"कृषि": अवतरणों में अंतर

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आधुनिक [[अग्रोनोमी|एग्रोनोमी]], [[पादप प्रजनन|पौधों में संकरण]], [[कीटनाशक|कीटनाशकों]] और [[उर्वरक|उर्वरकों]] और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। [[चयनात्मक प्रजनन]] और [[पशुपालन]] की आधुनिक प्रथाओं जैसे [[गहन सुअर खेती|गहन सूअर खेती]] (और इसी प्रकार के अभ्यासों को [[मुर्गा|मुर्गी]] पर भी लागू किया जाता है) ने [[मांस]] के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, [[प्रतिजैविक]] (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, [[वृद्धि हार्मोन|वृद्धि हॉर्मोन]] और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं।
आधुनिक [[अग्रोनोमी|एग्रोनोमी]], [[पादप प्रजनन|पौधों में संकरण]], [[कीटनाशक|कीटनाशकों]] और [[उर्वरक|उर्वरकों]] और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। [[चयनात्मक प्रजनन]] और [[पशुपालन]] की आधुनिक प्रथाओं जैसे [[गहन सुअर खेती|गहन सूअर खेती]] (और इसी प्रकार के अभ्यासों को [[मुर्गा|मुर्गी]] पर भी लागू किया जाता है) ने [[मांस]] के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, [[प्रतिजैविक]] (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, [[वृद्धि हार्मोन|वृद्धि हॉर्मोन]] और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं।


प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर [[भोजन]], [[रेशा]], [[ईंधन]], [[कच्चा माल]], [[फ़ार्मास्युटिकल्स|फार्मास्यूटिकल्स]] और [[उद्दीपक|उद्दीपकों]] में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग [[जैव ईंधन|जैविक ईंधन]], [[जैव फ़ार्मास्युटिकल्स|जैवफार्मास्यूटिकल्स]], [[जैव प्लास्टिक|जैवप्लास्टिक]],<ref>मार्केट वॉच (2007), [http://www।marketwatch।com/news/story/bioengineers-aim-cash-plants-make/story।aspx?guid=%7B7F35EAE4-CA2D-4E0D-9262-D392566E906B%7D प्लास्टिक एक से अधिक तरीकों में हरे हैं]।</ref> और फार्मास्यूटिकल्स<ref>[1] ^ BIO (n।d।) [http://www।bio।org/healthcare/pmp/factsheet5।asp औषधियों के उत्पादन के लिए बनाम खाद्य पदार्थ तथा चारे के लिए पौधों को उगाना।]</ref> के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं [[अनाज]], [[सब्जी|सब्जियां]], [[फल]] और [[मांस]]। [[रेशा|रेशे]] में [[कपास]], [[ऊन]], [[सन]], [[रेशम]] और [[सन]] (फ्लैक्स) शामिल हैं। [[कच्चा माल|कच्चे माल]] में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में [[तम्बाकू]], [[शराब]], [[अफ़ीम]], [[कोकीन]] और [[डिजिटेलिस]] शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे [[रेजिन]]। जैव ईंधनों में शामिल हैं [[मिथेन]], [[जैवभार]] (बायोमास), [[इथेनॉल]] और [[बायोडीजल]]। [[फूल|कटे हुए फूल]], [[उद्यान विज्ञान|नर्सरी के पौधे]], उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं।
प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर [[भोजन]], [[रेशा]], [[ईंधन]], [[कच्चा माल]], [[फ़ार्मास्युटिकल्स|फार्मास्यूटिकल्स]] और [[उद्दीपक|उद्दीपकों]] में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग [[जैव ईंधन|जैविक ईंधन]], [[जैव फ़ार्मास्युटिकल्स|जैवफार्मास्यूटिकल्स]], [[जैव प्लास्टिक|जैवप्लास्टिक]],<ref>मार्केट वॉच (2007), [http://www।marketwatch।com/news/story/bioengineers-aim-cash-plants-make/story।aspx?guid=%7B7F35EAE4-CA2D-4E0D-9262-D392566E906B%7D प्लास्टिक एक से अधिक तरीकों में हरे हैं]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}।</ref> और फार्मास्यूटिकल्स<ref>[1] ^ BIO (n।d।) [http://www।bio।org/healthcare/pmp/factsheet5।asp औषधियों के उत्पादन के लिए बनाम खाद्य पदार्थ तथा चारे के लिए पौधों को उगाना।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं [[अनाज]], [[सब्जी|सब्जियां]], [[फल]] और [[मांस]]। [[रेशा|रेशे]] में [[कपास]], [[ऊन]], [[सन]], [[रेशम]] और [[सन]] (फ्लैक्स) शामिल हैं। [[कच्चा माल|कच्चे माल]] में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में [[तम्बाकू]], [[शराब]], [[अफ़ीम]], [[कोकीन]] और [[डिजिटेलिस]] शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे [[रेजिन]]। जैव ईंधनों में शामिल हैं [[मिथेन]], [[जैवभार]] (बायोमास), [[इथेनॉल]] और [[बायोडीजल]]। [[फूल|कटे हुए फूल]], [[उद्यान विज्ञान|नर्सरी के पौधे]], उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं।


2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, [[औद्योगीकरण|औद्योगिकीकरण]] की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-[[सेवा (अर्थशास्त्र)|[[सेवा]] क्षेत्र ने एक [[आर्थिक क्षेत्र]] के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया।<ref>[2] ^ [http://www।ilo।org/public/english/employment/strat/kilm/index।htm श्रम बाजार के ][[अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन]] महत्वपूर्ण संकेतक 2008, [http://www।ilo।org/public/english/employment/strat/download/get08.pdf पी। 11-12]
2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, [[औद्योगीकरण|औद्योगिकीकरण]] की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-[[सेवा (अर्थशास्त्र)|[[सेवा]] क्षेत्र ने एक [[आर्थिक क्षेत्र]] के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया।<ref>[2] ^ [http://www।ilo।org/public/english/employment/strat/kilm/index।htm श्रम बाजार के ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}[[अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन]] महत्वपूर्ण संकेतक 2008, [http://www।ilo।org/public/english/employment/strat/download/get08.pdf पी। 11-12]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, [[सकल विश्व उत्पाद]] ([[सकल घरेलू उत्पाद]] का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है।<ref>{{cite web |url=https://www।cia।gov/library/publications/the-world-factbook/geos/xx।html#Econ |title=https://www।cia।gov/library/publications/the-world-factbook/geos/xx।html#Econ |accessdate= |format= |work= }} {{Dead link|date=जून 2009}}</ref>[5]
</ref> इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, [[सकल विश्व उत्पाद]] ([[सकल घरेलू उत्पाद]] का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है।<ref>{{cite web |url=https://www।cia।gov/library/publications/the-world-factbook/geos/xx।html#Econ |title=https://www।cia।gov/library/publications/the-world-factbook/geos/xx।html#Econ |accessdate= |format= |work= }} {{Dead link|date=जून 2009}}</ref>[5]


== संज्ञा ==
== संज्ञा ==
शब्द ''agriculture'' लैटिन शब्द ''agricultūra'' का अंग्रेजी रूपांतर है, ''ager'' का अर्थ है "एक क्षेत्र"<ref>[6] ^ [http://catholic।archives।nd।edu/cgi-bin/lookup।pl?stem=ager&amp;ending= लैटिन शब्द लुकअप]</ref> और ''cultūra'' का अर्थ है "[[खेती|जुताई]]", सख्त अर्थ में "मिट्टी की [[जुताई]]"।<ref>[7] ^ [http://catholic।archives।nd।edu/cgi-bin/lookup।pl?stem=cultura&amp;ending= लैटिन शब्द लुकअप]</ref> इस प्रकार से, शब्द के शाब्दिक पाठन से हमें जो अर्थ प्राप्त होता है वह है "एक क्षेत्र / क्षेत्रों की जुताई"
शब्द ''agriculture'' लैटिन शब्द ''agricultūra'' का अंग्रेजी रूपांतर है, ''ager'' का अर्थ है "एक क्षेत्र"<ref>[6] ^ [http://catholic।archives।nd।edu/cgi-bin/lookup।pl?stem=ager&amp;ending= लैटिन शब्द लुकअप]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> और ''cultūra'' का अर्थ है "[[खेती|जुताई]]", सख्त अर्थ में "मिट्टी की [[जुताई]]"।<ref>[7] ^ [http://catholic।archives।nd।edu/cgi-bin/lookup।pl?stem=cultura&amp;ending= लैटिन शब्द लुकअप]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> इस प्रकार से, शब्द के शाब्दिक पाठन से हमें जो अर्थ प्राप्त होता है वह है "एक क्षेत्र / क्षेत्रों की जुताई"


== अवलोकन ==
== अवलोकन ==
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हरित क्रांति में विकसित दुनिया के द्वारा विकासशील दुनिया को तकनीक (जिसमें कीटनाशक और कृत्रिम नाइट्रोजन भी शामिल थे) का निर्यात किया गया।
हरित क्रांति में विकसित दुनिया के द्वारा विकासशील दुनिया को तकनीक (जिसमें कीटनाशक और कृत्रिम नाइट्रोजन भी शामिल थे) का निर्यात किया गया।


[[थॉमस माल्थस]] ने प्रसिद्ध भविष्यवाणी की थी कि पृथ्वी अपनी बढती हुई आबादी का भार वहन नहीं कर पायेगी, लेकिन तकनीकों जैसे हरित क्रांति की वजह से विश्व में अतिरिक्त भोजन का उत्पादन संभव हो गया है।<ref name="BumperCrop">''न्यूयॉर्क टाइम्स'' (2005), [http://www।nytimes।com/2005/12/08/business/worldbusiness/08farmers।html?_r=1&amp;oref=slogin कभी कभी एक अच्छी चीज की भरपूर फसलकी बहुतायत होती है]</ref>
[[थॉमस माल्थस]] ने प्रसिद्ध भविष्यवाणी की थी कि पृथ्वी अपनी बढती हुई आबादी का भार वहन नहीं कर पायेगी, लेकिन तकनीकों जैसे हरित क्रांति की वजह से विश्व में अतिरिक्त भोजन का उत्पादन संभव हो गया है।<ref name="BumperCrop">''न्यूयॉर्क टाइम्स'' (2005), [http://www।nytimes।com/2005/12/08/business/worldbusiness/08farmers।html?_r=1&amp;oref=slogin कभी कभी एक अच्छी चीज की भरपूर फसलकी बहुतायत होती है]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
[[चित्र:2005gdpAgricultural.PNG|thumb|left|2005 में कृषि उत्पादन]]
[[चित्र:2005gdpAgricultural.PNG|thumb|left|2005 में कृषि उत्पादन]]


कई सरकारों ने पर्याप्त खाद्य आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए कृषि को आर्थिक सहायता प्रदान की है। ये [[कृषि सब्सिडी|कृषि सहायतायें]] अक्सर विशेष पदार्थों के उत्पादन से सम्बंधित रही हैं जैसे [[गेहूं|गेहूँ]], मकई ([[मक्का]]), [[चावल]], [[सोयाबीन]] और [[दूध]]। ये सहायतायें, विशेष रूप से जब जब [[विकसित देश|विकसित देशों]] के द्वारा की गयी हैं, तब तब इनके [[सुरक्षावादी]], अप्रभावी और वातावरण के लिए क्षतिकारक होने का उल्लेख किया गया है।<ref>''न्यूयॉर्क टाइम्स'' (1986) [http://query।nytimes।com/gst/fullpage।html?res=950DE3DC1730F93BA3575AC0A96F948260 विज्ञान अकादमी प्राकृतिक खेती की बहाली की सिफारिश की]।</ref> पिछली शताब्दी में कृषि को, [[उत्पादकता]] में वृद्धि, कृत्रिम [[उर्वरक|उर्वरकों]] और कीटनाशकों के उपयोग, [[चयनात्मक प्रजनन]], [[यांत्रिक कृषि|यांत्रिकीकरण]], [[जल संदूषण]] और [[कृषि सब्सिडी|फार्म सब्सिडी]] के रूप में परिलक्षित किया गया है। [[जैविक खेती|कार्बनिक खेती]] के समर्थक जैसे [[सर अल्बर्ट हावर्ड|सर एल्बर्ट हावर्ड]] ने 1900 के शुरुआत में तर्क दिया कि कीटनाशकों और कृत्रिम उर्वरकों का जरुरत से अधिक इस्त्तेमाल मिटटी की दीर्घकालिक उर्वरकता को नुकसान पहुंचाता है।
कई सरकारों ने पर्याप्त खाद्य आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए कृषि को आर्थिक सहायता प्रदान की है। ये [[कृषि सब्सिडी|कृषि सहायतायें]] अक्सर विशेष पदार्थों के उत्पादन से सम्बंधित रही हैं जैसे [[गेहूं|गेहूँ]], मकई ([[मक्का]]), [[चावल]], [[सोयाबीन]] और [[दूध]]। ये सहायतायें, विशेष रूप से जब जब [[विकसित देश|विकसित देशों]] के द्वारा की गयी हैं, तब तब इनके [[सुरक्षावादी]], अप्रभावी और वातावरण के लिए क्षतिकारक होने का उल्लेख किया गया है।<ref>''न्यूयॉर्क टाइम्स'' (1986) [http://query।nytimes।com/gst/fullpage।html?res=950DE3DC1730F93BA3575AC0A96F948260 विज्ञान अकादमी प्राकृतिक खेती की बहाली की सिफारिश की]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}।</ref> पिछली शताब्दी में कृषि को, [[उत्पादकता]] में वृद्धि, कृत्रिम [[उर्वरक|उर्वरकों]] और कीटनाशकों के उपयोग, [[चयनात्मक प्रजनन]], [[यांत्रिक कृषि|यांत्रिकीकरण]], [[जल संदूषण]] और [[कृषि सब्सिडी|फार्म सब्सिडी]] के रूप में परिलक्षित किया गया है। [[जैविक खेती|कार्बनिक खेती]] के समर्थक जैसे [[सर अल्बर्ट हावर्ड|सर एल्बर्ट हावर्ड]] ने 1900 के शुरुआत में तर्क दिया कि कीटनाशकों और कृत्रिम उर्वरकों का जरुरत से अधिक इस्त्तेमाल मिटटी की दीर्घकालिक उर्वरकता को नुकसान पहुंचाता है।


2000 के दशक में [[पर्यावरण जागरूकता]] में वृद्धि हुई है, इसके कारण कुछ किसानों, उपभोक्ताओं और नीति निर्माताओं के द्वारा [[स्थायी कृषि]] की दिशा में एक आन्दोलन की शुरुआत हुई है। हाल ही के वर्षों में मुख्यधारा कृषि, विशेष रूप से जल प्रदूषण के कथित [[बाह्य कारक|बाहरी]] वातावरणीय प्रभावों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया सामने आयी है,<ref>विश्व बैंक (1995) [http://www।worldbank।org/fandd/english/0996/articles/0100996।htm यूरोपीय संघ में कृषि जल प्रदूषण पर काबू पाना]</ref> जिसके परिणामस्वरूप एक [[कार्बनिक आंदोलन|कार्बनिक आन्दोलन]] हुआ है। इस आन्दोलन के पीछे मुख्य ताकतों में से एक है [[यूरोपीय संघ]], जिसने 1991 में सर्वप्रथम [[कार्बनिक खाद्य]] को प्रमाणित किया और 2005 में अपनी [[सामान्य कृषि नीति]] (CAP) में सुधार लाना शुरू किया ताकि कमोडिटी आधारित कृषि सब्सिडी को हटाया जा सके,<ref>[12] ^ यूरोपीय आयोग (2003) [http://ec।europa।eu/agriculture/capreform/index_en।htm CAP सुधार]</ref> इसे [[दसगुणा#अर्थशास्त्र|डिकपलिंग]] कहा जाता है।
2000 के दशक में [[पर्यावरण जागरूकता]] में वृद्धि हुई है, इसके कारण कुछ किसानों, उपभोक्ताओं और नीति निर्माताओं के द्वारा [[स्थायी कृषि]] की दिशा में एक आन्दोलन की शुरुआत हुई है। हाल ही के वर्षों में मुख्यधारा कृषि, विशेष रूप से जल प्रदूषण के कथित [[बाह्य कारक|बाहरी]] वातावरणीय प्रभावों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया सामने आयी है,<ref>विश्व बैंक (1995) [http://www।worldbank।org/fandd/english/0996/articles/0100996।htm यूरोपीय संघ में कृषि जल प्रदूषण पर काबू पाना]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> जिसके परिणामस्वरूप एक [[कार्बनिक आंदोलन|कार्बनिक आन्दोलन]] हुआ है। इस आन्दोलन के पीछे मुख्य ताकतों में से एक है [[यूरोपीय संघ]], जिसने 1991 में सर्वप्रथम [[कार्बनिक खाद्य]] को प्रमाणित किया और 2005 में अपनी [[सामान्य कृषि नीति]] (CAP) में सुधार लाना शुरू किया ताकि कमोडिटी आधारित कृषि सब्सिडी को हटाया जा सके,<ref>[12] ^ यूरोपीय आयोग (2003) [http://ec।europa।eu/agriculture/capreform/index_en।htm CAP सुधार]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> इसे [[दसगुणा#अर्थशास्त्र|डिकपलिंग]] कहा जाता है।


[[कार्बनिक खेती|कार्बनिक कृषि]] के विकास ने वैकल्पिक तकनीकों जैसे [[एकीकृत कीट प्रबंधन]] और [[चयनात्मक प्रजनन]] में अनुसंधानों का नवीनीकरण किया है। हाल ही के मुख्यधारा प्रौद्योगिकीय विकास में शामिल है [[आनुवांशिक रूप से परिष्कृत खाद्य|आनुवंशिक रूप से संशोधित भोजन]]। 2007 के अंत में, कई कारकों की वजह से मुर्गी, डेयरी की गाय और अन्य मवेशियों को खिलाये जाने वाले अनाज और भोजन की कीमतों में वृद्धि आई, जिसके कारण इस वर्ष में गेहूं (58% से अधिक), सोयाबीन (32% से अधिक) और मक्के (11% से अधिक) के दाम बहुत बढ़ गए।<ref>''न्यूयॉर्क टाइम्स'' (सितंबर 2007) [http://www।nytimes।com/2007/09/06/business/06tyson।html?n=Top/Reference/Times%20Topics/Subjects/W/Wheat एट टायसन एंड क्राफ्ट, अनाज की लागत मुनाफे को सीमित कर देती है]।</ref><ref>[14] ^ [http://www।financialpost।com/story।html?id=213343 तेल भूल जाओ, नई वैश्विक संकट है भोजन]।</ref> हाल ही में पूरी दुनिया के बहुत से देशों में खाद्य को लेकर [[दंगा|हंगामा]] हुआ है।<ref name="guardian।co।uk">[http://www।guardian।co।uk/world/2007/dec/04/china।business दंगों और भूख की वजह से अनाज की की मांग बढ़ गयी और उसकी कीमतों मैं बढोतरी हुई]</ref><ref name="timesonline।co।uk">[http://www।timesonline।co।uk/tol/news/environment/article3500975।ece आलरेडी वी हेव रायट्स, होर्डिंग्स, पेनिक: दी साइन ऑफ़ थिंग्स टू कम?]</ref><ref>[17] ^ [http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations फीड दी वर्ल्ड?][http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations हम एक हारी हुई जंग लड़ रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा। ]</ref> वर्तमान में [[महामारी|गेहूं]] की [[तने में रस्ट (रतुआ)|Ug99]] प्रजाति के द्वारा पूरे अफ्रीका और एशिया में इसके [[गेहूं|तने के रस्ट]] की [[Ug99 (यू जी 99)|महामारी]] फ़ैल रही है, जो मुख्य चिंता का विषय है।<ref>[18] ^ [http://www।guardian।co।uk/science/2007/apr/22/food।foodanddrink मिलियन फेस फेमाइन अस क्रोप डिजीज रेजेस]</ref><ref name="NewSci">{{cite journal | url = http://environment।newscientist।com/channel/earth/mg19425983। 700-billions-at-risk-from-wheat-superblight।html
[[कार्बनिक खेती|कार्बनिक कृषि]] के विकास ने वैकल्पिक तकनीकों जैसे [[एकीकृत कीट प्रबंधन]] और [[चयनात्मक प्रजनन]] में अनुसंधानों का नवीनीकरण किया है। हाल ही के मुख्यधारा प्रौद्योगिकीय विकास में शामिल है [[आनुवांशिक रूप से परिष्कृत खाद्य|आनुवंशिक रूप से संशोधित भोजन]]। 2007 के अंत में, कई कारकों की वजह से मुर्गी, डेयरी की गाय और अन्य मवेशियों को खिलाये जाने वाले अनाज और भोजन की कीमतों में वृद्धि आई, जिसके कारण इस वर्ष में गेहूं (58% से अधिक), सोयाबीन (32% से अधिक) और मक्के (11% से अधिक) के दाम बहुत बढ़ गए।<ref>''न्यूयॉर्क टाइम्स'' (सितंबर 2007) [http://www।nytimes।com/2007/09/06/business/06tyson।html?n=Top/Reference/Times%20Topics/Subjects/W/Wheat एट टायसन एंड क्राफ्ट, अनाज की लागत मुनाफे को सीमित कर देती है]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}।</ref><ref>[14] ^ [http://www।financialpost।com/story।html?id=213343 तेल भूल जाओ, नई वैश्विक संकट है भोजन]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}।</ref> हाल ही में पूरी दुनिया के बहुत से देशों में खाद्य को लेकर [[दंगा|हंगामा]] हुआ है।<ref name="guardian।co।uk">[http://www।guardian।co।uk/world/2007/dec/04/china।business दंगों और भूख की वजह से अनाज की की मांग बढ़ गयी और उसकी कीमतों मैं बढोतरी हुई]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref name="timesonline।co।uk">[http://www।timesonline।co।uk/tol/news/environment/article3500975।ece आलरेडी वी हेव रायट्स, होर्डिंग्स, पेनिक: दी साइन ऑफ़ थिंग्स टू कम?]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[17] ^ [http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations फीड दी वर्ल्ड?]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}[http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations हम एक हारी हुई जंग लड़ रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा। ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> वर्तमान में [[महामारी|गेहूं]] की [[तने में रस्ट (रतुआ)|Ug99]] प्रजाति के द्वारा पूरे अफ्रीका और एशिया में इसके [[गेहूं|तने के रस्ट]] की [[Ug99 (यू जी 99)|महामारी]] फ़ैल रही है, जो मुख्य चिंता का विषय है।<ref>[18] ^ [http://www।guardian।co।uk/science/2007/apr/22/food।foodanddrink मिलियन फेस फेमाइन अस क्रोप डिजीज रेजेस]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref name="NewSci">{{cite journal |url = http://environment।newscientist।com/channel/earth/mg19425983। 700-billions-at-risk-from-wheat-superblight।html |journal = New Scientist Magazine |title = Billions at risk from wheat super-blight |year = 3 अप्रैल 2007 |accessdate = 19 अप्रैल 2007 |issue = issue 2598 |pages = 6–7 }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>''[http://www।ars।usda।gov/Main/docs।htm?docid=10755 लियोनार्ड, के जे ब्लैक स्टेम रस्ट बायोलोजी एंड थ्रेट टू व्हीट ग्रोवेर्स, USDA ARS]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}''</ref> दुनिया की लगभग 40% कृषि भूमि गंभीर रूप से बंजर हो गयी है।<ref>[http://www।guardian।co।uk/environment/2007/aug/31/climatechange।food जलवायु में परिवर्तन के कारन वैश्विक खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है और जनसंख्या वृद्धि के कारण उपजाऊ भूमि में कमी आती जा रही है]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> अफ्रीका में, यदि वर्तमान में हो रहा मिटटी का अपरदन जारी रहता है, तो यह देश 2025 में केवल अपनी 25% जनसंख्या को ही भोजन उपलब्ध करा पायेगा। यह अनुमान अफ्रीका में प्राकृतिक संसाधनों के लिए [[संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय|UNU]] के घाना आधारित संस्थान ने लगाया है।<ref>[http://news।mongabay।com/2006/1214-unu।html अफ्रीका में 2025 तक अपनी जनसंख्या के केवल 25% भग को ही भोजन उपलब्ध करा पायेगा]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}।</ref>
|journal = New Scientist Magazine |title=Billions at risk from wheat super-blight |year=3 अप्रैल 2007
|accessdate = 19 अप्रैल 2007 |issue=issue 2598 |pages = 6–7}}</ref><ref>''[http://www।ars।usda।gov/Main/docs।htm?docid=10755 लियोनार्ड, के जे ब्लैक स्टेम रस्ट बायोलोजी एंड थ्रेट टू व्हीट ग्रोवेर्स, USDA ARS]''</ref> दुनिया की लगभग 40% कृषि भूमि गंभीर रूप से बंजर हो गयी है।<ref>[http://www।guardian।co।uk/environment/2007/aug/31/climatechange।food जलवायु में परिवर्तन के कारन वैश्विक खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है और जनसंख्या वृद्धि के कारण उपजाऊ भूमि में कमी आती जा रही है]</ref> अफ्रीका में, यदि वर्तमान में हो रहा मिटटी का अपरदन जारी रहता है, तो यह देश 2025 में केवल अपनी 25% जनसंख्या को ही भोजन उपलब्ध करा पायेगा। यह अनुमान अफ्रीका में प्राकृतिक संसाधनों के लिए [[संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय|UNU]] के घाना आधारित संस्थान ने लगाया है।<ref>[http://news।mongabay।com/2006/1214-unu।html अफ्रीका में 2025 तक अपनी जनसंख्या के केवल 25% भग को ही भोजन उपलब्ध करा पायेगा]।</ref>


== इतिहास ==
== इतिहास ==
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[[चरवाहा या गडरिया|गडरिये या चरवाहे]], आसीन और अर्द्ध घुमंतू समाज के लिए एक अनिवार्य प्रदाता के रूप में किसानों के साथ मिल गए।
[[चरवाहा या गडरिया|गडरिये या चरवाहे]], आसीन और अर्द्ध घुमंतू समाज के लिए एक अनिवार्य प्रदाता के रूप में किसानों के साथ मिल गए।


[[मक्का]], [[मनिओक]] और [[अरारोट]] सबसे पहले 5200 ई। पू। अमेरिका में उगाये गए।<ref>[26] ^ [http://www।ucalgary।ca/news/feb2007/early-farming/ फार्मिंग ओल्डर देन थोट | कैलगरी विश्वविद्यालय]</ref> [[आलू]], [[टमाटर]], [[शिमला मिर्च|मिर्च]], [[स्क्वैश]], [[फली|फलियों]] की कई किस्में, [[तम्बाकू]] और कई अन्य पौधों को भी इस नई दुनिया में विकसित किया गया। [[टेरेस (कृषि)|इंडियन]] दक्षिण अमेरिका के अधिकांश भाग में खड़ी पहाडियों की [[इंडीज|ढाल]] पर व्यापक रूप में यह कृषि की गयी।
[[मक्का]], [[मनिओक]] और [[अरारोट]] सबसे पहले 5200 ई। पू। अमेरिका में उगाये गए।<ref>[26] ^ [http://www।ucalgary।ca/news/feb2007/early-farming/ फार्मिंग ओल्डर देन थोट | कैलगरी विश्वविद्यालय]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> [[आलू]], [[टमाटर]], [[शिमला मिर्च|मिर्च]], [[स्क्वैश]], [[फली|फलियों]] की कई किस्में, [[तम्बाकू]] और कई अन्य पौधों को भी इस नई दुनिया में विकसित किया गया। [[टेरेस (कृषि)|इंडियन]] दक्षिण अमेरिका के अधिकांश भाग में खड़ी पहाडियों की [[इंडीज|ढाल]] पर व्यापक रूप में यह कृषि की गयी।


[[प्राचीन यूनान की कृषि|यूनान]] और [[रोमन कृषि|रोम]] वासियों ने, सुमेर वासियों द्वारा शुरू की गई तकनीकों को न सिर्फ़ आगे बढाया बल्कि उनमें कुछ मौलिक परिवर्तन भी किए। दक्षिणी यूनानी अत्यन्त अनुपजाऊ भूमि होने के बावजूद वर्षों तक एक प्रबल समाज के रूप में बने रहने के लिए संघर्ष करते रहे। रोम निवासियों ने व्यापार के लिए फसलें उपजाने पर जोर दिया।
[[प्राचीन यूनान की कृषि|यूनान]] और [[रोमन कृषि|रोम]] वासियों ने, सुमेर वासियों द्वारा शुरू की गई तकनीकों को न सिर्फ़ आगे बढाया बल्कि उनमें कुछ मौलिक परिवर्तन भी किए। दक्षिणी यूनानी अत्यन्त अनुपजाऊ भूमि होने के बावजूद वर्षों तक एक प्रबल समाज के रूप में बने रहने के लिए संघर्ष करते रहे। रोम निवासियों ने व्यापार के लिए फसलें उपजाने पर जोर दिया।
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हालांकि खाद्य जानवरों घोडे (जिनमें गधे और खच्चर शामिल हैं) और कुत्ते ने पश्चिमी गोलार्ध के खेतों में जल्दी ही आवश्यक उत्पादन भूमिका निभायी।
हालांकि खाद्य जानवरों घोडे (जिनमें गधे और खच्चर शामिल हैं) और कुत्ते ने पश्चिमी गोलार्ध के खेतों में जल्दी ही आवश्यक उत्पादन भूमिका निभायी।


