जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान

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जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
आईयूसीएन श्रेणी द्वितीय (II) (राष्ट्रीय उद्यान)
उद्यान में विचरण करता बंगाल बाघ
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
अवस्थितिरामनगरनैनीताल, उत्तराखण्ड, भारत
निकटतम शहररामनगर
निर्देशांक29°32′55″N 78°56′7″E / 29.54861°N 78.93528°E / 29.54861; 78.93528निर्देशांक: 29°32′55″N 78°56′7″E / 29.54861°N 78.93528°E / 29.54861; 78.93528
स्थापित१९३६
आगंतुक500,000[1]   (१९९९ में)
शासी निकायबाघ परियोजना, उत्तराखंड सरकार, वन्यजीव वार्डन, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
corbettonline.uk.gov.in

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है और १९३६ में लुप्तप्राय बंगाल बाघ की रक्षा के लिए हैंली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था। यह उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले के रामनगर नगर के पास स्थित है और इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया था जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाघ परियोजना पहल के तहत आने वाला यह पहला पार्क था। यह एक गौरवशाली पशु विहार है। यह रामगंगा की पातलीदून घाटी में १३१८.५४ वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है जिसके अंतर्गत ८२१.९९ वर्ग किलोमीटर का जिम कॉर्बेट व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र भी आता है।

पार्क में उप-हिमालयन बेल्ट की भौगोलिक और पारिस्थितिक विशेषताएं हैं। यह एक इकोटोरिज़्म गंतव्य भी है और यहाँ पौधों की 488 प्रजातियां और जीवों की एक विविधता है। पर्यटन की गतिविधियों में वृद्धि और अन्य समस्याएं पार्क के पारिस्थितिक संतुलन के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर रहीं हैं।

कॉर्बेट एक लंबे समय के लिए पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए अड्डा रहा है। कोर्बेट टाइगर रिजर्व के चयनित क्षेत्रों में ही पर्यटन गतिविधि को अनुमति दी जाती है ताकि लोगों को इसके शानदार परिदृश्य और विविध वन्यजीव देखने का मौका मिले। हाल के वर्षों में यहां आने वाले लोगों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। वर्तमान में, हर मौसम में ७०,००० से अधिक आगंतुक पार्क में आते हैं।

कॉर्बेट नेशनल पार्क में ५२०.८ वर्ग किमी (२०१.१ वर्ग मील) में पहाड़ी, नदी के बेल्ट, दलदलीय गड्ढे, घास के मैदान और एक बड़ी झील शामिल है। ऊंचाई १,३०० से 4,००० फीट (४०० से १,२२० मीटर) तक होती है। यहाँ शीतकालीन रातें ठंडी होती हैं लेकिन दिन धूपदार और गरम होते हैं। यहाँ जुलाई से सितंबर तक बारिश होती है।

घने नम पर्णपाती वन में मुख्य रूप से साल, हल्दु, पीपल, रोहिनी और आम के पेड़ होते हैं। जंगल पार्क का लगभग 73% हिस्सा घेरते हैं, इस क्षेत्र में 10% घास के मैदान होते हैं। यहाँ ११० पेड़ की पप्रजातियाँ, ५० स्तनधारियों की प्रजातियाँ, ५८० पक्षी प्रजातियां और २५ सरीसृप प्रजातियां हैं।

स्थिति[संपादित करें]

दिल्ली से मुरादाबाद - काशीपुर - रामनगर होते हुए कार्बेट नेशनल पार्क की दूरी २९० कि॰मी॰ है। कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों के भ्रमण का समय नवम्बर से जून तक होता है। इस मौसम में की ट्रैवल एजेन्सियाँ कार्बेट नेशनल पार्क में सैलानियों को घुमाने का प्रबन्ध करती हैं। कुमाऊँ विकास निगम भी प्रति शुक्रवार के दिल्ली से कार्बेट नेशनल पार्क तक पर्यटकों को ले जाने के लिए संचालित भ्रमणों (कंडकटेड टूर्स) का आयोजन करता है। कुमाऊँ विकास निगम की बसों में अनुभवी गाइड होते हैं जो पशुओं की जानकारी, उनकी आदतों को बताते हुए बातें करते रहते हैं। कॉर्बेट नेशनल पार्क से राजाजी टाइगर रिजर्व में तीन और बाघ लाने का रास्ता साफ, पूर्व में छोड़े गए बाघ और बाघिन ने शिकार करना शुरू कर दिया है और वे अब इस क्षेत्र में अपने प्राकृतिक वास की तरह व्यवहार कर रहे हैं। अब कुछ दिन बाद तीन और बाघ इस क्षेत्र में छोड़े जाएंगे।[2]

