कासनी, पिथौरागढ (सदर) तहसील
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कासनी, पिथौरागढ (सदर) तहसील | |
— गाँव — | |
निर्देशांक: (निर्देशांक ढूँढें) | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तराखण्ड |
ज़िला | पिथोरागढ |
आधिकारिक भाषा(एँ) | हिन्दी,संस्कृत |
आधिकारिक जालस्थल: www.uttara.gov.in |
कासनी, पिथौरागढ (सदर) तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है जिस की आलोकिक संस्कृति,जैव विविधता व ऐतिहासिक धरोवर कहा जाने वाला ग्राम का इतिहास अपने आप में आलोकिक है ।गाँव को के मद्य में से हिमालय की नंदा खाट पर्वत की चोटी दिखाई पड़ता है, और चारो और खेतों व मंदिरों से घिरा है वही गाँव में तीन जल स्त्रोत भी है जिसे नोलों (बावड़ी) के नाम से जाना जाता है, साथ ही एक तरफ ठुलिगाड व् दूसरी तरफ इस गाव की सीमा पर रंधोला नाम की नदी यहा से बहती है इसी नदी के तट से लगा महाकाल का मंदिर जो की मुंगरु देवता के नाम से प्रख्यात है इस मंदिर की अपनी ही विशेष कहानिया है जिसमे लोगो की आस्था दिखाई देती है यह जिले का एक मात्र महाकाल का मंदिर है और इन दोनों नदियों के संगम पर सेरा देवल (द्योलसमेत) नामक मंदिर जिस का वर्णन स्कंदपुराण में भी दिखाई देता है भगवान शिव का मंदिर भी इसी भूमि में विराजमान है वही कासनी के कसनियाल मुंगरु देवता,सेरादेवल और विष्णु के पुजारी है और इनका इतिहास अपने आप में अतुल्य है। काफी इतिहासकारों का मन्ना यह भी है की इस गाँव में प्रागैतिहासिक काल से ही लोंग रहा करते है इस का साक्ष्य कप मार्क्स जिसे औखल के नाम से जाना जाता है यह जनपद के कुछ ही गावं में पाए गए है। इतिहासकार डॉ राम सिंह ने भी अपनी पुस्तक (सोर का इतिहास) में इस गावं के प्रागैतिहासिक होने के बारे में लिखा है।
कासनी पिथोरागढ़ के सबसे पुराने गाँवो में से एक है और मुख्य परिवार कसनियालो का है इस के अलावा भट्ट,कापड़ी,पाण्डेय,थ्वाल व् शर्मा इनके मित्र थे जिनको अपने साथ ही यहा ले आये थे और नाथ,गिरी,गोस्वामी बाद में यहा बसाए गए जिनको कोस्टाक,जामढ़ व् लम्पाटा तोक में स्थान दिया गया। गाँव की मुख्य आजीविका का श्रोत खेती था परन्तु 70 के दशक में जब यहा आर्मी आई तो यहा के लोगो ने अपनी काफी भूमि मिलट्री को दे दी वर्तमान में गाव के लोग अपने अलग अलग व्यवसाय में है कोई कृषि से आज भी जुड़ा है तो कोई आर्मी में है।
9 वीं सदी के मध्य में बना विष्णु मंदिर
[संपादित करें]इस गाँव का मुख्य आकर्षण का केंद्र 9 वीं सदी के मध्य में बना विष्णु का भव्य मंदिर भी स्थापित है जो जिले का सबसे बड़ा दस अवतार विष्णु का भव्य मंदिर समूह है मुख्य मन्दिर के गर्भ ग्रह में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा विराजमान है. ग्रामीणों द्वारा इसे लक्ष्मी नारायण मन्दिर नाम से जाना जाता है।इस काल को भारतीय इतिहास में स्वर्ण काल के नाम से जाना जाता है। कुमाऊं में कत्यूरी शासनकाल अपने चरम पर था। उत्तराखंड में आदि गुरु शंकराचार्य के आगमन के साथ ही वैष्णव परंपरा का भी आगमन हुआ और विष्णु मंदिर बनने लगे। कत्यूरी शासकों ने मंदिर निर्माण में विशेष रूचि ली।मंदिर स्थानीय ग्रेनाईट प्रस्तर खण्डों का बना है. यहाँ नागर शैली में स्तम्भ हितरेखा प्रसाद श्रेणी के देवालयों की तलछंद योजना में दो भागों का विधान किया गया है. गर्भग्रह, अंतराल एवं उर्ध्वछन्द योजना में वेदीबन्ध त्रीरथ विन्यास की जंघा निर्मित है और शिखर का क्रम बनाया गया है,वैदिक आश्रमों की पृष्टभूमि एवं पावन यात्रा पथ के समीप निर्मित इस देवालय परिसरों को तीन भागो में विभाजित किया गया है।
1- देवकुल. 2- आश्रम. 3-पंचायतन.