[[आलू]] उत्तरी [[यूरोप]] में एक महत्वपूर्ण आहार फसल बन गई।<ref>[28] ^ [http://www।history-magazine।com/potato।html दी इम्पेक्ट ऑफ़ दी पटेटो] हिस्ट्री मैगजीन</ref> 16 वीं शताब्दी में पुर्तगालियों के द्वारा लाये गए,<ref>[29] ^ [http://researchnews।osu।edu/archive/suprtubr।htm सुपर-आकार के कसावा पौधे फ्रीका में भूख से लड़ने में मदद कर सकते हैं।] ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी</ref> [[मक्का]] और [[मनिओक]] ने पारंपरिक [[अफ्रीका|अफ्रीकी]] फसलों को प्रतिस्थापित कर दिया और वे महाद्वीप की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसलें बन गयीं।<ref>[30] ^ [http://www।scitizen।com/stories/Biotechnology/2007/08/Maize-Streak-Virus-Resistant-Transgenic-Maize-an-African-solution-to-an-African-Problem/ मक्का स्ट्रीक वायरस-प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक मक्का: एक अफ्रीकी समस्या हल करने के लिए एक अफ्रीकी हल।] स्कीटीजन 7 अगस्त 2007</ref>
[[आलू]] उत्तरी [[यूरोप]] में एक महत्वपूर्ण आहार फसल बन गई।<ref>[28] ^ [http://www।history-magazine।com/potato।html दी इम्पेक्ट ऑफ़ दी पटेटो]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} हिस्ट्री मैगजीन</ref> 16 वीं शताब्दी में पुर्तगालियों के द्वारा लाये गए,<ref>[29] ^ [http://researchnews।osu।edu/archive/suprtubr।htm सुपर-आकार के कसावा पौधे फ्रीका में भूख से लड़ने में मदद कर सकते हैं।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी</ref> [[मक्का]] और [[मनिओक]] ने पारंपरिक [[अफ्रीका|अफ्रीकी]] फसलों को प्रतिस्थापित कर दिया और वे महाद्वीप की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसलें बन गयीं।<ref>[30] ^ [http://www।scitizen।com/stories/Biotechnology/2007/08/Maize-Streak-Virus-Resistant-Transgenic-Maize-an-African-solution-to-an-African-Problem/ मक्का स्ट्रीक वायरस-प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक मक्का: एक अफ्रीकी समस्या हल करने के लिए एक अफ्रीकी हल।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} स्कीटीजन 7 अगस्त 2007</ref>


1800 की शुरूआत में, कृषि तकनीकों, बीज भंडार और [[कल्टीवर|उपजाए गए पौधों को चुना गया और उन्हें एक अद्वितीय नाम दिया गया क्योंकि इसकी सजावट और उपयोगिता की विशेषताएं]] इतनी बेहतर हो गयी थीं कि प्रति ईकाई भूमि का उत्पादन मध्य युग की तुलना में कई गुना हो गया था।
1800 की शुरूआत में, कृषि तकनीकों, बीज भंडार और [[कल्टीवर|उपजाए गए पौधों को चुना गया और उन्हें एक अद्वितीय नाम दिया गया क्योंकि इसकी सजावट और उपयोगिता की विशेषताएं]] इतनी बेहतर हो गयी थीं कि प्रति ईकाई भूमि का उत्पादन मध्य युग की तुलना में कई गुना हो गया था।
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उन्नीसवीं सदी के अंतिम समय के बाद से विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में नई प्रजातियों और नए कृषि पद्धतियों खोजने के लिए कृषि खोज अभियान शुरू किया गया है।
उन्नीसवीं सदी के अंतिम समय के बाद से विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में नई प्रजातियों और नए कृषि पद्धतियों खोजने के लिए कृषि खोज अभियान शुरू किया गया है।


इस अभियान के दो प्रारम्भिक उदाहरण हैं 1916-1918 से फल और मेवे इकट्ठे करने के लिए फ्रेंक एन मेयर की चीन और जापान की यात्रा<ref>[31] ^ USDA NAL विशेष संग्रह। [http://naldr।nal।usda।gov/NALWeb/Agricola_Link।asp?Accession=CAT10662165 साउथ चीन एक्स्प्लोरेशन्स: टाइपस्क्रिप्ट, 25 जुलाई 1916- 21 सितंबर 1918]</ref>
इस अभियान के दो प्रारम्भिक उदाहरण हैं 1916-1918 से फल और मेवे इकट्ठे करने के लिए फ्रेंक एन मेयर की चीन और जापान की यात्रा<ref>[31] ^ USDA NAL विशेष संग्रह। [http://naldr।nal।usda।gov/NALWeb/Agricola_Link।asp?Accession=CAT10662165 साउथ चीन एक्स्प्लोरेशन्स: टाइपस्क्रिप्ट, 25 जुलाई 1916- 21 सितंबर 1918]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>


और 1929-1931 से डोरसेट-मोर्स ओरिएंटल कृषि अन्वेषण अभियान जो सोयाबीन जर्मप्लास्म को इकठ्ठा करने के लिए चीन, जापान और कोरिया में चलाया गया, ताकि संयुक्त राज्य में सोयाबीन के उत्पादन में वृद्धि हो सके।<ref>USDA NAL विशेष संग्रह। [http://riley।nal।usda।gov/nal_display/index।php?info_center=8&amp;tax_level=4&amp;tax_subject=158&amp;topic_id=1982&amp;level3_id=6419&amp;level4_id=10866&amp;level5_id=0&amp;placement_default=0&amp;test डोरसेट- मोर्स ओरिएंटल कृषि अन्वेषण अभियान संग्रह]</ref>
और 1929-1931 से डोरसेट-मोर्स ओरिएंटल कृषि अन्वेषण अभियान जो सोयाबीन जर्मप्लास्म को इकठ्ठा करने के लिए चीन, जापान और कोरिया में चलाया गया, ताकि संयुक्त राज्य में सोयाबीन के उत्पादन में वृद्धि हो सके।<ref>USDA NAL विशेष संग्रह। [http://riley।nal।usda।gov/nal_display/index।php?info_center=8&amp;tax_level=4&amp;tax_subject=158&amp;topic_id=1982&amp;level3_id=6419&amp;level4_id=10866&amp;level5_id=0&amp;placement_default=0&amp;test डोरसेट- मोर्स ओरिएंटल कृषि अन्वेषण अभियान संग्रह]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>


[[चीन में कृषि|अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष]] के अनुसार 2005 में, [[अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष|दुनिया में चीन का कृषि उत्पादन]] सबसे अधिक रहा, यह यूरोपीय संघ, भारत और अमरीका के बाद पूरी दुनिया का लगभग छठा हिस्सा था। {{Fact|date=अक्टूबर 2008}}[33] अर्थशास्त्री कृषि की [[कुल कारक उत्पादकता]] का मापन करते हैं और इस मापन के अनुसार संयुक्त राज्य में कृषि 1948 की तुलना में लगभग 2। 6 गुना अधिक उत्पादक है।<ref>[34] ^ USDA ERS। [http://www।ers।usda।gov/data/agproductivity/ संयुक्त राज्य अमेरिका में कृषि उत्पादकता]</ref>
[[चीन में कृषि|अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष]] के अनुसार 2005 में, [[अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष|दुनिया में चीन का कृषि उत्पादन]] सबसे अधिक रहा, यह यूरोपीय संघ, भारत और अमरीका के बाद पूरी दुनिया का लगभग छठा हिस्सा था। {{Fact|date=अक्टूबर 2008}}[33] अर्थशास्त्री कृषि की [[कुल कारक उत्पादकता]] का मापन करते हैं और इस मापन के अनुसार संयुक्त राज्य में कृषि 1948 की तुलना में लगभग 2। 6 गुना अधिक उत्पादक है।<ref>[34] ^ USDA ERS। [http://www।ers।usda।gov/data/agproductivity/ संयुक्त राज्य अमेरिका में कृषि उत्पादकता]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>


छह देश- अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और थाईलैंड- [[अनाज व्यापार|अनाज के निर्यात]] की 90% आपूर्ति करते हैं।<ref>[http://www।i-sis।org।uk/TFBE।php खाद्य Bubble अर्थव्यवस्था।] ''दी इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस इन सोसाइटी ''</ref> [[जल घाटा|जल के घाटे]] से युक्त देश, जो अल्जीरिया, ईरान, मिस्र और मैक्सिको सहित असंख्य मध्यम आकार के देशों में पहले से ही भारी मात्रा में [[अनाज]] का आयात कर रहे हैं,<ref>[36] ^ [http://www।greatlakesdirectory।org/zarticles/080902_water_shortages।htm "ग्लोबल जल की कमी मई भोजन की कमी] करने के लिए [http://www।greatlakesdirectory।org/zarticles/080902_water_shortages।htm नेतृत्व-Aquifer रिक्तीकरण",] लेस्टर आर ब्राउन</ref> जल्द ही [[चीन का जनवादी गणराज्य|चीन]] और [[भारत]] जैसे बड़े देशों में ऐसा कर सकते हैं।<ref>[37] ^ [http://www।atimes।com/atimes/South_Asia/HG21Df01।html इंडिया ग्रोज अ ग्रेन क्राइसिस] एशिया टाइम्स 21 जुलाई 2006।</ref> ==
छह देश- अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और थाईलैंड- [[अनाज व्यापार|अनाज के निर्यात]] की 90% आपूर्ति करते हैं।<ref>[http://www।i-sis।org।uk/TFBE।php खाद्य Bubble अर्थव्यवस्था।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} ''दी इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस इन सोसाइटी ''</ref> [[जल घाटा|जल के घाटे]] से युक्त देश, जो अल्जीरिया, ईरान, मिस्र और मैक्सिको सहित असंख्य मध्यम आकार के देशों में पहले से ही भारी मात्रा में [[अनाज]] का आयात कर रहे हैं,<ref>[36] ^ [http://www।greatlakesdirectory।org/zarticles/080902_water_shortages।htm "ग्लोबल जल की कमी मई भोजन की कमी]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} करने के लिए [http://www।greatlakesdirectory।org/zarticles/080902_water_shortages।htm नेतृत्व-Aquifer रिक्तीकरण",]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} लेस्टर आर ब्राउन</ref> जल्द ही [[चीन का जनवादी गणराज्य|चीन]] और [[भारत]] जैसे बड़े देशों में ऐसा कर सकते हैं।<ref>[37] ^ [http://www।atimes।com/atimes/South_Asia/HG21Df01।html इंडिया ग्रोज अ ग्रेन क्राइसिस]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} एशिया टाइम्स 21 जुलाई 2006।</ref> ==
== फसल उत्पादन प्रणाली ==
== फसल उत्पादन प्रणाली ==
[[चित्र:Indian farmers.jpg|thumb|Workers tending crop fields off of the highway from [[Dharwad]] to [[Hampi]].]]
[[चित्र:Indian farmers.jpg|thumb|Workers tending crop fields off of the highway from [[Dharwad]] to [[Hampi]].]]
फसल प्रणाली उपलब्ध संसाधनों और बाधाओं के आधार पर भिन्न खेतों में अलग अलग हो सकती है; खेत की भौगोलिक स्थिति और जलवायु; सरकारी नीति; आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक दबाव; और किसान का दर्शन और संस्कृति।<ref name="FAO FS">[38] ^ संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन। रोम, इटली[http://www।fao।org/farmingsystems/description_en।htm "खेती प्रणाली का विश्लेषण।"] 7 दिसम्बर 2008 को पहुँचा।</ref><ref name="PCP APS">[39] ^ एक्वाह, जी 2002। कृषि उत्पादन सिस्टम। पीपी। 283-317 "फसल उत्पादन के सिद्धांतों, सिद्धांत, तकनीक और प्रौद्योगिकी में"। प्रेंटिस हॉल, उच्च सेडल नदी, NJ।</ref> [[स्थानान्तरण खेती|स्थानान्तरण कृषि]] ([[काटना और जलना|स्लेश एंड बर्न]]) एक ऎसी प्रणाली है जिसमें वनों को जलाया जाता है, ताकि वर्ष भर उत्पादन के लिए पोषक मुक्त हो जाएं और फिर कई वर्षों के लिए [[वार्षिक पौधा|वार्षिक]] फसलें लगायी जाती हैं। hइसके बाद इस भूमि को फिर से जंगल उगने के लिए छोड़ दिया जाता है और किसान किसी नयी भूमि पर चला जाता है, कई सालों (10-20) के बाद वापस लौटता है।
फसल प्रणाली उपलब्ध संसाधनों और बाधाओं के आधार पर भिन्न खेतों में अलग अलग हो सकती है; खेत की भौगोलिक स्थिति और जलवायु; सरकारी नीति; आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक दबाव; और किसान का दर्शन और संस्कृति।<ref name="FAO FS">[38] ^ संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन। रोम, इटली[http://www।fao।org/farmingsystems/description_en।htm "खेती प्रणाली का विश्लेषण।"]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} 7 दिसम्बर 2008 को पहुँचा।</ref><ref name="PCP APS">[39] ^ एक्वाह, जी 2002। कृषि उत्पादन सिस्टम। पीपी। 283-317 "फसल उत्पादन के सिद्धांतों, सिद्धांत, तकनीक और प्रौद्योगिकी में"। प्रेंटिस हॉल, उच्च सेडल नदी, NJ।</ref> [[स्थानान्तरण खेती|स्थानान्तरण कृषि]] ([[काटना और जलना|स्लेश एंड बर्न]]) एक ऎसी प्रणाली है जिसमें वनों को जलाया जाता है, ताकि वर्ष भर उत्पादन के लिए पोषक मुक्त हो जाएं और फिर कई वर्षों के लिए [[वार्षिक पौधा|वार्षिक]] फसलें लगायी जाती हैं। hइसके बाद इस भूमि को फिर से जंगल उगने के लिए छोड़ दिया जाता है और किसान किसी नयी भूमि पर चला जाता है, कई सालों (10-20) के बाद वापस लौटता है।


तब भूखंड परती वन regrow के लिए और एक नया साजिश करने के लिए किसान चालें, लौट रह गया है कई साल के बाद। इस परती अवधि को छोटा कर दिया जाता है यदि जनसंख्या घनत्व बढ़ता है, इसके लिए पोषक तत्वों ([[उर्वरक]] या [[खाद]]) के निवेश तथा कुछ मैनुअल [[कीट नियंत्रण]] की आवश्यकता होती है।
तब भूखंड परती वन regrow के लिए और एक नया साजिश करने के लिए किसान चालें, लौट रह गया है कई साल के बाद। इस परती अवधि को छोटा कर दिया जाता है यदि जनसंख्या घनत्व बढ़ता है, इसके लिए पोषक तत्वों ([[उर्वरक]] या [[खाद]]) के निवेश तथा कुछ मैनुअल [[कीट नियंत्रण]] की आवश्यकता होती है।
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पिछली सदी में, कृषि में [[गहन कृषि|सघनता]], [[बाजार एकाग्रता|सांद्रण]] और [[आर्थिक विशेषज्ञता|विशिष्टीकरण]] हुआ, जो कृषि रसायनों की नयी तकनीकों ([[उर्वरक]] और [[कीटनाशक]]), [[कृषि मशीनरी|मशीनीकरण]] और [[पादप प्रजनन]] ([[संकर (जीव विज्ञान)|संकर]] और [[GMO]]) पर निर्भर था।
पिछली सदी में, कृषि में [[गहन कृषि|सघनता]], [[बाजार एकाग्रता|सांद्रण]] और [[आर्थिक विशेषज्ञता|विशिष्टीकरण]] हुआ, जो कृषि रसायनों की नयी तकनीकों ([[उर्वरक]] और [[कीटनाशक]]), [[कृषि मशीनरी|मशीनीकरण]] और [[पादप प्रजनन]] ([[संकर (जीव विज्ञान)|संकर]] और [[GMO]]) पर निर्भर था।


पिछले कुछ दशकों में, कृषि में [[स्थायी कृषि|स्थिरता]] की दिशा में विकास हुआ है, एक कृषि प्रणाली के भीतर पर्यावरण और संसाधनों का संरक्षण व सामाजिक-आर्थिक न्याय के एकीकृत विचारों की दिशा में कदम बढाया गया है।<ref name="USDA sust">[43] ^ स्वर्ण, MV 1999। USDA राष्ट्रीय कृषि लाइब्रेरी। बेल्टस्वाइल, एमडी। [http://www।nal।usda।gov/afsic/pubs/terms/srb9902।shtml "][http://www।nal।usda।gov/afsic/pubs/terms/srb9902।shtml स्थायी कृषि: परिभाषायें और शर्तें "7] दिसंबर 2008 को उपलब्ध</ref><ref name="ATTRA">Earles, आर और पी। विलियम्स। २००५।ATTRA राष्ट्रीय सतत कृषि सूचना सेवा। फेयतवाईल, एआर। [http://attra।ncat।org/attra-pub/sustagintro।html "][http://attra।ncat।org/attra-pub/sustagintro।html स्थायी कृषि: एक परिचय] "7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।</ref> इसने [[कार्बनिक खेती|कार्बनिक कृषि]], [[शहरी कृषि]], [[समुदाय-समर्थित कृषि|समुदाय समर्थित कृषि]], पारिस्थितिक या जैविक कृषि, [[समन्वित खेती|एकीकृत कृषि]] और [[होलिस्टिक प्रबंधन|समग्र प्रबंधन]] सहित पारंपरिक कृषि दृष्टिकोण के लिए कई प्रतिक्रियाओं का विकास किया है।
पिछले कुछ दशकों में, कृषि में [[स्थायी कृषि|स्थिरता]] की दिशा में विकास हुआ है, एक कृषि प्रणाली के भीतर पर्यावरण और संसाधनों का संरक्षण व सामाजिक-आर्थिक न्याय के एकीकृत विचारों की दिशा में कदम बढाया गया है।<ref name="USDA sust">[43] ^ स्वर्ण, MV 1999। USDA राष्ट्रीय कृषि लाइब्रेरी। बेल्टस्वाइल, एमडी। [http://www।nal।usda।gov/afsic/pubs/terms/srb9902।shtml "]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}[http://www।nal।usda।gov/afsic/pubs/terms/srb9902।shtml स्थायी कृषि: परिभाषायें और शर्तें "7]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} दिसंबर 2008 को उपलब्ध</ref><ref name="ATTRA">Earles, आर और पी। विलियम्स। २००५।ATTRA राष्ट्रीय सतत कृषि सूचना सेवा। फेयतवाईल, एआर। [http://attra।ncat।org/attra-pub/sustagintro।html "]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}[http://attra।ncat।org/attra-pub/sustagintro।html स्थायी कृषि: एक परिचय]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} "7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।</ref> इसने [[कार्बनिक खेती|कार्बनिक कृषि]], [[शहरी कृषि]], [[समुदाय-समर्थित कृषि|समुदाय समर्थित कृषि]], पारिस्थितिक या जैविक कृषि, [[समन्वित खेती|एकीकृत कृषि]] और [[होलिस्टिक प्रबंधन|समग्र प्रबंधन]] सहित पारंपरिक कृषि दृष्टिकोण के लिए कई प्रतिक्रियाओं का विकास किया है।


=== फसल के आँकड़े ===
=== फसल के आँकड़े ===
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| colspan="2"|''स्रोत:'' <br />''[[खाद्य और कृषि संगठन]] (FAO)''<ref name="FAO">{{cite web |url=http://faostat।fao।org/ |title=संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन of the संयुक्त राष्ट्र (FAOSTAT) |accessdate= 11 अक्टूबर 2007 |format= |work= }}</ref>
| colspan="2"|''स्रोत:'' <br />''[[खाद्य और कृषि संगठन]] (FAO)''<ref name="FAO">{{cite web |url=http://faostat।fao।org/ |title=संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन of the संयुक्त राष्ट्र (FAOSTAT) |accessdate=11 अक्टूबर 2007 |format= |work= }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
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[[पशुपालन]] में न केवल मांस और जंतु उत्पादों (जैसे [[प्रजनन|दूध]], [[दूध|अंडा]] और [[अंडा (खाद्य)|ऊन]]) की निरंतर प्राप्ति के लिए पशुओं का [[ऊन|प्रजनन]] करवाया जाता है बल्कि काम और साथ के लिए भी उनकी प्रजातियों में प्रजनन करवाया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है।
[[पशुपालन]] में न केवल मांस और जंतु उत्पादों (जैसे [[प्रजनन|दूध]], [[दूध|अंडा]] और [[अंडा (खाद्य)|ऊन]]) की निरंतर प्राप्ति के लिए पशुओं का [[ऊन|प्रजनन]] करवाया जाता है बल्कि काम और साथ के लिए भी उनकी प्रजातियों में प्रजनन करवाया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है।


[[पशुधन]] उत्पादन प्रणालियों को भोजन के स्रोत के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है, जैसे [[घास युक्त भूमि|चारागाह]] आधारित, मिश्रित और भूमिहीन।<ref name="FAO lps">[49] ^ सेरे, सी। एच स्टेनफील्ड और जे ग्रोएनेवेल्ड। (1995)। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन। रोम, इटली[http://www।fao।org/WAIRDOCS/LEAD/X6101E/x6101e00।htm#Contents विश्व पशुधन प्रणाली में प्रणाली का विवरण- वर्तमान स्थिति के मुद्दे और प्रवृतियां] 7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।</ref> चारागाह आधारित पशुधन उत्पादन, [[जुगाली करनेवाला|जुगाली करने वाले जानवरों]] के भोजन के लिए पादप पदार्थों जैसे [[झाडियों से युक्त भूमि|झाड़ युक्त भूमि]], [[रेंजलैंड]] और [[प्रबंधित गहन पुनरावर्त चराई|चरागाहों]] पर निर्भर करता है।
[[पशुधन]] उत्पादन प्रणालियों को भोजन के स्रोत के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है, जैसे [[घास युक्त भूमि|चारागाह]] आधारित, मिश्रित और भूमिहीन।<ref name="FAO lps">[49] ^ सेरे, सी। एच स्टेनफील्ड और जे ग्रोएनेवेल्ड। (1995)। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन। रोम, इटली[http://www।fao।org/WAIRDOCS/LEAD/X6101E/x6101e00।htm#Contents विश्व पशुधन प्रणाली में प्रणाली का विवरण- वर्तमान स्थिति के मुद्दे और प्रवृतियां]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} 7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।</ref> चारागाह आधारित पशुधन उत्पादन, [[जुगाली करनेवाला|जुगाली करने वाले जानवरों]] के भोजन के लिए पादप पदार्थों जैसे [[झाडियों से युक्त भूमि|झाड़ युक्त भूमि]], [[रेंजलैंड]] और [[प्रबंधित गहन पुनरावर्त चराई|चरागाहों]] पर निर्भर करता है।


बाहरी पोषक तत्वों के निवेश का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, हालांकि खाद सीधे एक मुख्य पोषक स्रोत के रूप में चरागाह पर पहुँच जाती है।
बाहरी पोषक तत्वों के निवेश का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, हालांकि खाद सीधे एक मुख्य पोषक स्रोत के रूप में चरागाह पर पहुँच जाती है।
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ता है, जिससे मानव के लिए अधिक लाभकारी लक्षणों से युक्त फसल विकसित होती है, उदाहरण के लिए बड़े फल या बीज, सूखे के लिए सहिष्णुता और कीटों के लिए प्रतिरोध।
ता है, जिससे मानव के लिए अधिक लाभकारी लक्षणों से युक्त फसल विकसित होती है, उदाहरण के लिए बड़े फल या बीज, सूखे के लिए सहिष्णुता और कीटों के लिए प्रतिरोध।


जीन विज्ञानी ग्रिगोर मेंडल के कार्य के बाद पादप प्रजनन में महत्वपूर्ण उन्नति हुई। प्रभावी और अप्रभावी एलीलों पर उनके द्वारा किये गए कार्य ने, आनुवंशिकी के बारे में पादप प्रजनकों को एक बेहतर समझ दी। और इससे पादप प्रजनकों के द्वारा प्रयुक्त तकनीकों को महान अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई। फसल प्रजनन में स्व-परागण, पर-परागण और वांछित गुणों से युक्त पौधों का चयन, जैसी तकनीकें शामिल हैं और वे आण्विक तकनीकें भी इसी में शामिल हैं जो जीव को आनुवंशिक रूप से संशोधित करती हैं।<ref>[65] ^ [http://www।cls।casa।colostate।edu/TransgenicCrops/history।html पादप प्रजनन का इतिहास], 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref>
जीन विज्ञानी ग्रिगोर मेंडल के कार्य के बाद पादप प्रजनन में महत्वपूर्ण उन्नति हुई। प्रभावी और अप्रभावी एलीलों पर उनके द्वारा किये गए कार्य ने, आनुवंशिकी के बारे में पादप प्रजनकों को एक बेहतर समझ दी। और इससे पादप प्रजनकों के द्वारा प्रयुक्त तकनीकों को महान अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई। फसल प्रजनन में स्व-परागण, पर-परागण और वांछित गुणों से युक्त पौधों का चयन, जैसी तकनीकें शामिल हैं और वे आण्विक तकनीकें भी इसी में शामिल हैं जो जीव को आनुवंशिक रूप से संशोधित करती हैं।<ref>[65] ^ [http://www।cls।casa।colostate।edu/TransgenicCrops/history।html पादप प्रजनन का इतिहास]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}, 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref>
सदियों से पौधों के घरेलू इस्तेमाल के कारण उनकी उपज में वृद्धि हुई है, इससे [[फलों और सब्जियों में रोग प्रतिरोध|रोग प्रतिरोध]] और [[सूखे के लिए सहिष्णुता|सूखे के प्रति सहनशीलता]] में सुधार हुआ है, साथ ही इसने फसल की कटाई को आसान बनाया है व फसली पौधों के स्वाद और पोषक तत्वों में वृद्धि हुई है।
सदियों से पौधों के घरेलू इस्तेमाल के कारण उनकी उपज में वृद्धि हुई है, इससे [[फलों और सब्जियों में रोग प्रतिरोध|रोग प्रतिरोध]] और [[सूखे के लिए सहिष्णुता|सूखे के प्रति सहनशीलता]] में सुधार हुआ है, साथ ही इसने फसल की कटाई को आसान बनाया है व फसली पौधों के स्वाद और पोषक तत्वों में वृद्धि हुई है।
सावधानी पूर्वक चयन और प्रजनन ने फसली पौधों की विशेषताओं पर भारी प्रभाव डाला है। 1920 और 1930 के दशक में, पौधों के चयन और प्रजनन ने, न्यूजीलैंड में चरागाहों (घास और तिपतिया घास) में काफी सुधार किया।
सावधानी पूर्वक चयन और प्रजनन ने फसली पौधों की विशेषताओं पर भारी प्रभाव डाला है। 1920 और 1930 के दशक में, पौधों के चयन और प्रजनन ने, न्यूजीलैंड में चरागाहों (घास और तिपतिया घास) में काफी सुधार किया।


1950 के दशक के दौरान एक पराबैंगनी व्यापक X-रे के द्वारा प्रेरित उत्परिवर्तजन प्रभाव (आदिम आनुवंशिक अभियांत्रिकी) ने गेहूं, मकई (मक्का) और जौ जैसे अनाजों की आधुनिक किस्मों का उत्पादन किया।<ref>{{cite journal | last = Stadler| first = L। J। | authorlink = Lewis Stadler |author2= G। F। Sprague | title = Genetic Effects of Ultra-Violet Radiation in Maize। I। Unfiltered Radiation | journal = Proceedings of the National Academy of Sciences of the United States of America | volume = 22 | issue = 10 | pages = 572–578 | publisher = US Department of Agriculture and Missouri Agricultural Experiment Station | date= 15 अक्टूबर 1936 | url = http://www।pnas।org/cgi/reprint/22/10/579.pdf |format=PDF| doi = 10। 1073/pnas। 22। 10। 572| id = | accessdate = 11 अक्टूबर 2007 }}</ref><ref>{{cite book | last = Berg | first = Paul | author2 = Maxine Singer | title = George Beadle: An Uncommon Farmer। The Emergence of Genetics in the 20th century | publisher = Cold Springs Harbor Laboratory Press | date = 15 अगस्त 2003 | isbn = 0-87969-688-5 | url-access = registration | url = https://archive.org/details/georgebeadleunco0000berg }}</ref>
1950 के दशक के दौरान एक पराबैंगनी व्यापक X-रे के द्वारा प्रेरित उत्परिवर्तजन प्रभाव (आदिम आनुवंशिक अभियांत्रिकी) ने गेहूं, मकई (मक्का) और जौ जैसे अनाजों की आधुनिक किस्मों का उत्पादन किया।<ref>{{cite journal | last = Stadler | first = L। J। | authorlink = Lewis Stadler | author2 = G। F। Sprague | title = Genetic Effects of Ultra-Violet Radiation in Maize। I। Unfiltered Radiation | journal = Proceedings of the National Academy of Sciences of the United States of America | volume = 22 | issue = 10 | pages = 572–578 | publisher = US Department of Agriculture and Missouri Agricultural Experiment Station | date = 15 अक्टूबर 1936 | url = http://www।pnas।org/cgi/reprint/22/10/579.pdf | format = PDF | doi = 10। 1073/pnas। 22। 10। 572 | id = | accessdate = 11 अक्टूबर 2007 }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>{{cite book | last = Berg | first = Paul | author2 = Maxine Singer | title = George Beadle: An Uncommon Farmer। The Emergence of Genetics in the 20th century | publisher = Cold Springs Harbor Laboratory Press | date = 15 अगस्त 2003 | isbn = 0-87969-688-5 | url-access = registration | url = https://archive.org/details/georgebeadleunco0000berg }}</ref>


