधियाँ और समझौते, तथा उनसे जुड़ी कूटनीतिक बहस और वार्ताओं में प्रधानमन्त्री का किरदार सबसे महत्वपूर्ण होता है, और ऐसे वार्ताओं में वे देश के प्रतिनिधित्व करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा से ख़िताब करते हुए, प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी

विभिन्न देशों के के राष्ट्राध्यक्षों व प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत-सत्कार करना व उनकी मेजबानी करना भी प्रधानमन्त्री की ज़िम्मेदार होती है। विदेशी प्रतिनिधियों की मेज़बानी के आलावा, प्रधानमन्त्री, जनप्रतिनिधि व शासनप्रमुख होने के नाते, विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। वे संयुक्त राष्ट्र संघ, जी-२०, ब्रिक्स, सार्क, गुट निरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमण्डल, इत्यादि जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, और भारत का पक्ष रखते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मञ्च पर देश की छवि बनाने, और कूटनीतिक वार्ताओं द्वारा देश के हित की आपूर्ति करने में प्रधानमन्त्री का स्थान बेहद महत्वपूर्ण है।[26][27][31][12]

भारतीय संविधान, राष्ट्रप्रमुख और सर्व सामरिक बलों के अधिपति होने के नाते, किसी अन्य देश से युद्ध व शांति घोषित करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति को देता है,[38] परंतु इसका वास्तविक अधिकार प्रधानमन्त्री को है, क्योंकि, राष्ट्रपति इस मामले में प्रधानमन्त्री की सलाह के अनुसार कार्य करने हेतु बाध्य हैं। युद्ध की घोषणा के अलावा, युद्ध की रणनीति निर्धारित करना तथा सामरिक बलों को नियंत्रित करना भी प्रधानमन्त्री द्वारा ही होता है। तथा शांति-घोषणा करना और शांति-समझौता करना भी प्रधानमन्त्री का कर्त्तव्य है।[26][27][31][12]

विभिन्न मंत्रालयों/विभागों का प्रभार

भारत सरकार के कुछ विशेष, संवेदनशील एवं उच्चस्तरीय विभाग व मंत्रालय ऐसे हैं, जिनकी विशेषता, संवेदनशीलता, या अन्य किसी कारणवश प्रधानमन्त्री के अलावा अन्य किसी भी मंत्री को इनका कार्यभार नहीं सौंपा जाता है। इन विभिन्न विभागों के कार्यों के प्रति वे संसद को जवाबदेह है, और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें संसद् में पूछे गए प्रश्नो का उत्तर देना पड़ता है।[39] आम तौरपर, प्रधानमन्त्री इन निम्नलिखित विभागों के प्रभारी होते हैं:

परंपरागत कर्त्तव्य

भारत के प्रधानमन्त्रीपद की राजनैतिक महत्त्व एवं उसके पदाधिकारी की जननायक और राष्ट्रीय नेतृत्वकर्ता की छवि के लिहाज़ से, प्रधानमन्त्री पद के पदाधिकारी से यह आशा की जाती है, की वे भारत के जनमानस को भली-भाँति जाने, समझे, एवं राष्ट्र को उचित दिशा प्रदान करें। जनमानस के प्रतिनिधि होने के नाते, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवसों और समारोहों में प्रधानमन्त्री के अहम पारंपरिक एवं चिन्हात्मक किरदार रहा है। समय के साथ, प्रधानमन्त्री पर अनेक परांमरगत कर्त्तव्य विकसित हुए हैं। इन कर्तव्यों में प्रमुख है, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष, दिल्ली के लाल क़िले की प्राचीर से प्रधानमन्त्री का राष्ट्र को संबोधन। स्वतंत्रता पश्चात्, वर्ष १९४७ से ही यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें, प्रधानमन्त्री, स्वयँ दिल्ली के ऐतिहासिक लाल क़िले की प्राचीर पर, राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं, और जनता को संबोधित करते हैं। इन भाषणों में अमूमन प्रधानमन्त्रीगण, बीते वर्ष में सरकार की उपलब्धियों को उजागर करते हैं, तथा आगामी वर्षो में सरकार की कार्यसूच और मनोदशा से लोगों को प्रत्यक्ष रूप से अवगत कराटे हैं। १५ अगस्त, वर्ष १९४७ को सर्वप्रथम, भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री, जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया था। लाल किले से जनता को संबोधित करने की इस परंपरा को उनहोंने अपने १७ वर्षीया कार्यकाल में प्रतिवर्ष जारी रखा। तत्पश्चात्, उनके द्वारा शुरू की गयी इस परंपरा को उनके प्रत्येक उत्तराधिकारी ने बरकार रखा है, और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।[40] वर्तमान समय में, प्रधानमन्त्री का भाषण वर्ष के सबसे अहम राजनैतिक घटनों में से एक माना जाता है, जिसमे प्रधानमन्त्री स्वयँ प्रत्यक्ष रूप से जनता के समक्ष सरकार की उपलब्धियों और मनोदशा को प्रस्तुत करता है। १५ अगस्त के भाषण के अलावा, प्रतिवर्ष, २६ जनवरी को गणतंत्रता दिवस के दिन, राजपथ पर गणतंत्रता दिवस के समारोह की प्रारंभ से पूर्व, प्रधानमन्त्री, देश के तरफ से, अमर जवान ज्योति पर पुष्पमाला अर्पित कर, भारतीय सुरक्षा बलों के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है। इस परंपरा की शुरुआत, प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के समय हुई थी, जब १९७१ की युद्ध में पाकिस्तान की पराजय और बांग्लादेश की मुक्ति के पश्चात् देश की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिकों के उपलक्ष में दिसंबर १९७१ को अमर जवान ज्योति को स्थापित किया गया। सर्वप्रथम, इंदिरा गांधी ने अमर जवान ज्योति पर, शहीद सैनिकों २६ जनवरी १९७९ को, २३वें गणतंत्रता दिवस पर यहाँ पुष्पमाला अर्पित किया था। तत्पश्चात्, प्रतिवर्ष, प्रत्येक प्रधानमन्त्री इस परंपरा को निभा रहे हैं।,[41][42]

प्रधानमन्त्री कोष

प्रधानमन्त्री, विभिन्न राहत कोषों के अध्यक्ष हैं, जिनका उपयोग, विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक, सामरिक तथा अन्य आपदाओं में आर्थिक सहायता देने के लिए किया जाता है। ये कोष, पूर्णतः सार्वजनिक-अंशदान पर निर्भर होती हैं।[43] इन्हें सरकार द्वारा किसी प्रकार की वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाती है, और इन्हें प्रधानमन्त्री कार्यालय द्वारा एक न्यास की तरह प्रबंधित किया जाता है।

प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष

प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष, जनता के अंशदान से बनी एक न्यास है, जिसका प्रबंधन प्रधानमन्त्री अथवा विविध नामित अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इस कोष के अध्यक्ष, स्वयं प्रधानमन्त्री होते हैं। इस राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, हृदय शल्य-चिकित्सा, गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर आदि के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती है। इसे वर्ष 1948 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता के अंशदान से पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए स्थापित किया गया था।[43]

