सरयू नदी
सरयू नदी Sarayu river निचली घाघरा नदी | |
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![]() बागेश्वर, कुमाऊँ में सरयू नदी | |
स्थान | |
देश |
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राज्य | उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार |
नगर | आजमगढ़, सीतापुर , बाराबंकी, बहरामघाट, बहराइच, गोंडा, अयोध्या, टान्डा, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट |
भौतिक लक्षण | |
नदीशीर्ष | हिमालय |
• स्थान | सरमूल, बागेश्वर ज़िला, उत्तराखण्ड |
• ऊँचाई | 4,150 मीटर (13,620 फीट) |
नदीमुख | गंगा नदी |
• स्थान |
बिहार |
• निर्देशांक |
25°45′18″N 84°39′11″E / 25.755°N 84.653°Eनिर्देशांक: 25°45′18″N 84°39′11″E / 25.755°N 84.653°E |
लम्बाई | 350 कि॰मी॰ (220 मील) |
जलसम्भर लक्षण | |
जलक्रम | सरयू → शारदा → घाघरा (सरयू) → गंगा |
नदी तंत्र | गंगा नदी |
सरयू नदी (Sarayu river), जिसे घाघरा नदी (Ghaghara river) भी कहा जाता है, भारत के उत्तरी भाग में बहने वाली एक नदी है। यह उत्तराखण्ड के बागेश्वर ज़िले में उत्पन्न होती है, फिर शारदा नदी में विलय हो जाती है, जो काली नदी भी कहलाती है और उत्तर प्रदेश राज्य से गुज़रती है। शारदा नदी फिर घाघरा नदी में विलय हो जाती है, जिसके निचले भाग को फिर से सरयू नदी के नाम से बुलाया जाता है। नदी के इस अंश के किनारे अयोध्या का ऐतिहासिक व तीर्थ नगर बसा हुआ है। सरयू फिर बिहार राज्य में प्रवेश करती है, जहाँ बलिया और छपरा के बीच में इसका विलय गंगा नदी में होता है।[1][2]
विवरण
[संपादित करें]अपने ऊपरी भाग में, जहाँ इसे काली नदी के नाम से जाना जाता है, यह काफ़ी दूरी तक भारत (उत्तराखण्ड राज्य) और नेपाल के बीच सीमा बनाती है। सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी राप्ती है जो इसमें उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बरहज नामक स्थान पर मिलती है। इस क्षेत्र का प्रमुख नगर गोरखपुर इसी राप्ती नदी के तट पर स्थित है और राप्ती तंत्र की अन्य नदियाँ आमी, जाह्नवी इत्यादि हैं जिनका जल अंततः सरयू में जाता है। बाराबंकी, बहरामघाट, बहराइच, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद, अयोध्या, टान्डा, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, बलिया आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं।
नाम
[संपादित करें]सरयू नदी को इसके ऊपरी हिस्से में काली नदी के नाम से जाना जाता है, जब यह उत्तराखंड में बहती है। मैदान में उतरने के पश्चात् इसमें करनाली या घाघरा नदी आकर मिलती है और इसका नाम सरयू हो जाता है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में इसे शारदा भी कहा जाता है। ज्यादातर ब्रिटिश मानचित्रकार इसे पूरे मार्ग पर्यंत घाघरा या गोगरा के नाम से प्रदर्शित करते रहे हैं किन्तु परम्परा में और स्थानीय लोगों द्वारा इसे सरयू (या सरजू) कहा जाता है। इसके अन्य नाम देविका, रामप्रिया इत्यादि हैं। यह नदी बिहार के आरा और छपरा के पास गंगा में मिल जाती है। सरयुपारी/सरयुपारीण ब्राह्मण समूह का नाम भी यही सरयू नदी के कारण पड़ा, सरयू नदी के इस पर निवास करने वाले ब्राह्मणों को इस नदी के कारण सरयुपारीण ब्राह्मण कहा गया.