देवकुल परिसर में मुख्य देव मंदिर के समीप ही सम्पूर्ण देव परिवार अथवा अन्य देवों हेतु लघु देवालय, परिसर में निर्मित है. मन्दिर के गर्भग्रह में विशाल विष्णु की प्रतिमा, गुप्तकाल में भगवत धर्म में अवतारवाद का वृहत प्रचलन हुआ. वैष्णव साहित्य में पूर्णवतार, अंशावतार एवं आवेशावतार का उल्लेख है मुख्यतः दस अवतार।इस देवालय में विष्णु के दस अवतारों की प्रतिमाओं की श्रंखला भी है व इस के अतिरिक्त दुर्गा, गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी, गज आदि के अतिरिक्त विष्णु प्रतिमा हाथों में शंख, कमल, गदा, चक्र लिये है।
इसके अतिरिक्त महिषासुर मर्दिनि, उमा महेश, भवानी,आदि की प्रतिमाएं भी इस ग्राम के अन्य मंदिरों में विराजमान हैं। कासनी गांव के लोगों को विष्णु मन्दिर में पूजा अर्चना व देख-रेख के लिए स्थानीय निवासी कसनीयालों के पूर्वजों को कत्यूरी राजवँश द्वारा काशी से लाया गया था और यह काशी के विशेष पंडितो में से थे।मंदिर के गर्भग्रह की मूर्ति सबसे बड़ी है, इस मूर्ति में नारायण भगवान के दस अवतारों का विशेष समूह हैं।जिसमें मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वाराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार देखे जा सकते हैं। पुरातात्विक ईकाई के अनुसार उत्तराखंड में यह एक अकेला विष्णु मन्दिर हैं जिसमें एक साथ दस अवतार विराजमान हैं। इस मंदिर से ही कोई भी शुभ कार्य की शुरुवात की जाती है यह माना है की सच्यचे दिल से इस मंदिर में मांगी मुराद भी पूरी हो जाती है।
महिषासुर मर्दिनि का मंदिर भी इस गाँव के मध्य में है, यह मंदिर त्रिपुरा सुंदरी नेपाल में जो भगवती का मंदिर है उसी देवी के मंदिर के समान है जो की यहा स्थापित की गयी है की कुमाऊ में अन्य जगह भी इन देवी को पूजा जाता है लेकिन इस मंदिर में अन्य प्रतिमाए भी है जिसमे उमा महेश की मूर्ति मंदिर की शोभा बड़ा देती है।
भवानी देवी का मंदिर भी गाँव के ऊचें स्थान पर है जो अपने आप में ऊर्जा का केंद्र है साथ ही इस स्थान में से घाटी का दृश्य मंदिर में चार चाँद लगा देता है।
उपलब्धियां
[संपादित करें]बद्री दत्त कसनियाल पिथौरागढ़ जनपद के वरिष्ठ पत्रकार है जिन्होंने पत्रकारिता में बड़ा नाम कमाया है, इनका अनुभव देश भर में प्रचलित हैं। देश भर के बड़े अखबारों व समाचार पत्रों के लिए कार्य कर चुके है और आज का पहाड़ के संपादक भी है अपने अनुभवों से काफी लोगों को पत्रकारिता से जोड़ा है।
कासनी गाँव के प्रधान श्रीमती ममता कसनियाल के समय गाँव को निर्मल ग्राम पुरस्कार से नवाजा गया।ममता कसनियाल को कुशल नेतृत्व के लिए राज्यपाल मार्केट एल्वा द्वारा नवाजा गया हैं।
कासनी गाँव के प्रधान श्री सुरेश चन्द्र कसनियाल के समय गाँव को अटल आदर्श ग्राम घोषित किया गया। सुरेश कसनियाल को वर्ष 2017 में राज्य स्वच्छता पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका हैं। यह समाज सेवी है और समाज के प्रति इनका योगदान अतुल्यनीय हैं।
कासनी गाँव के मनीष कसनियाल पिथौरागढ़ जनपद के युवा पर्वतारोही है जिन्होंने वर्ष 2021 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट 8848.86 मीटर चोटी को फ़तह कर जनपद का गौरव बढ़ाया है। मनीष के द्वारा भारतीय पर्वतारोहण दल का नेतृत्व किया गया भारतीय दल को नेतृत्व करने वाले यह अब तक देश में सबसे छोटे हैं। अब तक मनीष कसनियाल द्वारा 11 विश्व रिकॉर्ड साहसीक खेलों में अपने नाम दर्ज कराए है साथ ही वर्ष 2013 की आपदा में उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्यपाल पुरस्कार दिया गया फिर 2017 में राज्य स्वच्छता पुरस्कार, 2020 में समाजिक कार्य के लिए पुनः राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया इसके बाद वर्ष 2023 में पिथौरागढ़ में विश्व की प्रथम रिले मैराथन का आयोजन कर उसको सफल करने में पुनः राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया है। इस के साथ ही दर्जनों रिकॉर्ड इनके नाम हैं और उत्तराखंड के प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी इनका नाम आता रहा हैं। https://blogs.icrc.org/new-delhi/2021/06/18/red-cross-reaches-the-highest-point-on-earth/
https://www.jagran.com/lite/uttarakhand/pithoragarh-everest-winner-manish-kasniyal-got-a-warm-welcome-21772563.html Archived 2023-03-13 at the वेबैक मशीन
https://www.rajyasameeksha.com/uttarakhand/17637-pithoragarh-manish-kasniyal-scales-everest-peak
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[संपादित करें]https://web.archive.org/web/20190518125434/https://www.facebook.com/kashnipithoragarh/
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
- उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ (अंग्रेज़ी)
- उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
- उत्तरा कृषि प्रभा
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