यह कोष केवल जनता के अंशदान से बना है और इसे कोई भी बजटीय सहायता नहीं मिलती है। समग्र निधि का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विभिन्न रूपों में निवेश किया जाता है। कोष से धनराशि प्रधानमन्त्री के अनुमोदन से वितरित की जाती है। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष का गठन संसद द्वारा नहीं किया गया है।[44] इस कोष की निधि को आयकर अधिनियम के तहत एक ट्रस्ट के रूप में माना जाता है और इसका प्रबंधन प्रधानमन्त्री अथवा विविध नामित अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इस कोष का संचालन प्रधानमन्त्री कार्यालय, साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली से किया जाता है। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 और 139 के तहत आयकर रिटर्न भरने से छूट प्राप्त है।[43]

प्रधानमन्त्री, प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष के अध्यक्ष हैं और अधिकारी/कर्मचारी अवैतनिक आधार पर इसके संचालन में उनकी सहायता करते हैं। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष में किए गए अंशदान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 (छ) के तहत कर योग्य आय से पूरी तरह छूट हेतु अधिसूचित किया जाता है। प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय राहत कोष में किसी व्यक्ति और संस्था से केवल स्वैच्छिक अंशदान ही स्वीकार किए जाते हैं। सरकार के बजट स्रोतों से अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बैलेंस शीटों से मिलने वाले अंशदान स्वीकार नहीं किए जाते हैं।[43]

प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय रक्षा निधि

राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने हेतु नकद एवं वस्तुओं के रूप में प्राप्त स्वैच्छिक दान की जिम्मेदारी लेने और उसके इस्तेमाल पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय रक्षा कोष स्थापित किया गया था। इस कोष का इस्तेमाल सशस्त्र बलों तथा अर्द्ध सैनिक बलों के सदस्यों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए किया जाता है। यह कोष एक कार्यकारिणी समिति के प्रशासनिक नियंत्रण में होता है। इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होते हैं और रक्षा, वित्त तथा गृहमंत्री इसके सदस्य होते हैं। वित्तमंत्री इस कोष के कोषपाल होते हैं तथा इस विषय को देख रहे प्रधानमन्त्री कार्यालय के संयुक्त सचिव कार्यकारिणी समिति के सचिव होते हैं। कोष का लेखा भारतीय रिजर्व बैंक में रखा जाता है। यह कोष भी जनता के स्वैच्छिक अंशदान पर पूरी तरह से निर्भर होता है और इसे किसी भी तरह की बजटीय सहायता नहीं मिलती है।[45][46]

वेतन व पेञ्शन

प्रधानमंत्रित्वीय प्रतिश्रमकीय इतिहास
दिनांक वेतन(₹)
अक्टूबर २००९ में वेतन 1,00,000 (US$1,460)
अक्टूबर २०१० में वेतन 1,35,000 (US$1,971)
जुलाई २०१२ में वेतन 1,60,000 (US$2,336)
स्त्रोत:[47][48]

भारतीय संविधान के अनुछेद ७५ के अनुसार, प्रधानमन्त्री तथा संघ के अन्य मंत्रियों को मिलने वाली प्रतिश्रमक इत्यादि का निर्णय संसद करती है।[49] इस राशि को समय-समय पर संसदीय अधिनियम द्वारा पुनरवृत किया जाता है। मंत्रियो के वेतन से संबंधित मूल राशियों का उल्लेख संविधान की दूसरी अनुसूची के भाग 'ख' में दिया गया था, जिसे बाद में संवैधानिक संशोधन द्वारा हटा दिया गया था। वर्ष २०१० में जरी की गयी आधिकारिक सूचना में प्रधानमन्त्री कार्यालय ने यह सूचित किया था की प्रधानमन्त्री की कुल आय उनकी मूल वेतन से अधिक उन्हें प्रदान किये जाने वाले विभिन्न भत्तों के रूप में होता है।[50] वर्ष २०१३ में आए, एक सूचना अधिकार आवेदन के उत्तर में यह स्पष्ट किया गया था की प्रधानमन्त्री का मूल वेतन ₹५०,००० प्रति माह था, जिसके साथ ₹३,००० का मासिक, व्यय भत्ता भी प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमन्त्री को ₹२,००० की दैनिक दर से प्रतिमाह ₹ ६२,००० का दैनिक भत्ता मुहैया कराया जाता है, साथ ही ₹४५,००० का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी प्रधानमन्त्री को प्रदान किया जाता है। इन सब भत्तों और राशियों को मिला कर, प्रधानमन्त्री की मासिक आय का कुल मूल्य ₹१,६०,०००, प्रतिमाह तथा ₹२० लाख प्रतिवर्ष है।[47][51] अमरीकी पत्रिका, द एकॉनॉमिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, पर्चेज़िंग पावर प्रॅरिटी के अनुपात के आशार पर भारतीय प्रधानमन्त्री $४१०६ के समानांतर वेतन प्राप्त करते हैं। प्रति-व्यक्ति जीडीपी के अनुपात के आधार पर यह आंकड़ा विश्व में सबसे कम है।[52] प्रधानमन्त्री की सेवानिवृत्ति के पश्चात् प्रधानमन्त्री को ₹२०,००० की मासिक पेंशन प्रदान की जाती है, एवं सीमित सचिवीय सहायता के साथ, ₹६,००० का कार्यालय खर्च भी प्रदान किया जाता है।[51]

सहूलियतों

प्रधानमन्त्री कार्यालय

केंद्रीय सचिवालय का साउथ ब्लॉक, प्रधानमन्त्री कार्यालय का दफ़्तर

प्रधानमन्त्री कार्यालय, भारत सरकार का उच्चतम् कार्यालय है, जो प्रधानमन्त्री को सचिवीय सहायता प्रदान करता है। इसमें, प्रधानमन्त्री के तत्काल कार्यकारिणी एवं सलाहकार शामिल रहते हैं, साथ ही संबंधित वरिष्ठाधिकारियों की सहकारिणी भी इस कार्यालय का भाग होते है।[53] इस कार्यालय के विभिन्न विभाग होते हैं, जोकि प्रधानमन्त्री को शासन चलाने, विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय बनाने तथा जनता की शिकायतों का निपटान करने में प्रधानमन्त्री की सहायता करती है। यह कार्यालय प्रधानमन्त्री तथा उनके द्वार प्रशासनिक सेवाओं के कुछ गिने-चुने वरिष्ठ अधिकारियों की मेज़बानी करता है। प्रधानमन्त्री कार्यालय की अध्यक्षता प्रधानमन्त्री के प्रधान सचिव करते हैं। इसी कार्यालय के माध्यम से सभी मंत्रिमण्डलीय मंत्रिगण, स्वतंत्र-प्रभारी राज्यमंत्रिगण, मंत्रालयों, राज्य सरकारों तथा राज्यपालगण के साथ आधिकारिक संबंध तथा समन्वय साधते हैं। यह कार्यालय केंद्र सरकार का ही एक हिस्सा है और रायसीना पहाड़ी, नई दिल्ली के सचिवीय भवनों के साउथ ब्लॉक से कार्य करता है।[54]