[[हरित क्रांति]] ने "उच्च-उत्पादकता की किस्मों" के निर्माण के द्वारा उत्पादन को कई गुना बढ़ाने के लिए पारंपरिक [[संकरण]] के उपयोग को लोकप्रिय बना दिया।
[[हरित क्रांति]] ने "उच्च-उत्पादकता की किस्मों" के निर्माण के द्वारा उत्पादन को कई गुना बढ़ाने के लिए पारंपरिक [[संकरण]] के उपयोग को लोकप्रिय बना दिया।
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उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में मकई ([[मक्का]]) की औसत पैदावार 1900 में 2। 5 टन प्रति हेक्टेयर (t/ha) (40 बुशेल्स प्रति एकड़) से बढ़कर 2001 में 9। 4 टन प्रति हेक्टेयर (t/ha) (150 बुशेल्स प्रति एकड़) हो गयी।
उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में मकई ([[मक्का]]) की औसत पैदावार 1900 में 2। 5 टन प्रति हेक्टेयर (t/ha) (40 बुशेल्स प्रति एकड़) से बढ़कर 2001 में 9। 4 टन प्रति हेक्टेयर (t/ha) (150 बुशेल्स प्रति एकड़) हो गयी।


इसी तरह दुनिया की औसत गेंहू की पैदावार 1900 में 1 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ कर 1990 में 2। 5 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। सिंचाई के साथ दक्षिण अमेरिका की औसत गेहूं की पैदावार लगभग 2 टन प्रति हेक्टेयर है, अफ्रीका की 1 टन प्रति हेक्टेयर से कम है, [[मिस्र]] और अरब की 3। 5 से 4 टन प्रति हेक्टेयर तक है। इसके विपरीत, फ़्रांस जैसे देशों में गेंहू की पैदावार 8 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक है। पैदावार में ये भिन्नताएं मुख्य रूप से जलवायु, आनुवांशिकी और गहन कृषि तकनीकों (उर्वरकों का उपयोग, रासायनिक [[कीट नियंत्रण]], अवांछनीय पौधों को रोकने के लिए वृद्धि नियंत्रण) के स्तर में भिन्नताओं के कारण होती हैं।<ref>{{cite journal | last = Ruttan | first = Vernon W। | title = Biotechnology and Agriculture: A Skeptical Perspective | journal = AgBioForum | volume = 2 | issue = 1 | pages = 54–60 | publisher = | month = December | year = 1999 | url = http://www।mindfully।org/GE/Skeptical-Perspective-VW-Ruttan।htm | accessdate = 11 अक्टूबर 2007 | format = {{Dead link|date=अप्रैल 2009}} – <sup>[http://scholar।google।co।uk/scholar?hl=en&lr=&q=author%3ARuttan+intitle%3ABiotechnology+and+Agriculture%3A+A+Skeptical+Perspective&as_publication=AgBioForum&as_ylo=1999&as_yhi=1999&btnG=Search Scholar search]</sup> }}</ref><ref>{{cite journal | last = Cassman | first = K। | authorlink = |author2= | title = Ecological intensification of cereal production systems: The Challenge of increasing crop yield potential and precision agriculture | journal = Proceedings of a National Academy of Sciences Colloquium, Irvine, California | volume = | issue = | pages = | publisher = University of Nebraska | date= 5 दिसंबर 1998 | url = http://www।lsc।psu।edu/nas/Speakers/Cassman%20manuscript।html | doi = | id = | accessdate = 11 अक्टूबर 2007 }}</ref><ref>रूपांतरण नोट: गेहूं का एक बुशेल = 60 पाउंड (पौंड) ≈ 27। 215 किलोग्राम। एक बुशेल मक्का = 56 पाउंड 25। 401 किलोग्राम</ref>
इसी तरह दुनिया की औसत गेंहू की पैदावार 1900 में 1 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ कर 1990 में 2। 5 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। सिंचाई के साथ दक्षिण अमेरिका की औसत गेहूं की पैदावार लगभग 2 टन प्रति हेक्टेयर है, अफ्रीका की 1 टन प्रति हेक्टेयर से कम है, [[मिस्र]] और अरब की 3। 5 से 4 टन प्रति हेक्टेयर तक है। इसके विपरीत, फ़्रांस जैसे देशों में गेंहू की पैदावार 8 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक है। पैदावार में ये भिन्नताएं मुख्य रूप से जलवायु, आनुवांशिकी और गहन कृषि तकनीकों (उर्वरकों का उपयोग, रासायनिक [[कीट नियंत्रण]], अवांछनीय पौधों को रोकने के लिए वृद्धि नियंत्रण) के स्तर में भिन्नताओं के कारण होती हैं।<ref>{{cite journal | last = Ruttan | first = Vernon W। | title = Biotechnology and Agriculture: A Skeptical Perspective | journal = AgBioForum | volume = 2 | issue = 1 | pages = 54–60 | publisher = | month = December | year = 1999 | url = http://www।mindfully।org/GE/Skeptical-Perspective-VW-Ruttan।htm | accessdate = 11 अक्टूबर 2007 | format = {{Dead link|date=अप्रैल 2009}} – <sup>[http://scholar।google।co।uk/scholar?hl=en&lr=&q=author%3ARuttan+intitle%3ABiotechnology+and+Agriculture%3A+A+Skeptical+Perspective&as_publication=AgBioForum&as_ylo=1999&as_yhi=1999&btnG=Search Scholar search]</sup> }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>{{cite journal | last = Cassman | first = K। | authorlink = | author2 = | title = Ecological intensification of cereal production systems: The Challenge of increasing crop yield potential and precision agriculture | journal = Proceedings of a National Academy of Sciences Colloquium, Irvine, California | volume = | issue = | pages = | publisher = University of Nebraska | date = 5 दिसंबर 1998 | url = http://www।lsc।psu।edu/nas/Speakers/Cassman%20manuscript।html | doi = | id = | accessdate = 11 अक्टूबर 2007 }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>रूपांतरण नोट: गेहूं का एक बुशेल = 60 पाउंड (पौंड) ≈ 27। 215 किलोग्राम। एक बुशेल मक्का = 56 पाउंड 25। 401 किलोग्राम</ref>


=== आनुवंशिक अभियांत्रिकी ===
=== आनुवंशिक अभियांत्रिकी ===
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=== शाक-सहिष्णु GMO फसलें ===
=== शाक-सहिष्णु GMO फसलें ===
[[राउंड अप|राउंडअप रेडी]] बीज में एक शाक प्रतिरोधी जीन होता है, जो पौधे में [[ग्लाइफोसेट]] के प्रति सहनशीलता के लिए इसके जीनोम में डाल दिया गया है। राउंडअप एक व्यापारिक नाम है जो ग्लाइफोसेट आधारित उत्पाद को दिया गया है, जो कृत्रिम है और खर पतवार को नष्ट करने के लिए काम में लिया जाने वाला अचयनित शाक विनाशी है। राउंडअप रेडी बीज किसान को ऎसी फसल देता है जिस पर खर पतवार नष्ट करने के लिए ग्लाइफोसेट का छिडकाव किया जा सकता है और प्रतिरोधी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। शाक विनाशी-सहिष्णु फसलों को दुनिया भर के किसानों के द्वारा उपयोग किया जाता है। आज, अमेरिका में सोयाबीन का 92% भाग आनुवंशिक रूप से संशोधित शाक विनाशी-सहिष्णु पौधों के साथ उगाया जाता है।<ref>[76] ^[http://www।ers।usda।gov/Data/BiotechCrops/adoption।htm अमेरिका में आनुवांशिक अभियांत्रिक फसल की प्राप्ति: इस प्राप्ति का विस्तार 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध]।</ref> शाक विनाशी-सहिष्णु फसलों के बढ़ते हुए उपयोग के साथ, ग्लाइफोसेट आधारित शाक विनाशी छिडकाव के उपयोग में वृद्धि हुई है। कुछ क्षेत्रों में ग्लाइफोसेट विरोधी खरपतवार विकसित हो गए हैं, जिसके कारण किसानों ने किसी अन्य शाक विनाशी का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।<ref>[77] ^ [http://www।rafiusa।org/pubs/Farmers_Guide_to_GMOs.pdf ] GMOs के लिए फार्मर्स गाइड /1} 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref><ref>[78] ^ [http://www।businessweek।com/bwdaily/dnflash/content/feb2008/db20080212_435043।htm 'सुपर-खर पतवार' पर चेतावनी देने वाली रिपोर्ट] [[9 दिसंबर|9 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध]]</ref> कुछ अध्ययन ग्लाइफोसेट के अधिक उपयोग को कुछ फसलों में लौह तत्व की कमी के साथ सम्बंधित करते हैं, जो आर्थिक क्षमता और स्वास्थ्य निहितार्थ, फसल उत्पादन और पोषण गुणवत्ता दोनों की दृष्टि से एक विचारणीय विषय है। [79]
[[राउंड अप|राउंडअप रेडी]] बीज में एक शाक प्रतिरोधी जीन होता है, जो पौधे में [[ग्लाइफोसेट]] के प्रति सहनशीलता के लिए इसके जीनोम में डाल दिया गया है। राउंडअप एक व्यापारिक नाम है जो ग्लाइफोसेट आधारित उत्पाद को दिया गया है, जो कृत्रिम है और खर पतवार को नष्ट करने के लिए काम में लिया जाने वाला अचयनित शाक विनाशी है। राउंडअप रेडी बीज किसान को ऎसी फसल देता है जिस पर खर पतवार नष्ट करने के लिए ग्लाइफोसेट का छिडकाव किया जा सकता है और प्रतिरोधी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। शाक विनाशी-सहिष्णु फसलों को दुनिया भर के किसानों के द्वारा उपयोग किया जाता है। आज, अमेरिका में सोयाबीन का 92% भाग आनुवंशिक रूप से संशोधित शाक विनाशी-सहिष्णु पौधों के साथ उगाया जाता है।<ref>[76] ^[http://www।ers।usda।gov/Data/BiotechCrops/adoption।htm अमेरिका में आनुवांशिक अभियांत्रिक फसल की प्राप्ति: इस प्राप्ति का विस्तार 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}।</ref> शाक विनाशी-सहिष्णु फसलों के बढ़ते हुए उपयोग के साथ, ग्लाइफोसेट आधारित शाक विनाशी छिडकाव के उपयोग में वृद्धि हुई है। कुछ क्षेत्रों में ग्लाइफोसेट विरोधी खरपतवार विकसित हो गए हैं, जिसके कारण किसानों ने किसी अन्य शाक विनाशी का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।<ref>[77] ^ [http://www।rafiusa।org/pubs/Farmers_Guide_to_GMOs.pdf ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} GMOs के लिए फार्मर्स गाइड /1} 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref><ref>[78] ^ [http://www।businessweek।com/bwdaily/dnflash/content/feb2008/db20080212_435043।htm 'सुपर-खर पतवार' पर चेतावनी देने वाली रिपोर्ट]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} [[9 दिसंबर|9 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध]]</ref> कुछ अध्ययन ग्लाइफोसेट के अधिक उपयोग को कुछ फसलों में लौह तत्व की कमी के साथ सम्बंधित करते हैं, जो आर्थिक क्षमता और स्वास्थ्य निहितार्थ, फसल उत्पादन और पोषण गुणवत्ता दोनों की दृष्टि से एक विचारणीय विषय है। [79]


=== कीट-प्रतिरोधी GMO फसलें ===
=== कीट-प्रतिरोधी GMO फसलें ===
उत्पादकों के द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली अन्य GMO फसलों में शामिल हैं कीट प्रतिरोधी फसलें, जिनमें मृदा जीवाणु ''[[बेसिलस थुरिनजीन्सिस|बेसिलस थुरिन्गीन्सिस]]'' (Bt) से एक जीन होता है जो कीटों के लिए एक विशष्ट विष उत्पन्न करता है; कीट प्रतिरोधी फसलें पौधों को कीटों से होने वाली क्षति से बचाती हैं, इसी प्रकार की एक फसल है [[ट्रांसजेनिक मक्का|स्टारलिंक]]।
उत्पादकों के द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली अन्य GMO फसलों में शामिल हैं कीट प्रतिरोधी फसलें, जिनमें मृदा जीवाणु ''[[बेसिलस थुरिनजीन्सिस|बेसिलस थुरिन्गीन्सिस]]'' (Bt) से एक जीन होता है जो कीटों के लिए एक विशष्ट विष उत्पन्न करता है; कीट प्रतिरोधी फसलें पौधों को कीटों से होने वाली क्षति से बचाती हैं, इसी प्रकार की एक फसल है [[ट्रांसजेनिक मक्का|स्टारलिंक]]।


एक अन्य है बीटी कपास, जो अमेरिकी कपास का 63% भाग बनाती है।<ref>[80] ^ [http://www।ers।usda।gov/Data/BiotechCrops/adoption।htm http://www।ers।usda।gov/Data/BiotechCrops/adoption।htm] |आनुवांशिक इंजीनियरिंग फसलें अमेरिका में: दत्तक ग्रहण का विस्तार] 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref>
एक अन्य है बीटी कपास, जो अमेरिकी कपास का 63% भाग बनाती है।<ref>[80] ^ [http://www।ers।usda।gov/Data/BiotechCrops/adoption।htm http://www।ers।usda।gov/Data/BiotechCrops/adoption।htm]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} |आनुवांशिक इंजीनियरिंग फसलें अमेरिका में: दत्तक ग्रहण का विस्तार] 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref>


कुछ लोगों का मानना है कि समान या बेहतर कीट-प्रतिरोधी लक्षणों को पारंपरिक प्रजनन पद्धतियों के द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है और भिन्न कीटों के लिए प्रतिरोधी क्षमता को जंगली प्रजातियों के साथ संकरण या पर परागण के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। कुछ मामलों में, जंगली प्रजातियां प्रतिरोधी लक्षण का प्राथमिक स्रोत होती हैं; कुछ टमाटर की फसलें जिन्होंने कम से कम उन्नीस रोगों के लिए प्रतिरोधी क्षमता प्राप्त कर ली है, ऐसा टमाटर की जंगली प्रजातियों के साथ संकरण के माध्यम से किया गया है।<ref>[81] ^ किम्ब्रेल्ल, ए ''फल्टल हार्वेस्ट: औद्योगिक कृषि की त्रासदी,'' द्वीप प्रेस, वॉशिंगटन, 2002।</ref>
कुछ लोगों का मानना है कि समान या बेहतर कीट-प्रतिरोधी लक्षणों को पारंपरिक प्रजनन पद्धतियों के द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है और भिन्न कीटों के लिए प्रतिरोधी क्षमता को जंगली प्रजातियों के साथ संकरण या पर परागण के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। कुछ मामलों में, जंगली प्रजातियां प्रतिरोधी लक्षण का प्राथमिक स्रोत होती हैं; कुछ टमाटर की फसलें जिन्होंने कम से कम उन्नीस रोगों के लिए प्रतिरोधी क्षमता प्राप्त कर ली है, ऐसा टमाटर की जंगली प्रजातियों के साथ संकरण के माध्यम से किया गया है।<ref>[81] ^ किम्ब्रेल्ल, ए ''फल्टल हार्वेस्ट: औद्योगिक कृषि की त्रासदी,'' द्वीप प्रेस, वॉशिंगटन, 2002।</ref>
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आनुवंशिक इंजिनियर किसी दिन ऐसे [[ट्रांसजेनिक पौधे|ट्रांसजेनिक पौधों]] को विकसित कर सकते हैं, जो [[सिंचाई]], जल [[जल निकासी|निकासी]], [[संरक्षण]], स्वच्छता इंजीनियरिंग और उत्पादन को बढ़ाने या बनाये रखने में सक्षम होंगे और पारंपरिक फसल की तुलना में उनकी जीवाश्म ईंधन व्युत्पन्न निवेश की आवश्यकता कम होगी। [22] ऐसे विकास विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होंगे जो सामान्यतया शुष्क होते हैं और निरंतर सिंचाई पर निर्भर रहते हैं और बड़े पैमाने के खेतों से युक्त होते हैं।
आनुवंशिक इंजिनियर किसी दिन ऐसे [[ट्रांसजेनिक पौधे|ट्रांसजेनिक पौधों]] को विकसित कर सकते हैं, जो [[सिंचाई]], जल [[जल निकासी|निकासी]], [[संरक्षण]], स्वच्छता इंजीनियरिंग और उत्पादन को बढ़ाने या बनाये रखने में सक्षम होंगे और पारंपरिक फसल की तुलना में उनकी जीवाश्म ईंधन व्युत्पन्न निवेश की आवश्यकता कम होगी। [22] ऐसे विकास विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होंगे जो सामान्यतया शुष्क होते हैं और निरंतर सिंचाई पर निर्भर रहते हैं और बड़े पैमाने के खेतों से युक्त होते हैं।


हालांकि, पौधों की आनुवंशिक अभियांत्रिकी विवादास्पद साबित हुई है। खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण प्रभावों के बारे में GMO प्रथाओं से सम्बंधित बहुत से मुद्दे उत्पन्न हुए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पर्यावरण विज्ञानी और अर्थशास्त्री GMO प्रथाओं जैसे [[टर्मिनेटर बीज]] के सम्बन्ध में GMOs पर प्रश्न उठाते हैं।<ref>{{cite journal |url=http://www।ecologyandsociety।org/vol4/iss1/art2/#GeneticModificationAndTheSustainabilityOfTheFoodSystem |author=Conway, G। |year=2000 |title=Genetically modified crops: risks and promise |publisher=Conservation Ecology |volume=4(1): 2 }}</ref><ref>{{cite journal |publisher=Journal of Economic Integration |volume=Volume 19, Number 2 |year=2004 |author=। R। Pillarisetti and Kylie Radel |title=Economic and Environmental Issues in International Trade and Production of Genetically Modified Foods and Crops and the WTO |url=http://sejong।metapress।com/app/home/contribution।asp?referrer=parent&backto=issue,6,10;journal,15,43;linkingpublicationresults,1:109474,1 |pages=332–352 }}</ref> जो एक आनुवंशिक संशोधन है जो बंध्य बीज निर्मित करता है।
हालांकि, पौधों की आनुवंशिक अभियांत्रिकी विवादास्पद साबित हुई है। खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण प्रभावों के बारे में GMO प्रथाओं से सम्बंधित बहुत से मुद्दे उत्पन्न हुए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पर्यावरण विज्ञानी और अर्थशास्त्री GMO प्रथाओं जैसे [[टर्मिनेटर बीज]] के सम्बन्ध में GMOs पर प्रश्न उठाते हैं।<ref>{{cite journal |url=http://www।ecologyandsociety।org/vol4/iss1/art2/#GeneticModificationAndTheSustainabilityOfTheFoodSystem |author=Conway, G। |year=2000 |title=Genetically modified crops: risks and promise |publisher=Conservation Ecology |volume=4(1): 2 }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>{{cite journal |publisher=Journal of Economic Integration |volume=Volume 19, Number 2 |year=2004 |author=। R। Pillarisetti and Kylie Radel |title=Economic and Environmental Issues in International Trade and Production of Genetically Modified Foods and Crops and the WTO |url=http://sejong।metapress।com/app/home/contribution।asp?referrer=parent&backto=issue,6,10;journal,15,43;linkingpublicationresults,1:109474,1 |pages=332–352 }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> जो एक आनुवंशिक संशोधन है जो बंध्य बीज निर्मित करता है।


वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टर्मिनेटर बीज का बहुत अधिक विरोध किया जा रहा है और इस पर विश्व स्तरीय रोक लगाये जाने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।<ref>[86] ^ [http://www।twnside।org।sg/title/twr118a।htm संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता जो विशिष्ट मुद्दों के लिए असफल रही, ] तीसरी दुनिया का नेटवर्क, 9 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।</ref>
वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टर्मिनेटर बीज का बहुत अधिक विरोध किया जा रहा है और इस पर विश्व स्तरीय रोक लगाये जाने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।<ref>[86] ^ [http://www।twnside।org।sg/title/twr118a।htm संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता जो विशिष्ट मुद्दों के लिए असफल रही, ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} तीसरी दुनिया का नेटवर्क, 9 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।</ref>
एक और विवादास्पद मुद्दा है उन कम्पनियों के लिए पेटेंट संरक्षण जो आनुवंशिक अभियांत्रिकी का उपयोग करते हुए नए प्रकार के बीज विकसित करती हैं। चूंकि कंपनियों के पास अपने बीज का बौद्धिक स्वामित्व है, उनके पास अपने पेटेंट उत्पाद की शर्तें और नियम लागू करने का अधिकार है। वर्तमान में, दस बीज कम्पनियां, पूरी दुनिया की बीज की बिक्री के दो तिहाई से अधिक भाग का नियंत्रण करती हैं।<ref>[87] ^ [http://www।etcgroup।org/en/materials/publications।html?pub_id=706 हू ओन्स नेचर ?] 9 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref> [[वंदना शिव]] का तर्क है कि ये कम्पनियां लाभ के लिए जीव का शोषण करने और जीवन के पेटेंट के द्वारा [[बायो पाइरेसी|जैव पाइरेसी]] के दोषी हैं।<ref>[88] ^ शिव, वंदना, ''बायोपाइरेसी,'' साउथ एंड प्रेस, केम्ब्रिज, एम ऐ। 1997।</ref> पेटेंट बीज का उपयोग करने वाले किसान अगली फसल के लिए बीज को बचा नहीं सकते हैं, जिससे उन्हें हर साल नए बीज खरीदने पड़ते हैं। चूँकि विकसित और विकास शील दोनों प्रकार के देशों में बीज को बचाना कई किसानों के लिए एक पारंपरिक प्रथा है, GMO बीज किसानों को बीज बचाने की इस प्रथा को परिवर्तित करने और हर साल नए बीज खरीदने के लिए बाध्य करते हैं।<ref>[89] ^ शिव, वंदना, ''बायोपाइरेसी,'' साउथ एंड प्रेस, केम्ब्रिज, एम ऐ। 1997।</ref><ref>[90] ^ [http://www।rafiusa।org/pubs/Farmers_Guide_to_GMOs.pdf GMOs के लिए फार्मर्स गाइड] 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref>
एक और विवादास्पद मुद्दा है उन कम्पनियों के लिए पेटेंट संरक्षण जो आनुवंशिक अभियांत्रिकी का उपयोग करते हुए नए प्रकार के बीज विकसित करती हैं। चूंकि कंपनियों के पास अपने बीज का बौद्धिक स्वामित्व है, उनके पास अपने पेटेंट उत्पाद की शर्तें और नियम लागू करने का अधिकार है। वर्तमान में, दस बीज कम्पनियां, पूरी दुनिया की बीज की बिक्री के दो तिहाई से अधिक भाग का नियंत्रण करती हैं।<ref>[87] ^ [http://www।etcgroup।org/en/materials/publications।html?pub_id=706 हू ओन्स नेचर ?]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} 9 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref> [[वंदना शिव]] का तर्क है कि ये कम्पनियां लाभ के लिए जीव का शोषण करने और जीवन के पेटेंट के द्वारा [[बायो पाइरेसी|जैव पाइरेसी]] के दोषी हैं।<ref>[88] ^ शिव, वंदना, ''बायोपाइरेसी,'' साउथ एंड प्रेस, केम्ब्रिज, एम ऐ। 1997।</ref> पेटेंट बीज का उपयोग करने वाले किसान अगली फसल के लिए बीज को बचा नहीं सकते हैं, जिससे उन्हें हर साल नए बीज खरीदने पड़ते हैं। चूँकि विकसित और विकास शील दोनों प्रकार के देशों में बीज को बचाना कई किसानों के लिए एक पारंपरिक प्रथा है, GMO बीज किसानों को बीज बचाने की इस प्रथा को परिवर्तित करने और हर साल नए बीज खरीदने के लिए बाध्य करते हैं।<ref>[89] ^ शिव, वंदना, ''बायोपाइरेसी,'' साउथ एंड प्रेस, केम्ब्रिज, एम ऐ। 1997।</ref><ref>[90] ^ [http://www।rafiusa।org/pubs/Farmers_Guide_to_GMOs.pdf GMOs के लिए फार्मर्स गाइड]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} 8 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref>


स्थानीय अनुकूलित बीज भी वर्तमान संकरित बीजों तथा GMOs की तरह ही सक्षम होते हैं। स्थानीय रूप से अनुकूलित बीज, जो भूमि प्रजाति या फसल पारिस्थितिक-प्रकार भी कहलाते हैं, वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि समय के साथ वे जुताई के क्षेत्र के विशेष सूक्ष्म वातावरण, मृदा, अन्य पर्यावरणी परिस्थितियों, क्षेत्र के डिजाइन और जातीय वरीयता के लिए अनुकूलित हो जाते हैं।<ref>[91] ^ नभन, गैरी पॉल, ''एन्दयुरिंग सीड्स'', एरिजोना विश्वविद्यालय प्रेस, टक्सन, 1989।</ref> एक क्षेत्र में GMOs और संकरित व्यापारिक बीजों को लाना स्थानीय प्रजातियों के साथ इसके पर परागण का जोखिम भी पैदा करता है इसलिए, GMOs भूमि प्रजातियों तथा पारंपरिक एथनिक हेरिटेज के लिए एक ख़तरा हैं।
स्थानीय अनुकूलित बीज भी वर्तमान संकरित बीजों तथा GMOs की तरह ही सक्षम होते हैं। स्थानीय रूप से अनुकूलित बीज, जो भूमि प्रजाति या फसल पारिस्थितिक-प्रकार भी कहलाते हैं, वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि समय के साथ वे जुताई के क्षेत्र के विशेष सूक्ष्म वातावरण, मृदा, अन्य पर्यावरणी परिस्थितियों, क्षेत्र के डिजाइन और जातीय वरीयता के लिए अनुकूलित हो जाते हैं।<ref>[91] ^ नभन, गैरी पॉल, ''एन्दयुरिंग सीड्स'', एरिजोना विश्वविद्यालय प्रेस, टक्सन, 1989।</ref> एक क्षेत्र में GMOs और संकरित व्यापारिक बीजों को लाना स्थानीय प्रजातियों के साथ इसके पर परागण का जोखिम भी पैदा करता है इसलिए, GMOs भूमि प्रजातियों तथा पारंपरिक एथनिक हेरिटेज के लिए एक ख़तरा हैं।
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कृषि, कीटनाशकों, पोषकों के रिसाव, अतिरिक्त जल उपयोग और अन्य मिश्रित समस्याओं के द्वारा समाज पर कई [[बाहरी विशेषताएं|बाहरी खर्चे]] अध्यारोपित करती है
कृषि, कीटनाशकों, पोषकों के रिसाव, अतिरिक्त जल उपयोग और अन्य मिश्रित समस्याओं के द्वारा समाज पर कई [[बाहरी विशेषताएं|बाहरी खर्चे]] अध्यारोपित करती है


ब्रिटेन में 2000 में कृषि पर किये गए एक आकलन में पता चला कि 1996 के लिए कुल [[बाहरी आकार|बाहरी लागत]] 2343 मिलियन ब्रिटिश पाउंड या 208 पाउंड प्रति हेक्टेयर थी।<ref name="Pretty2000">{{cite journal | last1 = Pretty et al। | year = 2000 | title = An assessment of the total external costs of UK agriculture | journal = Agricultural Systems | volume = 65 | issue = 2 | pages = 113–136 | doi = 10। 1016/S0308-521X(00)00031-7 | url = http://www।essex।ac।uk/bs/staff/pretty/AgSyst%20pdf.pdf}}</ref> संयुक्त राज्य में 2005 के एक विश्लेषण में निष्कर्ष निकाला गया कि फसल भूमि लगभग 5-16 बिलियन डॉलर ($30 से $96 प्रति हेक्टेयर) अध्यारोपित करती है, जबकि पशुधन उत्पादन 714 मिलियन डॉलर अध्यारोपित करता है।<ref name="Tegtmeier2005">{{cite journal | last1 = Tegtmeier | first1 = E।M। | last2 = Duffy | first2 = M। | year = 2005 | title = External Costs of Agricultural Production in the United States | journal = The Earthscan Reader in Sustainable Agriculture | url = http://www।organicvalley।coop/fileadmin/pdf/ag_costs_IJAS2004.pdf}}</ref> दोनों अध्ययनों का निष्कर्ष यह है कि बाहरी लागत को कम करने के लिए अधिक कार्य किया जाना चाहिए, इस विश्लेषण में उनकी सब्सिडी को शामिल नहीं किया गया, लेकिन यह नोट किया गया कि सब्सिडी भी कृषि की लागत की दृष्टि से समाज पर प्रभाव डालती है।
ब्रिटेन में 2000 में कृषि पर किये गए एक आकलन में पता चला कि 1996 के लिए कुल [[बाहरी आकार|बाहरी लागत]] 2343 मिलियन ब्रिटिश पाउंड या 208 पाउंड प्रति हेक्टेयर थी।<ref name="Pretty2000">{{cite journal | last1 = Pretty et al। | year = 2000 | title = An assessment of the total external costs of UK agriculture | journal = Agricultural Systems | volume = 65 | issue = 2 | pages = 113–136 | doi = 10। 1016/S0308-521X(00)00031-7 | url = http://www।essex।ac।uk/bs/staff/pretty/AgSyst%20pdf.pdf }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> संयुक्त राज्य में 2005 के एक विश्लेषण में निष्कर्ष निकाला गया कि फसल भूमि लगभग 5-16 बिलियन डॉलर ($30 से $96 प्रति हेक्टेयर) अध्यारोपित करती है, जबकि पशुधन उत्पादन 714 मिलियन डॉलर अध्यारोपित करता है।<ref name="Tegtmeier2005">{{cite journal | last1 = Tegtmeier | first1 = E।M। | last2 = Duffy | first2 = M। | year = 2005 | title = External Costs of Agricultural Production in the United States | journal = The Earthscan Reader in Sustainable Agriculture | url = http://www।organicvalley।coop/fileadmin/pdf/ag_costs_IJAS2004.pdf }}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> दोनों अध्ययनों का निष्कर्ष यह है कि बाहरी लागत को कम करने के लिए अधिक कार्य किया जाना चाहिए, इस विश्लेषण में उनकी सब्सिडी को शामिल नहीं किया गया, लेकिन यह नोट किया गया कि सब्सिडी भी कृषि की लागत की दृष्टि से समाज पर प्रभाव डालती है।