पशु[संपादित करें]

यहाँ पर बाघ, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, तेंदुआ काकड़, नीलगाय, घुरल आदि 'वन्य प्राणी' अधिक संख्या में मिलते हैं। इसी तरह इस वन में अजगर तथा कई प्रकार के साँप भी निवास करते हैं। जहाँ इस वन्य पशु विहार में अनेक प्रकार के जन्तु पाये जाते हैं, वहाँ इस पार्क में लगभग ६०० रंग - बिरंगे पक्षियों की जातियाँ भी दिखाई देती हैं। कॉर्बेट में पाए जाने वाले सबसे अधिक पेड़ साल, खैर और सिस्सू हैं। यह देश एक ऐसा अभयारण है जिसमें वन्य जन्तुओं की अनेक जातियाँ - प्रजातियों के साथ पक्षियों का भी आधिक्य रहता है। आज विश्व का ऐसा कोई कोना नहीं है, जहाँ के पर्यटक इस पार्क को देखने नहीं आते हों।

पार्क[संपादित करें]

अंग्रेज वन्य जन्तुओं की रक्षा करने के भी शौकीन थे। सन् १९३५ में रामगंगा के इस अंचल को वन्य पशुओं के रक्षार्थ सुरक्षित किया गया। उस समय के गवर्नर मालकम हेली के नाम पर इस पार्क का नाम 'हेली नेशनल पार्क' रखा गया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इस पार्क का नाम 'रामगंगा नेशनल पार्क' रख दिया गया। स्वतंत्रता के बाद विश्व में जिम कार्बेट नाम एक प्रसिद्ध शिकारी के रूप में फैल गया था। जिम कार्बेट जहाँ अचूक निशानेबाज थे वहीं वन्य पशुओं के प्रिय साथी भी थे। कुमाऊँ के कई आदमखोर शेरों को उन्होंने मारकर सैकड़ों लोगों की जानें बचायी थी। हजारों को भय से मुक्त करवाया था। गढ़वाल में भी एक आदमखोर शेर ने कई लोगों की जानें ले ली थी। उस आदमखोर को भी जिम कार्बेट ने ही मारा था। वह आदमखोर गढ़वाल के रुद्र प्रयाग के आस-पास कई लोगों को मार चुका था। जिम कार्बेट ने 'द मैन ईटर ऑफ रुद्र प्रयाग' नाम की पुस्तकें लिखीं।

भारत सरकार ने जब जिम कार्बेट की लोकप्रियता को समझा और यह अनुभव किया कि उनका कार्यक्षेत्र भी यही अंचल था तो सन् १९५७ में इस पार्क का नाम 'जिम कार्बेट नेशनल पार्क' रख दिया गया और जिम कार्बेट नेशनल पार्क जाने वाले पर्यटक इसी मार्ग से जाते हैं। नैनीताल से आनेवाले पर्यटक इस संग्रहालय को देखकर ही आगे बढ़ते हैं।

जिम कार्बेट[संपादित करें]

जिम कार्बेट का पूरा नाम जेम्स एडवर्ड कार्बेट था। इनका जन्म २५ जुलाई १८७५ ई. में हुआ था। जिम कार्बेट बचपन से ही बहुत मेहनती और नीडर व्यक्ति थे। इनकी पत्नी का नाम मैरी जैन था। उन्होंने कई काम किये। इन्होंने ड्राइवरी, स्टेशन मास्टरी तथा सेना में भी काम किया और अंत में ट्रान्सपोर्ट अधिकारी तक बने परन्तु उन्हें वन्य पशुओं का प्रेम अपनी ओर आकर्षित करता रहा। जब भी उन्हें समय मिलता, वे कुमाऊँ के वनों में घूमने निकल जाते थे। वन्य पशुओं को बहुत प्यार करते। जो वन्य जन्तु मनुष्य का दुश्मन हो जाता - उसे वे मार देते थे।