प्रधानमन्त्री आवास

भारत के प्रधानमन्त्री का वर्त्तमान आधिकारिक निवास, ७, लोक कल्याण मार्ग पर अवस्थित है, जिसे पूर्वतः ७, रेस कोर्स रोड कहा जाता था। इस आवास का आधिकारिक नाम "पञ्चवटी" है। नई दिल्ली के लोक कल्याण मार्ग पर स्थित यह संपत्ति १२ एकर की भूमि पर फैली हुई है, जिसमें कुल पाँच बंगले शामिल हैं। कुल मिला कर, इन पाँच भवनों, बगीचों तथा कुछ अन्य सामरिक संरचनाओं का यह समुच्च, भारतीय प्रधानमन्त्री का आधिकारिक निवास तथा प्रमुख कार्यगार है।[55] इस संपत्ति में प्रधानमन्त्री का निजी आवासीय क्षेत्र, कार्यगृह, सभागृह एवं अतिथिशाला स्थित हैं। यहाँ निवास करने वाले प्रथम् प्रधानमन्त्री, राजीव गांधी थे। भारत के सप्तम् प्रधानमन्त्री एवं राजीव गांधी के उत्तराधिकारी, प्रधानमन्त्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पहली बार इसे स्वयँ एवं भविष्य के प्रधानमंत्रियों के लिए आधिकारिक प्रधानमन्त्री आवास निर्दिष्ट किया था।[56]

चित्र:Prime Minister Narendra Modi welcomes Dr.Manmohan Singh at 7RCR..jpg
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का पञ्चवटी में स्वागत करते हुए[57]

अमूमन प्रधानमन्त्रीगण अपने सारे आधिकारिक और राजनैतिक बैठकें यहीं किया करते हैं, हालाँकि, प्रधानमन्त्री का मूल कार्यालय रायसीना की पहाड़ी पर स्थित, केंद्रीय सचिवालय में अवस्थित है, परंतु पञ्चवटी में भी प्रधानमन्त्री के लिए एक कार्यगृह एवं सभागृह विद्यमान है, जहाँ प्रधानमन्त्री यहीं रहते हुए अपने कार्यों का निर्वाह कर सकते हैं।[58][59] यह एक अतितीव्र-सुरक्षा क्षेत्र है और हर क्षण विशेष सुरक्षा दल के पहरे में रहता है। साधारण जनमानस का प्रवेश यहाँ पूर्णतः निषेध होता है। लोक कल्याण मार्ग का नाम पूर्वतः रेस कोर्स रोड था। सितंबर २०१६ में इसके नाम को परिवर्तित कर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था, जिसके बाद इसका वर्त्तमान पता ७ लोक कल्याण मार्ग होगया।[60]

सुरक्षा

चित्र:SPG India PM.jpg
एसपीजी की काउंटर असॉल्ट् टीम, लाल क़िला, नयी दिल्ली में

भारतीय प्रधानमन्त्री पर प्रति क्षण मण्डरा रहे आत्मघाती संकट के मद्देनज़र, प्रधानमन्त्री की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण विषय है। प्रधानमन्त्री की सुरक्षा, संघ की एक विशेष सुरक्षा बल, विशेष सुरक्षा दल(एसपीजी) की ज़िम्मेदार होती है, यह विशिष्ट बल सीधे केंद्र सरकार के मंत्रिमण्डलीय सचिवालय के अधीन है, और आसूचना ब्यूरो(आईबी) के अंतर्गत उसके एक विभाग के रूप में कार्य करती है। एसपीजी के जवान प्रधानमन्त्री को २४ घंटे एक विशेष सुरक्षा घेरा प्रदान करते है, तथा उनकी अंगरक्षा, अनुरक्षण एवं उनके आवासों, विमानों और वाहनों की सुरक्षा, आरक्षा एवं अनुरक्षणिक जाँच प्रदान करती है। एसपीजी देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बालों में से एक है। एसपीजी के जवानों को सुरक्षा, अंगरक्षा, अनुरक्षण एवं अनुरक्षणिक जाँच हेतु विशेष एवं पेशेवर परिक्षण, उपकरण और पोषक प्रदान की जाती है तथा दृढ अनुशासन में रखा जाता है,[61][62] ताकि प्रधानमन्त्री को सुरक्षा प्रदान करने में वे लोग पूर्णतः सक्षम रहें।

चित्र:SPG protecting Indian PM.jpg
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को आरक्षा प्रदान करते हुए एसपीजी के जवान

राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र, देश के अन्य हिस्से, तथा विदेशी दौरों पर, हर स्थान, हर क्षण, प्रधानमन्त्री की अंगरक्षा एवं किसी भी प्रकार के हमले से उनकी सुरक्षा, एसपीजी की ज़िम्मेदारी होती है। प्रधानमन्त्री की अंगरक्षा के अलावा, एसपीजी, प्रधानमन्त्री आवास, प्रधानमन्त्री कार्यालय तथा हर वह स्थान जहाँ प्रधानमन्त्री वास करते है, उसकी सुरक्षा एसपीजी करती है। साथ ही प्रधानमन्त्री के तत्काल परिवार एवं पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों की सुरक्षा(पदत्याग के बाद १ वर्ष तक) भी एसपीजी करती है। प्रधानमन्त्री की अंगरक्षा हेतु एक विशेष सुरक्षा दल की आवश्यकता पहली बार प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद महसूस हुई थी, तत्पश्चात्, १९८८ में एसपीजी को आईबी की एक विशेष अंग के रूप में, सीधे केंद्र सरकार के अंतर्गत एक सुरक्षा टुकड़ी के रूप में गठित किया गया था।[63]

एसपीजी के गठन से पूर्व, १९८१ से पहले राष्ट्रीय राजधानी में, प्रधानमन्त्री की सुरक्षा दिल्ली पुलिस की एक विशेष अंग के अंतर्गत थी। तत्पश्चात् प्रधानमन्त्री की अनुरक्षण एवं विशिष्ट सुरक्षा घेरा प्रदान करने हेतु, आसूचना ब्यूरो ने एक विशेष कार्य बल गठित किया। इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात् विशेष सुरक्षा दल को एक स्वतंत्र निर्देशक के अंतर्गत स्थापित किया गया, जोकि राजधानी, देश तथा विश्व के हर कोने में, जहाँ प्रधानमन्त्री जाएँ, वहां उनको सुरसक्षा प्रदान करे।[64][65]

अन्य सहूलियतें

चित्र:Prime Ministers car.jpg
राष्ट्रपति भवन के बहार खड़ा, प्रधानमन्त्री का विशेष वाहन, अक्टूबर २०१६
चित्र:SPG BMW.jpg
एसपीजी अनुरक्षकों के साथ प्रधानमन्त्री का विशेष वाहन