दोनों ही पूरी तरह वित्तीय प्रभावों पर केंद्रित है। यह 2000 की समीक्षा में कीटनाशक के विषैले प्रभाव को भी शामिल किया गया लेकिन कीटनाशकों के अनुमानित दीर्घकालिक प्रभावों को शामिल नहीं किया गया और 2004 की समीक्षा में कीटनाशकों के कुल प्रभाव के 1992 के अनुमान पर भरोसा किया गया।
दोनों ही पूरी तरह वित्तीय प्रभावों पर केंद्रित है। यह 2000 की समीक्षा में कीटनाशक के विषैले प्रभाव को भी शामिल किया गया लेकिन कीटनाशकों के अनुमानित दीर्घकालिक प्रभावों को शामिल नहीं किया गया और 2004 की समीक्षा में कीटनाशकों के कुल प्रभाव के 1992 के अनुमान पर भरोसा किया गया।


=== पशुधन मुद्दे ===
=== पशुधन मुद्दे ===
इस समस्या का विस्तृतीकरण करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के सह लेखक, हेन्निंग स्टेनफेल्ड, ने कहा "आज की सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के लिए पशुधन सबसे मुख्य हैं।"<ref>[100] ^ http://www।fao।org/newsroom/en/news/2006/1000448/index।html</ref> पशुधन उत्पादन कृषि के लिए उपयुक्त भूमि का 70% भाग घेरता है, अथवा पूरे ग्रह की भूमि सतह का 30% भाग घेरता है।<ref name="LEAD">[101] ^ स्टेनफेल्ड, एच। पी। जर्बर, टी। वास्सेनार, वी। कास्टल, एम। रोजेल्स और सी डी हान। २००६)। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन। रोम, इटली [http://www।virtualcentre।org/en/library/key_pub/longshad/A0701E00.pdf "लाइवस्टोक्स लॉन्ग शेडो- ] पर्यावरणीय मुद्दे और विकल्प।" 5 दिसम्बर 2008 को पुनः प्राप्त</ref> यह हरित गृह गैसों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, दुनिया के कुल हरित गृह गैस उत्सर्जन के 18% के लिए जिम्मेदार है, यह CO<sub>2</sub>समकक्ष में मापा गया है।
इस समस्या का विस्तृतीकरण करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के सह लेखक, हेन्निंग स्टेनफेल्ड, ने कहा "आज की सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के लिए पशुधन सबसे मुख्य हैं।"<ref>[100] ^ http://www।fao।org/newsroom/en/news/2006/1000448/index।html{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> पशुधन उत्पादन कृषि के लिए उपयुक्त भूमि का 70% भाग घेरता है, अथवा पूरे ग्रह की भूमि सतह का 30% भाग घेरता है।<ref name="LEAD">[101] ^ स्टेनफेल्ड, एच। पी। जर्बर, टी। वास्सेनार, वी। कास्टल, एम। रोजेल्स और सी डी हान। २००६)। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन। रोम, इटली [http://www।virtualcentre।org/en/library/key_pub/longshad/A0701E00.pdf "लाइवस्टोक्स लॉन्ग शेडो- ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} पर्यावरणीय मुद्दे और विकल्प।" 5 दिसम्बर 2008 को पुनः प्राप्त</ref> यह हरित गृह गैसों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, दुनिया के कुल हरित गृह गैस उत्सर्जन के 18% के लिए जिम्मेदार है, यह CO<sub>2</sub>समकक्ष में मापा गया है।


तुलना के द्वारा, सम्पूर्ण परिवहन 13। 5% CO<sub>2</sub> का उत्सर्जन करता है। यह 65% मानव से संबंधित नाइट्रस ऑक्साइड का (जिसकी ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता CO<sub>2</sub> से 296 गुना है) और कुल प्रेरित मीथेन के 37% का उत्पादन करता है (जो CO<sub>2</sub> से 23 गुना अधिक वार्मिंग का कारण है)
तुलना के द्वारा, सम्पूर्ण परिवहन 13। 5% CO<sub>2</sub> का उत्सर्जन करता है। यह 65% मानव से संबंधित नाइट्रस ऑक्साइड का (जिसकी ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता CO<sub>2</sub> से 296 गुना है) और कुल प्रेरित मीथेन के 37% का उत्पादन करता है (जो CO<sub>2</sub> से 23 गुना अधिक वार्मिंग का कारण है)
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मनुष्यों द्वारा रूपांतरित भूमि की मात्रा का अनुमान 39 से 50% तक लगाया गया है।<ref name="Vitousek">[103] ^ वितौसेक, पी। एम। एच ऐ मूनी, जे लुबचेंसो और जे एम मेलिलो।
मनुष्यों द्वारा रूपांतरित भूमि की मात्रा का अनुमान 39 से 50% तक लगाया गया है।<ref name="Vitousek">[103] ^ वितौसेक, पी। एम। एच ऐ मूनी, जे लुबचेंसो और जे एम मेलिलो।


1997पृथ्वी के परितंत्र का मानव प्रभुत्व। विज्ञान 277:494-499।</ref> [[भूमि क्षरण]], जो परितंत्र प्रणाली और उत्पादकता में दीर्घकालिक गिरावट है, अनुमान के अनुसार यह पूरी दुनिया में 24% भूमि पर हो रहा है, जिसमें फसली भूमि भी शामिल है।<ref name="FAO GLADA">[104] ^ बाई, ZG, डीएल दंत, एल ओल्सोन और एम ई शापमेन 2008। भूमि क्षरण और सुधार का विश्वस्तरीय मूल्यांकन 1: सुदूर संवेदन द्वारा पहचान। रिपोर्ट 2008/01, FAO/ ISRIC - रोम / वाजेनिंगन [http://www।fao।org/newsroom/en/news/2008/1000874/index।html "लैंड डीग्रेडेशन ओन दी राईस"] से 5 दिसम्बर 2008 को पुनः प्राप्त।</ref> UN-FAO की रिपोर्ट में भूमि प्रबंधन को इस अवनमन के पीछे मुख्य कारक माना गया है और रिपोर्ट में कहा गया है कि 1। 5 बिलियन लोग अवनमित हो रही भूमि पर निर्भर हैं।
1997पृथ्वी के परितंत्र का मानव प्रभुत्व। विज्ञान 277:494-499।</ref> [[भूमि क्षरण]], जो परितंत्र प्रणाली और उत्पादकता में दीर्घकालिक गिरावट है, अनुमान के अनुसार यह पूरी दुनिया में 24% भूमि पर हो रहा है, जिसमें फसली भूमि भी शामिल है।<ref name="FAO GLADA">[104] ^ बाई, ZG, डीएल दंत, एल ओल्सोन और एम ई शापमेन 2008। भूमि क्षरण और सुधार का विश्वस्तरीय मूल्यांकन 1: सुदूर संवेदन द्वारा पहचान। रिपोर्ट 2008/01, FAO/ ISRIC - रोम / वाजेनिंगन [http://www।fao।org/newsroom/en/news/2008/1000874/index।html "लैंड डीग्रेडेशन ओन दी राईस"]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} से 5 दिसम्बर 2008 को पुनः प्राप्त।</ref> UN-FAO की रिपोर्ट में भूमि प्रबंधन को इस अवनमन के पीछे मुख्य कारक माना गया है और रिपोर्ट में कहा गया है कि 1। 5 बिलियन लोग अवनमित हो रही भूमि पर निर्भर हैं।


क्षरण [[वनों की कटाई]] से हो सकता है, [[मरुस्थलीकरण]] से हो सकता है, [[मृदा अपरदन]] से हो सकता है, खनिज रिक्तीकरण से हो सकता है, या रासायनिक पतन (अम्लीकरण और [[लावणीकरण|लवणीकरण]]) से हो सकता है।<ref name="CS"/>
क्षरण [[वनों की कटाई]] से हो सकता है, [[मरुस्थलीकरण]] से हो सकता है, [[मृदा अपरदन]] से हो सकता है, खनिज रिक्तीकरण से हो सकता है, या रासायनिक पतन (अम्लीकरण और [[लावणीकरण|लवणीकरण]]) से हो सकता है।<ref name="CS"/>
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=== कीटनाशक ===
=== कीटनाशक ===
कीटनाशक का प्रयोग 1950 के बाद से बढ़ कर पूरी दुनिया में सालाना 2। 5 मिलियन टन तक पहुँच गया है। फिर भी कीटों के कारण फसलों की क्षति अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है।<ref name="Pimentel pesticide">[107] ^ पिमेंटेल, दी टी डबल्यू कुलिने और टी। बशोर। 1996 [http://ipmworld।umn।edu/chapters/pimentel।htm "रेडक्लिफे की IPM वर्ल्ड टेक्स्ट बुक में भोजन में कीटनाशकों और प्राकृतिक विषों से सम्बंधित सार्वजानिक स्वास्थ्य जोखिम"] 7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।
कीटनाशक का प्रयोग 1950 के बाद से बढ़ कर पूरी दुनिया में सालाना 2। 5 मिलियन टन तक पहुँच गया है। फिर भी कीटों के कारण फसलों की क्षति अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है।<ref name="Pimentel pesticide">[107] ^ पिमेंटेल, दी टी डबल्यू कुलिने और टी। बशोर। 1996 [http://ipmworld।umn।edu/chapters/pimentel।htm "रेडक्लिफे की IPM वर्ल्ड टेक्स्ट बुक में भोजन में कीटनाशकों और प्राकृतिक विषों से सम्बंधित सार्वजानिक स्वास्थ्य जोखिम"]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} 7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध।</ref> विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1992 में अनुमान लगाया कि सालाना 3 मिलियन कीटनाशक विषिकरण होते हैं, जिनके कारण 220,000 मौतें होती हैं।<ref name="WHO">[108] ^ डब्ल्यूएचओ। 1992। हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर WHU कमीशन की रिपोर्ट। जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन।</ref> कीटों की आबादी में [[कीटनाशक प्रतिरोध]] के लिए कीटनाशक का चयन, एक स्थिति को जन्म देता है, जिसे 'कीटनाशक ट्रेडमिल' कहा जाता है, जिसमें कीटनाशक प्रतिरोध एक नए कीटनाशक के विकास की वारंटी देता है।<ref name="CS Pest">[109] ^ क्रिसपिल्स, एम जे और डी ई सदावा। 1994 कीट नियंत्रण के लिए रणनीतियां पी पी 355-383 "पादप, जीन और कृषि में"। जोन्स और बार्टलेट प्रकाशक, बोस्टन, MA।</ref> एक वैकल्पिक तर्क यह है कि 'वातावरण की रक्षा करने' और अकाल को रोकने का एक तरीका है कीटनाशकों का उपयोग करना और गहन उच्च उत्पादकता खेती। सेंटर फॉर ग्लोबल फ़ूड इशूज वेबसाईट का एक शीर्षक: 'ग्रोइंग मोर पर एकर लीव्ज मोर लैंड फॉर नेचर'। इसी प्रकार का एक दृष्टिकोण देता है।<ref name="DAvery">[110] ^ अवेरी, डीटी 2000। गृह को कीटनाशकों और प्लास्टिक से बचाना: उच्च उत्पादकता कृषि की पर्यावरणी विजय
</ref> विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1992 में अनुमान लगाया कि सालाना 3 मिलियन कीटनाशक विषिकरण होते हैं, जिनके कारण 220,000 मौतें होती हैं।<ref name="WHO">[108] ^ डब्ल्यूएचओ। 1992। हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर WHU कमीशन की रिपोर्ट। जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन।</ref> कीटों की आबादी में [[कीटनाशक प्रतिरोध]] के लिए कीटनाशक का चयन, एक स्थिति को जन्म देता है, जिसे 'कीटनाशक ट्रेडमिल' कहा जाता है, जिसमें कीटनाशक प्रतिरोध एक नए कीटनाशक के विकास की वारंटी देता है।<ref name="CS Pest">[109] ^ क्रिसपिल्स, एम जे और डी ई सदावा। 1994 कीट नियंत्रण के लिए रणनीतियां पी पी 355-383 "पादप, जीन और कृषि में"। जोन्स और बार्टलेट प्रकाशक, बोस्टन, MA।</ref> एक वैकल्पिक तर्क यह है कि 'वातावरण की रक्षा करने' और अकाल को रोकने का एक तरीका है कीटनाशकों का उपयोग करना और गहन उच्च उत्पादकता खेती। सेंटर फॉर ग्लोबल फ़ूड इशूज वेबसाईट का एक शीर्षक: 'ग्रोइंग मोर पर एकर लीव्ज मोर लैंड फॉर नेचर'। इसी प्रकार का एक दृष्टिकोण देता है।<ref name="DAvery">[110] ^ अवेरी, डीटी 2000। गृह को कीटनाशकों और प्लास्टिक से बचाना: उच्च उत्पादकता कृषि की पर्यावरणी विजय


हडसन संस्थान, इंडियनपोलिस, IN।</ref><ref>[111] ^ विश्वस्तरीय खाद्य मुद्दों के लिए केंद्र। चर्चविले, VA। [http://www।cgfi।org "][http://www।cgfi।org विश्वस्तरीय खाद्य मुद्दों के लिए केंद्र ][http://www।cgfi।org ] 7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref> यद्यपि आलोचकों का तर्क है कि भोजन की आवश्यकता और पर्यावरण के बीच एक ट्रेडऑफ़ अपरिहार्य नहीं है<ref name="WH">[112] ^ लप्पे, एफएम, जे कोलिन्स और पी। रोस्सेट। 1998मिथक 4: खाद्य बनाम हमारा पर्यावरण पीपी। 42-57 "वर्ल्ड हंगर, ट्वेल्व मिथ्स" ग्रोव प्रेस, न्यूयॉर्क, NY।</ref> और यह भी कि कीटनाशक साधारण रूप से अच्छी एग्रोनोमिक प्रथाओं जैसे फसल पुनरावर्तन को प्रतिस्थापित करते हैं।<ref name="CS Pest" />
हडसन संस्थान, इंडियनपोलिस, IN।</ref><ref>[111] ^ विश्वस्तरीय खाद्य मुद्दों के लिए केंद्र। चर्चविले, VA। [http://www।cgfi।org "]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}[http://www।cgfi।org विश्वस्तरीय खाद्य मुद्दों के लिए केंद्र ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}[http://www।cgfi।org ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} 7 दिसम्बर 2008 को उपलब्ध</ref> यद्यपि आलोचकों का तर्क है कि भोजन की आवश्यकता और पर्यावरण के बीच एक ट्रेडऑफ़ अपरिहार्य नहीं है<ref name="WH">[112] ^ लप्पे, एफएम, जे कोलिन्स और पी। रोस्सेट। 1998मिथक 4: खाद्य बनाम हमारा पर्यावरण पीपी। 42-57 "वर्ल्ड हंगर, ट्वेल्व मिथ्स" ग्रोव प्रेस, न्यूयॉर्क, NY।</ref> और यह भी कि कीटनाशक साधारण रूप से अच्छी एग्रोनोमिक प्रथाओं जैसे फसल पुनरावर्तन को प्रतिस्थापित करते हैं।<ref name="CS Pest" />


=== जलवायु परिवर्तन ===
=== जलवायु परिवर्तन ===
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आर्थिक विकास, जनसंख्या घनत्व और संस्कृति में अंतर का अर्थ है कि दुनिया भर के किसान बहुत अलग अलग परिस्थितियों में काम करते हैं।
आर्थिक विकास, जनसंख्या घनत्व और संस्कृति में अंतर का अर्थ है कि दुनिया भर के किसान बहुत अलग अलग परिस्थितियों में काम करते हैं।


को अमरीकी डालर 230 [119]<ref name="BBC">{{cite news | title=Cotton subsidies squeeze Mali| publisher= बीबीसी न्यूज़, Africa| url = http://news।bbc।co।uk/2/hi/africa/3027079।stm | accessdate = 18 फरवरी 2009
को अमरीकी डालर 230 [119]<ref name="BBC">{{cite news| title=Cotton subsidies squeeze Mali| publisher=बीबीसी न्यूज़, Africa| url=http://news।bbc।co।uk/2/hi/africa/3027079।stm| accessdate=18 फरवरी 2009}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> सरकारी सब्सिडी (2003 में), माली और अन्य तीसरी दुनिया के देशों में किसानों को हो बिना लगाया प्राप्त हो सकती है। जब कीमतों में कमी आती है, बहुत अधिक सब्सिडी प्राप्त करने वाले संयुक्त राज्य के किसान पर अपने उत्पादन को कम करने का दबाव नहीं होता है। जिससे कपास की कीमतों को बनाये रखना मुश्किल हो जाता है, इसी समय में
}}</ref> सरकारी सब्सिडी (2003 में), माली और अन्य तीसरी दुनिया के देशों में किसानों को हो बिना लगाया प्राप्त हो सकती है। जब कीमतों में कमी आती है, बहुत अधिक सब्सिडी प्राप्त करने वाले संयुक्त राज्य के किसान पर अपने उत्पादन को कम करने का दबाव नहीं होता है। जिससे कपास की कीमतों को बनाये रखना मुश्किल हो जाता है, इसी समय में


दक्षिण कोरिया में एक पशु किसान, एक बछडे के लिए (बहुत अधिक सब्सिडी से युक्त) 1300 अमेरिकी डॉलर बिक्री मूल्य की गणना कर सकता है।<ref name="beefsite">{{cite news | publisher= megaagro।com।uy | url = http://www।megaagro।com।uy/scripts/templates/portada।asp?nota=portada/faena| accessdate = 18 फरवरी 2009}}</ref> एक दक्षिण अमेरिकी मेर्कोसुर कंट्री रेंचर एक बछडे के लिए 120-200 अमेरिकी डॉलर बिक्री मूल्य की गणना कर सकता है (दोनों 2008 के आंकड़े)।<ref name="megaagro">{{cite news| title= mercado de faena| language = es| publisher= megaagro।com।uy | url = http://www।megaagro।com।uy/scripts/templates/portada।asp?nota=portada/faena| accessdate = 18 फरवरी 2009}}</ref>
दक्षिण कोरिया में एक पशु किसान, एक बछडे के लिए (बहुत अधिक सब्सिडी से युक्त) 1300 अमेरिकी डॉलर बिक्री मूल्य की गणना कर सकता है।<ref name="beefsite">{{cite news| publisher = megaagro।com।uy| url = http://www।megaagro।com।uy/scripts/templates/portada।asp?nota=portada/faena| accessdate = 18 फरवरी 2009}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> एक दक्षिण अमेरिकी मेर्कोसुर कंट्री रेंचर एक बछडे के लिए 120-200 अमेरिकी डॉलर बिक्री मूल्य की गणना कर सकता है (दोनों 2008 के आंकड़े)।<ref name="megaagro">{{cite news| title = mercado de faena| language = es| publisher = megaagro।com।uy| url = http://www।megaagro।com।uy/scripts/templates/portada।asp?nota=portada/faena| accessdate = 18 फरवरी 2009}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
पहले वाली स्थिति में, भूमि की उंची लागत की क्षतिपूर्ति सार्वजनिक सब्सिडी के द्वारा की जाती है। बाद वाली स्थिति में, सब्सिडी के अभाव की क्षतिपूर्ति भूमि की कम लागत और पैमाने के अर्थशास्त्र के साथ की जाती है।
पहले वाली स्थिति में, भूमि की उंची लागत की क्षतिपूर्ति सार्वजनिक सब्सिडी के द्वारा की जाती है। बाद वाली स्थिति में, सब्सिडी के अभाव की क्षतिपूर्ति भूमि की कम लागत और पैमाने के अर्थशास्त्र के साथ की जाती है।


चीन के गणवादी राज्य में, एक ग्रामीण घरेलु उत्पादक संपत्ति, खेती की भूमि का एक हेक्टेयर हो सकती है।<ref name="Kansas">{{cite news | title= China: Feeding a Huge Population| publisher= Kansas-Asia (ONG)| url = http://www।asiakan।org/china/china_ag_intro।shtml|quote= average farming household in China now cultivates about one hectare| accessdate = 18 फरवरी 2009}}</ref>
चीन के गणवादी राज्य में, एक ग्रामीण घरेलु उत्पादक संपत्ति, खेती की भूमि का एक हेक्टेयर हो सकती है।<ref name="Kansas">{{cite news| title= China: Feeding a Huge Population| publisher= Kansas-Asia (ONG)| url= http://www।asiakan।org/china/china_ag_intro।shtml| quote= average farming household in China now cultivates about one hectare| accessdate= 18 फरवरी 2009}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
ब्राजील, पेराग्वे और अन्य देश जहां स्थानीय विधायिका ऐसी खरीद की अनुमति देती है, अंतरराष्ट्रीय निवेशक प्रति हेक्टेयर कुछ सौ अमेरिकी डॉलर की कीमत पर हजारों हेक्टेयर कच्ची भूमि या खेती की भूमि खरीदते हैं।<ref name="Paraguay">{{cite news | title= Paraguay farmland real estate| publisher= Peer Voss| url = http://www।ventacamposparaguay।com/farmland।htm |accessdate = 18 फरवरी 2009}}</ref><ref>{{cite news | title = Cada vez más Uruguayos compran campos Guaranés (।।no hay tierras en
ब्राजील, पेराग्वे और अन्य देश जहां स्थानीय विधायिका ऐसी खरीद की अनुमति देती है, अंतरराष्ट्रीय निवेशक प्रति हेक्टेयर कुछ सौ अमेरिकी डॉलर की कीमत पर हजारों हेक्टेयर कच्ची भूमि या खेती की भूमि खरीदते हैं।<ref name="Paraguay">{{cite news| title= Paraguay farmland real estate| publisher= Peer Voss| url= http://www।ventacamposparaguay।com/farmland।htm| accessdate= 18 फरवरी 2009}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>{{cite news| title = Cada vez más Uruguayos compran campos Guaranés (।।no hay tierras en
el mundo que se compren a los precious de Paraguay।।।)| language = es| publisher = Consejo de Educacion Secundaria de Uruguay| date = 26 जून 2008| url = http://www।ces।edu।uy/Relaciones_Publicas/BoletinPrensa/2007-08/20070824.pdf }}</ref><ref name="Brazil">{{cite news | title= Brazil frontier farmland| publisher= AgBrazil| url = http://agbrazil।com/frontier_land_for_sale।htm| accessdate = 18 फरवरी 2009}}</ref>
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== कृषि और पेट्रोलियम ==
== कृषि और पेट्रोलियम ==
सन् 1940 के दशक के बाद से, बड़े पैमाने पर पेट्रोकेमिकल व्युत्पन्न [[कीटनाशक|कीटनाशकों]], उर्वरकों के उपयोग और [[मशीनीकरण]] के बढ़ने के कारण, (तथाकथित [[हरित क्रांति]]) कृषि की उत्पादकता में नाटकीय ढंग से वृद्धि हुई है।
सन् 1940 के दशक के बाद से, बड़े पैमाने पर पेट्रोकेमिकल व्युत्पन्न [[कीटनाशक|कीटनाशकों]], उर्वरकों के उपयोग और [[मशीनीकरण]] के बढ़ने के कारण, (तथाकथित [[हरित क्रांति]]) कृषि की उत्पादकता में नाटकीय ढंग से वृद्धि हुई है।
1950 और 1984 के बीच, जैसे जैसे हरित क्रांति ने पूरी दुनिया में कृषि को रूपांतरित किया, दुनिया का अनाज उत्पादन 250% तक बढ़ गया।<ref>[132] ^ [http://news।bbc।co।uk/2/hi/in_depth/6496585।stm एक हरित क्रांति की सीमा?]</ref><ref>[133] ^ [http://www।energybulletin।net/19525।html असली हरित क्रांति]</ref> जिसने पिछले 50 सालों में [[दुनिया की आबादी]] को दोगुने से अधिक बढ़ने की अनुमति दी है।
1950 और 1984 के बीच, जैसे जैसे हरित क्रांति ने पूरी दुनिया में कृषि को रूपांतरित किया, दुनिया का अनाज उत्पादन 250% तक बढ़ गया।<ref>[132] ^ [http://news।bbc।co।uk/2/hi/in_depth/6496585।stm एक हरित क्रांति की सीमा?]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[133] ^ [http://www।energybulletin।net/19525।html असली हरित क्रांति]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> जिसने पिछले 50 सालों में [[दुनिया की आबादी]] को दोगुने से अधिक बढ़ने की अनुमति दी है।


हालांकि, आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए उगाये गए भोजन के लिए ऊर्जा की प्रत्येक इकाई को उत्पादन और डिलीवरी के लिए दस से अधिक उर्जा इकाइयों की जरुरत होती है।<ref name="Pimentel1994">{{cite web
हालांकि, आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए उगाये गए भोजन के लिए ऊर्जा की प्रत्येक इकाई को उत्पादन और डिलीवरी के लिए दस से अधिक उर्जा इकाइयों की जरुरत होती है।<ref name="Pimentel1994">{{cite web
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|title=Food, Land, Population and the U।S। Economy, Executive Summary
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|author=Pimentel, David and Giampietro, Mario
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|date=21 नवंबर 1994
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}}</ref> यद्यपि यह आंकडा पेट्रोलियम आधारित कृषि के समर्थन का विरोधी है।<ref>
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|author=Abernethy, Virginia Deane
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|journal=Ethics in science and environmental politics
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|date=23 जनवरी 2001
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|title=Carrying capacity: the tradition and policy implications of limits
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}}</ref> इस ऊर्जा इनपुट का अधिकांश भाग जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है। आधुनिक कृषि की पेट्रोरसायन और मशीनीकरण पर बहुत अधिक निर्भरता के कारण, ऐसी चेतावनियां दी गयीं हैं कि तेल की कम होती हुई आपूर्ति (नाटकीय प्रवृति जो [[पीक का तेल|पीक तेल]] के रूप में जानी जाती है<ref name="deffeyes012007">
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|title=Current Events - Join us as we watch the crisis unfolding
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पंक्ति 399: पंक्ति 392:
|publisher=[[Princeton University|Princeton University: Beyond Oil]]
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|author=Kenneth S। Deffeyes
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|title=Yes, We're in Peak Oil Today
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|date=22 अक्टूबर 2007
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|title=World Production and Peaking Outlook
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|publisher=Stichting Peakoil Nederland
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|author=Rembrandt H।E।M। Koppelaar
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|date=2006-09
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}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>) आधुनिक औद्योगिक कृषि व्यवस्था को बहुत अधिक क्षति पहुंचायेगी और यह भोजन की एक बड़ी कमी पैदा कर सकती है।<ref>(20 से अधिक लेखों और पुस्तकों की एक सूची जो इस थीसिस का समर्थन करती है, इसे [http://dieoff।org/ यहां]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} "भोजन, भूमि, जल और जनसंख्या" के भाग में पाया जा सकता है।)</ref>
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आधुनिक या औद्योगिक कृषि दो मौलिक तरीकों से पेट्रोलियम पर निर्भर करती है: 1) खेती-बीज से फसल उगा कर कटाई करना। 2) परिवहन-कटाई करके उपभोक्ता के फ्रिज तक पहुँचाना। इस प्रक्रिया में ट्रैक्टर व खेतों में जुताई के लिए काम में लिए जाने वाले उपकरणों को ईंधन उपलब्ध कराने के लिए, प्रति नागरिक प्रति वर्ष लगभग 400 गैलन तेल प्रयुक्त होता है। यह देश के कुल उर्जा उपयोग का 17 प्रतिशत है।<ref>[149] ^ डेविड पिमेंटेल, मेरिको पिमेंटेल और मरिंने करपनस्टेन-मचान, "कृषि में ऊर्जा का उपयोग : एक अवलोकन," dspace।library।cornell।edu/bitstream/1813/118/3/Energy.PDF।</ref> तेल और प्राकृतिक गैस भी खेतों में प्रयुक्त किये जाने वाले उर्वरकों, कीटनाशकों और शाक विनाशियों के निर्माण ब्लॉक हैं।
आधुनिक या औद्योगिक कृषि दो मौलिक तरीकों से पेट्रोलियम पर निर्भर करती है: 1) खेती-बीज से फसल उगा कर कटाई करना। 2) परिवहन-कटाई करके उपभोक्ता के फ्रिज तक पहुँचाना। इस प्रक्रिया में ट्रैक्टर व खेतों में जुताई के लिए काम में लिए जाने वाले उपकरणों को ईंधन उपलब्ध कराने के लिए, प्रति नागरिक प्रति वर्ष लगभग 400 गैलन तेल प्रयुक्त होता है। यह देश के कुल उर्जा उपयोग का 17 प्रतिशत है।<ref>[149] ^ डेविड पिमेंटेल, मेरिको पिमेंटेल और मरिंने करपनस्टेन-मचान, "कृषि में ऊर्जा का उपयोग : एक अवलोकन," dspace।library।cornell।edu/bitstream/1813/118/3/Energy.PDF।</ref> तेल और प्राकृतिक गैस भी खेतों में प्रयुक्त किये जाने वाले उर्वरकों, कीटनाशकों और शाक विनाशियों के निर्माण ब्लॉक हैं।
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आधुनिक कार्बनिक खेती की विधियों का उपयोग करने वाले कुछ किसानों नें पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक उत्पादन किया है। (लेकिन इसमें जीवाश्म-ईंधन-गहन कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया गया है)
आधुनिक कार्बनिक खेती की विधियों का उपयोग करने वाले कुछ किसानों नें पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक उत्पादन किया है। (लेकिन इसमें जीवाश्म-ईंधन-गहन कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया गया है)