धार्मिक मान्यतायें का उल्लेख
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यह एक वैदिक कालीन नदी है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। इस संदर्भ में यह वितर्क किया जाता है कई ऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा (RV.4.13.18) में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का वर्णन है वह यही नदी है।[3] इसकी सहायक राप्ती नदी के भी अरिकावती नाम से उल्लेख का वर्णन मिलता है।[4]
रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में इस नदी का उल्लेख आया है। उदाहरण के लिये, विश्वामित्र ऋषि के साथ शिक्षा के लिये जाते हुए श्रीराम द्वारा इसी नदी द्वारा अयोध्या से इसके गंगा के संगम तक नाव से यात्रा करते हुए जाने का वर्णन रामायण के बाल काण्ड में मिलता है।[5] कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम् में भी इस नदी का उल्लेख है।[6] बाद के काल में रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है।[7]
बौद्ध ग्रंथों में इसे सरभ के नाम से पुकारा गया है। कनिंघम ने अपने एक मानचित्र पर इसे मेगस्थनीज द्वारा वर्णित सोलोमत्तिस नदी (Solomattis River) के रूप में चिन्हित किया है और ज्यादातर विद्वान टालेमी इसे द्वारा वर्णित सरोबेस (Sarobes) नदी के रूप में मानते हैं।[8][9]
पर्यावरणीय दशा
[संपादित करें]सरयू नदी तंत्र की नदियों का काफ़ी जल सिंचाई परियोजनाओं द्वारा नहरों के लिये फीडर पम्पों और बाँधों के माध्यम से निकाला जाता है। उदाहरण के लिये शारदा नहर परियोजना भारत की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में से एक है। अतः इस नदी का जल प्राकृतिक अपवाह से काफ़ी कम हो चुका है और यह नदी भी अपनी प्राकृतिक जलजीवों के लिये सुरक्षित नहीं रह गयी है।[10] शिंशुमार या स्थानीय भाषा में सूँस इस नदी के सर्वाधिक प्रभावित जंतु हैं जिनकी आबादी समाप्ति के खतरे से जूझ रही है।
महत्त्व
[संपादित करें]सरयू नदी पर उत्तराखण्ड में टनकपुर के पास बाँध बनाकर शारदा नहर निकाली गई है। यह भारत की सर्वाधिक बड़ी नहर प्रणालियों में से एक है। अन्य कई स्थानों पर फीडर पम्प द्वारा नहरें निकाली गयी हैं जिन्हें शारदा सहायक के नाम से जाना जाता है। दोहरी घाट,बिल्थरा रोड तथा राजेसुल्तानपुर नामक स्थानों से ऐसी सहायक नहरें निकाली गई हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
- ↑ David Frawley, Gods, Sages and Kings: Vedic Secrets of Ancient Civilization Archived 2014-07-20 at the वेबैक मशीन
- ↑ Kapoor, Subodh. Encyclopaedia of Ancient Indian Geography. Google books. Archived from the original on 14 जुलाई 2014. Retrieved 2014-07-14.
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ignored (help) - ↑ रामायण- बालकाण्ड, सर्ग २४ Archived 2015-11-19 at the वेबैक मशीन (अंग्रेजी अनुवाद)
- ↑ राम गोपाल, Kālidāsa: His Art and Culture Archived 2014-07-20 at the वेबैक मशीन
- ↑ 'त्रिबिध ताप त्रासक तिमुहानी। राम सरूप सिंधु समुहानी’
- ↑ "Rivers in Mythology". Archived from the original on 24 सितंबर 2011. Retrieved 13 जुलाई 2014.
- ↑ "Hydrology and Water Resources of India". Archived from the original on 20 जुलाई 2014. Retrieved 15 जुलाई 2014.
- ↑ प्रियंका प्रियम तिवारी, सरयू नदी भी खतरे में Archived 2014-07-14 at the वेबैक मशीन इण्डिया वाटर पोर्टल से