सचिवीय सहायता, निःशुल्क आवास एवं २४ घंटे-३६५ दिन की एसपीजी सुरक्षा के अलावा और भी कई सहूलियतें प्रधानमन्त्री को मुहैया कराइ जाती हैं। प्रधानमन्त्री को देश एवं दुनिया भर में असंख्य निःशुल्क यात्राएँ करने की सहूलियत प्राप्त होती है। प्रधानमन्त्री की आवा-जाही हेतु विशिष्ट एवं अत्याधुनिक सुरक्षा-उपकरणों से लैस वाहन प्रदान किये जाते हैं, जोकि बुलेट-प्रूफ और बम-प्रूफ होने के साथ साथ इस तरह से बनाये जाते हैं की उसके ईंधन टंकी को नुकसान पहुँचने के बावजूद भी उसमे विस्फोट नाहीं होती है। साथ ही प्रधानमन्त्री का विशेष वाहन फ्लॅट टायर के साथ भी मीलों तक बिना रुके चल सकता है। इसके अलावा, गैस या रासायनिक हमले समय, इस वाहन की अंदरुनी कक्ष, एक गैस-चैम्बर में तबदील होने में भी सक्षम है, ताकि बहरी वायु भीतर प्रवेश का कर सके, और अंदृकि कक्ष में ऑक्सीजन की सप्लाई भी मौजूद रहती है। प्रधानमन्त्री के विशेष वाहन के अलावा, प्रधानमन्त्री अपने विशेष काफिले के साथ चलते हैं, जिनमे करीब दर्जन-भर और गाड़ियाँ होती है, जिनमें प्रधानमन्त्री की सुरक्षा में मशगूल एसपीजी के जवान प्रधानमन्त्री के अनुरक्षण हेतु उपस्थित रहते हैं। इसके अलावा काफ़िले में एक एम्बुलेंस और एक जैमर भी हमेशा मौजूद रहता है।[66]

प्रधानमन्त्री का विशेष विमान, बोइंग-७७७-४०० टोरंटो से वैंकोवर के लिए उड़न भरते हुए
लंदन के हीथ्रो एअरपोर्ट पर एयर इंडिया वन

विशेष वाहन के अलावा प्रधानमन्त्री के लिए विशेष विमान भी उपलब्ध कराई जाती है। भारतीय प्रधानमन्त्री की मेज़बानी कर रहे किसी भी विमान का आधिकारिक कॉल-साइन एयर इण्डिया वन होता है। इन विमानों को भारतीय वायु सेना द्वारा वीवीआईपी विमानों की तरह चलाया जाता है। वायु सेना, प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति की वायु यात्राओं के लिए कुछ विशेष विमान रखती है। वायुसेना दो प्रकार के विमान रखती है, एक जिन्हें देश के भीतर यात्रा करने के लिए उपयोग किया जाता है, एवं दुसरे वो जिन्हें प्रधानमन्त्री के विदेश दौरों के लिए रखा जाता है। यह तमाम विमान विशिष्ट उपकरणों और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं, और प्रधानमन्त्री के विमानों की सुरक्षा एसपीजी के नियंत्रण में रहती है।[66]

यातायात की सुविधाओं के अलावा, प्रधानमन्त्री को संपर्क और दूरभाष की भी अनेक सुविधाएँ प्राप्त हैं। प्रधानमन्त्री अपने सरकारी फ़ोन से देश और दुनिया-भर में असंख्य निःशुल्क फ़ोन कॉल कर सकते हैं।[66][51]

सेवानिवृत्ति पश्चात्

सेवानिवृत्ति पश्चात्, पूर्व पदाधिकारियों को जीवन-भर की निःशुल्क आवास तहत सेवानिवृत्ति के बाद के पाँच वर्षोन तक मेडिकल सुविधा, १४ सचिवीय कार्यकारिणी, कार्यकारी खर्च, वार्षिक तौर पर ६ एक्सिक्यूटिव कलास की अप्रवासिया वायु यात्राएँ एवं असंख्य मुफ़्त ट्रेन यात्राएँ प्रदान किये जाते हैं। सेवानिवृत्ति के एक वर्ष बाद तक उन्हें एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाती है। पाँच वर्षों की समाप्ति के पश्चात् उन्हें एक निजी सहायक, एक संत्री, तथा निःशुल्क वायु और ट्रेन टिकट तथा मासिक तौर पर ₹६००० के कार्यालय खर्च प्रदान किया जाता है।[51]

