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मेहरगढ़

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मेहरगढ़
मेहरगढ़ is located in पाकिस्तान
मेहरगढ़
Shown within Pakistan#Balochistan Pakistan
मेहरगढ़ is located in Balochistan, Pakistan
मेहरगढ़
मेहरगढ़ (Balochistan, Pakistan)
स्थान धादर, बलोचिस्तान, पाकिस्तान
क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप
निर्देशांक 29°23′N 67°37′E / 29.383°N 67.617°E / 29.383; 67.617निर्देशांक: 29°23′N 67°37′E / 29.383°N 67.617°E / 29.383; 67.617
इतिहास
स्थापित लगभग 7000 ईसा पूर्व
परित्यक्त लगभग 2600 ईसा पूर्व
काल नवपाषाण युग
स्थल टिप्पणियां
उत्खनन दिनांक 1974–1986, 1997–2000
पुरातत्ववेत्ता जीन-फ़्रांसीस जर्रिज, कैथरीन जर्रिज
आगामी सभ्यता: सिन्धु घाटी सभ्यता
पाकिस्तान का मानचित्र जहाँ मेहरगढ़ का क्वेटा, कलात, सिबी व कराची के मैदानों से सम्बन्ध दर्शाया गया है।

मेहरगढ़ पुरातात्त्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से ३३००ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। यह स्थान वर्तमान बलूचिस्तान (पाकिस्तान) के कच्ची मैदानी क्षेत्र में है। यह स्थान विश्व के उन स्थानों में से एक है जहाँ प्राचीनतम कृषि एवं पशुपालन से सम्बन्धित साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इन अवशेषों से पता चलता है कि यहाँ के लोग गेहूँ एवं जौ की खेती करते थे तथा भेड़, बकरी एवं अन्य जानवर पालते थे। "[1]. मेहरगढ़ आज के बलूचिस्तान में बोलन नदी के किनारे स्थित है। भारतीय इतिहास में इस स्थल का महत्व अनेक कारणों से है। यह स्थल भारतीय उप महाद्वीप को भी गेहूँ-जौ के मूल कृषि वाले क्षेत्र में शामिल कर देता है और नवपाषण युग के भारतीय काल निर्धारण को विश्व के नवपाषण काल निर्धारण के अधिक समीप ले आता है। इसके अतिरिक्त इस स्थल से सिंधुओ सभ्यता के विकास और उत्पत्ति पर प्रकाश पड़ता है। यह स्थल हड़प्पा सभ्यता से पूर्व का ऐसा स्थल है जहां से हड़प्पा जैसे ईंटों के बने घर मिले हैं और लगभग 6500 वर्तमान पूर्व तक मेहरगढ़ वासी हड़प्पा जैसे औज़ार एवं बर्तन भी बनाने लगे थे। निश्चित तौर पर इस पूरे क्षेत्र में ऐसे और भी स्थल होंगे जिनकी यदि खुदाई की जाए तो हड़प्पा सभ्यता के सम्बन्ध में नए तथ्य मिल सकते हैं। मेहरगढ़ से प्राप्त एक औज़ार ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। यह एक ड्रिल है जो बहुत कुछ आधुनिक दाँत चिकित्सकों की ड्रिल से मिलती जुलती है। इस ड्रिल के प्रयोग के साक्ष्य भी स्थल से प्राप्त दाँतों से मिले हैं। यह ड्रिल तांबे की है और इस नयी धातु को ले कर आरम्भिक मानव की उत्सुकता के कारण इस पर अनेक प्रयोग उस समय किए गए होंगे ऐसा इस ड्रिल के आविष्कार से प्रतीत होता है। एक अन्य महत्वपूर्ण वस्तु है सान पत्थर जो धातु के धारदार औज़ार और हथियार बनाने के काम आता था।

मेहरगढ़ से प्राप्त होने वाली अन्य वस्तुओं में बुनाई की टोकरियाँ, औज़ार एवं मनके हैं जो बड़ी मात्र में मिले हैं। इनमें से अनेक मनके अन्य सभ्यताओं के भी लगते हैं जो या तो व्यापार अथवा प्रवास के दौरान लाये गए होंगे। बाद के स्तरों से मिट्टी के बर्तन, ताम्बे के औजार, हथियार और समाधियाँ भी मिलीं हैं। इन समाधियों में मानव शवाधान के साथ ही वस्तुएँ भी हैं जो इस बात का संकेत हैं कि मेहरगढ़ वासी धर्म के आरम्भिक स्वरूप से परिचित थे।

दुर्भाग्य से पाकिस्तान की अस्थिरता के कारण अतीत का यह महत्वपूर्ण स्थल उपेक्षित पड़ा है। इस स्थल की खुदाई १९७७ ई॰ मे हुई थी। यदि इसकी समुचित खुदाई की जाए तो यह स्थल इस क्षेत्र में मानव सभ्यता के विकास पर नए तथ्य उद्घाटित कर सकता है। अभी तक की इस खुदाई में यहाँ से नवपाषण काल से लेकर कांस्य युग तक के प्रमाण मिलते है जो कुल 8 पुरातात्त्विक स्तरों में बिखरे हैं। यह 8 स्तर हमें लगभग 5000 वर्षों के इतिहास की जानकारी देते हैं। इनमें सबसे पुराना स्तर जो सबसे नीचे है नवपाषण काल का है और आज से लगभग 9000 वर्ष पूर्व का है वहीं सबसे नया स्तर कांस्य युग का है और तकरीबन 4000 वर्ष पूर्व का है। मेहरगढ़ और इस जैसे अन्य स्थल हमें मानव प्रवास के उस अध्याय को समझने की बेहतर अन्तर्दृष्टि दे सकते है जो लाखों वर्षों पूर्व दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ था और विभिन्न शाखाओं में बँटकर यूरोप, भारत और दक्षिण- पूर्व एशिया पहुँचा है। मेहरगढ़ में बसने वाले नवपाषण काल के लोग अधिक उन्नत थे।

मेहरगढ़ भारतीय उपमहाद्वीप में खेती और पशुपालन के साक्ष्य दिखाने वाला सबसे पुराना ज्ञात स्थल है। यह निकट पूर्व की नवपाषाण संस्कृति से प्रभावित था, जिसमें "घरेलू गेहूँ की किस्मों, खेती के प्रारम्भिक चरणों, मिट्टी के बर्तनों, अन्य पुरातात्त्विक कलाकृतियों, कुछ पालतू पौधों और झुण्डवाले पशुओं" के बीच समानताएँ थीं।

यह स्थल वर्तमान पाकिस्तान के पश्चिम मे सिन्ध - बलूचिस्तान सीमा पर बोलन नदी के किनारे कच्छी मैदान मे स्थित है।