सिख धर्म और इस्लाम

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सिख धर्म और इस्लाम का प्रारंभ से ही एक अभिन्न एवं विचित्र संबंध रहा है। सिख धर्म का उदय पंजाब क्षेत्र (वर्तमान भारत व पाकिस्तान) में हुआ जहाँ हिंदू व मुस्लिम दोनों धर्मों के अनुयायी काफी मात्रा में थे। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक के बारे में कहा गया :

बाबा नानक शाह फकीर
हिंदू दा गुरू, मुसलमान दा पीर

जहाँ प्रारंभ से ही मुस्लिम लोगों का भी पर्याप्त समर्थन सिख धर्म को मिला, वहीं बाद के समय में मुस्लिम शासकों ने इस धर्म व इसके अनुयायियों का दमन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सिख लोग बहुता यात भारत के पंजाब प्रांत में रहते है। और पूरे भारत में । सिख समुदाय के लोग पाए जाते है। उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत में पूरन पुर नामक नगर को छोटा पंजाब कहा जाता है। जहा बहुत ज्यादा संख्या में सिख लोग रहते है सिख समुदाय में गुरुद्वारा में । लंगर । खाने को दिया जाता है जो हर समुदाय के लिए खुला होता है। सिख लोग दयालु और मेहनती होते है । जो बंजर भूमि से फसल उगाने के लिए दिन रात एक कर देते है।सिख समुदाय से भारत देश को एक प्रधान मंत्री भी मिला जिनका नाम मन मोहनसिंह था ।


सिख धर्म की संस्थापना[संपादित करें]

  • मरदाना - गुरु नानक के दो सबसे पुराने मित्रों व प्रथम सिखों में से एक
  • राय बुलार - गुरु नानक में श्रद्धा रखने वाले सबसे पहले प्रशंसकों में एक
  • साईं मियाँ मीर - स्वर्ण मंदिर की नींव रखने वाले
  • बाबा फरीद - गुरु ग्रंथ साहब में इनकी वाणी विराजमान है

सिख धर्म के समर्थक/प्रशंसक[संपादित करें]

  • अल्लाह यार खाँ - गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन चरित्र शायरी में लिखा
  • बाबर - गुरु नानक को जेल भेजा किंतु उनकी असलियत पता चलने पर ससम्मान रिहा किया।
  • अकबर - गुरुदर्शन हेतु स्वयं चलकर आए तथा आम जनता के साथ नीचे बैठ लंगर छका।
  • बुद्धू शाह - पाहडी हिंदू राजाओ के विरुद्ध युद्ध में गुरु गोविंद सिंह का साथ दिया
  • नवाब मलेरकोटला - गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों को दीवार में चिनवाने का विरोध किया।
  • नबीखाँ और गनीखाँ- जिन्होंने मुगलों से गुरु गोविंद सिंह जी को बचाया था और उन्हें पंजाब से महाराष्ट्र पहुंचाया था

सिख धर्म के विरोध में इस्लाम/मुस्लिम[संपादित करें]

  • औरंगज़ेब - गुरु गोविंद सिंह से संघर्ष
  • फर्रुखसियर - बाबा बंदा बहादुर से संघर्ष
  • मीर मन्नू- सिखों की औरतों के ऊपर उनके बेटों के टुकड़े की माला पहनाई थी
  • हम देखते है । सिख और मुस्लिम लोगो में जो भी हुआ बो आम लोगो में नही हुआजो भी किया बो मुगल बादशाह के द्वारा किया ।
  • जो भी मुगल बादशाह ने किया हम ये नही कह सकते की सारे मुस्लिम और सिख में टकराव हुआ । मुगलिया दौर में । मुगल शासक ने ही किया उसके बाद या मुगल समर्ज्य से पहले कोई भी सिख मुस्लिम टकराव नही था। इसलिए ये कहना गलत होगा की मुस्लिम और सिख आपस में बैरी है । जबकि हम आज देखते है । दोनो एक दूसरे के साथ बहुत मिलनसार तरह से रहते है

सन्दर्भ[संपादित करें]