पद का इतिहास

१९४७-१९८०

वर्ष १९४७ से २०१५ तक, प्रधानमन्त्री के इस पद पर कुल १४ पदाधिकारी अपनी सेवा दे चुके हैं। और यदि गुलज़ारीलाल नंदा को भी गिनती में शामिल किया जाए,[67] जोकि दो बार कार्यवाही प्रधानमन्त्री के रूप में अल्पकाल हेतु अपनी सेवा दे चुके हैं, तो यह आंकड़ा १५ तक पहुँचता है। १९४७ के बाद के कुछ दशकों ने भारत के राजनैतिक मानचित्र पर कांग्रेस पार्टी की लगभग चुनौतीहीन राज देखा। इस कल के दौरान, कांग्रेस के के नेतृत्व में कई मज़बूत सरकारों का राज देखा, जिनका नेतृत्व कई शक्तिशाली व्यक्तित्व के प्रधानमन्त्रीगण ने किया। भारत के पहले प्रधानमन्त्री, जवाहरलाल नेहरू थे, जिन्होंने १५ अगस्त १९४७ में कार्यकाल की शपथ ली थी। उन्होंने अविरल १७ वर्षों तक सेवा दी। उन्होंने ३ पूर्ण और एक निषपूर्ण कार्यकालों तक इस पद पर विराजमान रहे। उनका कार्यकाल, मई १९६४ में उनकी मृत्यु पर समाप्त हुआ। वे इस समय तक, सबसे लंबे समय तक शासन संभालने वाले प्रधानमन्त्री हैं।[68] जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद, उन्हीके पार्टी के, लाल बहादुर शास्त्री इस पद पर विद्यमान हुए, जिनके लघुकालीय १९-महीने के कार्यकाल ने वर्ष १९६५ की कश्मीर युद्ध और उसमे पाकिस्तान की पराजय देखी। युद्ध के पश्चात्, ताशकेंत के शांति-समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, ताशकेंत में ही उनकी अकारण व अकस्मात् मृत्यु हो गयी।[69][70][71] शास्त्री के बाद, प्रधानमन्त्रीपद पर, नेहरू की पुत्री, इंदिरा गांधी इस पद पर, देश की पहली महिला प्रधानमन्त्री के तौर पर निर्वाचित हुईं। इंदिरा का यह पहला कार्यकाल ११ वर्षों तक चला, जिसमें उन्होंने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण और पूर्व राजपरिवारों को मिलने वाले शाही भत्ते और राजकीय उपादियों की समाप्ती, जैसे कठोर कदम लिया। साथ ही १९७१ का युद्ध और बांग्लादेश की स्थापना, जनमत-संग्रह द्वारा सिक्किम का भारत में अभिगमन और पोखरण में भारत का पहला परमाणु परिक्षण जैसे ऐतिहासिक घटनाएँ भी इंदिरा गांधी के इस शासनकाल में हुआ। परंतु इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद, १९७५ से १९७७ तक का कुख्यात आपातकाल भी इंदिरा गांधी ने ही लगवाया था। यह समय सरकार द्वारा, आंतरिक उथल-पुथल और अराजकता को "नियंत्रित" करने हेतु, लोकतांत्रिक नागरिक अधिकारों की समाप्ति और राजनैतिक विपक्ष के दमन के लिए कुख्यात रहा।[72][73][74][75] इस आपातकाल के कारण, इंदिरा के खिलाफ उठे विरोध की लहार के कारन, विपक्ष की तमाम राजनैतिक दलों ने आपातकाल के समापन के बाद, १९७७ के चुनावों में, संगठित रूप से जनता पार्टी की छात्र के नीचे, कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होकर लड़ा, और कांग्रेस को बुरी तरह परस्जित करने में सफल रही। तथा, जनता पार्टी की गठबंधन के तरफ से मोरारजी देसाई देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमन्त्री बने। प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई की सरकार अत्यंत विस्तृत एवं कई विपरीत विचारधाराओं की राजनीतिक दलों द्वारा रचित थी, जिनका एकजुट होकर साथ चलना और विभिन्न राजनैतिक निर्णयों पर एकमत व समन्वय बरकरक रखना बहुत कठिन था। अंत्यतः ढाई वर्षों के बाद, २८ जुलाई १९७९ को मोरारजी के इस्तीफ़े के साथ ही उनकी सरकार गिर गई।[76] तत्पश्चात्, क्षणिक समय के लिए, मोरारजी की सर्कार में उपप्रधानमन्त्री रहे, चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस के समर्थन से, बहुमत सिद्ध किया और प्रधानमन्त्री की शपथ ली। उनका कार्यकाल केवल ५ महीनों तक चला(जुलाई १९७९ से जनवरी १९८०)। उन्हें भी घटक दलों के साथ समन्वय बना पाना कठिन हो रहा था, और अंत्यतः कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के कारण उनहोंने भी बहुमत खो दिया, और उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा।[77] इन तकरीबन ३ वर्षों की सत्ता से बेदखली के बाद, कांग्रेस पुनः भरी बहुमत के साथ सत्ता में आई, और इंदिरा गांधी को अपने दुसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया गया। इस दौरान, उनके द्वारा की गयी सबसे कठोर एवं विवादस्पद कदम था ऑपरेशन ब्लू स्टार, जिसे अमृतसर के हरिमंदिर साहिब में छुपे हुए खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ किया गया था। अंत्यतः, उनका कार्यकाल, ३१ दिसंबर १९८४ की सुबह को उनकी हत्या के साथ समाप्त हो गया।

१९८०-२०००

इंदिरा के बाद, भारत के प्रधानमन्त्री बने, उनके छोटे पुत्र, राजीव गांधी, जिन्हें, ३१ अक्टूबर की शाम को ही कार्यकाल की शपथ दिलाई गयी। उन्होंने पुनः निर्वाचन करवाया और इस बार, कांग्रेस ऐतिहासिक बहुमत प्राप्त कर, विजई हुई। १९८४ के चुनाव में कांग्रेस ने लोकसभा में ४०१ आसान प्राप्त किया था, जोकि किसी भी दाल द्वारा प्राप्त किया गया अधिकतम सङ्ख्या है। ४० वर्ष की आयु में प्रधानमन्त्रीपद की शपथ लेने वाले राजीव गांधी, इस पद पर विराजमान होने वाले सबसे युवा व्यक्ति हैं।[78] राजीव गांधी के बाद, राष्ट्रीय मञ्च पर उबरे, विश्वनाथ प्रताप सिंह, जोकि राजीव गांधी की कैबिनेट में, वित्तमंत्री और रक्षामंत्री के पद पर थे। अपनी साफ़ छवि के लिए जाने जाने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपने वित्तमंत्रीत्व और रक्षामंत्रीत्व के समय, भ्रष्टाचार, कला-बाज़ारी और टैक्स-चोरी जैसी समस्याओं के खिलाफ कई कदम उठाये थे, ऐसा अनुमान लगाया जाता है की इन कदमों में कई ऐसे भी थे, जिनके कारण कांग्रेस की पूर्व सरकारों के समय किये गए घोटालों पर से पर्दा उठ सकता था, और इसीलिए अपनी पार्टी की साख पर खतरे को देखते हुए, उन्हें राजीव गांधी ने मंत्रिमंडल से १९८७ में निष्कासित कर दिया था। १९८८ में उन्होंने जनता दल नमक राजनैतिक दल की स्थापना की, और अनेक कांग्रेस-विरोधी दलों की मदद से नेशनल फ्रंट नमक गठबंधन का गठन किया। १९८९ के चुनाव में कांग्रेस ६४ सीटों तक सीमित रह गयी, जबकि नेशनल फ्रंट, सबसे बड़ा गुथ बन कर उबरा। भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों के बाहरी समर्थन के साथ नेशनल फ्रंट ने सर्कार बनाई, जिसका नेतृत्व विश्वनाथजी को दिया गया। वी.पी. सिंह के कार्यकाल में सामाजिक न्याय की दिशा में कई कदम उठाये गए थे, जिनमे से एक था, मंडल आयोग की सुझावों को मानते हुए, अन्य पिछड़े वर्ग में आने वाले लोगो के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थानों में कोटे का प्रावधान पारित करना। इसके अलावा, उन्होंने, राजीव गांधी के काल में, श्रीलंका में तमिल अयंकवादियों के खिलाफ जरी सेना की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। अमृतसर के हरिमंदिर साहिब में ऑपरेशन ब्लू स्टार हेतु क्षमा-याचना के लिए उनकी यात्रा, और उसके बाद के घटनाक्रमों ने बीते बरसों से पंजाब में तनाव को लगभग पूरी तरह शांत कर दिया था। परंतु अयोध्या में "कारसेवा" के लिए जा रहे लालकृष्ण आडवाणी के "रथ यात्रा" को रोक, आडवानी की गिरफ़्तारी के बाद, भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। वी.पी.सिंह ने ७ नवंबर १९९० को अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया।[79][80][81][82] सिंह के इस्तीफे के बाद, उनके पुर्व साथी, चंद्रशेखर ने ६४ सांसदों के साथ समाजवादी जनता पार्टी गठित की और कांग्रेस के समर्थन के साथ, लोकसभा में बहुमत सिद्ध किया। परंतु उनका प्रधानमन्त्री काल, अधिक समय तक टिक नहीं सका। कांग्रेस की समर्थन वापसी के कारण, नवंबर १९९१ को चंद्रशेखर का एक वर्ष से भी कम का कार्यकाल समाप्त हुआ, और नए चुनाव घोषित किये गए।[83]

