इस्लाम के सम्प्रदाय एवं शाखाएँ

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अल्लाह के प्यारे नबी मेरे और आका मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस दुनिया से पर्दा करने के बाद इस्लाम में परम्परा, विधिशास्त्र तथा विचारों के आधार पर मतभेद होते रहे और अलग-अलग सम्प्रदाय बनते गये। वर्तमान समय में इस्लाम में बहुत से सम्प्रदाय और शाखाएँ हैं।

इस्लामी न्यायशास्त्र फ़िक़ह के आधार पर मुस्लिम समुदाय प्राथमिक रूप से तीन समूहों में बंटा हुआ है। वह हैं-

इस्लाम के विविध सम्प्रदाय एवं शाखाएँ


तिरमिज़ी शरीफ़ की हदीस में लिखा है कि 73 में से एक फिरका जन्नत में जाएगा । "रसूल अल्लाह ने फ़रमाया बनी इस्राएल 72 फिरको में बट गए और मेरी उम्मत 73 फिरको में बट जाएंगी और 1 फिरका को छोड़ कर बाकी सब जहन्नुम में जाएंगे सहाबा ने अर्ज किया : अल्लाह के रसूल ये कौन सी जमाअत होंगी ? आप ने फ़रमाया : " ये वो लोग होंगे जो मेरे और मेरे सहाबा के नक्शे कदम पर होंगे" - सुनन तिरमिजी 2641

लेकिन इस हदीस का मतलब ये नहीं कि फिरके बनाओ इस अहदीस में अल्लाह के रसूल ने मुस्लिम को डराया था कि एसा हो जाएगा बच जाना और अल्लाह की रस्सी कुरान को मजबूती से पकड़ लेना और फिरको में मत बटना

कुरान में अल्लाह क्या कहता है[संपादित करें]

Surat Al-E-Imran Ayat : 103 - "सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूत पकड़ लो और तफ़रक़े [ फूट] में न पड़ो। अल्लाह के उस एहसान को याद रखो जो उसने तुमपर किया है। तुम एक-दूसरे के दुश्मन थे, उसने तुम्हारे दिल जोड़ दिये और उसकी मेहरबानी और फ़ज़ल से तुम भाई-भाई बन गए। तुम आग से भरे हुए एक गढ़े के किनारे खड़े थे, अल्लाह ने तुमको उससे बचा लिया। इस तरह अल्लाह अपनी निशानियाँ तुम्हारे सामने रौशन करता है, शायद कि इन निशानियों से तुम्हें अपनी कामयाबी का सीधा रास्ता नज़र आ जाए"

اور اللہ کی رسی مضبوط تھام لو سب مل کر اور آپس میں پھٹ نہ جانا ( فرقوں میں نہ بٹ جانا ) اور اللہ کا احسان اپنے اوپر یاد کرو جب تم میں بیر تھا اس نے تمہارے دلوں میں ملاپ کر دیا تو اس کے فضل سے تم آپس میں بھائی ہو گئے اور تم ایک غار دوزخ کے کنارے پر تھے تو اس نے تمہیں اس سے بچا دیا اللہ تم سے یوں ہی اپنی آیتیں بیان فرماتا ہے کہ کہیں تم ہدایت پاؤ ،

Surat No 22 : سورة الحج - Ayat No 78

क़ायम हो जाओ अपने बाप इबराहीम की मिल्लत पर।131) अल्लाह ने पहले भी तुम्हारा नाम ‘मुस्लिम’ रखा था और इस (क़ुरआन) में भी (तुम्हारा यही नाम है),(132)  ताकि रसूल तुमपर गवाह हो और तुम लोगों पर गवाह।(133) तो नमाज़ क़ायम करो, ज़कात दो और अल्लाह से जुड़ जाओ।(134) वो है तुम्हारा सरपरस्त, बहुत ही अच्छा है वो सरपरस्त और बहुत ही अच्छा है वो मददगार।


Surat No 22 : سورة الحج - Ayat No 78

اللہ کی راہ میں جہاد کرو جیسا کہ جہاد کرنے کا حق ہے ۔  128 اس نے تمہیں اپنے کام کےلیے چن لیا ہے 129 اور دین میں تم پر کوئی تنگی نہیں رکھی ۔  130 قائم ہو جاؤ اپنے باپ ابراہیم  (  علیہ السلام )  کی ملت پر 131  ۔  اللہ نے پہلے بھی تمہارا نام ” مسلم ” رکھا تھا اور اس ﴿قرآن﴾ میں بھی ﴿تمہارا یہی نام ہے 132 ﴾ ۔  تاکہ رسول  ( صلی اللہ علیہ وسلم )  تم پر گواہ ہو اور تم لوگوں پر گواہ ۔  133 پس نماز قائم کرو  ،  زکوة دو ،  اور اللہ سے وابستہ ہو جاؤ ۔  134 وہ ہے تمہارا مولی ،  بہت ہی اچھا ہے وہ مولی اور بہت ہی اچھا ہے وہ مددگار ۔  ؏ 


Surat No 6 : سورة الأنعام - Ayat No 159

اِنَّ الَّذِیۡنَ فَرَّقُوۡا دِیۡنَہُمۡ وَ کَانُوۡا شِیَعًا لَّسۡتَ مِنۡہُمۡ فِیۡ شَیۡءٍ ؕ اِنَّمَاۤ اَمۡرُہُمۡ اِلَی اللّٰہِ ثُمَّ یُنَبِّئُہُمۡ بِمَا کَانُوۡا یَفۡعَلُوۡنَ ﴿۱۵۹﴾

जिन लोगों ने अपने दीन को टुकड़े-टुकड़े कर दिया और गरोह-गरोह बन गए यक़ीनन उनसे तुम्हारा कोई वास्ता नहीं, [ 141] उनका मामला तो अल्लाह के सुपुर्द है, वही उनको बताएगा कि उन्होंने क्या कुछ किया है।

جن لوگوں نے اپنے دین کو ٹکڑے ٹکڑے کر دیا اور گروہ گروہ بن گئے یقیناً ان سے تمہارا کچھ واسطہ نہیں ، 141 ان کا معاملہ تو اللہ کے سپرد ہے ، وہی ان کو بتائے گا کہ انہوں نے کیا کچھ کیا ہے ۔

इस्लाम के प्रमुख फिरके[संपादित करें]

मुसलमानों के विभिन्न न्यायशास्त्रीय फिरके

आमतौर पर लोग मुसलमानों के दो ही फिरकों शिया और सुन्नी के बारे में ही सुनते रहते हैं ,लेकिन इनमे भी कई फिरके है .इसके आलावा कुछ ऐसे भी फिरके है ,जो इन दोनों से अलग

सुन्नियों के फिरके -हनफी ,शाफई,मलिकी ,हम्बली ,सूफी ,वहाबी ,देवबंदी ,बरेलवी ,सलफी,अहले हदीस .आदि -शियाओं के फिरके -इशना अशरी ,जाफरी ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज आदि

अन्य फिरके -अहमदिया ,कादियानी ,खारजी ,कुर्द ,और बहाई अदि.