पेट्रोलियम आधारित तकनीक के द्वारा [[मोनो कल्चर|मोनोकल्चर]] कृषि तकनीक के दौरान खोये जा चुके पोषकों को पुनः मृदा में लाने के लिए कंडिशनिंग में समय लगेगा।<ref>[152] ^ [http://www।biotech-info।net/Alex_Avery।html कार्बनिक कृषि की वास्तविकताएं]</ref><ref>[153] ^ http://extension।agron।iastate।edu/organicag/researchreports/nk01ltar.pdf</ref><ref>[154] ^ [http://www।cnr।berkeley।edu/~christos/articles/cv_organic_farming।html कार्बनिक कृषि पूरी दुनिया को भोजन उपलब्ध करा सकती है!]</ref><ref>[155] ^ [http://www।terradaily।com/news/farm-05c।html कार्बनिक खेत कम उर्जा और जल का उपयोग करते हैं।]</ref>
पेट्रोलियम आधारित तकनीक के द्वारा [[मोनो कल्चर|मोनोकल्चर]] कृषि तकनीक के दौरान खोये जा चुके पोषकों को पुनः मृदा में लाने के लिए कंडिशनिंग में समय लगेगा।<ref>[152] ^ [http://www।biotech-info।net/Alex_Avery।html कार्बनिक कृषि की वास्तविकताएं]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[153] ^ http://extension।agron।iastate।edu/organicag/researchreports/nk01ltar.pdf{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[154] ^ [http://www।cnr।berkeley।edu/~christos/articles/cv_organic_farming।html कार्बनिक कृषि पूरी दुनिया को भोजन उपलब्ध करा सकती है!]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[155] ^ [http://www।terradaily।com/news/farm-05c।html कार्बनिक खेत कम उर्जा और जल का उपयोग करते हैं।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
तेल पर निर्भरता और अमेरिका की खाद्य आपूर्ति के जोखिम ने एक जागरूक खपत आंदोलन शुरू किया है, जिसमें उपभोक्ता उन "खाद्य मीलों" की गणना करते हैं, जो एक खाद्य उत्पाद ने यात्रा के दौरान तय किये हैं। स्थायी कृषि के लिए लेओपोल्ड केंद्र एक खाद्य मील को निम्नानुसार परिभाषित करता है:"।।।।।।। उगाये जाने वाले स्थान से उपभोक्ता या अंतिम उपयोगकर्ता द्वारा अंततः ख़रीदे जाने वाले स्थान तक भोजन की यात्रा।"
तेल पर निर्भरता और अमेरिका की खाद्य आपूर्ति के जोखिम ने एक जागरूक खपत आंदोलन शुरू किया है, जिसमें उपभोक्ता उन "खाद्य मीलों" की गणना करते हैं, जो एक खाद्य उत्पाद ने यात्रा के दौरान तय किये हैं। स्थायी कृषि के लिए लेओपोल्ड केंद्र एक खाद्य मील को निम्नानुसार परिभाषित करता है:"।।।।।।। उगाये जाने वाले स्थान से उपभोक्ता या अंतिम उपयोगकर्ता द्वारा अंततः ख़रीदे जाने वाले स्थान तक भोजन की यात्रा।"
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पीक तेल मुद्दों के कारण होने वाली श्रृंखला अभिक्रियाओं के एक उदाहरण में शामिल है किसानों के द्वारा [[पीक के तेल का शमन|पीक तेल की समस्या को कम करने]] के लिए मक्के जैसी फसलें उगाने का प्रयास।
पीक तेल मुद्दों के कारण होने वाली श्रृंखला अभिक्रियाओं के एक उदाहरण में शामिल है किसानों के द्वारा [[पीक के तेल का शमन|पीक तेल की समस्या को कम करने]] के लिए मक्के जैसी फसलें उगाने का प्रयास।


इसने पहले से ही खाद्य उत्पादन को कम कर दिया है।<ref name="un warning">[http://www।finfacts।com/irelandbusinessnews/publish/article_1011078।shtml गेंहू के मूल्य में रिकार्ड वृद्धि के कारण संयुक्त राष्ट्र ने ये चेतावनी जारी की कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें विकासशील देशों में सामाजिक अशांति पैदा कर सकती हैं।]</ref> यह भोजन बनाम ईंधन मुद्दा और भी बुरी स्थिति धारण कर लेगा जब [[खाद्य बनाम ईंधन|इथेनॉल ईंधन]] की मांग बढ़ जायेगी। भोजन और ईंधन की बढ़ती लागत ने पहले से ही भूखमरी से पीड़ित लोगों को खाद्य सहायता भेजने वाले कुछ धर्मार्थ दाताओं की क्षमता को सीमित कर दिया है।<ref name="nnxnwc"/> संयुक्त राष्ट्र में कुछ लोग चेतावनी देते हैं कि हाल ही में गेहूं की कीमत में हुई 60% वृद्धि "विकासशील देशों में गंभीर सामाजिक अशांति पैदा कर सकती है"<ref name="un warning"/><ref name="bradsher012008">{{cite web
इसने पहले से ही खाद्य उत्पादन को कम कर दिया है।<ref name="un warning">[http://www।finfacts।com/irelandbusinessnews/publish/article_1011078।shtml गेंहू के मूल्य में रिकार्ड वृद्धि के कारण संयुक्त राष्ट्र ने ये चेतावनी जारी की कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें विकासशील देशों में सामाजिक अशांति पैदा कर सकती हैं।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> यह भोजन बनाम ईंधन मुद्दा और भी बुरी स्थिति धारण कर लेगा जब [[खाद्य बनाम ईंधन|इथेनॉल ईंधन]] की मांग बढ़ जायेगी। भोजन और ईंधन की बढ़ती लागत ने पहले से ही भूखमरी से पीड़ित लोगों को खाद्य सहायता भेजने वाले कुछ धर्मार्थ दाताओं की क्षमता को सीमित कर दिया है।<ref name="nnxnwc"/> संयुक्त राष्ट्र में कुछ लोग चेतावनी देते हैं कि हाल ही में गेहूं की कीमत में हुई 60% वृद्धि "विकासशील देशों में गंभीर सामाजिक अशांति पैदा कर सकती है"<ref name="un warning"/><ref name="bradsher012008">{{cite web
|url=http://www।nytimes।com/2008/01/19/business/worldbusiness/19palmoil।html?em&ex=1200978000&en=0428f9e64240cc22&ei=5087%0A
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|title=A New, Global Oil Quandary: Costly Fuel Means Costly Calories
|title=A New, Global Oil Quandary: Costly Fuel Means Costly Calories
|author=Keith Bradsher
|author=Keith Bradsher
|date= जनवरी 19, 2008
|date=जनवरी 19, 2008
|publisher=[[New York Times]]
|publisher=[[New York Times]]
}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> 2007 में, किसानों को गैर खाद्य [[जैविक ईंधन]] फसलें उगाने के लिए दिए गए अतिरिक्त भत्ते<ref>[166] ^ [http://www।sundayherald।com/news/heraldnews/display।var। 2104849। 0। 2008_the_year_of_global_food_crisis।php 2008:वैश्विक खाद्य संकट का वर्ष]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> अन्य कारकों के साथ संयुक्त हो गए, (जैसे पूर्व खेत की भूमि का अतिरिक्त विकास, स्थानान्तरण की लागत का बढ़ना, [[जलवायु परिवर्तन]], चीन और भारत में ग्राहक की मांग का बढ़ना और [[जनसंख्या वृद्धि|जनसंख्या में वृद्धि]])<ref>[167] ^ [http://www।csmonitor।com/2008/0118/p08s01-comv।html वैश्विक अनाज बुलबुला]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> जिससे एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और मैक्सिको, में [[खाद्य सुरक्षा|खाद्य की मात्रा में कमी]] आ गयी, साथ ही विश्व भर में [[भोजन|खाद्य]] की कीमतें बढ़ गयीं।<ref>[168] ^ [http://news।bbc।co।uk/1/hi/world/7284196।stm भोजन की लागत: तथ्य और आंकड़े]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[169] ^ [http://www।time।com/time/world/article/0,8599,1717572,00।html दुनिया में खाद्य कीमत के बढ़ने का संकट]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}।</ref> दिसंबर 2007 में 37 देशों ने खाद्य संकट का सामना किया और 20 ने किसी प्रकार के खाद्य कीमत नियंत्रण को लागू कर दिया।
}}</ref> 2007 में, किसानों को गैर खाद्य [[जैविक ईंधन]] फसलें उगाने के लिए दिए गए अतिरिक्त भत्ते<ref>[166] ^ [http://www।sundayherald।com/news/heraldnews/display।var। 2104849। 0। 2008_the_year_of_global_food_crisis।php 2008:वैश्विक खाद्य संकट का वर्ष]</ref> अन्य कारकों के साथ संयुक्त हो गए, (जैसे पूर्व खेत की भूमि का अतिरिक्त विकास, स्थानान्तरण की लागत का बढ़ना, [[जलवायु परिवर्तन]], चीन और भारत में ग्राहक की मांग का बढ़ना और [[जनसंख्या वृद्धि|जनसंख्या में वृद्धि]])<ref>[167] ^ [http://www।csmonitor।com/2008/0118/p08s01-comv।html वैश्विक अनाज बुलबुला]</ref> जिससे एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और मैक्सिको, में [[खाद्य सुरक्षा|खाद्य की मात्रा में कमी]] आ गयी, साथ ही विश्व भर में [[भोजन|खाद्य]] की कीमतें बढ़ गयीं।<ref>[168] ^ [http://news।bbc।co।uk/1/hi/world/7284196।stm भोजन की लागत: तथ्य और आंकड़े]</ref><ref>[169] ^ [http://www।time।com/time/world/article/0,8599,1717572,00।html दुनिया में खाद्य कीमत के बढ़ने का संकट]।</ref> दिसंबर 2007 में 37 देशों ने खाद्य संकट का सामना किया और 20 ने किसी प्रकार के खाद्य कीमत नियंत्रण को लागू कर दिया।


इनमें से कुछ कमियों के परिणाम स्वरुप [[2007 - 2008 विश्व खाद्य कीमत का संकट|खाद्य दंगे]] हुए और घटक भगदड़ भी मच गयी।<ref name="guardian।co।uk"/><ref name="timesonline।co।uk"/><ref>[172] ^ [http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations फीड दी वर्ल्ड?][http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations हम एक हारी हुई जंग लड़ रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा ]</ref>
इनमें से कुछ कमियों के परिणाम स्वरुप [[2007 - 2008 विश्व खाद्य कीमत का संकट|खाद्य दंगे]] हुए और घटक भगदड़ भी मच गयी।<ref name="guardian।co।uk"/><ref name="timesonline।co।uk"/><ref>[172] ^ [http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations फीड दी वर्ल्ड?]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}[http://www।guardian।co।uk/environment/2008/feb/26/food।unitednations हम एक हारी हुई जंग लड़ रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>


कृषि क्षेत्र में एक अन्य प्रमुख पेट्रोलियम मुद्दा है पेट्रोलियम आपूर्ति का प्रभाव उर्वरक उत्पादन पर पड़ेगा। कृषि में जीवाश्म ईंधन का सबसे ज्यादा इनपुट है [[हेबर प्रक्रिया|हाबर-बोश]] उर्वरक निर्माण प्रक्रिया के लिए एक हाइड्रोजन स्रोत के रूप में प्राकृत गैस का उपयोग,<ref>[173] ^ कच्चे माल के भंडार - इंटरनेशनल उर्वरक उद्योग एसोसिएशन [http://www।fertilizer।org/ifa/statistics/indicators/ind_reserves।asp http://www।fertilizer।org/ifa/statistics/indicators/ind_reserves।asp]</ref> प्राकृत गैस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि यह वर्तमान में उपलब्ध हाइड्रोजन का सबसे सस्ता स्रोत है।<ref>[174] ^ एकीकृत फसल प्रबंधन-[[इओवा राज्य विश्वविद्यालय]] 29 जनवरी 2001 [http://www।ipm।iastate।edu/ipm/icm/2001/1-29-2001/natgasfert।html http://www।ipm।iastate।edu/ipm/icm/2001/1-29-2001/natgasfert।html]</ref><ref>[175] ^ दी हाइड्रोजन इकोनोमी-[[फिजिक्स टूडे|फिजिक्स टूडे पत्रिका]], दिसंबर 2004 [http://www।physicstoday।org/vol-57/iss-12/p39।html http://www।physicstoday।org/vol-57/iss-12/p39।html]
कृषि क्षेत्र में एक अन्य प्रमुख पेट्रोलियम मुद्दा है पेट्रोलियम आपूर्ति का प्रभाव उर्वरक उत्पादन पर पड़ेगा। कृषि में जीवाश्म ईंधन का सबसे ज्यादा इनपुट है [[हेबर प्रक्रिया|हाबर-बोश]] उर्वरक निर्माण प्रक्रिया के लिए एक हाइड्रोजन स्रोत के रूप में प्राकृत गैस का उपयोग,<ref>[173] ^ कच्चे माल के भंडार - इंटरनेशनल उर्वरक उद्योग एसोसिएशन [http://www।fertilizer।org/ifa/statistics/indicators/ind_reserves।asp http://www।fertilizer।org/ifa/statistics/indicators/ind_reserves।asp]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> प्राकृत गैस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि यह वर्तमान में उपलब्ध हाइड्रोजन का सबसे सस्ता स्रोत है।<ref>[174] ^ एकीकृत फसल प्रबंधन-[[इओवा राज्य विश्वविद्यालय]] 29 जनवरी 2001 [http://www।ipm।iastate।edu/ipm/icm/2001/1-29-2001/natgasfert।html http://www।ipm।iastate।edu/ipm/icm/2001/1-29-2001/natgasfert।html]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[175] ^ दी हाइड्रोजन इकोनोमी-[[फिजिक्स टूडे|फिजिक्स टूडे पत्रिका]], दिसंबर 2004 [http://www।physicstoday।org/vol-57/iss-12/p39।html http://www।physicstoday।org/vol-57/iss-12/p39।html]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> जब तेल का उत्पादन बहुत कम हो जाता है तब प्राकृत गैस को इसके विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और परिवहन में हाइड्रोजन का उपयोग बढ़ जाता है, प्राकृतिक गैस [[आपूर्ति और मांग|अधिक महंगी]] हो जायेगी। यदि हाबर प्रक्रिया को नव्यकरणीय ऊर्जा (जैसे [[विद्युत अपघटन]]) का उपयोग करते हुए वाणीज्यीकृत नहीं किया जा सकता या यदि हाबर प्रक्रिया को प्रतिस्थापित करने के लिए हाइड्रोजन के अन्य स्रोत इतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, कि वे परिवहन और कृषि की आवश्यकता के लिए पर्याप्त हों, तो उर्वरक का यह मुख्य स्रोत या तो बहुत अधिक महंगा हो जायेगा या उपलब्ध नहीं होगा।

</ref> जब तेल का उत्पादन बहुत कम हो जाता है तब प्राकृत गैस को इसके विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और परिवहन में हाइड्रोजन का उपयोग बढ़ जाता है, प्राकृतिक गैस [[आपूर्ति और मांग|अधिक महंगी]] हो जायेगी। यदि हाबर प्रक्रिया को नव्यकरणीय ऊर्जा (जैसे [[विद्युत अपघटन]]) का उपयोग करते हुए वाणीज्यीकृत नहीं किया जा सकता या यदि हाबर प्रक्रिया को प्रतिस्थापित करने के लिए हाइड्रोजन के अन्य स्रोत इतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, कि वे परिवहन और कृषि की आवश्यकता के लिए पर्याप्त हों, तो उर्वरक का यह मुख्य स्रोत या तो बहुत अधिक महंगा हो जायेगा या उपलब्ध नहीं होगा।


यह या तो भोजन की कमी लायेगा या खाद्य कीमतों में नाटकीय ढंग से वृद्धि कर देगा।
यह या तो भोजन की कमी लायेगा या खाद्य कीमतों में नाटकीय ढंग से वृद्धि कर देगा।
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कमी का एक असर यह हो सकता है कि कृषि पूरी तरह से [[कार्बनिक कृषि]] की और लौट जाये। पीक तेल मुद्दों के प्रकाश में, कार्बनिक विधियां समकालीन प्रथाओं की तुलना में अधिक स्थायी होंगी, क्योंकि उनमें पेट्रोलियम आधारित कीटनाशकों, शाक विनाशियों, या उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है।
कमी का एक असर यह हो सकता है कि कृषि पूरी तरह से [[कार्बनिक कृषि]] की और लौट जाये। पीक तेल मुद्दों के प्रकाश में, कार्बनिक विधियां समकालीन प्रथाओं की तुलना में अधिक स्थायी होंगी, क्योंकि उनमें पेट्रोलियम आधारित कीटनाशकों, शाक विनाशियों, या उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है।


आधुनिक कार्बनिक खेती की विधियों का उपयोग करने वाले कुछ किसानों ने पारंपरिक विधियों के तुलना में अधिक उत्पादन की रिपोर्ट दी है। [<ref>[176] ^ [http://www।biotech-info।net/Alex_Avery।html कार्बनिक खेती की वास्तविकताएं]</ref><ref>[177] ^ http://extension।agron।iastate।edu/organicag/researchreports/nk01ltar.pdf</ref><ref>[178] ^ [http://www।cnr।berkeley।edu/~christos/articles/cv_organic_farming।html कार्बनिक कृषि दुनिया को भोजन उपलब्ध करा सकती है!]</ref><ref>[179] ^ [http://www।terradaily।com/news/farm-05c।html कार्बनिक खेत कम उर्जा और जल का उपयोग करते हैं]</ref> हालांकि कार्बनिक खेती अधिक [[श्रम (अर्थशास्त्र)|श्रम]] प्रधान हो सकती है और इसमें कार्य क्षेत्र पर शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर स्थानान्तरण का दबाव हो सकता है।<ref>Strochlic, आर, सियरा, एल (2007।[http://www।cirsinc।org/Documents/Pub0207। 1.PDF पारंपरिक, मिश्रित और "अपंजीकृत" कार्बनिक किसान: प्रवेश में बाधाएं और केलिफोर्निया में कार्बनिक उत्पादन को उत्तेजित करने के लिए कारण।] ग्रामीण अध्ययन के लिए कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट</ref>
आधुनिक कार्बनिक खेती की विधियों का उपयोग करने वाले कुछ किसानों ने पारंपरिक विधियों के तुलना में अधिक उत्पादन की रिपोर्ट दी है। [<ref>[176] ^ [http://www।biotech-info।net/Alex_Avery।html कार्बनिक खेती की वास्तविकताएं]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[177] ^ http://extension।agron।iastate।edu/organicag/researchreports/nk01ltar.pdf{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[178] ^ [http://www।cnr।berkeley।edu/~christos/articles/cv_organic_farming।html कार्बनिक कृषि दुनिया को भोजन उपलब्ध करा सकती है!]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[179] ^ [http://www।terradaily।com/news/farm-05c।html कार्बनिक खेत कम उर्जा और जल का उपयोग करते हैं]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> हालांकि कार्बनिक खेती अधिक [[श्रम (अर्थशास्त्र)|श्रम]] प्रधान हो सकती है और इसमें कार्य क्षेत्र पर शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर स्थानान्तरण का दबाव हो सकता है।<ref>Strochlic, आर, सियरा, एल (2007।[http://www।cirsinc।org/Documents/Pub0207। 1.PDF पारंपरिक, मिश्रित और "अपंजीकृत" कार्बनिक किसान: प्रवेश में बाधाएं और केलिफोर्निया में कार्बनिक उत्पादन को उत्तेजित करने के लिए कारण।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} ग्रामीण अध्ययन के लिए कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट</ref>


ऐसी सलाह दी गयी है कि ग्रामीण समुदाय [[बायोचर]] ओर [[सिन ईंधन|सिनफ्यूल]] प्रक्रियाओं से ईंधन प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें सामान्य ''भोजन बनाम ईंधन'' डाटाबेस के बजाय [[खाद्य बनाम ईंधन|ईंधन]] ''और'', खाद्य ओर चारकोल उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कृषि के व्यर्थ पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
ऐसी सलाह दी गयी है कि ग्रामीण समुदाय [[बायोचर]] ओर [[सिन ईंधन|सिनफ्यूल]] प्रक्रियाओं से ईंधन प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें सामान्य ''भोजन बनाम ईंधन'' डाटाबेस के बजाय [[खाद्य बनाम ईंधन|ईंधन]] ''और'', खाद्य ओर चारकोल उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कृषि के व्यर्थ पदार्थों का उपयोग किया जाता है।


जब सिन्फ्युल का साईट पर उपयोग किया जायेगा, प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो जायेगी और इससे कार्बनिक-कृषि संगलन के लिए पर्याप्त ईंधन उपलब्ध होगागी।<ref>
जब सिन्फ्युल का साईट पर उपयोग किया जायेगा, प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो जायेगी और इससे कार्बनिक-कृषि संगलन के लिए पर्याप्त ईंधन उपलब्ध होगागी।<ref>[http://www।rsnz।org/topics/energy/ccmgmt।php#2 "प्रकाश संश्लेषण के बढ़ने और दीर्घकालिक सींक के साथ कार्बन चक्र प्रबंधन" (2007) रॉयल सोसाइटी ऑफ़ न्यूजीलैंड ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>[182] ^ [http://www।bio।org/ind/GrowingEnergy.pdf ग्रीन, नतनएल हाउ बायो फ्यूल्स कें हेल्प एंड अमेरिकास एनर्जी डिपेंडेंस ऐ दिसम्बर 2004। ]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
[http://www।rsnz।org/topics/energy/ccmgmt।php#2 "प्रकाश संश्लेषण के बढ़ने और दीर्घकालिक सींक के साथ कार्बन चक्र प्रबंधन" (2007) रॉयल सोसाइटी ऑफ़ न्यूजीलैंड ]</ref><ref>[182] ^ [http://www।bio।org/ind/GrowingEnergy.pdf ग्रीन, नतनएल हाउ बायो फ्यूल्स कें हेल्प एंड अमेरिकास एनर्जी डिपेंडेंस ऐ दिसम्बर 2004। ]

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ऐसी सलाह दी गयी है कि ऐसे [[आनुवांशिक रूप से परिष्कृत जीव|ट्रांसजेनिक पोधों]] का विकास किया जा सकता है जो पारंपरिक फसलों की तुलना में कम जीवाश्म ईंधन का उपयोग करते हुए, उत्पादन में वृद्धि करेंगे और इसे बनाये रखेंगे।<ref>{{cite journal
ऐसी सलाह दी गयी है कि ऐसे [[आनुवांशिक रूप से परिष्कृत जीव|ट्रांसजेनिक पोधों]] का विकास किया जा सकता है जो पारंपरिक फसलों की तुलना में कम जीवाश्म ईंधन का उपयोग करते हुए, उत्पादन में वृद्धि करेंगे और इसे बनाये रखेंगे।<ref>{{cite journal
|publisher=The Electronic Journal of Environmental, Agricultural and Food Chemistry
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|author=Srinivas et al।
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|author=Conway, G।
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|title=Genetically modified crops: risks and promise
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सामाजिक और आर्थिक लाभ देने में असफल हैं।"<ref>{{cite web
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|title=Who Benefits from GM Crops?
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|author=Juan Lopez Villar & Bill Freese
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|publisher=[[New Scientist]]
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|date=7 फ़रवरी 2004
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|title=Monsanto's showcase project in Africa fails
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|accessdate=18 अप्रैल 2008
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|volume=Vol 181 No। 2433
|volume=Vol 181 No। 2433
}}</ref> इसके अतिरिक्त, अफ्रीका में सब्सिसटेंस के जैव प्रोद्योगिकी उद्योग के द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में खोजा गया कि कौन सा GMO अनुसंधान सबसे स्थायी कृषि के लिए लाभकारी होगा और गैर ट्रांसजेनिक मुद्दों की पहचान करेगा।<ref>{{cite web
}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> इसके अतिरिक्त, अफ्रीका में सब्सिसटेंस के जैव प्रोद्योगिकी उद्योग के द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में खोजा गया कि कौन सा GMO अनुसंधान सबसे स्थायी कृषि के लिए लाभकारी होगा और गैर ट्रांसजेनिक मुद्दों की पहचान करेगा।<ref>{{cite web
|url=http://www।grain।org/briefings_files/africa-gmo-2002-en.pdf
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|publisher=Genetic Resources Action International (GRAIN)
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|month=August | year=2002
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|title=Genetically Modified Crops in Africa: Implications for Small Farmers
|title=Genetically Modified Crops in Africa: Implications for Small Farmers
|author=Devlin Kuyek
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बहरहाल, अफ्रीका में कुछ सरकारों ने नए ट्रांसजेनिक प्रौद्योगिकियों में स्थिरता में सुधार करने के लिए आवश्यक घटक के रूप निवेश को जारी रखा है।<ref>{{cite web
बहरहाल, अफ्रीका में कुछ सरकारों ने नए ट्रांसजेनिक प्रौद्योगिकियों में स्थिरता में सुधार करने के लिए आवश्यक घटक के रूप निवेश को जारी रखा है।<ref>{{cite web
|url=http://news।bbc।co।uk/2/hi/africa/7428789।stm
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|author=Jeremy Cooke
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|accessdate=6 जून 2008
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== नीति ==
== नीति ==
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* [[खाद्य गुणवत्ता|भोजन की गुणवत्ता]]: ये सुनिश्चित करना कि एक ज्ञात गुणवत्ता की स्थिर खाद्य आपूर्ति बनी रहे।
* [[खाद्य गुणवत्ता|भोजन की गुणवत्ता]]: ये सुनिश्चित करना कि एक ज्ञात गुणवत्ता की स्थिर खाद्य आपूर्ति बनी रहे।
* [[खाद्य सुरक्षा]]: यह सुनिश्चित करना कि खाद्य आपूर्ति संदूषण से मुक्त हो।
* [[खाद्य सुरक्षा]]: यह सुनिश्चित करना कि खाद्य आपूर्ति संदूषण से मुक्त हो।
* [[खाद्य रक्षा]]: यह सुनिश्चित करना कि भोजन की आपूर्ति, आबादी की जरूरतों को पूरा करे।<ref name="ijpwyz">[http://www।finfacts।com/irelandbusinessnews/publish/article_1011078।shtml गेंहू के मूल्य में रिकार्ड वृद्धि के कारण संयुक्त राष्ट्र ने ये चेतावनी जारी की की खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें विकासशील देशों में सामाजिक अशांति पैदा कर सकती हैं।]</ref><ref name="nnxnwc">[199] ^ [http://www।csmonitor।com/2007/0724/p01s01-wogi।html खाद्य की बढ़ती हुई कीमतें वैश्विक गरिबों के लिए बाधक हैं।]</ref>
* [[खाद्य रक्षा]]: यह सुनिश्चित करना कि भोजन की आपूर्ति, आबादी की जरूरतों को पूरा करे।<ref name="ijpwyz">[http://www।finfacts।com/irelandbusinessnews/publish/article_1011078।shtml गेंहू के मूल्य में रिकार्ड वृद्धि के कारण संयुक्त राष्ट्र ने ये चेतावनी जारी की की खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें विकासशील देशों में सामाजिक अशांति पैदा कर सकती हैं।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref name="nnxnwc">[199] ^ [http://www।csmonitor।com/2007/0724/p01s01-wogi।html खाद्य की बढ़ती हुई कीमतें वैश्विक गरिबों के लिए बाधक हैं।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
* [[गरीबी|निर्धनता]] में कमी
* [[गरीबी|निर्धनता]] में कमी


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=== संयुक्त राज्य अमेरिका ===
=== संयुक्त राज्य अमेरिका ===
कृषि सबसे खतरनाक उद्योगों में से एक है।<ref>{{cite web|url=http://www।cdc।gov/niosh/topics/agriculture/|title=NIOSH- Agriculture|accessdate=10 अक्टूबर 2007|publisher=United States National Institute for Occupational Safety and Health}}</ref> किसानों को ऎसी चोटों का खतरा होता है, जो उनके लिए घातक भी हो सकती हैं, या घातक नहीं हो सकती है। उन्हें काम से सम्बंधित फेफडों की बीमारियां, [[शोर से होने वाला बहरापन या श्रवण शक्ति का ह्रास|शोर से होने वाला बहरापन]], त्वचा रोग और रसायनों के उपयोग और लम्बे समय तक धूप में रहने के कारण कैंसर हो सकता है।
कृषि सबसे खतरनाक उद्योगों में से एक है।<ref>{{cite web|url=http://www।cdc।gov/niosh/topics/agriculture/|title=NIOSH- Agriculture|accessdate=10 अक्टूबर 2007|publisher=United States National Institute for Occupational Safety and Health}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> किसानों को ऎसी चोटों का खतरा होता है, जो उनके लिए घातक भी हो सकती हैं, या घातक नहीं हो सकती है। उन्हें काम से सम्बंधित फेफडों की बीमारियां, [[शोर से होने वाला बहरापन या श्रवण शक्ति का ह्रास|शोर से होने वाला बहरापन]], त्वचा रोग और रसायनों के उपयोग और लम्बे समय तक धूप में रहने के कारण कैंसर हो सकता है।