प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर के ६ महीनों के शासनकाल के पश्चात्, कांग्रेस पुनः सत्ता में आई, इस बार, पमुलापति वेङ्कट नरसिंह राव के नेतृत्व में। नरसिंह राव, दक्षिण भारतीय मूल के पहले प्रधानमन्त्री थे। साथ ही वे न केवल नेहरू-गांधी परिवार से बहार के पहले कांग्रेसी प्रधानमन्त्री था, बल्कि वे नेहरू-गांधी परिवार के बहार के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने अपना पूरे पाँच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया था। नरसिंह राव जी का कार्यकाल, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक एवं ऐतिहासिक परिवर्तन का समय था। अपने वित्तमंत्री, मनमोहन सिंह के ज़रिये, नरसिंह राव ने भारतीय अर्थव्यवस्था की उदारीकरण की शुरुआत की, जिसके कारन, भारत की अबतक सुस्त पड़ी, खतरों से जूझती अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया। इन उदारीकरण के निर्णयों से भारत को एक दृढतः नियंत्रित, कृषि-उद्योग मिश्रित अर्थव्यवस्था से एक बाज़ार-निर्धारित अर्थव्यवस्था में तबदील कर दिया गया। इन आर्थिक नीतियों को, आगामी सरकारों ने जरी रखा, और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाया।[84][85] इन आर्थिक परिवर्तनों के आलावा, नरसिंह राव के कार्यकाल ने अयोध्या की बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि के विवादित ढांचे का विध्वंसन और भारतीय जनता पार्टी का एक राष्ट्रीय स्तर की दल के रूप में उदय भी देखा। नरसिंह राव जी का कार्यकाल, मई १९९६ को समाप्त हुआ, जिसके बाद, देश ने अगले तीन वर्षों में चार, लघुकालीन प्रधानमयों को देखा: पहले अटल बिहारी वाजपेयी की १३ दिवसीय शासनकाल, तत्पश्चात्, प्रधानमन्त्री एच डी देवगौड़ा (1 जून, 1996 से 21 अप्रेल, 1997) और इंद्रकुमार गुज़राल(21 अप्रेल, 1997 से 19 मार्च, 1998), दोनों की एक वर्ष से कम समय का कार्यकाल एवं तत्पश्चात्, पुनः प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की १९ माह की सरकार।[86][87] १९९८ में निर्वाचित हुए प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कुछ अत्यंत ठोस और चुनौती पूर्ण कदम उठाए। मई १९९८ में सरकार के गठन के एक महीने के बाद, सरकार ने पोखरण में पाँच भूतालिया परमाणु विस्फोट करने की घोषणा की। इन विस्फोटों के विरोध में अमरीका समेत करी पश्चिमी देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, परंतु रूस, फ्रांस, खाड़ी देशों और कुछ अन्य के समर्थन के कारण, पश्चिमी देशों का यह प्रतिबंध, पूर्णतः विफल रहा।[88][89] इस आर्थिक प्रतिबंध की परिस्थिति को बखूबी संभालने को अटल सरकार की बेहतरीन कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया। भारतीय परमाणु परीक्षण के जवाब में कुछ महीने बाद, पाकिस्तान ने भी परमाणु परिक्षण किया।[90] दोनों देशों के बीच बिगड़ते हालातों को देखते हुए, सरकार ने रिश्ते बेहतर करने की कोशिश की। फ़रवरी १९९९ में दोनों देशों ने लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किये, जिसमें दोनों देशों ने आपसी रंजिश खत्म करने, व्यापर बढ़ने और अपनी परमाणु क्षमता को शांतिपूर्ण कार्यों के लिए इस्तेमाल करने की घोषणा की।

२०००-वर्त्तमान

१७ अप्रैल १९९९ को जयललिता की पार्टी आइएदमक ने सर्कार से अपना समर्थन है दिया, और नए चुनावों की घोषणा करनी पड़ी।[91][92] तथा अटल सर्कार को चुनाव तक, सामायिक शासन के स्तर पर घटा दिया गया। इस बीच, कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की खबर आई, और अटलजी की सर्कार ने सैन्य कार्रवाई के आदेश दे दिए। यह कार्रवाई सफल रही और करीब २ महीनों के भीतर, भारतीय सऐना ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर ली। १९९९ के चुनाव में भाजपा के नेतृत्व की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने बहुमत प्राप्त की, और प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी अपनी कुर्सी पर बरकरार रहे। अटल ने आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को बरक़रार रखा और उनके शासनकाल में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक विकास दर प्राप्त किया। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी सहूलियतों के विकास के लिए सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाए, जिनमें, राजमार्गों और सडकों के विकास के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना और प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना जैसी योजनाएँ शामिल हैं।[93][94] परंतु, उनके शासनकाल के दौरान, वर्ष २००२ में, गुजरात में गोधरा कांड के बाद भड़के हिन्दू-मुस्लिम दंगों ने विशेष कर गुजरात एवं देश के अन्य कई हिस्सों में, स्वतंत्रता-पश्चात् भारत के सबसे हिंसक और दर्दनाक सामुदायिक दंगों को भड़का दिया। सरकार पर और गुजरटी के तत्कालीन मुख्यमंत्री , नरेंद्र मोदी, पर उस समय, दंगो के दौरान रोक-थाम के उचित कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया गया था। प्रधानमन्त्री वाजपेयी का कार्यकाल मई २००४ को समाप्त हुआ। वे देश के पहले ऐसे ग़ैर-कांग्रेसी प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने अपना पूरे पाँच वर्षों का कार्यकाल पूर्ण किया था। २००४ के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम रहा, और कांग्रेस सदन में सबसे बड़ी दल बन कर उबरी। वामपंथी पार्टियों और कुछ अन्य दलों के समर्थन के साथ, कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए(संयुक्त विकासवादी गठबंधन) की सर्कार स्थापित हुई, और प्रधानमन्त्री बने, मनमोहन सिंह। वे देश के पहले सिख प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने, दो पूर्ण कार्यकालों तक इस पद पर अपनी सेवा दी थी। उनके कार्यकाल में, देश ने प्रधानमन्त्री वाजपेयी के समय हासिल की गए आर्थिक गति को बरक़रार रखा।[95][96] इसके अलावा, सरकार ने आधार(विशिष्ट पहचान पत्र), और सूचना अधिकार जैसी सुविधाएँ पारित की। इसके अलावा, मनमोहन सिंह के कार्यकाल में अनेक सामरिक और सुरक्षा-संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा। २६ नवंबर २००८ को मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद, देश में कई सुरक्षा सुधर कार्यान्वित किये गए। उनके पहले कार्यकाल के अंत में अमेरिकाके के साथ, नागरिक परमाणु समझौते के मुद्दे पर, लेफ़्ट फ्रंट के समर्थन वापसी से सरकार लगभग गिरने के कागार पर पहुँच चुकी थी, परंतु सर्कार बहुमत सिद्ध करने में सक्षम रही। २००९ के चुनाव में कांग्रेस, और भी मज़बूत जनादेश के साथ, सदन में आई, और प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री के आसान पर विद्यमान रहे।[97] प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल, अनेक उच्चस्तरीय घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही। साथ ही आर्थिक उदारीकरण के बाद आई प्रशंसनीय आर्थिक गति भी सुस्त पद गयी, और अनेक महत्वपूर्ण परिस्थितियों में ठोस व निर्णायक कदम न उठा पाने के कारण सरकार सर्कार की छवि काफी ख़राब हुई थी। प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का कार्यकाल, २०१४ में समाप्त हो गया।[98] २०१४ के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, जिसने भ्रस्टाचार और आर्थिक विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, ने अभूतपूर्व बहुमत प्राप्त किया, और नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया। वे पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमन्त्री हैं, जोकि पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर विद्यमान हुए हैं। साथ ही वे पहले ऐसे प्रधानमन्त्री हैं, जोकि आज़ाद भारत में जन्मे हैं।[99]