जिम कार्बेट के पिता 'मैथ्यू एण्ड सन्स' नामक भवन बनाने वाली कम्पनी में हिस्सेदारा थे। गर्मियों में जिम कार्बेट का परिवार अयायरपाटा स्थित 'गुर्नी हाऊस' में रहता था। वे उस मकान में १९४५ तक रहे। ठंडियों में कार्बेट परिवार कालाढूँगी वाले अपने मकान में आ जाते थे। १९४७ में जिम कार्बेट अपनी बहन के साथ केनिया चले गये थे। वे वहीं बस गये थे। केनिया में ही अस्सी वर्ष की अवस्था( १९ अप्रैल १९५५ ई०) में उनका देहान्त हो गया।

आज का जिम कार्बेट पार्क[संपादित करें]

आज यह पार्क इतना समृद्ध है कि इसके अतिथि-गृह में २०० अतिथियों को एक साथ ठहराने की व्यवस्था है। यहाँ आज सुन्दर अतिथि गृह, केबिन और टेन्ट उपलब्ध है। खाने का उत्तम प्रबन्ध भी है। ढिकाला में हर प्रकार की सुविधा है तो मुख्य गेट के अतिथि-गृह में भी पर्याप्त व्यवस्था है।

रामनगर के रेलवे स्टेशन से १२ कि॰मी॰ की दूरी पर 'कार्बेट नेशनल पार्क' का गेट है। रामनगर रेलवे स्टेशन से छोटी गाड़ियों, टैक्सियों और बसों से पार्क तक पहुँचा जा सकता है।

बस सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। दिल्ली से ढिकाला तक बस आ-जा सकती है। यहाँ पहुँचने के लिए रामनगर कालागढ़ मार्गों का भी प्रयोग किया जा सकता है। दिल्ली से ढिकाला २९७ कि॰मी॰ है। दिल्ली से गाजियाबाद-हापुड़-मुरदाबाद-काशीपुर-रामनगर होते हुए ढिकाला तक का मार्ग है। मोटर की सड़क अत्यन्त सुन्दर है। जिम कॉर्बेट में सफारी के लिए पूरी जानकारी यहाँ पढ़ सकते हैं [1] Archived 2021-03-19 at the वेबैक मशीन


जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जंगल सफारी[संपादित करें]

कॉर्बेट नैशनल पार्क को चार जोन में बटा गया हैं।  जिसके लिए आप अपनी सफारी टिकट बुक कर सकते हैं।  जिम कॉर्बेट सफारी की यात्रा  व्यवस्था एक बार सुबह एवं दूसरी शाम को कि जाती हैं।  जंगल सफारी के कई तरीके हैं।  जैसे आप जिप्सी,कैंटर सफारी, हाथी प्रयोग कर सकते हैं जैसे ही आप प्रवेश द्वार पर पहुंचते हैं तो सबसे पहले आपकी आइ ˈडी चैक की जाती है।

जिसके बाद वनविभाग कर्मचारी द्वारा आपके वाहन में कितने आगंतुक बैठे हैं चैक किया जाता है  कि जिप्सी में 6 से अधिक पर्यटन तो नहीं है। जैसे ही आप प्रवेश द्वार से अंदर को जाते हैं तो यह आपके जीवन का अहम् व रोमांचक सफर शुरू होंने वाला होता हैं।  यहा पर आप देशी व विदेशी जानवरो को घूमते हुए देख सकते हैं।  टाइगर को आप शिकार करते हुए भी देख सकते हैं व रामगंगा नदी जो कि जिम कॉर्बेट पार्क की शोभा को बढाती है।

JIM CORBETT NATIONAL PARK HOTELSJIM CORBETT NATIONAL PARK RESORTJIM CORBETT NATIONAL PARK TICKET PRICE

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Sinha, B. C., Thapliyal, M. and K. Moghe. "An Assessment of Tourism in Corbett National Park". Wildlife Institute of India. मूल से 5 November 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-10-12.सीएस1 रखरखाव: authors प्राचल का प्रयोग (link)
  2. "उत्तराखंड: कॉर्बेट नेशनल पार्क से राजाजी टाइगर रिजर्व में तीन और बाघ लाने का रास्ता साफ". अभिगमन तिथि 2021-01-21.