कृषि उन गिने चुने उद्योगों में से है जिनमें परिवार को भी चोट, बीमारी या मृत्यु का खतरा बना रहता है। (क्योंकि परिवार वाले अक्सर साथ ही रहते हैं और काम में हाथ बंटाते हैं)। एक औसत वर्ष में, अमेरिका में 516 श्रमिकों की मृत्यु खेती का कार्य करने के दौरान होती है। 1992-2005)। इन मौतों में से, 101 ट्रैक्टर पलटने के कारण होती हैं। प्रति दिन लगभग 243 कृषि मजदूर कार्य-समय-चोट-क्षति को झेलते हैं और इनमें से लगभग 5% स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।<ref name="NIOSH_AgInj">{{cite web|url=http://www।cdc।gov/niosh/topics/aginjury/|title=NIOSH- Agriculture Injury|accessdate=10 अक्टूबर 2007|publisher=United States National Institute for Occupational Safety and Health}}</ref>
कृषि उन गिने चुने उद्योगों में से है जिनमें परिवार को भी चोट, बीमारी या मृत्यु का खतरा बना रहता है। (क्योंकि परिवार वाले अक्सर साथ ही रहते हैं और काम में हाथ बंटाते हैं)। एक औसत वर्ष में, अमेरिका में 516 श्रमिकों की मृत्यु खेती का कार्य करने के दौरान होती है। 1992-2005)। इन मौतों में से, 101 ट्रैक्टर पलटने के कारण होती हैं। प्रति दिन लगभग 243 कृषि मजदूर कार्य-समय-चोट-क्षति को झेलते हैं और इनमें से लगभग 5% स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।<ref name="NIOSH_AgInj">{{cite web|url=http://www।cdc।gov/niosh/topics/aginjury/|title=NIOSH- Agriculture Injury|accessdate=10 अक्टूबर 2007|publisher=United States National Institute for Occupational Safety and Health}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>


कृषि युवा श्रमिकों के लिए सबसे खतरनाक उद्योग है, अमेरिका में 1992 और 2000 के बीच कार्य से सम्बंधित होने वाली मौतों में से 42% युवा श्रमिकों की थीं।
कृषि युवा श्रमिकों के लिए सबसे खतरनाक उद्योग है, अमेरिका में 1992 और 2000 के बीच कार्य से सम्बंधित होने वाली मौतों में से 42% युवा श्रमिकों की थीं।
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== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==
*[http://www.researchfront.in/04%20OCT-DEC%202013/9_shinde%20hindi.pdf डॉ॰ विजय शिंदे का आलेख - आधारहीन किसानों का खेती से पलायन 'मूठमाती']
*[https://web.archive.org/web/20140108055339/http://www.researchfront.in/04%20OCT-DEC%202013/9_shinde%20hindi.pdf डॉ॰ विजय शिंदे का आलेख - आधारहीन किसानों का खेती से पलायन 'मूठमाती']
{{main|Outline of Agriculture}}
{{main|Outline of Agriculture}}


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[[चित्र:Coffee Plantation.jpg|thumb|300px|right|कॉफी बागान up São João do Manhuaçu City mouth - मीनास गेरैस राज्य - ब्राजील।]]
[[चित्र:Coffee Plantation.jpg|thumb|300px|right|कॉफी बागान up São João do Manhuaçu City mouth - मीनास गेरैस राज्य - ब्राजील।]]
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* अल्वारेज़, राबर्ट ए (2007), [http://caliber।ucpress।net/doi/pdf/10। 1525/gfc। 2007। 7। 3। 28 दी मार्च ऑफ़ अम्पायर: मेंगोज, आवोकाडोज, एंड पोलिटिक्स ऑफ़ ट्रांसफर।]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} गेस्ट्रोनोमिका, खंड 7, संख्या 3, 28-33। 12 नवंबर 2008 को पुनः प्राप्त।

* अल्वारेज़, राबर्ट ए (2007), [http://caliber।ucpress।net/doi/pdf/10। 1525/gfc। 2007। 7। 3। 28 दी मार्च ऑफ़ अम्पायर: मेंगोज, आवोकाडोज, एंड पोलिटिक्स ऑफ़ ट्रांसफर।] गेस्ट्रोनोमिका, खंड 7, संख्या 3, 28-33। 12 नवंबर 2008 को पुनः प्राप्त।
* बोलेंस, एल (1997), गैर पश्चिमी संस्कृतियों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के इतिहास के विश्वकोश में 'कृषि', संपादक: हेलैने सेलिन; क्लुवर एकेडमिक पब्लिशर्स।
* बोलेंस, एल (1997), गैर पश्चिमी संस्कृतियों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के इतिहास के विश्वकोश में 'कृषि', संपादक: हेलैने सेलिन; क्लुवर एकेडमिक पब्लिशर्स।


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== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
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* [http://www.madad.co.cc/ कृषि सम्बन्धी साइटों एवं जानकारी का संकलन]
* [https://web.archive.org/web/20090208142340/http://www.madad.co.cc/ कृषि सम्बन्धी साइटों एवं जानकारी का संकलन]
* [http://ranars.blogspot.com/ अंग्रेजी और हिन्दी में कृषि-वस्तुओं का समाचार]
* [https://web.archive.org/web/20111011213414/http://ranars.blogspot.com/ अंग्रेजी और हिन्दी में कृषि-वस्तुओं का समाचार]
* [http://www.coilnet.bitmesra.net/Agriculture/Agriculture.htm कृषि सम्बन्धित जानकारी]
* [https://web.archive.org/web/20071112021336/http://coilnet.bitmesra.net/Agriculture/Agriculture.htm कृषि सम्बन्धित जानकारी]
* [http://www.uttara.in/portal/agriculture/agri_home_hi.html '''कृषि पोर्टल'''] (उत्तराखण्ड शासन)
* [https://web.archive.org/web/20080404210555/http://www.uttara.in/portal/agriculture/agri_home_hi.html '''कृषि पोर्टल'''] (उत्तराखण्ड शासन)
* [http://www.khetiganga.com/home.html खेतीगंगा]
* [https://web.archive.org/web/20110919222854/http://www.khetiganga.com/home.html खेतीगंगा]
* [http://uttara.in/hindi/farmer_services/farmer_service_home.html कृषक सेवाएं] - उत्तराखण्ड पोर्टल
* [https://web.archive.org/web/20071016223644/http://uttara.in/hindi/farmer_services/farmer_service_home.html कृषक सेवाएं] - उत्तराखण्ड पोर्टल
* [http://krishisewa.com/index.html कृषि सेवा] - भारतीय किसानों का कृषि सूचना केन्द्र
* [https://web.archive.org/web/20071017124103/http://krishisewa.com/index.html कृषि सेवा] - भारतीय किसानों का कृषि सूचना केन्द्र
* [http://opaals.iitk.ac.in/deal/embed.jsp?url=livelihood/machine1.jsp आईआईटी कानपुर का '''डील''' नामक जालघर] - यहाँ पर कृषि के बारे में बहुत सी सामग्री दी हुई है।
* [http://opaals.iitk.ac.in/deal/embed.jsp?url=livelihood/machine1.jsp आईआईटी कानपुर का '''डील''' नामक जालघर]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} - यहाँ पर कृषि के बारे में बहुत सी सामग्री दी हुई है।
* [http://opaals.iitk.ac.in:9000/kisanblog/index.php किसान ब्लाग]
* [https://web.archive.org/web/20081022155253/http://opaals.iitk.ac.in:9000/kisanblog/index.php किसान ब्लाग]
* [http://kisangudi.com/chowki/ 'किसान गुड़ी' ब्लॉग]
* [https://web.archive.org/web/20101227224939/http://kisangudi.com/chowki/ 'किसान गुड़ी' ब्लॉग]
* [http://www.nabard.org/pdf/2005-06/hin_highlights.pdf नाबार्ड - राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक] : मुख्य-मुख्य बातें
* [https://web.archive.org/web/20070927192359/http://www.nabard.org/pdf/2005-06/hin_highlights.pdf नाबार्ड - राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक] : मुख्य-मुख्य बातें
* [http://www.krishakjagat.org/ कृषक जगत] - कृषि सम्बन्धी राष्ट्रीय अखबार
* [https://web.archive.org/web/20091212004345/http://www.krishakjagat.org/ कृषक जगत] - कृषि सम्बन्धी राष्ट्रीय अखबार
* [http://krishakdoot.org/newspaper.htm कृषक दूत] - कृषि एवं ग्रामीण विकास का साप्ताहिक पत्र
* [https://web.archive.org/web/20100617150313/http://www.krishakdoot.org/newspaper.htm कृषक दूत] - कृषि एवं ग्रामीण विकास का साप्ताहिक पत्र
* [http://kvkrewa.blogspot.com/ ग्राम्या] - कृषि विज्ञान केन्द्र [[रीवा]] का हिन्दी चिट्ठा
* [https://web.archive.org/web/20120111005229/http://kvkrewa.blogspot.com/ ग्राम्या] - कृषि विज्ञान केन्द्र [[रीवा]] का हिन्दी चिट्ठा
* [http://www।worldbank।org/rural विश्व बैंक] से [[विश्व बैंक|कृषि और ग्रामीण विकास]]
* [http://www।worldbank।org/rural विश्व बैंक]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} से [[विश्व बैंक|कृषि और ग्रामीण विकास]]
* [http://www।agriculturalproductsindia।com/ कृषि उत्पाद] - कृषि उत्पादों और कृषि उद्योग के बारे में पोर्टल।
* [http://www।agriculturalproductsindia।com/ कृषि उत्पाद]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} - कृषि उत्पादों और कृषि उद्योग के बारे में पोर्टल।
* [http://dictionary।babylon।com/science/agriculture कृषि शब्दकोशों का संग्रह]
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* [http://www.indg.in/agriculture/ '''कृषि] (भारत विकास द्वार)
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* [http://www.gsgk.org.in/index.php ग्रामीण सूचना एवं ज्ञान केन्द्र]
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* [http://www.uttamkrishi.com/aboututtamkrishi.asp उत्तम कृषि] - चम्बल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड का कृषि-सम्ब्न्धी जालघर
* [http://www.uttamkrishi.com/aboututtamkrishi.asp उत्तम कृषि]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} - चम्बल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड का कृषि-सम्ब्न्धी जालघर
* [http://www.rauatic.org/index1.html राजस्थान विश्वविद्यालय, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र, बीकानेर] (वेबदुनिया फॉण्ट में)
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* [http://hpagrisnet.gov.in/default.aspx '''एग्रिस्नेट'''] (हिमाचल प्रदेश कृषि सहकारिता विभाग)
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* [http://hi.wiktionary.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A4%BF-%E0%A4%AE%E0%A5%8C%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%80 कृषि-मौसमविज्ञान अंग्रेजी-हिंदी शब्दावली] (Agro-Metrology English-Hindi Glossary)
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* [http://hi.wiktionary.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A4%BF_%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%80 बारानी कृषि शब्दावली‎] (Dryland Agricultural Glossary)
* [https://web.archive.org/web/20110813045938/http://hi.wiktionary.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A4%BF_%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%80 बारानी कृषि शब्दावली‎] (Dryland Agricultural Glossary)
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* [http://www.krishiworld.com/main_hindi.asp कृषि_वर्ल्ड] (DV-TTYogesh फॉण्ट में)
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* [http://www.sikkimagrisnet.org/General/np/GeneralInformation/Default.aspx एग्रिसनेट (ARISNET)] - नेपाली में खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
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* [http://www.bhuminirman.com/page2.html भूमि निर्माण] - उन्नत कृषि एवं ग्रामीण विकास को समर्पित राष्ट्रीय समाचार पत्र]
* [http://www.bhuminirman.com/page2.html भूमि निर्माण]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} - उन्नत कृषि एवं ग्रामीण विकास को समर्पित राष्ट्रीय समाचार पत्र]
* [http://krishiutpadan.up.nic.in/index.htm कृषि उत्पादन आयुक्त (उत्तर प्रदेश शासन)]
* [https://web.archive.org/web/20110507032512/http://krishiutpadan.up.nic.in/index.htm कृषि उत्पादन आयुक्त (उत्तर प्रदेश शासन)]
* [https://www.birlashaktiman.in/sec/igflfsm/index.htm इंडो-गल्फ फर्टिलाइजर्स] - यहाँ इनके उत्पादों के अतिरिक्त खेती-किसानी से सम्बन्धित जानकारी भी है।
* [https://web.archive.org/web/20120104095628/https://www.birlashaktiman.in/sec/igflfsm/index.htm इंडो-गल्फ फर्टिलाइजर्स] - यहाँ इनके उत्पादों के अतिरिक्त खेती-किसानी से सम्बन्धित जानकारी भी है।
* [http://www.kisanmargdarsanseva.org/hsite/Default.aspx कृषि मार्गदर्शन सेवा]
* [https://web.archive.org/web/20110709222602/http://kisanmargdarsanseva.org/hsite/Default.aspx कृषि मार्गदर्शन सेवा]
* [http://bhartiyakisan.com/index.html भारतीय किसान] - यहाँ बहुत सारी जानकारी दी गयी है।
* [https://web.archive.org/web/20120104070908/http://bhartiyakisan.com/index.html भारतीय किसान] - यहाँ बहुत सारी जानकारी दी गयी है।
* [http://krishakduniya.com/ कृषक दुनिया]
* [https://web.archive.org/web/20110821035340/http://krishakduniya.com/ कृषक दुनिया]
* [http://agriculture.up.nic.in/# कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश]
* [https://web.archive.org/web/20110721175050/http://agriculture.up.nic.in/ कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश]
* [http://krishiutpadan.up.nic.in/ कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश]
* [https://web.archive.org/web/20110216071123/http://krishiutpadan.up.nic.in/ कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश]
* [http://www.mpkrishi.org/krishinet/hindisite/indexhindi.aspx# कृषिनेट पोर्टल] (किसान कल्याण तथा कृषि विकास प्रभाग, मध्य प्रदेश, '''DVW-TTYogeshEN फॉण्ट में''')
* [https://web.archive.org/web/20110814063808/http://www.mpkrishi.org/krishinet/hindisite/indexhindi.aspx कृषिनेट पोर्टल] (किसान कल्याण तथा कृषि विकास प्रभाग, मध्य प्रदेश, '''DVW-TTYogeshEN फॉण्ट में''')
* [http://hpagrisnet.gov.in/default.aspx हिमाचल प्रदेश के '''एग्रिस्नेट''' पोर्टल] (विविध सामग्री से भरपूर)
* [https://web.archive.org/web/20110817105903/http://hpagrisnet.gov.in/default.aspx हिमाचल प्रदेश के '''एग्रिस्नेट''' पोर्टल] (विविध सामग्री से भरपूर)
* [http://www.ekisan.net/ ई-किसान ] - कृषि समाचार व मंडी भाव की जानकारी
* [https://web.archive.org/web/20190816215443/https://ekisan.net/ ई-किसान ] - कृषि समाचार व मंडी भाव की जानकारी
* [https://mandibhav.net/krishi-samachar/ कृषि समाचार की जानकारी ] - कृषि समाचार व कृषि योजना की जानकारी
* [https://mandibhav.net/krishi-samachar/ कृषि समाचार की जानकारी ] - कृषि समाचार व कृषि योजना की जानकारी
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05:58, 16 जून 2020 का अवतरण

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है।

तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है।

आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं।

प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक,[1] और फार्मास्यूटिकल्स[2] के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांसरेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजलकटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं।

2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-[[सेवा (अर्थशास्त्र)|सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया।[3] इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है।[4][5]

संज्ञा

शब्द agriculture लैटिन शब्द agricultūra का अंग्रेजी रूपांतर है, ager का अर्थ है "एक क्षेत्र"[5] और cultūra का अर्थ है "जुताई", सख्त अर्थ में "मिट्टी की जुताई"।[6] इस प्रकार से, शब्द के शाब्दिक पाठन से हमें जो अर्थ प्राप्त होता है वह है "एक क्षेत्र / क्षेत्रों की जुताई"

अवलोकन

कृषि ने मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। औद्योगिक क्रांति से पूर्व, मानव आबादी का अधिकांश हिस्सा कृषि में ही कार्यरत था। कृषि तकनीकों के विकास के कारण कृषि उत्पादकता में लगातार वृद्धि हुई है और एक समय अवधि के दौरान इन तकनीकों के व्यापक प्रसार को अक्सर कृषि क्रांति कहा जाता है। पिछली सदी में इन नई तकनीकों की वजह से कृषि की पद्धतियों में उल्लेखनीय बदलाव आया है। विशेष रूप से, अमोनियम नाइट्रेट को बनाने के लिए हेबर-बॉश विधि ने, जंतु खादफसल पुनरावर्तन के द्वारा पोषकों के पुनः चक्रीकरण की पारम्परिक पद्धति को कम आवश्यक बना दिया है।


कृषि क्षेत्र में काम करने वाली मानव आबादी के प्रतिशत में समय के साथ गिरावट आई है।

खदानों से निकले रॉक फॉस्फेट, कीटनाशक और यांत्रिकीकरण के साथ कृत्रिम नाइट्रोजन ने 20 वीं सदी के प्रारंभ में फसल की पैदावार को बहुत अधिक बढा दिया है।

अनाज की आपूर्ति के बढ़ने से पशुधन सस्ता हो गया है। इसके अलावा, विश्व स्तर पर उत्पादन में वृद्धि 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में देखी गयी जब प्रधान अनाजों जैसे चावल, गेहूँ और मकई (मक्का) की उच्च पैदावार वाली किस्में हरित क्रांति के एक भाग के रूप में सामने आयीं।

हरित क्रांति में विकसित दुनिया के द्वारा विकासशील दुनिया को तकनीक (जिसमें कीटनाशक और कृत्रिम नाइट्रोजन भी शामिल थे) का निर्यात किया गया।

थॉमस माल्थस ने प्रसिद्ध भविष्यवाणी की थी कि पृथ्वी अपनी बढती हुई आबादी का भार वहन नहीं कर पायेगी, लेकिन तकनीकों जैसे हरित क्रांति की वजह से विश्व में अतिरिक्त भोजन का उत्पादन संभव हो गया है।[7]

2005 में कृषि उत्पादन

कई सरकारों ने पर्याप्त खाद्य आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए कृषि को आर्थिक सहायता प्रदान की है। ये कृषि सहायतायें अक्सर विशेष पदार्थों के उत्पादन से सम्बंधित रही हैं जैसे गेहूँ, मकई (मक्का), चावल, सोयाबीन और दूध। ये सहायतायें, विशेष रूप से जब जब विकसित देशों के द्वारा की गयी हैं, तब तब इनके सुरक्षावादी, अप्रभावी और वातावरण के लिए क्षतिकारक होने का उल्लेख किया गया है।[8] पिछली शताब्दी में कृषि को, उत्पादकता में वृद्धि, कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग, चयनात्मक प्रजनन, यांत्रिकीकरण, जल संदूषण और फार्म सब्सिडी के रूप में परिलक्षित किया गया है। कार्बनिक खेती के समर्थक जैसे सर एल्बर्ट हावर्ड ने 1900 के शुरुआत में तर्क दिया कि कीटनाशकों और कृत्रिम उर्वरकों का जरुरत से अधिक इस्त्तेमाल मिटटी की दीर्घकालिक उर्वरकता को नुकसान पहुंचाता है।

2000 के दशक में पर्यावरण जागरूकता में वृद्धि हुई है, इसके कारण कुछ किसानों, उपभोक्ताओं और नीति निर्माताओं के द्वारा स्थायी कृषि की दिशा में एक आन्दोलन की शुरुआत हुई है। हाल ही के वर्षों में मुख्यधारा कृषि, विशेष रूप से जल प्रदूषण के कथित बाहरी वातावरणीय प्रभावों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया सामने आयी है,[9] जिसके परिणामस्वरूप एक कार्बनिक आन्दोलन हुआ है। इस आन्दोलन के पीछे मुख्य ताकतों में से एक है यूरोपीय संघ, जिसने 1991 में सर्वप्रथम कार्बनिक खाद्य को प्रमाणित किया और 2005 में अपनी सामान्य कृषि नीति (CAP) में सुधार लाना शुरू किया ताकि कमोडिटी आधारित कृषि सब्सिडी को हटाया जा सके,[10] इसे डिकपलिंग कहा जाता है।

कार्बनिक कृषि के विकास ने वैकल्पिक तकनीकों जैसे एकीकृत कीट प्रबंधन और चयनात्मक प्रजनन में अनुसंधानों का नवीनीकरण किया है। हाल ही के मुख्यधारा प्रौद्योगिकीय विकास में शामिल है आनुवंशिक रूप से संशोधित भोजन। 2007 के अंत में, कई कारकों की वजह से मुर्गी, डेयरी की गाय और अन्य मवेशियों को खिलाये जाने वाले अनाज और भोजन की कीमतों में वृद्धि आई, जिसके कारण इस वर्ष में गेहूं (58% से अधिक), सोयाबीन (32% से अधिक) और मक्के (11% से अधिक) के दाम बहुत बढ़ गए।[11][12] हाल ही में पूरी दुनिया के बहुत से देशों में खाद्य को लेकर हंगामा हुआ है।[13][14][15] वर्तमान में गेहूं की Ug99 प्रजाति के द्वारा पूरे अफ्रीका और एशिया में इसके तने के रस्ट की महामारी फ़ैल रही है, जो मुख्य चिंता का विषय है।[16][17][18] दुनिया की लगभग 40% कृषि भूमि गंभीर रूप से बंजर हो गयी है।[19] अफ्रीका में, यदि वर्तमान में हो रहा मिटटी का अपरदन जारी रहता है, तो यह देश 2025 में केवल अपनी 25% जनसंख्या को ही भोजन उपलब्ध करा पायेगा। यह अनुमान अफ्रीका में प्राकृतिक संसाधनों के लिए UNU के घाना आधारित संस्थान ने लगाया है।[20]

इतिहास

सेंकी हुई मिटटी से बनी एक सुमेरियन कटाई की दरांती (सी ऐ। 3000 ई। पू।)।

लगभग 10,000 साल पहले इसके विकास के बाद से, भौगोलिक व्याप्थी और पैदावार में कृषि का बहुत अधिक विस्तार हुआ है।

इस विस्तार के दौरान, नई प्रौद्योगिकी और नई फसलें शामिल हुईं। कृषि पद्धतियों जैसे की सिंचाई, फसल पुनरावर्तन, उर्वरकों और कीटनाशकों का विकास काफी पहले ही हो चुका था लेकिन इनमें उल्लेखनीय विकास पिछली सदी में ही हुआ। कृषि के इतिहास नें मानव इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, क्योंकि कृषि का विकास विश्व के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण कारक रहा है। संपत्ति अर्जन और सैन्य विकास, जिन्हें शिकारी समाजों में संभवतया महत्त्व नहीं दिया जाता है, कृषि प्रमुख समाजों में आम बात थी। इसलिए कलाएं जैसे भव्य साहित्यिक महाकाव्य और स्मारकों का वास्तुशिल्प और संहिताबद्ध कानूनी व्यवस्था भी इसमें शामिल थीं।

जब किसान अपने परिवार की आवश्यकताओं से अधिक भोजन के उत्पादन में सक्षम बन गए, तब उनके समाज में कुछ लोगों को अन्य जरुरी कामों में ध्यान देने के लिए खाली छोड़ दिया गया। इतिहासकारों और मानव-शास्त्रियों का शुरू से ये मत रहा है कि कृषि के विकास ने ही सभ्यता के विकास को संभव किया है।

प्राचीन उत्पत्तियां

मध्य पूर्व, मिस्र और भारत के उपजाऊ स्थान पौधों की प्रारंभिक नियोजित बुवाई और कटाई के स्थान थे, जिन्हें प्रारंभ में जंगलों में इकठ्ठा किया गया था।

कृषि का स्वतंत्र रूप से विकास उत्तरी और दक्षिणी चीन, अफ्रीका के साहेल, न्यू गिनी और अमेरिका के कई क्षेत्रों में हुआ। कृषि की आठ तथाकथित नवपाषाण संस्थापक फसलें प्रकट हुईं। प्रथम एम्मर गेहूं और एन्कोर्न गेहूं, उसके बाद बिना छिलके वाली जौ, मटर, मसूर, बिटर वेच, चिक पी और सन

7000 ई। पू। तक लघु पैमाने की कृषि मिस्र पहुँच गयी। कम से कम 7000 ई। पु। से भारतीय उपमहाद्वीप में गेहूँ और जौ की खेती की जाने लगी, ये सत्यापन बलूचिस्तान के मेहरगढ़ में किए गए पुरातात्विक उत्खनन के आधार पर किया गया है। 6000 ईसा पूर्व तक नील नदी के तट पर मध्य पैमाने की कृषि की जाने लगी। लगभग इसी समय, सुदूर पूर्व में कृषि का स्वतंत्र रूप से विकास हो रहा था, इस समय गेहूं के बजाय चावल प्राथमिक फसल बन गयी। चीनी और इन्डोनेशियाई किसान टारो और फलियां, मूंग, सोय और अजुकी उगाने लगे।

कार्बोहाइड्रेट के इन नए स्त्रोतों के साथ इन क्षेत्रों में नदियों, झीलों और समुद्रों के किनारों पर योजनाबद्ध तरीके से मछली पकड़ने का काम शुरू हुआ, जो आवश्यक प्रोटीन की काफी मात्रा उपलब्ध कराता था। सामूहिक रूप से, खेती और मछली पकड़ने की ये नयी विधियां मानव के लिए वरदान साबित हुईं, इसके सामने पहले के सभी विस्तार छोटे पड़ गए और यह आज भी कायम है।

5000 ई। पू। तक सुमेरवासी केन्द्रीय कृषि तकनीकों को विकसित कर चुके थे, इन तकनीकों में शामिल हैं बड़े पैमाने पर भूमि की गहन जुताई, एक फसल उगाना, संगठित सिंचाई और एक विशिष्ट श्रमिक बल का उपयोग करना आदि। एक विशेष तकनीक थी जल मार्ग जो अब शत-अल-अरब के नाम से जानी जाती है, यह फारस की खाड़ी के डेल्टा से टाइग्रिस और युफ्रेट्स के समागम तक अपनायी गयी।

जंगली औरोक तथा मौफ़्लोन क्रमशः पालतू पशु तथा भेड़ में बदलने लगे, इनका उपयोग बड़े पैमाने पर भोजन / रेशे के लिए और बोझा धोने के लिए किया जाने लगा।

गडरिये या चरवाहे, आसीन और अर्द्ध घुमंतू समाज के लिए एक अनिवार्य प्रदाता के रूप में किसानों के साथ मिल गए।

मक्का, मनिओक और अरारोट सबसे पहले 5200 ई। पू। अमेरिका में उगाये गए।[21] आलू, टमाटर, मिर्च, स्क्वैश, फलियों की कई किस्में, तम्बाकू और कई अन्य पौधों को भी इस नई दुनिया में विकसित किया गया। इंडियन दक्षिण अमेरिका के अधिकांश भाग में खड़ी पहाडियों की ढाल पर व्यापक रूप में यह कृषि की गयी।

यूनान और रोम वासियों ने, सुमेर वासियों द्वारा शुरू की गई तकनीकों को न सिर्फ़ आगे बढाया बल्कि उनमें कुछ मौलिक परिवर्तन भी किए। दक्षिणी यूनानी अत्यन्त अनुपजाऊ भूमि होने के बावजूद वर्षों तक एक प्रबल समाज के रूप में बने रहने के लिए संघर्ष करते रहे। रोम निवासियों ने व्यापार के लिए फसलें उपजाने पर जोर दिया।

दी हारवेसटर्स पीटर ब्रुएगेल। 1565।

मध्य युग

मध्य युग के दौरान, उत्तरी अफ्रीका और पूर्व के निकट के मुस्लिम कृषकों नें कृषि की तकनीकों का विकास किया जिसमें हाइड्रोलिक और जल स्थैतिक सिद्धांतों पर आधारित सिंचाई प्रणाली, नोरिअस जैसी मशीनों का प्रयोग और जल स्तर को बढ़ाने वाली मशीनों, बांधों और जलाशयों आदि का उपयोग किया गया।

उन्होनें स्थान परक कृषि पुस्तिकाएं लिखी गन्ना, चावल, सिट्रस फल, खुबानी, कपास, अर्टिचोक्स, ओबरजिनेस और केसर सहित फसलों को व्यापक रूप से अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

मुस्लमान ही नींबू, संतरा, कपास, बादाम, अंजीर और उप उष्णकटिबंधीय फसलों जैसे की केला आदि स्पेन में लाये। मध्य युग के दौरान फसल के पुनरावर्तन के लिए तीन क्षेत्र प्रणाली का आविष्कार और चीनियों द्वारा आविष्कृत मोल्डबोर्ड के आयात ने कृषि की प्रभाविता में काफी सुधार किया।

आधुनिक युग

यह फोटो 1921 के एक विश्वकोश से ली गयी है, जिसमें एक अल्फा-अल्फा क्षेत्र में एक ट्रेक्टर को जुताई करते हुए दिखाया गया है।

1492 के बाद, पूर्व स्थानीय फसलों और पशुधन प्रजातियों का विश्व स्तरीय आदान-प्रदान शुरू हुआ। इस आदान प्रदान में शामिल प्रमुख फसलें थीं, टमाटर, मक्का, आलू, मनिओक, कोको और तम्बाकू जो नयी दुनिया से पुरानी दुनिया की और जा रही थीं। और गेहूं, मसाले, कॉफी और गन्ने की कई किस्में जो पुरानी दुनिया से नयी दुनिया की और जा रही थीं।