प्रधानमन्त्रीगण की सूची

जीवित पूर्व प्रधानमन्त्री

कालक्रम

नरेन्द्र मोदीमनमोहन सिंहअटल बिहारी वाजपेयीइंद्रकुमार गुज़रालएच डी देवगौड़ाअटल बिहारी वाजपेयीनरसिंह रावचंद्रशेखरविश्वनाथ प्रताप सिंहराजीव गान्धीइन्दिरा गान्धीचौधरी चरण सिंहमोरारजी देसाईइन्दिरा गान्धीगुलजारीलाल नंदालालबहादुर शास्त्रीगुलजारीलाल नंदाजवाहर लाल नेहरू

उप-प्रधानमन्त्री

वल्लभभाई पटेल देश के पहले उपप्रधानमन्त्री थे

भारत के उपप्रधानमन्त्री का पद, तकनीकी रूप से एक एक संवैधानिक पद नहीं है, नाही संविधान में इसका कोई उल्लेख है। परंतु ऐतिहासिक रूप से, अनेक अवसरों पर विभिन्न सरकारों ने अपने किसी एक वरिष्ठ मंत्री को "उपप्रधानमन्त्री" निर्दिष्ट किया है। इस पद को भरने की कोई संवैधानिक अनिवार्यता नहीं है, नाही यह पद किसी प्रकार की विशेष शक्तियाँ प्रदान करता हैं। आम तौर पर वित्तमंत्री या गृहमंत्री जैसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों को इस पद पर स्थापित किया जाता है, जिन्हें प्रधानमन्त्री के बाद, सबसे वरिष्ठ माना जाता है। अमूमन इस पद का उपयोग, गठबंधन सरकारों में मज़बूती लाने हेतु किया जाता रहा है। इस पद के पहले धारक सरदार वल्लभभाई पटेल थे, जोकि जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में गृहमंत्री थे। कई अवसरों पर ऐसा होता रहा है की प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उपप्रधानमन्त्री संसद या अन्य स्थानों पर उनके स्थान पर सर्कार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इन्हें भी देखें

भारत की राजनीति से संबंधित पृष्ठ
पूर्व प्रधानमन्त्रीगण के पृष्ठ
पूर्व प्रधानमन्त्रीगण के मंत्रीपरिषदों के पृष्ठ
प्रधानमन्त्रीपद से संबंधित अन्य पृष्ठ

