इस्लाम की आलोचना
इस्लाम |
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यहाँ इस्लाम की आलोचना से आशय इस्लाम के विश्वासों, सिद्धान्तों, या/और इस्लाम से सम्बन्धित अन्य विचारों की समालोचना से है।
इस्लाम की आलोचना उसके उद्भव के शुरुआती चरणों से ही अस्तित्व में है। सबसे पहले सन् 1000 ई में भी पहले ईसाइयों के द्वारा इसकी आलोचना शुरू हुई। वो इस्लाम को इसाईयत का एक परिवर्तित रूप या नया सम्प्रदाय के रूप में मानते थे। बाद में इस्लामी दुनिया से भी आलोचना के स्वर निकलने लगे और साथ ही साथ यहूदी लेखक और चर्च से जुड़े इसाई इसकी आलोचना करते पाये गये।[1][2][3]
इस्लाम की आलोचना के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख विषय ये हैं-
- इस्लाम के संस्स्थापक मुहम्मद के निजी और सार्वजनिक जीवन में नैतिकता का प्रश्न;
- इस्लाम के मजहबी किताबों (कुरान आदि) की विश्वसनीयता और नैतिकता से सम्बन्धित प्रश्न; [6]
- इस्लाम को अरब साम्राज्यवाद के रूप में भी देखा जाता है। इस सन्दर्भ में अफ्रीका और भारत के अनेक विचारकों ने स्थानीय संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट करने के लिये इस्लाम की आलोचना की है।[7]
- इस्लाम द्वारा गुलामी प्रथा को एक संस्था के रूप में मान्यता देना भी आलोचना का विषय है।[8][9] इसी मान्यता के कारण मुसलमान व्यापारियों द्वारा लगभग १ करोड़ ७० लाख लोगों को गुलाम बनाकर हिन्द महासागर के तटों पर, मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका में पहुँचाया गया। मुसलमानी विश्व में गुलामी का इतिहास देखें।[10] has also been criticized.[11]
- मुसलमान बहुल देशों में मानवाधिकार की बुरी स्थिति को लेकर भी इस्लाम को कटघरे में खड़ा किया जाता है। मानवाधिकारों का यह हनन इस्लाम के उदय से ही आरम्भ हुआ और आज भी जारी है। इसमें महिलाओं के साथ व्यवहार, धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार आदि शामिल हैं।[12][13]
- इस्लाम की आलोचना इसलिये भी की जाती है कि मुसलमान जहाँ अल्पसंख्यक हैं, उन देशों की संस्कृति और रहन-सहन में घुलमिल नहीं पाते। पश्चिमी देशों में जाने वाले मुसलमान[14] चीन, भारत[15][16] और रूस में रहने वाले मुसलमान इसके उदाहरण हैं।[17][18]
धर्मशास्त्र
क़ुरआन और हदीस जैसी इस्लामी धार्मिक किताबों की विश्वसनीयता और नैतिकता को लेकर भी सवाल खड़े किये जाते हैं क्योंकि क़ुरआन और हदीसों तक में बहुत ही अस्पष्टता और विरोधाभास है। ब्रिटिश राज के ज़माने से प्रख्यात मुसलमान दार्शनिक, यथार्थवादी और समाज सुधारक सैयद अहमद खान के अनुसार हदीस मुसलमानों पर क़ा़नूनी रूप से बाध्य नहीं हैं।[19]
इसके अलावा इस्लामी धर्मशास्त्र में प्रश्नात्मक रहने पर स्पष्टतया ईशनिंदा का आरोप लगा कर अपराधी, मुशरिक या काफ़िर घोषित करके सिर्फ मार दिये जाने का प्रावधान है यानि हर वो व्यक्ति जो इस्लाम पर सवाल उठाये या क़ुरआन हदीस की प्रमाणिकता तक पर सवालिया हो वो वाजिबुल कत्ल है।[20]
पैगम्बर मुहम्मद
- यह भी देखे: रंगीला रसूल
इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद के जीवन के तथाकित अनैतिक पक्षों की भी बहुत आलोचना होती रहती है। यह तथाकित अनैतिकता उनके निजी व सार्वजनिक दोनों जीवन में देखने को मिलती है।[5]
व्यवहार और आधुनिक दुनिया में इस्लाम की भूमिकाएँ
- यह भी देखे: इस्लामी आतंकवाद
काफ़िरों (अविश्वासी) यानी ग़ैर-मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार और हर किस्म के शोषण, सजाओं की "अकाट्य धार्मिक व्यवस्था" है। इस के अतिरिक्त आधुनिक इस्लामी राष्ट्रों में मानवाधिकारों के हनन को लेकर भी आलोचना होती है और सांख्यिकीय आधार पर मुसलमान आबादियाँ ज़्यादातर आतंकवादी और हिंसक कार्यवाहियों में लिप्त पाये गये हैं।[स्पष्ट करें][21]
शरीयत अथवा इस्लामी क़ानून और दीगर इस्लामी रीति रिवाज़ में महिलाओं, समलैंगिक लोगों और धार्मिक और नस्ली अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति पर भी इस्लाम आलोचना का शिकार होता है।[22][13]
कहा गया है कि हाल में मुसलमान आबादियाँ पश्चिमी दुनिया, रूस तथा भारत के समाज में घुल-मिल पाने में अक्षम रहे हैं।[14][23][24][16][25][26]
इन्हें भी देखें
- इस्लाम और पन्थनिरपेक्षता
- इस्लाम के आलोचकों की सूची
- आईएसआईएस
- जज़िया
- फ़तवा
- प्रतिमाभंजन
- इस्लाम में मानवाधिकारों की काहिरा घोषणा
सन्दर्भ
- ↑ De Haeresibus by John of Damascus. See Migne. Patrologia Graeca, vol. 94, 1864, cols 763–73. An English translation by the Reverend John W Voorhis appeared in The Moslem World for October 1954, pp. 392–98.
- ↑ Warraq, Ibn (2003). Leaving Islam: Apostates Speak Out. Prometheus Books. पृ॰ 67. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-59102-068-9.
- ↑ Ibn Kammuna, Examination of the Three Faiths, trans. Moshe Perlmann (Berkeley and Los Angeles, 1971), pp. 148–49
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;Oussani
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ अ आ Ibn Warraq, The Quest for Historical Muhammad (Amherst, Mass.:Prometheus, 2000), 103.
- ↑ Bible in Mohammedian Literature., by Kaufmann Kohler Duncan B. McDonald, Jewish Encyclopedia. Retrieved 22 April 2006.
- ↑ Karsh, Ephraim (2007). Islamic Imperialism: A History. Yale University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780300198171.
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Ghosh claimed Muslim immigrants in India are now attacking Hindus and forcibly seeking to convert Hindu girls to Islam. He has demanded that the Indian government halt illegal immigration from Bangladesh and deport undocumented Muslims back to Bangladesh.
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