प्रमुख जानवर जिनका निर्यात पुरानी दुनिया से नई दुनिया में हुआ वे घोडे और कुत्ते थे (कुत्ते कोलंबिया से पहले के काल में ही अमेरिका में उपस्थित थे, लेकिन इनकी संख्या और प्रजाति खेती के लिए उपयुक्त नहीं थी)। हालांकि खाद्य जानवरों घोडे (जिनमें गधे और खच्चर शामिल हैं) और कुत्ते ने पश्चिमी गोलार्ध के खेतों में जल्दी ही आवश्यक उत्पादन भूमिका निभायी।

आलू उत्तरी यूरोप में एक महत्वपूर्ण आहार फसल बन गई।[22] 16 वीं शताब्दी में पुर्तगालियों के द्वारा लाये गए,[23] मक्का और मनिओक ने पारंपरिक अफ्रीकी फसलों को प्रतिस्थापित कर दिया और वे महाद्वीप की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसलें बन गयीं।[24]

1800 की शुरूआत में, कृषि तकनीकों, बीज भंडार और उपजाए गए पौधों को चुना गया और उन्हें एक अद्वितीय नाम दिया गया क्योंकि इसकी सजावट और उपयोगिता की विशेषताएं इतनी बेहतर हो गयी थीं कि प्रति ईकाई भूमि का उत्पादन मध्य युग की तुलना में कई गुना हो गया था।

19 वीं शताब्दी के अंत में और 20 वीं शताब्दी में मशीनीकरण में तीव्र वृद्धि के साथ, विशेष रूप से ट्रेक्टर के विकास के साथ, खेती के कार्य अधिक गति से किये जाने लगे और ये कार्य इतने बड़े पैमाने पर होने लगे जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
इन आधुनिक विकासों के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेंटीना, इज़राइल, जर्मनी और कुछ अन्य राष्ट्रों में विशिष्ट आधुनिक खेतों की प्रभाविता में इतनी वृद्धि हुई कि प्रति ईकाई भूमि पर उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता की सीमा ने उत्पादन की व्यवहारिक सीमा को छू लिया।

अमोनियम नाइट्रेट के निर्माण की हेबर-बॉश विधि को एक बड़ी सफलता माना जाता है, इसने फसल की पैदावार बढ़ाने में उत्पन्न होने वाली पुरानी बाधाओं को दूर करने में मदद की।

पिछली सदी में कृषि की मुख्य विशेषताएं रहीं हैं उत्पादकता में बढोत्तरी, श्रम के बजाय कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग, चयनात्मक प्रजनन, जल प्रदूषण और कृषि सब्सिडी

हाल ही के वर्षों में परंपरागत कृषि के बाह्य पर्यावरणीय पर प्रभाव के प्रति लोगों में रोष बढ़ा है, जिसके परिणामस्वरूप कार्बनिक आंदोलन की शुरुआत हुई।

उन्नीसवीं सदी के अंतिम समय के बाद से विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में नई प्रजातियों और नए कृषि पद्धतियों खोजने के लिए कृषि खोज अभियान शुरू किया गया है।

इस अभियान के दो प्रारम्भिक उदाहरण हैं 1916-1918 से फल और मेवे इकट्ठे करने के लिए फ्रेंक एन मेयर की चीन और जापान की यात्रा[25]

और 1929-1931 से डोरसेट-मोर्स ओरिएंटल कृषि अन्वेषण अभियान जो सोयाबीन जर्मप्लास्म को इकठ्ठा करने के लिए चीन, जापान और कोरिया में चलाया गया, ताकि संयुक्त राज्य में सोयाबीन के उत्पादन में वृद्धि हो सके।[26]

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2005 में, दुनिया में चीन का कृषि उत्पादन सबसे अधिक रहा, यह यूरोपीय संघ, भारत और अमरीका के बाद पूरी दुनिया का लगभग छठा हिस्सा था। [तथ्य वांछित][33] अर्थशास्त्री कृषि की कुल कारक उत्पादकता का मापन करते हैं और इस मापन के अनुसार संयुक्त राज्य में कृषि 1948 की तुलना में लगभग 2। 6 गुना अधिक उत्पादक है।[27]

छह देश- अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और थाईलैंड- अनाज के निर्यात की 90% आपूर्ति करते हैं।[28] जल के घाटे से युक्त देश, जो अल्जीरिया, ईरान, मिस्र और मैक्सिको सहित असंख्य मध्यम आकार के देशों में पहले से ही भारी मात्रा में अनाज का आयात कर रहे हैं,[29] जल्द ही चीन और भारत जैसे बड़े देशों में ऐसा कर सकते हैं।[30] ==

फसल उत्पादन प्रणाली

Workers tending crop fields off of the highway from Dharwad to Hampi.

फसल प्रणाली उपलब्ध संसाधनों और बाधाओं के आधार पर भिन्न खेतों में अलग अलग हो सकती है; खेत की भौगोलिक स्थिति और जलवायु; सरकारी नीति; आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक दबाव; और किसान का दर्शन और संस्कृति।[31][32] स्थानान्तरण कृषि (स्लेश एंड बर्न) एक ऎसी प्रणाली है जिसमें वनों को जलाया जाता है, ताकि वर्ष भर उत्पादन के लिए पोषक मुक्त हो जाएं और फिर कई वर्षों के लिए वार्षिक फसलें लगायी जाती हैं। hइसके बाद इस भूमि को फिर से जंगल उगने के लिए छोड़ दिया जाता है और किसान किसी नयी भूमि पर चला जाता है, कई सालों (10-20) के बाद वापस लौटता है।

तब भूखंड परती वन regrow के लिए और एक नया साजिश करने के लिए किसान चालें, लौट रह गया है कई साल के बाद। इस परती अवधि को छोटा कर दिया जाता है यदि जनसंख्या घनत्व बढ़ता है, इसके लिए पोषक तत्वों (उर्वरक या खाद) के निवेश तथा कुछ मैनुअल कीट नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

वार्षिक खेती तीव्रता की एक अगली प्रावस्था है जिसमें कोई परती अवधि नहीं होती है। इसमें और भी अधिक पोषक तत्वों और कीट नियंत्रण की आवश्यकता होती है। अधिक औद्योगिकीकरण मोनोकल्चर के उपयोग को जन्म देता है, जिसमें एक ही फसल को एक बड़े क्षेत्र पर उगाया जाता है।

कम जैव विविधता के कारण, पोषक तत्वों का एक समान उपयोग किया जाता है और कीटनाशक काम में लिए जाते हैं, यह कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग की आवश्यकता को बढ़ाता है।[32] बहु फसलीकरण, जिसमें एक ही साल में कई फसलें एक के बाद एक करके उगायी जाती हैं और अंतर फसलीकरण जिसमें कई फसलें एक ही समय पर उगायी जाती है, वार्षिक फसल प्रणाली के अन्य प्रकार हैं जो पोलिकल्चर या बहुसंवर्धन के नाम से जाने जाते हैं।[33]

उष्णकटिबंधीय वातावरण में, इन सभी फसल प्रणालियों को काम में लिया जाता है। उपोष्णकटिबंधीय और शुष्क वातावरण में, कृषि का समय और सीमा वर्षा के द्वारा सीमित हो सकते हैं। या तो यहाँ एक वर्ष में एक से अधिक फसल नहीं लगायी जा सकती या इन्हें सिंचाई की जरुरत होती है। hइन सभी वातावरणों में वार्षिक फसलें (कॉफी, चॉकलेट) उगायी जाती हैं और एग्रोफोरेस्ट्री जैसी प्रणालियों को अपनाया जाता है। शीतोष्ण वातावरण में, जहां पारितंत्र मुख्यतः चरागाह या प्रेयरी थे, उच्च उत्पादक वार्षिक फसल, प्रमुख कृषि प्रणाली है।[33]

पिछली सदी में, कृषि में सघनता, सांद्रण और विशिष्टीकरण हुआ, जो कृषि रसायनों की नयी तकनीकों (उर्वरक और कीटनाशक), मशीनीकरण और पादप प्रजनन (संकर और GMO) पर निर्भर था।

पिछले कुछ दशकों में, कृषि में स्थिरता की दिशा में विकास हुआ है, एक कृषि प्रणाली के भीतर पर्यावरण और संसाधनों का संरक्षण व सामाजिक-आर्थिक न्याय के एकीकृत विचारों की दिशा में कदम बढाया गया है।[34][35] इसने कार्बनिक कृषि, शहरी कृषि, समुदाय समर्थित कृषि, पारिस्थितिक या जैविक कृषि, एकीकृत कृषि और समग्र प्रबंधन सहित पारंपरिक कृषि दृष्टिकोण के लिए कई प्रतिक्रियाओं का विकास किया है।

फसल के आँकड़े

फसलों की महत्वपूर्ण श्रेणियों में शामिल हैं, अनाज और कूट अनाज, दालें (लेग्यूम या फलियां), फोरेज और फल और सब्जियां। विश्व भर में विशिष्ट उत्पादक क्षेत्रों में विशिष्ट फसलें ही उगाई जाती हैं। मीट्रिक टन के मिलियन में, FAO के अनुमानों पर आधारित।

शीर्ष कृषि उत्पाद, फसल के प्रकार के द्वारा
(मिलियन मीट्रिक टन) 2004 आंकडे
अनाज 2,263
सब्जियां और तरबूज 866
जड़ें और कंद 715
दूध 619
फल 503
मांस 259
तेल वाली फसलें 133
मछली (2001 का अनुमान) 130
अंडे 63
दालें 60
सब्जियों का रेशा 30
स्रोत:
खाद्य और कृषि संगठन (FAO)[36]
शीर्ष कृषि उत्पाद, व्यक्तिगत फसलों के द्वारा
(मिलियन मीट्रिक टन) 2004 आंकडे
गन्ना 1,324
मक्का 721
गेहूँ 627
चावल 605
आलू 328
चुक़ंदर 249
सोयाबीन 204
चीड के तेल का फल 162
जौ 154
टमाटर 120
स्रोत:
खाद्य और कृषि संगठन (FAO)[36]


पशुधन उत्पादन प्रणाली

इंडोनेशिया में जल भैंसों द्वारा धान के खेतों की जुताई।

जंतु जैसे घोडे, खच्चर, बैल, ऊंट, लामा, अल्पकास और कुत्तों का उपयोग अक्सर भूमि की जुताई में, फसल की कटाई में, अन्य पशुओं को इकठ्ठा करने में और खरीददारों तक कृषि उत्पाद का परिवहन करने में किया जाता है।

पशुपालन में न केवल मांस और जंतु उत्पादों (जैसे दूध, अंडा और ऊन) की निरंतर प्राप्ति के लिए पशुओं का प्रजनन करवाया जाता है बल्कि काम और साथ के लिए भी उनकी प्रजातियों में प्रजनन करवाया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है।

पशुधन उत्पादन प्रणालियों को भोजन के स्रोत के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है, जैसे चारागाह आधारित, मिश्रित और भूमिहीन।[37] चारागाह आधारित पशुधन उत्पादन, जुगाली करने वाले जानवरों के भोजन के लिए पादप पदार्थों जैसे झाड़ युक्त भूमि, रेंजलैंड और चरागाहों पर निर्भर करता है।

बाहरी पोषक तत्वों के निवेश का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, हालांकि खाद सीधे एक मुख्य पोषक स्रोत के रूप में चरागाह पर पहुँच जाती है।

यह प्रणाली विशेषकर उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जहां 30-40 मिलियन पेस्टोरालिस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले, जलवायु या मिट्टी के कारण फसल उत्पादन संभव नहीं है।[33] मिश्रित उत्पादन प्रणाली में जुगाली करने वाले जानवरों और मोनोगेस्टिक (एक आमाशय वाले; मुख्यतया मुर्गियां और सूअर) पशुधन के भोजन के रूप में चरागाहों, चारा फसलों और अनाज खाद्य फसलों का प्रयोग किया जाता है।

आम तौर पर मिश्रित प्रणाली में खाद को, फसल के लिए एक उर्वरक के रूप में पुनः चक्रीकृत कर दिया जाता है।

अनुमानतः पूर्ण कृषि भूमि का 68% भाग स्थायी चारागाह हैं जिनका उपयोग पशुधन के उत्पादन में किया जाता है।[38] भूमिहीन प्रणालियां खेत के बाहर से भोजन प्राप्त करती हैं, ये OECD सदस्य देशों में अधिक प्रचलित रूप से पाए जाने वाले पशुधन उत्पादन और फसलों को असंबंधित करती हैं।

अमेरिका में, विकसित अनाज का 70% भाग, खाद्य स्थानों पर पशुओं को खिला दिया जाता है।[33] फसल उत्पादन और खाद के उपयोग के लिए, कृत्रिम उर्वरक पर बहुत अधिक निर्भरता एक चुनौती बन गयी है और साथ ही प्रदूषण का एक स्रोत भी।

उत्पादन पद्धतियां

खेत में रोड लीडिंग उत्पादन पद्धतियों के लिए खेत में मशीनरी के उपयोग की अनुमति देती है

जुताई वह प्रक्रिया है जिसमें पौधे लगाने या कीट नियंत्रण के लिए भूमि को जोत कर तैयार किया जाता है। जुताई की प्रथा में बहुत भिन्नता मिलती है, यह परंपरागत तरीकों से भी की जा सकती है और कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां जुताई नहीं की जाती है। यह मिटटी को गर्म करके, उसमें उर्वरक डाल कर, खर पतवार का नियंत्रण करके उसकी उत्पादकता में सुधार ला सकती है, लेकिन इससे मृदा अपरदन की संभावना भी बढ़ जाता है, कार्बनिक पदार्थ अपघटित होकर CO2 मुक्त करने लगते हैं और मृदा जीवों की उपस्थिति और विविधता में भी कमी आती है।[39][40]

कीट नियंत्रण में शामिल हैं खर पतवार, कीटों / मकडियों और रोगों का प्रबंधन। रासायनिक (कीटनाशक), जैविक (जैव नियंत्रण), यांत्रिक (जुताई) और पारंपरिक प्रथाओं का उपयोग किया जाता है। पारंपरिक प्रथाओं में शामिल हैं, फसल पुनरावर्तन, कुलिंग (तोड़ना या चुनना), फसलों को ढकना, अंतर फसलीकरण, कम्पोस्ट बनाना, विरोध और प्रतिरोध

इन सभी विधियों के उपयोग के लिए, कीटों की संख्या को कम करने के लिए, समन्वित कीट प्रबंधन प्रयास, जो आर्थिक क्षति का कारण होता है और इसके लिए एक अंतिम उपाय के रूप में कीटनाशकों की सलाह दी जाती है।[41]

पोषक तत्व प्रबंधन में शामिल है, फसल और पशुधन उत्पादन के लिए पोषकों के निवेश के स्रोत और पशुधन के द्वारा उत्पन्न खाद के उपयोग की विधि। निविष्ट पोषक तत्व अकार्बनिक उर्वरक, खाद, हरी खाद, कम्पोस्ट और खनन से निकले लवण हो सकते हैं।[42] फसल पोषकों के उपयोग को पारंपरिक तकनीकों जैसे फसल पुनरावर्तन और परती अवधि का उपयोग करते हुए प्रबंधित किया जा सकता है।[43][44] खाद नियंत्रित करने के लिए या तो पशुधन को वहां रखा जा सकता है जहां खाद्य फसल उगायी गयी है, जैसा कि प्रबंधित गहन पुनरावर्ती चराई में होता है, या फसल भूमि अथवा चरागाह पर खाद के सूखे या तरल फोर्मुलेशन का छिडकाव किया जा सकता है।

जल प्रबंधन वहां किया जाता है जहां पर वर्षा या तो अपर्याप्त है या अनिश्चित, जो विश्व के अधिकांश क्षेत्रों में कुछ अंश तक होता है।[33] कुछ किसान वर्षा की अनुपुर्ती के लिए सिंचाई का उपयोग करते हैं।

अन्य क्षेत्रों जैसे संयुक्त राज्य के बड़े मैदानों में, किसान आने वाले वर्ष में एक फसल को उगाने के लिए मिटटी की नमी को संरक्षित रखने के लिए एक परती वर्ष का उपयोग करते हैं।[45] कृषि पूरी दुनिया में 70% ताजे जल का उपयोग करती है।[46]

प्रसंस्करण, वितरण और विपणन

संयुक्त राज्य अमेरिका में, खाद्य प्रसंस्करण, वितरण और विपणन की लागत बढ़ गयी है जबकि कृषि की लागत में गिरावट आयी है। 1960 से 1980 तक खेती की हिस्सेदारी 40% के आसपास थी, लेकिन 1990 तक यह 30% तक कम हो गयी और 1998 तक 22। 2% तक पहुँच गयी। इस क्षेत्र में बाजार एकाग्रता में भी वृद्धि आयी है, 1995 में शीर्ष के 20 खाद्य निर्माताओं के खाते में खाद्य प्रसंस्करण मूल्य का आधा भाग आता था जो 1954 के उत्पादन से दोगुने से भी अधिक था। 1992 के 32% की तुलना में, 2000 में शीर्ष के 6 सुपरमार्केट बिक्री का 50% भाग बनाते थे

हालांकि बाजार एकाग्रता में वृद्धि का कुल प्रभाव है संभवतः प्रभाविता का बढ़ना। यह परिवर्तन उत्पादकों (किसानों) और उपभोक्ताओं से आर्थिक अधिशेष को पुनर्वितरित करता है और ग्रामीण समुदायों के लिए इसका नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।[47]

फसल परिवर्तन और जैव प्रौद्योगिकी

ट्रैक्टर और चेज़र बिन

फसल परिवर्तन की प्रथा, मानव के द्वारा हजारों सालों से, सभ्यता की शुरुआत से ही अपनायी जा रही है,

प्रजनन की प्रक्रियाओं के द्वारा फसल में परिवर्तन, एक पौधे की आनुवंशिक सरंचना को बदल दे ता है, जिससे मानव के लिए अधिक लाभकारी लक्षणों से युक्त फसल विकसित होती है, उदाहरण के लिए बड़े फल या बीज, सूखे के लिए सहिष्णुता और कीटों के लिए प्रतिरोध।

जीन विज्ञानी ग्रिगोर मेंडल के कार्य के बाद पादप प्रजनन में महत्वपूर्ण उन्नति हुई। प्रभावी और अप्रभावी एलीलों पर उनके द्वारा किये गए कार्य ने, आनुवंशिकी के बारे में पादप प्रजनकों को एक बेहतर समझ दी। और इससे पादप प्रजनकों के द्वारा प्रयुक्त तकनीकों को महान अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई। फसल प्रजनन में स्व-परागण, पर-परागण और वांछित गुणों से युक्त पौधों का चयन, जैसी तकनीकें शामिल हैं और वे आण्विक तकनीकें भी इसी में शामिल हैं जो जीव को आनुवंशिक रूप से संशोधित करती हैं।[48] सदियों से पौधों के घरेलू इस्तेमाल के कारण उनकी उपज में वृद्धि हुई है, इससे रोग प्रतिरोध और सूखे के प्रति सहनशीलता में सुधार हुआ है, साथ ही इसने फसल की कटाई को आसान बनाया है व फसली पौधों के स्वाद और पोषक तत्वों में वृद्धि हुई है।

सावधानी पूर्वक चयन और प्रजनन ने फसली पौधों की विशेषताओं पर भारी प्रभाव डाला है। 1920 और 1930 के दशक में, पौधों के चयन और प्रजनन ने, न्यूजीलैंड में चरागाहों (घास और तिपतिया घास) में काफी सुधार किया।

1950 के दशक के दौरान एक पराबैंगनी व्यापक X-रे के द्वारा प्रेरित उत्परिवर्तजन प्रभाव (आदिम आनुवंशिक अभियांत्रिकी) ने गेहूं, मकई (मक्का) और जौ जैसे अनाजों की आधुनिक किस्मों का उत्पादन किया।[49][50]

हरित क्रांति ने "उच्च-उत्पादकता की किस्मों" के निर्माण के द्वारा उत्पादन को कई गुना बढ़ाने के लिए पारंपरिक संकरण के उपयोग को लोकप्रिय बना दिया।

उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में मकई (मक्का) की औसत पैदावार 1900 में 2। 5 टन प्रति हेक्टेयर (t/ha) (40 बुशेल्स प्रति एकड़) से बढ़कर 2001 में 9। 4 टन प्रति हेक्टेयर (t/ha) (150 बुशेल्स प्रति एकड़) हो गयी।

इसी तरह दुनिया की औसत गेंहू की पैदावार 1900 में 1 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ कर 1990 में 2। 5 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। सिंचाई के साथ दक्षिण अमेरिका की औसत गेहूं की पैदावार लगभग 2 टन प्रति हेक्टेयर है, अफ्रीका की 1 टन प्रति हेक्टेयर से कम है, मिस्र और अरब की 3। 5 से 4 टन प्रति हेक्टेयर तक है। इसके विपरीत, फ़्रांस जैसे देशों में गेंहू की पैदावार 8 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक है। पैदावार में ये भिन्नताएं मुख्य रूप से जलवायु, आनुवांशिकी और गहन कृषि तकनीकों (उर्वरकों का उपयोग, रासायनिक कीट नियंत्रण, अवांछनीय पौधों को रोकने के लिए वृद्धि नियंत्रण) के स्तर में भिन्नताओं के कारण होती हैं।[51][52][53]

आनुवंशिक अभियांत्रिकी

आनुवांशिक रूप से परिष्कृत जीव (GMO) वे जीव हैं जिनके आनुवंशिक पदार्थ को आनुवंशिक अभियांत्रिकी तकनीक के द्वारा बदल दिया गया है, इसे सामान्यतया पुनः संयोजक DNA प्रौद्योगिकी के रूप में जाना जाता है।

आनुंशिक अभियांत्रिकी ने प्रजनकों को अधिक जीन उपलब्ध कराये हैं जिनका उपयोग करके वे नयी फसलों के लिए इच्छित जीन सरंचना का निर्माण कर सकते हैं।

1960 के प्रारंभ में यांत्रिक टमाटर -हार्वेस्टर के विकास के बाद, कृषि विज्ञानियों ने टमाटर की यांत्रिक सम्भाल हेतु इसे अधिक संशोधित बनाने के लिए आनुवंशिक रूप से परिष्कृत किया।

अभी हाल ही में, आनुवंशिक अभियांत्रिकी का उपयोग दुनिया के विभिन्न भागों में किया जा रहा है ताकि बेहतर विशेषताओं से युक्त फसलों का निर्माण किया जा सके।

शाक-सहिष्णु GMO फसलें

राउंडअप रेडी बीज में एक शाक प्रतिरोधी जीन होता है, जो पौधे में ग्लाइफोसेट के प्रति सहनशीलता के लिए इसके जीनोम में डाल दिया गया है। राउंडअप एक व्यापारिक नाम है जो ग्लाइफोसेट आधारित उत्पाद को दिया गया है, जो कृत्रिम है और खर पतवार को नष्ट करने के लिए काम में लिया जाने वाला अचयनित शाक विनाशी है। राउंडअप रेडी बीज किसान को ऎसी फसल देता है जिस पर खर पतवार नष्ट करने के लिए ग्लाइफोसेट का छिडकाव किया जा सकता है और प्रतिरोधी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। शाक विनाशी-सहिष्णु फसलों को दुनिया भर के किसानों के द्वारा उपयोग किया जाता है। आज, अमेरिका में सोयाबीन का 92% भाग आनुवंशिक रूप से संशोधित शाक विनाशी-सहिष्णु पौधों के साथ उगाया जाता है।[54] शाक विनाशी-सहिष्णु फसलों के बढ़ते हुए उपयोग के साथ, ग्लाइफोसेट आधारित शाक विनाशी छिडकाव के उपयोग में वृद्धि हुई है। कुछ क्षेत्रों में ग्लाइफोसेट विरोधी खरपतवार विकसित हो गए हैं, जिसके कारण किसानों ने किसी अन्य शाक विनाशी का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।[55][56] कुछ अध्ययन ग्लाइफोसेट के अधिक उपयोग को कुछ फसलों में लौह तत्व की कमी के साथ सम्बंधित करते हैं, जो आर्थिक क्षमता और स्वास्थ्य निहितार्थ, फसल उत्पादन और पोषण गुणवत्ता दोनों की दृष्टि से एक विचारणीय विषय है। [79]

कीट-प्रतिरोधी GMO फसलें

उत्पादकों के द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली अन्य GMO फसलों में शामिल हैं कीट प्रतिरोधी फसलें, जिनमें मृदा जीवाणु बेसिलस थुरिन्गीन्सिस (Bt) से एक जीन होता है जो कीटों के लिए एक विशष्ट विष उत्पन्न करता है; कीट प्रतिरोधी फसलें पौधों को कीटों से होने वाली क्षति से बचाती हैं, इसी प्रकार की एक फसल है स्टारलिंक

एक अन्य है बीटी कपास, जो अमेरिकी कपास का 63% भाग बनाती है।[57]

कुछ लोगों का मानना है कि समान या बेहतर कीट-प्रतिरोधी लक्षणों को पारंपरिक प्रजनन पद्धतियों के द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है और भिन्न कीटों के लिए प्रतिरोधी क्षमता को जंगली प्रजातियों के साथ संकरण या पर परागण के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। कुछ मामलों में, जंगली प्रजातियां प्रतिरोधी लक्षण का प्राथमिक स्रोत होती हैं; कुछ टमाटर की फसलें जिन्होंने कम से कम उन्नीस रोगों के लिए प्रतिरोधी क्षमता प्राप्त कर ली है, ऐसा टमाटर की जंगली प्रजातियों के साथ संकरण के माध्यम से किया गया है।[58]

लागत और GMOs के लाभ

आनुवंशिक इंजिनियर किसी दिन ऐसे ट्रांसजेनिक पौधों को विकसित कर सकते हैं, जो सिंचाई, जल निकासी, संरक्षण, स्वच्छता इंजीनियरिंग और उत्पादन को बढ़ाने या बनाये रखने में सक्षम होंगे और पारंपरिक फसल की तुलना में उनकी जीवाश्म ईंधन व्युत्पन्न निवेश की आवश्यकता कम होगी। [22] ऐसे विकास विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होंगे जो सामान्यतया शुष्क होते हैं और निरंतर सिंचाई पर निर्भर रहते हैं और बड़े पैमाने के खेतों से युक्त होते हैं।

हालांकि, पौधों की आनुवंशिक अभियांत्रिकी विवादास्पद साबित हुई है। खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण प्रभावों के बारे में GMO प्रथाओं से सम्बंधित बहुत से मुद्दे उत्पन्न हुए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पर्यावरण विज्ञानी और अर्थशास्त्री GMO प्रथाओं जैसे टर्मिनेटर बीज के सम्बन्ध में GMOs पर प्रश्न उठाते हैं।[59][60] जो एक आनुवंशिक संशोधन है जो बंध्य बीज निर्मित करता है।

वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टर्मिनेटर बीज का बहुत अधिक विरोध किया जा रहा है और इस पर विश्व स्तरीय रोक लगाये जाने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।[61] एक और विवादास्पद मुद्दा है उन कम्पनियों के लिए पेटेंट संरक्षण जो आनुवंशिक अभियांत्रिकी का उपयोग करते हुए नए प्रकार के बीज विकसित करती हैं। चूंकि कंपनियों के पास अपने बीज का बौद्धिक स्वामित्व है, उनके पास अपने पेटेंट उत्पाद की शर्तें और नियम लागू करने का अधिकार है। वर्तमान में, दस बीज कम्पनियां, पूरी दुनिया की बीज की बिक्री के दो तिहाई से अधिक भाग का नियंत्रण करती हैं।[62] वंदना शिव का तर्क है कि ये कम्पनियां लाभ के लिए जीव का शोषण करने और जीवन के पेटेंट के द्वारा जैव पाइरेसी के दोषी हैं।[63] पेटेंट बीज का उपयोग करने वाले किसान अगली फसल के लिए बीज को बचा नहीं सकते हैं, जिससे उन्हें हर साल नए बीज खरीदने पड़ते हैं। चूँकि विकसित और विकास शील दोनों प्रकार के देशों में बीज को बचाना कई किसानों के लिए एक पारंपरिक प्रथा है, GMO बीज किसानों को बीज बचाने की इस प्रथा को परिवर्तित करने और हर साल नए बीज खरीदने के लिए बाध्य करते हैं।[64][65]

स्थानीय अनुकूलित बीज भी वर्तमान संकरित बीजों तथा GMOs की तरह ही सक्षम होते हैं। स्थानीय रूप से अनुकूलित बीज, जो भूमि प्रजाति या फसल पारिस्थितिक-प्रकार भी कहलाते हैं, वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि समय के साथ वे जुताई के क्षेत्र के विशेष सूक्ष्म वातावरण, मृदा, अन्य पर्यावरणी परिस्थितियों, क्षेत्र के डिजाइन और जातीय वरीयता के लिए अनुकूलित हो जाते हैं।[66] एक क्षेत्र में GMOs और संकरित व्यापारिक बीजों को लाना स्थानीय प्रजातियों के साथ इसके पर परागण का जोखिम भी पैदा करता है इसलिए, GMOs भूमि प्रजातियों तथा पारंपरिक एथनिक हेरिटेज के लिए एक ख़तरा हैं।

एक बार बीज में जब ट्रांसजेनिक सामग्री शामिल हो जाती है, यह उस बीज कम्पनी के को शर्तों के अधीन बना देता है, जिसके पास ट्रांसजेनिक सामग्री का पेटेंट है।[67]