सन्दर्भ

  1. भारतीय संविधान अनुछेद ७५(२)[1]
  2. भारतीय संविधान, अनुछेद ५३
  3. संविधान का अनुछेद 74
  4. "विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति:मनमोहन सिंह". फ़ोर्ब्स. ३ नवंबर २०१०.(अंग्रेज़ी)
  5. "मनमोहन सिंह:forbes.com". अभिगमन तिथि 16 नवंबर 2016.(अंग्रेज़ी)
  6. Tharakan, By Tony. "फ़ोर्बेस की सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों की सूची में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह". अभिगमन तिथि 16 नवंबर 2016.(अंग्रेज़ी)
  7. "विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की फ़ोटो दीर्घा". अभिगमन तिथि 16 नवंबर 2016.(अंग्रेज़ी)
  8. "फ़ोर्बेस की सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में प्रधामन मोदी 9वें स्थान पर". द इकॉनोमिक टाइम्स.(अंग्रेज़ी)
  9. "विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्तिगण". फ़ोर्बेस. नवंबर 2014. अभिगमन तिथि 6 नवंबर 2014.(अंग्रेज़ी)
  10. प्रधानमन्त्री का संवैधानिक पद, एलेक्शन्स.इन(अंग्रेज़ी)
  11. संविधान का भाग ५-वेबदुनिया(हिंदी)
  12. प्रधानमन्त्री, भारत, ॐ एबीसी
  13. भारत में प्रधानमन्त्री का चुनाव एवं नियुक्ति की प्रक्रिया, देसीकानून.सीओ.इन(अंग्रेज़ी)
  14. त्रिशंकु सभा-इतिहास व विश्लेषण, www.legalservice.com(अंग्रेज़ी)
  15. दूसरी अनुसूची-भारतीय ग्रंथागार
  16. प्रधानमन्त्री चरण सिंह की प्रोफाइल, व संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट
  17. भारतीय प्रधानमन्त्री, केस स्टडी, vle.du.ac.in(अंग्रेज़ी)
  18. भारतीय संविधान का पंचम् भाग-पात्रता संबंधीन नियम अनुछेद ७४ तथा ८४ में दिए गए हैं(हिंदी)
  19. संविधान के विभिन्न भागों के विषय(संबंधीन अनुछेद, पंचम भाग बे हैं)
  20. राज्यसभा का जालघर
  21. लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट
  22. संसद
  23. भारतीय संविधान (सम्पूर्ण) -archive.india.gov.in
  24. तीसरी अनुसूची-पीडीएफ़
  25. भारतीय संविधान अनुछेद ७५(२)[2]
  26. भारत के प्रधानमन्त्री, पद, कार्य व शक्तियाँ, योर आर्टिकल लाइब्रेरी(अंग्रेज़ी)
  27. प्रधानमन्त्री, इलेक्शन.इन(अंग्रेज़ी)
  28. पद से त्याग करने वाले पहले भारतीय प्रधानमन्त्री, मोरारजी देसाई, कलर्स ऑफ़ इण्डिया (अंग्रेज़ी)
  29. भारतीय संविधान, भाग ५, अनुच्छेद ७४
  30. भारतीय संविधान, भाग ५, अनुच्छेद ७५
  31. http://www.publishyourarticles.net/knowledge-hub/political-science/what-are-the-powers-and-functions-of-the-prime-minister-of-india/3313/
  32. अनुछेद 74
  33. भारतीय प्रधानमन्त्री, प्रधानमन्त्री का पद व शक्तियाँ, योर आर्टिकल लाइब्रेरी,
  34. भारतीय प्रधानमन्त्री के कार्य, शक्तियाँ और कर्तव्य-प्रीज़र्व आर्टिकल्स.कॉम, प्रीज़र्व आर्टिकल्स
  35. भारतीय संविधान, भाग 5, अनुछेद 85 देखें
  36. तमाम कैबिनेट् बैठकों में अंतिम निर्णय केवल प्रधानमन्त्री का होता है, अन्य मंत्री केवल सलाह दे सकते हैन, और चर्चा में अपना पक्ष रख सकते हैं, कार्यकारी शक्तियों वाला भाग देखें
  37. विदेश मन्त्रालय (हिन्दी)
  38. संविधान, भाग 5
  39. "संसदीय प्रश्न पर प्रधानमन्त्री का उत्तर". pmindia.nic.in. अभिगमन तिथि 2008-06-05.
  40. पीटीआई (15 अगस्त 2013). "प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह नेहरू-गांधी परिवार के बहार के पहले व्यक्ति, जोकि १०वीं बार लाल किले से भाषण देंगे". द हिन्दू अभिगमन तिथि: 30 अगस्त 2013.
  41. Gupta, Geeta (10 June 2012). "ज्वाला का रखवाला". इण्डियन एक्सप्रेस. अभिगमन तिथि 10 अप्रैल 2014.
  42. Goswami, Col (retd) Manoranjan. "युद्ध स्मारक". असम ट्रिब्यून. अभिगमन तिथि 10 April 2014.
  43. http://www.pmindia.gov.in/hi/प्रधान-मंत्री-कोष/
  44. http://www.pmindia.gov.in/en/pms-funds/
  45. http://www.pmindia.gov.in/hi/राष्ट्रीय-रक्षा-निधि/
  46. http://www.pmindia.gov.in/en/national-defence-fund/
  47. प्रधानमन्त्री मोदी की वार्षिक आय ₹1.6 लाख आउटलुक इण्डिया (अंग्रेज़ी)
  48. "Pay & Allowances of the Prime Minister" (PDF). pmindia.nic.in/. अभिगमन तिथि 14 June 2013.
  49. भारतीय संविधान, अनुछेद 75-6
  50. "A Raise for Prime Minister Manmohan Singh?". Wall Street Journal. 23 July 2010. अभिगमन तिथि 14 August 2012.
  51. http://www.naukrihub.com/salary-in-india/prime-minister.html
  52. "Leaders of the fee world: How much a country's leader is paid compared to GDP per person". The Economist. 5 July 2010. अभिगमन तिथि 14 August 2012.
  53. india.gov.in-भारत का राष्ट्रीय पोर्टल/प्रधानमन्त्री
  54. कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट
  55. मोदी का 7 RCR में प्रवेश, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
  56. "7 RCR के निकट के मेट्रो स्टेशन बंद". Economic Times. Aug 26, 2011.
  57. "7 आरसीआर में PM मोदी से मिले मनमोहन". The New Indian Express. अभिगमन तिथि 2016-03-05.
  58. "cwg के विषय पर प्रधानमन्त्री आवास में बैठक". Sify.com. 2010-08-14.
  59. "Matherani recalled; Cong core group meets". The Tribune. December 3, 2005.
  60. रेस कोर्स रोड अब इतिहास है-, एनडीटीवी, ७ रेस कोर्स रोड का नाम परिवर्तन
  61. Unnithan, Sandeep (2008-08-22). "If looks could kill". इंडिया टुडे. अभिगमन तिथि 2009-04-04.
  62. Unnithan, Sandeep (September 01, 2005). "SPG Gets More Teeth". India Today (ISSN 0254-8399).
  63. "Prasad's appointment as SPG chief stuns many". Times of India. Nov 3, 2011. अभिगमन तिथि 23 May 2014.
  64. The Gazette of India (7 June 1988). "THE SPECIAL PROTECTION GROUP ACT 1988 [AS AMENDED IN 1991, 1994 & 1999]". No. 30. New Delhi: The Government of India. अभिगमन तिथि 22 May 2014.
  65. "मायावती को एसपीजी सुरक्षा प्रदान करने से इंकार - The Times of India". टाइम्स ऑफ़ इण्डिया.
  66. http://www.bemoneyaware.com/blog/pay-and-perks-of-indian-mp-mla-and-prime-minister/
  67. गुलज़ारीलाल नंद की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  68. जवाहरलाल नेहरू की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  69. प्रधानमन्त्री शास्त्री-प्रधानमन्त्री वीडियो सीरीज, यूट्यूब (वीडियो)
  70. प्रधानमन्त्री शास्त्री के मृत्यु के बाद-प्रधानमन्त्री, यूट्यूब वीडियो सीरियस(हिंदी)
  71. की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  72. इंदिरा गांधी की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  73. आपात्काल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और स्मृतियां – भाग-१
  74. इमरजेंसी: लोकतंत्र का काला अध्याय (राजस्थान पत्रिका)
  75. आपातकाल और लोकतंत्र (प्रवक्ता डॉट कॉम)
  76. मोरारजी देसाई की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  77. चरण सिंह की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  78. राजीव गांधी की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  79. बोफोर्स घोटाले की कहानी-प्रधानमन्त्री
  80. मंडल कमीशन और वी पी सिंह का अंत-प्रधानमन्त्री वीडियो सीरीज, यूट्यूब(हिंदी)
  81. "विश्वनाथ प्रताप सिंह". http://politics.jagranjunction.com/. जागरण जंक्शन. अभिगमन तिथि 17 जुलाई 2015. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  82. वी पी सिंह की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  83. प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  84. देश की आर्थिक आजादी के मसीहा: नरसिंह राव, बिज़नस-स्टॅण्डर्ड(हिंदी)
  85. नरसिंह राव की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  86. देवगौड़ा जी की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  87. गुजराल जी की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  88. "भारत के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी". एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिक. 25 दिसंबर 1924. अभिगमन तिथि 2012-11-24.
  89. भारत का परमाणु परिक्षण
  90. श्री-अटल-बिहारी-वाजपेयी की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  91. "Atal Bihari Vajpayee: India's new prime minister". BBC News. 3 March 1998. अभिगमन तिथि 1998-03-03. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  92. "South Asia Vajpayee's thirteen months". BBC News. 17 April 1999. अभिगमन तिथि 1999-04-17. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  93. "Vajpayee, the right man in the wrong party – ,Vajpayee, the right man in the wrong party – 4 – ,4 – National News – News – MSN India". MSN. अभिगमन तिथि 2012-11-24.
  94. Mahapatra, Dhananjay (2 जुलाई 2013). "NDA regime constructed 50% of national highways laid in last 30 years: Centre". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. अभिगमन तिथि 26 नवम्बर 2013.
  95. "CIA – वर्ल्ड फॅक्टबूक". Cia.gov. अभिगमन तिथि 15 फ़रवरी 2011.
  96. "द इण्डिया रिपोर्ट" (PDF). ऍस्टेयर रिपोर्ट. मूल (PDF) से 14 जनवरी 2009 को पुरालेखित. नामालूम प्राचल |deadurl= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  97. डॉ-मनमोहन-सिंह की संक्षिप्त जीवनी, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)
  98. "India's Manmohan Singh to step down as PM". द गार्डियन. ३ जनवरी २०१४. अभिगमन तिथि 20 April 2015.
  99. प्रधानमन्त्री मोदी के बारे में..., प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (हिंदी)

बाहरी कड़ियाँ और अधिक जानकारी

  1. %&$@