मुद्दा यह भी है कि GMOs जंगली प्रजातियों के साथ पर-परागण कर लेते हैं और मूल आबादी की आनुवंशिकता को स्थायी रूप से बदल देते हैं; ऐसे कई जंगली पौधों की पहचान की जा चुकी है जिनमें ट्रांसजेनिक जीन पाए गए हैं।

GMO जीन का सम्बंधित खर-पतवार प्रजाति में चला जाना भी एक चिंता का विषय है, ऐसा भी गैर ट्रांसजेनिक फसल के साथ पर परागण के द्वारा ही होता है।

चूंकि कई GMO फसलों को उनके बीज के लिए काटा जाता है, जैसे रेपसीड, परिवहन के दौरान और पुनरावर्ती खेतों में स्वयंसेवी पौधों के लिए बीज के स्पिलेज की समस्या होती है।[68]

खाद्य सुरक्षा और लेबलिंग

खाद्य रक्षा के मुद्दे भी संयोगवश खाद्य सुरक्षा और खाद्य लेबलिंग के मुद्दों से मेल खाते हैं।

वर्तमान में एक विश्व संधि, दी बायो सेफ्टी प्रोटोकोल, GMOs के व्यापार को नियंत्रित करती है। वर्तमान में EU के लिए सभी GMO खाद्य पदार्थों को लेबल करना जरुरी है, जबकि US में GMO खाद्य पदार्थों की पारदर्शक लेबलिंग जरुरी नहीं है।

इसलिए GMO खाद्य पदार्थों से सम्बंधित जोखिम और सुरक्षा के मुद्दों पर कई प्रश्न हैं, कुछ लोगों का मानना है कि जनता को अपने लिए खाद्य पदार्थ चुनने का अधिकार होना चाहिए, उसे ज्ञान होना चाहिए कि वह क्या खा रही है और इसके लिए सभी GMO उत्पादों को लेबल किया जाना जरुरी है।[69]

पर्यावरणीय प्रभाव

कृषि, कीटनाशकों, पोषकों के रिसाव, अतिरिक्त जल उपयोग और अन्य मिश्रित समस्याओं के द्वारा समाज पर कई बाहरी खर्चे अध्यारोपित करती है

ब्रिटेन में 2000 में कृषि पर किये गए एक आकलन में पता चला कि 1996 के लिए कुल बाहरी लागत 2343 मिलियन ब्रिटिश पाउंड या 208 पाउंड प्रति हेक्टेयर थी।[70] संयुक्त राज्य में 2005 के एक विश्लेषण में निष्कर्ष निकाला गया कि फसल भूमि लगभग 5-16 बिलियन डॉलर ($30 से $96 प्रति हेक्टेयर) अध्यारोपित करती है, जबकि पशुधन उत्पादन 714 मिलियन डॉलर अध्यारोपित करता है।[71] दोनों अध्ययनों का निष्कर्ष यह है कि बाहरी लागत को कम करने के लिए अधिक कार्य किया जाना चाहिए, इस विश्लेषण में उनकी सब्सिडी को शामिल नहीं किया गया, लेकिन यह नोट किया गया कि सब्सिडी भी कृषि की लागत की दृष्टि से समाज पर प्रभाव डालती है।

दोनों ही पूरी तरह वित्तीय प्रभावों पर केंद्रित है। यह 2000 की समीक्षा में कीटनाशक के विषैले प्रभाव को भी शामिल किया गया लेकिन कीटनाशकों के अनुमानित दीर्घकालिक प्रभावों को शामिल नहीं किया गया और 2004 की समीक्षा में कीटनाशकों के कुल प्रभाव के 1992 के अनुमान पर भरोसा किया गया।

पशुधन मुद्दे

इस समस्या का विस्तृतीकरण करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के सह लेखक, हेन्निंग स्टेनफेल्ड, ने कहा "आज की सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के लिए पशुधन सबसे मुख्य हैं।"[72] पशुधन उत्पादन कृषि के लिए उपयुक्त भूमि का 70% भाग घेरता है, अथवा पूरे ग्रह की भूमि सतह का 30% भाग घेरता है।[73] यह हरित गृह गैसों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, दुनिया के कुल हरित गृह गैस उत्सर्जन के 18% के लिए जिम्मेदार है, यह CO2समकक्ष में मापा गया है।

तुलना के द्वारा, सम्पूर्ण परिवहन 13। 5% CO2 का उत्सर्जन करता है। यह 65% मानव से संबंधित नाइट्रस ऑक्साइड का (जिसकी ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता CO2 से 296 गुना है) और कुल प्रेरित मीथेन के 37% का उत्पादन करता है (जो CO2 से 23 गुना अधिक वार्मिंग का कारण है)

यह 64% अमोनिया भी उत्पन्न करता है, जो अम्लीय वर्षा और पारिस्थितिक तंत्र के अम्लीकरण में योगदान देती है। पशुधन विस्तार वनों की कटाई के पीछे एक मुख्य कारक है, अमेज़ॅन बेसिन में वन क्षेत्रों का 70% भाग चरागाहों में बदल चुका है और शेष को फीड फसलों के लिए काम में लिया जाता है।[73] वनों की कटाई और भूमि क्षरण के माध्यम से पशुधन भी जैव विविधता में कमी ला रहा है।

भूमि रूपांतरण और क्षरण

भूमि रूपांतरण, माल और सेवाओं की उपज के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका है, जिसके द्वारा मानव पृथ्वी के परितंत्र को परिवर्तित करता है और इसे जैव विविधता की क्षति में मुख्य कारक माना जाता है।

मनुष्यों द्वारा रूपांतरित भूमि की मात्रा का अनुमान 39 से 50% तक लगाया गया है।[74] भूमि क्षरण, जो परितंत्र प्रणाली और उत्पादकता में दीर्घकालिक गिरावट है, अनुमान के अनुसार यह पूरी दुनिया में 24% भूमि पर हो रहा है, जिसमें फसली भूमि भी शामिल है।[75] UN-FAO की रिपोर्ट में भूमि प्रबंधन को इस अवनमन के पीछे मुख्य कारक माना गया है और रिपोर्ट में कहा गया है कि 1। 5 बिलियन लोग अवनमित हो रही भूमि पर निर्भर हैं।

क्षरण वनों की कटाई से हो सकता है, मरुस्थलीकरण से हो सकता है, मृदा अपरदन से हो सकता है, खनिज रिक्तीकरण से हो सकता है, या रासायनिक पतन (अम्लीकरण और लवणीकरण) से हो सकता है।[33]

युट्रोफिकेशन

युट्रोफिकेशन, जलीय पारितंत्र में अतिरिक्त पोषक तत्वों के परिणामस्वरूप शैवाल का विकास और एनोक्सिया हो जाता है, जिसके कारण मछलियां मर जाती हैं, जैव विविधता की क्षति होती है और पानी पीने व अन्य औद्योगिक उपयोग की दृष्टि से अयोग्य हो जाता है।

फसल भूमि में बहुत अधिक उर्वरक और खाद डालने, साथ ही उच्च मात्रा में पशुधन की उपस्थिति के कारण पोषकों (मुख्यतः नाइट्रोजन और फोस्फोरस) का कृषि भूमि से प्रवाह हो जाता है और लीचिंग की स्थिति आ जाती है।

ये पोषक तत्व प्रमुख गैर बिंदु प्रदूषक हैं जो जलीय परितंत्र के युट्रोफिकेशन में योगदान देते हैं।[76]

कीटनाशक

कीटनाशक का प्रयोग 1950 के बाद से बढ़ कर पूरी दुनिया में सालाना 2। 5 मिलियन टन तक पहुँच गया है। फिर भी कीटों के कारण फसलों की क्षति अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है।[77] विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1992 में अनुमान लगाया कि सालाना 3 मिलियन कीटनाशक विषिकरण होते हैं, जिनके कारण 220,000 मौतें होती हैं।[78] कीटों की आबादी में कीटनाशक प्रतिरोध के लिए कीटनाशक का चयन, एक स्थिति को जन्म देता है, जिसे 'कीटनाशक ट्रेडमिल' कहा जाता है, जिसमें कीटनाशक प्रतिरोध एक नए कीटनाशक के विकास की वारंटी देता है।[79] एक वैकल्पिक तर्क यह है कि 'वातावरण की रक्षा करने' और अकाल को रोकने का एक तरीका है कीटनाशकों का उपयोग करना और गहन उच्च उत्पादकता खेती। सेंटर फॉर ग्लोबल फ़ूड इशूज वेबसाईट का एक शीर्षक: 'ग्रोइंग मोर पर एकर लीव्ज मोर लैंड फॉर नेचर'। इसी प्रकार का एक दृष्टिकोण देता है।[80][81] यद्यपि आलोचकों का तर्क है कि भोजन की आवश्यकता और पर्यावरण के बीच एक ट्रेडऑफ़ अपरिहार्य नहीं है[82] और यह भी कि कीटनाशक साधारण रूप से अच्छी एग्रोनोमिक प्रथाओं जैसे फसल पुनरावर्तन को प्रतिस्थापित करते हैं।[79]

जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन, कृषि को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। कृषि पर तापमान परिवर्तन और नमी क्षेत्रों में परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है।[33] कृषि ग्लोबल वार्मिंग को कम भी कर सकती है इस स्थिति को ओर बदतर भी बना सकती है। वायुमंडल में CO2 में कुछ वृद्धि मृदा में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन की वजह से भी होती है। और वायुमंडल में मुक्त होने वाली अधिकांश मेथेन, गीली मिटटी जैसे धान के खेतों में, कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से आती है।[83] इसके अलावा, गीली और अवायवीय मृदा विनाईट्रीकरण के द्वारा नाइट्रोजन भी मुक्त करती है, जिससे हरित गृह गैस नाइट्रिक ऑक्साइड मुक्त होती है।[84] और मृदा का उपयोग वायुमंडल में से कुछ CO2 को अलग करने में किया जा सकता है।[83]

आधुनिक विश्व कृषि में विकृतियां

आर्थिक विकास, जनसंख्या घनत्व और संस्कृति में अंतर का अर्थ है कि दुनिया भर के किसान बहुत अलग अलग परिस्थितियों में काम करते हैं।

को अमरीकी डालर 230 [119][85] सरकारी सब्सिडी (2003 में), माली और अन्य तीसरी दुनिया के देशों में किसानों को हो बिना लगाया प्राप्त हो सकती है। जब कीमतों में कमी आती है, बहुत अधिक सब्सिडी प्राप्त करने वाले संयुक्त राज्य के किसान पर अपने उत्पादन को कम करने का दबाव नहीं होता है। जिससे कपास की कीमतों को बनाये रखना मुश्किल हो जाता है, इसी समय में

दक्षिण कोरिया में एक पशु किसान, एक बछडे के लिए (बहुत अधिक सब्सिडी से युक्त) 1300 अमेरिकी डॉलर बिक्री मूल्य की गणना कर सकता है।[86] एक दक्षिण अमेरिकी मेर्कोसुर कंट्री रेंचर एक बछडे के लिए 120-200 अमेरिकी डॉलर बिक्री मूल्य की गणना कर सकता है (दोनों 2008 के आंकड़े)।[87] पहले वाली स्थिति में, भूमि की उंची लागत की क्षतिपूर्ति सार्वजनिक सब्सिडी के द्वारा की जाती है। बाद वाली स्थिति में, सब्सिडी के अभाव की क्षतिपूर्ति भूमि की कम लागत और पैमाने के अर्थशास्त्र के साथ की जाती है।

चीन के गणवादी राज्य में, एक ग्रामीण घरेलु उत्पादक संपत्ति, खेती की भूमि का एक हेक्टेयर हो सकती है।[88] ब्राजील, पेराग्वे और अन्य देश जहां स्थानीय विधायिका ऐसी खरीद की अनुमति देती है, अंतरराष्ट्रीय निवेशक प्रति हेक्टेयर कुछ सौ अमेरिकी डॉलर की कीमत पर हजारों हेक्टेयर कच्ची भूमि या खेती की भूमि खरीदते हैं।[89][90][91]

कृषि और पेट्रोलियम

सन् 1940 के दशक के बाद से, बड़े पैमाने पर पेट्रोकेमिकल व्युत्पन्न कीटनाशकों, उर्वरकों के उपयोग और मशीनीकरण के बढ़ने के कारण, (तथाकथित हरित क्रांति) कृषि की उत्पादकता में नाटकीय ढंग से वृद्धि हुई है। 1950 और 1984 के बीच, जैसे जैसे हरित क्रांति ने पूरी दुनिया में कृषि को रूपांतरित किया, दुनिया का अनाज उत्पादन 250% तक बढ़ गया।[92][93] जिसने पिछले 50 सालों में दुनिया की आबादी को दोगुने से अधिक बढ़ने की अनुमति दी है।

हालांकि, आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए उगाये गए भोजन के लिए ऊर्जा की प्रत्येक इकाई को उत्पादन और डिलीवरी के लिए दस से अधिक उर्जा इकाइयों की जरुरत होती है।[94] यद्यपि यह आंकडा पेट्रोलियम आधारित कृषि के समर्थन का विरोधी है।[95] इस ऊर्जा इनपुट का अधिकांश भाग जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है। आधुनिक कृषि की पेट्रोरसायन और मशीनीकरण पर बहुत अधिक निर्भरता के कारण, ऐसी चेतावनियां दी गयीं हैं कि तेल की कम होती हुई आपूर्ति (नाटकीय प्रवृति जो पीक तेल के रूप में जानी जाती है[96][97][98][99][100]) आधुनिक औद्योगिक कृषि व्यवस्था को बहुत अधिक क्षति पहुंचायेगी और यह भोजन की एक बड़ी कमी पैदा कर सकती है।[101]

आधुनिक या औद्योगिक कृषि दो मौलिक तरीकों से पेट्रोलियम पर निर्भर करती है: 1) खेती-बीज से फसल उगा कर कटाई करना। 2) परिवहन-कटाई करके उपभोक्ता के फ्रिज तक पहुँचाना। इस प्रक्रिया में ट्रैक्टर व खेतों में जुताई के लिए काम में लिए जाने वाले उपकरणों को ईंधन उपलब्ध कराने के लिए, प्रति नागरिक प्रति वर्ष लगभग 400 गैलन तेल प्रयुक्त होता है। यह देश के कुल उर्जा उपयोग का 17 प्रतिशत है।[102] तेल और प्राकृतिक गैस भी खेतों में प्रयुक्त किये जाने वाले उर्वरकों, कीटनाशकों और शाक विनाशियों के निर्माण ब्लॉक हैं। पेट्रोलियम बाज़ार में पहुँचने से पहले भोजन से प्रसंस्करण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक उर्जा भी उपलब्ध करता है। नाश्ते के लिए 2 पौंड अनाज के बैग का उत्पादन करने में आधा गैलन गैसोलिन के तुल्य उर्जा खर्च होती है।[103] इसमें इस अनाज को बाजार तक पहुँचने के लिए आवश्यक उर्जा नहीं जोड़ी गयी है; प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और फसलों के परिवहन में सबसे अधिक तेल खर्च होता है।

न्यूजीलैंड से कीवी, अर्जेन्टीना से अस्पेरेगस, ग्वाटेमाला से तरबूज और ब्रोकली, कैलिफोर्निया से कार्बनिक सलाद-ऐसे अधिकंश खाद्य पदार्थ उपभोक्ता की प्लेट पर पहुँचने के लिए औसतन 1500 मील की यात्रा करते हैं।[104]

तेल की कमी इस खाद्य आपूर्ति को रोक सकती है। इस जोखिम के बारे में उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता ऐसे कई कारकों में से एक है जो कार्बनिक खेती और अन्य स्थायी खेती की विधियों में रूचि को बढ़ावा दे रहे हैं।

आधुनिक कार्बनिक खेती की विधियों का उपयोग करने वाले कुछ किसानों नें पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक उत्पादन किया है। (लेकिन इसमें जीवाश्म-ईंधन-गहन कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया गया है)

पेट्रोलियम आधारित तकनीक के द्वारा मोनोकल्चर कृषि तकनीक के दौरान खोये जा चुके पोषकों को पुनः मृदा में लाने के लिए कंडिशनिंग में समय लगेगा।[105][106][107][108]

तेल पर निर्भरता और अमेरिका की खाद्य आपूर्ति के जोखिम ने एक जागरूक खपत आंदोलन शुरू किया है, जिसमें उपभोक्ता उन "खाद्य मीलों" की गणना करते हैं, जो एक खाद्य उत्पाद ने यात्रा के दौरान तय किये हैं। स्थायी कृषि के लिए लेओपोल्ड केंद्र एक खाद्य मील को निम्नानुसार परिभाषित करता है:"।।।।।।। उगाये जाने वाले स्थान से उपभोक्ता या अंतिम उपयोगकर्ता द्वारा अंततः ख़रीदे जाने वाले स्थान तक भोजन की यात्रा।"

स्थानीय रूप से उगाये जाने वाले और दूर स्थानों पर उगाये जाने वाले भोजन की एक तुलना में लेओपोल्ड केंद्र के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि स्थानीय भोजन को अपने गंतव्य तक पहुँचने के लिए 44। 6 मील की दूरी तय करी होती है और सुदुर स्थानों पर उगाये जाने वाले जहाजों से स्थानांतरित किये जाने वाले भोजन को 1,546 मील की दूरी तय करी होती है।[109]

नए स्थानीय खाद्य आंदोलन में उपभोक्ता जो भोजन मीलों की गणना करते हैं, अपने आप को "लोकावोर्स" लिंक कहते हैं; वे एक स्थानीय आधारित भोजन व्यवस्था पर लौटने की वकालत करते हैं, जिसमें भोजन जितना हो सके नजदीक के स्थानों पर ही उगाया जाये, चाहे यह कार्बनिक हो या नहीं।

लोकावोर्स का तर्क है कि कैलिफोर्निया में मूल रूप से उगाई जाने वाली सलाद, जो जहाजों के द्वारा न्यू यार्क लायी जाती है, अभी भी अस्थायी खाद्य स्रोत है क्योंकि यह अपने स्थानान्तरण केलिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है। "लोकावोर्स" आन्दोलन के अलावा, तेल आधारित कृषि पर निर्भरता के मुद्दे ने घर और सामुदायिक बागवानी की और रुझान को बढाया है।

लिंक

किसानों नें मक्के जैसी फसलों को इसलिए भी उगाना शुरू कर दिया है ताकि उनका इस्तेमाल भोजन की बजाय पीक तेल की कमी को पुरा करने में किया जा सके। इससे हाल ही में यह गेहूं की कीमतों में 60% की वृद्धि हुई है, यह विकासशील देशों में गंभीर सामाजिक अशांति की सम्भावना को इंगित करता है।[110] ऐसी स्थितियां भोजन और ईंधन की कीमत में भावी वृद्धि की स्थिति में और भी बुरी हो जायेंगी, ये कारक पहले से ही भूखमरी से पीड़ित आबादी को खाद्य सहायता भेजने वाले धर्मार्थ दाताओं की क्षमता को प्रभावित कर चुके है।[111]

पीक तेल मुद्दों के कारण होने वाली श्रृंखला अभिक्रियाओं के एक उदाहरण में शामिल है किसानों के द्वारा पीक तेल की समस्या को कम करने के लिए मक्के जैसी फसलें उगाने का प्रयास।

इसने पहले से ही खाद्य उत्पादन को कम कर दिया है।[112] यह भोजन बनाम ईंधन मुद्दा और भी बुरी स्थिति धारण कर लेगा जब इथेनॉल ईंधन की मांग बढ़ जायेगी। भोजन और ईंधन की बढ़ती लागत ने पहले से ही भूखमरी से पीड़ित लोगों को खाद्य सहायता भेजने वाले कुछ धर्मार्थ दाताओं की क्षमता को सीमित कर दिया है।[111] संयुक्त राष्ट्र में कुछ लोग चेतावनी देते हैं कि हाल ही में गेहूं की कीमत में हुई 60% वृद्धि "विकासशील देशों में गंभीर सामाजिक अशांति पैदा कर सकती है"[112][113] 2007 में, किसानों को गैर खाद्य जैविक ईंधन फसलें उगाने के लिए दिए गए अतिरिक्त भत्ते[114] अन्य कारकों के साथ संयुक्त हो गए, (जैसे पूर्व खेत की भूमि का अतिरिक्त विकास, स्थानान्तरण की लागत का बढ़ना, जलवायु परिवर्तन, चीन और भारत में ग्राहक की मांग का बढ़ना और जनसंख्या में वृद्धि)[115] जिससे एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और मैक्सिको, में खाद्य की मात्रा में कमी आ गयी, साथ ही विश्व भर में खाद्य की कीमतें बढ़ गयीं।[116][117] दिसंबर 2007 में 37 देशों ने खाद्य संकट का सामना किया और 20 ने किसी प्रकार के खाद्य कीमत नियंत्रण को लागू कर दिया।

इनमें से कुछ कमियों के परिणाम स्वरुप खाद्य दंगे हुए और घटक भगदड़ भी मच गयी।[13][14][118]

कृषि क्षेत्र में एक अन्य प्रमुख पेट्रोलियम मुद्दा है पेट्रोलियम आपूर्ति का प्रभाव उर्वरक उत्पादन पर पड़ेगा। कृषि में जीवाश्म ईंधन का सबसे ज्यादा इनपुट है हाबर-बोश उर्वरक निर्माण प्रक्रिया के लिए एक हाइड्रोजन स्रोत के रूप में प्राकृत गैस का उपयोग,[119] प्राकृत गैस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि यह वर्तमान में उपलब्ध हाइड्रोजन का सबसे सस्ता स्रोत है।[120][121] जब तेल का उत्पादन बहुत कम हो जाता है तब प्राकृत गैस को इसके विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और परिवहन में हाइड्रोजन का उपयोग बढ़ जाता है, प्राकृतिक गैस अधिक महंगी हो जायेगी। यदि हाबर प्रक्रिया को नव्यकरणीय ऊर्जा (जैसे विद्युत अपघटन) का उपयोग करते हुए वाणीज्यीकृत नहीं किया जा सकता या यदि हाबर प्रक्रिया को प्रतिस्थापित करने के लिए हाइड्रोजन के अन्य स्रोत इतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, कि वे परिवहन और कृषि की आवश्यकता के लिए पर्याप्त हों, तो उर्वरक का यह मुख्य स्रोत या तो बहुत अधिक महंगा हो जायेगा या उपलब्ध नहीं होगा।

यह या तो भोजन की कमी लायेगा या खाद्य कीमतों में नाटकीय ढंग से वृद्धि कर देगा।

पेट्रोलियम की कमी के प्रभाव को कम करना

कमी का एक असर यह हो सकता है कि कृषि पूरी तरह से कार्बनिक कृषि की और लौट जाये। पीक तेल मुद्दों के प्रकाश में, कार्बनिक विधियां समकालीन प्रथाओं की तुलना में अधिक स्थायी होंगी, क्योंकि उनमें पेट्रोलियम आधारित कीटनाशकों, शाक विनाशियों, या उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है।

आधुनिक कार्बनिक खेती की विधियों का उपयोग करने वाले कुछ किसानों ने पारंपरिक विधियों के तुलना में अधिक उत्पादन की रिपोर्ट दी है। [[122][123][124][125] हालांकि कार्बनिक खेती अधिक श्रम प्रधान हो सकती है और इसमें कार्य क्षेत्र पर शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर स्थानान्तरण का दबाव हो सकता है।[126]

ऐसी सलाह दी गयी है कि ग्रामीण समुदाय बायोचर ओर सिनफ्यूल प्रक्रियाओं से ईंधन प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें सामान्य भोजन बनाम ईंधन डाटाबेस के बजाय ईंधन और, खाद्य ओर चारकोल उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कृषि के व्यर्थ पदार्थों का उपयोग किया जाता है।

जब सिन्फ्युल का साईट पर उपयोग किया जायेगा, प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो जायेगी और इससे कार्बनिक-कृषि संगलन के लिए पर्याप्त ईंधन उपलब्ध होगागी।[127][128]

ऐसी सलाह दी गयी है कि ऐसे ट्रांसजेनिक पोधों का विकास किया जा सकता है जो पारंपरिक फसलों की तुलना में कम जीवाश्म ईंधन का उपयोग करते हुए, उत्पादन में वृद्धि करेंगे और इसे बनाये रखेंगे।[129] इन कार्यक्रमों की सफलता की संभावना पर अर्थशास्त्रियों और पारिस्थितिक विज्ञानियों ने सवाल उठायें हैं, ये सवाल अस्थायी GMO प्रथाओं जैसे टर्मिनेटर बीज के मुद्दों को लेकर उठाये गए हैं।[130][131] और एक जनवरी 2008 की रिपोर्ट से पता चलता है कि GMO प्रथाएं "पर्यावरणी, सामाजिक और आर्थिक लाभ देने में असफल हैं।"[132] GMO फसलों के उपयोग के स्थायित्व पर कुछ अनुसंधान किये गए हैं, मोनसेंटो के द्वारा कम से कम एक हाइप्ड और प्रभावी बहु वर्षी प्रयास असफल रहता है, हालांकि सामान अवधि के दौरान पारंपरिक प्रजनन प्रथाओं ने सामान फसलों की एक अधिक स्थायी किस्म उपलब्ध करायी है।[133] इसके अतिरिक्त, अफ्रीका में सब्सिसटेंस के जैव प्रोद्योगिकी उद्योग के द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में खोजा गया कि कौन सा GMO अनुसंधान सबसे स्थायी कृषि के लिए लाभकारी होगा और गैर ट्रांसजेनिक मुद्दों की पहचान करेगा।[134] बहरहाल, अफ्रीका में कुछ सरकारों ने नए ट्रांसजेनिक प्रौद्योगिकियों में स्थिरता में सुधार करने के लिए आवश्यक घटक के रूप निवेश को जारी रखा है।[135]

नीति

कृषि नीति कृषि उत्पादन के लक्ष्यों और तरीकों पर ध्यानकेंद्रित करती है। नीतिगत स्तर पर, कृषि के सामान्य लक्ष्यों में शामिल हैं:

कृषि सुरक्षा और स्वास्थ्य

केन्सस में केन्द्र सिंचाई धुरी के गोलाकार फसल खेतों की सैटेलाइट छवि। स्वस्थ, बढ़ती हुई फसलें हरीं हैं; गेहूं के खेत सोने के रंग के हैं; और परती खेत भूरे हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका

कृषि सबसे खतरनाक उद्योगों में से एक है।[136] किसानों को ऎसी चोटों का खतरा होता है, जो उनके लिए घातक भी हो सकती हैं, या घातक नहीं हो सकती है। उन्हें काम से सम्बंधित फेफडों की बीमारियां, शोर से होने वाला बहरापन, त्वचा रोग और रसायनों के उपयोग और लम्बे समय तक धूप में रहने के कारण कैंसर हो सकता है।

कृषि उन गिने चुने उद्योगों में से है जिनमें परिवार को भी चोट, बीमारी या मृत्यु का खतरा बना रहता है। (क्योंकि परिवार वाले अक्सर साथ ही रहते हैं और काम में हाथ बंटाते हैं)। एक औसत वर्ष में, अमेरिका में 516 श्रमिकों की मृत्यु खेती का कार्य करने के दौरान होती है। 1992-2005)। इन मौतों में से, 101 ट्रैक्टर पलटने के कारण होती हैं। प्रति दिन लगभग 243 कृषि मजदूर कार्य-समय-चोट-क्षति को झेलते हैं और इनमें से लगभग 5% स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।[137]

कृषि युवा श्रमिकों के लिए सबसे खतरनाक उद्योग है, अमेरिका में 1992 और 2000 के बीच कार्य से सम्बंधित होने वाली मौतों में से 42% युवा श्रमिकों की थीं। अन्य उद्योगों के विपरीत, कृषि में युवा पीडितों के आधे लोगों की उम्र 15 वर्ष से कम थी।[138] 15-17 आयु वर्ग के युवा कृषि श्रमिकों के लिए, घातक चोट का खतरा अन्य कार्य स्थानों की तुलना में चार गुना होता है।[139] कृषि कार्य के दौरान युवा श्रमिकों को खतरों में काम करना होता है, जैसे मशीनरी पर काम करना, सीमित स्थानों में काम करना, तीखे ढलान पर काम करना और पशुओं के आस पास काम करना।

एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2004 में 1। 26 मिलियन बच्चे और 20 साल से कम आयु के किशोर खेतों में रह रहे थे। इनके साथ लगभग 699,000 युवा भी खेतों में काम कर रहे थे।

खेतों में रहने वाले युवाओं के अलावा, 2004 में, अतिरिक्त 337,000 बच्चों और किशोरों को अमेरिका के खेतों में नौकरी पर रखा गया।

औसतन 103 बच्चे प्रति वर्ष खेतों में मारे जाते हैं (1990-1996)। इन मौतों की लगभग 40 प्रतिशत कार्य से संबंधित थीं। 2004 में, एक अनुमान के अनुसार 27,600 बच्चे और किशोर खेतों में घायल हो गए; इनमें से 8,100 खेती के कार्य के कारण ही घायल हुए थे।[137]

केंद्र

कुछ अमेरिकी अनुसंधान केंद्र कृषि प्रथाओं में स्वास्थ्य और सुरक्षा के विषय पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर समूह नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ओक्युपेशनल हेल्थ एंड सेफ्टी, दी यू। एस। डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर, या अन्य राज्य एजेंसियों के द्वारा वित्त पोषित है।

इन केन्द्रों में शामिल हैं:

इन्हें भी देखें

मुख्य सूचीयां: बुनियादी कृषि विषयों की सूची और कृषि विषयों की सूची

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कृषि के प्रकार

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